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Incest गाय कहूं या भैंस !

odin chacha

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सुनील एक कसरती बदन का तंदरुस्त नौजवान लड़का था। उसकी उम्र कुछ 18 साल की थी और वो अपने माँ और पिताजी के साथ कानपूर शहर में रहता था। उसका पुश्तैनी गाँव कानपूर शहर से बीस किलोमीटर की दूरी पर था, पर सुनील के पिताजी ने गाँव की सारी सम्पति बेच-कर शहर में ही मकान ले लिया था। उनकी खुद की सरकारी नौकरी थी और उनका एक खुश मध्यम वर्गीय परिवार था। इसी साल सुनील की दीदी की शादी हुई कानपूर शहर में ही एक इंजीनियर के यहाँ हो गयी थी। दीदी के जाने के बाद सुनील के परिवार में सिर्फ सुनील, उसकी माँ और पिताजी थे।

परिवार के सदस्यों का परिचय:
श्याम: 50 साल, पिता
सुधिया: 48 साल, माँ
सुनील: 18 साल, बेटा
मधु: 27 साल, दीदी (शादीशुदा)
 

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सुनील की माँ एकदम गोरी-चिट्टी और भरे बदन (44 – 38 – 44) की मिलनसार स्वाभाव की महिला थीं। उनके मोहल्ले की सभी औरतों से अच्छी पटती थी और सभी उनके हुस्न की तारीफ किया करती थीं। इस उम्र में भी उनके बदन का कसाव किसी 18 साल के लड़के के लिए भी काफी था। मोहल्ले के सभी लड़कों ने आपस में उसका नाम दूधिया (क्यूंकि उसके स्तन बहुत बड़े थे) रखा हुआ था। वो सभी सुनील के घर आने के बहाने ढूंढते रहते थे ताकि उन्हें उनकी दूधिया के दूध के दर्शन हो जाए। जब तक मधु की शादी नहीं हुई थी वो इन लड़कों आने नहीं देती थीं क्यूंकि वो खुद भी उसके उम्र के हिसाब से खासी गदराई हुई थी और उसे पता थी क्यों सुनील के दोस्त घर आने को लालायित रहते हैं। सुनील इन बातों से अनजान था, वो बराबर अपने दोस्तों को अपने घर बुला कर उनके साथ पढाई और क्रिकेट देखा करता था।


मधु की शादी होने में बड़ी दिक्कत आयी थी क्यूंकि उसका रंग थोड़ा साँवला था। वैसे तो उसने पढाई अच्छे से की थी, पर ज्यादार लोग उसके रंग को देख-कर रिश्ते के लिए मन कर देते थे। आखिर में एक फॅमिली तैयार हुई, लड़का (राहुल) इंजीनियर था पर उसकी उम्र महज 22 साल की थी। राहुल के घर में राहुल के अलावा सिर्फ उसकी एक विधवा माँ थी। सुनील के पिता श्याम के लिए ये मुश्किल निर्णय था। पर राहुल 22 साल के उम्र के हिसाब से काफी mature था और श्याम और सुधिया दोनों उसकी बातों से इम्प्रेस्सेड थे। दरअसल राहुल ने खुद ही मधु की मैट्रिमोनियल प्रोफाइल को लाइक किया था। जब राहुल की माँ ने उम्र के फासले को लेकर आपत्ति जताई तो राहुल ने जिद करके अपनी बात मनवा ली। शादी से पहले मधु ने एक बार राहुल से मिलना चाहिए, वो भी मिलना चाहती थी राहुल से क्यूंकि उसे कितने लोगों ने उसके रंग की वजह से नकार दिया था और राहुल जो की खुद गोरा था, और संपन्न फॅमिली थी जिसकी, क्यों इस शादी को राज़ी था। मिलने पे राहुल ने मधु को फिर इम्प्रेस्सेड कर दिया और आखिर दोनों की शादी हो गयी।

शादी की रात ही मधु को पता चल गया की उसकी शादी गलत व्यक्ति से हो गयी है। दरअसल राहुल और उसकी माँ (रजनी) के नाजायज़ सम्बन्ध थे। शादी की रात भी राहुल ने मधु को रजनी माँ पुकारते हुए ही छोड़ा था। राहुल अपनी माँ को पिछले 6 साल से चोदता आ रहा था। उसकी पूरी परवरिश बड़ी उत्तेजित माहौल में हुई थी। उसकी माँ उसे हमेशा अपने भरे बदन (42 – 36 – 42 ) से चिपका के रखती थी। उसके पिता की पोस्टिंग हमेशा दुसरे शहरों में रही। पहले तो माँ-बेटा पिता के साथ-साथ जहाँ जहाँ पोस्टिंग होती थी वहाँ जाते थे पर राहुल के इंटर पास करने के बाद (उसी साल राहुल ने अपनी माँ के बदन को पहली बार भोगा था) दोनों कानपूर वाले घर पे रहने आ गए। राहुल के पिता की उसके एक साल बाद ही रोड एक्सीडेंट में डेथ हो गयी। राहुल की माँ दुनिया के लिए बेवा हो गयीं, पर अपने बेटे के प्रति उनका प्यार और बढ़ गया। घर के अंदर दोनों पति-पत्नी की तरह रहते थे। राहुल पढाई में बहुत अच्छा था, और अपनी माँ के बदन के सानिध्य ने उसकी पढाई को और अच्छा कर दिया था। वो या तो पढाई करता था या अपनी रजनी की ठुकाई।

किसी भी तीसरे काम में उसकी कोई रूचि नहीं थी। बारहवीं के बाद एक दिल्ली के अच्छे इंजीनियरिंग कॉलेज में उसका नामांकन हो गया पर उसे कानपूर छोड़ के दिल्ली आना पड़ा। वो अपनी माँ को भी अपने साथ दिल्ली ले आया और एक फ्लैट ले कर रहने लगा। जहां कॉलेज में उसकी उम्र के लड़के लड़कियों का पीछा करना, और उन्हें इम्प्रेस करने में लगे रहते थे, राहुल केवल पढाई में ध्यान देता था। दे भी क्यों नहीं, उसके पास 45 साल की उसकी माँ थी जिसे वो घर आते ही, रात में और फिर घर से निकलते वक़्त चोदता था। राहुल अपनी माँ को प्यार से गाय बुलाता था और हमेशा रजनी के स्तनों से दूध पीने को लालायित रहता था। रजनी भी बेटे का पूरा ख्याल रखती और ज्यादा से ज्यादा खुद को नंगी किये रहती। राहुल अपनी नंगी गाय को देख-कर ही उत्तेजित हो जाता था। इंजीनियरिंग के पूरे 4 साल यही चला और राहुल अच्छे मार्क्स से सारे एग्जाम पास कर गया।

