#59
ऐसा नहीं था की मैं पहले भी जिन्दगी से परेशां नहीं था , आज भी मैं उलझा था उन उलझनों में जो बस मेरे गले पड़ गयी थी. मैंने लाला के घर जाने का विचार त्यागा और कपडे उतार कर हौदी में घुस गया . ठंडा पानी जो बदन पर पड़ा तो कुछ देर के लिए आराम मिला. एक नजर आसमान पर डाली आज सितारे चमक रहे थे . मन में बेचैनी थी , करे तो क्या करे नंगे बदन हौदी पर बैठे मैं बहुत देर तक यही सोचता रहा . हर बार मेरे दिल ने बस यही कहा की हर सवाल का जवाब वहीँ पर है बस मेरी नजर उस कहानी की डोर को पकड़ नहीं पा रही है .
दूर शिवाले में............
रात बेशक गहरा गयी थी पर शिवाला जाग्रत था हजारो दियो की रौशनी में जगमगा रहा था .दींन दुनिया से बेखबर , उसकी पायल की झंकार शिवाले में ऐसे गूँज रही थी जैसे की सावन में कोई अल्हड झूला चढ़ रही हो . बिखरी जुल्फे, चेहरे पर बेताक्लुफ्फी पर आंखो में शांति, इतनी शांति की जो देखे वो आने वाले तूफ़ान को महसूस कर जाए. उसने मिटटी खोद कर एक दिया बनाया और फिर अंगुली पर घाव करके उस दिए को खून से भर दिया. जैसे वो दिया जगमगाया धरती में हलचल सी मच गयी . उसने अपने आस पास एक घेरा बनाया और जोर से जमीन पर थपकी मारी.
“मुझे लगता है ये सब करने की तुम्हे कोई जरुरत नहीं है ” ये मीता थी जो तेज तेज चलते हुए रीना की तरफ आ रही थी .
रीना ने घुर कर उसे देखा और बोली- तू मुझे समझाएगी की क्या करना है क्या नहीं
मीता अब तक रीना के बिलकुल पास आ चुकी थी .
मीता- रीना, बात को समझ मुझे तेरी परवाह है , तु नहीं जानती तू कितनी कीमती है
रीना- मेरी परवाह है तो चली जा यहाँ से , मुझे जो करना है करने दे.
मीता- मैं जानना चाहती हूँ तू क्या करना चाहती है , तूने शिवाले को कैसे जाग्रत किया .
रीना- बताने की जरुरत नहीं मुझे, देवो के देव सबको अपनाते है मुझे भी शरण दी है , उनका जो है अब मेरा है वो .
मीता-तेरा नहीं रीना, उस चीज का जो तुझे अपने इशारो पर नचा रही है .
रीना- मेरा दिमाग ख़राब मत कर चली जा यहाँ से .
मीता- मैं तुझे यहाँ मरने के लिए नहीं छोड़ सकती, तू चल मेरे साथ
मीता ने रीना का हाथ पकड़ा. पर रीना ने एक झटका दिया जिससे मीता का पूरा अस्तित्व हिल गया . रीना ने अपने होंठो को बुदबुदा कर न जाने क्या कहना शुरू किया , आसपास का माहौल बदलने लगा. एक बार फिर से वो कुछ अजीब कर रही थी की मीता ने उसको रोक लिया.
रीना- तू ऐसे नहीं मानेगी. पहले तेरा ही रोग काटती हूँ .
मीता- तेरी अगर यही मर्जी है तो ठीक है ,
रीना ने ताली बजाई और हवा में से बेतहाशा हथियार निकल कर दोनों के दरमियान गिर गए.
रीना- तेरे लहू की तपिश को महसूस किया था मैंने , उसे पीकर ही आज मेरी प्यास बुझेगी .
मीता- आ फिर देर किस बात की ये रही मैं और ये मेरी तलवार .
मीता ने एक तलवार उठाई और दूसरी रीना की तरफ फेंकी . रीना की आँखों का रंग एक बार फिर गहरा काला हो गया . इस से पहले की मीता कुछ करती बिजली की सी रफ़्तार से रीना ने उसकी पीठ चीर दी.
“बहुत बढ़िया ” चीखी मीता और उसने रीना के पैर पर वार किया पर रीना जिस पर रक्त का जूनून चढ़ने लगा था उसने फिर से बचाया और मीता के कंधे पर अपनी तलवार की मूठ दे मारी. मीता कुछ कदम पीछे हुई.
पानी की हौदी पर बैठे बैठे अचानक ही उदासी ने मुझे घेर लिया. अजीब सी बेचैनी हो रही थी दिमाग में बस उस अजनबी किसान की बाते घूम रही थी , उसने जो जो बात मुझे कही थी मैं उनके अर्थ समझने की कोशिश कर रहा था की अचानक से एक कोवा आकर मेरे सर से टकराया और मर गया . काले कौवे का अचानक से ऐसे सर पर आकर टकराना एक अपशकुन था, मेरा दिमाग घूम गया , दिल ने किसी अनिष्ट की आशंका से धडकनों की रफ़्तार शिथिल कर दी.
