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Adultery गुजारिश 2 (Completed)

ASR

I don't just read books, wanna to climb & live in
Divine
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मुसाफिर तुसी क्या हो मित्र, रहस्य रोमांच कोई आप से सीखे, हम सोच कुछ और रहे होते हैं आप अत्यंत रोमांचकारी अपडेट दे कर सब बदल देते हो मजा आ गया... कहानी अब सभी रहस्य को खोलेगी व सब समझ में आ जाने लगेगा... 😍
 

SKYESH

Well-Known Member
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पूरे अपडेट की घटनाएं किसी रहस्यमयी पहेली के जैसे घटी दद्दा ठाकुर भी गया और रीना की सुपर पावर के तो क्या ही कहने इसने अकेले ही सब की फाड़ के रख दी लेकिन ये अमृत कुंड का क्या राज़ है ?
राज़ ke bina to update banega hi nahi ........:happy:
 

HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
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#73

जिस बाज़ी को मैंने अपने हिस्से में पलटते हुए देखा था रीना पर हुए इस हमले ने पल भर में ही हम सबको अहसास करवा दिया की ये बिसात इतनी जल्दी ख़तम नहीं होने वाली. वो काला साया जिसने उस दिन जब्बर की पत्नी को मारा था , जिसने मेरी छाती पर हाथ रख कर मेरी नसों से लहू निचोड़ने की कोशिश की थी अचानक से उसने शिवाले में आकर रीना को दूर पटक दिया था .

आसमान में घुमड़ती काली घटाओ ने रोना शुरू कर दिया था ,आकाश जैसे फटने लगा था . बारिश शुरू हो गयी थी . वो काला साया लहराते हुए मेरी तरफ बढ़ा. मेरे दिमाग ने जैसे काम करना बंद कर दिया था . मैंने उन गहरी काली आँखों के अँधेरे को अपने दिल में उतरते हुए महसूस किया. इस से पहले की वो कुछ अनिष्ट कर देती चाची अचानक से हमारे बीच आ गयी .

“दूर हट मेरे बेटे से ” चाची ने उस साए को जैसे धक्का सा दिया . वो साया फुफकार उठा.

“बीच में मत आ संध्या ” साए ने पहली बार कुछ कहा और हम समझ गए की ये कोई औरत ही थी .

चाची- तो फिर चली जा वापिस

साया- जाने के लिए नहीं लौटी मैं . इस लड़के का लहू चख लिया मैंने अद्भुद है , इसका स्वाद , इसका स्वाद जाना पहचाना है .भा गया है ये इसे लेकर जाउंगी मैं

“मनीष की आन बन कर मैं खड़ी हूँ , देखती हूँ तुझे भी और तेरे जोर को भी ” रीना ने मेरे पास आकार कहा.

रीना ने अपनी आँखों से मुझे आश्वस्त किया .

साया- तू दो कौड़ी की छोकरी तू , तेरी ये हिमाकत की तू मेरे सामने खड़ी हो . पहले मैं तेरे रक्त से ही अपनी तृष्णा शांत करुँगी

बरसती घटाओ के बीच उस टूटे शिवाले में ये जो भी हो रहा था शुक्र है की उसे देखने के लिए कोई कमजोर दिल का प्राणी वहां नहीं था . उस साए ने अपनी जगह खड़े खड़े ही रीना की बाहं मरोड़ी . पर रीना ने भी प्रतिकार किया और उस साए को सामने पत्थरों के फर्श पर पटक दिया. साया जोर से चिंघाड़ करने लगा. उसकी आवाज जैसे धडकनों को खोखला कर रही थी .

पर वो साया बलशाली था , रीना के पीछे सरकते कदम ये बता रहे थे की वो उस से पार नहीं पा पायेगी की तभी मीता ने रीना के हाथ को थाम लिया और आँखों से इशारा किया . दोनों में न जाने क्या बात हुई उन्होंने क्या समझा पर दोनों के होंठ कुछ बुदबुदाने लगे और फिर एक तेज रौशनी का धमाका हुआ और वो साया शिवाले की दिवार से जा टकराया . उसकी चीख फिर से गूंजी.

