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Adultery गोकुलधाम सोसायटी की औरतें जेल में

Gary1511

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Update 12

“अरे देखो देखो। नई कैदी लोग आ रही हैं…” वार्ड में वापस जाते ही एक सीनियर कैदी ने उन्हें देखकर कहा।

‘अबे क्या माल है रे साली सब की सब…’

“दिखने में तो सब शरीफ लग रही है साली...”

‘अबे दिखने में तो हम भी शरीफ ही लगती है पर हमसे बड़ी हरामी कोई है क्या इधर 😂😂…’

“अरे वो सब छोड़ो। ऐ संध्या। जा उन्हें लेकर आ।” - एक अन्य कैदी कमला ने उससे कहा।

‘हाँ दीदी।’

संध्या तुरंत ही उन सातो के पास गई और उन्हें अपने साथ चलने को कहा। उन लोगो का उसके साथ जाने का मन तो नही कर रहा था लेकिन जेल के नियमो व जेलर की चेतावनी की वजह से उन्हें उसके साथ जाना पड़ा। संध्या उन्हें सीधे वार्ड नंबर 19 के सामने बने चबुतरे के पास ले गई जहाँ कमला, गुलरेज व कई अन्य खतरनाक कैदी औरते उनका इंतजार कर रही थी। उन सातो को उनके सामने खड़े करवाया गया और लगभग 25 से 30 औरते उन्हें घेरकर खड़ी हो गई।​

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“क्या रे कमिनियो। क्या करके आई हो।” - कमला ने पूछा।

‘हमने कुछ नही किया है बेन।’ - दया ने जवाब दिया।

“अच्छा। कुछ नही किया तूने। तो इधर क्या अपनी माँ चुदाने आई है साली।” - उसने दया पर चिल्लाते हुए कहा।

दया आगे कुछ नही बोल पाई और चुपचाप सर झुकाकर खड़ी रही। कमला ने उन सभी को घूरती नजरो से देखा और फिर दया को अपने पास बुलाकर बोली - ‘नाम क्या है तेरा?’

‘दया जेठालाल गढ़ा’ - दया ने कहा।

‘साली तू दिखने में तो बड़ी घरेलू लगती हैं। पर तु है बड़ी हराम की जनी। कही तेरी माँ भी तो रंडियापा नही करती थी जवानी में…😀। - उसने दया का मजाक उड़ाते हुए कहा।

दया को अपनी माँ के बारे में उसकी बाते बुरी तो बहुत लगी लेकिन उसकी मजबूरी थी कि वह उसे कुछ बोल नही सकती थी। कमला ने दया के बाद अंजली से भी उसका नाम पूछा और फिर बारी-बारी से उन सभी का परिचय लिया।

“चलो, कान पकड़ो और मुर्गा बनो सब।” - कमला ने उन्हें आदेश दिया।

‘जी?’ - बबिता के मुँह से सहसा ही निकल पड़ा।

“अबे सुनाई नही दिया क्या लौड़ी? कान पकड़ो और मुर्गा बनो।”

उन सातो के पास कोई रास्ता नही था। जेल में उनका पहला दिन था और वे लोग सीनियर कैदी औरतो से घिरी हुई थी। यदि वे लोग उनकी बात नही मानती तो जाहिर था कि उन्हें खूब मार पड़ती। मजबूरन उन्हें उन सबके सामने मुर्गा बनना पड़ा। वे लोग आगे की ओर झुकी और अपने दोनों पैरों को फैलाकर उनके बीच मे से अपने हाथों को अंदर डाला और अपने कान पकड़कर उसी अवस्था मे स्थिर हो गई। उनका सर नीचे की ओर था और उनके कूल्हे जमीन से कुछ ऊँचाई पर उठे हुए थे। उन सबके लिए मुर्गा बनना आसान नही था। चूँकि माधवी और दया ने साड़ी पहनी हुई थी इसलिए उन दोनों को सबसे ज्यादा दिक्कत हुई। उन्होंने अपनी साड़ी घुटनों तक ऊपर उठाई और मुर्गा बनी।

Picsart-24-07-26-19-39-17-585

उन लोगो को काफी देर तक उसी अवस्था मे रखा गया। यदि वे लोग अपने कूल्हों को नीचे करती या जरा सी भी लड़खड़ाती तो सीनियर औरते उन्हें लाते मारने लगती। यहाँ तक कि उन्होंने सोनू को भी नही बख्शा और उसके साथ भी वैसा ही बर्ताव किया। वे लोग कोई छोटी बच्ची नही थी जो मजाक-मजाक में ऐसा कर लेती। सोनू को छोड़कर वे सभी 35 साल से अधिक उम्र की वयस्क औरते थी और उनके लिए यह सब बेहद अपमानजनक था।

