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Horror किस्से अनहोनियों के

Shetan

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Bahut hi acha update
Bs update ko thoda bada kr dijiye
Maine aapki dusro story padhi bahut hi achi kahani likhi aapne
थैंक्यू वैरी मच. Update दे रही हु.
 
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Shetan

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Update 32


डॉ रुस्तम ने सतीश का किस्सा आगे सुनना शुरू किया. कोमल दाई माँ के कंधे पर सर रखे बड़ी ध्यान से किस्सा सुन ने लगी. दिलचस्पी बढ़ी तो बलबीर की भी नींद उड़ चुकी थी. और वो भी बड़े ध्यान से सुन रहा था. वही दाई माँ तो पहले से सायद किस्सा जानती थी. वो कोमल के लम्बे बालो को साहलाते हुए आगे सामने की तरफ देख रही थी.


डॉ : सतीश वहां से निकल गया. जब वो उस घर से निकला तब जाकर उसे ऐसा एहसास हुआ जैसे कही से आज़ाद हुआ हो. जब वो घर के डोर से निकला. और बहार वाले कंपउंड के गेट से निकल कर उसे बंद करने लगा. उसने देखा की माया गेट पर ही खड़ी उसे देखते हुए मुस्कुरा रही है. सतीश को बड़ा ही अजीब फील होने लगा.

और वो वहां से जल्दी से जल्दी निकालने लगा. वो कुछ कदम बड़ी तेज़ी से निकला. वो महल्ला पर करने के बाद उसे चैन की सांस आई. सतीश समझ ही नहीं पाया की उसके साथ हुआ क्या. उसने सोच लिआ की अब वो दोबारा वहां कभी नहीं जाएगा. और वो अपने होटल के रूम मे आ गया. उस वक्त उसकी एक गर्लफ्रेंड हुआ करती थी. परमजीत कौर. सतीश ने अपनी गर्लफ्रेंड से काफ़ी देर बात की. उसके बाद उसने अपने घर भी फोन किया.

अपनी माँ और बहेनो से बात की. पर किसी को भी उसने अपने उस अनुभव को नहीं बताया. सतीश ने सोच लिया था की वो अब वहां नहीं जाएगा. पर शाम होते ही उसे भूख लगी. और उसे चिकन खाने का मन होने लगा. सतीश खुद नहीं जानता था की वो अपना समान लेकर वहां क्यों पहोच गया. सतीश ने होटल का भी चैकउट कर दिया. पर जब वो वहां पहोच गया. और उसने उसी घर के गेट से अंदर आकर डोर नॉक किया. तब उसे एहसास हुआ की उसने क्या किया है.


कोमल : तो क्या माया डायन थी???


कोमल से रहा नहीं गया. और वो सवाल पूछ ही बैठी. डॉ रुस्तम हलका सा मुस्कुराने लगे. तब कोमल को एहसास हुआ. लेकिन कोमल के अंदर तो सवालों का बवनडर पैदा हो चूका था.


कोमल : अच्छा ठीक है. वो जो भी हो. पर सतीश को क्या हुआ?? मतलब की उसने कुछ ऐसा देख लिया था. और देख भी लिया तो जब वो वापस जाना नहीं चाहता था तो गया क्यों???


डॉ : क्यों की सतीश पर वशीकरण हो चूका था. हिप्नोटाइज.


कोमल : (बेचैन ) पर कैसे???? कैसे???? कुछ तो हुआ होगा??


इस बार दाई माँ मुस्कुराई.


दाई माँ : (स्माइल) जे वकील हते. जे ना माने. बता दे.


सतीश जब उस घर मे गया. पहले तो उसे वो घर अंदर से सुकून दे रहा था. पर बाद मे उसे वहां घुटन होने लगी. कभी कभी हमारी छठे इंद्री हमें मैसेज देने की कोसिस करती है की कुछ गलत है. सतीश को भी ऐसा ही फील हो रहा था. वो इसी लिए नहीं जा रहा था. पर माया ने जो सरबत पिलाया था. वो तंत्र मंत्र के जरिये उसके मन पर काबू किया गया था.


कोमल : (सॉक) क्या??? तंत्र मंत्र से हिप्नोटाइज??? लेकिन वो तो साइकाइट्रिकस कोई और ट्रीटमेंट से करते है ना???


डॉ : वो जो हिप्नोटाइज करते है. उस से तंत्र मंत्र का लेवल बहोत हाई है. अभी इस सब्जेक्ट पर नहीं. सतीश की स्टोरी पर फोकस करो.


कोमल : अच्छा ओके. अब आगे बताओ.


डॉ : सतीश को जब तक एहसास हुआ की वो कहा आ गया है. तब तक तो डोर खुल चूका था. और उसके सामने माया खड़ी थी.


