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Incest खाला और अम्मी की चुदा‌ई (Completed)

shakirali

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नज़ीर ने अम्बरीन खाला के दोनों मम्मों को चूस-चूस कर बिल्कुल गीला कर दिया था। फिर उस ने अम्बरीन खाला को सलवार उतारने को कहा। उन्होंने अपनी सलवार का नाड़ा खोला और उसे उतार दिया। उन्होंने नीचे पैंटी नहीं पहनी हु‌ई थी और अब अम्बरीन खाला भी अलिफ नंगी थीं। बस उनके पैरों में ऊँची हील वाले सैंडल मौजूद थे जो हकीकत में उनके नंगे हुस्न में चार चाँद लगा रहे थे। मुझे उनकी चूत नज़र आयी जो बिल्कुल साफ़ और गोरी-चिट्टी थी और झाँटों के नाम पे एक रेशा भी नहीं था। नज़ीर ने उनकी नंगी चूत पर अपना हाथ फेरा। क‌ई दफ़ा उनकी चूत को सहलाने के बाद उसने उन्हें बेड की तरफ धकेल दिया। जब वो बेड पर लेट गयीं तो नज़ीर उनसे फिर लिपट गया और उनके पूरे जिस्म पर हाथ फेरने लगा। उसने उनकी कमर, चूतड़ों और रानों को मुठियों में भर कर टटोला। फिर उनकी मज़बूत टाँगें खोल कर उनकी फुली हु‌ई गोरी चूत पर अपना मुँह रख दिया।

मैंने देखा के वो अपनी ज़ुबान अम्बरीन खाला की चूत पर फेर रहा था। उसने दोनों हाथ नीचे कर के उनके चूतड़ों को पकड़ लिया और उनकी चूत को चाटने लगा। अम्बरीन खाला क़ाबू से बाहर हो रही थीं और उनके मोटे चूतड़ बार-बार अकड़ कर उछल जाते थे। वो शायद नज़ीर के जिस्म को हाथ नहीं लगाना चाहती थीं इसलिये उन्होंने अपने हाथ सर से पीछे बेड पर रखे हु‌ए थे। नज़ीर ने उनकी चूत से मुँह उठाया और कहा – “चुदक्कड राँड तेरा भोंसड़ा मारूँ! अभी खल्लास ना हो जाना। मेरा लंड अपनी चूत में लेकर खलास होना।“ अम्बरीन खाला शर्मिंदा हो गयीं और उनके होंठों से सिसकरी निकल गयी। वो शायद ये छुपाना चाहती थीं के अपनी चूत पर नज़ीर की फिरती हु‌ई ज़ुबान उन्हें मज़ा दे रही थी। मगर वो इंसान थीं और मैं देख सकता था कि मज़ा तो उन्हें बरहाल आ ही रहा था।
 
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इसी तरह कुछ देर उनकी चूत चाटने के बाद नज़ीर सीधा लेट गया और अम्बरीन खाला से कहा के वो उस का लंड चूसें। उसका मोटा लंड किसी डंडे की तरह सीधा खड़ा हु‌आ था। अम्बरीन खाला अपना चेहरा उसके लंड के करीब ले गयीं लेकिन फिर नाक सिकोड़ते हु‌ए चेहरा दूर हटा लिया और लंड चूसने से इंकार कर दिया तो नज़ीर बोला – “क्यों, अपने शौहर का तो मज़े से चूसती होगी। मेरे लंड में कांटे लगे हैं क्या?” खाला कुछ नहीं बोली तो नज़ीर हंस कर बोला – “तुझे तो को‌ई मसला नहीं होना चाहिये लंड चूसने में! मुझे पता है तेरी जैसी अमीर औरतें खूब मज़े से लंड चूसती हैं!” अम्बरीन खाला ने कहा की उसका लंड बहुत बदबूदार है तो वो बोला – “साली रंडी नखरे करती है...!” फिर गुस्से से मुझे वोड्का की बोतल लाने को कहा। मैंने उसे बोतल दी तो अपने लंड पर वोडका डाल कर भिगोते हु‌ए बोला – “ले कुत्तिया... धो दिया इसे शराब से... शराब की महक तो बदबू नहीं लगती ना तुझे पियक्कड़ी कुत्तिया!” अम्बरीन खाला ने को‌ई चारा ना देख उसका लंड अपने मुँह में ले लिया और उसे चूसने लगीं। उन्हें इतने मोटे लंड को मुँह के अंदर कर के चूसने में शायद दुश्वारी हो रही थी। उनके दाँत शायद नज़ीर के लंड को चुभ रहे थे जिस पर उसने उन्हें कहा वो उस के लंड पर ज़ुबान फेरें, दाँत ना लगायें। वो उस का लंड आहिस्ता-आहिस्ता चूसती रहीं। अम्बरीन खाला को लंड चूसते देख कर लग रहा था जैसे उन्हें अस्ब बुरा नहीं लग रहा था बल्कि मज़ा आ रहा था।

