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Incest कुंवारे लण्ड के कारनामे-माँ की मुँह पेलाई

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Obaid Khan

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Congrats for new story bro hope karta hu ki regular updates aayenge or khaani complete hogi aisi khaani bahot complete Hoti hai all the best
 
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Evanstonehot

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मै सुधा आंटी के जब घर गया तो मैंने देखा की आंटी एक पिंक कलर वाले ढीले ढाले नाइटी में थी । आंटी ने पहले मुझे सोफे पर बिठाया और फिर मेरे लिए पानी लेकर आयी । पानी देने के लिए जब वो झुकी तब मुझे पता चला की उन्होंने तो ब्रा भी नहीं पहनी है । मुझे उनके बड़े बड़े झूलते हुए चूचियों को देखकर मेरा लण्ड शॉर्ट्स में ही झटके खाने लगा जिसे आंटी ने भी देखा । उनके चहरे पर विजयी मुस्कान दौड़ गयी |

फिर मैंने आंटी से पूछा की उन्होंने मुझे क्यों बुलाया है तो उन्होंने कहा की उन्हें कुछ सामान उतारना है टांड( घरो में दीवाल में उचाई पर एक प्लेटफार्म बनाया होता है जिसपर सब सामन रखा जाता है , जिसकी जरुरत कम होती है ) पर से ।

उन्होंने कहा " टांड पर बहुत सरे कांच के बरतन है और भारी भी है, उतारने में टूट सकते है । उसे उतारने में मेरी मदद कर दोगे"


मैंने कहा " क्यों नहीं आंटी, कहा से उतारना है "


आंटी " वो अंदर किचन में , चलो मै स्टूल ले कर आती हूँ "


आंटी एक स्टूल लेकर किचन में आयी मई भी किचन में उनके पीछे पीछे गया । आंटी ने कहा " मै पहले स्टूल पर चढ़ कर सारे डिब्बे चेक कर लेती हूँ की कोनसा उतारना है "


मै " ठीक है आंटी "


आंटी " तुम स्टूल को अच्छे से पकड़ना ताकि मै निचे न गिरु "


मै " आंटी , स्टूल निचे की तरफ हो जायेगा उसे पकड़ने में ग्रिप नहीं मिलेगी मै आपको ही अच्छे से पकड़ लेता हु "


आंटी शायद यही सुनना चाहती थी । उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा " ठीक है "


आंटी फिर स्टूल पर चढ़ी तो उनके कमर का हिस्सा मेरे मुँह के सामने आया मैंने पहले अपने आप को सही से एडजस्ट किया और उन्हें पकड़ा ।


मै आंटी के सामने खड़ा हुआ था मैंने अपने दोनों होठो से उनके गांड को कैसा कर दबाते हुए पकड़ा । उसी समय मुझे पता चला की आंटी ने तो पेंटी भी नहीं पहनी है ।


मैने ऊपर आंटी का रिएक्शन देखा वो टांड को कसकर पकडे हुए खड़ी थी । मैंने उनसे कहा "आंटी, आपकी नाइटी रेशमी है जिससे मेरा हाथ फिसल रहा है । मै एक काम करता हूँ आपको नाइटी के नीचे से पकड़ता हूँ । तब ग्रिप भी अच्छे से मिलेगी और आपको सपोर्ट भी मिलेगा "


आंटी कुछ कह नहीं पायी बस हाँ में सर हिला दिया ।


फिर क्या था मैंने आंटी की नाइटी ऊपर उठाई जिससे मुझे उनके गुलाबी चुत का दीदार हो गया । मुझे और शरारत सूझी मैंने नाइटी वापस निचे की पर इस बार मै भी नाइटी के अंदर ही था अब मैंने आंटी के गांड की दरार में अपने दोनों हाथो को दोनों तरफ से लपेटा और अपने होठो को उनके चुत पर रख दिया । आंटी के मुँह से सिसकरी निकली और वो थोड़ा हिली ।


इस बार हिलने के बाद उन्होंने अपने पैर को थोड़ा और खोल दिया था ।


मैंने आंटी से कहा " सॉरी आंटी मै अच्छे से पकड़ नहीं पाया था जिससे आपका बैलेंस बिगड़ गया अब मै आपको अच्छे से कसकर पडूंगा "


आंटी ने कुछ नहीं कहा। अब मैंने उनके गांड को कसकर पकड़ा और अपना जीभ निकालकर उनके चुत को चाटना शुरू कर दिया। आंटी मदहोश होने लगी और उनकी सिसकारियां भी कभी कभी निकल रही थी ।


मै बिच बिच में अपने जीभ को उनके चुत के अंदर तक घुसता भी था । आंटी भी बड़े मजे से २० मिनट तक अपनी चुत चटवायी मुझसे । फिर मैंने उन्हें कहा " आंटी मिला वो बरतन "


आंटी फिर होश में आयी और बोली " हाँ बेटा, मिल गया है "

तो मैंने उन्हें कहा "चलो अब मेरी बारी है।" आंटी मेरी तरफ देखकर मुस्कुराने लगी तभी मैंने कहा " अब आप उतरो मै उस डब्बे को उतारता हूँ "


आंटी बोली "ठीक है" और वो स्टूल से निचे उतर गयी ।


मै स्टूल पर खड़ा होकर टांड के ऊपर पड़े बरतनों को देखने लगा । वह पर सिर्फ २ ही कांच के बर्तन थे । जिसे चेक करने में आंटी ने २० मिनट लगा दिए ।


मै आंटी से कहा "आंटी आप भी मुझे अच्छे से पकड़िए कही मै गिर ना जाऊ " आंटी मेरे पास आने लगी तभी मैंने कहा आंटी कही मेरा शॉर्ट्स से आपका हाथ स्लिप ना हो जाये नहीं तो मै गिर जाऊंगा , मै शॉर्ट्स निचे खिसका देता हूँ ताकि आप अच्छे से मुझे पकड़ सके "