माया : (स्माइल) अरे आ गए तुम. बिलकुल सही वक्त पर आए हो. फटाफट अपना समान रूम मे राखो. और जल्दी आ जाओ. मै खाना लगाती हूँ.


सतीश ना कहना चाहता था. पर वो होटल के रूम को छोड़ चूका था. उसने सोचा. एक दो दिन रहकर कोई बहाना बना देगा. और वो अंदर आ गया.


कोमल से रहा नहीं गया. और वो फिर बिच मे बोल पड़ी.


कोमल : मतलब उस वक्त वो हिप्नोटाइज नहीं था??? क्यों की वो समझ पा रहा था तो????


डॉ : कोई भी हर वक्त वासीभुत नहीं हो सकता. कुछ पल तो असर ख़तम या कम हो ही जाता है. लगातार वशिकृत रखने के लिए उसे क्रिया मे रखना जरुरी होता है. सतीश उस घर मे चले गया. और उसने रूम मे समान रख दिया. एक पल के लिए सतीश सोचने लगा. प्रॉब्लम तो कुछ नहीं है. घर का किराया बहोत सस्ता है. और अभी तक खाने का पैसा तो बताया नहीं है. सायद वो भी सस्ता ही होगा. कुछ दिन रहकर देखा ही जाए. की तभि माया ने उसे आवाज दी.


माया : सतीश.... सतीश.... जल्दी आओ.... मेने खाना निकल दिया है.


सतीश : जी बस अभी आया भाभी.


सतीश तुरंत ही रूम से निकल आया. वही ड्राइंग रूम. जहा दोपहर सतीश ने बैठ कर सरबत पिया था. सतीश खड़ा देख रहा था की टेबल पर रोटी,चावल, मीट रखा हुआ था.


माया : क्या हुआ. बैठो.


सतीश ने माया को देखा. वो खुबशुरत तो थी ही. उसने नाईटी पहनी हुई थी. माया उसे देख कर मुश्कुराई.


माया : (कातिल मुस्कान) क्या हुआ. बैठो.


सतीश ने माया से तुरंत नजर हटा ली. वो सोफे पर बैठ गया. मगर उसने नजर ऊपर कर के बिलकुल भी माया की तरफ नहीं देखा. सतीश उस वक्त एक लड़की के साथ रिलेशनशिप मे था. वो भी फागवाडा की ही थी. परमजीत कौर. वो उसके साथ कोई धोखा कोई चीटिंग नहीं करना चाहता था. और माया को वो रूप जैसे उसे उकसाने वाला था. माया उसे रीझाने की जैसे कोसिस कर रही हो. खुद उसे परोसने लगी.


माया : लगता है किसी लड़की से प्यार करते हो.


सतीश को झटका लगा. और उसने तुरंत अपना सर ऊपर किया. माया शरारती सी मुश्कान से हस रही थी. माया के बोलने का अंदाज़ बहोत कामुख था.


माया : क्या नाम है उसका???


सतीश बहोत धीरे से बोला.


सतीश : जी जी वो परम. परमजीत.


सतीश बोलने मे हिचक रहा था. माया भी उसके साथ ही बैठ गई. और दोनों ने खाना खाया. कुछ ही पलों मे जैसे सतीश भूल ही गया हो. और खाते हुए वो माया से हस हस कर बाते भी करने लगा. खाना ख़तम कर के उसने हाथ धोए. पानी पिया. और वो अपने रूम मे आ गया. तब जाकर उसे एहसास हुआ की वो भूल कैसे सकता है.

माया ने उसके घर के बारे मे पूछा. उसकी गर्लफ्रेंड के बारे मे पूछा. और जो चीजे नहीं बतानी थी. वो सब भी सतीश उसे बताते गया. सतीश बेड पर लेटा. और यही सब सोचते हुए वो सो गया. उस रात उसे अपनी गर्लफ्रेंड परमजीत से फोन पर बात करनी थी.

सतीश वो भी भूल गया. और सो गया. सतीश को बहोत गहेरी नींद आई. पर गहेरी नींद मे भी उसे ऐसा एहसास होने लगा की जैसे कोई उसके पास आकर लेटा हुआ है. कोई उसके बदन को सहेला रहा है. कोई उसके बालो को उसकी कान की लावो को सहेला रहा है. सतीश अपनी आंखे खोलना चाहता था. पर उसे इतनी ज्यादा गहेरी नींद आ रही थी की उसे सब सपना सा लगा.

