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Incest काम वासना का समन्दर (Completed)

Lutgaya

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दोस्तो, मेरा नाम राजा बाबू है. ज़्यादा घूम फिर कर नहीं मैं सीधा मुद्दे पर आता हूँ. मैं शायद उस वक़्त 12वीं क्लास में था.कुछ देरी से स्कूल शुरू करने के कारण तब तक मेरी उम्र 18साल थी

मेरी एक मौसी थी जिसकी दोनों टाँगों में पोलियो हो गया था और वो हमारे साथ ही रहती थी, क्योंकि पोलियो की वजह से उसकी शादी नहीं हो पाई थी. बेशक माँ की वो छोटी बहन थी, मगर माँ हमेशा उसे खरी खोटी ही सुनाती थी. वो मजबूर थी, इस लिए वो सारा दिन घर का काम भी करती और माँ ताने भी सुनती.
मुझे नहीं पता था कि माँ उस बेचारी लड़की से इतनी नफरत क्यों करती है.

एक रात मैं सो रहा था, तो मुझे लगा जैसे मेरे बदन पर कोई हाथ फेर रहा है. मैं जाग गया पर चुपचाप लेटा रहा. मैंने ध्यान लगा कर देखा, तो ये तो मौसी थी, जो मेरे लुल्ले को अपने मुँह में लेकर चूस रही थी, और मेरी छाती के दोनों निप्पल को अपनी उंगली और अंगूठे से मसल रही थी.
मुझे इस काम में बड़ा मज़ा आया, मैं चुपचाप लेटा इस काम के मज़े लेता रहा.

मुझे नहीं पता था कि लुल्ला चुसवाने से इतना मज़ा आता है और मेरा लुल्ला भी अकड़ कर पूरा लंड बन चुका था. मेरा दिल तो कर रहा था कि उठ कर मैं भी मौसी के चूचे दबा दूँ, मगर दूसरे बिस्तर पे माँ सो रही थी, और पिताजी भी, तो मैं हिम्मत नहीं कर पाया.
मगर मौसी मेरे लुल्ले को खाये जा रही थी.

जब मुझसे रहा न गया, तो मैंने अपने पाँव से मौसी के चूचे हिला दिये. पहले तो मौसी एकदम से चौंकी, और उसने अपने मुँह से मेरा लुल्ला निकाल दिया. मगर जब मैंने दोबारा उसके चूचों पर अपना पाँव लगाया तो मौसी ने मेरा लुल्ला पकड़ कर फिर से अपने मुँह में ले लिया और लगी चूसने.
उसने अपनी कमीज़ के बटन खोले और मेरा पूरा पाँव अपनी कमीज़ के अंदर डाल लिया. दो मस्त गोल और सॉलिड चूचे, जिन्हें मैं अपने पाँव से दबाता रहा, मगर मेरी इच्छा हो रही थी कि मैं मौसी के चूचे अपने हाथ से दबाऊँ और मुँह में लेकर चूसूँ.

इसलिए मैंने मौसी के सर पे हाथ मारा, उसने मेरी तरफ देखा मैंने पहले उसके चूचे पर अपना पाँव लगाया और फिर उसके मुँह में अपनी उंगली डाल कर उसे इशारा दिया कि मैं उसके चूचे चूसना चाहता हूँ.
वो धीरे धीरे घिसट घिसट कर ऊपर को आई, और मेरे बराबर लेट गई. पहली बार मेरी मौसी मेरे साथ इस तरह चिपक कर लेटी थी. मैंने उसकी कमीज़ के गले से उसका एक बोबा पकड़ कर बाहर निकाला. नर्म और गोल, जिस पर बड़ा सारा निप्पल खड़ा था, मैंने उसका निपल छुआ तो उसने अपने हाथ से अपना बोबा पकड़ कर मेरे मुँह से लगा दिया, मैं किसी छोटे बच्चे की तरह उसका बोबा
पीने लगा.