आंटी मन में " बदमाश कही का "


मैंने अपने शॉर्ट्स को निचे सरका कर निकाल ही दिया , मेरा ७ इंच का कला मोटा लण्ड आंटी को सलामी दे रहा था जिसे देखकर आंटी की आंखोमे चमक आ गयी ।

"पकड़िए ना आंटी "

आंटी मेरे पास आयी उन्होंने अपने दोनों हाथ मेरे कमर में डाला जिससे उनका मुँह मेरे लण्ड के एकदम करीब था , उन्होंने ऊपर मेरी तरफ देखा । मैंने उन्हें कहा " अच्छे से पकड़ियेगा आंटी मुझे आप पर पूरा भरोसा है "

आंटी भी बहुत गरम हो चुकी थी उन्होंने अपना मुँह खोल कर मेरा लण्ड मुँह में ले लिया और उसे चूसने लगी । मुझे भी मजा आने लगा ५ मिनट बाद मैंने आंटी से कहा " आंटी कौन सा बरतन उतरना है "

आंटी ने मेरा लण्ड मुँह से बाहर निकालकर कहा " लाल ढक्कन वाला "

मैंने कहा" ठीक है ,आंटी मै उसे उतरता हूँ, आप बस मुझे पकड़कर बैलेंस बना कर रखो "


आंटी ने कहा "ठीक है "


और उन्होंने फिर मेरे लण्ड को मुँह में ले लिया , वो मेरे लण्ड को आधे से ज्यादा मुँह में लेकर चूस रही थी ।


तभी मैंने एक हाथ से टांड का सपोर्ट लिया और दूसरा हाथ से आंटी के सर को पकड़ा ।

आंटी को कुछ समझ नहीं आया की मै क्या करने वाला हूँ । तभी मैंने जोर से उनके सर को मेरे लण्ड पर दबाया और आगे से अपने लण्ड का जोर भी आंटी के मुँह में लगाया जिसका नतीजा ये हुआ की आंटी की आँखों से आंसू निकल आये और मेरा ७ इंच का लण्ड आंटी के गले के निचे उतर गया ।

दोस्तों आप तो जानते है मुझे मुँह चोदने में कितना मजा आता है और फिर जिसे मै बचपन से चोदना चाह रहा था कैसे अपना पूरा लण्ड उसके मुँह में डाले बिना रह पाता । उसकी बेटी(निर्मला ) तक को पूरा लण्ड पेल कर मुँह चुदाई की थी तो सुधा आंटी कैसे बच जाती ।


आंटी थोड़ी हिल भी गयी थी तभी मैंने उनके सर की पकड़ थोड़ी ढीली की उन्होंने अपना सर पीछे किया जिससे मेरा लण्ड भी उनके मुँह से निकलने लगा , जब मेरा सूपड़ा उनके मुँह में थे तभी मैंने कहा " आंटी आपकी पकड़ ढीली पड़ रही है, आप हिल भी रही है मैंने अगर आपका सर ना पकड़ा होता तो गिर जाता आप अच्छे से पकड़िए पूरी ताकत के साथ "


और इतना कहते ही मैंने फिर से उनका सर अपने लण्ड पर दबा दिया एक बार फिर मेरा लण्ड उनके गले की गहराई में समा गया । मैंने कहा " हाँ आंटी ऐसे ही पकड़िए आप, बहुत अच्छे से आप पकड़ती हो " फिर मैंने पकड़ ढीली की और फिर एक शॉट अब उनके गले की चुदाई होने लगी जो उन्होंने सोची ना थी । करीब २० मिनट उनका गाला चोद कर मैंने "कहा आंटी, लीजिये पकड़िए आपका बरतन "और वो डिब्बा उतार दिया टांड पर से और अपना लण्ड उनके मुँह से निकाल दिया वो बुरी तरह हाफ रही थी ।

मैंने उनसे कहा आंटी "आप तो सिर्फ मुझे पकड़ कर रखने में ही हाफने लगी आपको योगा करने की जरुरत है " आंटी मन में " साले मोटा सा लण्ड मुँह में इतनी बेदर्दी से पेल रहा था की मेरी साँसे फूल गयी और मुझे कह रहा है की मुझे योग करनी चाहिए "


आंटी " हाँ बेटा , शायद तुम ठीक कह रहे हो "


मै "आप कहे तो मै आपकी मदत कर सकता हूँ आपको योग कराने में "


आंटी " तुम बहुत ही अच्छे हो नीरज आंटी का कितना ख्याल रखते हो "


मै मन " हाँ आपकी गांड का ख्याल कर कर के कई बार मेरे लण्ड से पानी निकाल चूका हूँ "


फिर मैंने कहा " ठीक है चलो योगा का आसान करते है "


आंटी "ठीक है "


मै " आंटी आप झुक कर खड़ी हो जाओ और अपने हाथो से टेबल का सपोर्ट ले लो " आंटी ने वैसा ही किया ।मैंने उन्हें कहा "पहले आप आपके पैरो को फैलाकर खड़ी हो जाईये "


फिर मै आंटी के पीछे गया और मैंने उन्हें कहा " जब मै आपको पीछे खीचू तो आपको सांस अंदर खींचनी और और जब मै आपको धकेलु तो आपको सांस छोड़नी है "


फिर मैंने आंटी से कहा " आप समझ गयी ना "


आंटी ने कहा " हाँ समझ गयी "


फिर मैंने आंटी के कमर में हाथ डालकर उन्हें पीछे खींचा आंटी ने सांस अंदर ली फिर मैंने उन्हें थोड़ा पुश किया तो उन्होंने साँस बाहर छोड़ी । मैंने कहा " ऐसे नहीं हो पायेगा आंटी आप नार्मल सांस ले रही हैं आपको प्रेशर के साथ लेना चाहिए ।"


आंटी " मै समझी नहीं "