वो अपनी आंखे खोल ही नहीं पाया. जब वो सुबह उठा तो उसे बड़ा अजीब लग रहा था. वो खड़ा हुआ और बाथरूम मे चले गया. माया उस से एकदम नार्मल बात कर रही थी. वो नास्ता कर के अपनी ट्रेनिंग के लिए ऑफिस के लिए निकल गया. जब वो डोर से बहार निकला तो उसने देखा की कुछ मांस के टुकड़े डोर के बहार पड़े हुए थे. सतीश उन्हें हैरानी से देखने लगा.


पर जब उसे एहसास हुआ की माया डोर पर ही उसके पीछे खड़ी है. सतीश चुप चाप निकल गया. जब सतीश उस घर से कुछ दुरी पर आया तो उसे एहसास हुआ. वो क्या कर रहा है. वो बहोत चीजों को भूल रहा है. और बहोत चीजे जो वो नहीं करना चाहता. वो सब वो कर रहा है. लेकिन फिर भी उसे ये एहसास नहीं हुआ की वो माया की हर बात बड़ी आसानी से मान रहा है.
 

Shetan

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Update 33

डॉ रुस्तम सतीश की कहानी लगातार सुनते रहे. जिसे कोमल बलबीर और दाई माँ सुन रही थी.


डॉ : सतीश को जब एहसास हुआ. वो तुरंत आगे निकल गया. उसने कंपउंड का गेट खोला और बहार निकल कर चलते गया. जैसे उसके मन मे कोई डर हो. वो पीछे मुड़कर एक बार भी नहीं देखता. जब वो घर से थोड़ा दूर पहोंचा. तब जाकर उसने चैन की सांस ली.


कोमल : लेकिन उसे डर किस चीज का लग रहा था. जब की अब तक उसने कुछ ऐसा देखा तक नहीं था.


डॉ : ये तो वो खुद भी नहीं जानता था. लेकिन हमारे अंदर जो इन्द्रिया होती है.

वो बिना कुछ देखे भी कभी कभी आने वाली मुसीबत के लिए आगाह करती है. दूर जाकर सतीश को भी कुछ अजीब सा एहसास हो रहा था. माया के बिना कुछ किए भी सतीश को उस से डर लगने लगा था. पर दूर पहोचने पर उसने किसी चीज पर गोर किया तो वो था जो डोर के पास पड़ा वो मांस का टुकड़ा. वो किस चीज का था.

ना कोई पक्षी की उस पर नजर पड़ रही थी. ना उसपर मखिया भीन भीना रही थी. और ना ही उसपर चीटिया थी. सतीश जैसे तैसे जल्दी से जल्दी अपने ऑफिस पहोच गया. वहां उसका लेक्चर था. वो लेक्चर एटेंट करता है. ब्रेक हुआ तब उसने अपना मोबइल देखा. वो हैरान रहे गया. परमजीत के लगभग 100 से ज्यादा मिस्स्कॉल थे. सिर्फ उसके ही नहीं घर से भी कई सारे मिस्स्कॉल थे.

सतीश अपनी माँ बहेनो से परमजीत को मिलवा चूका था. और उसकी माँ बहने परमजीत को पसंद भी करती थी. उनकी तरफ से परमजीत के लिए हा थी. सतीश ने तुरंत परमजीत को कॉल बैक किया. सामने से परमजीत ने कॉल पिक किया. और सतीश को वो खरी खोटी सुनाई. जो की उसे सब शादी के बाद सुन नी चाहिये थी.


परमजीत : हेलो क्या तुम ठीक हो??? क्या हो गया. क्यों कॉल नहीं एटेंट किया???


सतीश : अरे मे जल्दी सो गया था.


परमजीत : (गुस्सा) अच्छा... जल्दी सो गए थे. तो उस से पहले एक मैसेज तो कर देते. और सुबह. तुम सुबह तो फोन उठा सकते थे ना. पता है माँ कितना परेशान है. मै परेशान हूँ. तुम्हारी दोनों बहने परेशान है. और तुम हो की अब फोन कर रहे हो.


सतीश : मुजे माफ कर दो परम. दुबारा ऐसा नहीं होगा. मै अब हर चीज का खयाल रखूँगा. और प्लीज माँ से कहना की मै शाम को कॉल करूँगा. वो परेशान ना हो.


परमजीत का गुस्सा शांत हो गया. उसे सतीश की फिकर थी. सतीश ठीक है. ये जानकर ही वो खुश थी.


परमजीत : क्या हुआ तुम pg के लिए मकान देखने गए थे?? क्या तुम उसी मकान मे जाओगे??? या फिर कोई और मकान तालाशोंगे???


सतीश जब पहेली बार माया से मिला. वो मकान देखा तब उसने अपनी माँ और परमजीत को माया और उसके मकान के बारे मे बता दिया था. पर उसने ये नहीं बताया की वो उसी मकान मे रहने भी चले गया.


