उसकी बातों को सुनते ही जैसे ही मैंने जवाब देना चाहा तभी राजेश बोल पड़ा, “मैं और अंशू रात को मोबाइल पर साउथ इंडियन मूवी देख रहे थे। देखते-देखते मुझे इसका एहसास नहीं हुआ कि मुझे कब नींद आ गयी।"
"जब मेरी नींद टूटी तो उस वक़्त घड़ी में 2 बजे का वक़्त हो रहा था और मुझे अंशू ने उठाया। उठते ही जब मेरी नजर अंशू पर पड़ी तो
उसके चेहरे के तोते उड़े हुए थे। ये किसी पायल के शोर की बात कह रहा था और खिड़की से किसी लाल जोड़े वाली औरत को जाते ऐसा कहा । " हुए देखा है, “शुरू-शुरू में तो मुझे भी इसकी बातों पर विश्वास नहीं हुआ लेकिन थोड़ी देर में मैंने उस पायल की छन्न... छन्न... की आवाज फिर से आनी
शुरू हो गई, फिर थोड़ी देर बाद वह बन्द हो गयी। लगभग कुछ सेकंड के इंतज़ार के बाद पायल की आवाज आनी फिर से शुरू हो गयी थी।"
“इस बार उस पायल की आवाज से ऐसा लग रहा था, जैसे मानो बिल्कुल ही कहीं पास से आ रही हो। मैं और अंशू टकटकी लगाकर खिड़की की तरफ देख रहे थे। पायल की छन्न... छन्न... की आवाज जैसे-जैसे करीब सुनाई देती जा रही थी, वैसे ही हमारे दिल की धड़कनों को तेज होते हुए आसानी से महसूस किया जा सकता था।"
" अचानक खिड़की पर एक लाल जोड़ें में सजी हुई औरत दिखी, जिसे देखकर ऐसा लगा जैसे उसने आज सोलह श्रृंगार किया हो। उसके इस तरह अचानक सामने आने से मन में खौफ तो था लेकिन उसकी बला की खूबसूरती को देखते ही वह डर काफूर हो गया। " “उसकी पलकें झुकी हुई थी। उसके गुलाब की पंखुड़ी जैसे होंठ न जाने कितने राज छिपाए बैठे थे। उसके नाक में सोने की बुलाक उसकी
सुंदरता को और यौवन को निखार रहा था। उसके माथे और कुमकुम के निशान चांद सितारों की तरह झिलमिला रहे थे। उसकी सुंदरता ने हमारा मन मोह लिया था।"
"हम अपनी सारी सुध बुध खोकर, बस उसकी सुंदरता में डूब गए थे। अचानक उसने अपनी खोपड़ी उठाई और हमारी तरफ देखा। उसने जैसे ही अपना चेहरा उठाया तो मेरी नजर उसके होंठों पर गई। उन होंठों से खून रिस रहा था। आँखों की पुतलियां बिल्कुल फैली हुई थी, जैसे न जाने कितनी वक़्त से खुली की खुली रह गयी थी। उसका मोहिनी रूप देखते ही देखते बदलने लगा था। उसकी आँखें अब सुर्ख लाल हो चली थी और उन आँखों से हमें ही निहारे जा रही थी, जैसे उसके उस रूप के हम ही कसूरवार हों। "
“उसने अपना हाथ सामने हमलोग की तरफ उठाया और अपनी बड़ी-बड़ी नाखूनों वाली उंगलियों को इकट्ठा करके पंजे को बन्द करने की कोशिश की, मानो जैसे वह उस हाथ से हमारी गर्दन को पकड़ना चाहती हो। अगले पल देखते ही देखते उसकी खोपड़ी पीछे की तरफ घूम गयी लेकिन उसका धड़ का अगला हिस्सा उसी जगह पर जस का तस था। यह देखते ही हमारी एक साथ चीखें निकल पड़ी। उसके बाद जब होश आया तो खुद को आपलोगों के बीच पाया।"
उन सभी को विश्वास नहीं हो रहा था कि जो बातें मैंने उन्हें बताई, वे किस हद तक सच है लेकिन जब राजेश ने भी मेरा इस कदर साथ दिया, जैसे उस घटना के पीछे चश्मदीद गवाह वह भी है, तो सभी उस बात को मानने को विवश हो गए।
हालांकि भूत-प्रेत के किस्सों में अक्सर विश्वास उन्हीं को होता है, जिनके साथ वह घटना घटित हुई हो, बाकियों के लिए तो वह मात्र कहानी के सिवा कुछ नहीं रहता। हम सभी ने मिलकर यह निश्चय किया। कि यह कमरा छोड़ कर कहीं दूसरी जगह चले जाएंगे।