मैंने कहा "मै समझाता हूँ "और फिर मैंने पहले उनकी नाइटी को उठाया और फिर कहा " अब मै आपको निचे से प्रेशर दूंगा तब आप सांस छोड़ेंगी "

मैंने अपने लण्ड के सुपाडे को उनकी चुत पर टिकाया और उनकी कमर में हाथ डालकर उन्हें पीछे जोर से खींचा ।

मेरा लण्ड तो पहले से ही गिला था, जब मैंने उनकी मुँह चोदी थी और उनकी चुत भी गीली थी । एक ही शॉटमे मेरा पूरा लण्ड उनकी चुत में घुस गया । आंटी पहले से चूड़ी हुयी थी फिर भी मेरा मोटा लण्ड जब एक बार में घुसा तो उनकी चीख निकल आयी ।

मैंने कहा " आंटी , आपको चीखना नहीं है आपको सांस अंदर लेनी है , अब में आपको आगे धकेलता हु तब आप सांस छोड़ना "

मैंने आंटी की गांड को पकड़ कर उसे आगे धकेला और फिर कहा "अब मै आपको पीछे खीचूंगा आप साँस अंदर लो "


फिर इसी तरह मैं उनकी चुदाई करने लगा और आंटी को योग सिखाता रहा । ३० मिनट की चुदाई के बाद मेरे लण्ड ने सफ़ेद पानी की धार छोड़ दी जो मैंने उनके चुत में ही गिरायी ।


फिर मै उठा और अपना शॉर्ट्स पहना फिर मैंने आंटी से कहा " आंटी , मै कल फिर से आऊंगा और आपको अच्छे से योग सिखाऊंगा , आपको अभी और बहुत कुछ सीखना है "


आंटी मन में " हरामखोर अब कितना चोदेगा मुझे "


आंटी " ठीक है बेटा "

तो दोस्तों मेरी बरसो की तमन्ना पूरी हो गयी थी, सुधा आंटी जैसी गरम माल को चोदने का सौभाग्य हर किसी को नहीं मिलता |


मै घर आते ही अपनी माँ को गोद में उठा कर चूमने लगा । माँ खुशीसे " लगता है तू बहुत खुश है तेरे दिल की मुराद पूरी हो गयी "


मै " हाँ ..... माँ "


"थैंक यू वैरी मच............तुम्हारे बिना ये मूमकिन नहीं था "


माँ " मै तेरे लिए कुछ भी कर सकती हूँ "


इसके बाद दोस्तों मैंने माँ की भी एक जोरदार चुदाई की और फिर हम सो गए । शाम को शीतल हमारे घर आयी । माँ ने पूछा " शीतल क्या हुआ कुछ काम है क्या "




शीतल " वो मामा ने बुलाया है ............. मेरे लिए मोबाइल गिफ्ट करेंगे "


माँ ने मुझे जगाया और बताया की शीतल आयी है ।


शीतल को देखते ही मैंने कहा " अरे.... शीतल तुम आ गयी "


शीतल " मामा आपको आपका प्रॉमिस याद है ना "


मै " बिलकुल मेरी प्यारी बेटी ...................एक काम करो तुम आज रात यही रुक जा हम लोग लैपटॉप में फिल्म देखेंगे फिर तेरा मोबाइल आर्डर करेंगे "


मेरा ये सुझाव ना ही माँ को और ना ही शीतल को पसंद आया । क्योंकि माँ चाहती थी रात की चुदाई और शीतल को उसका गिफ्ट पहले आर्डर करना था , जिसकी पेमेंट वह पहले कर चुकी थी , पर दोनों को मेरी बात माननी ही पड़ी । रात में खाना खाने के बाद मैंने माँ से कहा " मै और शीतल फिल्म देखेंगे और बाद में उसका मोबाइल आर्डर करेंगे "


फिर माँ अपने कमरे में सोने चली गयी और मईऔर शीतल मेरे कमरे में । जब वो मेरे कमरे में आयी तो बोली "मामा फ़ोन आर्डर करो "


मै बोलै " इतनी जल्दी क्या है मेरी प्यारी बेटी पहले अपने मामा को अपने हुस्न का दीदार तो करा दे..................छत के अंधियारे में पूरा मजा नहीं मिला था आज पहले पूरा मजा लूंगा फिर आर्डर होगा मोबाइल " "


शीतल " मामा आप बड़े कमीने हो " मैंने बदले में उसे मुस्कान दी । उसने भी टाइम गवाना सही नहीं समझा और मेरे सामने जन्मजात नंगी हो गयी । उफ्फफ्फ्फ़ क्या खूबसूरत और सेक्स की मूरत लग रही थी वो । उसके कसे हुए गोल गोल सेब और प्यारी सी गोल गांड मेरे लण्ड में भूचाल लाने के लिए काफी था

मैंने भी अपने सारे कपडे निकाल दिए फिर उसे अपने पास बिठाया और उसके सेब जितने बड़े चूचियों को मसलने लगा । शीतल " उफ्फ्फ्फफ्फ्फ्फ़.................. मामा आराम से दर्द हो रहा है "


पर मै कहा आज शीतल की सुनाने वाला था । अब मै उसकी एक चुची को मुँह में लेकर चूसने लगा और हाथ से उसकी चुची को और दबा रहा था जैसे पके हुए आम को चूसा जाता है दबा कर मैंने जी भर कर २०- २० मिनट दोनों चूचिया चूसी उसके दोनों चूचिया लाल हो गयी थी जब मैंने शीतल का चेहरा देखा तो वो भी पूरी तरह से लाल हो गया था |

अब मेरे पसंदीदा खेल का टाइम आ गया था मैंने शीतल को पेट के बल बिस्तर पर लेटाया और उसके सर के पास आकर उसके सर को उठाया । अब मैंने उसके मुँह में मेरे मोठे लण्ड को दे दिया जिसे वो बड़े प्यार से चूसने लगी ।