सतीश : अरे मेने तो कल शाम को ही वहां सिफ्ट कर लिया. माया भाभी बहोत कम किराया जो ले रही है.


परमजीत को ये अच्छा नहीं लगा. उसे जलन होने लगी.


परमजीत : हा हा किराया भी क्यों लेगी. पति दूर विदेश मे है. सास घर मे नहीं है. कही डोरे तो नहीं डाल रही तुम पर.


सतीश : अरे नहीं नहीं. वो तो बहोत अच्छी है. दरसल वो दिल्ली के आउटर मे रह रही है. इसी लिए उन्हें डर लगता है. और उनकी सास भी कल परसो तक आ ही जाएगी. सरीफ इंसान देख कर मुझपे भरोसा जताया है.


परमजीत : हम्म्म्म.. शाम को वीडियो कॉल करना. मै भी तो देखु. केसी है वो.


सतीश समझ गया की परमजीत को थोड़ी जलन हो रही है. वो हस पड़ा. पर उसे ये नहीं पता था की जिस माया से उसे डर लगने लगा था. उसी माया की वो अपनी गर्लफ्रेंड से सिफारिस कर रहा था की वो बहोत अच्छी है.


सतीश : अच्छा चलो फोन रखता हूँ. रात को कॉल करूँगा.


सतीश ने कॉल कट कर दिया. वो खुश क्यों है. ये उसे खुद भी नहीं पता था. वो दिन भर की ट्रेनिंग पूरी कर के शाम होते वापस वही चल दिया. सतीश वापस वही माया के घर पहोंचा. वो भूल गया की उसे सुबह के वक्त माया से डर लग रहा था. सतीश माया से बहोत अच्छी तरह से बात कर रहा था. हाथ मुँह धोकर वो माया के साथ खाना खाने बैठ गया. जब माया ने बर्तन का ढक्कन हटाया तो उसमे बकरे के मीट की खुश्बू थी.


सतीश : (स्माइल) अरे वाह. बकरा...


माया खिल खिलाकर हसने लगी. और उसे मीट परोस देती है. साथ मे रोटी और चावल था. सतीश बड़ी चाव से खाना खा रहा था. माया भी उसके साथ ही खा रही थी. पर वो सिर्फ मीट मीट खा रही थी. सतीश ने माया पर ध्यान ही नहीं दिया. माया सतीश से सवाल करने लगी. माया जो भी पूछती. वो सब सतीश सच सच बता रहा था.

माया ज्यादातर सतीश से परमजीत के बारे मे ही पूछ रही थी. सतीश ने दोपहर ट्रेनिंग पर जो परमजीत से बात करी थी. वो सब भी सतीश ने माया को बता दिया. पर खाना खाने के बाद हाथ धोते वक्त माया ने एक सवाल पूछा. और जैसे सतीश को उसी वक्त होश आया हो.


माया : क्या तुम्हारी परमजीत बहोत सुंदर है क्या?? ऐसा क्या है जो तुम उसके बिना रहे नहीं पाते?? उसे फोन करना जरुरी है क्या??


सतीश एकदम से रुक गया. जैसे उसमे हिम्मत आ गाइ हो.


सतीश : देखो भाभी जी. आपने मुजे बहोत कम पेसो मे रहने के लिए यह मकान दिया. इसके लिए मै आप का बहोत शुक्र गुजार हूँ. पर इसका मतलब यह नहीं की आप मेरी प्रसनल जिंदगी मे दखल दे.


बोलकर सतीश अपने रूम मे घुस गया. सतीश सोच ही रहा था की तभि उसके फोन पर कॉल आया. रिंग आते ही उसने फोन की तरफ देखा. वो कॉल परमजीत का था. और वो वीडियो कॉल था. सतीश ने तुरंत ही कॉल पिक किया. वो स्पीकर पर कर के बात करने लगा. परमजीत और सतीश दोनों एक दूसरे को देख सकते थे.


परमजीत : (स्माइल ) हा तो जनाब कहा है तुम्हारी भाभी. हमें भी तो दिखाओ.


बाते करते परमजीत माया को देखने की बात कर रही थी की तभि उसने देखा की सतीश के पीछे साइड मे कोई आकर खड़ा हो गया. परमजीत का तो मनो एकदम से चहेरा ही फीका पड़ गया. एकदम से उसके होश ही उड़ गए. उसकी एकदम से स्माइल चली गई.


परमजीत : (घबराहट) सतीश पीछे देखो. सतीश...


सतीश तुरंत ही पीछे देखता है. माया खड़ी मुस्कुरा रही थी. वो हॉट नाईटी मे खड़ी थी. जिसमे से उसका जोबन बहार झलक रहा था. पर सतीश को जैसे कोई फर्क ना पड़ा हो. वो स्माइल करता है.