“चलो खड़ी हो और कपड़े उतारो फटाफट।” - कमला ने फिर कहा।

वे लोग खड़ी हुई और अपने कपड़े उतारने लगी। कुछ ही देर में वे लोग पूरी तरह से नंगी हो गई और सीनियर कैदियों के लिए मनोरंजन का साधन बन गई। उनके बड़े-बड़े बूब्स वाकई में बेहद आकर्षक थे और उनके कूल्हों पर जमें वसा की वजह से वे लोग और भी ज्यादा सेक्सी लग रही थी। वे सातो गोरी-चिट्टी और खूबसूरत थी जिस वजह से सीनियरों कैदियों को उन्हें परेशान करने में और भी ज्यादा मजा आ रहा था। हालाँकि कोमल बहुत मोटी थी लेकिन दिखने में ठीक थी। उनके पीछे खड़ी औरते उनके कूल्हों पर हाथ मारने लगी और उन्हें दबाने लगी। तभी कमला भी अपनी जगह से उठी और बबिता के सामने जाकर खड़ी हो गई। उसने बबिता के चेहरे को जोर से पकड़ा और अपने होंठ उसके होंठो पर टिका दिए। एकदम से कमला का आना और किस करना बबिता के लिए असहजतापूर्ण था। वह स्तब्ध रह गई और आनन-फानन में कमला को धक्का दे दिया।

‘साली हरामजादी। मेरे को धक्का दिया तूने। कमला को धक्का दिया।’

कमला गुस्से से आग बबूला हो चुकी थी और बबिता की ओर घूरकर देखने लगी। उसने वहाँ मौजूद कैदियों से बबिता को नीचे लिटाने को कहा जिसके बाद उन लोगो ने पूर्ण नग्न अवस्था मे खड़ी बबिता को हाथों व पैरों से पकड़ा और उसे नीचे जमीन पर लिटा दिया।

उसके बाद वे लोग एक-एक करके बबिता के ऊपर चढ़ने लगी और उसके साथ लेस्बियन होने लगी। जो औरते उसके ऊपर चढ़ती जाती, वे उसे चूमती, उसके बूब्स दबाती और उसकी चूत में अपनी ऊँगली से गुदगुदी करती। बबिता असहाय थी और उस खिलौने की तरह बेबस पड़ी हुई थी जिसका इस्तेमाल सीनियर औरते अपनी मर्जी से कर रही थी। एक तरह से उसका बला….र ही हो रहा था। बस फर्क इतना ही था कि उसके साथ ऐसा करने वाले कोई पुरुष नही बल्कि उसी की तरह महिलायें थी।

कमला सहित बहुत सारी औरतो ने उसके साथ लेस्बियन सेक्स किया। हालाँकि उनके पास उसकी योनि में डालने के लिए डिल्डो या अन्य किसी तरह की कोई भी वस्तु नही थी जिस वजह से ज्यादातर औरतो ने अपनी ऊँगली और हाथ का इस्तेमाल किया। काफी देर तक उसके साथ सेक्स करने के बाद उन लोगो ने उसे छोड़ तो दिया लेकिन उसे जाने नही दिया। उसे अंजली और बाकी सभी के साथ ही दोबारा खड़े करवाया गया और फिर से उनकी रैगिंग शुरू हो गई।

सीनियर कैदियों ने उनसे ऊठक-बैठक लगवाई, एक पैर पर खड़े करवाया, जानवरो की नकल उतरवाई और कई तरह से उनकी रैगिंग ली। उन्हें एक-दूसरे के स्तनों पर मुँह लगाकर दूध पीने को कहा गया जिसे उन्हें मानना पड़ा। कुछ देर बाद उन्हें हाथो और घुटनों के बल जमीन पर गाय की तरह बिठाया गया और एक कतार में एक-दूसरे की गांड में मुँह लगाने को मजबूर किया गया।​

