Naik
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Zaberdast shaandaar lajawab update bhai#72
भरी दोपहर में ही मौसम बदलने लगा था , काले बादलो की घटा ने आसमान संग आँख-मिचोली खेलनी शुरू कर दी थी .ऐसा लगता था की रात घिर आई हो. ये घिरता अपने अन्दर आज न जाने किसे सामने वाला था . हवेली से बाहर आकर मैंने मौसम का हाल देख कर अपने दुखते सीने पर हाथ रख लिया. मैं जानता था की रीना कहाँ होगी . मैंने चाची की गाडी ली और सीधा शिवाले पर पहुँच गया .
वहां जाकर जो मेरी आँखों ने देखा , मैं जानता तो था की पृथ्वी ये गुस्ताखी करेगा पर आज ही करेगा ये नहीं सोचा था . पृथ्वी जैसे सपोले को मुझे बहुत पहले कुचल देना चाहिए था . मैंने देखा अपने लठैतो की आड़ में पृथ्वी ने रीना को अगवा कर लिया था. उसके चेहरे की वो हंसी मेरे कलेजे को अन्दर तक चीर गयी .
पृथ्वी- मुझे मालूम था तू जरुर आएगा. न जाने कैसा बंधन है इस से तेरा दर्द इसे होता है चीखता तू है . मैंने बहुत विचार किया सोचा फिर सोचा की इसके लिए तुझे अपनी जान देनी होगी
मैं- रीना के लिए एक तो क्या हजार जान कुर्बान है
पृथ्वी- क़ुरबानी तो तुझे देनी ही है पर अभी के अभी तूने मुझ अम्रृत कुण्ड को देखने का रहस्य नहीं बताया तो मैं रीना को मार दूंगा
मैं- किसका रहस्य , जरा दुबारा तो कहना
पृथ्वी की बात मेरे सर के ऊपर से गयी .
“हरामजादे , मजाक करता है मुझसे ” पृथ्वी ने खींच कर रीना को थप्पड़ मारा
“पृथ्वी , इस से पहले की की अनर्थ हो जाये , छोड़ दे रीना को वर्ना सौगंध है महादेव की मुझे तेरी लाश तक उठाने वाला कोई नहीं बचेगा ” मैंने फड़कती भुजाओ को ऊपर करते हुए कहा .
बीस तीस लठैत तुरंत मेरे सामने आ गए.
मैं- हट जाओ मेरे रस्ते से , आज मैं कुछ नहीं सोचूंगा. चाहे इस दुनिया में आग लग जाए . हटो बहनचोदो
मैंने एक लठैत के पैर पर लात मारी और उसकी लाठी छीन ली .और मारा मारी शुरू हो गयी .
“इस को आज जिन्दा नहीं छोड़ना है ” पृथ्वी चिल्लाया और उसने फिर से रीना को थप्पड़ मारा
पृथ्वी- खोल उस अमृत कुण्ड का दरवाजा हरामजादी .
इधर मैं उन लठैतो से पार पाने की कोशिश कर रहा था पर उनकी संख्या ज्यादा थी इस बार पृथ्वी ने पुरी योजना बनाई हुई थी . एक लठैत की लाठी मेरे सर पर पड़ी और कुछ पलो के लिए मेरे होश घबरा गए और यही पर वो मुझ पर हावी हो गए. लगातार पड़ती लाठिया मुझे मौका नहीं दे रही थी . सर से बहता खून मुझे पागल कर रहा था .
“मनीष ” ये मीता की आवाज थी जो यहाँ आन पहुंची थी .
मीता ने आव देखा न ताव और तुरंत ही उन लठैतो से भीड़ गयी . जैसे तैसे करके उसने मुझे उठाया तब तक संध्या चाची भी वहां पहुँच गयी .
“पृथ्वी ये क्या पागलपन है ” चाची ने गुस्से से कहा
पृथ्वी- ये पागलपन तुम्हे तब नहीं दिखा बुआ जब अर्जुन से मेरे पिता को मार दिया. जब इसने मेरे दोस्तों को मार दिया .
संध्या- उनको अपने कर्मो की सजा मिली . उनकी नियति में यही था .
पृथ्वी- क्या थे उनके कर्म, जिस पर हमारा दिल आया उसके साथ थोड़े मजे ले लिए तो क्या गलती हुई भला. ये तो हमारे शौक है
संध्या- हर किसी की इज्जत उतनी ही है जितना मेरी या तेरी माँ की है या हवेली की किसी और दूसरी औरत की है
पृथ्वी- तुम तो मुझे ये पाठ मत पढाओ बुआ , वो तुम ही थी जो दुश्मनों की गोद में जाकर बैठ गयी थी .