सतीश : अरे आओ भाभी. तुम्हे परम से मिलवाता हु. ये देखो परम. जिस से मै शादी करने वाला हु.


माया ने स्क्रीन पर परमजीत को देखा. और स्माइल देते हुए बस हा मे गर्दन हिलाई.


स्टोरी के बिच कोमल रहे नहीं पाई. और वो बोल पड़ी.


कोमल : पर परमजीत को गुस्सा आना चाहिये था. वो घबरा क्यों गई. क्या वो माया को पहले से जानती थी. या कही देखा होगा???


डॉ : नहीं..... क्यों की जो परमजीत को दिख रहा था. वो सतीश को नहीं दिख रहा था. और जो सतीश देख रहा था. वो परमजीत को नहीं दिख रहा था.


कोमल : और वो क्या था.


डॉ : पराजित ने देखा की सतीश के पीछे एक काले कपड़ो मे एक बुढ़िया आकर खड़ी है. जिसके चहेरे पर मक्कीया भीन भीना रही है. जिसका चहेरा बहोत गन्दा सड़ा हुआ है.



ये सुन ने के बाद सारे स्तब्ध रहे गए. दो मिनट तक कोई कुछ बोल ही नहीं पाया.
 

Shetan

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Kya Satish waha se nikal payega, kya Maya ko bhi pta chl gya h ki paramjeet ko uska asli rup dikh gya h
नहीं. उसे कुछ पता नहीं चला. डायानो की नजरें कमजोर हो जाती है. और वो मिरर से समज़ती है. स्क्रीन से नहीं. डायन जब तक उसके शिकार से उसके मुद्दे की बात करो तो पता लगा लेती है. पर आम बातचीत नहीं ध्यान देती.
 

Seen@12

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नहीं. उसे कुछ पता नहीं चला. डायानो की नजरें कमजोर हो जाती है. और वो मिरर से समज़ती है. स्क्रीन से नहीं. डायन जब तक उसके शिकार से उसके मुद्दे की बात करो तो पता लगा लेती है. पर आम बातचीत नहीं ध्यान देती.
Ok ye acha hua
 
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Shetan

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Nice and superb update....
Thankyou very very much spritemathews. Lot of thanks. Aap is story ko bhi support kar rahe ho. Kosis karungi ki jald hi ek erotic story psycho Kavita likh saku. Uske alava parinda full version bhi post karungi. Aur ho saka to isi sala saya 3 bhi likhna shuru karungi.
 
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motaalund

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Update 30

स्कूल की छत गिरने से मरे बच्चों की समस्या सॉल्व हो चुकी थी. मणिकर्णिका घाट पर मरे हुए सभी बच्चे, दिन दयाल के दोनों बेटे जिनकी बली दीनदयाल ने दिलवाई थी.

उसके आलावा जिन जिन लोगो ने आत्माओ की चपेट मे आकर आत्मा हत्या करी. वो सारे. और सबसे खास पडितजी की आत्मा की शांति के लिए पूजा करवाई. उसके बाद सारे प्रयागराज त्रिवेणी संगम पर नहाने गए.

कहावत है की प्रयागराज सारे तीर्थं का राजा है. तीन नदियों का संगम गंगा, जमना और सरस्वती नदियों के संगम पर जिन अस्तियों का वित्सर्जन होता है. उनको मुक्ति मिल जाती है. उन सब ने कशी विस्वनाथ के भी दर्शन किए.

काशी की भी एक मान्यता है. वहां विश्वनाथ जी के दर्सन कीजिये गंगा मईया के दर्सन कीजिये. मगर वहां से कुछ लेकर मत जाइये. वरना बहोत बड़े पाप के भोगी बनियेगा.

सारे काम पुरे करने के बाद वापस उसी गांव मे जाने की बारी आई. शाम हो गई थी. सभी बस मे सवार हो गए. सभी थके हुए थे. कइयों को नींद आ रही थी. बस मे अंदर लाइट बंद अंधेरा हो चूका था.

बस की हेडलाइट से काला रोड किसी नागिन के जैसा डरावना लग रहा था. आगे एक शीट पर दाई माँ. उनके पीछे डॉ रुस्तम. और उनके पीछे बलबीर के साथ कोमल बैठी हुई थी.

अपने प्रेमी के कंधो पर सर रखे कोमल ने आंखे बंद कर रखी थी. लेकिन वो सोइ नहीं थी. उसके दिमाग़ मे हर वक्त कोई ना कोई खुरापात चलती ही रहती. कोमल ने अपना सर ऊपर उठाया. और बलबीर की तरफ देखा. बलबीर विंडो पर अपना सर टेके सो रहा था.