लेकिन जब दोबारा अम्बरीन खाला ने उसके लंड ओ दाँत लगाये तो नज़ीर ने नीचे से उनका एक मम्मा हाथ में पकड़ कर ज़ोर से दबा दिया। खाला मबरीन ने तेज़ सिसकी ली। नज़ीर ने कहा कि – “तू अगर अपने दाँत से मेरे लंड को दुखायेगी तो मैं तेरे मम्मे को दुखा‌उँगा।“ इसके बाद हैरत-अंगेज़ तौर पर अम्बरीन खाला नज़ीर का लंड बड़ी एहतियात और सलीके से चूसने लगीं। नज़ीर ने अपनी टाँगें फैला दीं और खाला उसके लंड को हाथ में लेकर मस्ती से चूसती रहीं। मुझे उनके मम्मे दिखा‌ई दे रहे थे जिन्हे नज़ीर एक हाथ में पकड़ कर मुसलसल मसल रहा था।
 
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यह सिलसिला देर तक चलता रहा। फिर नज़ीर ने अम्बरीन खाला को पीठ के बल लिटा दिया और खुद उनके ऊपर आ गया। उसने अपना लंड हाथ में ले कर उसे खाला की रानों के बीच फिराया। शायद वो लंड से टटोल कर अपना निशाना ढूंढ रहा था। उसे कामयाबी भी मिली। जब उसने अपने कूल्हों को आगे धकेल कर अपने लंड का अगला हिस्सा अम्बरीन खाला की चूत में घुसाया तो उनके मुँह से एक सिसकारी निकल गयी। मेरे दिल की धडकनें तेज़ हो गयी। नज़ीर ने कहा कि – “तेरी चूत तो बड़ी टा‌इट है बहनचोद!” और उनके होठों पर अपना मुँह रख दिया। कुछ लम्हो तक वो ऐसे ही रुका रहा और फिर उसने अचानक उनकी चूत में पूरी ताक़त से घस्सा मारा। उसका अकड़ा हु‌आ लंड अम्बरीन खाला की चूत को चीरता हु‌आ पूरा अंदर चला गया। अम्बरीन खाला ने ज़ोर से “आ‌आ‌आ‌ई‌ई‌ई‌ई॥।“ कहा और उनका पूरा जिस्म लरज़ उठा। नजीर ने फौरन ही तावातुर के साथ उनकी चूत में घस्से मारने शुरू किये। कुछ देर बाद तो वो अम्बरीन खाला को बड़ी महारत से चोदने लगा। उसके मोटे लंड ने अम्बरीन खाला की चूत को फैला दिया था और जब घस्सों के दौरान वो अपना लंड उनके अंदर करता तो उनकी चूत जैसे चिर जाती।

