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Adultery "गन्दा है पर धंधा है ये"

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"गन्दा है पर धंधा है ये"

दोस्तों काफी लोगो को मुझ से शिकायत है की में काफी एब्नार्मल और गन्दा लिखती हु.तो पहले मै उन लोगो से कहना चाहती हु की में "Incest, Extreme, Hardcore, BDMS, Slave" कैटेगरी का प्रोन लिखती हु और उस मै थोड़ा थ्रील और हॉरर मिक्स करती हु.
ब्राज़ील जर्मनी रसिया और जापान जैसे देशों में यह स्टाइल काफी पॉपुलर है.
आप मेरी कहानियों को नॉनवेज प्रोन स्टोरी कह सकते हो, सो सॉफ्ट वैजिटेरियन प्रोन पसंद करने वाले लोगो से कहना चाहुगी मेरी स्टोरी न पड़े. सामान्यतः इंडिया मै लोग प्रोन को गन्दा या गंदगी बोलते है. में केबल इतना करती हु इस गंदगी को और गन्दा और गाढ़ा करके आप लोगो के सामने पेश करती हु.

सभी लेखकों का मार्गदर्शन,आशीर्वाद और सभी पाठको का समर्थन,प्यार,दुलार,विश्बास और गलतियों की क्षमा चाहुगी.

में जिंदगी की रह गुजर की एक तन्हा मुसाफिर-"सोफिया आलम नकवी" (सोफी)




"लखनऊ "मोहब्बतों का शहर" नवाबों का शहर"
"जो भी आया यहाँ दीवाना हो गया."
किसे ने क्या खूब कहा है.

कुछ तो मुहब्बत इस शहर में रहती है,यूं ही इसे नजाकत का शहर नहीं कहा जाता.

कुछ तो इज्जत बाशिन्दों के दिलों में रहती है,यूं ही इसे तहजीब का शहर नहीं कहा जाता.

है चांद छूने की ख्वाहिश, मगर अपने तरीके से,यूं ही इसे नवाबों का शहर नहीं कहा जाता.


"दीदार-ए-लखनऊ"



"जो भी यहाँ आया दीवाना हो गया"


कोई यहां की नफासत का कायल हो गया तो किसी को यहां के लजीज जायकों ने अपना दीवाना बना लिया.
मैंने लखनऊ को जितना देखा, उसमें पाया कि इस शहर को हमेशा कमतर आंका गया है. ये एक ऐसी जगह है, जहां कल्चरल और हैरिटेज के स्तर पर वैराइटी ही वैराइटी है लेकिन विदेशियों को छोड़िए, देश में ही लोगों को पता नहीं कि असल में लखनऊ क्या है. मैं भी यहां आने के पहले कुछ ऐसी ही धारणाएं लेकर आई थीं। मुझे लगता था कि अरे लखनऊ में क्या घूमना होगा. लेकिन यहां आकर जो देखा उससे दंग रह गई। यहां के हर गली, मुहल्ले, चौराहे का कहीं न कहीं ऐतिहासिक जुड़ाव हैं. हर थोड़ी दूर पर कहीं मेहराबें हैं तो कहीं आलीशान दरवाजें. आप घूम-घूम के थक जाएंगे लेकिन मॉन्यूमेंट्स कम नहीं पड़ेंगे. ऊपर से पुराने हेरिटेज के साथ नए टूरिज्म की राहें भी हैं. पुराने लखनऊ की तंग गलियां है तो जनेश्वर मिश्र पार्क का सुकून भी है.
दुनिया का सबसे लजीज खाना है यहां

जयपुर की तरह लखनऊ की विरासत तो शानदार है ही लेकिन यहां का लज्जतदार खाना चेरी ऑन द केक की तरह है. ऐसा खाना दुनिया में कहीं नहीं मिलता. अमीनाबाद और चौक जैसे इलाके कंजस्टेड जरूर हैं लेकिन यहां की गलियों से आती खुशबू के सामने थोड़ी तकलीफ भी मामूली लगती है. वहीं नए लखनऊ की सड़के भी लाजवाब है. लगता है कि आप किसी मेट्रो सिटी में ही हैं. अगर आपको फ्रेंच, ब्रिटिशर्स और मुगलकाल के इतिहास के बारे में शांत माहौल में जानना है और दुनिया का सबसे लजीज फूड खाना है तो आपको एक बार लखनऊ जाना ही चाहिए.

