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Thriller गहरे राज़: आनंद की खोज

Policewala0110

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Friends mai ek writing me apna career banane ki koshish karna chahta hun ho sake to mujhe protsahit kariyega aur main koshish karunga ki aap sabhi ka manoranjon kar saku
To suru karte kahani




अध्याय 1: रहस्यमयी पुस्तक

हिमालय की तलहटी में एक छोटा, शांत गाँव था, जिसका नाम "शिवगंगा" था। यहाँ हर सुबह पंछियों का मधुर संगीत गूंजता, और हिमालय की बर्फ से ढकी चोटियाँ सूरज की पहली किरणों से झिलमिलातीं। इसी गाँव में रहता था आनंद, एक ऐसा युवक जिसे दुनिया की चमक-दमक से कोई लगाव नहीं था। वह साधारण जीवन जीता था, लेकिन उसके मन में एक असाधारण जिज्ञासा थी। उसे प्राचीन चीज़ों, गुप्त कहानियों, और रहस्यमय घटनाओं में गहरी रुचि थी।

आनंद का सबसे पसंदीदा स्थान गाँव का प्राचीन मंदिर था, जो सदियों पुराना था। लोग कहते थे कि इस मंदिर में देवताओं का वास हुआ करता था, लेकिन समय के साथ यह स्थान वीरान हो गया। अब वहाँ सिर्फ कुछ बुजुर्ग श्रद्धालु आते थे। आनंद के लिए यह मंदिर केवल पूजा का स्थान नहीं था, बल्कि उसके सपनों और कल्पनाओं की दुनिया का दरवाजा था।

पुस्तकालय में छुपा खजाना

मंदिर के पिछले हिस्से में एक पुराना पुस्तकालय था, जहाँ धूल से भरी अलमारियाँ और जालों से ढकी किताबें रखी थीं। आनंद अक्सर वहाँ घंटों बिताता, पुरानी किताबों और शिलालेखों का अध्ययन करता। एक दिन, जब वह अलमारियों के पीछे छुपे हुए कोनों को टटोल रहा था, तो उसकी नजर एक अनोखी किताब पर पड़ी।

यह किताब बाकी सभी किताबों से अलग थी। इसका आवरण चमड़े का बना हुआ था, जो समय के साथ मटमैला और खुरदुरा हो गया था। किताब के ऊपर उकेरे गए चिन्ह अजीब और रहस्यमयी थे, जैसे वे किसी प्राचीन भाषा में हों। आनंद ने उसे धीरे से उठाया। उसके स्पर्श मात्र से उसे एक अजीब सा कंपन महसूस हुआ, जैसे किताब में कोई अदृश्य ऊर्जा हो।

किताब खोलते ही उसके पन्नों से एक हल्की चमक निकली और आनंद को लगा कि जैसे वह किसी और ही दुनिया में खिंच गया हो। पन्नों पर लिखी भाषा उसके लिए पूरी तरह से अनजानी थी, लेकिन उसमें बने चित्र स्पष्ट और अद्भुत थे।

चित्रों की अनोखी दुनिया

पुस्तक के पहले पन्ने पर एक विशाल वृक्ष का चित्र था। यह कोई साधारण पेड़ नहीं था। उसकी जड़ें धरती के गर्भ में बहुत गहराई तक समाई हुई थीं, और शाखाएँ आसमान के पार तक जाती थीं। हर शाखा पर चमकती हुई लताएँ लिपटी थीं, और पेड़ से एक स्वर्णिम रोशनी फूट रही थी। अगले पन्ने पर एक विशाल पत्थर का द्वार था, जिसके चारों ओर गुप्त प्रतीक और चिन्ह बने हुए थे। इसके बाद, एक चित्र में आसमान में तैरती हुई एक अद्भुत उड़न तश्तरी दिखाई दी, जो एक प्राचीन नगर के ऊपर मँडरा रही थी।

हर पन्ना जैसे एक अलग रहस्य बताता था। लेकिन आनंद के मन में सबसे बड़ा सवाल यह था—यह किताब यहाँ कैसे आई, और इसमें लिखे ये संकेत क्या मतलब रखते हैं?