हर घस्से के साथ नज़ीर के भारी टट्टे अम्बरीन खाला की गाँड के सुराख से टकराते। अम्बरीन खाला की टाँगें नज़ीर की कमर के दोनों तरफ थीं और उनके सैंडल पहने पांव मेरी जानिब थे। उनकी चूत से पानी निकल रहा था और उसके आसपास का सारा हिस्सा अच्छा-खासा गीला हो चुका था। चूत देते हु‌ए उन के मुँह से मुसलसल “ऊँऊँऊँहह... ओह‌ओह‌ओह...ऊँऊँऊँ!” की आवाज़ें निकल रही थीं। उनकी आँखें बंद थीं। अम्बरीन खाला की चूत में बड़े ज़ोरदार और ताबड़तोड़ घस्से मारते हु‌ए नज़ीर ने अपने दोनों हाथों में उनके हिलते हु‌ए मम्मे दबोच लिये और अपने घस्सों की रफ़्तार और भी बढ़ा दी। अम्बरीन खाला ने अपनी आँखें खोल कर नज़ीर की तरफ अजीब तरह की कशिश भरी नज़र से देखा। उनका मुँह लाल सुर्ख हो रहा था। ज़ाहिर है कि उन्हें चुदा‌ई में बे‌इंतेहा मज़ा आ रहा था।
 
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अचानक अम्बरीन खाला ने अच्छी खासी तेज़ आवाज़ में “आ‌आ‌ऊ‌ऊ.. आ‌आहहह ... आ‌आ‌आ‌ऊँऊँ.... आ‌आहहह!” करना शुरू कर दिया। वो अपने भारी चूतड़ों को ऊपर उठा कर नज़ीर के घस्सों का जवाब देने लगी थीं और उनके मोटे ताज़े चूतड़ों की हर्कत में तेज़ी आती जा रही थी। नज़ीर समझ गया कि अम्बरीन खाला खल्लास होने वाली हैं। वो उन्हें चोदते हु‌ए कहता रहा कि – “चल अब निकाल अपनी चूत का पानी मेरी जान.. शाबाश निकाल... हाँ हाँ... ठीक है छूट जा... छूट जा... चल मेरी कुत्ती खल्लास हो जा... तेरा फुद्दा मारूँ... ये ले... ये ले!”

को‌ई एक मिनट बाद अम्बरीन खाला के जिस्म को ज़बरदस्त झटके लगने लगे और वो खल्लास हो गयीं। मुझे नीचे से उनकी चूत में घुसा हु‌आ नज़ीर का लंड नज़र आ रहा था। जब वो छूटने लगीं तो उनकी चूत से और ज़्यादा गाढ़ा पानी निकला जो उनकी गाँड के सुराख के तरफ़ बहने लगा। अम्बरीन खाला ने अपने होंठ सख्ती से बंद कर लिये और उनका जिस्म ऐंठ गया। मैं समझ गया कि खल्लास हो कर उन्हें बेहद मज़ा आया था।

अम्बरीन खाला के खल्लास हो जाने के बाद भी नज़ीर इसी तरह उनकी चूत में घस्से मारता रहा। अभी कुछ ही देर गुज़री थी कि अम्बरीन खाला ने बेड की चादर को अपनी दोनों मुठ्ठियों में पकड़ लिया और फिर अपने हील वाले सैंडल गद्दे में गड़ा कर निहायत तेज़ी से अपने चूतड़ों को ऊपर-नीचे हरकत देने लगीं। ये देख कर नज़ीर ने उनकी चूत में अपने घस्सों की रफ़्तार कम कर दी। जब उसने घस्से मारने तकरीबन रोक ही दिये तो अम्बरीन खाला खुद नीचे से काफी ज़ोरदार घस्से मारने लगीं। वो एक बार फिर खल्लास हो रही थीं और चाहती थीं कि नज़ीर उनकी चूत में घस्से मारना बंद ना करे। वो बिल्कुल पागलों की तरह नज़ीर के लंड पर अपनी चूत को आगे पीछे कर रही थीं।
 

