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Horror खौफ कदमों की आहट ( New Chapter )

स्टोरी बोरिंग है


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ranipyaarkidiwani

Rajit singh
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उसकी बातों को सुनते ही जैसे ही मैंने जवाब देना चाहा तभी राजेश बोल पड़ा, “मैं और अंशू रात को मोबाइल पर साउथ इंडियन मूवी देख रहे थे। देखते-देखते मुझे इसका एहसास नहीं हुआ कि मुझे कब नींद आ गयी।"

"जब मेरी नींद टूटी तो उस वक़्त घड़ी में 2 बजे का वक़्त हो रहा था और मुझे अंशू ने उठाया। उठते ही जब मेरी नजर अंशू पर पड़ी तो

उसके चेहरे के तोते उड़े हुए थे। ये किसी पायल के शोर की बात कह रहा था और खिड़की से किसी लाल जोड़े वाली औरत को जाते ऐसा कहा । " हुए देखा है, “शुरू-शुरू में तो मुझे भी इसकी बातों पर विश्वास नहीं हुआ लेकिन थोड़ी देर में मैंने उस पायल की छन्न... छन्न... की आवाज फिर से आनी

शुरू हो गई, फिर थोड़ी देर बाद वह बन्द हो गयी। लगभग कुछ सेकंड के इंतज़ार के बाद पायल की आवाज आनी फिर से शुरू हो गयी थी।"

“इस बार उस पायल की आवाज से ऐसा लग रहा था, जैसे मानो बिल्कुल ही कहीं पास से आ रही हो। मैं और अंशू टकटकी लगाकर खिड़की की तरफ देख रहे थे। पायल की छन्न... छन्न... की आवाज जैसे-जैसे करीब सुनाई देती जा रही थी, वैसे ही हमारे दिल की धड़कनों को तेज होते हुए आसानी से महसूस किया जा सकता था।"

" अचानक खिड़की पर एक लाल जोड़ें में सजी हुई औरत दिखी, जिसे देखकर ऐसा लगा जैसे उसने आज सोलह श्रृंगार किया हो। उसके इस तरह अचानक सामने आने से मन में खौफ तो था लेकिन उसकी बला की खूबसूरती को देखते ही वह डर काफूर हो गया। " “उसकी पलकें झुकी हुई थी। उसके गुलाब की पंखुड़ी जैसे होंठ न जाने कितने राज छिपाए बैठे थे। उसके नाक में सोने की बुलाक उसकी

सुंदरता को और यौवन को निखार रहा था। उसके माथे और कुमकुम के निशान चांद सितारों की तरह झिलमिला रहे थे। उसकी सुंदरता ने हमारा मन मोह लिया था।"

"हम अपनी सारी सुध बुध खोकर, बस उसकी सुंदरता में डूब गए थे। अचानक उसने अपनी खोपड़ी उठाई और हमारी तरफ देखा। उसने जैसे ही अपना चेहरा उठाया तो मेरी नजर उसके होंठों पर गई। उन होंठों से खून रिस रहा था। आँखों की पुतलियां बिल्कुल फैली हुई थी, जैसे न जाने कितनी वक़्त से खुली की खुली रह गयी थी। उसका मोहिनी रूप देखते ही देखते बदलने लगा था। उसकी आँखें अब सुर्ख लाल हो चली थी और उन आँखों से हमें ही निहारे जा रही थी, जैसे उसके उस रूप के हम ही कसूरवार हों। "

“उसने अपना हाथ सामने हमलोग की तरफ उठाया और अपनी बड़ी-बड़ी नाखूनों वाली उंगलियों को इकट्ठा करके पंजे को बन्द करने की कोशिश की, मानो जैसे वह उस हाथ से हमारी गर्दन को पकड़ना चाहती हो। अगले पल देखते ही देखते उसकी खोपड़ी पीछे की तरफ घूम गयी लेकिन उसका धड़ का अगला हिस्सा उसी जगह पर जस का तस था। यह देखते ही हमारी एक साथ चीखें निकल पड़ी। उसके बाद जब होश आया तो खुद को आपलोगों के बीच पाया।"

उन सभी को विश्वास नहीं हो रहा था कि जो बातें मैंने उन्हें बताई, वे किस हद तक सच है लेकिन जब राजेश ने भी मेरा इस कदर साथ दिया, जैसे उस घटना के पीछे चश्मदीद गवाह वह भी है, तो सभी उस बात को मानने को विवश हो गए।

हालांकि भूत-प्रेत के किस्सों में अक्सर विश्वास उन्हीं को होता है, जिनके साथ वह घटना घटित हुई हो, बाकियों के लिए तो वह मात्र कहानी के सिवा कुछ नहीं रहता। हम सभी ने मिलकर यह निश्चय किया। कि यह कमरा छोड़ कर कहीं दूसरी जगह चले जाएंगे।
 