मैं लखनऊ को वन ऑफ द बेस्ट सिटी इन आर्किटेक्चर का दर्जा देती हूं. 1700 में बने मॉन्यूमेंट्स आज तक सुरक्षित और संरक्षित हैं, यह आसान बात नहीं. गजब का आर्किटेक्चर सेंस है मॉन्यूमेंट्स में. जमीन के नीचे का तहखाना है लेकिन नैचुरल लाइट पूरी तरह मिल रही है. इस दीवार पर कुछ कहिए और दूसरी दीवार पर उसे सुनिए. यह सब दूसरे शहरों की किसी इमारत में नहीं है. मुझे तो लगता है कि आर्किटेक्चर के स्टूडेंट्स को लखनऊ के मॉन्यूमेंट्स की स्टडी जरूरी करनी चाहि.।

मैं लखनऊ को एक शानदार लेकिन भुलाए गए शहर की परिभाषा दूगी. एक ऐसा शहर जिसे टूरिस्ट मैप में लाइमलाइट में होना चाहिए था लेकिन यह है काफी अंधेरे में. शहर के पास सब कुछ है. कई रोचक कालों का इतिहास, ग्रांड मॉन्यूमेंट्स, लजीज दस्तरख्वान और चिकन जैसा हैंडीक्राफ्ट लखनऊ खाने के मामले में अब तक का सबसे उम्दा शहर है. एक ही चीज की हर डिश में अलग स्वाद… बस यहीं चखने को मिला. मसलन मटन की यहां जितनी डिश खाईं, सबमें एक अलग स्वाद एक अलग महक. आई हैव फॉलेन इन लव विद लखनवी कुजीन.

लखनऊ शहर के जितने रंग मैंने पहले कहीं नहीं देखे. घरों की पुताई में तरह-तरह के रंग. लोगों की पोशाकों में भड़कीले रंग. खाने में नारंगी से लेकर हरे-पीले रंग. यहां तक कि पुरुषों के कपड़ों में भी हर रंग. यह इस शहर का मिजाज बताता है। ऐसे खुशमिजाज शहर को मेरा सेल्यूट.

अवधियाना कुजीन की ब्रैंडिंग हो स्वाद नहीं भूलेगा,चौक में 11 तरह के गोलगप्पेचौक में ही राजा की ठंडाई
अमीनाबाद का आम पापड़, मटर चाट और भेलपूरी,चौक में लड्डू सिंह की कचौड़ियां
दस्तरख्वान का गिलावटी कबाब और मटन,अमीनाबाद की कुल्फी,टुण्डे के कबाब.


'में लखनऊ पर फिदा हो गई '

.लखनऊ आकर मेरा दिमाग बदल गया। इमामबाड़ा और अवध के स्वाद ने मुझे दीवाना बना दिया रान मुसल्लम, रोहनी रोटी, बिरयानी और कबाब खाकर मेरे मुंह से यही निकला कि ऐसा खाना पहले कभी नहीं खाया.

कुछ लोग सोच रहे होंगे "में कहा और ये ख्याल कहाँ"

तो चलिए शहरे लखनऊ की "दुर्गति" करते है कहानी शुरू करते है.
 
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"गन्दा है पर धंधा है ये"

क्या सुहानी सुबह थी हल्का हल्का कुहरा छाया हुआ था रोशनी थी पर सूरज नहीं दिख रहा था परिंदो के समूह आकाश मै उड़ रहे थे दूर कही कोयल की कूह कूह की आवाज सुनाई दे रही थी चारो तरफ हरयाली थी दिसंबर की गुलाबी सर्दी चल रही थी मनमोहक बताबरण था. लखनऊ जाग गया था.