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नज़ीर ने अब उनका मम्मा हाथ में ले लिया। अम्बरीन खाला ने अपना एक हाथ नज़ीर के हाथ पर रखा जिसमें उनका मम्मा दबा हु‌आ था और दूसरा हाथ अपने पेट पर ले आयीं। फिर उनके जिस्म ने तीन-चार झटके लिये और वो दोबारा खल्लास होने लगीं। चंद लम्हों तक वो इसी हालत में रहीं। नज़ीर ने उनके मम्मे पर ज़ुबान फेरी और पूछा कि क्या उन्हें चुदने में मज़ा आया। अम्बरीन खाला की साँसें बे-रब्त और उखड़ी हु‌ई थीं। वो चुप रहीं पर उनके चेहरे के तासुरात से साफ ज़ाहिर था कि उन्हें बेहद मज़ा मिला था।

कुछ देर बाद नज़ीर ने अपना लंड उनकी चूत से बाहर निकाल लिया। मैंने देखा कि अम्बरीन खाला की चूत से निकलने वाला गाढ़ा पानी नज़ीर के लंड पर लगा हु‌आ था और वो रोशनी में चमक रहा था। फिर वो बेड पर लेट गया और अम्बरीन खाला को बोला – “चल, अब तू मेरे लंड पर बैठ!” खाला अपने मोटे मम्मे हिलाते हु‌ए उठ गयीं। उन्होंने उसके ऊपर आ कर लंड को हाथ में पकड़ा और उस पर बैठने लगीं तो उनकी नज़रें मुझ से मिलीं। मैंने महसूस किया के ये नज़रें पहली वाली अम्बरीन खाला की नहीं थीं। आज के वहशत-नाक तजुर्बे ने मेरे और उनके दरमियाँ एक नया ताल्लुक़ कायम कर दिया था। शायद अब हम पहले वाले खाला-भांजे नहीं बन सकते थे। खैर अम्बरीन खाला ने नज़ीर के लंड पर अपनी फुद्दी रख दी और उस का लंड अपने अंदर ले लिया। नजीर ने अम्बरीन खाला की कमर से पकड़ कर अपने ऊपर झुकाया और अपनी मज़बूत रानों को उठा-उठा कर उनकी फुद्दी में घस्से मारने लगा। अम्बरीन खाला की गोल गदरायी गाँड अब मेरी तरफ थी।

नज़ीर की रानें बड़ी वर्ज़िशी और ताक़तवर थीं। वो अम्बरीन खाला की चूत में नीचे से पुरजोर घस्से मार रहा था। फिर उस ने उनके चूतड़ों को दोनों हाथों से गिरफ्त में ले लिया और उन्हें पूरी तरह क़ाबू में कर के चोदने लगा। उस के हलक़ से अजीब आवाज़ें निकल रही थीं। अम्बरीन खाला बड़ी खूबसूरत औरत थीं। मुझे यक़ीन था के नज़ीर ने कभी उन जैसी हसीन औरत को नहीं चोदा होगा। उसके घस्से अब बहुत शदीद हो गये थे और उस के चेहरे के नक्श बिगड़ गये थे। वो अब शायद झड़ने वाला था।
 

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नजीर ने अम्बरीन खाला को अपने लंड से नीचे उतारा और उन्हें दोबारा कमर के बल लिटा कर वो उनके ऊपर सवार हो गया। उसने उनकी चूत में अपना लंड घुसाया और फिर से धु‌आंधार चुदा‌ई शुरू कर दी। अब उसके घस्से बहुत तेज़ हो गये थे और वो बड़ी बे-रहमी से उनकी चूत ले रहा था। हर घस्से के साथ उस के चूतड़ों के पठ्ठे अकड़ते और फैलते थे। उसने अम्बरीन खाला के कन्धों को कस के पकड़ रखा था और उसका लंड तेज़ी से उनकी चूत के अंदर बाहर हो रहा था। को‌ई एक मिनट के बाद नज़ीर किसी पागल भैंसे की तरह डकारने लगा। उसका जिस्म अकड़ा और वो अम्बरीन खाला की चूत में खल्लास होने लगा।

इस दफा अम्बरीन खाला पहले तो उसके घस्सों का जवाब नहीं देर रही थीं मगर जब उसकी मनि उनकी चूत के अंदर जाने लगी तो वो खुद पर काबू ना रख सकीं और फिर से उसका साथ देने लगीं। नज़ीर ने अपनी मनि उनकी चूत के अंदर छोड़ दी। मुझे उनके चूतड़ों की हर्कत से लगा कि अम्बरीन खाला भी एक दफा फिर खल्लास हु‌ई थीं।

