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Adultery गांड बचा के आये हैं......INCEST + ADULTARY

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हेल्लो दोस्तों....ये मेरी पहली कहानी है इस फोरम पर...आप सबके सपोर्ट की उम्मीद रहेगी.....कहानी ज्यादा लम्बी नहीं रहेगी...इस कहानी को अगर आपका सपोर्ट मिला तो आगे और भी लिखूंगा.....कहानी थोड़ी बहुत इन्सेस्ट है और ज्यादातर adultary है....


फिलहाल इसे शुरू करते हैं....
 

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मैं....राजेश.......उम्र 28 साल....मेरी पत्नी.....सीमा....उम्र 28 साल...हम दोनों ने प्रेम विवाह किया था....हमारी शादी को अभी सिर्फ 2 हफ्ते ही हुए थे.....हम एक साथ पढ़ते थे फिर एक साथ ही जॉब भी शुरू की....पढाई के दिनों से ही हमारे बीच प्यार हो गया था और फिर जॉब लगने के बाद दोनों ने शादी करने का फैसला कर लिया... हम दोनों घर से बाहर रह कर अपनी पढाई कर रहे थे...शादी का फैसला भी एकदिन अचानक ही लिया इसलिए हमने अपनी शादी में किसी को बुलाया नहीं था....मेरे घर में मेरे अलावा मेरे पेरेंट्स हैं और मैं एकलौती संतान हूँ...लेकिन सीमा की फॅमिली काफी बड़ी थी.....हम कभी एक दुसरे की फॅमिली से फोर्मली नहीं मिले थे....हाँ कभी कभार स्टूडेंट लाइफ में जब किसी के घर वाले आते थे तो ऐसे ही मुलाकात होती थी.......


मेरे घर वालों को मेरी शादी से कोई आपति नहीं थी...बल्कि वो लोग खुश ही थे....हम दोनों ने शादी के बाद अपने अपने जॉब से करीब ३ हफ्ते की छुट्टी ली...हमारा प्लान था की इन दिनों में हम अपने घर में रहेंगे....पहले हम दोनों मेरे घर गए.....वहां हम करीब ७ दिन रहे......उसके बाद हम सीमा के घर जाने वाले थे...

यहाँ आपको थोडा सा सीमा के और अपने बारे में बता दूं.....मैं तो मिडिल क्लास फॅमिली से हूँ....सीमा ने भी पहले मुझे यही बताया था की वो भी मिडिल क्लास फॅमिली से ही है....लेकिन जब हमारा रिलेशन शुरू हुआ तो मुझे धीरे धीरे पता चला की सीमा काफी अमीर घर से है और उसके पापा का बहुत बड़ा बिज़नस है.....उसने ये बात शुरू में क्यों नहीं बताई ये मैंने उससे कभी नहीं पुचा.....शुरू में हम दोनों सिंपल क्लासमेट ही थे...लेकिन समय के साथ साथ हम पास आते गए.....मैं थोडा शाय किस्म का था..इसलिए लगभग हर बात की पहल सीमा ने ही की...उसी ने पहली बार मुझे फिल्म दिखाने के लिए कहा...पहली बार डिनर के लिए बाहर ले जाने के लिए कहा......वो खुद ही मेरी बाइक के पीछे मुझसे चिपक के बैठी...मुझे अपने साथ शौपिंग के लिए ले के गयी.....अपनी ड्रेस्सेस और यहाँ तक की अपने अंडर गारमेंट्स भी मेरी पसंद के खरीदे...उसने खुद ही सिनेमा हाल में मेरा हाथ ले के अपनी जांघ पे रखा.....मुझे किस किया....
 