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सबसे आगे दया थी। उसके पीछे माधवी और माधवी के पूछे क्रमशः सोनू, अंजली, बबिता, रोशन और कोमल थी। दया की गाँड़ में माधवी का मुँह घुसा हुआ था और माधवी की गाँड़ में सोनू का। इसी तरह आगे भी श्रंखला बनी हुई थी और उन्हें इसी अवस्था मे घुटनो और हाथो के बल पर चलना पड़ रहा था। सीनियर औरते लगातार उनका मजाक उड़ा रही थी और उनके मजे ले रही थी। उन सातो की बेबसी, अपमान और दर्द केवल वे सातो ही समझ सकती थी और उस वक़्त उनकी मनोस्थिति का अंदाजा लगाना भी मुश्किल था। जेल में आने के बाद से ही लगातार उन्हें रैगिंग, प्रताड़ना और शारीरिक शोषण का सामना करना पड़ रहा था।

जेल एक ऐसी जगह होती है जहाँ एक माँ अपनी बेटी को अपनी आँखों के सामने पिटता देखकर भी कुछ नही कर सकती। यही स्थिति माधवी की भी थी। अपनी आँखों के सामने ही अपनी बेटी के साथ गंदी-गंदी हरकते होती देख भी उसे चुप रहना पड़ रहा था। एक माँ अपने बच्चे को दुनिया की हर खुशी देना चाहती हैं लेकिन माधवी वह लाचार माँ बन चुकी थी जो अपनी बेटी के साथ गलत होता देख भी उसे रोकने में असमर्थ थी।

खैर, उन सातो को नचवाया गया, उनसे गाना गवायाँ गया, पुशअप्स लगवाए गए और उनके साथ मारपीट तक की गई। सबसे अंत मे उन्होंने उन लोगो को कुर्सी में बैठने वाली स्थिति में खड़े करवाया और काफी देर तक उसी अवस्था मे रखा। उनके लिए यह स्थिति बहुत ही तकलीफदेय थी क्योंकि उन्हें अपने कूल्हों को हवा में और हाथो को आगे की ओर रखना पड़ रहा था। पीछे खड़ी कैदी औरते अपनी पूरी ताकत से उनकी पीठ और कूल्हों पर लाते मारती जा रही थी ताकि वे आगे की ओर गिर पड़े। दिलचस्प बात यह थी कि उन सातो को पीछे से लाते पड़ने के बावजूद अपनी जगह से हिलना या आगे गिरना मना था। यदि वे लोग अपनी जगह से जरा भी हिलती या आगे जाती तो उन्हें और ज्यादा मार पड़ती। आखिरकार घंटो तक उनकी रैगिंग करने के बाद सीनियर कैदियों ने उन्हें जाने दिया जिसके बाद उन्होंने अपने कपड़े अपने और सीधे अपनी सेल में चली गई।​
Nice
 

Raja maurya

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Important

मेरा यह एकाउंट लॉगिन नही हो रहा हैं तो इसके आगे की कहानी kabir190, इस एकाउंट से पोस्ट करूँगा। पूरी कहानी दोबारा नए एकाउंट पर आएगी और अब से इस पर कोई कहानी नही आएगी।​
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madforusedbrapanty

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Update 2

बबिता की जाँच के बाद अगली बारी अंजली की थी। हाथो में हथकड़ी और पीले रंग की सलवार पहने अंजली जब पहले नंबर की टेबल के सामने खड़ी हुई तो काँस्टेबल ने सख्त लहजे में उससे पूछा - “नाम?”

‘अंजली मेहता’ - उसने जवाब दिया।

“पति का नाम?”

‘जी...तारक मेहता।’

“उमर कितनी हैं?”

‘छत्तीस साल।’

कुछ और जानकारियाँ पूछने के बाद उस काँस्टेबल ने रजिस्टर पर उसके साइन करवाये और उसे अगली टेबल पर जाने को कहा। प्रक्रिया के तहत अगली टेबल पर उसके गहने उतरवाए गए और सारा सामान जमा करवाया गया और फिर उसकी ऊँचाई व वजन की जाँच कर उसे तलाशी के लिए आगे भेज दिया गया।​

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बबिता की तरह ही काँस्टेबल ने उसे उसके कपड़े उतारने को कहा। वह बबिता की जाँच अपनी आँखों के सामने देख चुकी थी इसलिए उसने किसी तरह की कोई आनाकानी नही की और काँस्टेबल के कहते ही अपने कपड़े उतारने लगी।