गाँव के बुजुर्गों की सलाह

आनंद ने यह किताब लेकर गाँव के सबसे बुजुर्ग व्यक्ति, पंडित हरिहर के पास जाने का निश्चय किया। हरिहर एक ज्ञानी व्यक्ति थे, जिन्हें प्राचीन लिपियों और संस्कृतियों की गहरी समझ थी। उन्होंने किताब को ध्यान से देखा और कहा,
"यह कोई साधारण पुस्तक नहीं है, आनंद। इसमें एक प्राचीन सभ्यता का रहस्य छुपा है। यह सभ्यता उस समय की है जब इंसान के पास वह ज्ञान था, जो आज हमने खो दिया है। लेकिन याद रखना, इस किताब को पढ़ना आसान नहीं होगा। यह अपने रहस्यों को उन्हीं पर प्रकट करती है जो इसके लायक होते हैं।"

हरिहर की बातों ने आनंद के भीतर एक नई लहर जगा दी। उसे लगा कि यह किताब उसे खोजने के लिए ही यहाँ तक आई है। लेकिन उसे समझ नहीं आ रहा था कि शुरुआत कहाँ से करे।

पुस्तक का रहस्य सुलझाने की शुरुआत

आनंद ने किताब को अपने घर ले जाकर रात-दिन उसका अध्ययन करना शुरू किया। उसने किताब के प्रतीकों को समझने के लिए गाँव के दूसरे बुजुर्गों से बातचीत की। उसने मंदिर के अन्य ग्रंथों को खंगाला और यहाँ तक कि गाँव के बाहर के विद्वानों से भी मदद मांगी। धीरे-धीरे, उसने किताब के संकेतों को जोड़ना शुरू किया।

किताब के पन्नों में छुपे रहस्यों ने उसे एक संदेश दिया—एक खोई हुई सभ्यता, जिसने धरती को बचाने के लिए एक अद्भुत शक्तिशाली वस्तु बनाई थी। लेकिन वह वस्तु अब खतरे में थी, और इसे बचाने के लिए "चुने हुए व्यक्ति" को आगे आना था।

आनंद ने महसूस किया कि वह व्यक्ति वही है। किताब की हर कहानी, हर चित्र जैसे उसे उसके मार्ग की ओर इशारा कर रहे थे। पर यह मार्ग सीधा नहीं था। उसे अब उन पहेलियों को सुलझाना था जो उसे उस शक्तिशाली वस्तु तक ले जा सकती थीं। लेकिन इस यात्रा में उसे अज्ञात खतरों का सामना करना होगा।

नई यात्रा की शुरुआत

रात के सन्नाटे में जब पूरा गाँव सो रहा था, आनंद ने किताब को कसकर पकड़ा और अपने भीतर एक संकल्प लिया। यह यात्रा केवल उसके लिए नहीं थी। यह एक सभ्यता के खोए हुए इतिहास को ढूंढने और मानवता को बचाने की यात्रा थी।

आनंद का सफर शुरू हो चुका था, और उसके सामने दुनिया के सबसे बड़े रहस्यों में से एक का दरवाजा खुलने वाला था।

(अध्याय 1 समाप्त)

क्या आनंद उस शक्तिशाली वस्तु को खोजने में सफल होगा? कौन-कौन सी बाधाएँ उसकी प्रतीक्षा कर रही हैं? यह सब जानने के लिए कहानी को आगे बढ़ाते हैं।
 
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Policewala0110

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अध्याय 2: प्राचीन संकेतों का संदेश

आनंद की रातें अब बेचैनी में कटने लगी थीं। रहस्यमयी पुस्तक के अजीबोगरीब चित्र और उसमें लिखी भाषा ने उसके मन में एक हलचल मचा दी थी। उसने जितना अधिक किताब के पन्नों को पलटा, उतना ही वह अपने आप को इन रहस्यों में उलझा हुआ महसूस करने लगा।

पुस्तक में हर पन्ना जैसे कोई पहेली थी। एक पन्ने पर अजीब से प्रतीक बने हुए थे, जिनके चारों ओर तारे और चाँद जैसे आकृतियाँ थीं। आनंद ने सोचा कि ये कोई खगोलीय संकेत हो सकते हैं। एक अन्य पन्ने पर एक मंदिर का चित्र था, जो उसके गाँव के मंदिर से मिलता-जुलता था, लेकिन कुछ अलग था। उस चित्र के नीचे एक पंक्ति लिखी थी, जिसे वह समझ नहीं पा रहा था।

पंडित हरिहर की ओर लौटना

अगले दिन आनंद फिर से पंडित हरिहर के पास गया। वह किताब को खोलकर उनके सामने रखता हुआ बोला,
"पंडित जी, यह चित्र और ये शब्द मेरे समझ के बाहर हैं। क्या आप इसमें मेरी मदद कर सकते हैं?"