पर फुर्ती से सँभालते हुए उसने मलबे में पड़ी कड़ी के टुकड़े को उठा कर मीता पर दे मारा . नुकीला टुकड़ा मीता की जांघ को चीर गया वो एक तरफ गिर पड़ी. चाची मीता को सँभालने के उसकी तरफ दौड़ी और उसी पल वो साया रीना के पास पहुंचा गया . उसने रीना के गले को ऐसे पकड़ा की जैसे उसका गला घोंट रही हो . पर फिर मैंने देखा की उसने रीना के गले से वो हीरे वाला धागा निकाल लिया.



“हा हा हा , तभी मैं सोचु की ताकत क्यों मुझे जानी पहचानी लग रही है , मुर्ख लड़की तो ये था तेरी शक्ति का राज ” उस साए ने हँसते हुए वो लाकेट अपने गले में पहन लिया . कुछ देर के लिए सब कुछ थम सा गया . ऐसी ख़ामोशी छा गयी की जरा सी आवाज भी दिल का दौरा ला दे. और फिर वो चीख पड़ी ..

“अर्जुन, अर्जुन,,,,,,,,,,, ” इतनी जोर डर चीख थी वो की मैंने अपने कान से खून बहते हुए महसूस किया. वो जैसे पागल ही हो गई थी . कभी इधर भागे कभी उधर भागे उसकी आँखे और अँधेरी होने लगी . इतनी अँधेरी की जैसे वो सब कुछ निगल जायेगी. उसने रीना के गले को पकड लिया और उसे मारने लगी. रीना की चीखो ने मुझे पागल ही कर दिया था . मैं गुस्से से उसकी तरफ बढ़ा पर बीच में मीता आ गयी उसने एक सुनहरी डोर निकाली और उस साये को बाँधने की कोशिश करने लगी. वैसा ही चाची ने किया.

साए ने फुफकारते हुए कहा- खेल खेलना चाहती हो तुम . चलो ये खेल ही सही .

वो अकेली थी तीन त्रिदेवियो के सामने , तभी मेरी नजर पृथ्वी पर पड़ी जिसे होश आ गया था और वो दद्दा ठाकुर की बन्दूक उठा कर रीना पर निशाना लगा ही रहा था की मैंने एक बड़ा सा पत्थर उठा कर उसके हाथो पर दे मारा. बन्दूक उसके हाथो से गिर गयी और मैंने उसे धर लिया. पृथ्वी से गुथ्तम गुत्था होते हुए मैंने देखा की . शिवाले में वैसा ही धुआ उठा जैसा की तब था जब रीना ने अश्वमानव मारे थे .

पृथ्वी- आज या तो तू नहीं या मैं नहीं .

मैं- मुर्ख, तुझे अंदाजा भी नहीं है की यहाँ पर क्या हो रहा है

पृथ्वी- तेरी वजह से मेरे दादा मारे गए . तुझे नहीं छोडूंगा.

पृथ्वी ने मुझे लात मारी .मेरा ध्यान पृथ्वी से ज्यादा रीना , मीता की तरफ था इसी का फायदा उठाते हुए पृथ्वी ने मुझे दिवार से लगा दिया जिस पर गडी कील मेरे सीने में धंस गयी . मैं दर्द से दोहरा हो गया . वो लगातार मुझे दिवार की तरफ धकेल रहा था ताकि कील और अन्दर घुस जाए. प्रतिकार करते हुए मैंने अपना पैर पीछे किया और उसके पंजे पर मारा जैसे ही वो लडखडाया मैंने उसे धर लिया.

“बहुत फडफडा लिया तू हरामजादे, तेरे पापो को मैंने बहुत कोशिश की माफ़ करने की ये जानते हुए भी की तूने मेरी जान पर हाथ डाला मैं तुझे मारना नहीं चाहता था पर तेरी तक़दीर में ये ही लिखा था ” कहते हुए मैंने पृथ्वी की गर्दन मरोड़ दी. वो चीख भी नहीं पाया. टूटी सहतीर सा लहरा कर गिरा वो .