इंजीनियरिंग के बाद राहुल को अच्छी नौकरी मिल गयी कानपूर शहर में ही और फिर वो अपनी गाय माँ के साथ कानपूर वाले घर पे ही आ गया। 4 साल के बाद दोनों माँ बेटे कानपूर आये थे। रजनी ज्यादा घुली-मिली नहीं थी आस-पास के घरवालों से और ज्यादा-तर खुद ही खुद में रहती थी। ऐसा ही राहुल भी था, उसके पास कोई भी दोस्त नहीं था जो की उसके घर आये। पर घर में नौकरानी (मालती) आती थी जो रजनी को आस-पास की बात बताती रहती थी पर रजनी को बिलकुल भी दिलचस्पी नहीं थी। राहुल और रजनी के संबंधों की भनक भी नहीं थी मालती को क्यूंकि वो बिलकुल माँ-बेटे जैसे रहते थे घर में।

इस बार जब 4 साल बाद रजनी और राहुल वापस कानपूर रहने आये थे, रजनी का बदन पहले से काफी फैल गया था। उसके स्तन और नितम्ब का विकास किसी को भी स्पष्ट दिख रहा था। मालती को भी उसकी मालकिन के बदन को देख-कर शक होने लगा, और वो जुगत में लग गयी की बात क्या है। घर में दो कमरे थे और मालती के रहते रजनी और राहुल अलग-अलग कमरे में होते। रजनी के एकदम से बढे बदन के अलावा कोई वजह नहीं थी की माँ-बेटे के रिश्ते पे शक किया जाए। पर मालती एक औरत थी और रजनी के बदन को देख-कर वो निश्चित थी की रजनी के बदन को किसी ने लम्बे समय तक भोगा था। सवाल तो बस ये था की क्या वो शख्स खुद उसका 22 साल का बेटा था!

माँ-बेटे जहां भी जाते, लोग उन्हें शक भरी नज़रों से देख रहे थे। चूँकि दोनों ही लोगों से खुले हुए नहीं थे कोई कुछ कह नहीं पा रहा था पर रजनी को देखते ही सभी दोनों के रिश्ते को संदेह की दृष्टि से देखने लगते।

कुछ ही दिनों बाद मालती ने रजनी से ये बात छेड़ दी – माँ जी आप लोगों के वापस आने के बाद मोहल्ले की सभी औरतें मुझसे एक ही बात पूछते हैं की क्या आपने फिर शादी कर ली क्या? पता नहीं क्यों सब यही पूछते हैं।

रजनी: क्यों, मैंने नहीं की है शादी, उन्हें क्यों लगता ऐसा! (वैसे रजनी को पता था की क्या वजह थी जो ये सवाल लोग पूछ रहे थे मालती से)

मालती: पता नहीं! मैंने सबको बता दिया की आपने शादी नहीं की है पर फिर भी नहीं मानतीं। खैर जाने दो!
 

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पर ये बात रजनी को घर कर गयी। लोग अब उसके और राहुल के रिश्ते पे शक न करने लगे इसलिए उसने राहुल को शादी करने के लिए जोर दिया। राहुल बिलकुल इसके पक्ष में नहीं था पर माँ और उसके खुद की इज्जत की बात थी सो उसने हामी भर दी। शादी के लिए राहुल रजनी जैसी ही कोई गदराये बदन की औरत खोजने लगा। माँ को अपनी गोद में बिठा कर वो मोबाइल में मैट्रिमोनियल प्रोफाइल्स चेक करता था। कितनी सुन्दर लड़कियों ने उसके प्रोफाइल को लाइक किया था पर उनके बदन में वो कसाव नहीं दीखता था फोटोज में तो राहुल इग्नोर कर देता था। एक दिन रजाई के अंदर बैठे राहुल अपनी माँ को अपने ऊपर पीठ के बल बैठा कर उनके सामने 25 – 40 उम्र सेट करके सर्च कर रहा था और उसने विधवा औरतों को सर्च में शामिल कर रखा था। देखते देखते मधु प्रोफाइल राहुल ने देखि तो रजनी को दिखते हुए बोला- देख माँ ये कैसी लगी। रजनी ने मधु की उम्र देखि तो बोला ये तो तुझसे उम्र में 5 साल बड़ी है। राहुल ने माँ के जाँघों को मीचते हुए कहा तू तो मुझे 24 साल बड़ी है और तेरी तरह वो विधवा भी नहीं है। दोनों फिर एक दुसरे के बदन की गर्मी में भीग गए। राहुल को अपनी दूसरी गाय मिल चुकी थी। चूँकि मधु का रंग सांवला था राहुल ने उसका नाम भैंस रखा था।

पहली रात ही राहुल ने मधु के बदन की तर-तर चुदाई की थी। रात में ही मधु को राहुल ने सब-कुछ बता दिया था और बल्कि उसकी चुदाई उसे माँ बोल के ही कर रहा था।
राहुल: देखो मधु, मैं इस शादी के लिए बिलकुल तैयार नहीं था। मेरी गाय मुझे बहुत प्यारी है। पर मेरी गाय खुद चाहती थी की एक भैंस आये सो मैं तुझे ले आया।

तू मेरी माँ की दासी बनकर रहेगी, और मेरा और मेरी माँ का ख्याल रखेगी। अगले ही दिन रजनी ने मालती को निकाल दिया, वो वैसे भी डरी हुई थी की कहीं मालती को उसकी सच्चाई न पता चल जाए। फिर खाना बनाने और घर के साफ़ सफाई की जिम्मेवारी मधु पर आ गयी। माँ-बेटे दोनों एक कमरे में रहते थे और मधु दुसरे कमरे में। रात में दोनों मधु को अपने साथ सुलाते थे। राहुल रजनी को गाय और मधु को भैंस बुलाता था। रजनी राहुल को मालिक और मधु को भैंस बुलाती थी। मधु राहुल को मालिक और रजनी को मालकिन बुलाती थी।

शादी की रात से ही मधु काफी परेशां रहती थी। एक तरफ तो वो सोचती थी की उसके घरवालों को बता दे पर उसे पता था की उसके घरवाले कुछ कर नहीं पाएंगे। शादीशुदा बेटी को घर पे रखना उनके समाज में अच्छा नहीं मन जाता था। पहले ही उसकी शादी नहीं हो रही थी अभी तलाक़ के बाद उसकी शादी कैसे होती दुबारा और उसे फिर जीवन भर एक तलाक़शुदा स्त्री की तरह रहना पड़ता सो उसने राहुल और रजनी की ग़ुलामी कबूल कर ली। रजनी और राहुल मधु को अपने बीच में सुलाते थे और उसके बदन को दोनों जी भरकर मसलते थे। मधु को उन दोनों ने हमेशा नंगी रहने का हुक्म दिया था। रजनी दिन में मधु से खुद के बदन की मालिश करवाती और उसे एक दासी की तरह हुक्म दिया करती। मधु मालकिन-मालकिन कहती हुई रजनी के दिए सारे काम किया करती थी।