हरिहर ने ध्यान से किताब का वह पृष्ठ देखा। उनके चेहरे पर हल्की चिंता उभरी।
"आनंद, यह संकेत सामान्य नहीं हैं। यह एक खगोलीय पथ को दर्शाते हैं। यह दिखाते हैं कि इस किताब में जो रहस्य छुपा है, वह केवल तभी खुलेगा जब सही समय और स्थान का मेल होगा।"

हरिहर ने आगे बताया कि हिमालय के पास एक पुराना खगोलीय केंद्र है, जिसे लोग 'तारामंडल गुफा' कहते हैं। ऐसा माना जाता है कि वहाँ से तारे और ग्रहों की गतिविधियों को समझने के लिए प्राचीन ऋषियों ने एक विशेष स्थान बनाया था। यह किताब शायद वहीं से जुड़ी हो।

यात्रा की तैयारी

यह सुनकर आनंद के मन में उत्सुकता बढ़ गई। उसने तुरंत निर्णय लिया कि वह 'तारामंडल गुफा' जाएगा। लेकिन यह यात्रा आसान नहीं थी। गुफा गाँव से कई दिनों की पैदल यात्रा पर थी, और रास्ते में खतरनाक जंगल और पहाड़ी रास्ते आते थे।

आनंद ने यात्रा के लिए तैयारियाँ शुरू कीं। उसने गाँव के लोहार से एक मजबूत चाकू लिया और बुजुर्गों से जंगल का नक्शा उधार लिया। साथ ही, उसने अपनी थैली में सूखे मेवे, रोटी, और पानी भर लिया।

उसकी माँ, जानकी, उसकी तैयारी देखकर चिंतित हो गईं।
"बेटा, इतनी दूर अकेले मत जाओ। यह जंगल खतरनाक है। वहाँ जानवर और लुटेरे दोनों हो सकते हैं," माँ ने कहा।
लेकिन आनंद ने अपनी माँ को दिलासा दिया,
"माँ, मैं कुछ खास खोजने जा रहा हूँ। यह सिर्फ मेरे लिए नहीं, बल्कि हमारे गाँव और हमारे इतिहास को समझने के लिए जरूरी है। आप मुझ पर भरोसा रखें।"

जंगल का प्रवेश

आनंद ने सुबह होते ही अपनी यात्रा शुरू की। सूरज की पहली किरणों के साथ, वह गाँव की सीमा से बाहर निकल गया। चारों ओर पहाड़ों और हरियाली का नज़ारा उसकी यात्रा को रोमांचक बना रहा था। लेकिन जैसे-जैसे वह आगे बढ़ा, रास्ता कठिन होता गया।

जंगल के भीतर घुसते ही उसे अहसास हुआ कि यहाँ की शांति में भी एक अजीब सी बेचैनी थी। पक्षियों की आवाजें अचानक बंद हो गईं, और चारों ओर केवल पत्तों की सरसराहट सुनाई दे रही थी।

रास्ते में उसे कुछ विचित्र निशान दिखे—जमीन पर अजीब से पंजों के निशान और पेड़ों पर कटे हुए चिन्ह। यह देखकर उसका दिल जोर से धड़कने लगा।
"क्या यह निशान किसी जानवर के हैं, या कोई और चीज़?" आनंद ने खुद से पूछा।

रहस्यमय व्यक्ति का आगमन

जंगल के एक खुले हिस्से में आनंद ने थोड़ी देर के लिए आराम करने का सोचा। वह एक चट्टान पर बैठा, तभी उसे एक हलचल महसूस हुई। उसने पलटकर देखा तो एक अजनबी खड़ा था। वह एक लंबे कद का व्यक्ति था, जिसकी आँखें गहरी और तेज थीं। उसके हाथ में एक लकड़ी की छड़ी थी, और उसके कंधे पर एक झोला टंगा हुआ था।

"तुम यहाँ क्या कर रहे हो, नौजवान?" उस व्यक्ति ने गंभीर आवाज़ में पूछा।
आनंद ने झिझकते हुए कहा,
"मैं 'तारामंडल गुफा' की ओर जा रहा हूँ। एक प्राचीन किताब ने मुझे यहाँ तक लाया है।"

यह सुनकर उस अजनबी के चेहरे पर हल्की मुस्कान आई।
"क्या तुम्हें पता है कि तुम किस रास्ते पर चल रहे हो? यह जंगल केवल उनका मार्गदर्शन करता है, जिनकी नियति यहाँ से जुड़ी होती है। क्या तुम सच में तैयार हो?"