मौसी ने मेरी निकर चड्डी सब उतार दी और फिर से मेरा लुल्ला पकड़ लिया. फिर मौसी ने अपना कमीज़ ऊपर उठा कर अपने दोनों बोबे बाहर निकाल दिये और मेरे हाथ पकड़ कर अपने बोबों रखे, मैंने उसके दोनों बोबे हल्के से दबाये तो मौसी ने अपने हाथ मेरे हाथों पर रख कर ज़ोर दबाये और मेरे कान में फुसफुसाई- ज़ोर से दबाओ इन्हें, मसल डालो.

मैंने भी अपनी पूरी ताकत से उसके बोबे दबाये, मुझे सच में इस खेल में बड़ा मज़ा आ रहा था. मौसी मेरे लुल्ले से खेल रही थी, और मैं उसके बोबों से. फिर मौसी ने अपनी सलवार खोली, और घुटनों तक उतार दी और अपनी मजबूत बाजुओं का सहारा लेकर मेरे ऊपर आकर लेट गई.
सच में मौसी भारी थी. उसने खुद ही अपनी दोनों टाँगें खोली और मेरे लुल्ले को पकड़ कर अपनी दोनों टाँगों के बीच में रखा. जब वो नीचे को हुई तो मुझे लगा जैसे मेरा लुल्ला किसी सुराख में घुस रहा है, मगर इस के साथ ही मेरे लुल्ले में दर्द भी बहुत हुआ. मैंने मौसी को रोका, थोड़ी देर बाद उसने फिर कोशिश की, मगर फिर मुझे दर्द हुआ, उस रात मौसी ने 3-4 बार कोशिश की, मगर मेरा लुल्ला उसके अंदर न घुस पाया, मुझे हर बाद दर्द ही हुआ.

फिर मौसी ने मेरे हाथ का अंगूठा अपनी दोनों टाँगों के बीच में ले लिया, वहाँ पे कोई गीली सी मगर गर्म जगह थी. पता तो मुझे था कि ये लड़कियों के सुसू करने की जगह है, पर मैं वैसे ही सो गया.

सुबह जब उठा, तो लुल्ले में भी दर्द था. स्कूल से वापिस आया, खाना खाया, और अपने होम वर्क में लग गया. मौसी से दो चार बार मेरी नज़रें तो मिली मगर बात कुछ नहीं हुई.

शाम को जब माँ पिताजी मंदिर चले गए, मैं बैठा अपनी पढ़ाई कर रहा था, तो मौसी अपनी व्हील चेयर पे बैठी, मेरे पास आई. हम दोनों एक दूसरे को देखा. मौसी बोली- आज बहुत पढ़ाई हो रही है.
मैंने कहा- हाँ मौसी, अगले महीने से एक्जाम शुरू हो रहे हैं.
वो बोली- तुम्हें दूध लाकर दूँ हल्दी वाला?
मैंने कहा- नहीं मुझे नहीं पीना.
वो बोली- पी ले, इससे दर्द कम हो जाता है.

मैंने उसकी तरफ देखा तो वो मुस्कुरा रही थी. मैं उसकी आँखों में देखता रहा, फिर मेरा ध्यान उसके बोबों की तरफ गया, तो उसने अपना दुपट्टा हटा कर मुझे अपने बोबे दिखाये. कमीज़ के ऊपर से एक छोटी सी लकीर सी दिख रही थी.
मैंने कहा- रात आप क्या कर रही थी मेरे साथ?
वो मुस्कुरा कर बोली- तुम भी तो बहुत कुछ कर रहे थे, इतनी ज़ोर से दबाये तुमने, पता है, मेरे भी दर्द हो रहा है.
मैंने कहा- क्या सच में ज़ोर से दबा दिये?

उसने मेरे हाथ पकड़ा और अपने सीने से लगा कर बोली- यहाँ बहुत दुखता है.
मैंने भी अपनी लुल्ले की तरफ इशारा कर के कहा- मौसी यहाँ भी दुखता है.
मौसी बोली- ला दिखा तो ज़रा क्या दुखता है.

