update 68
19 को अनु का जन्मदिन था तो मैंने 18 को ही सोच लिया था की मुझे क्या करना है| 18 का पूरा दिन मैं ऑफिस में ही था, शाम होने को आई तो मैंने अनु को अकेले ही भेज दिया क्योंकि मुझे data फाइनल करना था ताकि कल का पूरा दिन मैं और अनु घुमते रहें! मैं रात को ठीक साढ़े ग्यारह बजे पहुंचा और चूँकि मेरे पास डुप्लीकेट चाभी थी तो मैं दबे पाँव अंदर आया| हॉल में मैंने केक रखा और मोमबत्ती लगाई और मैं पहले चेंज करने लगा, जैसे ही बारह बजे मैंने अनु को आवाज दे कर उठाया| पर वो एक आवाज में नहीं उठी, मैंने साइड लैंप जलाया और फिर पूरा हैप्पी बर्थडे वाला गाना गाय; "Happy Birthday to you,
Happy Birthday Dear Anu,
Happy Birthday to You" तब जा कर अनु की आँख खुली और उन्होंने मुस्कुराते हुए मुझे देखा| मैंने उनके सामने घुटनों के बल बैठा था, अनु एक दम से उठी और मेरे गले लग गई| "thank you" कहते-कहते उनकी आवाज रोने वाली हो गई| मैं समझ गया की वो अपने मम्मी-डैडी को miss कर रही हैं| 'अच्छा अब रोना नहीं है, चलो बाहर आओ एक सरप्राइज है!" ये कहते हुए मैं उन्हें बाहर लाया और केक देख कर वो खुश हो गेन| उन्होंने मुझे एक बाद फिर गले लगा लिया| मैंने फ़ौरन मोमबत्ती जलाई और फिर उन्होंने केक काटा| हम दोनों हॉल में ही सोफे पर बैठ गए| "एक आरसे बाद मैं अपना birthday celebrate कर रही हूँ! पर मुझे लगा की तुम इतना busy हो तो शायद भूल गए होगे?"
"इतने साल आप से दूर रहा तब आपको wish करना नहीं भूला तो साथ रह कर भूल जाऊँगा?"
रात में भूख लगी तो मैंने मैगी बनाई और दोनों ने किचन में खड़े-खड़े खाई और फिर सोने चले गए| अगली सुबह मैं जल्दी उठा और coffee बना कर अनु के साइड टेबल पर रखते हुए कहा; "coffee for the birthday girl!" अनु एक दम से उठ बैठी और मेरा हाथ पकड़ कर वहीं बिठा लिया| "तो आज का क्या प्रोग्राम है?" अनु ने पुछा| मैं एक दम से खड़ा हुआ और दोनों हाथ हवा में उठाते हुए चिल्लाया; "Road Trip!!!!" ये सुनते ही अनु भी excited हो गई! "पर कहाँ?" अनु ने पुछा| "Shivanasamudram Falls!!!!" मैंने कहा और हम दोनों कूदने लगे, मैं जमीन पर अनु पलंग पर! रंजीथा आई तो अनु ने उसे भी केक खिलाया, मैंने आकाश और रवि को भी बुला लिया था| दोनों ने आ कर अनु को विश किया और सबने केक खाया| रवि ने मना किया क्योंकि उसे लगा की इसमें अंडा होगा पर मैंने उसे बताया की इसमें अंडा नहीं है तो उसने भी तुरंत खा लिया| हम दोनों तैयार हो कर बाइक से निकले, पूरे 135 किलो मीटर की ड्राइव थी| पहले 60 किलोमीटर में ही हवा निकल गई इसलिए मैंने बाइक एक रेस्टुरेंट पर रोकी और दोनों ने एक-एक कप स्ट्रांग वाली कॉफ़ी पी और फिर से चल पड़े| कुछ देर बाद रोड खाली आया तो अनु जिद्द करने लगी की उसे ड्राइव करना है| आजतक उन्होंने स्कूटी ही चलाई थी और ऐसे में ये भारी भरकम बाइक वो कैसे संभालती? उन्हें मना करना मुझे ठीक नहीं लगा, इसलिए मैंने उन्हें आगे आने को कहा| "ये बहुत भारी है, आप संभाल नहीं पाओगे, मैं आपके नजदीक आ कर बैठ जाऊँ?" मैंने उनसे पुछा| अब थोड़ा दर तो उन्हें भी लग रहा था क्योंकि बुलेट पर बैठते ही उन्हें उसके वजन का अंदाजा मिल गया था| "प्लीज गिरने मत देना!" इतना कहते हुए उन्होंने मुझे अपने नजदीक बैठने की इजाजत दी| मैंने उन्हें जब बाइक स्टार्ट करने को कहा तो उनसे वो भी नहीं हुई क्योंकि मैंने किक थोड़ी टाइट रखी थी ताकि मैं उसे स्टाइल से स्टार्ट करूँ| अब इसमें self था नहीं जो वो एक बटन दबा कर स्टार्ट कर लेतीं, इसलिए मुझे ही खड़े हो कर बाइक स्टार्ट करनी पड़ी| अब बुलेट की भड़भड़ आवाज सुन कर ही वो डर गईं और क्लच छोड़ ही नहीं रही थीं| "no...no ...no ...