थोड़ी देर बाद वो अम्बरीन खाला के ऊपर से हटा और बेड से उतर गया। अम्बरीन खाला ने भी अपने कपड़े उठाये और बाथरूम की जानिब चल पड़ीं। उनकी ब्रा वहीं बेड पर रह गयी। नज़ीर ने उनकी ब्रा उठायी और उस से अपने लंड को साफ़ किया। फिर ब्रा उनकी तरफ फैंक दी लेकिन खाला रुकी नहीं और बाथरूम में चली गयीं। मेरा खून खौल गया।

नज़ीर भी कपड़े पहनने लगा। कुछ देर बाद अम्बरीन खाला बाथरूम से बाहर आयीं तो उन्होंने सिर्फ कमीज़ पहनी हु‌ई थी लेकिन सलवार नहीं पहनी थी। उनकी कमीज़ ने उनका जिस्म घुटनों तक ढका हु‌आ था। बाहर आकर अपनी ब्रा एक चुटकी में उठा कर सा‌इड पर रख दी। नज़ीर ने हंस कर उनसे कहा – “अभी तो तुम्हारी चूत ने मेरे लंड की सारी मनि निचोड़ कर पी है और तुम अब भी नखरे कर रही हो।” फिर मेरी तरफ देख कर वो कहने लगा – “यार, तुम्हारी खाला की चूत वाक़य मस्त है। इसे चोद कर बड़ा मज़ा आया। तुम ठीक ही इस कुत्तिया पर गरम थे क्योंकि ये तो माल ही चोदने वाला है। यह बता‌ओ के तुम लोग कब तक यहाँ हो?”

मैं बेवकूफों की तरह खड़ा उसकी बातें सुन रहा था। लेकिन मेरे ज़हन में चुँकि अम्बरीन खाला की ज़बरदस्त चुदा‌ई के मंज़र घूम रहे थे इसलिये मैं उसे फौरन को‌ई जवाब नहीं दे सका। इस पर वो बोला – “मुँह से कुछ फूटो ना गाँडू तेरी माँ को चोदूँ। चूतिये की तरह चुप क्यों खड़े हो।” मैंने कहा – “हम कल वापस चले जायेंगे।” वो बोला – “मैं कल तुम्हारी अम्मी यास्मीन से मिलना चाहता हूँ। उसकी तो गाँड भी मार कर दिखा‌ऊँगा तुम्हें। अगर तुम अपनी अम्मी के दल्ले बनना क़बूल करो तो मैं तुम्हें भी मज़े करवा सकता हूँ।”
 

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मैं पिछले दो घंटे से ज़िल्लत बर्दाश्त कर रहा था। नज़ीर की मारपीट, गालियों और तंज़िया बातों ने मुझे इंतेहा‌ई मुश्तैल कर दिया था। मेरे सामने उसने ज़बरदस्ती अम्बरीन खाला की चूत ली थी। जब उसने मुझे अम्मी का दलाल बनने की बात कही तो मैं होश-ओ-हवास खो बैठा और मेरे खौफ पर गुस्सा ग़ालिब हो गया। मैंने आव देखा ना ताव और सामने मेज़ पर रखा हु‌आ शीशे का जग उठाया और पूरी ताक़त से उस के मनहूस सर पर दे मारा। जग का निचला मोटा हिस्सा नज़ीर के सर से टकराया। अम्बरीन खाला के मुँह से हल्की सी चीख निकल गयी। नज़ीर किसी मुर्दा छिपकली की तरह फ़रश पर गिरा और उस के सर से खून बहने लगा।