दूर शिवाले में दो बिजलिया एक दुसरे पर बरसने को बेताब हो रही थी . मीता की तलवार ने रीना की कोहनी से मांस का एक टुकड़ा उड़ा लिया था , रीना के चेहरे पर मुस्कान उभर आई . उसने मीता की पीठ पर लात मारी, मीता धडाम से जमीन पर गिर गयी. मौके का फायदा उठा कर रीना ने मीता की जांघ कर अपनी तलवार का निशाँ लगा दिया.
रीना ने तलवार पर लगे मीता के रक्त को अपने होंठो से चाटा और बोली- बरसो बाद इस लहू को चखा है , आज भी उतना ही ताजा और मजेदार है .
मीता- क्या बोल रही है तू रीना
रीना- अब क्या बोलना क्या सुनना अब तो बस तेरे लहू को पीना है शिवाले के कण कण को तेरे लहू से लीप दूंगी मैं.
उस कौवे को देखते हुए मैं ख्यालो में डूबा था की तभी मेरे दिमाग में बत्ती सी जली और मैं उसी पल शिवाले की तरफ दौड़ पड़ा. फूली हुई सांसो की बिना परवाह किये मैं बस दौड़ रहा था शिवाले की और. उस अजनबी की कही हुई बात का भेद शायद मैंने समझ लिया था . पर मैं कहाँ जानता था की वहां पर एक और तूफान मेरा इंतज़ार कर रहा है , शिवाले की रौशनी देखते ही मेरा दिल अनहोनी की आकांशा से घबराने लगा था और जब मैंने उस मैदान में उन दोनों को खून से लथपथ एक दुसरे पर वार करते हुए देखा तो मेरे दिल के दो टुकड़े हो गए.
“मीता, रीना ” चीखते हुए मैं दोनों की तरफ बढ़ा .
मैं- ये क्या कर रही हो तुम , पागल हुई हो क्या.
मीता- मनीष, पीछे हटो ये अपने होश में नहीं है , मैं संभाल लुंगी इसे.
मीता ने रीना को मारा पर उसे क्या पता था की चोट मेरे इड्ल पर लगी है .
मैं- नहीं मीता. नहीं, मैं संभाल लूँगा इसे. रीना होश में आओ देखो मेरी तरफ तुम्हारा मनीष तुमसे कह रहा है , छोड़ो इस हथियार को और पास आओ मेरे .
रीना- दूर हट जा , मैंने वादा किया है इस से की आज हम में से कोई एक ही रहेगा एक को जाना होगा.
मैं- कोइ नहीं जाएगा हम तीनो साथ है साथ ही रहेगे.
रीना मेरे पास आई बोली- कौन है तू , क्या तू भी मरना चाहता है इसके जैसे
मैं- अगर मेरे मरने से ही तेरा क्रोध शांत होता है तो मेरी जान , ये भी मंजूर है
रीना- आज की रात लगता है मेहरवान है , तू थोडा धैर्य रख इसके बाद तेरा ही नंबर है .
रीना ने मीता को मारने के लिए प्रहार किया पर मैंने उसकी तलवार पकड़ ली
मैं- शांत हो जा रीना , शांत हो जा. टाल दे इस घडी को . कही अनर्थ न हो जाये.
रीना ने मेरे पेट में लात मारी और मुझे फेंक दिए एक बार फिर से वो दोनों जुट गयी . अनिष्ट की शंका तो मुझे उसी पल हो गयी थी पर ऐसे होगा ये नहीं जानता था . मीता घायल थी , रीना पर जूनून शामिल था और इस से पहले की वो मीता पर उस जानलेवा वार को करती , मैंने अपने बदन को मीता की ढाल बना दिया.
रीना की तलवार मेरे बदन के आर पार हो गयी .
“नहीं ” चीखी मीता और मुझे अपने आप पर से हटाते हुए उसने रीना को धक्का दिया. रीना का सर चबूतरे से जा टकराया. मीता ने मुझे अपनी बाँहों में भर लिया
“क्यों, क्यों किया ऐसा तुमने ” सुबकते हुए बोली वो
मेरे बहते खून से धरती गीली होने लगी थी .
मीता- कुछ नहीं होने दूंगी तुझे
मैं- सहारा दे जरा मुझे
मीता ने मुझे खड़ा किया लड़खड़ाते कदमो से मीता का सहारा लिए कुछ कदम ही चल पाया था की एक बार फिर से मैं गिर गया .
“होश कर मनीष होश कर ” मीता ने मेरे गाल थपथपाते हुए कहा .
मैंने उसके हाथ को थामा और बोला- उसे कभी मालूम नहीं होना चाहिये, वादा कर मुझसे , चाहे कुछ भी हो जाये, मैं रहूँ न रहूँ तू उसका ध्यान रखेगी , उसे कभी मत बताना की ये उसके हाथो से हुआ है .
मीता- वादा मेरे सनम वादा
मीता के मुह से ये सुनते ही मैंने अपनी आँखे मूँद ली और खुद को उसके हवाले कर दिया...............................