उसने सबसे पहले अपना दुपट्टा सीने से हटाया और उसे नीचे जमीन पर रख दिया। फिर अपनी सलवार उतार दी और पजामे का नाड़ा खोलकर उसे भी नीचे सरका दिया। अंदर उसने काले रंग की ब्रा-पैंटी पहन रखी थी और उसमें भी वह कमाल की लग रही थी। फिर एक-एक करके उसने अपनी ब्रा व पैंटी भी उतार दी और पूर्ण नग्न अवस्था मे काँस्टेबल के सामने खड़ी हो गई।

काँस्टेबल ने उसके साथ भी वही प्रक्रिया दोहराई जो उसने बबिता के साथ किया था। उसके बालों से लेकर शरीर के सभी अंगों की जाँच की गई और फिर काँस्टेबल ने उसकी योनि और गाँड़ के छेद में ऊँगली डालकर यह सुनिश्चित किया कि उसने अपने पास कुछ छुपाया तो नही हैं। जब वह इस बात से पूरी तरह से आश्वस्त हो गई तब उसने अंजली को छोड़ा और फिर उसका मगशॉट (जेल के रिकॉर्ड के लिए कैदी की तस्वीर) लिया गया। अंजली का कैदी नंबर 2393 था। मगशॉट लेने के बाद उसे जेल का सामान दिया गया और उसे बबिता के साथ ही एक तरफ खड़ा करवा दिया गया।

बबिता और अंजली की जाँच प्रक्रिया सभी के सामने ही की जा रही थी। वहाँ ना तो कोई पर्दा था और ना ही नग्न होने के दौरान अलग कमरे की व्यवस्था थी। उन्हें कमरे में मौजूद महिलाओ के सामने ही नंगा होना पड़ रहा था जो उनके जैसी सभ्य परिवारों की महिलाओं के लिए बेहद ही अपमानजनक व शर्मिंदगी भरी बात थी। बबिता और अंजली ने अपने पतियों के अलावा किसी के भी सामने कभी अपने पूरे कपड़े नही उतारे थे। जेल में आने के बाद पहली बार था जब उन्हें किसी ने पूर्ण नग्न अवस्था मे देखा था। हालाँकि वहाँ पर केवल औरते ही औरते मौजूद थी लेकिन उन महिला पुलिसकर्मियों द्वारा उनके साथ किया जा रहा व्यवहार किसी उत्पीड़न से कम नही था। खैर, वे लोग अब आजाद नही थी और कैद में होने का अर्थ था कि वे जेल स्टॉफ की बातों व जेल के नियमो को मानने के लिए बाध्य थी।

बबिता और अंजली की जाँच के बाद क्रमशः दया, रोशन, कोमल, माधवी और सोनू की भी जाँच की गई। उन सभी के कपड़े उतरवाए गए और पूर्ण नग्न अवस्था मे उनकी जाँच की गई। उन पाँचो के लिए भी यह बिल्कुल आसान नही था। दया और माधवी ने उस वक़्त साड़ी पहनी हुई थी जबकि रोशन ने वन पीस वेस्टर्न ड्रेस, कोमल ने ओवरसाइज कुर्ती पजामा तथा सोनू ने जीन्स टॉप पहन रखा था। पाँचो को बारी-बारी से नंगा करवाया गया और उनकी जाँच की गई जिसके बाद उनका मगशॉट लिया गया। उनके घरवाले उनके कपड़ो का बैग जेल में जमा करा चुके थे जिसकी अच्छी तरह से जाँच करने के बाद उनके बैग उन्हें सौंप दिए गए। जाँच की प्रक्रिया पूरी होने के बाद उन्हें जेल का सामान दिया गया और सभी को एक कतार में अंदर वार्ड की तरफ ले जाया गया।​
Dost jis tarah Babita ji aur Anjali ji ke kapdon ka varnan jis tarah Kiya usi tarah
Data
Rishan
Komal
Madhavi
Sonu
ki bhi karo na kyu ki
nagnata
Aur Chudai se jyada
Sexy kapdon ko utarne aur unki sari kapdon ke jikra se jyada sexy kuch bhi nahi isliye please 🙏 kijiye
Story bahot acchi ja rahi hai
Badhiya hai
 

Prison_Fetish

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Dost jis tarah Babita ji aur Anjali ji ke kapdon ka varnan jis tarah Kiya usi tarah
Data
Rishan
Komal
Madhavi
Sonu
ki bhi karo na kyu ki
nagnata
Aur Chudai se jyada
Sexy kapdon ko utarne aur unki sari kapdon ke jikra se jyada sexy kuch bhi nahi isliye please 🙏 kijiye
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Don't worry brother. कहानी में आगे सभी के कपड़े उतरवाये जायेंगे।
 