१० मिनट तक वो मेरे आधे लण्ड तक को मुँह में लेकर चूस रही थी पर जब तक मै पूरा लण्ड मुँह में ना पैल दू मुझे चैन नहीं पड़ता इसलिए मैंने उसके सर को पकड़कर जोर लगाया और अपना पूरा लण्ड उसके हलक के निचे उतार दिया ,उसके आँखों से आंसू निकल आये |फिर मैंने लण्ड बाहर निकला और फिर घुसाया । ५ मिनट तक तो शीतल को बड़ी परेशानी हुयी क्युकी ५ मिनट तक मेरा लण्ड उसके गले से बाहर ही नहीं आया था उसके गले में ही अंदर बाहर हो रहा था । उसके गले में मेरे मोटे लण्ड ने अपनी जगह बना ली थी | उसके बाद वो भी रंडियो की तरह मेरे पुरे लण्ड को मुँह में ले रही थी ।

अब मुझे उसकी गांड मारनी थी । मैंने उसे आधे घंटे तक लण्ड चुसाया उसके बाद उसे कहा "अब तुम खड़ी हो जाओ दीवार की तरफ मुह करके मुझे तुम्हारी गांड की ओपनिंग करनी है "


शीतल " नहीं मामा वह बहुत दुखेगा उसे मत मारो "


मै " बेटी इतनी प्यारी गांड मामा से नहीं बच सकती चलो खड़ी हो जाओ और अपनी गांड को फैलाओ ताकि मेरा लण्ड जा सके ।

उसने ऐसा ही किया । मै उसके पीछे गया और उसकी गांड में लण्ड पेल दिया उसके मुँह से चीख निकल गयी जिससे माँ भी जाग गयी उसने पूछा क्या हुआ ।

मैंने कहा " कुछ नहीं माँ ये फिल्म देखकर डर के चिलायी "

मेरी माँ की फिर से कोई आवाज नहीं आयी तो मै अपने काम शुरू कर दिया धीरे धीरे उसकी गांड में लण्ड अंदर बाहर करने लगा ।
उसे बहुत दर्द हो रहा था । इसलिए मैंने पोजीशन चेंज किया और उसे बेड पर पेट क बल लेटा दिया । अब उसकी गांड ऊपर की और उठी हुयी मुझे निमंत्रण दे रही थी । मैंने भी देरी किये बिना उसके गांड में लण्ड घुसा दिया । उसका मुँह बिस्तर में दबा हुआ था । मै समझ गया यही असली मौका है इसे अपने ७ इंच क लण्ड का पूरा मजा देने का । मैं उसकी गांड में लण्ड का दबाव बढ़ाने लगा उसकी गांड खुलती चली गयी और उसका मुँह भी । पर मै रुका नहीं जब तक मेरा लण्ड पूरी तरह उसके गांड में ना समां गया ।


शीतल की कसी हुयी गांड ने मेरा लण्ड पर बहुत दबाव बनाया था । उसकी टाइट गांड मारने में मुझे बहुत मजा आ रहा था । मै " शीतल तुम्हारी गांड तो बहुत टाइट है , मजा आ रहा है बहुत "


शीतल " आआह्ह्ह्हह्ह.......... मामा मेरी गांड तो टाइट ही है........ पर आपका लण्ड बहुत मोटा है ..........मै ही जानती हूँ क्या बीती है मुझ पर "

मै " अब मजा नहीं आ रहा "


शीतल " अब आ रहा है "


फिर मैंने कहा " चलो दूसरी पोजीशन में चेंज करते है " मैने उसे पीठ के बल लेटाया । शीतल को लगा की अब उसकी चूत चुदेगी पर उसकी सोच तुरंत उसे गलत साबित हुई जब मैंने उसके मुँह में पहले तो उसकी ही पैंटी घुसा दी और उसके दोनो पैर को हवा में उठाया जिससे उसकी गांड का छेद मेरी तरफ साफ़ साफ़ दिखने लगा । और अगले ही पल उसकी गांड में मेरा मोटा लण्ड भी समां गया । इस पोजीशन में मै उसे तब तक चोदा जब तक मेरा पानी उसकी गांड में नहीं निकल गया ।

उसके बाद मैंने उसका फ़ोन आर्डर कर दिया । सुबह माँ ने मुझे उठाया और गुस्से से मुझे बोली " ये क्या है "


मैंने भी आँख खोली और माँ जहा इशारा कर रही थी वह देखा । माँ शीतल की तरफ इशारा कर रही थी जो पेट के बल सो रही थी पूरी नंगी उसकी गांड का होल खुला हुआ था ।


मैंने कहा " अरे माँ ये तो शीतल की गांड है " और हंसने लगा ।


माँ बोली " तूने इसकी गांड मार ली , कुछ तो शर्म करता वो तेरी भांजी है "


मै " मै तो अपनी माँ की गांड मार सकता हु तो इसकी क्यों नहीं "


माँ " तो तूने इसकी मोबाइल के बहाने गाँड मार ली "


मै "नहीं माँ ये तो मुझसे बर्थडे के दिन ही चुद गयी थी वो भी सामने से सिर्फ मोबाइल क लिए अगर मै इसे मोबाइल ना देता तो किसी और से चुदती पर मोबाइल जरूर लेती "


मै " इसलिए मैंने कहा घर की चूत घर में ही चुदे तो ठीक है "


माँ " वो तो ठीक है पर बिचारी की गांड कैसे खुल गयी इतनी "


मै " वो रात भर में मैंने ६ बार इसकी गांड और एक बार चूत मारी थी इसलिए , ये तो अभी ६ बजे सोई है "


माँ " तेरे साथ कोई लड़की या औरत सेफ नहीं है " बोलकर वो भी हंसने लगी । और कहा इसे ढक दे और चल नाश्ता करने एक राउंड मेरे साथ भी करना है तुझे । मैंने वही किया ।

दोपहर को मै सुधा आंटी के घर गया मुझे आज उनकी भी गांड मरनी थी । जब मै उनके घर पंहुचा तो उन्होंने ने ही दरवाजा खोला । आज फिर से वो मैक्सी में ही थी ।


मैंने आंटी से कहा " आंटी कैसी हो आप ?"