मैंने फौरन उसका मोबा‌इल फोन और चाक़ू उठाये और फिर उसके मुँह पर एक ज़ोरदार लात रसीद की। नज़ीर के मुँह से ‘गूं-गूं’ की आवाज़ बरामद हु‌ई और उस ने अपना सर अपने सीने पर झुका लिया। मैंने चाक़ू खोला तो अम्बरीन खाला ने मुझे रोक दिया और कहा कि इस कुत्ते को यहाँ से दफ़ा हो जाने दो। उन्होंने नज़ीर से कहा के वो चला जाये वरना मैं उसे मार डालुँगा। वो मुझ से कहीं ज्यादा ताक़तवर था लेकिन शायद सर की चोट ने उसे हवास-बाख़ता कर दिया था। मेरे हाथ में चाक़ू और आँखों में खून उतरा देख कर उसने इसी में कैफियत जानी कि वहाँ से चला जाये। वो कराहता हु‌आ उठा और अपने सर के ज़ख़्म पर हाथ रख कर कमरे से निकल गया।

मैंने उसके मोबा‌इल से अपनी और अम्बरीन खाला की तस्वीर मिटा दी और फिर उस की सिम निकाल ली। अब वो हरामी हमें ब्लैकमेल नहीं कर सकता था। मुझे अफ़सोस हु‌आ के मैंने अम्बरीन खाला के चुदने से पहले ये हिम्मत क्यों नहीं की। लेकिन वो खुश थीं। उन्होंने मुझे शाबाशी दी और कहा के मैंने बड़ी बहादुरी दिखा‌ई। मैंने कहा कि – “ये सब कुछ मेरी वजह से ही हु‌आ है जिसके लिये मैं बहुत शर्मिंदा हूँ।” वो कहने लगीं कि – “बस अब किसी को इस बात का पता ना चले और जो हु‌आ वो सिर्फ़ हम दोनों तक ही रहना चाहिये।” मैंने कहा – “मैं पागल थोड़े ही हूँ जो किसी को बता‌ऊँगा।“
 

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मैं हैरान था कि मैंने उनके साथ इतनी बुरी हरकत की जिसका नतीजा बड़ा खौफनाक निकला था मगर उन्होंने मुझे कुछ नहीं कहा। मैंने बाहर निकल कर इधर-उधर नज़र दौड़ा‌ई लेकिन नज़ीर का को‌ई पता नहीं था। मैं वापस कमरे में आ गया। फिर अम्बरीन खाला ने मुझे एक गिलास में थोड़ी शराब और सेवन-अप डालने को कहा। इस दफा मैंने थोड़ी सी ही वोडका गिलास में डाल कर उसमे सेवन-अप भर के उन्हें दी। उसके बाद हम सोने के लिये लेट गये।

अगली सुबह मैंने होटल की रिसेप्शनिस्ट से पूछा के मुझ से रात को होटल का एक छोटे से क़द का मुलाज़िम दवा लाने के लिये पैसे ले गया था मगर वो वापस नहीं आया। उस ने माज़रात की और बताया कि – “उसका नाम नज़ीर था और वो रात को काम छोड़ कर भाग गया। था तो वो पंजाब का मगर सारी उम्र कराची में रहा था। शायद वहीं चला गया हो। मैंने राहत की साँस ली।“

शादी की तक़रीब में मेरा और अम्बरीन खाला का आमना सामना नहीं हु‌आ। हम उसी दिन बारात ले कर लाहोर रवाना हु‌ए। वापसी पर मैं अब्बू की कार में बैठा और अम्बरीन खाला से को‌ई बात ना हो सकी। रास्ते में हम लोग भेरा इंटरचेंज पर रुके तो वो मुझे मिलीं और कहा कि मैं कल स्कूल से छुट्टी करूँ और उनके घर आ‌ऊँ लेकिन इसका ज़िक्र अम्मी से ना करूँ। मैंने हामी भर ली। उनके चेहरे पर को‌ई परेशानी के आसार नहीं थे। वो अच्छे मज़बूत आसाब की औरत साबित हु‌ई थीं वरना इतना बड़ा वाक़्या हो जाने के बाद किसी के लिये भी नॉर्मल रहना मुश्किल था। लेकिन शायद उन्हें इस वाक़िये को सब से छुपाना था और इस के लिये ज़रूरी था के वो अपने आप पर क़ाबू रखें। जब उन्होंने मुझे अपने घर आने का कहा तो में डरा भी कि ऐसा ना हो अम्बरीन खाला अब मेरी हरकत पर गुस्से का इज़हार करें। लेकिन अगर वो ऐसा करतीं भी तो इसमें हक़-बा-जानिब होतीं। मैंने सोचा अब जो होगा कल देखा जायेगा।

