• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Horror खौफ कदमों की आहट ( New Chapter )

स्टोरी बोरिंग है


  • Total voters
    2
Status
Not open for further replies.

Thakur

असला हम भी रखते है पहलवान 😼
Prime
3,246
6,774
159
Response nahi tha horror ko isliye choti si likhi complete kar di aage aur bhi likhna tha but yaha sex ko mehatva diya jata hai isliye mujhe yahi tak hi likhna padha
Importance non sexual stories ko bhi milti he idhar but wo likhne pe depend karta he, sex masale ki tarah ho to sahi he agar wo daal chawal bane to hanikarak he ,aur ye baat baki writers nahi samazte ye dukh ki bat he. Anyway tum likho response ki parwah na karo.
 
  • Like
Reactions: Shetan

Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
18,237
36,400
259
Mann to kar raha hai vapise ise running karu but ab mann nahi hai
लिखो भाई, यहां इंसेस्ट के अलावा किसी को उतना रिस्पॉन्स नही मिलता, बस लिखते जाओ, अच्छी कहानी होगी तो लोग खुद जुड़ जायेंगे।

आपकी अब तक की कहानी बस इंट्रोडक्शन टाइप ही है इसीलिए कम रिस्पॉन्स है।
 
  • Like
Reactions: Shetan

ranipyaarkidiwani

Rajit singh
406
794
94
बात उस समय की है, जब शहर से दूर गाँव में मनोरंजन के साधन खुदा नहीं हुआ करते थे। तब गाँव में हर किसी से टेलीविजन या | डंडा, छिपम- छिपाई कचे, कबड्डी, खो-खो, छुआ-छूत इत्यादि खेलों का वर्चस्व हुआ करता था। ग्रामीण लोगों को उस वक्त रेडियो पर क्रिकेट मैच का ज्यादा लुत्फ आता था। तब लोगों के पास एक दूसरे से बात करने के लिए वक्त भी होता था और हर जरूरतमंद लोगों की मदद के लिए दिल में जरूरी भाव भी होता था। उस वक्त दूर-दूर तक लोग अधिकतर बैलगाडियों से ही सफलतापूर्वक यात्राएँ कर लेते थे।

मेरा नाम हृदान भगत है तब मेरी उम्र महज 17 वर्ष थी और मेरे गाँव का नाम कालिकापुर था, जो कि बंगाल में सिल्लीगुड़ी से 67 कि.मी. की दूरी पर था। सिलीगुड़ी में ही हमारा एक और घर था, जहाँ मेरे चाचा 'चतुर्भुज भगत', अपने छोटे से परिवार के साथ रहते थे। उनका एक बेटा भी था, जिसका नाम हर्षित था। हालांकि हर्षित मुझ से एक वर्ष छोटा था, लेकिन वह रोज माउंट वैली स्कूल में मेरे साथ ही कक्षा 11 में पढ़ता था।

मेरा गाँव, शहर से इतनी दूर होने के कारण वहाँ की चकाच दुनिया से अलग थी। उन दिनों गाँव में हर किस्म के पेड़ पाए जाते थे और सड़क के दोनों तरफ शीशम के पेड़ कदम से कदम मिला कर सड़क के साथ प्रहरी की भांति खड़े रहते थे।

उस समय असम और बंगाल, अपने काले जादू के लिए मशहूर हुआ करते थे। लगभग हर गाँव में भूत, प्रेत, जिन्न और चुड़ैलों के किस्से प्रचलित रहते थे।

स्थानीय ओझा भी मुर्गे या बकरी की बलि देकर या लोगों को झांसे में डालकर मोटी कमाई वसूल करने में पीछे नहीं रहते थे। मेरा गाँव कालिकापुर बंगाल के ही सिलीगुड़ी जिले के ही अंतर्गत आता था।

हमारे विद्यालय में गर्मियों का लगभग एक महीने का अवकाश हुआ। मेरे चाचा हम सभी को लेकर अपने पुश्तैनी गाँव कालिकापुर आ गए। इस वक्त आम की ऋतु चल रही था। हम लोग पके हुए आमों का मजा ले रहे थे। मैंने आम खाते हुए कहा, "जाम बहुत ही स्वादिष्ट हैं मजा आ गया खा कर ऐसे आम शहर में क्यों नहीं मिलते. चाचा?"

बेटे ये स्वादिष्ट इसलिए हैं क्योंकि ये पेड़ के पके हुए हैं। शहर के लोग बेहद कम मूल्यों में गाँव से कबे आम ले जाकर, इनमें रासायनिक पदार्थों को साथ मिला कर इन्हें पकने के लिए छोड़ देते हैं। फिर इन्हें ऊंचे मूल्यों में बेचकर अच्छा मुनाफा पा लेते हैं।" चाचा ने सहज भाव से मेरे प्रश्न का उत्तर दिया था।

"क्या कहा आपने? रासायनिक पदार्थों का उपयोग करते है? फिर तो इससे उस फल को खाने वाले का नुकसान भी होता होगा?" मैंने उनके जवाब देते ही दूसरा प्रश्न कर दिया था।

"बिल्कुल सही, उन रासायनिक पदार्थों के प्रयोग से पकाए हुए फल खाने से हमारे शरीर पर इसका बड़ा ही प्रतिकूल असर पड़ता है।", चाचा ने इसी तरह मेरे उत्सुकता से पूछे गए सारे प्रश्नों का सही जवाब दिया।

शाम को छः बजे का वक्त हो रहा था। मैं हर्षित के साथ सड़क की तरफ चला गया। वहाँ जाने का मुख्य कारण समोसे का लालच था।

पड़ोस के गाँव घरवासडीह से एक समोसे बनाने वाला अपना ठेला लेकर आता था। वह एक-एक दिन के अंतराल पर आता था। उसके समोसे बेहद ही लजीज होते थे वह समोसे की चटनी में पुदीना और धनिया के साथ कुछ जादू सा घोल कर बनाता था, जिससे समोसे के साथ खाने से समोसे के जायके को बढ़ा देता था सबसे बड़ी बात कि एक तो उसके समोसे लजीज होते थे और दूसरी यह कि वह पैसे भी कम ही लेता था।
 
Last edited:
  • Like
Reactions: Riky007
Status
Not open for further replies.
Top