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ऐसा नहीं की मैं फट्टू था....या मुझे इन सबका शौक नहीं था...मैं भी एक नम्बरी ठरकी था..लेकिन मुझे हमेशा ये लगता था की कहीं ऐसा न हो की मेरी किसी बात का उसे बुरा लग जाये और वो नाराज हो गए....शायद हम सब सभी लड़कों में शुरू शुरू में ये डर होता है....हम माचो बनना चाहते हैं और कब चूतिया बन जाते हैं पता ही नहीं चलता.....मेरे लिए सीमा का मेरी जिंदगी में आना और मेरा इतना ख्याल रखना किसी सपने से कम नहीं था...इसलिए मन में ये शंका रहा करती थी की कहीं मैं उसे खो न दूं.....मुझे याद है जब चुम्मा चाटी एक आम बात हो गयी थी हमारे बीच तो धीरे धीरे उसने फंतासी और रोल प्ले जैसी चीजों पर भी मुझे सहज कर दिया था...ये सब उसी का जादू था....पढाई के ५ साल और फिर जॉब के १ साल के समय के दौरान हमने एक दुसरे की हर एक ठरक पूरी की थी....जॉब लगने के बाद हम एक साथ रहने लगे थे.....तो जो थोड़ी बहुत दूरी अलग अलग रहने के कारन थी वो भी ख़त्म हो गयी....हालाँकि इसके बाद भी हम अपने अपने करियर को ले के बहुत सीरियस थे...हम दोनों अलग अलग ऑफिस में काम करते थे लेकिन मैंने उसे उसके ऑफिस जा के चोदा था और वो भी मेरे ऑफिस में मुझसे चुदवा चुकी थी.....ऑफिस तो क्या हमने पता नहीं कहाँ कहाँ चुदाई की थी.....यहाँ तक की एक बार मौका लगा के हमने अपने मकान मालिक के घर में चुदाई की थी......मुझे याद है उस दिन मैंने अपनी मुट्ठ उसके सोफे पे गिरायी थी....पता नहीं उन लोगों को मालूम चला या नहीं चला.....खैर...शोर्ट में कहूं तो सीमा मेरी जिंदगी में किसी वरदान की तरह आई थी.....शादी के बाद हम जब मेरे घर में थे तो मैंने देखा की वो कितने अच्छे से मेरे पेरेंट्स का ख्याल रख रही थी....मेरे पेरेंट्स को लगता था की मैं नम्बरी फुद्दू हूँ लेकिन सीमा का मुझसे इतना प्यार देख कर उनकी नज़रों में कहीं मेरे लिए भी थोड़ी इज्जत बढ़ गयी थी...


एक पत्नी यदि आपसे इतना प्यार करे तो आपका भाव आपके समाज में बढ़ ही जाता है......लेकिन शादी में पत्नी के अलावा भी और कई सारे किरदार होते हैं....सीमा को उसके ससुराल वालों ने बहुत मन से स्वीकार कर लिया था...अब बरी थी की मुझे मेरे ससुराल वाले ऐसे स्वीकार करते हैं.....कभी कभी सीमा की छोटी बहन से मेरी बात हुआ करती थी...उससे तो मेरी अच्छी पट जाती थी लेकिन सीमा से हमेशा यही सुना था की उसके पापा बहुत मनी माइंडेड हैं और सीमा का जॉब करना उन्हें कुछ खास पसंद नहीं है.....मैंने भी सोचा था की जब सीमा मेरे लिए इतना कुछ कर सकती है मेरी लाइफ के हर पहलू का इतने अच्छे से ख्याल रख सकती है तो थोडा बहुत तो मैं भी उसके लिए कर ही सकता हूँ........सीमा से मैंने जब कभी भी उसकी फॅमिली के बारे में बात करनी चाही थी तो किसी न किसी बहाने से ताल जाया करती थी....कई बार तो वो ये कह देती थी की जब हमारे शादी हो जाएगी तो न चाह कर भी तुम मेरी फॅमिली के बारे में सब कुछ जान ही जाओगे तो इतनी जल्दी क्या है...अभी मुझे जानो जब टाइम आएगा तब मेरी फॅमिली के बारे में खुद ही जान लेना.......

मुझे याद है जब हम लोग मेरे घर से रवाना हुए सीमा के घर के लिए तो रस्ते में उसने मुझसे ज्यादा बात नहीं की....हालाँकि वो बहुत बातूनी है....उसने कई बार मुझसे कहा की मेरी फॅमिली में और मुझमे अंतर है....तुम मेरी फॅमिली को देख कर मेरे बारे में कुछ मत सोचना...ध्यान रखना की मैं सिर्फ तुम्हारे लिए बनी हूँ और मेरी फॅमिली कैसी भी हो तुम्हारे लिए मेरा प्यार सच्चा है....
 