लखनऊ नैनीताल का NH730 हाइवे की साइड मै एक झोपड़ी थी आस पास और कोई घर दिखाई नहीं दे रहा था.
झोपड़ी का दरवाजा खुलता है. और एक २३-२४ साल का लड़का निकलता है उस के पीछे एक १८ साल की मांसल, कमसिन,सुडोल,थोड़ा सावली सी, २८ साइज के दूधो वाली कुवारी कन्या निकलती है. कपड़ो से पता चलता था के वो लोग गरीब है.
उन की गरीबी का दूसरा सबूत उन के हाथ मै पकड़ी पानी की बोतले थी, जो बताती थी के वो लोग लोटा भी अफोर्ड नहीं कर सकते. धीरे धीरे वो लोग झोपड़े से थोड़ा दूर दिख रही झाड़ियो की तरफ चले जा रहे थे.
भैया मुझे डर लग रहा है मुझ से नहीं हो पाएगा.
अरे छोटी तू फालतू डर रही है में और अम्मा भी तो साथ होंगे सब बड़े आराम से हो जाए गा.तू डर मत हम है न .
लेकिन भइया आप ने तो देखा है उस सेठ का कितना बड़ा और मोटा है अम्मा भी चिल्लाने लगती है.
चल पगली अम्मा चिल्लाती थोड़ी है वो तो अम्मा को मज़ा आ रहा होता है सो वो आवाजे करती है ऐसी.
पर भैया जब आप करते हो अम्मा के साथ तब तो बो इतना ज्यादा आवाजे नहीं करती.आप कर लो न पहले कुछ दिन मेरे साथ फिर मै सेठ से करवा लूगी, आप देकते नहीं वो सेठ अम्मा को कितना जोर जोर से और गन्दी गन्दी गली देकर करता है.
अरे मेरी जान मै तो कब से तेरे साथ करना कहता हु, लेकिन छोटी तेरी मुनिया की सील की कीमत पुरे दस हजार है. क्या तू नहीं चाहती हम को दस हजार मिले?फिर हम टीबी और डीवीडी खरीदे.खूब फिल्मे देखे? वो सेठ तेरी सील पैक मुनिया के दस हजार दे रहा है, एक बार सील खुल गई फिर तुझे भी अम्मा जैसे १०० रूपए मिलेगे. और बोल क्या में रोज तुझे मुँह मै देकर पानी नहीं पिलाता क्या.एक वार सेठ तेरी सील खोल दे फिर देखना रोज काम से काम चार बार लूँगा तेरी मुनिया.
वो लोग झाड़ियों के पीछे पहुंच कर आमने सामने बैठ गए और टट्टी करने लगे .
 
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भाई आज कहा खोए हो बीड़ी भी नहीं जलाई जल्दी जलाके दो टट्टी नहीं उतर रही.

ह छोटी यार भूल गया आज तो बस दस हजार के नोट दिख रहे है, ले पकड़ भोला दो बीड़ी जलाके एक छोटी की और फेकता है, और दूसरी खुद पीने लगता है, दोनों भाई बहिन बीड़ी पीते पीते एक दूसरे के सामने चूत और लण्ड खोले हगने लगते है.

छोटी तेरी मुनिया के बाल बढ़ गए है, घर चल के साफ़ करलेना, सेठ को चिकनी मुनिया पसंद है पिछली वार अम्मा की मुनिया पर बाल थे तो सेठ ने अम्मा की गांड मारी थी, चूत की तरफ देखा भी नहीं था, और छोटी तू सेठ का लोढ़ा अच्छे से चूसना ,और जब माल निकले तो पूरा गले तक घुसा लेना जैसा मेरा घुसा लेती है. सेठ को मुँह में पूरा पेल कर झड़ने ने में ज्यादा मज़ा आता है. शायद वो कुछ और पैसे दे दे ,

लेकिन भइया उस का लोढ़ा तो तुम से दुगना बड़ा है, मै कैसे मुँह में पूरा ले पाऊगी.मेरी तो चूत मै लेने का सोच कर ही मेरी गांड फट रही है और तुम कहते हो पूरा मुँह में लूँ. न बाबा न मेरे से नहीं होगा.