जब भी मधु के घर से किसी का फ़ोन आता, मधु अपना दर्द छिपा कर कहती की सब कुछ ठीक है पर जब भी सुनील या श्याम उसे देखने आने को कहते तो वो मन कर देती, कहती वो खुद आ जाएगी मिलने के लिए।

राहुल मधु से बात तक नहीं करता था। ऑफिस से आने के बाद वो सीधे रजनी वाले कमरे में जाता, जहां रजनी अधनंगे कपड़ो में मधु द्वारा सजाय बिस्तर पर पड़ी होती थी। मधु से शादी के बाद राहुल ने रजनी के लिए बहुत सारे छोटे शॉर्ट्स ले आये थे। उनमें रजनी के स्तनों का आधा हिस्सा ही आता था और नितम्ब भी आधे बाहर रहते थे। तुरंत राहुल अपनी गाय को दुहने लगता था। करीब 1 घंटे बाद जब दोनों थक जाते थे तब मधु उन दोनों को दूध देती थी और फिर दोनों टीवी देखते। मधु इस बीच खाना बनती, जब खाना तैयार हो जाता तो फिर मधु उन्हें उनके कमरे में खाना परोसती और फिर खुद खाना खाने के उनके बिस्तर में आ जाती।

सुबह उठते ही मधु फिर अपने काम में लग जाती और दोनों नंगे बिस्तर पे एक दुसरे की बाहों में। राहुल के ऑफिस चले जाने के बाद सबसे मधु बड़ी बेइज्जत महसूस करती। क्यूंकि रजनी उसे हमेशा नौकरानी की तरह जलील करती। मधु को रजनी से बड़ी जलन होती थी। पर राहुल रजनी के बदन का दीवाना था। मधु लगातार इस उधेड़बुन में थी की कैसे राहुल को रजनी के चंगुल के निकला जाए। मधु खुद एक बेहत कामुक औरत हो गयी थी, रात में दोनों से बदन को मसलवाने और राहुल से चुदने से उसके बदन में भी भराव आ गया था।

6 महीने हो चुके थे शादी को, बदन के भरेपन में वो रजनी से अब कहीं काम नहीं थी पर राहुल अभी भी रजनी के साथ पूरा समय बिताता था। मधु ने एक तरकीब सोची की क्यों न राहुल के रहते रजनी को बेइज्जत करे वो। वैसे भी राहुल खुद रजनी से गन्दी बातें मधु को सुना करके करता था। मधु चुप रहती थी पर उसने ठान लिए की वो भी रजनी को सबक सिखाएगी। आखिर रजनी और राहुल का नाजायज़ रिश्ता था और वो तो राहुल की पत्नी थी।
 

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रात में जब राहुल रजनी के ऊपर चढ़ा हुआ उसे चोद रहा था तब रजनी हर रोज की तरह उन्हें एक दुसरे के चिपके चोदते देख रही थी। रजनी ने दोनों के करीब आके राहुल के पीठ को सहलाते बोली की मालिक आपकी गाय तो बड़ी गदराई हुई है। दिन भर ये गाय अपने मालिक का इंतज़ार करती है दुहने के लिए। मधु के ऐसे बोलने से राहुल ने चुदाई की रफ़्तार बढ़ा दी थी। मधु समझ गयी की राहुल को ये बात अच्छी लग रही है और फिर जब भी मौका मिलता राहुल के सामने रजनी को गाय बोल के राहुल को उतेज्जित करती थी।

इधर सुनील अपनी पढाई में व्यस्त था। उसके श्याम पिता सुधिया जैसी बीवी पाकर बड़े खुश रहते थे। वो एक नंबर के चुड़क्कड़ इंसान थे, उन्ही के चोदने से तो सुधिया का ये हाल था की उसके स्तनों और नितम्बों का उभर पूरे मोहल्ले में सबसे ज्यादा था। वो पूरे मोहल्ले की सबसे गदराई औरत थी और सभी मन ही मन उसे चोदने की ख्वाइश रखते। सुनील जिन दोस्तों को घर बुलाता था वो सारे सुधिया के बदन की वजह से ही आते। सुधिया उन्हें खिलाती-पिलाती और उनका ध्यान रखती, उसे क्या पता था की उसके बेटे के दोस्त उसके बदन को हुमच-हुमच के छोड़ना चाहते थे।

उसका एक दोस्त सूरज बड़े दर्जे का बदमाश था। वो दो-तरफी बातों का एक्सपर्ट था। घर पे जब भी सुधिया उस-से चाय-पानी पूछती तो वो हमेशा दूध मांगता था। वो सुनील को भी उत्तेजित करता रहता था और हमेशा उसकी कहानी में एक बड़े उम्र की महिला होती जिसे उसके घर का ही कोई चोद रहा होता। सुनील अब पहले के मुकाबले काफी कुछ समझता था। उसे भी सुधिया के बदन में अब वही बात दिखने लगी जो उसके दोस्तों को दिखती थी।

ऐसे ही समय बीत रहा था। पर मधु का निश्चय कर लिया की वो ऐसे नहीं रहेगी, या तो राहुल उसे पत्नी की तरह इज्जत देगा या फिर वो उसे छोड़ देगी। कुछ ही दिनों में राहुल का ट्रांसफर हो गया दिल्ली, उसने मधु और रजनी को अपने साथ दिल्ली चलने को कहा। यही समय था मधु को बात करने का। उनसे राहुल से सीधी बात की कि वो रजनी के साथ अपने नाजायज़ रिश्ता तोड़ दे। राहुल ने सीधे मना कर दिया। रजनी ने भी राहुल को छोड़ कर मायके वापस जाने का फैसला कर लिया।

मधु के मायके में श्याम, सुधिया और सुनील तीनों हतप्रभ थे। उनके लिए ये बड़ी मुसीबत वाली बात थी। एक तो मधु कि शादी बड़ी मुश्किल से हुई थी और फिर उसने अपने पति तो तलाक़ दे दिया। लेकिन मधु ने जब राहुल और रजनी के रिश्ते के बारे में बताया तो फिर श्याम और सुधिया तुरंत मान गए। मधु अपने घर मायके वापस आ गयी। पर ये मधु बिलकुल दूसरी थी। पूरे बदन में गठीला कसाव आ गया था। सुधिया जैसी ही वो गदरा गयी थी और 27 साल कि उम्र के हिसाब से उसका बदन ज्यादा ही भर गया था।

मधु और सुनील एक कमरे में पहले भी रहते थे सो दोनों को एक कमरा मिल गया। दुसरे में श्याम और सुधिया रहते थे। सुनील को भी ये पता था कि उसकी दीदी का पति खुद कि माँ के साथ ही सोता था और फिर दोनों के बीच उसने अपनी माँ को चुना। वो जब भी मधु को देखता, उसकी उत्तेजना बढ़ जाती। मधु भी पहले से ज्यादा खुली हुई थी। उसे डर भी था क्यूंकि शादी के बाद उसके उम्र में लोग मायके में कहाँ रहते हैं, सो कहीं श्याम और सुधिया उसे जाने को न बोल दें।