मैं कुछ कहता इस पहले ही वो आगे को बढ़ी और मेरे लोअर को नीचे को खींचने लगी. इलास्टिक वाली लोअर थी, उतर गई, और फिर उसने चड्डी भी नीचे को कर दी और मेरे लुल्ले को अपने हाथ में पकड़ लिया. मेरा लुल्ला तो पहले से ही तना पड़ा था. उसने हाथ में पकड़ कर मुझे अपनी और खींचा तो मैं उठ कर खड़ा हो गया.

उसने पहले मेरे लुल्ले का मुँह चूमा और फिर उसकी चमड़ी पीछे हटाने लगी. मैं फिर दर्द से बिलबिला उठा. वो बोली- अभी तो तू कच्चा है, तुझे पकाना पड़ेगा. मर्द बनाना पड़ेगा.
मैंने कहा- इसमें बहुत दर्द होता है.
वो बोली- जिस दिन हम दोनों अकेले हुये घर में उस दिन तुझे इस दर्द से मुक्ति दिला दूँगी. बस तक तक सब्र कर!
फिर उसने मुझे छोड़ दिया तो मैंने अपने कपड़े ठीक किए और फिर से पढ़ने बैठ गया क्योंकि माँ पिताजी का मंदिर से वापिस आने का समय हो गया था.

कुछ दिनोब के बाद माँ के चाचाजी का देहांत हो गया. माँ और पिताजी दोनों को जाना पड़ा. मेरे पेपर चल रहे थे, और मौसी चल नहीं सकती थी इसलिए हम दोनों घर पर ही रहे. जाने से पहले माँ मुझे और मौसी को खूब अच्छी तरह से समझा कर, डांट डपट कर गई, ढेर सारी हिदाएतें. यह नहीं करना, वो नहीं करना.

मैं स्कूल चला गया, जब दोपहर को तो मौसी ने बड़े प्यार से मुझे खाना खिलाया. खाना खा कर मैं बेड पे लेट गया क्योंकि अब दो दिन बाद पेपर था तो मैं पेपर की तैयारी अगले दिन भी कर सकता था.

जब मैं लेट गया तो थोड़ी देर बाद मौसी भी आ गई, पहले तो अपनी व्हील चेयर पे बैठी टीवी देखती रही, फिर मेरे पास ही आ कर बेड पे लेट गई. जब मौसी बेड पे लेटी तो उसने अपना दुपट्टा उतार दिया. अब वो बिना दुपट्टे के लेटी थी.
जब मैंने उसकी और देखा तो उसके कमीज़ के गले से उसके बड़े बड़े गोल गोल बोबे बाहर को आ रहे थे. मैं उसके बोबे देखने लगा तो मौसी ने पूछा- पिएगा?
मैंने सोचा ‘ये हर वक़्त गरम ही रहती है’ मैंने कह दिया- हाँ!
तो उसने उठ कर अपनी कमीज़ पूरी ही उतार दी. नीचे सफ़ेद रंग के उसके ब्रा में उसे विशाल बोबे बड़े मुश्किल से फंसे थे.

जब उसने अपनी ब्रा खोली तो मैं देख कर हैरान ही रह गया.
गोरे रंग के मांस के ढेर थे जैसे.

उसके बाद वो अपनी सलवार खोलने लगी और मुझे बोली- जा बाहर वाले दरवाजे को लॉक करके आ!
मैं भाग कर गया और जब दरवाजा बंद करके वापिस आया तो वो बेड पे बिल्कुल नंगी पड़ी थी, मुझसे बोली- किचन में ऊपर की अलमारी में एक सफ़ेद शीशी पड़ी है तेल वाली, वो भी ले आ!
मैं वो तेल वाली शीशी भी लेकर उसके पास गया तो वो बोली- चल अब तू अपने कपड़े भी उतार दे.