रात को मैं सोने के लिये लेटा तो मेरे ज़हन में हलचल मची हु‌ई थी। अम्बरीन खाला के साथ नज़ीर ने जो कुछ किया उसने मुझे हिला कर रख दिया था और मैं जैसे एक ही रात में ना-उम्र लड़के से एक तजुर्बेकार मर्द बन गया था। बाज़ तजुर्बात इंसान को वक़्त से पहले ही बड़ा कर देते हैं। अम्बरीन खाला वाला वाक़्या भी मेरे लिये कुछ ऐसा ही था। मुझे भी अब दुनिया बड़ी मुख्तलीफ़ नज़र आने लगी थी।
 

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उस रात जब होटल में नज़ीर अम्बरीन खाला को चोद रहा था तो मैंने एहद की थी के अब मैं अपने ज़हन में खाला के बारे में को‌ई गलत खयाल नहीं आने दुँगा। मैं इस एहद पर कायम रहना चाहता था। मैंने बहुत ब्लू फिल्में देखी थीं लेकिन नज़ीर को खाला की चूत लेते हु‌ए देखना एक नया ही तजुर्बा था जिसने मुझे बहुत कुछ सिखाया था। अब अगर में किसी औरत को चोदता तो शायद मुझे को‌ई ज्यादा मुश्किल पेश ना आती। सब से बढ़ कर ये के नज़ीर ने जिस नंगे अंदाज़ में मेरी अम्मी का ज़िक्र किया था उसने मुझे अम्मी के बारे में एक बिल्कुल मुख्तलीफ़ अंदाज़ में सोचने पर मजबूर कर दिया था।

ये तो मैं जानता था कि अम्मी भी अम्बरीन खाला की तरह एक खूबसूरत औरत थीं लेकिन मैंने हमेशा उनके बारे में इस तरह सोचने से गुरेज़ किया था। आख़िर वो मेरी अम्मी थीं और मैं उन पर बुरी नज़र नहीं डाल सकता था। लेकिन ये भी सच था के अम्मी और अम्बरीन खाला में जिस्मानी तौर से को‌ई ऐसा ख़ास फ़र्क़ नहीं था। बल्कि अम्मी अम्बरीन खाला से थोड़ी बेहतर ही थीं। उनकी उम्र चालीस साल थी और वो भी बहुत गदराये और सुडौल जिस्म की मालिक थीं। उनका जिस्म बड़ा कसा हु‌आ था। इस उम्र में औरतें जिस्मानी तौर पर भारी हो जाती हैं और उनका गोश्त लटक जाता है लेकिन अम्मी का जिस्म कसरत करने की वजह से सुडौल होने के साथ-साथ बड़ा कसा हु‌आ भी था। अम्मी के मम्मे मोटे और बड़े-बड़े गोल उभारों वाले थे जो अम्बरीन खाला के मम्मों से भी एक-आध इंच बड़े ही होंगे। वैसे तो अम्मी भी फ़ैशनेबल और मॉडर्न ख्यालात की थीं और घर पे और बाहर पार्टियों वगैरह में शराब भी पीती थीं लेकिन अम्बरीन खाला की तरह उनकी कमीज़ों के गले ज्यादा गहरे नहीं होते थे। हम भा‌ई-बहनों की मौजूदगी में भी काफी एहतियात से अपने सीने को दुपट्टे ढक कर रखती थीं। इसलिये उनके साथ रहने के बावजूद मुझे उनके नंगे मम्मे देखने का इत्तफाक़ कम ही हु‌आ था।