सोते हुए उसका मुँह खुला हुआ. और हलके हलके वो खर्राटे भी ले रहा था. उसे ऐसे देख कर कोमल को हसीं आ गई. उसने अपना पर्स खोला. और उसमे से एक चविंगम निकली.

चविंगम का रेपर हटाया. और चविंगम खा गई. बड़ी आहिस्ता से बलबीर की तरफ झूकते हुए कोमल ने चविंगम का रेपर बलबीर के मुँह मे डाल दिया. बलबीर को जैसा खांसी आ रही हो. वो उठा और अपने मुँह से चविंगम का रेपर निकलता है.

अपना फेस थोडा गुस्से वाला किए उसने कोमल की तरफ देखा. उसकी हालत पर बिना आवाज किए. अपने मुँह पर हाथ रख कर कोमल हसने लगी.


बलबीर : अरे यार थोडा सो लेने दो यार.


बोल कर बलबीर फिर विंडो के सहारे आंख बंद कर के सोने लगा. लेकिन कोमल के पिटारे मे तो शारारत का भंडार था. वो दोबारा थोडा बलबीर की तरफ खिसकी. और अपना मुँह बलबीर के कान के पास ले गई.


कोमल : (धीमी आवाज) मै तुम्हारे बच्चे की माँ बन ने वाली हु.


बोल कर कोमल एकदम सीधी होकर बैठ गई. और बलबीर की तरफ देखते उसके रिएक्शन का वेट करने लगी. वही बलबीर एकदम से चौंक गया. उसकी तो एकदम से नींद ही उड़ गई. और वो हैरानी से कोमल की तरफ देखने लगा.

कोमल अपनी हसीं रोके एकदम खामोश थी. पर एक बात कोमल को भी नहीं मालूम थी की उसने कितना धीरे बोला की डॉ रुस्तम और उनकी एक शीट आगे दाई माँ ने भी ये सुन लिया. और वो दो भी बिलकुल पीछे नहीं देखते. बस सामने देख कोमल का मज़ाक सुनकर हस रहे थे.


बलबीर : (सॉक, धीमी आवाज) क्या सच मे???


कोमल अपने आप को रोक नहीं पाई. और वो एकदम से खिल खिलाकर हस पड़ी. पीछे सो रहे सभी की नींद टूट गई. दाई माँ के सिवा बाकि सब ने तुरंत कोमल की तरफ देखा. जब डॉ रुस्तम ने घूम कर स्माइल किए कोमल की तरफ देखा. तब जाकर कोमल शांत हुई.

और चुप चाप बैठ गई. मगर फिर भी उस से अपनी हसीं नहीं रुक रही थी. वो मंद मंद मुस्कुरा ही रही थी. बलबीर की नींद तो अब कोसो दूर भाग चुकी थी. लेकिन बलबीर को अब भी भरोसा नहीं हो रहा था की कोमल सच बोल रही थी.

या फिर वो बस मज़ाक था. वो कोमल की तरफ झूकते उसके कान मे बहोत धीरे से बोला.


बलबीर : (बहोत ही धीमी आवाज मे) क्या सच मे??? देखो मज़ाक मत करना.


कोमल : (धीमी आवाज) अरे यार तुम बड़े फट्टू हो यार. अगर हो गया तो क्या हो जाएगा. डरो नहीं. मै तो बस तुम्हारी टांग खिंच रही थी.


बलबीर : यार मुजे सोने दो यार. तुम माई से मज़ाक करो ना. वो तुम्हे कुछ नहीं करेंगी. क्या पता कुछ सुना दे.


कोमल ने मुँह बनाकर जैसे उसे गुस्सा आ रहा हो. वो बलबीर को घूरने लगी. और सीधा खड़ी होकर दाई माँ की तरफ जाने लगी. दाई माँ को भी पता थी. की कोमल उसके पास आ रही है. कोमल अपनी शीट से उठी और आगे दाई माँ के पास जाकर खड़ी हो गई.


दाई माँ : का ए री?? (क्या है??)


कोमल सीधा तपाक से दाई माँ की बाहो मे जबरदस्ती घुस गई. दाई माँ हलके फुल्के हाथ कोमल को मरने लगी.


दाई माँ : हे.. हट... ठाडी होय... (खड़ी होजा)


पर कोमल कहा मान ने वालों मे से थी. वो तो टेढ़ी होकर दाई माँ की गोद मे ही पसर गई. दाई माँ ने भी विरोध बंद कर दिया. दाई माँ बड़े प्यार से कोमल के बालो को सहलाने लगी. डॉ रुस्तम और कैमरामैन सतीश हसने लगे. सब जानते थे की दाई माँ के आगे किसी की नहीं चलती. पर कोमल तो कोमल थी.