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उसकी ऐसी बातें मेरे मन में और ज्यादा शंका पैदा कर रही थी की पता नहीं कैसी फॅमिली है इसकी...कहीं उनके सींग पूँछ तो नहीं लगा हुआ है....साले इंसान ही हैं या जानवर का घर है....मन में एक कौतूहल भी था और कुछ हद तक फटी भी हुई थी....फटी इसलिए हुई थी की जो लड़की मुझसे खुली सड़क तक में चुदवा चुकी हो....जिसने प्रिंसिपल के ऑफिस में cctv के सामने मेरा लंड चूसा था...जब उस लड़की की फट सकती है खुद अपनी फॅमिली से मुझे मिलवाने में तो जरुर कोई बहुत बड़ी अफलातूनी फॅमिली है ये.....अब तो ओखली में सर दे दिया था...अब मूसल सर पे पड़े चाहे गांड में घुसे पीछे हटने का सवाल नहीं था....मैंने सीमा को इसके पहले भी हर बार ये कहा था की मुझे उसकी फॅमिली से कोई असर नहीं पड़ेगा....जितना सच्चा प्यार उसका है मेरे लिए उतना ही सच्चा प्यार मेरा है उसके लिए.....हालाँकि पिछले कई सालों में हमने एक दुसरे के साथ अपनी हर बात खोल के रख दी थी...बिना शर्म के बिना डर के लेकिन....आज हम दोनों की फटी पड़ी थी......


करीब एक दिन का लम्बा सफ़र था....जब हमारी ट्रेन अपने शहर में आई तो बाहर निकल के मैंने देखा की वहां हमें लेने के लिए एक गाडी और ड्राईवर थे.....जबकि मेरे शहर में हमें लेने के लिए मेरे पेरेंट्स आये थे....यहाँ उसकी फॅमिली के किसी को न देख के अनायास ही मेरे मुंह से निकल गया की तुमने बताया नहीं था क्या घर में की हम आ रहे हैं....मेरी बात सुन कर सीमा के चेहरे पर जो दुःख और पछतावे का भाव आया उसे देख के मैं समझ गया की मैंने ये गलत सवाल कर दिया...मैंने तुरंत बात को पलता...सामान उठाया और सीमा की कमर में हाथ डाल के कार की तरफ चल दिया...कार भी साली एक नम्बरी थी....बड़ी सी थी...अन्दर घुसो तो लगे कार नहीं बेडरूम है......मेरे घर में स्विफ्ट थी....मैंने इस तरह की कार सिर्फ पिक्स में देखि थी....जब मैं कार में बैठा बैठा अन्दर की फीलिंग ले रहा था तो मैंने देखा की सीमा मुझे चुपचाप देख रही है...और उसके चेहरे पर ऐसा भाव था जैसे सोच रही हो की ये चूतिया ही रहेगा हमेशा......मैं भी सहम गया और शांति से उसकी बगल में बैठ गया....ड्राईवर गाड़ी चला रहा था...शहर पार करने के बाद हम एक बड़े आलीशान गेट से अन्दर आये...करीब आधे किलोमीटर का तो वो ड्राइव वे रहा होगा....साला इतने में तो हमारे शहर में प्लोटिंग कर के कॉलोनी बेच देते हैं जितने में इनकी गाड़ी घुमने की जगह है....
 

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हम कार से बहार उतरे तो वहां घर के नौकर तो थे लेकिन फॅमिली का कोई सदस्य नहीं था...मैंने बात पर गौर तो किया लेकिन कुछ कहा नहीं....घर में अन्दर आये तो मेरी आँखें फट गयी...मैं तो खड़ा हो के पहले पूरे घर को देखना चाहता था..इतना शानदार इंटीरियर लेकिन सीमा का ख्याल आया की वो फिर से चुटिया समझेगी इसलिए चुपचाप चलता रहा......सीमा सीधे मुझे ऊपर वाले फ्लोर में ले गयी जो की उसका कमरा था.....कसम से सीमा का कमरे जितना बड़ा तो मेरा पूरा घर था....उसके कमरे में एक बालकनी थी..अटेच बाथरूम था...ड्रेसिंग रूम था...छोटा सा जिम था...बाप रे कमरा नहीं पूरा घर था......