मैं नहीं चालाऊँगी!" अनु ने घबराते हुए कहा| अब मुझे लगा की अगर इन्होने डर के एक दम से छोड़ दिया तो दोनों टूट-फुट जाएंगे! इसलिए मैंने दोनों हाथ उनके पेट पर लॉक कर दिए और बड़ी धीमी आवाज में उनके कान में कहा; "क्लच को धीरे-धीरे छोडो जैसे आप स्कूटी चलाते टाइम छोड़ते हो!" मेरे उनके छू भर लेने से अनु की सांसें तेज हो गईं थी पर जब मैंने धीरे से उनके कान में instructions दी तो उन्होंने खुद पर काबू किया और धीरे-धीरे क्लच छोड़ा| शुरुरात में थोड़े झटके लगे और फिर बाइक चल गई पड़ी| अब मुझे भी एहसास हुआ की मुझे उनको ऐसे नहीं छूना चाहिए था, मैंने धीरे-धीरे अपने हाथ उनके पेट से हटा लिए ताकि वो नार्मल हो जाएँ| अनु का ध्यान अब बाइक पर था और मेरा ध्यान सब तरफ था की कहीं कोई आकर हमें ठोक नहीं दे| कुछ देर बाद आखिर उनका हाथ बैठ ही गया, घंटे भर में ही उनका मन भर गया और उन्होंने फिर मुझे चलाने को कहा| मैंने इस बार कुछ ज्यादा ही तेजी से चलाई जिससे अनु को मुझसे चिपक कर बैठना पड़ा| साढ़े तीन घंटे मकई ड्राइव के बाद हम पहुँचे और वहाँ का नजारा देख कर शरीर में और फूर्ति आ गई| पानी का शोर सुन कर ही उसमें कूद जाने का मन कर रहा था| हमने वहाँ मिल कर खूब मौज-मस्ती की और शाम को निकले| घर आते-आते 10 बज गए, वो तो शुक्र है की रंजीथा जाते-जाते खाना बना गई थी वरना आज भूखे ही सोना पड़ता| खाना खा कर मैं उठा तो अनु बोली; "Thank you आज का दिन इतना स्पेशल और memorable बनाने के लिए!"
"Thank you आपको की आपने पहले वाले मानु को फिर से मरने नहीं दिया!" मैंने मुस्कुराते हुए कहा और हम दोनों सो गए|
अब आया क्रिसमस और हररोज की तरह जब मैं अनु की बेड टी ले कर आया तो अनु बोली; "रोज-रोज क्यों तकलीफ करते हो?"
"तकलीफ कैसी ये तो मेरा प्यार है!" मैंने हँसते हुए कहा पर अनु के पास इसका जवाब पहले से तैयार था; "थोड़ा और प्यार दिखा कर खाना भी बना दो फिर!"
"अच्छा चलो आज आपको अपने हाथ का खाना भी खिला देता हूँ| उँगलियाँ ना चाट जाओ तो कहना| पर अभी तैयार हो जाओ चर्च जाना है|" मैंने कहा|
"क्यों शादी करनी है?" अनु ने मुझे चिढ़ाते हुए कहा|
"शादी तो हम रजिस्ट्रार ऑफिस में कर्नेगे पहले चर्च जा कर गॉड का आशीर्वाद तो ले लें|" ये सुनते ही हम दोनों बहुत जोर से हँसे| अनु और मेरे बीच ऐसा मजाक बहुत होता था, एक तरह से दोनों जानते थे की हमें कैसे दूसरे को हँसाना है| अब ले-दे कर हम दोनों ही अब एक-दूसरे का सहारा थे! खेर हम तैयार हो कर चर्च आये और वहाँ अपने और अपने परिवार के लिए Pray किया| भले ही उनसब ने हम से मुँह मोड़ लिया था पर हम अब भी अपने परिवार को उतना ही चाहते थे! हम दोनों ही भावुक हो कर चर्च से निकले पर जानते थे की एक-दूसरे को कैसे हँसाना है| "तो क्या खिला रहे हो आज?" अनु ने पुछा|
"यार मैं ठहरा देहाती, मुझे तो दाल-रोटी ही बनानी आती है|" मैंने बाइक स्टार्ट करते हुए कहा|
"प्यार से बनाओगे तो दाल में भी चिकन का स्वाद आजायेगा|" अनु ने पीछे बैठते हुए कहा|
"चलो फिर आज चिकन ही खिलाता हूँ!" मैंने कहा और बाइक सीधा सुपरमार्केट की तरफ ले ली| वहाँ से सारा समान खरीदा और एप्रन पहन कर कीचन में कूद पड़ा, अनु को मैंने दूर ही रखा वरना वो टोक-टोक कर मेरी नाक में दम कर देती| Marination की और सोचा की बटर चिकन बनाऊँ लेकिन फिर मन किया की ग्रिल चिकन बनाते हैं! जब बन गया तो मैंने अनु को चखने को बुलाया, किस्मत से वो टेस्टी बना, पहलीबार के हिसाब से टेस्टी! वो तो शुक्र है की मैंने साथ में दाल बनाई थी जिसमें मेरी महारत हासिल थी तो खाना थोड़ा बैलेंस हो गया, वरना उस दिन अच्छी बिज्जाति हो जानी थी! दिन हँसी ख़ुशी बीत रहे थे और Business भी अब अच्छी रफ्तार पकड़ने लगा था|