उसे नंगी देख कर लुल्ला तो मेरा भी अकड़ गया था, मैंने अपनी कमीज़ खोली, निकर और चड्डी भी उतार दी. जब नंगा हो गया, तो उसने मुझे बेड पे लेटा कर मेरे पेट पर चढ़कर बैठ गई. बेहद भारी थी मौसी!

उसके पिचके से चूतड़ और पतली सूखी बेजान सी टाँगें मेरे ऊपर थी. उसने शीशी से काफी सारा तेल निकाला और मेरे लुल्ले पे लगा कर अपने हाथ से उसकी ऊपर नीचे मालिश करने लगी.
मैं उसकी नंगी भरपूर मांसल पीठ पर हाथ फेरता रहा. मौसी की चूत जो बालों से भरी थी, मेरे पेट पे थी, और मुझे अपने पेट पर गीला गीला सा लग रहा था, जैसे उसकी चूत से कुछ निकल कर मेरे पेट पे लग रहा हो.

वो मेरे लुल्ले की ज़ोर ज़ोर से मालिश कर रही थी. वो तेल लगाती और फिर ज़ोर ज़ोर से मेरे लुल्ले को ऊपर नीचे फेंटती. थोड़ी सी देर में ही उसने मेरे लुल्ले के अंदर जो गुलाबी सी गेंद थी वो बाहर निकाल दी. पहले मुझे हल्का सा दर्द हुआ था, मगर बाद में ठीक लगने लगा. मुझमे जोश बढ़ता जा रहा था, मैं मौसी के बदन को अपने हाथों में भर भर के दबा रहा था.

मौसी थोड़ी से पीछे को हुई, तो मैंने उसके दोनों बोबे पकड़ लिए और खूब ज़ोर से दबाये, जितना मुझे जोश आता, मैं उतनी ज़ोर से दबाता. मौसी के दोनों बोबे मेरे दबाने से लाल सुर्ख हो गए थे.
मैं नीचे लेटा भी उछल रहा था, मौसी ने मेरे लुल्ले को पूरी ताकत से अपने हाथ में पकड़ा हुआ था और ज़ोर ज़ोर से मेरे लुल्ले की चमड़ी नीचे को खींच रही थी.

फिर मुझे ऐसा लगा जैसे मुझे कोई करंट लगा हो, मैं बिल्कुल हल्का हो कर हवा में उड़ गया हूँ, और इस दौरान मौसी ने इतनी ज़ोर से मेरे लुल्ले की चमड़ी पीछे को खींची कि वो टूट गई, और मेरे लुल्ले से खून बह निकला.
मैं दर्द से तड़प उठा- आह मौसी, ये क्या किया. हाय मार डाला!

मैं रोना चाहता था, पर रो नहीं पाया. मौसी को मैंने धक्का दे कर अपने ऊपर से नीचे उतारा, और बाथरूम में जाकर मैंने अपने लुल्ले को पहले ठंडे पानी से कई बार धोया, और फिर उस पर दवाई लगाई और फिर रुई लगा कर बाहर आया.
मेरा लुल्ला सूज गया था और उसमें बहुत दर्द हो रहा था.

मैंने मौसी से कहा- ये क्या किया मौसी, आपने तो मेरे खून ही निकाल दिया.
वो बोली- बात सुन मेरी पगले, मैंने तुझे मर्द बना दिया है. एक न एक दिन तो तेरी सील टूटनी ही थी, सो आज टूट गई. अब तू किसी भी लड़की को चोद सकता है.

मैं वापिस आ कर बेड पर लेट गया. मौसी अब भी मेरी बगल में नंगी लेटी थी, मुझसे बोली- ऐसा कर इसे हवा लगवा, फिर जल्दी ठीक हो जाएगा.

मैं अपनी निकर उतार कर अपने लुल्ले को हवा लगवाने लगा, मौसी मेरे पास आई और मेरे होंठ चूम कर बोली- घबराना नहीं मेरे लल्ला, मैंने जो किया है, तेरे भले के लिए ही किया है.
उसका होंठ चूमना मुझे अच्छा लगा, मैंने मौसी का चेहरा पकड़ा और एक बार फिर उसके होंटों से अपने होंठ जोड़ दिये.