मैं उसके कमरे को घूम घूम के देख रहा था की तभी वहां खड़े नौकर ने कहा की सभी लोग वेस्ट एंड वाले पूल में हैं.....इतना कह कर वो चला गया......सीमा ने कुछ नहीं कहा..बस दरवाजा बंद किया और सोफे पर बैठ गयी.....मेरे कानों में दो शब्द गूँज रहे थे...पूल और वेस्ट एंड वाला पूल....मतलब एक तो की घर में पूल है...उपर से वेस्ट एंड वाला पूल मतलब एक से ज्यादा पूल हैं....यहाँ हमारे शहर में पूरे शहर में एक तालाब है.....यहाँ इनके घर में पता नहीं कितने पूल हैं....शायद सीमा ने मेरे मन की बात ताड़ ली....

सीमा – हमारे यहाँ तीन पूल हैं....एक सिर्फ डेकोर के लिए है. एक बहार के गेस्ट्स के लिए और वेस्ट एंड वाला पूल सिर्फ हमारे लिए. वहां सिर्फ हमारी फॅमिली ही जाती और कोई नहीं.

मैं – हाँ...ठीक है..मुझे क्या फर्क पड़ता है...

सीमा – तुम्हारी आँखें फटी जा रही हैं जब से गाड़ी में बैठे हो...और कहते हो फर्क नहीं पड़ता...

मैं – सच में यार....मुझे तो जरा भी उम्मीद नहीं थी की तुम लोग इतने अमीर हो....

सीमा – अगर पता होता तो क्या अलग हो जाता?

मैं – अरे तब मैं मंदिर से थोड़ी न शादी करता. जी भर के दहेज़ लेता तुम्हारे पापा से.

सीमा – मिलेगा मिलेगा...दहेज़ भी मिलेगा....अच्चा सुनो...तुम बुरा मत मानना की घर से कोई आया नहीं..

मैं – तुम्हें क्या लगता है मैं इस बात से अपसेट हो जाऊंगा? तुमने इतनी बार मुझे अपनी फॅमिली को इगनोर करने के लिए कहा की अब वो कुछ भी करें मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता. मैं सिर्फ तुम्हें जनता हूँ. और तुम भी कल से कितनी टेंस हो....यकीन करो...तुम्हारी फॅमिली मुझे कैसे भी ट्रीट करे...वो लोग कैसे भी हों...हमारे बीच का प्यार उससे कम नहीं होगा...तुम माइंड फ्री रखो. इतने सालों बाद अपने घर आई हो....एन्जॉय करो...
 

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मैं सीमा को और थोडा मोटीवेट करने वाला था की तभी उसका फ़ोन बजा.....कॉल उसके पापा का था...बात सुन के लगा की वो उसे पूल आने के लिए कह रहे हैं...सीमा कुछ न कुछ बहाना कर के पूल पर नहीं जाना चाह रही है....तभी सीमा ने अपने फ़ोन को स्पीकर पर डाला और मुझे उसके पापा की आवाज सुनाई दी...

पापा – राजेश....मैं तुम्हें राजेश ही कहूं या दामाद जी कहूं...क्या पसंद करोगे...

मैं – जी जैसा आपको ठीक लगे . आप मुझे राजेश ही कहें. मैं आपके बेटे जैसा ही हूँ.

पापा – अरे बेटे जैसे नहीं हो...बेटे ही हो....देखो सीमा नाराज है की हम लोग लेने नहीं आये....इसलिए वो यहाँ नहीं आ रही...सुनो तुम मनाओ उसको और दोनों लोग तुरंत पूल पे आ जाओ...ठीक है?

मैं – जी. जी बिलकुल. हम लोग आ रहे हैं....

कॉल कट हो गयी.....सीमा मुझे घूर रही थी....शायद कुछ कहना चाह रही थी लेकिन कह नहीं पा रही थी..मैंने उसे इशारा किया की इतनी टेंशन न लो...चलो चलते हैं....हमने चेंज नहीं किया...जिन कपड़ों में थे उसी में चल दिए...घर से बाहर आये कुछ दूर हरे भरे बगीचों और महकते फूलों से गुजरते हुए...आखिरकार हम पूल पर पहुच गए.......पहले मैंने पूल को देखा...फ़िल्मी स्टाइल का...बहुत बड़ा....एक कोने में शावर लगे थे और एक कोने में बार भी था...और फिर मैंने देखा पूल के पास के लोगों को....सीमा के पापा....सीमा की दो मम्मियां.....सीमा के दो भाई...और एक छोटी बहन....सब वहीँ थे...कुछ पूल के अन्दर और कुछ पूल के किनारे....और उन्हें देख के सही मायनों में मेरी गांड फट गयी.....
 