आंटी " मै ठीक नहीं हूँ बेटा मेरी कमर में दर्द हो रहा है...........आज तो मै योग भी नहीं कर पाऊँगी "


इतना कहने के बाद उनके चहरे पर एक कुटिल मुस्कान आ गयी । मै समझा गया की वो मुझे चेक करना छह रही है की मै किसी और तरह से भी कर सकता हूँ क्या । पर दोस्तों आप तो जानते ही छोड़ने के लिए मेरे दिमाग में १ सेकंड में १००० आईडिया आ जाते है जो आंटी को नहीं पता । मैंने आंटी को कहा " ठीक है आंटी आप योग मत करिये पर चलिए मै आपको तेल मालिश कर देता हूँ ताकि आपका दर्द काम हो जाए "


आंटी समजंह गयी मेरी चाल " रहने दो बेटा मै ठीक हो जाउंगी "


मै " बेटा कहती हो तो मुझे बेटा बनाना ही पड़ेगा......आपका तेल मालिश करना पड़ेगा और हर जगह का दर्द काम करूँगा चलो आप बेड पर मै और कुछ नहीं सुनना चाहता "


आंटी मन में " तू माधरचोद बेटा बनेगा " मुझसे " ठीक है बेटा "


आंटी बिस्तर पर जाकर लेट गयी मै तेल लेकर बैडरूम में गया " आंटी मैक्सी तो निकल दीजिये मुझे आपको मसिष करनी है कपड़ो को नहीं "


आंटी " ठीक है बेटा निकलती हूँ "


इस बार मै थोड़ा चौक गया क्युकी आंटी ने ब्रा पंतय पहनी थी "


आंटी मेरा पूरा टेस्ट लेना चाहती थी ।

मै फिर से उनके पास गया और तेल उनकी कमर पर गिराया फिर मैंने कहा " आंटी आपके ये दोनों कपडे भी तेल से ख़राब हो जायेगे इन्हे भी खोल दीजिये "


आंटी " रहने दो उन्हें बेटा " मै " ाउंटी आप भी न बच्चो की तरह जिद करती हो चलो मै ही खोल देता हूँ इन्हे "


इतना कहकर मैंने उनके ब्रा का हुक खोल दिया और उनकी पेंटी में हाथ डालकर उसे पैरो से निकाल दिया । अब मैंने तेल मालिश सुरु की उनके गरदद पीठ की मैंने अच्छे से मालिश की आंटी को भी बहुत अच्छा लगा ।


फिर मै निचे कमर पर आया और कमर उनके दोनों पहाड़ जैसे चुत्तड़ो को तेल लगाकर मालिश करने लगा । फिर मै अपने टारगेट की तरफ बढ़ने लगा और तेल लेकर आंटी की गांड की दरार में तेल मलने लगा मेरा हाथ जहा से दरार शुरू होती है वह से लेकर उनके चूत तक जा रहा था ।


आंटी तो मदहोश होने लगी थी । तभी मैंने उनकी गांड के अंदर एक ऊँगली घुसा दी । आंटी के मुँह से चीख निकल गयी ।

मै " ओह्ह्ह्हह आंटी आपको यहाँ दर्द हो रहा है " यहाँ मुझे आपकी अच्छे से मालिश करनी होगी ये बोल कर मैंने और बहुत सारा तेल उनकी गांड और मेरी ऊँगली पर उड़ेल दिया जो अभी भी उनके गांड में थी । अब मै एक ऊँगली आराम से अंदर बाहर कर रहा था आंटी को भी दर्द काम होने लगा फिर मैंने दो ऊँगली उनकी गांड में डालने लगा आंटी को दर्द होने लगा । मैंने आंटी से कहा " लगता है आपको काफी अंदर तक दर्द हो रहा है रुकिए मै और गहराई तक मालिश करने का जुगाड़ करता हु । ये बोलकर मैंने अपना लोवर निचे किया और लण्ड पर तेल लगा कर उनके गांड के अंदर उसे तेल दिया आंटी को बहुत दर्द हुआ मैंने कहा "बस आंटी ........अब मै आपके अंदर इतनी अच्छे से मालिश करूँगा की आपका सारा दर्द काम हो जायेगा ।"

इतना कहते ही मै अपने लण्ड का दबाव बढ़ाया और लण्ड को पूरी ताकत के साथ आंटी की गांड में घुसा दिया । आंटी थोड़ी दर्द में छटपटाई फिर जब मै धक्के लगाने लगा तो उन्हें भी मजा आने लगा ।
मै " आंटी ।।।कैसा दर्द है अब "


आंटी " अब अच्छा लग रहा है "


मै " मैंने कहा था ना ऐसी मालिश करूँगा की सारा दर्द ख़त्म हो जाये "

इसके बाद मै रुका नहीं और आंटी की गांड की जोरदार चुदाई शुरू कर दी । पूरा का पूरा बेड मेरे धक्के से हिल रहा था और आंटी भी आहे भर रही थी . आधे घाटे तक आंटी की गांड मारने के बाद मेरे लण्ड ने पिचकारी छोड़ी जो आंटी की गांड में ही गयी ।

जब मैंने लड़ उनकी गांड से निकला तो उनके गांड से मेरा पानी बहने लगा |


दोस्तों सुधा आंटी की चुदाई करने के बाद मै बहुत संतुष्ट हुआ क्यूँकि उस घर की दोनों ही चूत मेरे लण्ड ले चुकी थी । मै आंटी के घर से अपने घर आया जहा शीतल जाग चुकी थी और माँ और शीतल मेरा खाना खाने के लिए इन्तेजात कर रहे थे ।