संध्या- अपनी औकात मत भूल पृथ्वी, तू भी मेरा ही बेटा है ये याद रख तू और कोशिश कर की मैं भी न भूल पाऊ इस बात को
पृथ्वी- हमें तो तुम उसी दिन ही भुला गयी थी बुआ, जिस दिन तुम दुस्मानो के घर गयी .
संध्या- तो ठीक है , अब किसी रिश्ते नाते की बात नहीं होगी. किसी नाते की कोई दुहाई नहीं दी जाएगी. जिस लड़की को तूने अगवा किया है , ये लड़का जो घायल है ये मेरी औलादे है और इनके लिए मैं किस हद से गुजर जाऊंगी तू सोच भी नहीं सकता. जब तूने अमृत कुण्ड के बारे में मालूम कर लिया है तो उस सच के बारे में भी मालूम कर लिया होता. अगर तेरी रगों में सच्चा खून होता तो तू ये घ्रणित कार्य कभी नहीं करता .
“मनीष मेरे बेटे, मैं तुझसे कह रही हूँ, इसी समय इस दुष्ट पृथ्वी का सर धड से अलग कर दे. ” चाची ने क्रोध से फुफकारते हुए कहा.
मीता ने तुरंत ही एक लठैत की गर्दन तोड़ दी . पर तभी “धांय ” गोली की जोरदार आवाज गूंजी और ऐसा लगा की किसी ने मेरे कंधे को उखाड़ कर फेंक दिया हो . क्या मालूम वो गोली मुझे छू कर गुजरी थी या फिर कंधे में धंस गयी थी . क्योंकि उसके बाद जो कुछ भी हुआ वो किसी जलजले से कम नहीं था .
“मनीष ...... ” ये रीना की वो चीख थी जिसने वहां मोजूद हर शक्श के कानो की चूले हिला दी.
“दद्दा ठाकुर ” रीना ने गहरी आँखों जो अब पूरी तरह से काली हो चुकी थी नफरत से दद्दा ठाकुर की तरफ देखा जो कंधे पर बन्दूक लिए हमारे बीच आ चूका था . पर वो नहीं जानता था की उसके कदम उसे मौत की दहलीज पर ले आये थे. रीना ने एक लात पृथ्वी की छाती पर मारी . हैरत के मारे पृथ्वी बस देखता रह गया और बिजली की सी तेजी से रीना ददा ठाकुर की तरफ बढ़ी और उसके हाथ को उखाड़ दिया.
“आईईईईईईईईईईइ ” दद्दा की चीखे शिवाले में गूंजने लगी . पर वो मरजानी नहीं रुकी. जब उसका मन भरा तो वहां मोजूद लठैतो को मैंने धोती में मूतते देखा. दादा ठाकुर की लाश के टुकड़े इधर उधर बिखरे हुए थे. उसके गर्दन को रीना ने अपने होंठो से लगाया और ताजे गर्म खून को किसी शरबत की तरफ पीने लगी.
“मेरी जान है वो , मेरे होते हुए कैसे मार देगा तू उसे, ” रीना ने ददा की लाश से सवाल किया वो तमाम लठैत तुरंत ही वहां से भाग लिए. रह गए मैं रीना, मीता , चाची और पृथ्वी.
अचानक से बाज़ी पलट गयी थी . रीना ने अपने क्रोध में सब तहस नहस कर दिया था . सामने बाप की लाश पड़ी थी पर चाची के चेहरे पर जरा भी शिकन नहीं थी .
“मैं कभी नहीं चाहती थी ये दिन आये पृथ्वी , मैंने जितना चाह इस रण को टालना चाहा . मैंने तुझे कदम कदम पर माफ़ किया पर अब और नहीं ” इतना कह कर रीना जैसे ही पृथ्वी की तरफ बढ़ी, किसी ने उसका रास्ता रोक लिया और अगले ही पल रीना हवा में उड़ते हुए शिवाले की टूटी दिवार पर जा गिरी.....
Ab yeh kon beech m aa gaya jisne reena ko rok dia or utha ker fek dia nahi tow aaj pirthvi ka bhi kaam tamam ho jata
Baherhal dekhte h aage kia hota h