श्याम ने सुधिया के अलावा किसी दूसरी औरत कि तरफ कभी नहीं देखा। पर मधु के इस गदराये बदन ने उसे भी उत्तेजित कर रखा था। जब भी मधु उसके आस-पास होती उसका लंड तन-ने लगता था। सुधिया भी ये महसूस कर रही थी कि उसकी बेटी उसके पति और बेटे के ज्यादा खुश रहने का कारण थी। रात में सुधिया श्याम से मधु के पति और उसकी माँ के सम्बन्ध का जिक्र छेड़ देती और फिर दोनों जम के एक दुसरे को चोदते थे। चोदते वक़्त सुधिया श्याम को मालिक बुलाती थी और श्याम सुधिया को गाय। दरअसल श्याम ने सुधिया के बदन को देख-कर ही अपने गाँव से लाया था। वो गाँव के एक गरीब परिवार कि लड़की थी।

सुधिया को चोदते हुए इतने साल हो गए थे पर श्याम अभी भी उसके मांसल बदन से उबा नहीं नहीं था। सुधिया की सेक्स में निरंतर नएपन लाने की वजह से दोनों की सेक्स लाइफ बड़ी जवान थी। सुधिया अभी भी 47 की उम्र में पूरे मोहल्ले की सबसे गदराई औरत थी।

उधर मधु भी धीरे धीरे घर में घुलने-मिलने लगी। वो सुनील के साथ एक कमरे में सोती थी और दोनों में 9 साल का अंतर होने की वजह से उतना खुलापन नहीं था।

दोनों में sirf एक भाई-बहिन का रिश्ता था। सुनील हमेशा से मधु की बड़ी इज्जत करता था पर इस बार उसे मधु बड़ी कामुक लगती थी। वो सोच रहा था कि जो औरत अपने पति और उसके माँ के साथ बिस्तर पे सोती होगी वो तो कुछ भी कर सकती है। सुनील जब भी मधु को देखता उसके बदन में सिरहन पैदा हो जाती।

पर मधु के लिए राहुल और रजनी एक बुरे सपने जैसा था। उसने सुधिया और श्याम को दूसरी शादी के लिए बोल दिया था और वो एक अच्छी जिंदगी दुबारा से शुरू करना चाहती थी।

सुनील रात में मधु के बदन को छूता था पर ध्यान रखता था कि मधु कहीं जग ना जाए। दिन में भी जब भी मौका मिलता वो मधु को छूने कि कोशिश करता था। श्याम भी अपनी बेटी के भरे बदन से उत्तेजित रहता था। जब भी मधु उसके पास उसे खाना देने आती तो वो अपनी बेटी के बदन को आँखों से पीने कि कोशिश करता। सुधिया को भी ये बात दिख रही थी क्यूंकि उसे पता था कि श्याम गदराये बदन को कितना पसंद करता था। वो भी मधु को जान-बूझकर श्याम के पास बार-बार भेजती। उसके लिए श्याम को उतेज्जित किये रखना भी एक काम था।

मधु दिन-भर सुधिया को किचन में हाथ बटाँती और फिर सुधिया के बदन कि मालिश भी करती। सुनील हमेशा से घर में सुधिया और श्याम का दुलारा था। एकलौता बेटे होने कि वजह से वो बड़े प्यार-दुलार से बड़ा हुआ था। सुनील अब मधु को दीदी कि तरह नहीं देखता था, वो हमेशा जुगत में रहता था कि कैसे मधु को बाहों में भर ले। उसकी चाहत तो सुधिया को भी चोदने कि थी पर वो जानता था कि सुधिया मन कर देगी, पर मधु के साथ उसे कोई बड़ी मुश्किल नहीं दिखती। जब कभी श्याम और सुधिया घर पे नहीं होते, वो निक्कर में ही तने लंड के साथ रहता था और बराबर मधु के इर्द-गिर्द आने कि कोशिश करता। दोनों में बहुत काम फॉर्मेलिटी वाली बातें होती थी। मधु समझती थी कि सुनील उसके बदन के लिए उतेज्जित है, इसलिए वो और भी दूरी बना कर रखती।

एक दिन जब मधु किचन में थी और सुधिया और श्याम बहार गए हुए थे। सुनील किचन में आया और मधु को पीछे से पकड़ते हुए बोला: दीदी, क्या बना रही हो?
मधु: खुद को छुड़ाते हुए- दाल और सब्ज़ी बना रही हूँ, क्यों? (हालांकि मधु के बहुत ज्यादा रियेक्ट नहीं किया पर सुनील झेप गया)

सुनील वापस अपने कमरे में जाते हुए बोला- बन जाए तो मुझे बताना। भूक लगी है दीदी।

पर सुनील अब कभी भी मधु को बाहों में करके उसके गालों पे किस कर देता और भाग जाता था। मधु को ये अच्छा नहीं लगता पर उसे इतने कोई शिकायत नहीं थी। पर सुनील लगातार बढ़ता जा रहा था। अब वो रात में मधु को बाहों में करके गाल और होठों पे चूमता फिर मधु बाहों में किये हुए ही सो जाता।

उस दिन रोज कि तरह मधु सुधिया के बदन कि मालिश कर रही थी। सुधिया पूरी नंगी हो जाती और फिर अपनी बेटी से मालिश करवाती थी। मधु सुधिया के बदन को मालिश करते हुए बोली – माँ, सुनील मुझे बहुत तंग करता है, बराबर मुझे किस करना चाहता है।

सुधिया: क्या हो गया, एक ही बहिन है तू उसकी, तुझे प्यार नहीं करेगा तो किसे करेगा।
मधु: नहीं माँ, मैं कहीं भी होती वो मुझे पीछे से बाहों में करके मुझे ‘मेरी मधु’ बुलाते हुए किस करता है।
 

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सुधिया: तो क्या हो गया बेटी, तू है ही इतनी सुन्दर। सुनील के पिता भी कह रहे थे कि तेरा बदन बड़ा सुन्दर हो गया है। हम औरतों को गर्व होना चाहिए अगर मर्द हमारे बदन कि तारीफ करें।
मधु: पर माँ वो मेरा छोटा भाई है, उसे ऐसा नहीं करना चाहिए।
सुधिया: तू भी न! तेरा पति राहुल अपनी माँ के साथ ही भाग गया और तो जवान भाई को अपना बदन नहीं छूने देना चाहती। चल, अगर वो ज्यादा बदमाशी करे तो बताना।

(मधु के तो होश ही उड़ गए कि उसकी माँ चाहती थी कि उसका भाई उसके बदन के साथ छेड़-छाड़ करे और उसके बाबूजी भी उसके बदन की तारीफ कर रहे थे।)