माँ ने मुझे कहा "शीतल को उसके घर छोड़ कर आ जा "


मै बड़े मायूस मन से " शीतल रुक जा बेटी हम लोग और फिल्म देखेंगे "


शीतल " मामा अभी मेरी तबियत सही नहीं लग रही बाद में हम लोग जरूर फिल्म देखेंगे "


मै " ठीक है बेटी "


शाम को मै शीतल को छोड़ने दीदी के घर गया । जहा पहुंचते ही प्राची दौड़ते हुए मेरी गॉड में आ गयी । मै भी उसे उठा लिया ये देखकर सीमा दीदी हसने लगी और बोली " ये बच्ची की बच्ची ही रहेगी "


तब शीतल को शैतानी सूझी वो मेरे पास आयी प्राची के पैर पकड़ कर उसे निचे उतारने लगी और बोली " चल उतर मेरे मामा की गोदी से "


फिर क्या था प्राची और कास कर लपटने लगी इस बार उसने दोनों पैर मेरे कमर के दोनों तरफ लपेटकर मुझसे लिपट गयी । सीमा दीदी तो किचन के चाय नाश्ता बनाने चली गयी थी । अबकी बार शीतल ने पहले मेरे लण्ड को पकड़ा और उसे रगड़ने लगयी । मेरा लण्ड खड़ा हुआ जो की सीधा प्राची की गांड क निचे था क्युकी वो मुझे कमर से लपेटे हुए थी । फिर शीतल की शैतानी शुरू हुयी ।

वो प्राची को निचे खींचने लगी उसे गुदगुदी करके वो थोड़ा निचे ख्सक्ती और उसकी गांड मेरे लण्ड से रगड़ जाती फिर वो ऊपर चढ़ती और फिर शीतल उसे निचे उतारने के बहाने मेरे लण्ड पर बिठाती । मुझे शीतल की शैतानी पर बहुत मजा आया पर सीमा दीदी ये सब देखती तो सब खेल बिगड़ जाता इसलिए मैंने ही इस खेल को बंद कर दिया " प्राची मै तुम्हारा ही मामा हूँ चलो अब निचे उतरो मुझे चाय पीना है "



बाद में मैंने चाय नाश्ता किया । फिर दीदी ने कहा " नीरज तू यही रुक जा आज की रात वीएस भी तेरे जीजा उनके रिलेटिव के वहा गए है उनकी तबियत ख़राब थी इसलिए "


मै " दीदी , पर माँ घर पर अकेले है "


दीदी " तो क्या हुआ वो पहले भी तो अकेले रह लेती है , क्या तू मेरे घर बिना माँ के नहीं रुक सकता क्या "


मै "मै ठीक है दीदी । मै माँ को फ़ोन कर देता हु "


दीदी " उसकी जरुरत नहीं मैंने पहले ही फ़ोन कर दिया है " अब मै क्या कहता मुझे वहा रुकने के अलावा कुछ ऑप्शन ही नहीं बचा ।


फिर रात को हम लोग खाना खाये और सोने चले गए । दीदी अपने कमरे में चली गयी और मै शीतल और प्राची एक कमरे में ।


मै बहार कुछ देर तक माँ से फ़ोन पर बात किया फिर रूम में आया तो देखा प्राची सो गयी है और मेरा बिस्तर प्राची के साथ शीतल ने लगाया है ।


मुझे देखते ही वो धीरे से बोली " मामा मुझे बहुत दर्द हो रहा है मै कुछ नहीं क्र पाओगी पर आप ऊपर ऊपर का मजा ले सकते है "


मै बुरा सा मुँह बनाकर " सिर्फ ऊपर से "


शीतल "हाँ ऊपर से प्राची का "


ये सुनते मेरा लण्ड हिलने लगा मै "क्या "


शीतल " उसकी नींद बहुत गहरी ही उसे नींद में चोद दोगे तो भी पता नहीं चलेगा............. हाँ पर दर्द नहीं होना चाहिए "


मै " कुछ भी बोलती है तू "


शीतल " अच्छा ये देखो " बोलकर उसने मुझे एक चड्ढी दिखाई जो उसके बिस्तर पर थी । मै कुछ पूछता उससे पहले ही बोली " यही चड्डी पहनी थी वो " और फिर वो प्राची के पास आयी और उसे एडजस्ट करके उसका स्कर्ट ऊपर कर दी । सच में प्राची ने चड्डी नहीं पहनी थी ।मुझे उसकी छोटी सी चूत मेरे सामने नजर आ रही थी । अब तो मेरे लण्ड लोवर में ही झटके मरने लगा था जिसे शीतल ने देखा । शीतल बोली " देखा ना मै सही कह रही थी मैंने आपके आने से ५ मिनट पहले ही इसकी चड्डी निकाली " फिर उसने कहा " और देखिये " इतना कहते ही वो उसकी चूत को अपनी उंगलियों से मसलने लगी और उस पर रगड़ने लगी प्राची कुम्भकरण वाली नींद में पड़ी थी । फिर उसने अपने दूसरे हाथ से उसका मुँह खोला और उसमे दो ऊँगली डालकर निकालने लगी । ये सब देखकर मै तो पूरी तरह एक्साइट हो गया था ।

फिर शीतल शरारती अंदाज में बोली " इस चुत की फांक पर सिर्फ ऊँगली रगड़ी जाएगी या कोई मोटा सा लण्ड भी रगड़ा जायेगा " इतना सुनते मैंने भी लोअर निकालकर अपने लण्ड को आज़ाद किया। और मै प्राची के पास गया मुझे आता देख शीतल ने प्राची के दोनों पैर घुटनो तक मोड़ कर उन्हें अलग अलग दिशा में फैला दिया जिससे प्राची कि चुत के फाके खुल गए।

मै उसके पैरो के बिच में बैठकर अपना लण्ड उसकी प्यारी सी बुर पर रगड़ने लगा । तभी शीतल बोली" मामा ,सिर्फ रगड़ना घुसना मत "