Chutiyadr

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हेल्लो दोस्तों....ये मेरी पहली कहानी है इस फोरम पर...आप सबके सपोर्ट की उम्मीद रहेगी.....कहानी ज्यादा लम्बी नहीं रहेगी...इस कहानी को अगर आपका सपोर्ट मिला तो आगे और भी लिखूंगा.....कहानी थोड़ी बहुत इन्सेस्ट है और ज्यादातर adultary है....


फिलहाल इसे शुरू करते हैं....
congratulations for new story...:thumbup:
:congrats:
 

Chutiyadr

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ऐसा नहीं की मैं फट्टू था....या मुझे इन सबका शौक नहीं था...मैं भी एक नम्बरी ठरकी था..लेकिन मुझे हमेशा ये लगता था की कहीं ऐसा न हो की मेरी किसी बात का उसे बुरा लग जाये और वो नाराज हो गए....शायद हम सब सभी लड़कों में शुरू शुरू में ये डर होता है....हम माचो बनना चाहते हैं और कब चूतिया बन जाते हैं पता ही नहीं चलता.....मेरे लिए सीमा का मेरी जिंदगी में आना और मेरा इतना ख्याल रखना किसी सपने से कम नहीं था...इसलिए मन में ये शंका रहा करती थी की कहीं मैं उसे खो न दूं.....मुझे याद है जब चुम्मा चाटी एक आम बात हो गयी थी हमारे बीच तो धीरे धीरे उसने फंतासी और रोल प्ले जैसी चीजों पर भी मुझे सहज कर दिया था...ये सब उसी का जादू था....पढाई के ५ साल और फिर जॉब के १ साल के समय के दौरान हमने एक दुसरे की हर एक ठरक पूरी की थी....जॉब लगने के बाद हम एक साथ रहने लगे थे.....तो जो थोड़ी बहुत दूरी अलग अलग रहने के कारन थी वो भी ख़त्म हो गयी....हालाँकि इसके बाद भी हम अपने अपने करियर को ले के बहुत सीरियस थे...हम दोनों अलग अलग ऑफिस में काम करते थे लेकिन मैंने उसे उसके ऑफिस जा के चोदा था और वो भी मेरे ऑफिस में मुझसे चुदवा चुकी थी.....ऑफिस तो क्या हमने पता नहीं कहाँ कहाँ चुदाई की थी.....यहाँ तक की एक बार मौका लगा के हमने अपने मकान मालिक के घर में चुदाई की थी......मुझे याद है उस दिन मैंने अपनी मुट्ठ उसके सोफे पे गिरायी थी....पता नहीं उन लोगों को मालूम चला या नहीं चला.....खैर...शोर्ट में कहूं तो सीमा मेरी जिंदगी में किसी वरदान की तरह आई थी.....शादी के बाद हम जब मेरे घर में थे तो मैंने देखा की वो कितने अच्छे से मेरे पेरेंट्स का ख्याल रख रही थी....मेरे पेरेंट्स को लगता था की मैं नम्बरी फुद्दू हूँ लेकिन सीमा का मुझसे इतना प्यार देख कर उनकी नज़रों में कहीं मेरे लिए भी थोड़ी इज्जत बढ़ गयी थी...