दाई माँ भी कोमल के बालो को साहलाते कोमल के बचपन के दिन याद करने लगी. जब सभी माँ अपने बच्चों को दाई माँ के पास जाने से डरती. बच्चे भी उनके पास आने से डरते तब कोमल ही थी. छोटी सी प्यारी बच्ची. जो फ्रॉक पहने गोरी चिट्टी सुंदर मासूम खिल खिलाती दाई माँ के पास आकर खेलती. अपनी प्यारी आवाज से दाई माँ को पुकारती.


कोमल : (बचपन) दादी माँ...


वो बचपन मे दाई माँ को दादी माँ पुकारती थी. कोमल की माँ जयश्री भी कभी कोमल को नहीं रोकती थी. मगर कोमल जैसे जैसे बड़ी होती गई. वो दाई माँ से नई नई कहानियाँ सुन ने की फरमाइश करने लगी.

और हॉरर स्टोरी कोमल की पसंद कब बनी. ये दोनों मे से किसी को याद नहीं रहा. लेकिन कोमल हॉरर स्टोरी जरूर सुनती. पर वो सारी नार्मल होती. बड़ा होने के बाद कोमल ने हकीकत स्टोरीया जानी.

पर अब कोमल एक बार फिर दाई माँ के पास उनकी गोद मे थी. और वो जब भी आती कुछ सुने बिना नहीं जाती.


कोमल : माँ कुछ बताओ ना.


दाई माँ : री का बताऊ???


कोमल : अममम प्लीज बताओ ना.


दाई माँ हस्ती हुई कोमल के सर पर हाथ घुमाया. डॉ रुस्तम खड़े हुए और दाई माँ के बगल वाली रॉव की शीट पर आ गए. सायद दाई माँ के बिना कहे वो भी समझ जाते की दाई माँ क्या चाहती है. कोमल ने भी डॉ रुस्तम को देखा. पर वो दाई माँ के कंधे पर ही सर रखे उनकी गोद मे ही रही. जैसे वो छोटी बच्ची हो.


डॉ रुस्तम : हम्म तो कोमल तुम पहले ये जान लो की भगवान, भुत,प्रेत, पिशाज ये सब जो भी है. ये सब एनर्जी है. कोई नार्मल एनर्जी है तो कोई पावरफुल एनर्जी. तो कोई तो बिलकुल ही सुप्रीम एनर्जी है.


कोमल : सुप्रीम तो भगवान ही होंगे ना.


डॉ : बिलकुल. फिर चाहे तुम भगवान कहो या गॉड कहो हा फिर अल्लाह. एक ही बात है. ये सुप्रीम है. दूसरे धर्म मज़हब का तो मै प्रोपर नहीं बता सकता. लेकिन भगवान के तीन तरह के रूप होते है. सात्विक, तामशिक, राजशिक.


कोमल : हम्म थोडा बहोत आईडिया है. हम आम जिंदगी मे भगवान को सात्विक तरीके से पूजते है. भक्ति पूजा ये सब.


डॉ : बिलजुल. तामसिक तरीके मे तंत्र मंत्र का इस्तेमाल होता है. वैसे तो वो सब सात्विक मे भी होता है. मगर तामशिक अलग है. बली प्रथा. किसी जीव की और भी बहोत तरीके से सात्विक और तमश मे अंतर किया जा सकता है. मगर भगवान एक और रूप मे भी होते है.


कोमल : तामशिक के बारे मे तो आप पहले भी बता चुके हो. मतलब ब्रह्मांड से सीधा जुड़ना.


डॉ : (स्माइल) वाह... बहोत अच्छे. तुम्हे याद है. मगर मेने कभी राजशिक के बारे मे तुम्हे नहीं बताया.


कोमल : फिर देर क्यों.


डॉ : राजस्य रूप हम इंसानो के लिए तो है ही नहीं. नाही कोई जीवित जीव के लिए. ये मरे हुए लोगो की दुनिया मे भगवान अपना एक अलग ही रूप दिखलाते है. इस बारे मे फिर बाद मे बात करेंगे. अब आते है पावरफुल एनर्जी. ये भी तीन प्रकार की होती है. 1) जिसे भगवान या देवताओं द्वारा बनाया गया हो.


कोमल ये सुनकर सॉक हो गई.


कोमल : क्या??? भगवान और देवताओं के जरिये भी कोई भुत प्रेत हो सकते है???


डॉ : बिलकुल हो सकते है नहीं होते है. यक्षिणी कुछ पिशाज, गंधर्व, अपशरा, किन्नर, निशाचार, जोगिनिया, जिन्न बहोत से है. मगर दूसरा प्रकार जिसमे ये सारी एनर्जी (2) शेतान ने बनाई है.


कोमल : तो ये सारी एनर्जी तो भुत हेना??