भोला टट्टी कर चुका था बोतल के पानी से गांड धोता हुआ बोला तू ज्यादा मत सोच में हु ना अम्मा भी होगी और तू आज दो पेग ज्यादा लगा लेना चल बातें छोड़ो जरा मेरा लोढ़ा चूस दो तेरी पिशाब छोड़ती चूत और हगति गांड देख कर देख कैसे खड़ा हो गया .

और भोला बोतल से बचा पानी पीकर [वो बोतल जिस के आधे पानी से उस ने अपनी हागी गांड धोई थी] एक और बीड़ी सुलगाता है.और अपनी हगती हुई बहिन के चेहरे के सामने जाके अपना लण्ड छोटी के गलो पर रगड़ता है

छी भइया कितनी गन्दी बदबू आ रही है आप के लण्ड से रात को तुम ने अम्मा की गांड मारी थी देखो अम्मा की गांड का कितना सारा माल अभी भी लण्ड पर लगा है छी छी में नहीं लूगी मुँह में.

साली कुतिया छोटी तू तो अम्मा से भी बड़ी रंडी बनेगी हरामिन रात को अम्मा की गांड में जीव और ऊँगली डाल डाल के मेरा माल निकल कर कहा रही थी, भैया अम्मा के गांड के माल में जब आपके लण्ड का माल मिल जाता है तो वो पिज़्ज़ा से भी ज्यादा टेस्टी लगता है. और अभी देखो कैसे छी छी कर रही है, साली हरामिन जल्दी खोल मुँह रांड नहीं तो तेरे मुँह में टट्टी भर दूगा.

हि हि हि हि अरे मेरा राजा भइया तेरे को छेड़ने मै मज़ा आता है मादरचोद आजा कल से तू भैनचोद भी बन जाएगा.
 
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हु हु क्या मस्त खुसबू आ रही है आ आ अम्मा के गांड के माल की ,और छोटी भोला का गन्दा लण्ड जिस पर अम्मा की गांड का माल और भोला के लण्ड के पानी का मिक्चर लगा हुआ था पूरा मुँह में भर कर लॉलीपॉप जैसे चूसने लगी.


सुबह की गुलाबी सर्दी और हलके कोहरे भरे मौसम मै, अपनी हगति बहन का मुँह चोदता हुआ भोला मनो परिंदा बन गया था वो आसमान मै उड़ रहा था, वो दोनों हाथो से छोटी के बाल पकडे जोर जोर से मुँह चोद रहा था, बीच बीच में वो छोटी का सर पकड़ के पूरा लण्ड छोटी के मुँह मै घुसा देता, जिस से छोटी की सांस रुक जाती और छोटी को जोर का झटका लगता और उस की गांड से टट्टी निकल जाती .

आ आ आआ मज़ा आ रहा है मारी प्यारी बहिनिया आ आ क्या मस्त लोढ़ा चूसती है तू ,रानी छोटी मेरी जान तुझे मै अम्मा से भी बड़ी रंडी बनाऊगा आ मज़ा आ रहा है, चूस जोर से रांड आ आ चूस कुतिया हगते हगते भइया के लण्ड के माल का नास्ता भी कर ले मेरी कुतिया मेरी सुगरिया आ मेरी प्यारी बहिना.

छोटी के गांड से टट्टी चूत से पिशाब ज़मीन पर और मुँह से थूक निकल कर उस के कपड़ो पर बालो पर गिर रहा था आखो से अश्रु बाह रहे थे लेकिन भोला को कुछ नहीं दिख रहा था बो तो छोटी के सर को दबोचे मुँह को चूत की तरह जोर जोर से चोद रहा था.