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Update 20

(नए सेलमेट्स)

“हाय…” - बबिता ने इशानी को देखते ही कहा।

‘हम्म…’ - उसने बड़ा ही रूखा सा जवाब दिया लेकिन उसकी ओर देखकर वह प्रभावित जरूर हुई। उसने बबिता के कंधे पर हाथ रखा और बोली - “बबिता अय्यर। मर्डर केस में आई है। एक महीने से जेल में हैं।”

उसके मुँह से अपने बारे में सुनकर बबिता एक पल के लिए तो थोड़ी चौंक गई और उत्सुकतावश पूछने लगी - ‘आपको मेरा नाम कैसे पता चला?’

“ये जेल हैं रानी। इधर जो भी आता हैं, उसके बारे में पूरी जेल को पता होता हैं।” - इशानी ने उसकी बात का जवाब दिया।

उसने बबिता के कंधे पर से हाथ हटाया और पेशाब करने के लिए टॉयलेट शीट पर जाकर बैठ गई। टॉयलेट करके बाहर निकली और माधवी की साड़ी से अपने हाथ पोछे। उसके व्यवहार में अकड़ थी और उसका बात करने का तरीका ऐसा था जैसे मानो वह उन्हें डरा रही हो। माधवी की साड़ी से हाथ पोछते हुए उसकी नजर उसके बगल में बैठी सोनू पर पड़ी और वह लगातार उसे घूरने लगी। उसने अपनी नजर सोनू पर ऐसे टिका ली जैसे वह कोई कीमती वस्तु हो। इशानी द्वारा लगातार देखे जाने की वजह से सोनू असहज होने लगी थी और वह जानबूझकर इधर-उधर देखने की कोशिश करने लगी।

“इधर-उधर क्या देख रही है। मेरे देखने से शर्म आ रही है तुझे।” - इशानी ने उसे डराते हुए कहा।

‘न…नही…’ - डर के मारे सोनू हिचकिचाने लगी।

माधवी सोनू की असहजता को भाँप गई और उसने इशानी को वहाँ से अलग जाने को कहा।

"देखिये, आप प्लीज वहाँ जाकर बैठिये। मेरी बेटी डर रही हैं।"

माधवी की यह बात इशानी को बिल्कुल हजम नही हुई और उसने तुरंत ही माधवी के गाल पर एक जोर का थप्पड़ जड़ दिया। माधवी पूरी तरह से सन्न रह गई। थप्पड़ की गूँज इतनी जोरदार थी कि आवाज से ही अंदाजा लगाया जा सकता था कि माधवी के गाल की क्या हालत हुई होगी।

“सीनियर हूँ तुम्हारी बहनचोद। तीन साल से जेल में झक नही मार रही हूँ। मुझे जाने को कह रही हैं साली कुतिया।” - वह गुस्से में थी और उन लोगो पर चिल्लाने लगी।​

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इशानी जेल में आने से पहले एक बड़ी मल्टीनेशनल कंपनी की मालकिन थी। उसके पास पैसो की कोई कमी नही थी और अपने पैसो के दम पर वह सबकुछ करना जानती थी। उस पर उसके पिता को खाई से गिराकर मारने का आरोप था ताकि उनके मरने के बाद वह उनकी कम्पनी की मालकिन बन जाये। वह अपने मंसूबो में कामयाब भी हो गई थी और पिता के मरने के बाद उसे कम्पनी की मालकिन बना दिया गया था। उसकी तकदीर ने करवट तब ली जब कुछ सालों के बाद पुलिस को इस बात के सबूत मिले कि इशानी ने ही अपने पिता को मरवाया है। उसे गिरफ्तार कर लिया गया और जेल भेज दिया गया। उसे जेल में आये हुए तीन साल हो चुके थे लेकिन उसे अब तक सजा नही सुनाई गई थी। एक बड़ी कंपनी की मालकिन से एक साधारण कैदी बनने तक का उसका सफर काफी मुश्किलों भरा रहा था जिस वजह से उसके अंदर काफी हताशा और गुस्सा भरा हुआ था।

‘तुम लोग ध्यान से सुन लो। ये मत समझना कि मैं सर्कल 2 से आई हूँ तो मुझे तुम्हारे बारे में पता नही होगा। जूनियर हो, जूनियर की तरह ही रहो। समझे।’ - उसने उन सातो को चेतावनी देते हुए कहा।