फिर आया 31 दिसंबर और आकाश और रवि दोनों ने अनु से कहा की आज तो पार्टी होनी चाहिए| अनु का कहना था की घर पर ही करते हैं, पर मुझे पता था की लड़कों को चाहिए शराब और शबाब और वो सिर्फ pub में मिलता| मैंने जब अनु से जाने को कहा तो वो मना करने लगी| "प्लीज यार! देखो लड़कों का बड़ा मन है!" पर वो नहीं मानी, मैं जानता था की उनके न जाने का कारन मैं ही हूँ| "अच्छा बाबा I Promise 1 बियर से ज्यादा और कुछ नहीं लूँगा! फिर ये देखो team building के लिए ये अच्छा भी है|" मैंने एक बहन और जोड़ा तो अनु मान गई, पर अब दिक्कत ये आई की stag entry allowed नहीं थी| मेरे साथ तो अनु थी, पर उन लड़कों की पहले से ही गर्लफ्रेंड थी| उन दोनों लड़कियों से हमारा इंट्रोडक्शन हुआ, अब जगह पहले से ही भरी पड़ी थी तो खड़े-खड़े ही हमने पीना शुरू किया| मेरी बियर अभी आधी ही हुई थी की अनु मुझे खींच कर डांस फ्लोर पर ले गई और हम दोनों ने नाचना शुरू किया| हमारी देखा-देखि वो चारों भी डांस करने लगे| Loud Music में डांस करते-करते पता ही नहीं चला की 11 बज गए! अनु ने जैसे ही टाइम देखा वो मुझे अपने साथ ले कर निकलने लगी, हमने सबको बाई बोला और हम घर पहुँच गए| पर अनु ने घर पर सेलिब्रेट करने का प्लान बना रखा था इसलिए वो मुझे शुरू से ही कहीं नहीं जाने देना चाहती थी| मैं change कर रहा था और इधर अनु ने पूरा माहौल बनाना शुरू कर दिया था| बालकनी में गद्दियां लगी थी, ब्लूटूथ पर सारे स्लो ट्रैक्स धीमी आवाज में चल रहे थे और वाइन के दो गिलास रखे हुए थे| साइड में रेड वाइन की एक बोतल रखी थी, जब मैं बाहर वापस आया तो मैं अपने दोनों गालों पर हाथ रख कर आँखें फाड़े देखने लगा| "आँखें फाड़ कर क्या देख रहे हो, आओ बैठो|" अनु ने कहा और मैं जा कर बालकनी में फर्श पर बैठ गया| अनु ने गिलास में वाइन डाली और फिर हमने चियर्स किया, इधर अनु ने पीना शुरू कर दिया और मैंने उसे सूँघना शुरू किया| "क्या हुआ? वाइन से बदबू आ रही है?" अनु ने पुछा| मैं उस समय वाइन को गिलास के अंदर गोल-गोल घुमा रहा था; "इसे wine tasting कहते हैं!" मैंने कहा और मुस्कुरा दिया| "सारे शौक अमीरों वाले पाल रखे हैं तुमने?" अनु ने चिढ़ते हुए कहा| "हाँ...क्योंकि मुझे अमीर बनना है, गरीब और कमजोर आदमी की यहाँ कोई औकात नहीं! याद है वो first time मुंबई जाना और वहाँ मेरा मीटिंग के बाहर वेट करना और फिर रितिका का मुझे छोड़ना| आपको पता है जब मैंने पहली बार आपका ऑफिस देखा तो मेरे मन में आया की मुझे इसे दो कमरों से पूरे हॉल पर फैलाना है|" मेरे ख्याल सुन कर अनु के चेहरे पर मुस्कान आ गई| ये कोई आम मुस्कान नहीं थी, बल्कि ये गर्व वाली मुस्कान थी| ठीक बारह बजते ही पटाखों का शोर शुरू हो गया, अनु कड़ी हुई और मेरा हाथ पकड़ कर मुझे अंदर लाई| मेरे गले लगते हुए बोली; "Happy New Year!! I wish की ये साल तुम्हारे लिए खुशियां ले कर आये और तुम्हें खूब ऊँचाइयों पर ले जाए|"
"Correction: ये साल 'हमारे' लिए ढेर सारी खिशियाँ लाये और 'हमें' खूब ऊँचाइयों पर ले जाए| दुःख में साथ देते हो और खुशियों में पीछे रहना चाहते हो? अब कुछ भी मेरा नहीं बल्कि हमारा है, यो दोस्ती एक नए मुक़ाम तक जाएगी और सब के लिए मिसाल होगी!" मैंने अनु को कस कर गले लगाते हुए कहा| मेरी बात सुन कर अनु की आँखें भर आईं और उन्होंने भी मुझे कस कर गले लगा लिया|
अगले दिन सुबह-सुबह मुझे संकेत का फ़ोन आया और नए साल की मुबारकबाद के बाद वो मुझे सॉरी बोलने लगा| "तेरी भाभी मिली थी उन्होंने बताया की तू आखिर क्यों गया घर छोड़ कर! तेरी इतनी मेहनत के बाद भी रितिका ने पढ़ाई पूरी नहीं की और प्यार के चक्कर में पड़ कर शादी कर ली|"
"भाई छोड़ वो सब, ये बता वहाँ सब कैसे हैं? शादी ठीक से निपट गई ना?" मैंने पुछा|
"हाँ सब अच्छे से निपट गया पर यार सच में यहाँ तेरे ना होने से किसी को कोई फ़र्क़ नहीं पड़ा| मुझे कहना तो नहीं चाहिए पर तेरे परिवार को तेरी पड़ी ही नहीं! तेरे ताऊ जी तो गाँव में छाती ठोक कर घूम रहे हैं, उन्हें ये नहीं पता की मंत्री ने ये शादी सिर्फ और सिर्फ अपने लड़के की ख़ुशी और अगले महीने होने वाले चुनाव में अपनी image बचाने को की है|" संकेत ने काफी गंभीर होते हुए कहा|
"यार छोड़ ये सब, तुझे एक गिफ्ट भेज रहा हूँ शायद तुझे पसंद आये| जब मिले तो कॉल करिओ|" मैंने ये कहते हुए बात जल्दी से निपटाई जब की मेरा दुःख मैं ही जानता था| अनु को चाय दे कर मैं हॉल में अपना काम ले कर बैठ गया क्योंकि अगर खाली बैठता तो फिर वही सब सोचने लगता| कुछ देर बाद रंजीथा आ गई और उसने नाश्ता बनाया, "अरे आज तो साल का पहला दिन है आज भी काम करोगे?" अनु ने अंगड़ाई लेते हुए कहा|