तभी रौशनी का एक धमाका हुआ और तीन साए शिवाले में इधर उधर जाकर गिरे, रीना मीता और चाची खून से लथपथ धरती पर पड़े अपनी सांसो की डोर को थामने की कोशिश कर रही थी . वो साया मेरी तरफ बढ़ा और मुझे घसीट लिया.

उसने अपने चेहरे को मेरे सीने की तरफ झुकाया और मैंने पहली बार उस को देखा. वो खूबसूरत चेहरा . इस से पहले की वो अपने होंठ मेरे बदन पर लगा कर मेरा खून पी पाती. .उस आवाज ने जैसे मेरे बदन में शक्ति का संचार कर दिया .

“बस मंदा बस बहुत हुआ ”

उस साए ने पलट कर देखा उसके सामने अर्जुन सिंह खड़ा था .............
 

A.A.G.

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#72

भरी दोपहर में ही मौसम बदलने लगा था , काले बादलो की घटा ने आसमान संग आँख-मिचोली खेलनी शुरू कर दी थी .ऐसा लगता था की रात घिर आई हो. ये घिरता अपने अन्दर आज न जाने किसे सामने वाला था . हवेली से बाहर आकर मैंने मौसम का हाल देख कर अपने दुखते सीने पर हाथ रख लिया. मैं जानता था की रीना कहाँ होगी . मैंने चाची की गाडी ली और सीधा शिवाले पर पहुँच गया .

वहां जाकर जो मेरी आँखों ने देखा , मैं जानता तो था की पृथ्वी ये गुस्ताखी करेगा पर आज ही करेगा ये नहीं सोचा था . पृथ्वी जैसे सपोले को मुझे बहुत पहले कुचल देना चाहिए था . मैंने देखा अपने लठैतो की आड़ में पृथ्वी ने रीना को अगवा कर लिया था. उसके चेहरे की वो हंसी मेरे कलेजे को अन्दर तक चीर गयी .

पृथ्वी- मुझे मालूम था तू जरुर आएगा. न जाने कैसा बंधन है इस से तेरा दर्द इसे होता है चीखता तू है . मैंने बहुत विचार किया सोचा फिर सोचा की इसके लिए तुझे अपनी जान देनी होगी

मैं- रीना के लिए एक तो क्या हजार जान कुर्बान है

पृथ्वी- क़ुरबानी तो तुझे देनी ही है पर अभी के अभी तूने मुझ अम्रृत कुण्ड को देखने का रहस्य नहीं बताया तो मैं रीना को मार दूंगा

मैं- किसका रहस्य , जरा दुबारा तो कहना

पृथ्वी की बात मेरे सर के ऊपर से गयी .

“हरामजादे , मजाक करता है मुझसे ” पृथ्वी ने खींच कर रीना को थप्पड़ मारा

“पृथ्वी , इस से पहले की की अनर्थ हो जाये , छोड़ दे रीना को वर्ना सौगंध है महादेव की मुझे तेरी लाश तक उठाने वाला कोई नहीं बचेगा ” मैंने फड़कती भुजाओ को ऊपर करते हुए कहा .

बीस तीस लठैत तुरंत मेरे सामने आ गए.

मैं- हट जाओ मेरे रस्ते से , आज मैं कुछ नहीं सोचूंगा. चाहे इस दुनिया में आग लग जाए . हटो बहनचोदो

मैंने एक लठैत के पैर पर लात मारी और उसकी लाठी छीन ली .और मारा मारी शुरू हो गयी .

“इस को आज जिन्दा नहीं छोड़ना है ” पृथ्वी चिल्लाया और उसने फिर से रीना को थप्पड़ मारा

पृथ्वी- खोल उस अमृत कुण्ड का दरवाजा हरामजादी .

