#74
“वक्त का पहिया घूमते हुए फिर से यही पर आकर रुक गया है अर्जुन, देखो जरा अपने आस पास मैं हूँ तुम हो और ये बरसता सावन ” मंदा ने कहा .
अर्जुन- बच्चो को जाने दे मंदा . तुझे जो कहना है मुझसे कह, जो करना है मेरे साथ कर .
मंदा- किया तो तुमने था मुझे बर्बाद.
अर्जुन- तो फिर ख़तम कर इस किस्से को, इस दर्द से तू भी आजाद हो और मुझे भी कर. तुझे लगता है की मैं तेरा गुनेहगार हूँ तो ये ही सही . तेरा हक़ है मुझ पर दे सजा मुझे
मंदा- तेरे सामने तेरे वंश को ख़तम करुँगी मैं , इस से बेहतर सजा क्या होगी तेरे लिए अर्जुन, याद कर वो दिन जब मैं तडपी थी , आज तू तडपेगा तूने छल किया मेरे साथ ,
इस से पहले की बाबा कुछ कहते चाची बीच में बोल पड़ी- मंदा , तेरी आँखों पर पर्दा पड़ा है तुझे तेरे दर्द, तेरे बदले के सिवाय कुछ नहीं दिख रहा है .क्रोध में इस कदर अंधी हुई है तुझे की आज तक चैन नहीं मिला दिल पर हाथ रख कर देख और फिर कह जिस इन्सान पर तू इल्जाम लगा रही है , जिस इन्सान के प्रति तू इतनी नफरत लिए है की तू आगे नहीं बढ़ पाई.
मंदा- तुझसे तो मैं बाद निपट लुंगी. तू क्या जाने इसने मेरे साथ क्या किया था .
संध्या- तू ही बता फिर, आज इस शिवाले में तू भी है मैं भी हूँ हम सब है , तू ही बता मंदा आखिर उस रात क्या हुआ था , आखिर क्यों सब कुछ बर्बाद हो गया .
अर्जुन- संध्या तुम इन तीनो को लेकर यहाँ से जाओ
मंदा- कोई कहीं नहीं जाएगा. शुरू तुमने किया था अर्जुन ख़तम मैं करुँगी . अपने भाई से बढ़कर मैंने तुम्हे माना था . मेरी राखी के धागे को तुमने इतना कमजोर कर दिया तुमने की सब बर्बाद कर दिया तुमने. मेरे प्रतिशोध की अग्नि आज तुम्हे, तुम्हारे वंश को सब को ख़तम कर देगी.
मंदा की छाया का रूप बदलने लगा. वो धुआ धुआ होने लगी और जब वो धुआ छंटा तो हमारे सामने एक बेहद सुंदर औरत खड़ी थी . इतनी सुन्दर की उसके रूप को देखना ही आँखों को गुस्ताखी लगे. पर उसके चेहरे पर दुनिया भर का क्रोध था . आँखे अँधेरे से भी काली. मंदा ने मुझ पर अपने नुकीले नाखूनों से वार किया जो मेरी पीठ को उधेड़ गए.
रीना- मंदा , तुम जो भी हो मैं फिर तुमसे कहती हूँ मनीष की आन हूँ मैं , प्रीत की डोर बाँधी है मैंने उस से और मेरे प्रेम की डोर इतनी कमजोर नहीं की तेरे जैसी ऐरी गैरी कोइ भी तोड़ दे.
मंदा- बहुत बोलती है तू , पहले तेरा ही इलाज करती हूँ मैं
मंदा ने न जाने क्या किया रीना के बदन में आग लगने लगी. लपटों में घिरने लगी वो . मीता उसे बचाने की कोशिश करने लगी तो मंदा ने उसे भी धर लिया .
“ये अनर्थ मत मर मंदा , ”अर्जुन ने मंदा के आगे हाथ जोड़ दिए पर उसका कलेजा नहीं पसीजा
संध्या- अब बस एक रास्ता है इसे रोकने का वर्ना ये दोनों को मार देगी.
अर्जुन- नहीं .
संध्या- कब तक चुप रहेंगे आप. जो बोझ आपके दिल पर है आज वक्त आ गया है उसे उतारने का. आप चुप रह सकते है पर मैं बोलूंगी आज और मुझे कोई नहीं रोकेगा.
चाची मंदा की तरफ मुखातिब हुई और बोली- मंदा तू चाहे तो इन दोनों को मार दे पर ये याद रखना इनके बदन से टपकता लहू तेरा ही है. इनकी चिताओ से उठता धुआं तेरा ही होगा.
अचानक से मंदा के हाथ रुक गए रीना और मीता धडाम से निचे गिरी “क्या कहा तूने ” मंदा ने कांपती आवाज में पूछा
संध्या- ये दोनों तेरी ही बेटिया है मंदा .
चाची ने ऐसा धमाका कर दिया था जिसने की शिवाले को हिला कर रख दिया .
“मुझे बोलने दीजिये जेठजी , आज ये राज जो आप बरसो से अपने सीने में दबाये हुए है आज खोलना ही होगा वर्ना ये न जाने क्या अनर्थ कर बैठेगी. जिसको तू अपना गुनेहगार समझती है उसकी सरपरस्ती में ही तेरी बेटिया आज देख कैसे सर उठा कर खड़ी है.मुझे लगा था तू इन्हें पहचान जायेगी पर आँखों पर पड़े परदे ने अपने ही खून को नहीं पहचाना ” चाची ने कहा.
मैंने देखा की रीना और मीता के चेहरे पर हवाइया उड़ रही थी . झटका तो मुझे भी लगा था पर पिछले कुछ महीनो में जो भी देखा था जो भी बीता था तो इसे भी मान लिया .
मंदा- मेरी बेटिया ........
अर्जुन- यही सच है मंदा, ये दोनों बच्चिया तेरे आँगन के ही फूल है . तू चाहे मुझे जो भी दोष दे पर मैंने राखी के हर फर्ज को निभाया . आज भी हालात ऐसे हो गए की ना चाहते हुए भी मुझे ये राज़ खोलना पड़ रहा है मंदा. वर्ना जीते जी मैं तेरी रुसवाई कभी नहीं होने देता.
बरसती बूंदों के बीच उभरती रात अपने साथ अजीब सी बेचैनी ले आई थी .
अर्जुन- मुझे मालूम हो गया था की तू बलबीर (पृथ्वी का पिता ) के प्यार में पड़ गयी थी . कब तू उसे अपना मानने लग गयी थी . पर मंदा तुझे ये नहीं मालूम था की वो बस तेरा इस्तेमाल कर रहा है . उसके लिए तू कुछ नहीं थी सिवाय एक खिलोने के जिस से उसका मन भरने लगा था .
अर्जुन- तुझे अपनी बहन माना था तो मेरा कलेजा जलता था की जब तुझे सच का मालूम होगा तो तू कैसे सह पाएगी ये सब इसलिए एक रात मैं बलबीर से मिलने रुद्रपुर गया . मैंने उसके पैरो में अपनी पगड़ी रख दी , मैं चाह कर भी जब्बर को ये नहीं बता सकता था की हमारी बहन के साथ कितना बड़ा खिलवाड़ हुआ है . पर बलबीर के मन में कुछ और ही था उसने मुझसे एक सौदा किया बदले में तुझसे ब्याह करने का वचन भी दिया उसने मुझे .