Update 26
“आज से घर के कपड़े भूल जाओ। अब से यही कपड़े पहनने है तुम लोगो को। समझी।” - जेलर ने सख्त लहजे में कहा।
वे सातो चुपचाप जेलर की बाते सुनती रही और हाँ में अपना सर हिलाती रही। उनके हाथों में कैदियों वाले कपड़े थमा दिए गए और जेलर ने उन्हें तुरंत वह कपड़े पहनने को कहा। पूरी तरह से नंगी खड़ी वे सातो टेबल पर रखे अपने घर के कपड़ो को एकटक देखती रही। उनके हाथों में जो कपड़े थे, उन्हें कोई भी औरत कभी पहनना नही चाहेगी। उस वक़्त उन सातो की मनोदशा भी कुछ ऐसी ही थी।
दया और माधवी को साड़ी पहनने की आदत थी और वे दोनों अपने घर मे भी ज्यादातर साड़ी ही पहना करती थी लेकिन बबिता, अंजली, कोमल, रोशन और सोनू साड़ी नही पहनती थी। वे पाँचो तो बस कभी-कभार किसी समारोह या किसी पर्व में ही साड़ी पहन लिया करती थी। जाहिर सी बात थी, उनके लिए साड़ी पहनना और उसे संभालना आसान नही था। चूँकि जेल में अब उन्हें चौबीसों घंटे साड़ी में रहना था इसलिए उनके लिए और भी ज्यादा मुश्किले होने वाली थी। खैर, जो भी था लेकिन अब यही उनकी सच्चाई थी और अब सफेद साड़ी ब्लाउज के अलावा दूसरे कपड़े पहनना उनके लिए बस एक सपना बनकर रह गया था।
“सुनाई नही दिया तुम लोगो को? कपड़े पहनने को कहा ना मैंने” - जेलर ने दोबारा उन पर चिल्लाते हुए कहा।
उनके पास कोई विकल्प नही था और उन्होंने कपड़े पहनने शुरू कर दिए। सबसे पहले उन सातो ने अपनी-अपनी पैंटी पहनी और फिर ब्रा। उसके बाद पेटीकोट और फिर अपने ब्लाउज पहने। अंतिम में उन्होंने साड़ी पहननी शुरू की। कपड़े पहनने के बाद उन्हें उनके नाम लिखी हुई स्लेट दी गई और फिर उनके मगशॉट लिए गए।
सारी प्रक्रिया पूरी होने के बाद जेलर ने उनके बैग, कपड़े और सारा सामान जाँच कक्ष में ही बुलवा लिया। उनके बैगो में पड़े सारे कपड़े जिसमे साड़ियाँ, ब्लाउज, पेटीकोट, जीन्स, टॉप, सलवार, वन पीस ड्रेसेस और कुर्तियाँ आदि शामिल थी, उन सभी को जमा कर लिया गया और उन्हें केवल जेल की ओर से दिया गया सामान ही अपने पास रखने की इजाजत दी गई। उसके बाद उन सातो को सीधे सर्कल 2 में ले जाया गया।