शाम में श्याम घर पे आये तो मधु उन्हें खाना देने गयी। मधु अभी हाफ पैंट और टॉप में थी। श्याम ने मधु को अपनी गोदी में बैठते हुए बोला- बेटी मन तो लग रहा है न! (अपनी गदराई बेटी को गोदी में बिठा के श्याम को बहुत अच्छा लगा| बचपन में वो मधु को गोदी में बिठाया करते थे पर जबसे मधु 18 साल कि हुई उन्होंने उसे नहीं बिठाया था, पर अब श्याम को भी लगता था कि वो मधु के साथ ओपन हो सकते थे।)

मधु के नंगे बाहों और जाँघों पे हाथ फेरते हुए श्याम ने बोला: पता नहीं कैसी औरत होगी रजनी जो राहुल ने मेरी बेटी को छोड़ दिया। मेरी बेटी कितनी सुन्दर है। बिलकुल अपनी माँ पर गयी है| बेटी मैं तुम्हे कोई दिक्कत नहीं होने दूंगा यहाँ। तुम ख़ुशी से रहो यहां पर। (ऐसा कहते हुए श्याम ने मधु के स्तनों पे हाथ रख दिया। मधु उठ गयी और बोली बाबूजी आप खाना खाओ। मधु अब समझ रही थी कि अब उसके लिए एक बेटी और दीदी वाली इज्जत पान असंभव था। सभी बस उसके बदन के फेर में थे)

काफी दिनों तक यही चलता रहा, रात में सुनील उसे छेड़ता और दिन में श्याम। उसे पता था कि किसी दिन दोनों खुल-कर उसके बदन को भोगेंगे, तो उसने सोचा क्यों नहीं वो खुद ऐसा प्लान बनाये कि उसका इंटरेस्ट प्रोटेक्टेड रहे। उसे डर था कि कहीं उसे घर न छोड़ना पड़े। वो दूसरी शादी तो करना चाहती थी पर साथ में उसे डर था कि कहीं उसका दूसरा पति भी न ख़राब निकले सो उसने एक अच्छी तरकीब बनाई।

रात में जब सुनील उसे चूम रहा था तब मधु ने उसके लंड को उसके हाफ पैंट में हाथ घुसा के पकड़ लिया और बोली- काफी दिनों से तू मुझे छेड़ रहा तुझे शर्म नहीं आती बड़ी दीदी को छेड़ते हुए।
सुनील: मधु के गालों को चाटते हुए- मैं तुम्हे अपनी दीदी नहीं मानता, ऐसे बदन कि औरतें दीदी नहीं होती।
मधु: (राहुल के लंड को मसलते हुए) ऐसे बदन का क्या मतलब?
सुनील: मधु के स्तनों और चूतड़ों को पकड़ता हुए बोला- इतने बड़े चूतड़ और स्तन किसी दीदी के नहीं होते।
मधु: अच्छा तुझे मैं क्या दिखती हूँ?
सुनील: मेरी चुड़क्कड़ मधु।

मधु: तुझे औरतों के स्तन बड़े उतेज्जित करते हैं न! फिर माँ के स्तन तो और भी बड़े हैं! वो तुझे माँ दिखती है या चुड़क्कड़ सुधिया? (मधु ने महसूस किया की उसने जैसे ही सुधिया का नाम लिया राहुल का लंड जोर-जोर से झटके मारने लगा)
सुनील: सुधिया नहीं दूधिया! उसके दूध पिऊंगा मैं
मधु: (राहुल के लंड को मसलते हुए) 47 साल की खुद की माँ को चोदने के लिए ये तेरा लंड बड़ा उतेज्जित हो रहा है। माधरचोद बनेगा तू तो। वैसे तेरी दूधिया का बदन खूब कैसा हुआ है, तुझे बड़ा मज़ा आएगा उससे चिपकने में। पर पहले अपनी दीदी को चोद ले।

फिर मधु ने सुनील को अपने ऊपर चढ़ा के खुद के बदन को जम कर चुदवाया। सुनील के जीवन की पहली चुदाई थी ये। और वो खुद की ही बड़ी बहिन की चुदाई कर रहा था। सुबह राहुल खूब खुश था। सुबह उठने के बाद वो मधु को किश करता हुआ बोला- दीदी, तुम क्या माल हो! पता नहीं उस बेवक़ूफ़ राहुल ने तुम्हे कैसे छोड़ दिया।
मधु: उसके पास भी तेरी तरह एक दूधिया थी।
(और फिर दोनों हॅसने लगे)

दिन में जब मधु सुधिया की मालिश करने को जाने लगी तो उसने सुनील को बोला की वो दरवाज़े को खुला रखेगी और वो देख सकता है सुधिया को नंगा।

मधु ने सुधिया को नंगा करके बिस्तर पे पेट के बल लिटाते हुए उसके पीठ पर तेल लगाकर मालिश करने लगी।

सुधिया पूरी नंगी थी। उसके विशाल पहाड़ जैसे नितम्ब काफी ऊपर तक उठे हुए थे। उसने अपना सर तकिये पे रखा हुआ था और मधु के उसके सर के ऊपर चादर रख दिया था ताकि उसे कुछ दिखे नहीं। सुधिया चुड़क्कड़ तो थी पर वो अनाचारी नहीं थी। पत्नी होने के नाते वो श्याम को खुश रखना चाहती थी। उसे सुनील के मधु को किश करने से कोई दिक्कत नहीं थी। वो दोनों को भाई-बहिन मानती थी। पर उसे क्या पता था की दोनों भाई-बहिन कल रात एक दुसरे को चोद चुके हैं।

तभी धीरे से नंगे क़दमों से सुनील अंदर आ गया और सुधिया के पैर की तरफ आके अपनी माँ के नंगे पिछवाड़े को आँख फाड़ के देखने लगा।

मधु ने सुधिया के चूतड़ों पे हाथ फेरते हुए कहा: माँ, तुम्हारे चूतड़ बहुत बड़े हैं। बाबूजी बहुत तारीफ करते हैं तुम्हारे बदन की। वैसे राहुल की माँ रजनी के भी चूतड़ ऐसे है बड़े थे। सभी मर्दों को बड़े चूतड़ अच्छे लगते हैं न माँ!