पहले हमने एक दूसरे को चूमा, फिर मौसी ने मुझे होंठ चूसने सिखाये, फिर जीभ चूसनी भी सिखाई. मगर इस चूसा चुसाई में मेरा लुल्ला फिर से तन गया, जिससे मुझे दर्द होने लगा. तो मौसी बोली- तू कुछ न कर, बस ऐसे ही लेटा रह, मैं खुद ही सब कुछ कर लूँगी.

मौसी ने अपनी उंगली से अपनी चूत को सहलाना शुरू कर दिया, वो कभी मुझसे अपने बोबे चुसवाती, कभी मेरे होंठ चूसती, कभी मेरी छाती को चूमती, चूसती.
कितनी देर वो ऐसे ही करती रही.

फिर शांत हो कर लेट गई.

मैंने पूछा- ये अभी आपने क्या किया?
वो बोली- हस्त मैथुन किया.
फिर उसने मुझे हस्त मैथुन के बारे में सब कुछ बताया, सेक्स क्या होता है, कैसे होता है, बच्चा कैसे होता है, पीरियड्स क्या होते हैं, सब समझाया, और ये भी बताया कि जब मेरे लुल्ले का दर्द बिल्कुल ठीक हो जाएगा, तब हम क्या क्या करेंगे.

मौसी की चुदाई की कहानी जारी रहेगी.
आपकी राय कमेन्टस कर अवश्य बताएं 👍
 
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Lutgaya

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कहानी की शुरुवात ही जबरदस्त और गरमागरम हैं आगे तो धमाका पक्का है
मौसी की चुदाई धमाकेदार और दमदार होनी चाहिए
अगले धमाकेदार और चुदाईदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
 

Lutgaya

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Beautiful story
कहानी की शुरुवात ही जबरदस्त और गरमागरम हैं आगे तो धमाका पक्का है
मौसी की चुदाई धमाकेदार और दमदार होनी चाहिए
अगले धमाकेदार और चुदाईदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
धन्यवाद जी
 