इधर मैं उन लठैतो से पार पाने की कोशिश कर रहा था पर उनकी संख्या ज्यादा थी इस बार पृथ्वी ने पुरी योजना बनाई हुई थी . एक लठैत की लाठी मेरे सर पर पड़ी और कुछ पलो के लिए मेरे होश घबरा गए और यही पर वो मुझ पर हावी हो गए. लगातार पड़ती लाठिया मुझे मौका नहीं दे रही थी . सर से बहता खून मुझे पागल कर रहा था .

“मनीष ” ये मीता की आवाज थी जो यहाँ आन पहुंची थी .

मीता ने आव देखा न ताव और तुरंत ही उन लठैतो से भीड़ गयी . जैसे तैसे करके उसने मुझे उठाया तब तक संध्या चाची भी वहां पहुँच गयी .

“पृथ्वी ये क्या पागलपन है ” चाची ने गुस्से से कहा

पृथ्वी- ये पागलपन तुम्हे तब नहीं दिखा बुआ जब अर्जुन से मेरे पिता को मार दिया. जब इसने मेरे दोस्तों को मार दिया .

संध्या- उनको अपने कर्मो की सजा मिली . उनकी नियति में यही था .

पृथ्वी- क्या थे उनके कर्म, जिस पर हमारा दिल आया उसके साथ थोड़े मजे ले लिए तो क्या गलती हुई भला. ये तो हमारे शौक है

संध्या- हर किसी की इज्जत उतनी ही है जितना मेरी या तेरी माँ की है या हवेली की किसी और दूसरी औरत की है

पृथ्वी- तुम तो मुझे ये पाठ मत पढाओ बुआ , वो तुम ही थी जो दुश्मनों की गोद में जाकर बैठ गयी थी .

संध्या- अपनी औकात मत भूल पृथ्वी, तू भी मेरा ही बेटा है ये याद रख तू और कोशिश कर की मैं भी न भूल पाऊ इस बात को

पृथ्वी- हमें तो तुम उसी दिन ही भुला गयी थी बुआ, जिस दिन तुम दुस्मानो के घर गयी .

संध्या- तो ठीक है , अब किसी रिश्ते नाते की बात नहीं होगी. किसी नाते की कोई दुहाई नहीं दी जाएगी. जिस लड़की को तूने अगवा किया है , ये लड़का जो घायल है ये मेरी औलादे है और इनके लिए मैं किस हद से गुजर जाऊंगी तू सोच भी नहीं सकता. जब तूने अमृत कुण्ड के बारे में मालूम कर लिया है तो उस सच के बारे में भी मालूम कर लिया होता. अगर तेरी रगों में सच्चा खून होता तो तू ये घ्रणित कार्य कभी नहीं करता .

“मनीष मेरे बेटे, मैं तुझसे कह रही हूँ, इसी समय इस दुष्ट पृथ्वी का सर धड से अलग कर दे. ” चाची ने क्रोध से फुफकारते हुए कहा.

मीता ने तुरंत ही एक लठैत की गर्दन तोड़ दी . पर तभी “धांय ” गोली की जोरदार आवाज गूंजी और ऐसा लगा की किसी ने मेरे कंधे को उखाड़ कर फेंक दिया हो . क्या मालूम वो गोली मुझे छू कर गुजरी थी या फिर कंधे में धंस गयी थी . क्योंकि उसके बाद जो कुछ भी हुआ वो किसी जलजले से कम नहीं था .

“मनीष ...... ” ये रीना की वो चीख थी जिसने वहां मोजूद हर शक्श के कानो की चूले हिला दी.

“दद्दा ठाकुर ” रीना ने गहरी आँखों जो अब पूरी तरह से काली हो चुकी थी नफरत से दद्दा ठाकुर की तरफ देखा जो कंधे पर बन्दूक लिए हमारे बीच आ चूका था . पर वो नहीं जानता था की उसके कदम उसे मौत की दहलीज पर ले आये थे. रीना ने एक लात पृथ्वी की छाती पर मारी . हैरत के मारे पृथ्वी बस देखता रह गया और बिजली की सी तेजी से रीना ददा ठाकुर की तरफ बढ़ी और उसके हाथ को उखाड़ दिया.