आनंद को उस व्यक्ति की बातों में गहराई महसूस हुई। उसने सिर हिलाकर जवाब दिया,
"हाँ, मैं तैयार हूँ। मुझे उस गुफा तक पहुँचना ही है।"

वह व्यक्ति थोड़ी देर तक चुप रहा, फिर बोला,
"तो ठीक है। मैं तुम्हारी मदद करूँगा, लेकिन याद रखना, यह यात्रा केवल तुम्हारी जिज्ञासा तक सीमित नहीं रहेगी। यह तुम्हारे धैर्य और साहस की परीक्षा भी लेगी।"

गुफा के करीब

अजनबी ने आनंद को जंगल के कुछ खतरनाक हिस्सों से सुरक्षित पार करवाया। उन्होंने रात को एक सुरक्षित स्थान पर डेरा डाला। रात के आकाश में चमकते तारों को देखकर अजनबी ने कहा,
"आकाश के ये तारे हमारे पूर्वजों का संदेश हैं। यह किताब और तुम्हारी यात्रा का संबंध इनसे है। जब समय आएगा, सब स्पष्ट हो जाएगा।"

अगले दिन, आनंद गुफा के करीब पहुँच चुका था। लेकिन गुफा के बाहर एक बड़ी पहेली उनका इंतजार कर रही थी। वहाँ पत्थरों पर उकेरे गए वही अजीब चिन्ह थे, जो किताब में थे।

क्या आनंद गुफा के रहस्यों को सुलझा पाएगा? और वह अजनबी कौन था, जो उसकी मदद कर रहा था? ये सारे सवाल अगले अध्याय में खुलेंगे।

(अध्याय 2 समाप्त)
 
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Policewala0110

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अध्याय 3: तारामंडल गुफा के द्वार पर

गुफा के विशाल द्वार के सामने खड़ा आनंद जैसे समय की धारा में खो गया। द्वार की दीवारें प्राचीन कलाकृतियों से सजी थीं, जिनमें चमकते हुए तारे, घूमते ग्रह, और रहस्यमय आकृतियाँ उकेरी गई थीं। ये चित्र किसी साधारण शिल्पकार के नहीं लगते थे। उनके भीतर एक ऐसा आकर्षण था, जो ध्यान खींचने के साथ-साथ डर का भी आभास देता था।

उसके साथ आया रहस्यमय अजनबी, जिसे अब तक आनंद ने केवल "गाइड" के नाम से बुलाया था, चुपचाप खड़ा था। उसकी आँखें गुफा के द्वार के चिन्हों पर टिकी थीं, जैसे वह उन्हें पहचानता हो। आनंद ने धीरे से पूछा,
"आपने कहा था कि यह गुफा केवल उन्हें स्वीकार करती है, जिनकी नियति इससे जुड़ी है। लेकिन यह कैसे तय होगा कि मैं अंदर जा सकता हूँ या नहीं?"

गाइड ने एक लंबी साँस लेते हुए कहा,
"यह गुफा तुमसे खुद सवाल पूछेगी। यह तुम्हारे इरादों को परखेगी। लेकिन याद रखना, यहाँ कोई धोखा नहीं चल सकता। तुम्हें सच बोलना होगा।"

गुफा के द्वार की पहली परीक्षा

आनंद ने गाइड के कहे शब्दों को अपने भीतर दोहराया। उसने धीरे-धीरे कदम बढ़ाए और गुफा के द्वार के पास पहुँचा। जैसे ही उसने द्वार को छुआ, एक अद्भुत घटना घटी। द्वार की दीवारों पर उकेरे गए चिन्ह हल्के-हल्के चमकने लगे। यह चमक धीरे-धीरे बढ़कर पूरे द्वार पर फैल गई।

अचानक, आनंद के सामने एक उजाले का गोला उभरा, और उसमें से एक गूंजती हुई आवाज आई,
"जो इस द्वार को पार करना चाहता है, उसे पहले अपने भीतर झाँकना होगा। कौन हो तुम, और क्यों यहाँ आए हो?"