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Lutgaya

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भाग-2


तीन चार दिन बाद मेरा लुल्ला बिल्कुल ठीक हो गया, मगर इन दिनो में मैं मौसी से इतना खुल गया, इतना घुल मिल गया कि मुझे जैसे उसके बिना सांस ही ना आती हो. मैं हर वक़्त मौका देखता जब माँ आस पास न होती तो मैं झट से भाग कर जाता और मौसी के साथ लिपट जाता, कभी उसको होंठों पे चूमता, उसके बोबे दबाता, उस से गंदी गंदी बातें करता. कभी कहता ‘गांड दे दे’ कभी कहता ‘मौसी तुम्हारे बोबे बड़े मस्त हैं’ कभी निकर उठा कर उसको अपना लुल्ला निकाल कर दिखाता और कहता ‘आजा ले ले इसे’.
हर तरह की गंदी हरकत मैंने उस से करनी शुरू कर दी, और वो भी हंस हंस कर मेरा हौंसला बढ़ाती, और खुद भी मुझसे गंदी गंदी बातें कर लेती थी.
एक दिन मम्मी और पापा किसी काम से कहीं गए थे, और मुझे जाते हुये कह गए कि दोपहर के बाद आएंगे, अपना ख्याल रखना और खाना खा लेना.
उनके जाते ही मैंने घर का मेन गेट बंद किया और सीधा मौसी के पास आया- मौसी, मम्मी पापा बाहर गए हैं, दोपहर के बाद आएंगे, हम करें?
मैंने एक ही सांस में कह दिया.
मौसी बोली- अभी रुक जा, तेरी माँ वहाँ पहुँच कर जब फोन कर देगी, तब देखेंगे.
करीब 20 मिनट बाद माँ का फोन आ गया कि वो वर्मा अंकल के घर हैं. मैंने फोन सुनने के बाद ये बात मौसी को बताई, तो मौसी अपनी व्हील चेयर से उठ कर बेड पे लेट गई और बोली- आ मेरे राजा, आज तुझे लड़के से मर्द बनाती हूँ. चल कपड़े उतार अपने!
मैंने एक मिनट भी नहीं लगाया, और अपने सारे कपड़े उतार दिये, उधर मौसी ने भी अपनी सलवार और कमीज़ उतार दी थी. बिस्तर पे वो नंगी लेटी थी, मगर ब्रा उसने पहन रखा था. मैंने उसका नंगा बदन देखा, और बालों से भरी उसकी चूत देखी तो मेरा मन मचल उठा, मैं सोच रहा था, आज इस चूत में मैं अपना लंड डालूँगा.
मैं भी बेड पे मौसी के साथ लेट गया तो मौसी बोली- लेट मत, इधर आ मेरे ऊपर!
और उसने मुझे अपने सीने पे बैठा लिया.
मेरा तना हुआ लुल्ला उसके मुँह के बिल्कुल पास था, जिसे मौसी ने थोड़ा सा सर उठा कर अपने मुँह में ले लिया. उसने अपने मुँह के अंदर ही मेरे लुल्ले की चमड़ी पीछे हटा दी, और उसकी टोपी निकाल कर चूसने लगी.
मैंने कहा- मौसी, ये जो तुम मेरे लुल्ले चूस रही हो न, इसमे मुझे बड़ा मज़ा आ रहा है.
मौसी बोली- ये लुल्ला नहीं है, अब ये लंड बन चुका है. इसका साइज़ तो देखो. जब तुम पूरे जवान हो जाओगे, तो देखना कितना बड़ा हो जाना है इसने!
कुछ देर चूसने के बाद मौसी बोली- चल अब आगे का काम करते हैं.
उसने मुझे उठा कर नीचे को किया और बोली- अब अपना लंड यहाँ डाल!
कह कर उसने अपनी चूत पे उंगली लगा कर दिखाई. मैंने अपना लंड वहाँ रखा और जैसे ही अंदर को धकेला, मेरा लंड किसी गीली, गरम और बड़ी मुलायम सी जगह में घुस गया.
‘और… और… और डाल!’ कह मौसी ने मेरा पूरा लंड अपनी चूत में डलवा लिया. उसके बाद मुझे बताया कि मुझे कैसे अपनी कमर हिला कर अपने लंड को उसकी चूत में आगे पीछे हिलाना है.
उसके बताए अनुसार मैं करता रहा और मैंने मौसी का ब्रा खोल कर दूर फेंक दिया. उसके बहुत विशाल, गोरे बोबे मेरी कमर के धक्कों से आगे पीछे, इधर उधर झूल रहे थे. अपने लंड को चूत में डाल कर पेलने में मुझे बहुत मज़ा आ रहा था. मैंने मौसी के से कहा- मौसी ये काम तो बड़ा मज़ेदार है, मुझे बहुत अच्छा लग रहा है.
