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(फिर दोनों हॅसने लगे और जम कर एक बार और चुदाई की दोनों ने फिर दोनों सो गए)
अगले दिन जब मधु सुधिया की मालिश कर रही तब, सुनील फिर कमरे में आके सुधिया की नंगे नितम्बों को देखने लगा। मधु सुधिया के पीठ की मालिश कर रही थी और सुनील अपना लंड बाहर निकल कर सुधिया के गदराये बदन को देखता हुआ मूठ मारने लगा। थोड़ी देर में सुधिया को अपने नितम्बों पर गिला सा कुछ गिरता हुआ लगा। वो पीछे मुड़ी तो उसने देखा की सुनील पूरा नंगा अपने लंड को अपने हाथ में लिया हुआ बेशर्मी से खड़ा था।
सुधिया: क्या है ये बेटा? ऐसा नहीं करते। मधु तूने गेट नहीं लगाया था क्या?
सुधिया अपने नंगे स्तनों पर हाथ रखे बात कर रही थी। पर उसके स्तन इतने बड़े थे की वो एकदम नंगी थी तब। नितम्बों पर वीर्य गिरा हुआ था, और उसका मांसल गदराया हुआ बदन देख-कर सुनील खुद को रोक नहीं पाया।
उसने सुधिया को पीठ के बल करके सुधिया के ऊपर चढ़ गया और उसके स्तनों को मुँह में करके चूसने लगा।
सुधिया: छोड़ो सुनील बेटे, ऐसे नहीं करते माँ से। मधु रोको इसे।
मधु: माँ, प्यार ही तो कर रहा है, अब अपनी माँ से प्यार नहीं करेगा तो किसी और की माँ से करेगा क्या। (मधु भी अनजान बनके जवाब दे रही थी, जैसे सुधिया अनजान बन जाती थी।) सुनील माँ अच्छी हैं न! बाबूजी को माँ बहुत अच्छे से प्यार करती है।
सुनील: मेरी सुधिया मुझे भी प्यार करेगी। क्यों सुधिया? (ऐसा कहके सुनील सुधिया के गालों और होठों को चाटने लगा। सुधिया का मांसल बदन अब सुनील के पूरे कब्ज़े में था और वो उस बदन को पूरे ताकत से अपने शरीर से मसल रहा था।)
सुधिया: बेटे ये सही नहीं है। छोड़ दो मुझे।
सुनील: अच्छा, दीदी के सही है, और तेरे साथ नहीं। आज से मैं तुझे भी उतना ही प्यार करूँगा सुधिया जितना मधु को करता हूँ।
मधु: मुझे तो थका देता है तू, पूरे बदन में दर्द होने लगती है।
सुनील: मधु तू यहीं रुक, इसकी भी वैसी ही चुदाई करूँगा। पर पहले इस दूधिया के दूध तो पी लूँ। (सुनील ने फिर सुधिया के भारी स्तनों को मुँह में लेते हुए चूसने लगा।)
सुनील सुधिया से: तुझे काफी दिनों से चोदना चाहता था। बाबूजी से ही चिपकी रहती थी तू हमेशा। आज तेरी खबर लूँगा मेरी घरेलु दूधिया।
सुधिया: छी! कितना गन्दा हो गया है तू, छोड़ दे मुझे। (सुधिया जोर से सुनील को हिलती, पर सुनील ने खुद को ऐसा जकड़ लिया था की दोनों एक साथ ही हिलते फिर स्थिर हो जाते। सुधिया का भारी जिस्म था। सुनील ऊपर चढ़ा हुआ अपने मुँह को उसके स्तनों के बीच में करके दोनों स्तनों से अपने गालों पर मारने लगा। सुधिया ऐसी लग रही थी जैसे वो चुदने के लिए बानी हो)
मधु: तेरी दूधिया तेरे बाबूजी से बड़े अच्छे से चुदती है। बाबूजी इसे गाय बुलाते हैं और ये उनको मालिक। (एक रात मधु ने उन्दोनो को चोदते हुए सुन लिया था।) इतने बड़े दूध तो बाबूजी ने ही मसल मसल के तो किये हैं।
(सुधिया अचंभित थी पर वो कुछ कर नहीं सकती थी।)
सुनील: बाबूजी अब दूसरी गाय ले आएंगे खुद के लिए। ये गाय अब मेरी है। इसका दूध सिर्फ मैं पिऊंगा। (सुनील ने सुधिया की आँखों में देखते हुए बोला- मुझे अपना मालिक बना लो दूधिया।)
सुनील अब सुधिया को जोर-जोर से चोदने लगा। मधु अपनी बातों से उसे लगातार उन्मादित कर रही थी। कुछ देर के बाद सुधिया भी पूरी गरम हो गयी और धीरे धीरे सुनील का साथ देने लगी। फिर क्या था दोनों हवा की रफ़्तार से एक दुसरे को धक्का मरने लगे। 20 मिनट की धक्का-मुक्की के बाद दोनों झड़ गए।
मधु के लिए भी ये काफी कामुक अनुभव था। उसके पति राहुल के उसकी माँ के रिश्ते के बाद वो खुद के भाई को अपनी माँ को चोदते हुए देखा था उसने। पर उसे गर्व था की उसका प्लान सही चल रहा था।
