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दया अपने घर में चाय नाश्ता बनाते हुए गाना गुनगुना रही होती है की बापूजी जेठालाल को आवाज देते है.."जेठिया जेठिया...कब तब सोएगा नालायक..." दया भागती हुई बाहर आती है..और जेठालाल को जोर से धक्का देके उठा देती है..जेठा लाल गहरी नींद से जागते ही बड़ा डर गया की क्या हो गया वो हड़बड़ा के बोला "आह क्या हुआ क्या हुआ" "बापूजी बुला रहे है दुकान नहीं जाना"
"दया सोने दे बस 5 मिन सोने दे" और जेठा सोने लगता है.."बापूजी...." ये सुन जेठा तुरत उठा गया और दया को गुस्से से देखने लगा...."अरे जेठिया उठा की नही" बापूजी ने बाहर से आवाज लगाई...
कुछ देर में सब साथ मिल के नाश्ता करते है...बापूजी की नजर बार बार अपनी बहु की गोरी गोरी कमर और पीठ पे चली जाती जिस से वो तुरत अपनी नजर हटा देते... बापूजी का लिंग उनकी धोती में खड़ा हुआ उन्हें बड़ा परेशान कर रहा होता है...वो मन ही मन बोलते है "बहु आह तेरी सास से भी दूधिया बदन है तेरा दया बहु तू तो अप्सरा हे अप्सरा मेरी प्यारी बहु"
नाश्ता कर बापूजी अपने दोस्तो से मिलने पार्क चले गई और टपू अपने कॉलेज के लिए निकल गया...उनके जाते ही जेठालाल दया को अपनी गोद में बिठा लिया और अपने हाथो से दया के स्तन को मसल ने लगा...दया आह आह करते हुए जेठालाल को जूठ मूठ का रोकती है...लेकिन उस बड़ा आनंद मिल रहा था अपनी चूची पे अपने पति के हाथों से...
"टपू के पापा आह क्या कर रहे हो कोई आ गया तो.." दया सरमिले अंदाज में बोली..."आने दे मेरी कोयल वो भी तो देखे कितना प्यार करता हु में मेरी कोयल से"...जेठालाल ने दया की निपल्स को मरोड़ दिए और दया की एक तेज दर्द भरी सिसकारी से पूरा घर गूंज उठा...और दया ने अपने गले को उपर किया और बड़ी मदहोशी में अपनी आखें बंद करते हुए बोली.."आह टपु के पापा क्या कर रहे हो" जेठा ने दया के गोरे चिकने गले को चूमा और उसके कानो में कहा "अपनी पत्नी को प्यार दे रहा हु मेरी दयारानी"
"ढोलिडा ढोल रे...." जेठा ने दया को अपनी गोद में रहने को कहा और डाइनिंग टेबल पे पड़े अपने फोन को उठाया... सामने से आवाज आई.."सेठजी बहोट बड़ी बुरी खबर है जल्दी से दुकान आजाओ..." जेठा कुछ बोले इस से पहले ही नटुकाका फोन काट देते है...और जब जेठा ने दुबारा कॉल किया उनका कॉल लगा ही नहीं... भागा का फोन भी बंद आ रहा था...
जेठा तुरत घर से निकल कर बाहर आया...नीचे अंजली और तारक खड़े थे..."अरे क्या हुआ जेठालाल कहा भागे जा रहे हो क्या हो गया"
"महता साहब पता नही क्या हुआ है..दुकान पे कुछ हुआ है" जेठालाल गड़बड़ी के बोल रहा था..."जेठा भाई आराम से सास तो लीजिए...देखिए इतना टेंशन अच्छा नही होता..." अंजली अपनी मीठी आवाज में बोलती है..जिसे सुन जेठा जैसे सब भूल कर शांत हुआ...
तभी एक टैक्सी आई..."जेठालाल चलो तुम्हे दुकान तक छोड़ देता हु.." "हा ठीक है..." सब बैठ जाते है "भाभी कहा जा रहे हो आज दोनो एक साथ.."...जेठा अंजली की कानों की बलिया देखते हुए बोला...उसकी आंखों में चमक थी...वो अंजली के पतले होठों को बड़ी नजाकत से देखते हुए उस से बात करता है..."बस इसे ही जेठालाल सोचा आज बाहर घूम के आई" महता बोला...
दुकान आई और जेठा उतर गया...और उसे याद सब..और वो भागता हुए दुकान में जा पहुंचा...देखा तो दुकान का आधे से ज्यादा समान नहीं था...जेठा का दिमाग घूम गया...वो गुस्से से बोला..."नटू काका ये क्या हे"