मैंने हाँ में सर हिलाया और फिर लण्ड को उसकी चुत पर रगड़ने लगा। २० मिनट में मुझे लगा मेरा पानी निकलेगा तो मैंने शीतल को इशारे से मेरे लण्ड के पास बुलाया। वो समझ गयी और मेरे लण्ड को जोर जोर से चुसने लगी। मै उसके मुँह में ही झाड़ गया और मेरा सारा पानी शीतल पि गयी।


शीतल बोली " अब प्राची को चड्डी पहना दू "


मैं वो चड्डी उठाकर कहा " नहीं , मै खुद इसे पहना दूंगा "


शीतल सिर्फ बोली " कमीने मामा "


और वोसोने चली गयी। मै भी प्राची केबगल में सो गया। आधे घंटे बाद फिर से मेरे लण्ड ने हरकत शुरू की। इस बार मैंने प्राची को पेट के बल सुलाया और उसके गांड के सुराख़ पर लण्ड रगड़ने लगा। तभी मुझे तेल का आईडिया आया मैंने सोचा थोड़ा तेल लगा कर तरय करते है कुछ घुसेगा या नहीं।


मै उठकर हॉल में जाने लगा जहा तेल रखा होता है। तभी मुझे कुछ सिसकारि सुनाइ दी दीदी के कमरे से। मै दीदी के कमरे की तरफ गया अभी टाइम रात के ११ बज रहे थे। मै जब उनके कमरे में गया तो उनका दरवाजा खुला ही था और वो बिस्तर पर पूरी नंगी लेटी थी। वो अपने एक हाथ से अपनी एक मोटी चुची मसल रही थी और दूसररे हाथ से बुर में ऊँगली कर रही थी। मेरी तो लाटरी ही लग गयी थी।

मै अपना लोअर तो पहले ही निकाल चूका था अब मैंने अपनी टी शर्ट भी नीकाल दी। दीदी की आँखे बंद थी और उनकी उंगलिया अपना काम कर रही थी। मै उनके पास जाकर बोला " दीदी, मै कुछ मदद कर दू " दीदी ने चौकते हुए आँखे खोली। उनकी नजर मुझ पर और मेरे लम्बे मोटे लण्ड पर पड़ी उसे घूरते हुए उन्होंने कहा " नीरज तू "


मैंने कहा " हाँ दीदी मै तुम्हारी मदद कर सालता हूँ "


फिर दीदी ने हिंदी फिल्मो की तरह अपने स्तन को छुपाने वाले स्टायले में हाथ को रखा और बोली " नहीं नीरज ये सब गलत है " दीदी ने अपने दोनों हाथो को स्तनों के बीच में रखा था जिससे उनके दोनों चूचिया दोनों साइड से लटकते हुए पूरी नजर आ रही थी और दीदी तो नंगी ही थी एक हाथ जो उनकी चुत पर था उसको भी उन्होंने हटा लिया था पर अपने पैर को उन्होंने मोड़ा नहीं था बल्कि मुझे तो ऐसा लगा जैसा थोड़ा और खोल दिया है। वो मुँह से मुझे मन कर रही थी और अपने चुत और चूचियों को दिखाकर आमंत्रित कर रही थी।


उनके चूचियों के निप्पल एकदम खड़े और टाइट दिख रहे थे। इसलिए मैंने कहा चलो दीदी की बात मान ली जाए और उनका बॉडी का आमंत्रण मैंने स्वीकार करते हुए उनके पैरो के बिच में आकर बैठ गया।


मै बोला " दीदी इसमें कुछ गलत नहीं है "


दीदी " नहीं तू मेरा सागा भाई है। मै तेरे साथ ये सब कैसे कर सकती हूँ "


मै लण्ड को दीदी के चुत पर रगड़ने लगा और बोला " दीदी हम कुछ गलत नहीं करेंगे मै सिर्फ ऊपर से ही रगड़ दूंगा उससे कुछ गलत थोड़े ही होगा "


मेरे लण्ड का रगड़ उन्हें बहुत अच्छा लगा , वोभी जयादा नखरा न करते हुए बोली " हाँ ऊपर से रगड़ने से कुछ नहीं होगा " मै एक हाथ से लण्ड पकड़कर उनके चुत पर रगड़ने लगा फिर मैंने कहा " दीदी अगर तुम बुरा ना मानो तो मै आपके चूचियों को थोड़ा हाथो से छू लू "


दीदी " है इन्हे छू सकते हो इससे तो कुछ नहीं होगा "

फिर मै एक हाथ से उनके एक चुची मसल रहा था और दूसरे हाथ से लण्ड पकड़कर उनकी बुर। मुझे और दीदी को बहुत मजा आ रहा। मैंने बरी बरी से उनके दोनों चूचियों को मसाला। फिर मैंने कहा "दीदी, दोनों हाथो से चूचियों को मसलने में बहुत मजा आएगा मै लण्ड को चुत के ऊपर रख कर उससे रगता हूँ और दोनों सठो से चूचियों को रगड़ता हु "


दीदी तो मेरी बात में हाँ करने ही वाली थी और कर भी दी। फिर मै लण्ड को उनके चुत के फाको के बिच में रखकर रगड़ने लगा आगे पीछे होकर मेरा लण्ड चुत के ऊपर से लेकर निचे तक रगड़ रहा था। धीरे धीरे दीदी भी हरकत में आयी और वो भी अपनी गांड उठा उठा कर चुत पर लण्ड रगड़वाने लगी और मै दोनों हाथो से उनके दोनों स्तनों को मसल रहा था।