आ ऊ औ आ आआ ले रांड ले खा ले मेरे लण्ड का माल आ मेरी रानी बहनिया मेरी जान आ आआ भोला मस्ती के मारे जोर जोर से चिल्लाने लगा, पूरि ताकत से छोटी का मुँह चोदने लगा और फिर जोर से छोटी का सर लण्ड पर दवा के झड़ने लगा.

छोटी के गले मै उसका उस का सूपड़ा साफ़ नजर आ रहा था लण्ड का माल सीधा छोटी के गले में उतर रहा था .छोटी के मुँह से लार बहती जा रही थी भोला लण्ड का पूरा टेंक छोटी के गले मै खली कर के लण्ड मुँह से निकल कर हांफने लगा.

और छोटी थूक से सनी जोर जोर से सांसे लेनी लगी और अपनी हगी गांड धोने लगी

भोला ने छोटी को बड़े प्यार से देखा और उस के थूक से सने चेहरे को जीव निकल के चाटने. लगा पूरा थूक चाट कर उस ने होठो की एक किस ली और बीड़ी सुलगने लगा.

छोटी बोतल का बचा पानी पीने लगी

ले बीड़ी पकड़ और थोड़ा पानी मुझे भी दे .

छोटी ने बोतल भोला को पकड़ा के बीड़ी ली और जोर का कस खींचा.

प्यासा भोला गांड धोने और छोटी के पीने के बाद बचा बोतल का पानी पीने लगा. .

दोनों भाई बहिन खुशनुमा मौसम का मज़ा लेते हुए घर की और चल पड़े

दोस्तों हम सब को भोला और छोटी से सीख लेनी चाहिए की पानी की बचत कैसे करे क्यों की "जल हि जीवन है"
 
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आज बड़ी देर लगादी हगने में तुम दोनों ने.
अरे अम्मा छोटी को डर लग रहा है सेठ के लण्ड से कहती है, इतना बड़ा और मोटा कैसे ले पाएगी सो में समझा रहा था.
क्यों रे छोटी रात को बताया तो था, बेटा लण्ड चाहे जितना भी बड़ा हो चूत का कुछ नहीं बिगाड़ सकता, और बड़े लण्ड से तो चुदने में ज्यादा मज़ा आता है, डर मत हम दोनों तेरे साथ ही रहेगे.
अम्मा छोटी की झांटे काफी बढ़ गई है, सेठ को चिकनी चूत पसंद है चलो पहले इस की झांटे साफ़ करते है.
हा सही कहा बेटा जा तू रेजर लेकर आ, छोटी तू कुर्सी पर बैठ जा कपडे निकाल के.
भोला रेजर लता है और छोटी दोनों टांगे फैला कर कुर्सी पर बैठ जाती है
माँ सेठ जैसे बड़े लोगो को बिना बालो बाली चूत क्यों पसंद आती है? जब की बालो से तो मज़ा बढ़ जाता है. बाल होंगे तो पसीना और मूत की मस्त खुसबू आती है, चूत से चाटने मै अच्छा लगता है.
जाने बेटा बड़े लोगो की बड़ी बातें, हम गरीब क्या जाने, अब सेठ को दारू मै पिशाब मिला कर पीना अच्छा लगता है, कहता है पिशाब मिलकर पीने से ज्यादा चढ़ती है, जब हमलोगो ने पिशाब मिला कर पी तो दारू चढ़ ही नहीं रही थी, पूरी बोतल बेकार हो गई थी, हम को तो बिना कुछ मिला कर ही अच्छी लगती है दारू, बड़े लोग बड़ी बातें पीने दो मूत मिलकर हमें क्या, हम गरीब लोग तो न मूत में कुछ मिलते है न दारू में.
सही कहा अम्मा वो तो उस दिन यह छोटी ही कहा रही थी, मूत मिलकर सेठ जैसे पीते है, मैने तो मना किया था हम गरीब लोग है, हमें बड़े लोगो की नक़ल नहीं करना चाहिए.
भइया मेने सोचा था जब सेठ पीता है तो कुछ अच्छा ही लगता होगा, देखते नहीं वो मेरा और अम्मा का मूत मिली शराब पीकर कैसा पागल हो जाता है, कितनी जोर से चोदता है अम्मा को.
छोड़ो बड़े लोगो की बड़ी बातें, भोला बेटा थोड़ा छोटी की चूत चाट के गीला कर दे, बाल मुलायम हो जाएगे काटने में आसानी होंगी.
तू कर दे न अम्मा मै जब तक चाय बनता हूँ.
 