“आईईईईईईईईईईइ ” दद्दा की चीखे शिवाले में गूंजने लगी . पर वो मरजानी नहीं रुकी. जब उसका मन भरा तो वहां मोजूद लठैतो को मैंने धोती में मूतते देखा. दादा ठाकुर की लाश के टुकड़े इधर उधर बिखरे हुए थे. उसके गर्दन को रीना ने अपने होंठो से लगाया और ताजे गर्म खून को किसी शरबत की तरफ पीने लगी.

“मेरी जान है वो , मेरे होते हुए कैसे मार देगा तू उसे, ” रीना ने ददा की लाश से सवाल किया वो तमाम लठैत तुरंत ही वहां से भाग लिए. रह गए मैं रीना, मीता , चाची और पृथ्वी.

अचानक से बाज़ी पलट गयी थी . रीना ने अपने क्रोध में सब तहस नहस कर दिया था . सामने बाप की लाश पड़ी थी पर चाची के चेहरे पर जरा भी शिकन नहीं थी .


“मैं कभी नहीं चाहती थी ये दिन आये पृथ्वी , मैंने जितना चाह इस रण को टालना चाहा . मैंने तुझे कदम कदम पर माफ़ किया पर अब और नहीं ” इतना कह कर रीना जैसे ही पृथ्वी की तरफ बढ़ी, किसी ने उसका रास्ता रोक लिया और अगले ही पल रीना हवा में उड़ते हुए शिवाले की टूटी दिवार पर जा गिरी.....
nice update..!!
yeh harami prithvi fir se reena ko pakad liya..ab chachi ko bhi uski asliyat ka pata chal gaya aur chachi ne khud prithvi ko marne ki permission de di lekin yeh dadda thakur aagaya marne ke liye aur goli chala di manish pe..yahi galti kar di usne aur fir reena jaag gayi kyunki reena bhale hi manish se naraj rehne ka dikhawa kar sakti hai lekin manish anch aayegi toh woh uske khilaf khadi rahegi aur yahi huva kyunki uske baad reena ne dadda thakur ke tukade kar diya..abhi toh prithvi ko bhi marna baki hai..lekin yeh kaun aagaya jisne reena ko fenk diya..!!
 

A.A.G.

Well-Known Member
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जिस बाज़ी को मैंने अपने हिस्से में पलटते हुए देखा था रीना पर हुए इस हमले ने पल भर में ही हम सबको अहसास करवा दिया की ये बिसात इतनी जल्दी ख़तम नहीं होने वाली. वो काला साया जिसने उस दिन जब्बर की पत्नी को मारा था , जिसने मेरी छाती पर हाथ रख कर मेरी नसों से लहू निचोड़ने की कोशिश की थी अचानक से उसने शिवाले में आकर रीना को दूर पटक दिया था .

आसमान में घुमड़ती काली घटाओ ने रोना शुरू कर दिया था ,आकाश जैसे फटने लगा था . बारिश शुरू हो गयी थी . वो काला साया लहराते हुए मेरी तरफ बढ़ा. मेरे दिमाग ने जैसे काम करना बंद कर दिया था . मैंने उन गहरी काली आँखों के अँधेरे को अपने दिल में उतरते हुए महसूस किया. इस से पहले की वो कुछ अनिष्ट कर देती चाची अचानक से हमारे बीच आ गयी .

“दूर हट मेरे बेटे से ” चाची ने उस साए को जैसे धक्का सा दिया . वो साया फुफकार उठा.

“बीच में मत आ संध्या ” साए ने पहली बार कुछ कहा और हम समझ गए की ये कोई औरत ही थी .

चाची- तो फिर चली जा वापिस

साया- जाने के लिए नहीं लौटी मैं . इस लड़के का लहू चख लिया मैंने अद्भुद है , इसका स्वाद , इसका स्वाद जाना पहचाना है .भा गया है ये इसे लेकर जाउंगी मैं

“मनीष की आन बन कर मैं खड़ी हूँ , देखती हूँ तुझे भी और तेरे जोर को भी ” रीना ने मेरे पास आकार कहा.