आनंद इस अप्रत्याशित घटना से घबरा गया, लेकिन उसने अपनी हिम्मत को सँभाला।
"मेरा नाम आनंद है। मैं एक प्राचीन किताब के संकेतों का पीछा करते हुए यहाँ तक आया हूँ। मुझे इसका रहस्य समझना है, और यह जानना है कि इस किताब का मेरे जीवन से क्या संबंध है।"

द्वार की आवाज फिर गूंजी,
"सच को स्वीकारना आसान नहीं है। लेकिन आगे बढ़ने के लिए तुम्हें यह साबित करना होगा कि तुम इस यात्रा के योग्य हो। क्या तुम अपने भीतर के डर का सामना कर सकते हो?"

आवाज के साथ ही चारों ओर का वातावरण बदलने लगा। आनंद को ऐसा महसूस हुआ कि वह किसी और ही दुनिया में आ गया है।

भीतर के डर का सामना

आनंद अब एक अंधेरे जंगल में था। चारों ओर से तेज हवाएँ चल रही थीं, और उसकी आँखों के सामने वह दृश्य उभरने लगे, जो उसकी सबसे बड़ी कमजोरियों और डर को दर्शाते थे। उसने अपने माता-पिता को गुम होते देखा—वही डर जो बचपन से उसे परेशान करता था। उसने अपने भीतर से उठती असफलता की आवाजें सुनीं, जो उसे कमजोर महसूस करा रही थीं।

लेकिन फिर उसे अपनी माँ की बात याद आई:
"डर को स्वीकार करो, क्योंकि वह केवल तुम्हारे मन का भ्रम है। अगर तुम उससे मुँह मोड़ोगे, तो वह तुम्हें नियंत्रित करेगा। लेकिन अगर तुम उसका सामना करोगे, तो वह तुम्हें मजबूत बनाएगा।"

आनंद ने गहरी साँस ली और खुद को शांत किया। उसने अपने डर की ओर देखते हुए कहा,
"तुम मेरा हिस्सा हो, लेकिन तुम मुझे पराजित नहीं कर सकते। मैं यहाँ हारने नहीं, सीखने आया हूँ।"

जैसे ही उसने यह कहा, चारों ओर की हवा शांत हो गई। जंगल का अंधकार गायब हो गया, और आनंद फिर से गुफा के द्वार के सामने खड़ा था।

द्वार का खुलना

द्वार पर बनी आकृतियाँ अब तेज चमकने लगीं। द्वार धीरे-धीरे खुला, और उसके पीछे एक लंबा और गहरा मार्ग नजर आया। गाइड ने मुस्कुराते हुए कहा,
"तुमने पहली परीक्षा पास कर ली है। लेकिन याद रखना, असली चुनौती अभी बाकी है। यह सिर्फ शुरुआत है।"

गाइड के साथ, आनंद गुफा के भीतर प्रवेश कर गया। गुफा के अंदर का दृश्य अविश्वसनीय था। दीवारों पर चमकते हुए रत्न जड़े थे, जिनसे हल्की रोशनी फूट रही थी। गुफा का फर्श बिल्कुल समतल और चिकना था, जैसे इसे किसी अद्भुत तकनीक से बनाया गया हो।

प्राचीन कक्ष

कुछ देर तक चलते रहने के बाद, वे एक विशाल कक्ष में पहुँचे। इस कक्ष के बीचों-बीच एक गोलाकार मंच था, जिसके ऊपर एक रहस्यमयी उपकरण रखा हुआ था। यह उपकरण गोल आकार का था और उस पर वही चिन्ह उकेरे थे, जो किताब में थे।

गाइड ने आनंद की ओर देखा और कहा,
"यह उपकरण तुम्हारी किताब के रहस्यों को खोलने की पहली कुंजी है। लेकिन इसे सक्रिय करने के लिए तुम्हें इसे सही तरह से समझना होगा।"

आनंद ने मंच पर कदम रखा और उस उपकरण को ध्यान से देखा। उसे याद आया कि किताब के कुछ पन्नों पर ऐसे ही चिन्ह बने हुए थे। उसने अपनी किताब निकाली और पन्नों को उपकरण के प्रतीकों से मिलाने लगा।

अचानक, उपकरण हल्का-हल्का चमकने लगा। उसकी सतह पर एक लिपि उभरने लगी, जो पहले गायब थी। यह लिपि अब स्पष्ट हो चुकी थी। गाइड ने उसे पढ़ा और गंभीरता से कहा,
"यह तुम्हें एक नए स्थान पर ले जाने का संकेत दे रहा है। लेकिन यह स्थान तुम्हारे धैर्य और साहस की कड़ी परीक्षा लेगा। क्या तुम तैयार हो?"