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चल छोटी खोल जरा पूरे पैर और चूतड़ उठा गांड के बाल भी साफ़ करने होंगे, सेठ चूत और गांड दोनों पीता है.
अम्मा अपना मुँह छोटी की चूत के पास ले जाती है, छै कितनी गन्दी बास आ रही है कब से नहीं धोई, देख कितना सफ़ेद लसलसा भरा है चूत क़े अंदर.
अम्मा 6-7 दिन पहले जब नहाई थी तब धोई थी, अब कुआ इतनी दूर है, रोज रोज कौन जाए तू चाट न,
और तुझे कब से बास आने लगी, कल ही वो जो दो मजदूर आये थे, तेरी बजाने उन का लण्ड कितना गन्दा था सूपड़ा पूरा सफ़ेद था, और तू तो उन की बिना धुली गांड कैसे जीव डाल कर चाट रही थी, और मेरी चूत से अपनी सगी बेटी की चूत से तुझे बास आती है.
अरे बेटा वो तो जब एक मुझे चोद रहा था, तो दूसरे ने अपनी गांड मैरे मुँह पर रख दी थी, और मुझे भी चुदास लग रही थी, नहीं तो तू तो जानती है में गांड चाटने क़े 50 रूपए अलग से लेती हूँ,
बेटा में तो इस लिए कह रही थी क़े चूत साफ़ रखा करो, यह चूत नहीं हमारी दूकान है रोज इस की साफ़ सफाई किया करो .
अम्मा अपनी जीव निकाल कर छोटी की झांटे और सफ़ेद लसलसी कुवारी चूत चाटने लगती है.
अम्मा की चूत चटाई से छोटी क़े बदन मै वासना की लहरे मचलने लगती है, वो बेसुध से होने लगती है उस का बदन कामाग्नि में जलने लगता है, मुँह से सिसकिया निकलने लगती है, बो सब भूल कर मदहोशी क़े आलम में खो जाती है. अम्मा भी चूत से निकलती सफ़ेद लसलसा, पिशाब और पसीने से भीगी झांटे चाट कर पागल होने लगती है, और वो पूरी झांटे और चूत को मुँह मै भर लेती है, और एक दम से पूरी जीव छोटी की 7 दिनों से बिना धुली, सफ़ेद लसलसा से सनी, कुवारी चूत में पेल देती है, और जोर जोर से अंदर बाहर करने लगती है.
जीव घुसते ही छोटी को जोर का झटका लगता है, वो आसमान में उड़ने लगती है, दो बोतल का नशा चढ़ जाता है, वो मस्ती और काम वासना की आग मै जलती जोर जोर से चीखने लगती है ,तड़पने लगती है, आ आआ मा आ आ अम्मा ओहो ओहो आ ऊ जोर से अम्मा और जोर से आ आ ऊ माँ मरी अम्मा पूरी जीव गुसा दो आ आआ ऊ ओहो .
अम्मा तो पुरानी रंडी थी अनगिनत लण्ड और चुतो को चूस चूस कर चाट चाट कर उन का माल खा चुकी थी. वो तो चुदाई क़े खेल क़े ऐसे ऐसे तरीके जानती थी, की हिजड़े क़े भी लण्ड उग जाए, यह तो बेचारी १८ साल की कुवारी छोटी ही थी, चूत पीते पीते अम्मा ने एक ऊगली छोटी की गांड मै पेल दी, और जोर जोर से अंदर बाहर करनी लगी.
छोटी का शरीर अकड़ गया, उसे जोर का झटका लगा, और उस की चूत ने गढ़े सफ़ेद माल की पिचकारी छोड दी, वो निढाल हो गई जैसे शरीर मै जान ही न बची हो,
अम्मा को तो जैसे खजाना मिल गया अम्मा छोटी की चूत से निकलते माल को हफ़ते हुए पीती जा रही थी.
वो माल पीकर खुद गरम हो गई थी, छोटी निढाल होकर पड़ी थी, उस की वासना की आग निकल गई थी, लेकिन वो आग छोटी की चूत से अम्मा पी गई थी, अब वो आग अम्मा में समा गई थी, अब वासना की आग मै अम्मा जल रही थी.
 