"साल की शुरुआत काम से हो तो सारा साल काम करते रहेंगे!" इतना कह कर मैं फिर से बिजी हो गया| मुझे अनु को अपने परिवार के बारे में कुछ भी कहना ठीक नहीं लगा इसलिए मैं खुद को लैपटॉप में घुसाए रहा| शाम होते-होते वो समझ गई की कुछ तो गड़बड़ है इसलिए उन्होंने मेरा लैपटॉप एक दम से बंद कर दिया जिससे मुझे बहुत गुस्सा आया; "क्या कर रहे हो?" मैंने चिढ़ते हुए कहा|
"सुबह से इसमें घुसे हो? थोड़ी देर आराम कर लो!" अनु ने एकदम से जवाब दिया जिससे मेरा गुस्सा फूट ही पड़ा|
"आपको पता भी है की आपके आस-पास क्या हो रहा है? दुनिया चाँद पर जा रही है और आप हो की अब भी वही financial analysis में लगे हो! Social Media पर आपकी presence zero है! अपनी फोटो डालते हो, पर मैंने आपको Company Profile बनाने को कहा वो बनाई आपने? आपको मैंने service charge के बारे में मेल भेजा था उस पर बात की आपने मुझसे? AMIS traders का डाटा रेडी किया आपने? सारा काम आकाश और रवि पर छोड़ देते हो! सिर्फ contracts लाने से काम नहीं चलता, जो हाथ में काम है उसे भी करना पड़ता है!" मैं बोलता रहा और वो सर झुकाये सुनती रही| मैं आखिर बालकनी में आ करआँखें बंद कर के बैठ गया| आधे घण्टे तक मुझे कोई आवाज सुनाई नहीं दी, वरना वो सारा दिन घर में इधर से उधर चहल कदमी करती रहती थीं| मुझे एहसास हुआ की मैंने अपने घरवालों का गुस्सा उन पर उतार दिया तो मैं उठ कर उन्हें मनाने कमरे में पहुँचा तो अनु बेड पर सर झुका कर बैठी थीं|
"I'm really sorry! मुझे गुस्सा किसिस और बात का था और मैंने वो आप पर उतार दिया! Please forgive me." मैंने घुटने के बल उनके सामने बैठते हुए कहा| पर अनु ने अबतक अपना सर नहीं उठाया था और वो वैसे ही सर झुकाये हुए बोलीं; "मैं बहुत स्लो हूँ, चीजों को ज्यादा गंभीरता से नहीं लेती| जर्रूरी बातों को कई बार नजर अंदाज कर देती हूँ, आजतक मैंने सिर्फ और सिर्फ किसी को गंभीरता से लिया है तो वो तुम हो! मुझे बुरा नहीं लगा की तुमने जो कहा पर बुरा लगा तो ये की तुमने मुझे डाँटा!" अनु ने ये बात 'तुमने मुझे डाँटा' बिलकुल बच्चे की तरह तुतलाते हुए कहा और ये देख कर मुझे उन पर प्यार आ गया; "आजा मेरा बच्चा!"" कहते हुए मैंने अपनी बाहें खोली और अनु आ कर मेरे गले लग गई|
"अब ये बताओ की क्या बात है की सुबह से इतना गुस्सा हो!" अनु ने पुछा तो मैंने उन्हें सुबह की बात बता दी पर आधी| ये बात सुन कर उन्हें भी बुरा लगा और मैं इस बारे में ज्यादा ना सोचूं इसलिए उन्होंने मजाक में कहा; "अब सजा के लिए तैयार हो जाओ!" अनु ने कहा और मैंने सरेंडर करते हुए कहा; "जो हुक्म मालिक!"
"आज रात पार्टी करनी है, जबरदस्त वाली वरना सारा साल मुझे ऐसे ही डाँटते रहोगे|" अनु ने कहा इसलिए हम तैयार हो कर 8 बजे निकले| वहाँ पहुँचते ही अनु मस्त हो गई, अब मुझ पर तो पीने की बंदिश थी तो मैं बस एक बियर की बोतल को चुस्की ले-ले कर पीने लगा| देखते ही देखते उन्होंने 2 pints पी ली और मुझे खींच कर डांस फ्लोर पर ले आईं| बारह बजे तक उन्होंने दबा कर पी और मैं बिचारा एक बियर और स्टार्टर्स खाता रहा| बारह बजने को आये तो मैंने उन्हें चलने को कहा पर मैडम जी आज फुल मूड में थी| कैब करके उन्हें घर लाया पर अब वो टैक्सी से उतरने से मना करने लगी और सो गईं| "साहब ले जाओ ना, मुझे घर भी जाना है!" ड्राइवर बोला तो मजबूरन मुझे उन्हें गोद में उठा आकर ऊपर लाना पड़ा| ऊपर ला कर मैंने उन्हें बेड पर लिटाया और मैं चेंज करके लेट गया| करीब घंटे भर बाद ही अनु का हाथ मेरी कमर पर था और मुझे उनकी तरफ खींच रहा था| मैं समझ गया की मैडम जी कोई सपना देख रही हैं| अब वहाँ रुकता तो पता नहीं वो नींद में क्या करतीं, इसलिए मैं बाहर हॉल में आ कर लेट गया| सुबह जब मैं बेड टी ले कर गया तो उनका सर बहुत जोर से घूम रहा था| चाय पी कर वो करहाते हुए बोलीं; "हम ....घर कब आये?"
