ट्रेन के सीट पर बैठा अपना हीरो सौरभ बैठे बैठे ही अपनी सीट पर सो गया था. काफी लंबा सफर तय करके वो अपने घर वापस जा रहा था. 10 घंटे के लंबे सफ़र ने उसे काफी थका दिया था जिसके कारण वह ट्रेन की सीट पर ही बैठे बेठे सो गया|
तभी ट्रेन एक झटके के साथ रुक जाता है. ट्रेन के एक झटके से रुक जाने के कारण, सौरभ जोगी गहरी नींद में था वो सामने बेठी एक महिला के ऊपर जा गिरता है.
गिरते ही सोरभ का नींद टूट जाता है जिसके बाद वह हढ़बढ़ाते हुए महिला के ऊपर से उठता है और उससे माफी मांगता है महिला जो भी खुद काफी थकी हुई थी वह सौरभ के हालात को समझ सकती थी इसीलिए वो उसे कुछ नहीं कहती है.
सौरभ उबासी लेते हुए एक आदमी से पूछता है - भैया कौन सा स्टेशन है ये.
आदमी उसके बात का जवाब देते हुए केहता है - अर्जुन नगर.
उस आदमी के बात को सुन सौरभ एक झटके से अपने सामान को उठाते हुए कहता है - अरे मेरेको यही उतरना है जरा साइड होइएगा प्लीज.
उसके बात को सुन सीट से लेकर गेट तक खड़े सारे आदमी साइड होगे उसके जाने के लिए जगह छोड़ देता है.
अर्जुन नगर स्टेशन अपनी एरिया का एकमात्र स्टेशन है. सौरभ लंबी सांस भरने के बाद अपने सारे सामान को उठा स्टेशन के बाहर चल पड़ता है.