माँ: हाँ बेटी, सभी मर्दों को गदराई औरतें पसंद आती हैं, वैसे तू भी अच्छी खासी गदरा गयी है। तेरे बाबूजी तभी तो तुझे अपनी गोदी में बिठाना चाहते हैं।
मधु सुधिया की गांड के फांक में हाथ डालते हुए मालिश करने लगी। सुधिया सीसियाने लगी और बोली बेटी तेरी हाथ की मालिश बहुत मज़ा आता है।

मधु: माँ कभी सुनील से भी मालिश करवा लो। वो भी तुम्हारे बदन को पसंद करता है।
सुधिया: धत! अपने बेटे से नंगे बदन की मालिश? क्या कह रही है तू
मधु: नहीं माँ, मालिश से क्या होता है! वैसे वो तुझे बहुत पसंद करता है। रात में मुझे बाहों में लेके ‘मेरी सुधिया’ बोल के होठों को किश करता है। मैं जगी होती हूँ पर उसे लगता है की मैं सोई हुई हूँ।
(सुनील ये सब सुन रहा था और उसे भी उतेजना हो रही थी)

सुधिया: चुप कर मधु! तूने गलत सुना होगा नींद में। मेरा बेटा भला मुझे ‘मेरी सुधिया’ क्यों बोलेगा। मैं उसकी माँ हूँ।
मधु: अच्छा, मेरी मधु बोले तो ठीक मेरी सुधिया बोले तो तुम्हे विश्वास नहीं। वो भी जवान है। उससे छोटी उम्र से ही राहुल अपनी माँ रजनी के बदन को चोदता था। तुम तो रजनी से भी ज्यादा गदराई और खूबसूरत हो, हो सकता है सुनील तुमसे चिपकना चाहता हो।
सुधिया: क्या बाके जा रही है, मधु।
(और फिर सुधिया ने करवट लेने को हुई, सुनील तब तक चुपके से कमरे के बाहर चला गया था। कुछ देर तक सुधिया के दूध और पेट की मालिश करने के बाद मधु और सुधिया दोनों बारी-बारी से नहाने लगे)
 

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सुनील बराबर सुधिया को अपने बाहों में ले के – ‘मेरी प्यारी माँ’ कहते हुए गालों पे किश कर देता था। पर वो माँ-बेटे वाली बात ही होती थी।

आज की मालिश के बाद सुधिया भी सोच में थी और उधर सुनील भी। शाम में सुधिया किचन में खाना बना रही थी। मधु ने सुनील को बोलै की जा जाके अपनी दूधिया को पकड़ ले।

सुनील ने अपनी माँ को पीछे से बाहों में लेके उनके विशाल स्तनों को हाथों से धीरे धीरे मसलते हुए बोला- माँ क्या बना रही हो?
सुधिया: क्यों बेटा (सुधिया हालाँकि असहज थी सुनील के स्तनों को छूने से पर उसने कुछ बोला नहीं)
सुनील: माँ, बस यूँही (सुनील ने खुद को और ज़ोर से सुधिया से चिपका लिया और अपने बाहों की गिरफ्त मजबूत करते हुए उसके स्तनों को जोर-जोर से मसलने लगा)
तभी मधु भी किचन में आ गयी
मधु: क्यों छेड़ रहा है माँ को, चल इधर आ जा! देख नहीं रहा वो काम कर रही है।
(फिर सुनील ने वहीं मधु को वैसे ही जकड़ लिया और सुधिया के सामने ही मधु के स्तनों को रगड़ने लगा। वो मधु के गालों को चुम रहा था और प्यार से उसे मधु बुला रहा था।)

मधु: माँ, देखो न कितना तंग करता है।
(सुधिया काफी अचंभित थी उसे तो बस ये भाई-बहिन का प्यार लगता था पर उसे शक होने लगा की सुनील वकाई उन्दोनो के बदन का आशिक हो चूका था। पर वो खुल के ये बात भी नहीं करना चाहती थी।)
सुधिया: बेटे, रहने दे अब। बाद में दीदी को प्यार कर लेना।

सुनील: माँ, मुझे मधु बहुत अच्छी लगती है। फिर सुनील ने मधु को सीधे करके उसके होठों को खुद के होठों से चूसने लगा। मधु भी सुनील का साथ देने लगी। दोनों अपने माँ के सामने ही एक दुसरे को चूमने-चाटने लगे। फिर सुनील ने मधु के टॉप को खोलना सुरु किया। तब मधु ने उसे रोका और बोला – चलो अंदर चलते हैं माँ को दिक्कत होगी।

(सुधिया पूरे तरह से घबरा गयी थी अब, उसे पता चल गया था की दोनों के बीच सब-कुछ हो चूका है, पर उसने कुछ बोला नहीं।)

सुनील: माँ, मुझे मधु बहुत अच्छी लगती है। फिर सुनील ने मधु को सीधे करके उसके होठों को खुद के होठों से चूसने लगा। मधु भी सुनील का साथ देने लगी। दोनों अपने माँ के सामने ही एक दुसरे को चूमने-चाटने लगे। फिर सुनील ने मधु के टॉप को खोलना सुरु किया। तब मधु ने उसे रोका और बोला – चलो अंदर चलते हैं माँ को दिक्कत होगी।

(सुधिया पूरे तरह से घबरा गयी थी अब, उसे पता चल गया था की दोनों के बीच सब-कुछ हो चूका है, पर उसने कुछ बोला नहीं।)

सुधिया तुरंत उन्दोनो के पीछे उनके कमरे तक आयी- अंदर सुनील मधु को नंगा करके उसके ऊपर चढ़ा हुआ था और उसके बदन की हुमच-हुमच के चुदाई कर रहा था। दोनों एक दुसरे से चिपके हुए थे। सुनील मधु को सुधिया बुला रहा था और मधु सुनील को बेटा। (सुधिया चौंक गयी ये सुन के, उसे काफी घबराहट होने लगी, उसे अफ़सोस हो रहा था की उसने ये समय रहते नहीं रोका था सुनील को)। सुनील ने मधु को करीब आधे घंटे तक चोदा फिर दोनों हाँफते हुए एक दुसरे की बाहों में निढाल हो गए। (सुधिया ये सब कमरे के गेट पर खड़ी देख रही थी और उसे यकीन नहीं हो रहा था जो उसने अभी अभी देखा था। फिर वो वहां से वापस किचन आ गयी और खाना बनाने में लग गयी)

खाना बनाने के बाद सुधिया ने दोनों को आवाज़ दिया। सुनील मधु को बाहों में कैसे हुए डाइनिंग चेयर पे बैठ गया। उसने मधु को अपने गोदी में बिठा लिया और उसके स्तनों को मसलता हुए उसके होठों को चूसने लगा। सुधिया ने उनके सामने खाना लगाया और फिर सुनील अपने हाथों से मधु को खिलाने लगा। सुधिया बिलकुल कमज़ोर महसूस कर रही थी खुद और वो कुछ बोल नहीं पायी।
मधु: माँ, देखो न! खाने भी नहीं दे रहा है।
सुधिया: दीदी को खाने दे बेटे, फिर प्यार कर लेना।
सुनील: मैं खिला तो रहा हूँ अपनी मधु को।

खाना-खाने के बाद सुनील मधु को वापस अपने कमरे में ले गया और दोनों एक दुसरे से चिपके बिस्तर पे लेट गए।