"साढ़े बारह!" मैंने चाय की चुस्की लेते हुए कहा और ऐसे जताया जैसे मैं उनसे नाराज हूँ|
"सॉरी" उन्होंने शर्मिंदा होते हुए कहा|
"मेरी इज्जत लूटने के बाद सॉरी कहते हुए?" मैंने ड्रामा जारी रखते हुए गुस्से से कहा|
"क्या?" अनु ने चौंकते हुए कहा|
"हाँ जी! रात में पता नहीं आपको क्या हुआ की आप मेरे ऊपर चढ़ गए और मेरे कपडे नोचने शुरू कर दिए! आपको होश भी है आपने क्या-क्या किया मेरे साथ?" मैंने रोने का नाटक किया| पर अनु समझ गई थी की मैं ड्रामा कर रहा हूँ क्योंकि उन्होंने अभी तक कल रात वाले कपड़े पहने थे|
"सससस....हाय! मानु सच्ची बड़ा मजा आया कल रात! कल रात तुम्हारा ठीक से चीर हरण नहीं हो पाया था, आज मैं जी भर के तुम्हारा चीर हरण करती हूँ!" ये कहते हुए वो खड़ी हुई और मैं भी उठ कर भागा| उनको dodge करते हुए मैं पूरे घर में भाग रहा था और वो भी मेरे पीछे-पीछे कभी सोफे पर चढ़ जाती तो कभी पलंग पर| अचनक ही उन्हें ठोकर लगीं और वो मेरे ऊपर गिरीं और मैं पलंग पर गिरा| एक पल के लिए दोनों एक दूसरे की आँख में देख रहे थे पर फिर हम दोनों को कुछ अजीब सा एहसास हुआ, वो उठ कर बाथरूम में चली गईं और मैं उठ कर बालकनी में आ गाय| मन में अजीब सी तरंगें उठ रही न थी पर मैं उन तरंगों को प्यार का नाम नहीं देना चाहता था इसलिए अपना ध्यान वापस काम में लगा दिया|
दिन हँसी-ख़ुशी से बीत रहे थे और हमारा ये हँसी-मजाक चलता रहता था, मेहनत दोनों बड़ी शिद्दत से कर रहे थे और कामयाबी मिल रही थी| जिन कंपनियों के हमें एक क्वार्टर का ही काम दिया था उन्होंने हमें पूरे साल का काम दे दिया था| US वाला प्रोजेक्ट बड़े जोर-शोर से चल रहा था और मैंने अनु को उसकी प्रेजेंटेशन के काम में लगा दिया| मार्च तक हमें एक और employee चाहिए था तो अनु ने मेरी जिम्मेदारी लगा दी की मैं इंटरव्यू लूँ, आज तक जिसने इंटरव्यू दिया हो उसे आज इंटरव्यू लेने का मौका मिल रहा था| Experienced की जगह मैंने Freshie बुलाये, क्योंकि एक तो सैलरी कम देनी पड़ती और दूसरा वो जोश-जोश में परमानेंट जॉब के चक्कर में काम अच्छा करते हैं| नए लड़के को Hire कर लिया गया और उसे काम अच्छे से समझा कर टीम में जोड़ लिया गया| लड़के अनु से शर्म कर के हँसी-मजाक कम किया करते थे पर मेरे साथ उनकी अच्छी बनती थी और मैं जब उन्हें खाली देखता तो उनकी टांग खिचाई कर देता था| किसी पर भी गुस्सा नहीं करता था, मैं अच्छे से जानता था की काम कैसे निकालना है| उनकी ख़ुशी के लिए कभी-कभार खाना बाहर से मंगा देता तो वो खुश हो जाया करते| जून में US का प्रोजेक्ट फाइनल हुआ और अब मौका था celebrate करने का, अब तो मेरी सेहत भी अच्छी हो गई थी तो इस बार जम कर दारु पी मैंने| रात के एक बजे हम दारु के नशे में धुत्त घर पहुँचे, दरवाजा बंद करके हम दोनों एक दूसरे से लिपट कर सो गए| सुबह जब मेरी आँख खुली तो मैंने अनु को खुद से चिपका हुआ पाया और धीरे से खुद को छुड़ाने लगा| पर तभी अनु की नींद खुल गई और वो मेरी आँखों में देखने लगी, फिर मेरे गाल को चूम कर वो बाथरूम में घुस गईं| दरअसल उन्होंने मेरा morning wood देख लिया था| यही वो कारन है की मैं रोज उनसे पहले उठ जाता था ताकि वो मेरा morning wood न देख लें| उसे देख कर वो मेरे बारे में गलत ही सोचेंगी|
P.S. Morning Wood का मतलब होता है जब लड़के सुबह सो कर उठते हैं तो उनका लंड टाइट खड़ा होता है उसे ही Morning Wood कहते हैं|
मैं बहुत शर्मा रहा था ये सोच कर की अनु मेरे बारे में क्या सोचती होगी? उन्हें लगता होगा की कैसा ठरकी लड़का है, एक रात साथ चिपक कर क्या सोइ की इसके लंड खड़ा हो गया! मैं यही सोचता हुआ बालकनी में बैठा था, अनु बाथरूम से बाहर निकलीं और चाय बनाने लगी| मैं अब भी शर्म के मारे बाहर बैठा था| "क्या हुआ?" अनु ने मुझे चाय देते हुए पुछा| मैं कुछ नहीं बोला बस सर झुकाये उनसे चाय ले ली| पर वो चुप कहाँ रहने वाली थीं, इसलिए मेरे पीछे पड़ गईं तो मैंने हार कर हकलाते-हकलाते कहा: "व...वो ...सुबह...मैं...वो... hard ...था!" मैं उनसे पूरी बात कहने से डर रहा था| पर वो समझ गईं और हँसने लगी; "तो क्या हुआ?"