रीना ने अपनी आँखों से मुझे आश्वस्त किया .

साया- तू दो कौड़ी की छोकरी तू , तेरी ये हिमाकत की तू मेरे सामने खड़ी हो . पहले मैं तेरे रक्त से ही अपनी तृष्णा शांत करुँगी

बरसती घटाओ के बीच उस टूटे शिवाले में ये जो भी हो रहा था शुक्र है की उसे देखने के लिए कोई कमजोर दिल का प्राणी वहां नहीं था . उस साए ने अपनी जगह खड़े खड़े ही रीना की बाहं मरोड़ी . पर रीना ने भी प्रतिकार किया और उस साए को सामने पत्थरों के फर्श पर पटक दिया. साया जोर से चिंघाड़ करने लगा. उसकी आवाज जैसे धडकनों को खोखला कर रही थी .

पर वो साया बलशाली था , रीना के पीछे सरकते कदम ये बता रहे थे की वो उस से पार नहीं पा पायेगी की तभी मीता ने रीना के हाथ को थाम लिया और आँखों से इशारा किया . दोनों में न जाने क्या बात हुई उन्होंने क्या समझा पर दोनों के होंठ कुछ बुदबुदाने लगे और फिर एक तेज रौशनी का धमाका हुआ और वो साया शिवाले की दिवार से जा टकराया . उसकी चीख फिर से गूंजी.

पर फुर्ती से सँभालते हुए उसने मलबे में पड़ी कड़ी के टुकड़े को उठा कर मीता पर दे मारा . नुकीला टुकड़ा मीता की जांघ को चीर गया वो एक तरफ गिर पड़ी. चाची मीता को सँभालने के उसकी तरफ दौड़ी और उसी पल वो साया रीना के पास पहुंचा गया . उसने रीना के गले को ऐसे पकड़ा की जैसे उसका गला घोंट रही हो . पर फिर मैंने देखा की उसने रीना के गले से वो हीरे वाला धागा निकाल लिया.



“हा हा हा , तभी मैं सोचु की ताकत क्यों मुझे जानी पहचानी लग रही है , मुर्ख लड़की तो ये था तेरी शक्ति का राज ” उस साए ने हँसते हुए वो लाकेट अपने गले में पहन लिया . कुछ देर के लिए सब कुछ थम सा गया . ऐसी ख़ामोशी छा गयी की जरा सी आवाज भी दिल का दौरा ला दे. और फिर वो चीख पड़ी ..

“अर्जुन, अर्जुन,,,,,,,,,,, ” इतनी जोर डर चीख थी वो की मैंने अपने कान से खून बहते हुए महसूस किया. वो जैसे पागल ही हो गई थी . कभी इधर भागे कभी उधर भागे उसकी आँखे और अँधेरी होने लगी . इतनी अँधेरी की जैसे वो सब कुछ निगल जायेगी. उसने रीना के गले को पकड लिया और उसे मारने लगी. रीना की चीखो ने मुझे पागल ही कर दिया था . मैं गुस्से से उसकी तरफ बढ़ा पर बीच में मीता आ गयी उसने एक सुनहरी डोर निकाली और उस साये को बाँधने की कोशिश करने लगी. वैसा ही चाची ने किया.

साए ने फुफकारते हुए कहा- खेल खेलना चाहती हो तुम . चलो ये खेल ही सही .

वो अकेली थी तीन त्रिदेवियो के सामने , तभी मेरी नजर पृथ्वी पर पड़ी जिसे होश आ गया था और वो दद्दा ठाकुर की बन्दूक उठा कर रीना पर निशाना लगा ही रहा था की मैंने एक बड़ा सा पत्थर उठा कर उसके हाथो पर दे मारा. बन्दूक उसके हाथो से गिर गयी और मैंने उसे धर लिया. पृथ्वी से गुथ्तम गुत्था होते हुए मैंने देखा की . शिवाले में वैसा ही धुआ उठा जैसा की तब था जब रीना ने अश्वमानव मारे थे .