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अम्मा झाटै काटने की जगह तुम दोनों तो चोदा चोधि करने लगे.

बेटा क्या करू इस की कुवारी माल से भरी चूत की खुसबू सूंघ कर मै खुद को रोक न सकी, बेटा यह तो हलकी हो गई लेकिन मेरी चूत में आग लग गई,आजा बेटा अम्मा की चूत को ठंडा कर दे आ आ चोद दे अपनी माँ को भोला .

अम्मा अभी तो मैने छोटी को लोढ़ा पिलाया था, अब तुझे भी अभी चुदास लगी है ,थोड़ा रुक जा दोपहर में चोद दूंगा.

आ आ बेटा मान जा बड़ी जोर से चुदास सता रही है ,देख कैसे पानी बाह रहा है अम्मा की मुनिया से,
अम्मा साड़ी उठा कर अपना कला कलूटा भोसड़ा खोल कर भोला के सामने रख देती है, छोटी भी सम्हल चुकी थी, वो भी नंगी उठ कर अम्मा के पास आके खड़ी हो जाती है, भइया चोद दे न अम्मा को देखो चूत कैसे पानी छोङ रही है.

चल अम्मा नंगी होकर लेट जा आखिर तूने दूध जो पिलाया है, जनम जो दिया है, तेरा अहसान तुझे चोदकर उतारता हु छोटी तू भी आ जा में चोदता हु तू दूध पीना.

भोला अम्मा पर चढ़ जाता है और चूत में लैंड पेल कर अम्मा का भोसड़ा चोदने लगता है ,ओर छोटी अम्मा की
बड़ी बड़ी चूचियों को चूसने लगी भोला जोर जोर से लण्ड पेले जा रहा था, और अम्मा मस्ती में डूबी आ आ आआ हु हु औ आ चिल्लाने लगी, बेटा पेल और जोर से पेल आ मज़ा आ रहा है, भोला चोद ले अम्मा को आ मर गई अउ बेटा जोर से में गई अउ अउ भोला पूरा पेल दे बेटा अम्मा की चूत भर दे.

ले अम्मा ले खा ले मेरा लण्ड आ अम्मा मै भी आया माँ ह आ आ.

भोला और अम्मा दोनों एक साथ एक साथ छूट गऐ अम्मा की चूत भोला के माल से भर गई.

भैया रुकना अभी लण्ड मत निकलना चूत से में ब्रेड लेकर आती हु.

छोटी ब्रेड लेकर आई और अम्मा की चूत के निचे लगा दिया भोला ने लण्ड निकला और अम्मा की चूत से भोला के लण्ड के पानी और अम्मा के चूत के पानी का मिला जुला माखन ब्रेड पर बहने लगा जब बहना रुक गया,
तो छोटी ने ऊगली डाल डाल के चूत में से बचा माल निकाल कर ब्रेड पर लगा दिया, भोला अम्मा के मुँह के पास पंहुचा और अपना माल से सना लण्ड अम्मा के मुँह में दे दिया अम्मा कुल्फी जैसे चूस चूस कर लण्ड का माल चाटने लगी.

चाय तो भोला बना है लाया था ब्रेड बटर स्लाइस छोटी ने बना दी पूरा परिवार साथ मै बैठ कर नास्ता करने लगा.