वो नीचे से बोली- अरे लल्ला, तुमसे ज़्यादा तो मैं मज़ा ले रही हूँ, कितने बरसों बाद आज मुझे ऐसा मज़ा आया है.
फिर मैंने पूछा- मौसी एक बात बताओ, तुम घर का इतना काम भी करती हो, सब से प्यार से बात भी करती हो. फिर माँ हमेशा तुम्हें जली कटी क्यों सुनाती है?
वो बोली- इसके पीछे भी एक कहानी है, दरअसल मेरी बीमारी की वजह से मेरी शादी नहीं हो पाई, तो एक रात जीजाजी ने दारू के नशे में मुझे पकड़ लिया, मैं तो कहीं भाग के जा भी नहीं सकती थी, और मेरे अपने भी अरमान थे. मैंने तेरे पापा को नहीं रोका और उस दिन उन्होंने मुझे सुहागन बना दिया. चुपचाप यह खेल बहुत दिन तक चलता रहा. मगर एक दिन हम पकड़े गए. तब से दीदी मुझे बहुत कुछ कहती है. अब ना तो मैं कहीं जा सकती हूँ, न दीदी मुझे घर से निकाल सकती है. इस लिए अपनी खुन्नस वो मुझे जलील करके निकाल लेती है.
मैंने पूछा- तो क्या अब भी पापा के साथ तुम्हारे सम्बन्ध हैं?
वो बोली- नहीं, जब हम पकड़े गए थे, उसके बाद जीजाजी कभी मेरे पास नहीं आए.
उस दिन बहुत मज़ा आया, मैं काफी देर मौसी की कमर से अपनी कमर टकराता रहा और जब मेरा पानी गिरा तो मौसी ने बताया के उसे कैसे लंड बाहर निकाल कर गिराना है. पहली बार मेरा वीर्यपात हुआ, पहली बार मैंने देखा कि लंड से पेशाब नहीं और भी कुछ निकलता है.
दो घंटे बाद मैं और मौसी फिर से आपस में उलझ गए. इस बार मौसी ने मुझे सिखाया कैसे अपने पर काबू रख कर औरत का पानी पहली गिराया जाता है. ये एक ऐसा अनुभव था, जिसने मेरे ज़िंदगी बदल दी. उसके बाद तो हम दोनों हमेशा इस इंतज़ार में रहते के कब हमे मौका मिले, और कब हम आपस में सेक्स करें.
मैं मौसी की बहुत इज्ज़त करता, उनका ख्याल रखता. मम्मी पापा को कभी शक नहीं हुआ कि हम दोनों के बीच में कोई और रिश्ता भी है. मैंने स्कूल पास किया, कॉलेज पास किया. इन 7 सालों में मैंने मौसी के बदन का हर वो सुराख जिसमें मेरा लंड घुस सकता था, मैंने चोद दिया. मैंने अपनी मौसी के साथ बेइंतेहा सेक्स किया.
मौसी मुझे काम पिशाच कहती थी, जो भूत की तरह चिपक जाता है, और फिर खून चूसे बिना पीछा नहीं छोड़ता, उसी तरह मैं भी जब भी जहाँ भी मौका मिलता, मौसी के बदन के जिस हिस्से पर भी संभव होता, अपनी काम तृप्ति करता.
मौसी की शादी नहीं हुई थी, मगर उसे पति के सुख से मैंने महरूम नहीं रहने दिया. हर साल वो मेरे नाम का करवा चौथ का व्रत रखती. हमने कई बार अपनी सुहागरात मनाई. मौसी दुल्हन की तरह सजती और मैं दूल्हा बन कर उसके साथ सेक्स करता, अक्सर नए नए तरीके अपनाते. नए नए किरदार खेलते, कभी वो मेरी टीचर बनती, कभी मैं उनका नौकर.
मौसी मुझ पर इतनी मोहित हो चुकी थी कि एक बार मेरे कहने पर उसने मेरा पेशाब भी पी लिया.
मैंने तो मज़ाक में ही कहा था- मौसी, मुझे पेशाब आ रहा है, तेरे मुँह में कर दूँ?
वो सच में ही मुँह खोल कर बोली- चल कर मगर धीरे धीरे से करना, कहीं मेरे कपड़े गंदे कर दे.
मैंने धीरे धीरे से पेशाब किया, उसका मुँह पूरा खुला था, जब उसकी मुँह भर जाता तो मैं रुक जाता, वो पी लेती फिर अपना मुँह खोलती और मैं फिर मूत देता. मगर जब उसने अपना मूत मुझे पिलाने को कहा तो मैंने मना कर दिया.