आनंद ने बिना हिचकिचाए सिर हिलाया।
"मैं तैयार हूँ। जो भी करना होगा, मैं करूंगा।"

एक और अनजान यात्रा की शुरुआत

गाइड ने उपकरण को सक्रिय किया, और पूरा कक्ष एक बार फिर रोशनी से भर गया। आनंद को ऐसा महसूस हुआ, जैसे उसका शरीर हल्का हो गया है, और वह किसी अदृश्य शक्ति से खिंचता हुआ किसी नए स्थान पर जा रहा है।

आनंद की आँखों के सामने नई चुनौतियाँ, रहस्यमय स्थान, और खतरनाक मार्ग खुलने वाले थे।
क्या यह उपकरण उसे उस शक्तिशाली वस्तु तक ले जाएगा, या यह केवल एक और पहेली होगी?

(अध्याय 3 समाप्त)

अगले
अध्याय में आनंद का सामना नई दुनिया और उसके अद्भुत रहस्यों से होगा।
 
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Agasthya

I'm flying solo...
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Annual Story Contest - XForum
Hello everyone!
We are thrilled to present the annual story contest of XForum!
"The Ultimate Story Contest" (USC).

"Win cash prizes up to Rs 8500!"


Jaisa ki aap sabko maloom hai abhi pichhle hafte hi humne USC ki announcement ki hai or abhi kuch time pehle Rules and Queries thread bhi open kiya hai or Chit Chat thread toh pehle se hi Hindi section mein khula hai.

Well iske baare mein thoda aapko bata dun ye ek short story contest hai jisme aap kisi bhi prefix ki short story post kar sakte ho, jo minimum 700 words and maximum 8000 words ke bich honi chahiye (Story ke words count karne ke liye is tool ka use kare — Characters Tool) . Isliye main aapko invitation deta hun ki aap is contest mein apne khayaalon ko shabdon kaa roop dekar isme apni stories daalein jisko poora XForum dekhega, Ye ek bahot accha kadam hoga aapke or aapki stories ke liye kyunki USC ki stories ko poore XForum ke readers read karte hain.. Aap XForum ke sarvashreshth lekhakon mein se ek hain. aur aapki kahani bhi bahut acchi chal rahi hai. Isliye hum aapse USC ke liye ek chhoti kahani likhne ka anurodh karte hain. hum jaante hain ki aapke paas samay ki kami hai lekin iske bawajood hum ye bhi jaante hain ki aapke liye kuch bhi asambhav nahi hai.

Aur jo readers likhna nahi chahte woh bhi is contest mein participate kar sakte hain "Best Readers Award" ke liye. Aapko bas karna ye hoga ki contest mein posted stories ko read karke unke upar apne views dene honge.

Winning Writer's ko well deserved Cash Awards milenge, uske alawa aapko apna thread apne section mein sticky karne ka mouka bhi milega taaki aapka thread top par rahe uss dauraan. Isliye aapsab ke liye ye ek behtareen mouka hai XForum ke sabhi readers ke upar apni chhaap chhodne ka or apni reach badhaane kaa.. Ye aap sabhi ke liye ek bahut hi sunehra avsar hai apni kalpanao ko shabdon ka raasta dikha ke yahan pesh karne ka. Isliye aage badhe aur apni kalpanao ko shabdon mein likhkar duniya ko dikha de.

Entry thread 25th March ko open ho chuka matlab aap apni story daalna shuru kar sakte hain or woh thread 25th April 2025 tak open rahega is dauraan aap apni story post kar sakte hain. Isliye aap abhi se apni Kahaani likhna shuru kardein toh aapke liye better rahega.

Aur haan! Kahani ko sirf ek hi post mein post kiya jaana chahiye. Kyunki ye ek short story contest hai jiska matlab hai ki hum kewal chhoti kahaniyon ki ummeed kar rahe hain. Isliye apni kahani ko kayi post / bhaagon mein post karne ki anumati nahi hai. Agar koi bhi issue ho toh aap kisi bhi staff member ko Message kar sakte hain.

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