"आपको नहीं देखना चाहिए था!.... I mean ... मुझे जल्दी उठना चाहिए था! रोज इसीलिए तो जल्दी उठ जाता हूँ|" मैंने कहा|
"ये पहलीबार तो नहीं देखा!" अनु ने चाय की चुस्की लेते हुए आँखें नीचे करते हुए कहा| पर ये मेरे लिए shock था; "क्या? आपने कब देख लिया?"
"तुम्हें क्या लगता है की मैं रात को उठती नहीं हूँ? Its okay .... ये तो नार्मल बात है!" अनु ने कहा पर मेरे शर्म से गाल लाल थे! "आय-हाय! गाल तो देखो, सेब जैसे लाल हो रहे हैं!" अनु ने मेरी खिंचाई शुरू कर दी और मैं हँस पड़ा|
खेर काम बढ़ता जा रहा था और अब हमें एक कॉन्फ्रेंस रूम चाहिए था जहाँ हम किसी से मिल सकें या फिर अगर कोई टीम मीटिंग करनी हो| उसी बिल्डिंग में सबसे ऊपर का फ्लोर खाली था, तो मैंने अनु से उसके बारे में बात की| वो शुरू-शुरू में डरी हुई थी क्योंकि रेंट डबल था पर चूँकि वहाँ कोई और ऑफिस नहीं था जबतक कोई नहीं आता तो हम पूरा फ्लोर इस्तेमाल कर सकते थे! अनु को Idea पसंद आया और हमने मालिक से बात की, अब उसे दो कमरों के लिए तो कोई भी किरायदार मिल जाता पर पूरा फ्लोर लेने वाले कम लोग थे| सारा ऑफिस सेट हो गया था, आज मुझे मेरा अपना केबिन मिला था...मेरा अपना! ये मेरे लिए बहुत बड़ी उपलब्धि थी और इसके लिए मैंने बहुत मेहनत भी की थी| अपनी बॉस चेयर को मैं बस एक टक निहारे जा रहा था, मेरे अंदर बहुत ख़ुशी थी जो आँसू बन कर टपक पड़ी| अनु जो मेरे पीछे कड़ी थी उसने मेरे कंधे पर हाथ रखा और मुझे ढाँढस बँधाने लगी| "काश मेरे माँ और पिताजी यहाँ होते तो आज उनका कितना गर्व हो रहा होता!" मैंने कहा पर वो सब तो वहाँ रितिका की खुशियों में लीन थे, मुझसे उनका कोई सरोकार नहीं रह गया था| "मानु आज ख़ुशी का दिन है, ऐसे आँसू बहा कर इस दिन को खराब ना करो! I know तुम अपने माँ-पिताजी को miss कर रहे हो पर वो अपनी ख़ुशी में व्यस्त हैं|" अनु ने कहा और तभी बाकी के सारे अंदर आये और मुझे ऐसा देख कर मुझे cheer करने के लिए बोले; "सर आज तो पार्टी होनी चाहिए!"
"अबे यार काम भी कर लिया करो, हर बार पार्टी चाहिए तुम्हें!" मैंने मुस्कुराते हुए कहा, पर उनकी ख़ुशी के लिए बाहर से खाना मंगा लिया|
इधर US से हमें एक और कॉन्ट्रैक्ट मिल गया और वो भी पूरे साल का| काम डबल हो गया था और अब हमें एक और employee की दरकार हुई और साथ में एक peon भी जो चाय वगैरह बनाये| अब तक तो हम चाय बाहर से पिया करते थे| Peon के लिए हमने रंजीथा को ही रख लिया और एक और employee को अनु ने hire किया| अनु के शुरू के दिनों में वो यहाँ एक हॉस्टल में रहतीं थीं और ये लड़की उनकी रूममेट थी| एक लड़की के आने से लड़के भी जोश में आ गए थे और तीनों उसे काम में मदद करने के बहाने से घेरे रहते| "Guys सारे एक साथ समझाओगे तो कैसे समझेगी वो?" मैंने तीनों की टांग खींचते हुए कहा| ये सुन कर सारे हँस पड़े थे, अनु बड़ा ख़ास ध्यान रखती थी की ये तीनों कहीं इसी के चक्कर में पड़ कर काम-धाम न छोड़ दें और वो जब भी किसी को उस लड़की के साथ देखती तो घूर के देखने लगती और लड़के डर के वापस अपने डेस्क पर बैठ जाते| तीनों लड़के मन के साफ़ थे बस छिछोरपना भरा पड़ा था| अनु ने उसे अपने साथ रखना शुरू कर दिया और ये तीनों मेरे पास आये; "सर देखो न mam ने उसे अपना साथ रख लिया है, सारा टाइम वो उनके साथ ही बैठती है, ऐसे में हम उससे FRIENDSHIP कैसे करें?"