तभी मेरे और दीदी के स्पीड का ताल मेल बिगड़ गया जब मै निचे से ऊपर की ओर रगड़ने गया तब दीदी ने अपने आपको को ऊपर से निचे किया जिसका नतीजा ये निकला की मेरा लण्ड जब उनके चुत के छेद के पास पंहुचा तो वो उसमे थोड़ा समा गया क्युकी मै उसे ऊपर कर रहा था और दीदी का दबाव निचे था और उनकी चुत एकदम गीली थी । इस तालमेल में गड़बड़ी के चलते मेरे लण्ड का टोपा उनकी चुत में घुस चूका था।


दीदी बोली " नीरज ये क्या हुआ "


मैंने कहा " दीदी देखता हूँ मै कितना घुसा है थोड़ा घुसाने से कुछ नहीं होगा "मै दीदी के ऊपर झुका हुआ था। मै इस तरह उठा की मैंने लण्ड का दबाव और उनकी चुत में डाला जिससे एक इंच और लण्ड अंदर घुस गया। मैंने कहा दीदी "सिर्फ आगे का थोड़ा सा घुसा है दीदी "


दीदी बोली " ठीक है,उसे निकाल लो और अंदर मत डालना "





मै " ठीक है, दीदी मै निकाल लेता हूँ .............. दीदी एक बात बोलू " मै बिना लण्ड निकाले ही पूछा।


दीदी " हाँ बोल ना "


मै " दीदी , मुझे बहुत मजा आया .......... क्या जितना घुसा है मै उतना ही अंदर बाहर कर लू "


दीदी " वैसे थोड़ा तो घुस ही गया है................. तो तू उतना ही अंदर बाहर करना "


मै बोला "ठीक है दीदी " और फिर उनके चुत से अपने लण्ड को पूरा निकाला और उनके चुत में पेल दिया इस बार मैंने उनके चुत में ४ इंच तक लण्ड पेल दिया है। दीदी भी जानती थी की मेरा आधे से ज्यादा लण्ड वो ले चुकी है चुत में .....वो तो खुद भी मजे ही ले रही थी।


दीदी सिर्फ आँखे बंद कर के मजे ले रही थी। मैंने फिर से वही काम किया लण्ड पूरा निकाला और झटका मारा लण्ड एक इंच और अंदर गया अब मेरे ७ इंच के लण्ड का ५ इंच का हिस्सा दीदी की बुर में था। इस बार दीदी को थोड़ा दर्द हुआ। वो बोली " नीरज , लगता है पहले से थोड़ा ज्यादा घुस गया है "

मैंने कहा " देखता हु दीदी " फिर मैंने ऐसे ही देखते हुए कहा " हाँ दीदी पहले से थोड़ा ज्यादा घुस गया है .............अब क्या करू मै "


दीदी बोली " जितना घुसा है उतना ही अंदर बाहर करना और अंदर मत घुसाना। "


मैंने कहा " ठीक है दीदी "





मैंने फिर दीदी से एक सेक्सी आग्रह किया। मैंने उनसे पूछा " दीदी क्या में आपके होठो को चुम सकता हूँ जब मैं अंदर बाहर करू "


दीदी बोली " जब इतना सब हो गया है तो चुम भी सकते हो मेरे प्यारे भाई "


मैंने उनकी समाती मिलते ही उनके ऊपर लेट गया और उनके होठो को किस करने लगा वो भी मेरा साथ देने लगी। यहाँ मैंने किसिंग के साथ साथ कमर भी हिलना शुरू कर दिया था मेरे हर झटके के साथ लण्ड थोड़ा और गहराई में उतर जाता था। १० मिनट तक मैंने दीदी को किस किया था उतना समय काफी था मेरे पुरे लण्ड को उनके बुर में घुसने के लिए। जब मैंने उनके होठो को छोड़ा तब मै अपने ७ इंच के पुरे लण्ड से उनकी चुदाई कर रहा था और दीदी भी आँखे बंद करके मेरा साथ दे रही थी। दीदी भी अपने चुत्तड़ो को उठा उठा कर मेरा साथ दे रही थी।


मैंने बाद में उन्हें कहा की " दीदी गड़बड़ हो गयी मेरा तो पूरा ही अंदर चला गया "


दीदी बोली " आह्ह्ह्हह्ह.............. चल जो हो गया..............आह्ह्ह्हह्ह............. सो हो गया ......आह्ह्ह्हह्ह..................अब क्या कर सकते है................आह्ह्ह्हह्ह.................... तू पूरा ही घुसा कर ......आह्ह्ह्हह्ह............. अंदर बाहर कर "

बस फिर क्या था मैंने भी अपनी राजधानी दौड़ानी शुरू कर दी और अगले २० मीनल की चुदाई के बाद अपना माल दीदी के बुर में छोड़ दिया। फिर मै उठा और दीदी को गुड नाईट बोलकर अपना टी शर्ट उठाया और कमरे से निकल गया। दीदी को भी चुदाई की इतनी शांति मिली थी की उन्होंने मुझसे ये भी नहीं पूछा की मैंने लोअर कहां निकली है।

मै जब वापस कमरे आया तो मुझे बिस्तर पर प्राची कि नंगी चिकनी गांड दिख रही थी। मैंने उसके गांड पर हाथ फेरते हुए कहा " प्राची तेरी गांड फिर कभी चुदेगी कल तेरे माँ की गांड चुदेगी " ये बोलकर मैंने उसे चड्डी पहना दी और अपना लोअर भी पहन लिया और सो गया। आज का दिन मेरे लिए बहुत खास हो गया था क्युकी आज ही के दिन मैंने तीन पीढ़िया(जनरेशन ) चोद ली थी। मेरी माँ , उनकी बेटी (मेरी बहन-सिमा ) और उनकी बेटी की बेटी ( मेरी भांजी - शीतल )
 

Rahuljarvis

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Bhai kahani bahut aachi hai par maa ko kub chodo ekdum sadakchap rand ki tarah aur maa ko bhi ekdum chudasi dikao jo apne bete ke lund ke liye kuch bhi kare aur chudai ke time gandi gandi bataein aur gali galoch karo to aur maja ayega
 
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