कुछ देर बाद श्याम घर आ गए और घर आते ही श्याम ने मधु को आवाज़ दी। सुनील ने मधु को जाने दिया। मधु ने टॉप और हाफ पैंट डाले श्याम के पास आ गयी और बोली: बाबूजी आपने बुलाया?
श्याम: (मधु को अपनी गोदी में बिठाते हुए): हाँ बेटी, इधर बैठो।
मधु को उन्होंने अपने जांघ पर बिठाया। श्याम ने लूंगी डाल राखी थी और अंदर कुछ नहीं पहन रखा था। लूंगी को थोड़ा खोलते हुए उन्होंने मधु को अपने नंगे jaanghon पे बिठा के उसके गालों पे जीभ लगते हुए बोला: बेटी तुम्हारा man तो लग रहा है न यहाँ? (फिर श्याम ने मधु के टॉप के ऊपर के दो बटन खोल दिए और बोला की बेटी हलके कपड़े पहना करो, आजकल खूब गर्मी हो रही है। टॉप के बटन खोलने से मधु के स्तन काफी बाहर आ गए थे। फिर श्याम ने उसके स्तनों को मसलते हुए बोला की बेटी राहुल तुम्हे अच्छे से प्यार नहीं करता था न! वो तो अपनी माँ के ही बदन से चिपका रहता होगा। खैर हम हैं हमारी बेटी से प्यार करने के लिए। क्यों बेटी?

तभी सुधिया उनके पास खाना लेते हुए आयी। श्याम ने मधु के हाफ पैंट को ऊपर तक उठा दिया था उसके जांघ पूरे नंगे थे और stan वैसे भी आधे बाहर तक थे। सुधिया ये देख के सहम गयी। पर वो श्याम को कुछ बोल नहीं सकती थी। तो उसने अनजान बनाते हुए बोला: क्या बात हो रही है बाप बेटी में, जरा मैं भी तो सुनूं?

श्याम: सुधिया, मैं मधु बेटी से कह रहा था की उसे बहुत प्यार नहीं मिला है अभी। पर हम किसलिए हैं। बेटी पूछ लो अपनी माँ से हम कितना प्यार करते हैं।
सुधिया: हाँ बेटी, तेरे बाबूजी चाहते हैं तू खूब ख़ुशी से रह यहाँ पे। जा अब अब कमरे में, बाबूजी को खाना खा लेने दे।

मधु तुरंत वहां से उठ के अपने कमरे को चली गयी। सुनील ने मधु को देखते ही उसे अपने बाहों में कस लिया और उसके होठों को चूसते हुए बोला- बाबूजी के पास सुधिया तो है ही, फिर तुझे प्यार करने की बात क्यों कह रहे थे।

मधु: क्यों, वो बाबूजी हैं, वो भी प्यार कर सकते हैं। तू भी तो उनकी सुधिया को प्यार करना चाहता है, वो भी तुम्हारी मधु को पसंद करने लगे हैं।
 

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(फिर दोनों हॅसने लगे और जम कर एक बार और चुदाई की दोनों ने फिर दोनों सो गए)

अगले दिन जब मधु सुधिया की मालिश कर रही तब, सुनील फिर कमरे में आके सुधिया की नंगे नितम्बों को देखने लगा। मधु सुधिया के पीठ की मालिश कर रही थी और सुनील अपना लंड बाहर निकल कर सुधिया के गदराये बदन को देखता हुआ मूठ मारने लगा। थोड़ी देर में सुधिया को अपने नितम्बों पर गिला सा कुछ गिरता हुआ लगा। वो पीछे मुड़ी तो उसने देखा की सुनील पूरा नंगा अपने लंड को अपने हाथ में लिया हुआ बेशर्मी से खड़ा था।
सुधिया: क्या है ये बेटा? ऐसा नहीं करते। मधु तूने गेट नहीं लगाया था क्या?

सुधिया अपने नंगे स्तनों पर हाथ रखे बात कर रही थी। पर उसके स्तन इतने बड़े थे की वो एकदम नंगी थी तब। नितम्बों पर वीर्य गिरा हुआ था, और उसका मांसल गदराया हुआ बदन देख-कर सुनील खुद को रोक नहीं पाया।

उसने सुधिया को पीठ के बल करके सुधिया के ऊपर चढ़ गया और उसके स्तनों को मुँह में करके चूसने लगा।
सुधिया: छोड़ो सुनील बेटे, ऐसे नहीं करते माँ से। मधु रोको इसे।
मधु: माँ, प्यार ही तो कर रहा है, अब अपनी माँ से प्यार नहीं करेगा तो किसी और की माँ से करेगा क्या। (मधु भी अनजान बनके जवाब दे रही थी, जैसे सुधिया अनजान बन जाती थी।) सुनील माँ अच्छी हैं न! बाबूजी को माँ बहुत अच्छे से प्यार करती है।
सुनील: मेरी सुधिया मुझे भी प्यार करेगी। क्यों सुधिया? (ऐसा कहके सुनील सुधिया के गालों और होठों को चाटने लगा। सुधिया का मांसल बदन अब सुनील के पूरे कब्ज़े में था और वो उस बदन को पूरे ताकत से अपने शरीर से मसल रहा था।)

सुधिया: बेटे ये सही नहीं है। छोड़ दो मुझे।
सुनील: अच्छा, दीदी के सही है, और तेरे साथ नहीं। आज से मैं तुझे भी उतना ही प्यार करूँगा सुधिया जितना मधु को करता हूँ।
मधु: मुझे तो थका देता है तू, पूरे बदन में दर्द होने लगती है।
सुनील: मधु तू यहीं रुक, इसकी भी वैसी ही चुदाई करूँगा। पर पहले इस दूधिया के दूध तो पी लूँ। (सुनील ने फिर सुधिया के भारी स्तनों को मुँह में लेते हुए चूसने लगा।)
सुनील सुधिया से: तुझे काफी दिनों से चोदना चाहता था। बाबूजी से ही चिपकी रहती थी तू हमेशा। आज तेरी खबर लूँगा मेरी घरेलु दूधिया।
सुधिया: छी! कितना गन्दा हो गया है तू, छोड़ दे मुझे। (सुधिया जोर से सुनील को हिलती, पर सुनील ने खुद को ऐसा जकड़ लिया था की दोनों एक साथ ही हिलते फिर स्थिर हो जाते। सुधिया का भारी जिस्म था। सुनील ऊपर चढ़ा हुआ अपने मुँह को उसके स्तनों के बीच में करके दोनों स्तनों से अपने गालों पर मारने लगा। सुधिया ऐसी लग रही थी जैसे वो चुदने के लिए बानी हो)