पृथ्वी- आज या तो तू नहीं या मैं नहीं .

मैं- मुर्ख, तुझे अंदाजा भी नहीं है की यहाँ पर क्या हो रहा है

पृथ्वी- तेरी वजह से मेरे दादा मारे गए . तुझे नहीं छोडूंगा.

पृथ्वी ने मुझे लात मारी .मेरा ध्यान पृथ्वी से ज्यादा रीना , मीता की तरफ था इसी का फायदा उठाते हुए पृथ्वी ने मुझे दिवार से लगा दिया जिस पर गडी कील मेरे सीने में धंस गयी . मैं दर्द से दोहरा हो गया . वो लगातार मुझे दिवार की तरफ धकेल रहा था ताकि कील और अन्दर घुस जाए. प्रतिकार करते हुए मैंने अपना पैर पीछे किया और उसके पंजे पर मारा जैसे ही वो लडखडाया मैंने उसे धर लिया.

“बहुत फडफडा लिया तू हरामजादे, तेरे पापो को मैंने बहुत कोशिश की माफ़ करने की ये जानते हुए भी की तूने मेरी जान पर हाथ डाला मैं तुझे मारना नहीं चाहता था पर तेरी तक़दीर में ये ही लिखा था ” कहते हुए मैंने पृथ्वी की गर्दन मरोड़ दी. वो चीख भी नहीं पाया. टूटी सहतीर सा लहरा कर गिरा वो .

तभी रौशनी का एक धमाका हुआ और तीन साए शिवाले में इधर उधर जाकर गिरे, रीना मीता और चाची खून से लथपथ धरती पर पड़े अपनी सांसो की डोर को थामने की कोशिश कर रही थी . वो साया मेरी तरफ बढ़ा और मुझे घसीट लिया.

उसने अपने चेहरे को मेरे सीने की तरफ झुकाया और मैंने पहली बार उस को देखा. वो खूबसूरत चेहरा . इस से पहले की वो अपने होंठ मेरे बदन पर लगा कर मेरा खून पी पाती. .उस आवाज ने जैसे मेरे बदन में शक्ति का संचार कर दिया .

“बस मंदा बस बहुत हुआ ”


उस साए ने पलट कर देखा उसके सामने अर्जुन सिंह खड़ा था .............
nice update..!!
yeh saya ek aurat ka hai jisne reena ko fenka tha aur woh sandhya ko janti hai..lekin reena aur meeta kaise uss saye ko kuchh karne deti manish ke sath..aaj aisa laga jaise do behne apne pyaar matlab manish ke liye uss saye se ek hokar lad rahi hai aur unka sath sandhya de rahi hai..iss saye ko pata chal gaya ki uss dhage ki shakti hai reena ke andar aur usne woh dhaga nikal kar khud pehen liya aur fir arjun ka naam lekar chillane lagi..fir inn trideviyon usse ladna start kiya lekin yeh prithvi nahi sudharega yeh firse reena ko marna chah raha tha toh manish kaise shant baithata..manish ne prithvi ki sanse hi band kar di..uss saaye ne bhi reena, meeta aur sandhya ko lahu lohan kar diya hai aur woh manish ka khun pine hi wali thi arjun singh aagaya jiske past ki wajah se uska beta aaj iss mukam pe pahoch gaya hai aur itni taklif zel raha hai..aur uss saye ka naam manda hai kya yeh manish ki maa hai..manda manish ki maa hosakti hai..!! kuchh bhi hojaye lekin manish, reena aur meeta tino ek hone chahiye kyunki inn tino ka kya kasur hai..yeh toh apne bado ke karmo ki wajah se iss situation me fase hai..tino ka pyaar hi unko unka bhavishya banane me madat karega aur yeh tino ab ek dusr se jud gaye hai..jaise meeta aur reena ek dusro ko sath lekar uss saye se ladi hai uss hisab se yahi pata chalta hai ki reena ne meeta ko accept kar liya hai kyunki meeta toh pehle hi bol chuki thi ki woh reena ke sath apna pyaar bantne ke liye tayyar hai kyunki manish pe pehla haq toh reena ka hi hai..!! ab deekhte hai yeh arjun khud ka failaya huva rayta kaise sametata hai aur kya manda sach me manish ki maa hai..!!
 