वैसे मैंने उनके बाथरूम में बहुत मर्तबा उनके सफ़ेद, काले, लाल गुलाबी रंग के ब्रेसियर देखे थे जो काफी डिज़ायनर किस्म के होते थे। उसी तरह उनकी पैंटियाँ भी रेग्यूलर पैंटियों कि बजाय जी-स्ट्रिंग वाली होती थीं। जब में बारह साल का था तब मैंने उनके जिस्म का ऊपरी हिस्सा नंगा देखा था। एक दिन मैं अचानक ही बेडरूम में दाखिल हो गया था जहाँ अम्मी कपड़े बदल रही थीं। उन्होंने सलवार पहनी हु‌ई थी मगर ऊपर से बिल्कुल नंगी थीं। उनके हाथ में एक काले रंग की झालर वाली ब्रा थी जिसे वो उलट-पुलट कर देख रही थीं। शायद वो उस ब्रा को पहनने वाली थीं।
 

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मेरी नज़र उनके गुदाज़ मम्मों पर पड़ी जो उनके हाथों की हरकत की वजह से आहिस्ता-आहिस्ता हिल रहे थे। मुझे देख कर उन्होंने फौरन अपनी पुश्त मेरी तरफ कर ली और कहा कि – “मैं कपड़े बदल रही हूँ।“ मैं फौरन उल्टे क़दमों बेडरूम से बाहर आ गया। अम्मी की गाँड काफी टा‌ईट और फूली हु‌ई थी। अम्मी को भी खाला की तरह ऊँची हील के सैंडल-चप्पल पहनने की आदत थी जिससे अम्मी की गाँड और ज्यादा दिलकश लगती थी। उनकी कमर हैरत-अंगैज़ तौर पर पतली थी और ये बात उनके जिस्म को गैर-मामूली तौर पर पुर-कशिश बनाती थी।

मुझे अचानक एहसास हु‌आ के अम्मी के बारे में सोचते हु‌ए मेरा लंड खड़ा हो गया है। मैंने फौरन अपने ज़हन से इन गंदे ख़यालात को झटक दिया और सोने की कोशिश करने लगा। मुझे अगले दिन अम्बरीन खाला ने घर बुलाया था मगर मैं निदामत और खौफ की वजह से अभी उनका सामना नहीं करना चाहता था। मैंने सुबह स्कूल जाने से पहले उन्हें फोन कर के बताया के स्कूल में मेरा टेस्ट है और मैं आज उनके घर नहीं आ सकता।

स्कूल में मुझे अम्बरीन खाला का बेटा राशिद मिला। वो भी दसवीं में ही पढ़ता था मगर उस का सेक्शन दूसरा था। उससे मिल कर मेरा एहसास-ए-जुर्म और भी बढ़ गया। वो मेरा कज़िन भी था और दोस्त भी लेकिन मैंने उसकी अम्मी को चोदने की कोशिश की थी। मेरी इस ज़लील हरकत की वजह से ही नज़ीर जैसा घटिया आदमी उसकी अम्मी की चूत हासिल करने में कामयाब हु‌आ था। खैर अब जो होना था हो चुका था।

उस दिन मेरी ज़हनी हालत ठीक नहीं थी लिहाज़ा मैंने आधी छुट्टी में ही घर जाने का फ़ैसला किया। हम दसवीं के लड़के सब से सीनियर थे और हमें स्कूल से निकलने में को‌ई मसला नहीं होता था। मैं खामोशी से स्कूल से निकल कर घर की तरफ चल पड़ा। घर पुहँच कर मैंने बेल बजायी मगर काफ़ी देर तक किसी ने दरवाज़ा नहीं खोला। तक़रीबन साढ़े-ग्यारह का वक़्त था और उस वक़्त घर में सिर्फ अम्मी होती थीं। अब्बू प्रा‌इवेट कम्पनी में जनरल मनेजर थे और उनकी वापसी शाम सात-आठ बजे होती थी। मेरे छोटे बहन-भा‌ई तीन बजे स्कूल से आते थे। खैर को‌ई छः-सात मिनट के बाद अम्मी के सैंडलों की खटखटाहट सुनायी दी और उन्होंने दरवाज़ा खोला तो में अंदर गया।
 
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