"क्या फायदा यार, आखिर में उसने तुम्हें Friendzone कर देना है!" मैंने कहा|
"सर try try but don't cry!" आकाश बोला|
"अच्छा बेटा, करो try फिर! मैंने कुछ कहा तो मेरी क्लास लग जाएगी!" मैंने ये कहते हुए खुद को दूर कर लिया| फिर एक दिन की बात है मैं और अनु अपने-अपने केबिन में बैठे थे की उस लड़की का boyfriend उसे मिलने ऑफिस आया| वो उससे बात कर रही थी और इधर तीनों के दिल एक साथ टूट गए! मैं ये देख कर दहाड़े मार कर हँसने लगा, सब लोग मुझे ही देख रहे थे और मैं बस हँसता जा रहा था| अनु अपने केबिन से मेरे पास आई और पूछने लगी तो मैंने हँसते हुए उन्हें सारी बात बताई| तो वो भी हँस पड़ीं और तीनों लड़के शर्मा ने लगे और एक दूसरे की शक्ल देख कर हँस रहे थे!
"कहा था मैंने इन्हें की friendzoned हो जाओगे पर नहीं इन्हें try करना था!" मैंने हँसी काबू करते हुए कहा|
"क्या सर एक तो यहाँ कट गया और आप हमारी ही ले रहे हो!" आकाश बोला|
"बेटा भगवान् ने दी है ना एक गर्लफ्रेंड उसी के साथ खुश रहो, अब जा कर पंडित जी के साथ बैठ कर GST की return फाइनल कर के लाओ|" मैंने उसे प्यार से आर्डर देते हुए कहा और वो भी मुस्कुराते हुए चला गया| अनु भी बहुत खुश थी क्योंकि उन्होंने मेरी सब के साथ understanding देख ली थी|
खेर दिन बीते और फिर एक दिन हम दोनों शाम को बैठे चाय पी रहे थे;
मैं: यार थोड़ा बोर हो गया हूँ, सोच रहा हूँ की एक ब्रेक ले लेते हैं!
अनु: सच कहा तो बताओ कहाँ चलें? कोई नई जगह चलते हैं!
मैं: मेरा मन Trekking करने को कर है|
अनु: Wow!!!
मैं: खीरगंगा का ट्रेक छोटा है, वहाँ चलें?
अनु: वो कहा है?
मैं: हिमाचल प्रदेश में है| हालाँकि ये बारिश का सीजन पर मजा बहुत आएगा|
अनु: ठीक है done!
मैं: पर पहले बता रहा हूँ की trekking आसान नहीं होती, वहाँ जा कर आधे रस्ते से वापस नहीं आ सकते| चाहे जो हो ट्रेक पूरा करना होगा!
अनु: तुम साथ हो ना तो क्या दिक्कत है?!
मैं: ठीक है तो तुम टिकट्स बुक करो और मैं Gear खरीदता हूँ|
अनु: Gear?
मैं: और क्या? Ruck Sack चाहिए, raincoat चाहिए, ट्रैकिंग के लिए shoes चाहिए वरना वहाँ फिसलने का खतरा है|
अनु ने टिकट्स book की और जानबूझ कर ऐसे दिन पर करि ताकि वो मेरा बर्थडे वहीं मना सके, इधर मैंने भी अपनी तैयारी पूरी की| 30 अगस्त को हम निकले और दिल्ली पहुँचे, वहाँ दो दिन का stay था| दिल्ली में जो पहली चीज मुझे देखनी थी वो था India Gate, वहाँ पहुँच कर गर्व से सीना चौड़ा हो गया, अब चूँकि मुझ पर कोई खाने-पीने की बंदिश नहीं थी तो मैं अनु को निकल पड़ा| दिल्ली आने से पहले मैंने 'पेट भर' के research की थी जिसके फल स्वरुप यहाँ पर क्या-क्या मिलता है वो सब मैंने लिस्ट में डाल लिया था| सबसे पहले हमने पहाड़गंज में सीता राम दीवान चाँद के छोले भठूरे खाये| हमने एक ही प्लेट ली थी क्योंकि आज हमें पेट-फटने तक खाना था| वहाँ से हम Delhi Metro ले कर चावड़ी बजार आ गए और वहाँ हमने सबसे पहले नटराज के दही भल्ले खाये, फिर जुंग बहादुर की कचौड़ी, फिर जलेबी वाला की जलेबी और लास्ट में कुरेमल की कुल्फी! पेट अब पूरा गले तक भर गया था और अब बस सोना था| अगले दिन भी हम खूब घूमें और शाम 6 बजे चेकआउट किया, उसके बाद हम सीधा कश्मीरी गेट बस स्टैंड आये और वहाँ से हमें Volvo मिली जिसने हमें अगली सुबह भुंतर उतारा| हमारी किस्मत अच्छी थी की बारिशें बंद हो चुकीं थीं इसलिए हमें कोई तकलीफ नहीं हुई| भुंतर से टैक्सी ले कर हम कसोल पहुँचे और वहाँ समान रख कर फ्रेश हुए और सीधा मणिकरण गुरुद्वारे गए वहाँ, गर्म पानी में मुंह-हाथ धोये और लंगर का प्रसाद खाया| वापस आ कर हम सो गए क्योंकि अगली सुबह हमें जल्दी निकलना था| सुबह हमने एक rucksack लिया जिसमें कुछ समान था!