डॉ : हा बिलकुल. ये सारे भुत ही है.


कोमल : तो भगवान ने क्यों बनाई है.


कोमल की बात पर डॉ रुस्तम हलका सा मुस्कुराए.


डॉ : क्यों की भगवान सबके ही है. तुमने सुना ही होगा. भगवान की सेवा मे यही भुत पिशाज रहते है. वो सब भी भगवान की ही आराधना करते है.


कोमल : तो दूसरे किसम के कैसे होते है??


डॉ : नंबर (2) वो एनर्जी जिसे शैतान ने बनाया है. शैतान मतलब अलग अलग धर्म, मजहब के लोगो ने उसे अलग अलग नाम दिये है. कोई कलीपुरुष कहता है. तो कोई इब्लिश, तो कोई शेटन, तो कोई लूसीफर. लेकिन है ये एक ही. कुछ लोग इसे हीरो या भगवान, खुदा गॉड भी मानते है. लेकिन शैतान ने भी कुछ ऐसी ब्लैक एनर्जी बनाई है.

जो अगर सही हाथो मे हो तो कइयों का भला हो सकता है. वरना तबाही मचा सकता है. जैसे खाविश, कई पिशाज है. जिनहे शैतान ने बनाया है. कई पाताल की एनर्जी है. जिसे शैतान ने जन्म दिया है. कई प्रकार की चुड़ैले है.


कोमल : बलबीर ने मुजे दो डायन की स्टोरी सुनाई थी. क्या वो भी शैतान ने बनाई है??


डॉ रुस्तम को कोमल का सवाल समझ नहीं आया. बलवीर का नाम आता तो सुनते ही उसने भी अपना सर ऊपर उठाया. डॉ रुस्तम ने हैरानी से दाई माँ की तरफ देखा.


दाई माँ : हे वा इंसानइ होते.


डॉ रुस्तम ने दाई माँ की बात क्लियर की.


डॉ : डायन वो होती है. जो शैतान की पूजा करती है. उसे बली देती है. और वक्त वक्त पर ताकतवर होती जाती है. इसके आलावा कई ऐसी एनर्जी है जो इंसान खुद बनता है. कोई भगवान की मदद से. तो कोई शैतान की मदद से. जैसे की कुछ क्रियाए. मरण क्रिया. मोहन क्रिया.

बहोत सारी तंत्र क्रिया. जिसमे सोल नहीं होती. पर ये एनर्जी होती है. और बहोत भयंकर एनर्जी होती है. इसके आलावा छोटे बच्चे. जो पैदा होते ही मर गए हो. या मर दिया हो. उनसे कच्चे कलुए जैसी बहोत ख़तरनाक एनटीटी मतलब एनर्जी बनाई जा सकती है.


कोमल : मुजे पहले डायनो के बारे मे कुछ बताइये ना.


डॉ : हम्म... ये वक्त के साथ ताकतवर होती जाती है. ये वक्त वक्त पर शैतानो को बली देती है. मुर्गा, बकरा, फिर और कोई जानवर, फिर इंसान, बच्चे, कवारी लड़की या लड़का.


कोमल : तो वो बली के लिए इंसानो को तैयार कैसे करती है.


डॉ : धोखे से. वशीकरण, सम्मोहन, या फिर और कोई धोखा. बहोत प्रकार से इंसानो को धोखे मे रखा जा सकता है. ये सब दुनिया की नजरों से बचाकर किया जाता है.


कोमल : कोई केस बताओ ना. आप ने पहले कोई केस तो देखा होगा??

डॉ रुस्तम मुश्कुराए. वो बस कोमल को ज्ञान देना चाहते थे. पर कोमल तो किस्से भी सुन ना चाहती थी. वो खुश हुए. वो कोमल को अपने साथ इसी काम मे आगे बढ़ाना चाहते थे. डॉ रुस्तम ने मुश्कुराते तुरंत ही घूम कर पीछे की तरफ देखा.

कोमल को पता नहीं चली. पर डॉ रुस्तम उनके कैमरामैन सतीश को देख रहे थे. जो बैठे बैठे गहेरी नींद मे सोया हुआ था.
कहानी पर बहुत दिनों बाद आपको देखकर प्रसन्नता हुई..
कोमल : (धीमी आवाज) मै तुम्हारे बच्चे की माँ बन ने वाली हु.
बेचारे बलवीर की तो बिना घुसाए हीं फाड़ दी...
डॉ रुस्तम मुश्कुराए. वो बस कोमल को ज्ञान देना चाहते थे. पर कोमल तो किस्से भी सुन ना चाहती थी.
पंचतंत्र इसका बेहतरीन उदाहरण है..
किस्से के साथ पिरो कर ज्ञान...
 
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