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ranipyaarkidiwani

Rajit singh
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हम सभी शाम को कमरा ढूंढने चले गए। शाम को उसी गांव में मंदिर के पास ही एक खाली कमला मिल गया लोगों के एडवांस देकर कल सुबह ही शिफ्ट करने की बात करके, वापिस अपने कमरे में आ गए थे।

खाना खाकर हमलोगों ने यह निर्णय लिया कि आज रात आगे वाले कमरे में सभी एक साथ सोएंगे और आज पूरी रात बिजली का बल्ब जला कर ही सोएंगे। फटाफट अंदर वाला बिस्तरा भी वहीं लगा दिया। सभी एक साथ पहली बार सो रहे थे। हालांकि यह अवसर ज़रूर पहला था लेकिन यह डर को दूर करने का सबसे कारगर तरीका था । अचानक रात को मैंने उस लाल जोड़े वाली दुल्हन को अपने पास देखा। वह वहाँ खड़ी हुई मुझे ही निहार रही थी। मैं हड़बड़ाकर कर उठ खड़ा हुआ।

मैंने किसी तरह हिम्मत बटोरते हुए कहा, कौन है तू? और इस वक़्त अंदर क्या कर रही है?"

मेरे इतना बोलते ही एक तेज आवाज आई... चटाक । वह थप्पड़ इतना जोर से लगा कि उस कमरे में जितने भी सोए थे, सभी उठकर बैठ गए।

उसने चांटा मारने के बाद कहा, "आज यह बत्ती क्यों जलाई है? मुझे यहाँ भटकने में दिक्कत होती है। "

ऐसा कहते ही वह कमरे से बाहर चली गयी। सभी ने दांतो तले उंगली दबा ली, यह देख कर कि वह लाल जोड़े वाली दुल्हन को बाहर जाने के लिए दरवाजे खोलने की ज़रूरत नहीं पड़ी। वह उस दरवाजे के आर-पार निकल गयी थी। उसके बाहर जाते ही कमरे में बिजली का बल्ब फ्यूज हो गया।

यह दृश्य देखते ही हम सभी की नींदे उड़ चुकी थीं। मेरे गाल पर पाँच उंगलियों के निशान को साफ देखा जा सकता था। सभी ने जैसे तैसे सुबह होने का इंतज़ार किया।

सूर्योदय होते ही हम सभी सबसे पहले पड़ोस में ही डुग्गू के घर गए । हमें एक साथ देखकर, वे लोग बिल्कुल भी ही नहीं घबराए। उन्हें देख कर ऐसा लगा कि जैसे उन्हें सब मालूम हो । डुग्गू के पापा जिनका नाम 'पंकज पुनेठा था, उन्होंने हमें बैठाया और शांति से हमारी व्यथा सुनी। सुनने के बाद उन्होंने कहा, "देखिए, आपलोग खुशकिस्मत हैं कि किसी के साथ कुछ भी नहीं हुआ। वह तो तुमलोग हो, जो पिछले चार महीने से इस कमरे में रह रहे हो। अन्यथा इस कमरे में पिछले सात सालों से कोई भी व्यक्ति दो महीने से ज्यादा नहीं टिक पाया है।"

" .... ये आप क्या कह रहे हैं, पुनेठा जी। आखिर इस घर में होने वाली घटनाओं के पीछे माजरा क्या है?" भइया ने उनसे घर के छुपे राज को जानना चाहा।

यह बात 7 साल पहले की है। इस घर में एक बड़ा ही खुशहाल परिवार रहता था। उनकी एक बेटी थी जिसका नाम शांति चौहान था । वह लड़की बला की खूबसूरत होने के साथ पढ़ाई लिखाई में भी अव्वल थी। जब उसकी उम्र शादी की हुई तो उसके लिए एक से एक बड़े घर से रिश्ते आने लगे।"

उसकी शादी ऋषिकेश में एक आर्मी ऑफिसर से तय हुई। शादी वाले दिन की उस एक दुखद समाचार ने पूरे परिवार की जिन्दगी उजाड़ कर रख दी।"
 
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ranipyaarkidiwani

Rajit singh
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“उसकी शादी ऋषिकेश में एक आर्मी ऑफिसर से तय हुई। शादी वाले दिन की उस एक दुखद समाचार ने पूरे परिवार की ज़िन्दगी उजाड़ कर रख दी। "

“ऋषिकेश से बारात चम्पावत के लिए आ रही थी । चम्पावत से 29 कि.मी. पहले एक तीव्र मोड़ पर दूल्हे की गाड़ी खाई में गिर गयी।

दूल्हे की मौत हो गयी। उसकी लाश आज तक किसी को नहीं

मिली क्योंकि वह नदी में बहती हुई पता नहीं कितनी दूर चली गई थी।”