Studxyz

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घनघोर रहस्य से भरी कहानी है भाई इस कहानी के सस्पेंस का बिल्कुल भी अंदाज़ा नहीं लग पाया आखिरकार अर्जुन सिंह की एंट्री हुई और वही इस कहानी की उलझी गुँथी को सुलझाएगा

लेकिन आखरी कहानी वाली बात समझ नही आयी ऐसा जुर्म अपने पाठकों पर मत करना
 

Rambhai

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nice update..!!
yeh saya ek aurat ka hai jisne reena ko fenka tha aur woh sandhya ko janti hai..lekin reena aur meeta kaise uss saye ko kuchh karne deti manish ke sath..aaj aisa laga jaise do behne apne pyaar matlab manish ke liye uss saye se ek hokar lad rahi hai aur unka sath sandhya de rahi hai..iss saye ko pata chal gaya ki uss dhage ki shakti hai reena ke andar aur usne woh dhaga nikal kar khud pehen liya aur fir arjun ka naam lekar chillane lagi..fir inn trideviyon usse ladna start kiya lekin yeh prithvi nahi sudharega yeh firse reena ko marna chah raha tha toh manish kaise shant baithata..manish ne prithvi ki sanse hi band kar di..uss saaye ne bhi reena, meeta aur sandhya ko lahu lohan kar diya hai aur woh manish ka khun pine hi wali thi arjun singh aagaya jiske past ki wajah se uska beta aaj iss mukam pe pahoch gaya hai aur itni taklif zel raha hai..aur uss saye ka naam manda hai kya yeh manish ki maa hai..manda manish ki maa hosakti hai..!! kuchh bhi hojaye lekin manish, reena aur meeta tino ek hone chahiye kyunki inn tino ka kya kasur hai..yeh toh apne bado ke karmo ki wajah se iss situation me fase hai..tino ka pyaar hi unko unka bhavishya banane me madat karega aur yeh tino ab ek dusr se jud gaye hai..jaise meeta aur reena ek dusro ko sath lekar uss saye se ladi hai uss hisab se yahi pata chalta hai ki reena ne meeta ko accept kar liya hai kyunki meeta toh pehle hi bol chuki thi ki woh reena ke sath apna pyaar bantne ke liye tayyar hai kyunki manish pe pehla haq toh reena ka hi hai..!! ab deekhte hai yeh arjun khud ka failaya huva rayta kaise sametata hai aur kya manda sach me manish ki maa hai..!!
No manda manish ki ma nahi hey
 

Raj_sharma

परिवर्तनमेव स्थिरमस्ति ||❣️
Supreme
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पाठक महोदय, मैं आपसे जानना चाहता हूं कि रोमांस के क्या मायने है यद्यपि कहानी मे स्तिथि अनुसार नायक नायिका के खास क्षणों को दिखाया गया है दूसरी बात adultery की तो नायक और उसकी ताई के संबंधों ने उस टैग को चरितार्थ किया है
ये कहानी उस प्रकार की नहीं है कि जबरदस्ती के सेक्स सीन डाले जाए रहस्य इसलिए है कि पाठकों की रुचि बनी रहे की आगे क्या होगा कहानी मे
दूसरी बात मेरा ये मानना है कि यदि आप अपना क़ीमती समय निकाल कर कुछ पढ़ रहे हैं तो आपको अच्छा कंटेंट मिले. दीदी भैया मम्मी की कहानियो से क्या ये फोरम गुलजार नहीं है
उम्मीद है कि आप समझे होंगे
Bilkul 100% sahamat Hu manish bhai aapse. Ye lahani jaisi hai aise kahaniya bohot kam hai is forum pe.
Jaisi chal Rahi hai bohot jabarjust hai. Use as It is chalne do.
Dhanyawaad 🙏🙏👌👌👌👌👌👌👌
 
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