तीनो बेसब्री से रात का इन्तजार कर रहे थे क्यों की रात को छोटी की सील खुलनी थी और, दस हजार रूपए आने वाले थे जिस से वो लोग टीबी और डीवीडी ख़रीद सके .

तो दोस्तों कहानी के इस पार्ट में मेने आप को सिखाया की" बिना बटर के भी ब्रेड बटर स्लाइस बनाया जा सकता है" वो भी "नो फेट नो शुगर " बाली

उम्मीद है आप को नास्ता पसंद आया होगा.
 
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ले रानी पकड़ यह दारू की बोतल और बकरे का मीट छोटी को बकरा बहुत पसंद है ना क्यों री छोटी

जी सेठ जी

रानी देख तो आज बड़ा शर्मा रही है छोटी क्या बात है मुनिया.

सेठ जी आज सील जो खोलने वाले हो आप इसकी इस लिए आप से शर्मा रही है आज इस की सुहागरात है ना लड़की सुहागरात को शर्माती है फिर जिंदगी भर चूत खोले खोले फिरती है आप आज इस की सील खोल दो फिर देखना कल से पियासी कुतिया की तरह चूत खुजाती फिरेगी हरामिन आदमी नहीं मिला तो कुत्ता से भी चुद जाएगी साली.
हा हा हा हा सही कह रही हो रानी बाई तुम ने तो जाने कितनो को रंडी बनाया है तुम से ज्यादा कौन जानता होगा चल भोला तू पेग बना और रानी तू बकरा निकाल आजा मेरी नई रांड नंगी होकर यह बैठ जा मेरी गोद में.

छोटी आज बहुत शर्मा रही थी वो सालों से सेठ का लण्ड चूस रही थी उन की गांड चाट रही थी अम्मा की चूत से उस का माल चाटती थी पिशाब भी पीती थी लेकिन आज उस को नई दुल्हन की तरह शर्म आ रही थी वो दुल्हन जो जानती थी की आज उसकी सील खुलने बाली है वो दुल्हन जो मन ही मन खुद चाहती थी के चुदाई का खेल जल्दी शुरू हो जल्दी सील खुले.

लेकिन वो समय वो आलम वो मंजर ही कुछ ऐसा होता है यहाँ आके सब लड़किया समान हो जाती है चाहे वो कोई रानी हो कोई खानदानी शरीफ लड़की हो या कोई कोई साधबी हो या कोई पाकीजा सूफियाना लड़की हो या कोई रंडी यह वो समय होता है जब वो केबल एक लड़की होती है धर्म जाति समाज के सारे बंधन बिलुप्त हो जाते है.
प्रथम सम्भोग करने वाला चाहे उस का पति हो प्रेमी हो गुरु हो भाई हो पिता हो कोई भी हो चाहे वो उस को सालो से जानती हो चाहे रोज उस के साथ हसीं ठिठोला करती हो लेकिन इस समय वो शर्म लाज हया से खुद को नहीं बचा सकती.

छोटी कपडे उतार कर नंगी हो कर शर्माते शर्माते सेठ के पास पहुंच कर खड़ी हो गई सेठ ने उस को खीच कर गोदी में बैठा लिया वो नजरे झुकाए गोदी में बैठ गई उस की सांसे तेज़ चल रही थी शरीर हलके हलके से काँप रहा था कला कलूटा सेठ उस के दूध सहला रहा था उस की गांड सेठ के खड़े होते लण्ड को महसूस कर रही थी उस की आखे बंद होती जा रही थी कुवारी चूत पनिया रही थी सेठ पुराना पापी था जनता था सील कैसे खोली जाति है कुवारी लड़की को कैसे गरम किया जाता है वो पूरी जीव निकाल कर छोटी की गर्दन और चेहरा चाट रहा था और हलके हलके छोटी के 28 साइज के दूध दवा रहा था.

रानी भी बकरे का मीट लेकर पास आ गई और भोला ने चार गिलास में शराब भर दी
 
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