सुधिया लाज के मारे बिस्तर पे ही पड़ी रही और मधु सुनील को लेकर दुसरे कमरे में आ गयी। सुनील अभी भी उतेज्जित था उसने मधु को अपने बाहों में लेके किश करने लगा और बोला: थैंक यू मधु। तूने मेरी बहुत दिनों की इच्छा पूरी कर दी। मैं दूधिया को कबसे चोदने की सोच रहा था।
मधु: मेरे प्यारे बेटे के लिए मैं कुछ भी करुँगी। मेरा सोना प्यारा बेटा।
(दोनों एक दुसरे की बाहों में खुद को डाले सो गए)
रात को जब श्याम ऑफिस से आया तो उसने फिर मधु को देखते हुए ही पास बुलाया। आज वो मधु के सामने ही लूंगी बदलने लगा। सुधिया खाना बना रही थी और श्याम अपने बैडरूम में था। वहीं सोफे पे बैठ के उसने मधु को खुद के जाँघों पे बिठा लिया और उसके गालों को चाटने लगा। मधु ने खुद ही अपने टॉप के कुछ बटन खोल दिए और श्याम के हाथ खुले स्तनों पर रख दिए। श्याम पूरा उतेज्जित हो चूका था उसने तनिक भी देर नहीं किया और मधु को बाहों में भींच के मसलने लगा। उसका लंड पूरा खड़ा हो चूका था और लूंगी उसके जाँघों के दोनों तरफ हो चुकी थी। मधु अपने नंगे मांसल जाँघों पर श्याम का लंड महसूस कर सकती थी। उसने एक हाथ से श्याम के लंड को पकड़ लिया और बोली – बाबूजी, माँ को बुलाऊँ ये तो पूरा खड़ा हो गया है। ये बोल के मधु श्याम के लंड को धीरे धीरे सहलाने लगी।
श्याम: बेटी, ये तेरे लिए खड़ा है, आज मैं तुझे प्यार करना चाहता हूँ। जैसे तू राहुल को प्यार करती थी वैसे अपने बाबूजी को करो।
मधु: पर बाबूजी, आपकी गाय तो सुधिया है न (श्याम का लंड ने जोर से झटका मारा गाय सुनते ही)
श्याम: बेटी, तू भी तो गाय ही है। इतने बड़े थन हैं तेरे।
मधु: बाबूजी, पर गाय तो गोरी होती है न! मैं तो शामली हूँ!
श्याम: ठीक है बेटी, तू मेरी भैंस हुई। (अब श्याम मधु के स्तनों को बेशर्मी से झिंझोर रहा था। मधु रम्भाने लगी। श्याम ने मधु के सारे कपड़े उतार दिए और खुद भी नंगा हो गया। श्याम ने मधु को बिस्तर पे लिटा के खुद उसके ऊपर चढ़ गया और धीरे धीरे उसके भरे बदन को मथने लगा। सुधिया खाना लेके गेट तक ही आयी थी वो रुक गयी। जो उसने देखा उसके लिए अचंभित करने वाला था। वो शर्म के मारे गेट सटा के वापस अपने किचन में आ गयी।)
सुनील मधु को बुलाने श्याम के बैडरूम की तरफ जाने लगा तो सुधिया ने उसे रोका। (सुधिया नहीं चाहती थी की वो मधु को श्याम से चुदते हुए देखे।) उसने अपने छाती को थोड़ा ऊँचा करते हुए अपने स्तनों के उभर को सुनील को दिखते हुए पास आने का इशारा दिया।) सुनील एकदम से सुधिया को बाहों में लेके उसके स्तनों को nighty के ऊपर से ही मसलने लगा।
सुनील: क्यों री गाय, दूध ज्यादा हो गए हैं क्या? खुद दूध पीने का इशारा दे रही है।
सुधिया: मालिक, आपकी गाय का दूध आपके लिए ही तो है। (सुनील को सुधिया का ऐसा बोलना काफी उतेज्जित कर गया।)
सुनील ने सुधिया की nighty के हुक्स खोल दिए और सुधिया को अपने रूम में लेके गेट को अंदर से लॉक कर दिया। सुधिया को अकेले में कमरे में नंगा करके बिस्तर पे लिटा दिया और बोला: तुझे मैं बाबूजी से खरीद लूँगा। वो कोई और गाय ले आएंगे। आज से तू मेरे साथ ही सोयेगी, दूधिया।
सुधिया: हाँ, मालिक, जैसा आप चाहें। आपके बाबूजी अब मुझे उतना प्यार भी नहीं करते।
सुनील: मैं तुझे खूब प्यार करूँगा मेरी गाय। तुझे दिन-रात दुहूँगा।
सुधिया ने सुनील को अपने भरे मांसल नंगे बदन से चिपका के अपने बाहों में जकड़ लिया। सुनील पूरी तरह से अपनी माँ के बाहों के गिरफ्त में था।
सुधिया: मालिक और मजबूती से दबाऊं आपको?
सुनील: दूधिया, बाबूजी को तो तू थका देती होगी साली। (ऐसा कहते हुए सुनील ने सुधिया के गाल पे जोर से मारा। उसके गाल पूरे लाल हो गए।) तू पैदा ही रंडी हुई थी साली।
समाप्त