एक पत्नी यदि आपसे इतना प्यार करे तो आपका भाव आपके समाज में बढ़ ही जाता है......लेकिन शादी में पत्नी के अलावा भी और कई सारे किरदार होते हैं....सीमा को उसके ससुराल वालों ने बहुत मन से स्वीकार कर लिया था...अब बरी थी की मुझे मेरे ससुराल वाले ऐसे स्वीकार करते हैं.....कभी कभी सीमा की छोटी बहन से मेरी बात हुआ करती थी...उससे तो मेरी अच्छी पट जाती थी लेकिन सीमा से हमेशा यही सुना था की उसके पापा बहुत मनी माइंडेड हैं और सीमा का जॉब करना उन्हें कुछ खास पसंद नहीं है.....मैंने भी सोचा था की जब सीमा मेरे लिए इतना कुछ कर सकती है मेरी लाइफ के हर पहलू का इतने अच्छे से ख्याल रख सकती है तो थोडा बहुत तो मैं भी उसके लिए कर ही सकता हूँ........सीमा से मैंने जब कभी भी उसकी फॅमिली के बारे में बात करनी चाही थी तो किसी न किसी बहाने से ताल जाया करती थी....कई बार तो वो ये कह देती थी की जब हमारे शादी हो जाएगी तो न चाह कर भी तुम मेरी फॅमिली के बारे में सब कुछ जान ही जाओगे तो इतनी जल्दी क्या है...अभी मुझे जानो जब टाइम आएगा तब मेरी फॅमिली के बारे में खुद ही जान लेना.......

मुझे याद है जब हम लोग मेरे घर से रवाना हुए सीमा के घर के लिए तो रस्ते में उसने मुझसे ज्यादा बात नहीं की....हालाँकि वो बहुत बातूनी है....उसने कई बार मुझसे कहा की मेरी फॅमिली में और मुझमे अंतर है....तुम मेरी फॅमिली को देख कर मेरे बारे में कुछ मत सोचना...ध्यान रखना की मैं सिर्फ तुम्हारे लिए बनी हूँ और मेरी फॅमिली कैसी भी हो तुम्हारे लिए मेरा प्यार सच्चा है....
to seema ki faimily me locha hai :huh:
badiya updates :superb:
 

Chutiyadr

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मैं सीमा को और थोडा मोटीवेट करने वाला था की तभी उसका फ़ोन बजा.....कॉल उसके पापा का था...बात सुन के लगा की वो उसे पूल आने के लिए कह रहे हैं...सीमा कुछ न कुछ बहाना कर के पूल पर नहीं जाना चाह रही है....तभी सीमा ने अपने फ़ोन को स्पीकर पर डाला और मुझे उसके पापा की आवाज सुनाई दी...

पापा – राजेश....मैं तुम्हें राजेश ही कहूं या दामाद जी कहूं...क्या पसंद करोगे...

मैं – जी जैसा आपको ठीक लगे . आप मुझे राजेश ही कहें. मैं आपके बेटे जैसा ही हूँ.

पापा – अरे बेटे जैसे नहीं हो...बेटे ही हो....देखो सीमा नाराज है की हम लोग लेने नहीं आये....इसलिए वो यहाँ नहीं आ रही...सुनो तुम मनाओ उसको और दोनों लोग तुरंत पूल पे आ जाओ...ठीक है?

मैं – जी. जी बिलकुल. हम लोग आ रहे हैं....

कॉल कट हो गयी.....सीमा मुझे घूर रही थी....शायद कुछ कहना चाह रही थी लेकिन कह नहीं पा रही थी..मैंने उसे इशारा किया की इतनी टेंशन न लो...चलो चलते हैं....हमने चेंज नहीं किया...जिन कपड़ों में थे उसी में चल दिए...घर से बाहर आये कुछ दूर हरे भरे बगीचों और महकते फूलों से गुजरते हुए...आखिरकार हम पूल पर पहुच गए.......पहले मैंने पूल को देखा...फ़िल्मी स्टाइल का...बहुत बड़ा....एक कोने में शावर लगे थे और एक कोने में बार भी था...और फिर मैंने देखा पूल के पास के लोगों को....सीमा के पापा....सीमा की दो मम्मियां.....सीमा के दो भाई...और एक छोटी बहन....सब वहीँ थे...कुछ पूल के अन्दर और कुछ पूल के किनारे....और उन्हें देख के सही मायनों में मेरी गांड फट गयी.....
:lol1::lol1:
bahut badiya story shuru ki hai dost..lag raha hai ki uski faimily me kuch locha hai lekin kya :hmm:
khair ye to aage pata chal hi jayega ....
keep it up:thumbup:
 
Last edited:

Rahul

Kingkong
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wonderfull story hai badhiya likh rahe ho bas gand mat fatne dena bhai:flowers:
 
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