मधु: तेरी दूधिया तेरे बाबूजी से बड़े अच्छे से चुदती है। बाबूजी इसे गाय बुलाते हैं और ये उनको मालिक। (एक रात मधु ने उन्दोनो को चोदते हुए सुन लिया था।) इतने बड़े दूध तो बाबूजी ने ही मसल मसल के तो किये हैं।
(सुधिया अचंभित थी पर वो कुछ कर नहीं सकती थी।)
सुनील: बाबूजी अब दूसरी गाय ले आएंगे खुद के लिए। ये गाय अब मेरी है। इसका दूध सिर्फ मैं पिऊंगा। (सुनील ने सुधिया की आँखों में देखते हुए बोला- मुझे अपना मालिक बना लो दूधिया।)

सुनील अब सुधिया को जोर-जोर से चोदने लगा। मधु अपनी बातों से उसे लगातार उन्मादित कर रही थी। कुछ देर के बाद सुधिया भी पूरी गरम हो गयी और धीरे धीरे सुनील का साथ देने लगी। फिर क्या था दोनों हवा की रफ़्तार से एक दुसरे को धक्का मरने लगे। 20 मिनट की धक्का-मुक्की के बाद दोनों झड़ गए।

मधु के लिए भी ये काफी कामुक अनुभव था। उसके पति राहुल के उसकी माँ के रिश्ते के बाद वो खुद के भाई को अपनी माँ को चोदते हुए देखा था उसने। पर उसे गर्व था की उसका प्लान सही चल रहा था।

सुधिया लाज के मारे बिस्तर पे ही पड़ी रही और मधु सुनील को लेकर दुसरे कमरे में आ गयी। सुनील अभी भी उतेज्जित था उसने मधु को अपने बाहों में लेके किश करने लगा और बोला: थैंक यू मधु। तूने मेरी बहुत दिनों की इच्छा पूरी कर दी। मैं दूधिया को कबसे चोदने की सोच रहा था।
मधु: मेरे प्यारे बेटे के लिए मैं कुछ भी करुँगी। मेरा सोना प्यारा बेटा।

(दोनों एक दुसरे की बाहों में खुद को डाले सो गए)

रात को जब श्याम ऑफिस से आया तो उसने फिर मधु को देखते हुए ही पास बुलाया। आज वो मधु के सामने ही लूंगी बदलने लगा। सुधिया खाना बना रही थी और श्याम अपने बैडरूम में था। वहीं सोफे पे बैठ के उसने मधु को खुद के जाँघों पे बिठा लिया और उसके गालों को चाटने लगा। मधु ने खुद ही अपने टॉप के कुछ बटन खोल दिए और श्याम के हाथ खुले स्तनों पर रख दिए। श्याम पूरा उतेज्जित हो चूका था उसने तनिक भी देर नहीं किया और मधु को बाहों में भींच के मसलने लगा। उसका लंड पूरा खड़ा हो चूका था और लूंगी उसके जाँघों के दोनों तरफ हो चुकी थी। मधु अपने नंगे मांसल जाँघों पर श्याम का लंड महसूस कर सकती थी। उसने एक हाथ से श्याम के लंड को पकड़ लिया और बोली – बाबूजी, माँ को बुलाऊँ ये तो पूरा खड़ा हो गया है। ये बोल के मधु श्याम के लंड को धीरे धीरे सहलाने लगी।

श्याम: बेटी, ये तेरे लिए खड़ा है, आज मैं तुझे प्यार करना चाहता हूँ। जैसे तू राहुल को प्यार करती थी वैसे अपने बाबूजी को करो।
मधु: पर बाबूजी, आपकी गाय तो सुधिया है न (श्याम का लंड ने जोर से झटका मारा गाय सुनते ही)
श्याम: बेटी, तू भी तो गाय ही है। इतने बड़े थन हैं तेरे।
मधु: बाबूजी, पर गाय तो गोरी होती है न! मैं तो शामली हूँ!
श्याम: ठीक है बेटी, तू मेरी भैंस हुई। (अब श्याम मधु के स्तनों को बेशर्मी से झिंझोर रहा था। मधु रम्भाने लगी। श्याम ने मधु के सारे कपड़े उतार दिए और खुद भी नंगा हो गया। श्याम ने मधु को बिस्तर पे लिटा के खुद उसके ऊपर चढ़ गया और धीरे धीरे उसके भरे बदन को मथने लगा। सुधिया खाना लेके गेट तक ही आयी थी वो रुक गयी। जो उसने देखा उसके लिए अचंभित करने वाला था। वो शर्म के मारे गेट सटा के वापस अपने किचन में आ गयी।)

सुनील मधु को बुलाने श्याम के बैडरूम की तरफ जाने लगा तो सुधिया ने उसे रोका। (सुधिया नहीं चाहती थी की वो मधु को श्याम से चुदते हुए देखे।) उसने अपने छाती को थोड़ा ऊँचा करते हुए अपने स्तनों के उभर को सुनील को दिखते हुए पास आने का इशारा दिया।) सुनील एकदम से सुधिया को बाहों में लेके उसके स्तनों को nighty के ऊपर से ही मसलने लगा।
सुनील: क्यों री गाय, दूध ज्यादा हो गए हैं क्या? खुद दूध पीने का इशारा दे रही है।
सुधिया: मालिक, आपकी गाय का दूध आपके लिए ही तो है। (सुनील को सुधिया का ऐसा बोलना काफी उतेज्जित कर गया।)

सुनील ने सुधिया की nighty के हुक्स खोल दिए और सुधिया को अपने रूम में लेके गेट को अंदर से लॉक कर दिया। सुधिया को अकेले में कमरे में नंगा करके बिस्तर पे लिटा दिया और बोला: तुझे मैं बाबूजी से खरीद लूँगा। वो कोई और गाय ले आएंगे। आज से तू मेरे साथ ही सोयेगी, दूधिया।
सुधिया: हाँ, मालिक, जैसा आप चाहें। आपके बाबूजी अब मुझे उतना प्यार भी नहीं करते।
सुनील: मैं तुझे खूब प्यार करूँगा मेरी गाय। तुझे दिन-रात दुहूँगा।

सुधिया ने सुनील को अपने भरे मांसल नंगे बदन से चिपका के अपने बाहों में जकड़ लिया। सुनील पूरी तरह से अपनी माँ के बाहों के गिरफ्त में था।
सुधिया: मालिक और मजबूती से दबाऊं आपको?
सुनील: दूधिया, बाबूजी को तो तू थका देती होगी साली। (ऐसा कहते हुए सुनील ने सुधिया के गाल पे जोर से मारा। उसके गाल पूरे लाल हो गए।) तू पैदा ही रंडी हुई थी साली।
समाप्त
 

Aaryapatel

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Awesome story he bhai.....bhai aage maa ko sachme ek gaay ki tarah gale me patta daal ke puri nangi kutiya ki tarah.. haath perr pe chalate hue tabele me lejake bandho or uska doodh bhi doho jese gaay ka doodoh te he....niche ki taraf khich khich ke
 
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