भाग 1
* दोस्तों ये कहानी सुरु होती है एक छोटे से गाँव से। इस कहानी में रिश्तों में चुदाई की किस्से भी होंगे। तो जिसे इन्सेस्ट पसंद नहीं वो ये कहानी न पढ़े। इसके किरदार के बारे में थोडा बता देती हु।
माधवी:- एक कमसिन खूबसूरत सेक्सी लड़की।बहोत ही सीधी साधी लड़की है। अपने काम से काम रखने वाली लड़की। स्कूल पढाई और परिवार यही इसकी जिंदगी है।सेक्स की दुनिया का जादा कुछ पता नहीं।
प्रभा:-माधवी की माँ उम्र 36 साल। ये भी बला की खूबसूरत और सेक्सी औरत है। पढ़ी लिखी होने के कारन रहन सहन बहोत अच्छा है।
जसवंत:- माधवी के पिता। ये किसान है। बहोत खेती होने के कारन पैसो की कोई कमी नहीं।
सागर:- माधवी का बड़ा भाई। शहर में पढता है। उम्र 19 साल। महीने में एक बार गाँव आता है सबसे मिलाने के लिए। बाकि किरदार भी है। जैसे जिक्र होगा वैसे बताउंगी। तो कहानी सुरु करते है।
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प्रभा:- माधवी कितनी देर लगाती है नहाने में??चल मुझे खाना बनाना है तेरे बाबा के लिए।
माधवी:- हो गया माँ...आ रही हु। ठीक से नहाने भी नही देती हो।
प्रभा:-आधे घंटे से अंदर है।
माधवी बहार आती है।
माधवी:- क्या माँ आप भी न.....
* लेकिन प्रभा उसकी बात सुनाती भी नहीं और झट से अंदर चली जाती है।
माधवी अपने कमरे में जाके तैयार होने लगति है।*
जसवंत अपने कम निपटा के आता है। जैसे वो बाहर हॉल में आता है...
जसवंत:- प्रभा खाना हो गया क्या??
*माधवी :- बाबा माँ नाहा रही है।
जसवंत:- अच्छा उसको कहना की मैं खेत के लिए निकल रहा हु। खाना लेने चंदू को भेज दूंगा।
चंदू:-- शादी शुदा जसवंत के यहाँ खेतो में कम करनेवाला नोकर। उम्र 34 साल। बहोत ही चोदु किस्म का इंसान। इसकी बुरी नजर माधवी और उसकी माँ पे है। जसवंत के यहाँ सालो से काम करता है इसकी वजह से सब उसे अपने परिवार का ही समजते है।
माधवी:- ठीक है।
प्रभा जल्दी नहाके खाना बना देती है। माधवी भी तैयार होके अपना टिफिन उठाके स्कूल के लिए निकल पड़ती है।
रस्ते में अपनी दोस्त प्रियंका के घर होते हुए दोनों दोस्त स्कूल के लिए निकल पड़ते है।
प्रियंका:--ये भी बहोत खूबसूरत है। लेकिन बहोत चंट है। ये पुरे गाँव की खबरे रखती है। ऐसे सेक्स की बातें करने में बहोत मजा आता है। लेकिन माधवी इसे हमेशा चुप करवा देती है। दोनों विपरित स्वाभाव की होने के बावजूद बहोत गहरे दोस्त
*बरसात का मौसम चारो तरफ हरियाली। ऐसे में गाँव बहोत ही खूबसूरत लगता है। स्कूल गाँव के थोडा बाहर था। गाँव से लेके स्कूल का रास्ता थोडा सुनसान ही रहता था। लेकिन स्कूल के टाइम नहीं होता था। रस्ते में कुछ मनचले लडके अपनी आखे सेकने बैठे रहते थे। वो सिर्फ दूर से देख के आहे भरते रहते थे। कोई कुछ बोलता नहीं था।*
* *माधवि और प्रियंका अपने क्लास में जाके बैठ जाती है। इस बात से अनजान की उसकी जिंदगी कुछ दिनों में पूरी बदलने वाली है।