एक बस ने हमें वहाँ उतारा जहाँ से ट्रैकिंग शुरू होनी थी और रास्ता देखते ही दोनों की हवा टाइट हो गई, बिलकुल कच्चा रास्ता जो एक छोटे से गाँव से होता हुआ जाता था और फिर पहाड़ की चढ़ाई! पर वहाँ का नजारा इतना अद्भुत था की हम रोमांच से भर उठे और ट्रैकिंग शुरू की| रास्ता सिर्फ दिखने में ही डरावना था पर वहाँ सहूलतें इतनी थी की कोई दिक्कत नहीं हुई लेकिन सिर्फ आधे रास्ते तक! रुद्रनाग पहुँच कर हमने वहाँ मंदिर में दर्शन किये और आगे बढे, उसके आगे की चढ़ाई बिलकुल खड़ी थी रिस्की थी! ये देख कर अनु ने ना में गर्दन हिला दी| "मैं नहीं जाऊँगी आगे!" अनु बोली|
"यार आधा रास्ता पहुचंह गए हैं और अब हार मान लोगे तो कैसे चलेगा?" ये कहते हुए मैंने उनका हाथ पकड़ा और आगे ले कर चल पड़ा| मैं आगे-आगे था और उन्हें बता रहा था की कहाँ-कहाँ पैर रखना है| आगे हमें के संकरा रास्ता मिला जहाँ सिर्फ एक पाँव रखने की जगह थी और वहाँ थोड़ा कीचड भी था| मैं आगे था और rucksack उठाये हुए था और अनु मेरे पीछे थी| उन्होंने कीचड़ में जूते गंदे ना हो जाएँ ये सोच कर पाँव ऊँचा-नीच रखा जिससे उनका बैलेंस बिगड़ गया और वो खाईं की तरफ गिरने लगीं, मैंने तुरंत फुर्ती दिखाई और उनका हाथ पकड़ लिया वरना वो नीचे खाईं की तरफ गिर जातीं| उन्हें खींच कर ऊपर लाया और वो एक दम से मेरे सीने से लग गईं और रोने लगी| इन कुछ पलों में उन्होंने जैसे मौत देख ली थी, मैंने उनके पीठ को काफी रगड़ा ताकि वो चुप हो जाएँ| आधे घंटे तक हम वहीं खड़े रहे और लोग हमें देखते हुए आगे बढ़ते जा रहे थे| मैं चुपचाप था और कोशिश कर रहा था की वो चुप हो जाएँ ताकि हम वापिस जा सकें! उन्होंने रोना बंद किया और मैंने उन्हें पीने को पानी दिया, फिर खाने के लिए एक चॉकलेट दी और जब वो नार्मल हो गईं तो कहा; "चलो वापस चलते हैं!" पर वो जानती थी की मेरा मन ऊपर जाने का है इसलिए उन्होंने हिम्मत करते हुए कहा; "मैंने कहा था ना की मुझे संभालने के लिए तुम हो! तो फिर वापस क्यों जाएंगे? गिरते हैं शहसवार ही मैदान-ए-जंग में। वो तिफ़्ल क्या गिरेगा जो घुटनों के बल चले|" अनु ने बड़े गर्व से कहा| मैंने उनका हाथ पकड़ कर उन्हें उठाया और गले लगाया, उनके माथे को चूमते हुए कहा; "I'm proud of you!" हम आगे चल पड़े और बड़ी सावधानी से आगे बढे, टाइम थोड़ा ज्यादा लगा पर हम ऊपर पहुँच ही गए| सबसे पहले हमने एक टेंट बुक किया और अपना समान रख कर photo click करने लगे| आज दो तरीक थी और अनु को रात बारह बजे का बेसब्री से इंतजार था| हम दोनों कुर्सी लगा कर अपने ही टेंट के बाहर बैठे थे| अब वहाँ कोई नेटवर्क नहीं था तो हम बस बातों में लगे थे और वहाँ का नजारा देख कर प्रफुल्लित थे|
शाम को खाने के लिए वहाँ Maggie और चाय थी तो हमने बड़े चाव से वो खाई| रात के खाने में हमने दो थालियाँ ली और टेंट के बाहर ही बैठ कर खाई| बारह बजे तक अनु ने मुझे सोने नहीं दिया और मेरे साथ बैठ के बातें करती रही, अपने जीवन के किस्से सुनाती रही और मैं भी उन्हें अपने कॉलेज लाइफ के बारे में बताने लगा| इसी बीच मैंने उन्हें वो भांग वाले काण्ड के बारे में भी बताया| जैसे ही बारह बजे अनु ने मेरा हाथ पकड़ कर मुझे खड़ा किया और मेरे गले लग कर बोलीं; "Happy Birthday my dear! God bless you!" इतना कहते हुए उनकी आवाज भारी हो गई, माने उन्हें कस कर गले लगा लिया ताकि वो रो ना पड़ें| कुछ देर में वो नार्मल हो गईं और हम सोने के लिए अंदर आ गए| सुबह जल्दी ही आँख खुल गई, फ्रेश होने के बाद उन्होंने मुझे कहा की ऊपर मंदिर चलते हैं| मंदिर के बाहर एक गर्म पानी का स्त्रोत्र था जिसमें सारे लोग नहा रहे थे, हमने हाथ-मुंह धोया और भगवान के दर्शन करने लगे| दर्शन के बाद अनु ने मेरा हाथ पकड़ा और मुझे वहाँ एक पत्थर पर बैठने को कहा| "मुझे तुमसे कुछ बात करनी है!" अनु ने बहुत गंभीर होते हुए कहा| एक पल के लिए मैं भी सोच में पड़ गया की उन्हें आखिर बात क्या करनी है?