उम्र के साथ मेरे लंड का आकार भी बढ़ता गया. अक्सर मौसी मेरे लंड की मालिश करती, और उसे खींच खींच कर और लंबा करती. जब मैं कॉलेज में भर्ती हुआ, उस वक़्त मेरा लंड 9 इंच लंबा हो चुका था, और ये सब मौसी की मेहरबानी थी.
सेक्स मैंने इतना किया कि पूछो मत, मौसी ने मुझे बहुत से तरीके सिखाये कि कैसे मैं लड़कियों और औरतों की मनोदशा समझ के उनको पटा सकता हूँ. मौसी के फार्मूले बहुत कामयाब रहे. मैंने अपने कॉलेज की 7 लड़कियों और 1 प्रोफेसर को भी चोदा और ऐसा चोदा के वो मेरी गुलाम बन गई. घर की काम वाली बाई, पड़ोस की शर्मा आंटी, वर्मा आंटी की बेटी, कोयल आंटी की बहन, गुप्ता जी की काम वाली, आस पड़ोस में ही मैंने अपनी 10 से ज़्यादा औरतों को चोद दिया था.
जिसको भी मैं देखता और मुझे लगता के इस लड़की या औरत के मन में कुछ है, मैं आ कर मौसी को बताता, और वो मुझे अपने फोर्मूले बताती के इसको कैसे जीता जाए, और जब मैं उसक लड़की या औरत को चोद लेता तो घर आ कर मौसी से हर बात बताता.
मैंने कई बार अपनी मौसी से भी पूछा- मौसी अगर तुम्हारे दिल में भी को इच्छा हो, किसी और मर्द से सेक्स करने की तो बेहिचक मुझे बताना, मैं पूरी कोशिश करूंगा कि वो मर्द तुम्हारी बाहों में हो.
मगर मौसी कहती- नहीं, तुम्हारे बाद मुझे किसी और मर्द की ज़रूरत नहीं है.
फिर जब पढ़ाई पूरी हो गई, तो मैंने अपने पिता जी का ही बिज़नस संभाल लिया, फिर मेरी शादी हो गई. अपनी पत्नी की पहली रात ही मैंने चीखें निकलवा दी, क्योंकि मेरे पास 12 साल का चुदाई का तजुरबा था और मुझे पता था औरत कहाँ से और कैसे गरम होती और कैसे तड़पती है.
सुहाग रात को मैंने अपनी पत्नी को 4 बार चोदा. उसके बाद हनीमून पर मैंने उसकी ऐसी बैंड बजाई कि वो निहाल हो गई.
मेरी शादी के बाद बच्चे भी हो गए मगर मेरी सेक्स की भूख नहीं मिटी. पत्नी से हर दूसरे दिन सेक्स करता, इस बीच जब कभी मौका मिलता तो मौसी को भी पेल देता. ऑफिस में मैंने दो तीन लड़कियाँ भी रख रखी थी, उनकी पहली शर्त ये थी कि काम के साथ साथ चुदाई भी करवानी पड़ेगी. उनको भी मैं चोद रहा था.
वक़्त बीतता गया, बच्चे बड़े हो गए. बेटा 12 वी क्लास में था, बेटी कॉलेज में पहुँच गई.
एक बार मेरी बेटी की सहेली हमारे घर आई, न जाने क्यों मुझे लगा, ये लड़की कुछ चाहती है. मैंने अपने पुराने फोर्मूले अपनाए, और 10 दिन बाद वो लड़की मुझे होटल में मिलने आई, जहां मैंने उसकी अच्छी ठुकाई की.
आज 48 साल की उम्र में मुझे खुद याद नहीं के अब तक मैं कितनी लड़कियों को ठोक चुका हूँ. मौसी अब बहुत बूढ़ी हो चुकी है, मगर अब भी कभी कभी मेरा लंड चूस लेती है.
अगर सेक्स छोटी उम्र में शुरू किया जाए तो आदमी की सेक्स लाईफ भी बढ़िया रहती है और लंबी भी होती है.
मौसी की चुदाई की कहानी कैसी लगी?
कमेन्ट कर बताए
 

Lutgaya

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Excellent
Achhi shuruat
कहानी की शुरुवात ही जबरदस्त और गरमागरम हैं आगे तो धमाका पक्का है
मौसी की चुदाई धमाकेदार और दमदार होनी चाहिए
अगले धमाकेदार और चुदाईदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
Beautiful story
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