“जब यह बात दुल्हन को पता चला तो वह यह सदमा बर्दाश्त नहीं कर सकी और उसने कमरे को बन्द करके अपने ऊपर मिट्टी के तेल को छिड़क कर आग लगा ली। उसका परिवार इस सदमे से उबर नहीं पा रहा था इसलिए उनलोगों ने यह घर सस्ते दामों में बेचकर, यहाँ से कहीं दूर चले गए।"

"उनके जाने के बाद यहाँ उस अभागन को देखना आम बात हो गयी थी। यहाँ जितने भी लोग किराए पर आए. उनको हमेशा रात को । बजे के बाद इस तरह की अजीब घटनाएं होने लगीं। यहाँ कोई भी दो महीने ज्यादा नहीं टिक पाया और पिछले 7 सालों से अधिकतर इस घर में ताला ही लटका मिलता था।"

"क्या उस लड़की जिसका नाम शांति है, उसकी आत्मा की शांति के लिए कुछ किया नहीं जा सकता है, जिससे उसको मुक्ति मिल जाए?", दिनेश ने बड़ी ही गंभीर मुद्रा बनाते हुए यह प्रश्न पूछा था

“हाँ! बिल्कुल किया जा सकता है। लेकिन बात यह है कि करेगा कौन? उसके माँ-बाप अब यहाँ रहते नहीं और लोगों में इतनी हिम्मत नहीं, जो इस काम को करने के लिए सामने आए। वैसे भी कहते हैं कि इंसान के भाग्य में जितनी उम्र लिखी है, उसे काट कर ही जाना पड़ता है। यदि किसी की असामयिक मौत हो भी जाए तो उसे प्रेत योनि में भटककर उतने साल पूरे करने पड़ते ही हैं।"

हमलोगों ने पुनेठा जी को धन्यवाद किया और उनसे विदाई ली। शाम ढलने से पहले हम लोगों ने कमरा शिफ्ट कर दिया। उस दिन के •बाद कभी उस पुराने भुतहा घर की तरफ भूल कर भी रुख नहीं किया। मैं भी दो दिन और रुकने के बाद, वापिस दिल्ली आ गया। मुझे घर आकर इस बात का एहसास हुआ कि अपना घर अपना ही होता है, जहाँ सुकून भरी जिंदगी जिया जा सकता हैं बिना किसी शिकायत के।
 

Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
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भाई ये आधी अधूरी सी कहानी है, आत्मा की मुक्ति तक कहानी जारी रहनी चाहिए
 

ranipyaarkidiwani

Rajit singh
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भाई ये आधी अधूरी सी कहानी है, आत्मा की मुक्ति तक कहानी जारी रहनी चाहिए
Itni hi hai bhai kyuki ye satya hai ki aatma ki mukti nahi hoti jitna mene suna hai samjha hai jana hai jinki akasmak mirtyu ho jati hai unki iss duniya me jitna jeevan tab tak unki aatma bhatakti hai uske baad vo khud iss duniya ko chod ke chali jati hai aur vese bhi simple si kahani ko aur badha nahi banana chahiye choti si kahani hai use chote me hi khatam karo to badiya rehta hai agar aur badhane jaoge to boriyat lagegi hena keep smiling bro kuch aur horror ya thriller lane ka hai uske liye wait karo
 

kamdev99008

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Thakur

असला हम भी रखते है पहलवान 😼
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ख़ौफ़ - एक ऐसी हकीक़त, जीससे वाक़िफ़ है, हर बच्चा और बूढ़ा!
ख़ौफ़, जो पसरा है हर कदम पर साये की तरह, खौफ मौत से नही मौत से भी बदतर ज़िदगी का!
दादी-नानी का कहानियो से शुरू होकर, चौपाल? और गलीयारो तक सुनाए जाते हर किसै मे छीपा है रहसय, एक ऐसे खौफनाक मंज़र का, जीसे मानो या मानो उसके कदमाें की आहट सुनाई देती है हर वक्त आपके आसपास!
भूत के डरावने किस्से

लाल जोड़े वाली दुलहन
भूत, प्रेत साया, डायन आदि पर आप चाहे विश्वास करते हो, या नहीं करते हों लेकिन उनके अस्तित्व को आप पूरी तरह नकार भी नही
सकते हो। यह एक ऐसा विषय है, जिस पर काफी बातचीत होती है लेकिन इसका सच केवल वही इंसान जानता है, जिनके साथ वह घटना घटित हो चुकी हो। अनयथा बाकियों के लिए बस यह मनोरंजन के लिए कहानी मात्रा रह जाता है।
:congrats: for first story
Starting small he par sahi he . Bohot time baad horror padh Raha hu to kuchh naya expect kar raha hu.
 
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