तभी पीछे से मंजू उस पर तंज कसते हुए बोली - ‘हाँ हाँ, वरना जैसे बाप को मारा है, वैसे ही तुमको भी निपटा देगी।’

“चल तू अपना काम कर। वैसे भी मुझे तुम दोनों कुछ खास पसंद नही हो।”

‘तो दूसरी सेल में ट्रांसफर करा ले। इधर क्यूँ मरवा रही है अपनी।’

“ये बबिता पर दिल आ गया है मेरा 🥰 वरना करा लेती…” उसने मुस्कुराते हुए जवाब दिया।

फिर मंजू और सविता के पास जाकर प्यार से बोली - ‘अच्छा तुम दोनों दिल छोटा मत करो। जब साथ मे रहना ही है तो अच्छे से रहते है।’

(बबिता, अंजली और सोनू की तरफ इशारा करते हुए)

“इन तीनो को मैं रख लेती हूँ। बाकियो को तुम दोनों रख लो।”

मंजू और सविता ने कुछ देर सोचा और फिर बोली - ‘चल ठीक हैं। तू बोल रही है तो रख लेते है।’

उन तीनो ने सातो का बंटवारा कर लिया और मंजू ने दया व रोशन तथा सविता ने माधवी और कोमल को अपने पास रखा। बबिता, अंजली और सोनू, इशानी के पास रही। अपने पास रखने का सीधा मतलब यह था कि सेल के अंदर अब वे तीनों उन सातो की मालकिन थी और वे सातो उनकी नौकरानी अथवा ग़ुलाम।​
 
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Prison_Fetish

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Update 21

मंजू, इशानी और सविता रोजाना उन सातो को परेशान करने लगी। सेल के अंदर जाते ही वे लोग उन्हें अपनी सेवा में लगा देती। हाथ-पैर दबवाने से लेकर बदन की मालिश करने का काम उन सातो का ही था। रैगिंग के दौरान सातो को उनकी सारी बाते माननी पड़ती और वे लोग जैसा करने को कहती, वैसा ही करना पड़ता। वे लोग उन्हें मुर्गा बनाती, एक पैर पे खड़ा करवाती, नंगा करके गंदी-गंदी हरकते करती, मारपीट करती और अपनी यौन इच्छाओ की पूर्ति के लिए भी उनका ही इस्तेमाल करती।​

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उन सातो के लिए यह सब अब सामान्य सी बात होने लगी थी। जेल की चारदीवारी के भीतर उनकी तकलीफों को समझने वाला कोई नही था। जेल में औरते ही औरतो की दुश्मन थी। कैदियों से लेकर जेल का सारा स्टॉफ केवल महिलाओं का होने के बावजूद महिला कैदियों के साथ बेहद बुरा बर्ताव किया जाता था। यह कहना भी असमंजस भरा था कि महिला कैदी महिला जेल में सुरक्षित है भी या नही। इसका कारण कोई पुरुष नही बल्कि महिलायें ही थी। चूँकि जेल में महिलाओं द्वारा ही महिलाओं के साथ यौन शोषण, मारपीट और रैगिंग जैसी घटनाओं को अंजाम दिया जाता था और कानून की आड़ में उन पर कोई कार्यवाही भी नही हो पाती थी।

जो कैदी जेल से रिहा होने के बाद शिकायत करने की हिम्मत दिखाती थी, उन्हें पुलिस और जेल प्रशासन की मदद से किसी झूठे केस में फँसाकर दोबारा जेल भेज दिया जाता था और दोबारा जेल में आने के बाद उस महिला के साथ जो बर्ताव किया जाता था, उसे शब्दो मे बयाँ करना भी मुश्किल हैं। एक बार जेल से रिहा होने के बाद कोई भी महिला दोबारा जेल में कदम नही रखना चाहती और इसलिए जेल से छूटने के बाद कैदी औरते जेल में बिताए वक़्त को कोई बुरा सपना समझकर भूल जाती है।

बबिता सहित उन सातो के लिए जेल उस नर्क की तरह थी जिसको उन्होंने जीते जी देख लिया था। जेल में उनके साथ जो हो रहा था, उसे सहन करना आसान बात नही थी। रोजाना सेक्स, मारपीट और रैगिंग जैसी चीजों की वजह से उनके मानसिक स्वास्थ्य पर भी बुरा प्रभाव पड़ रहा था। उन्हें अपने परिवार, घर और भविष्य की चिंता सताने लगती।

सबसे ज्यादा मुश्किल सोनू के साथ थी। सोनू बाईस साल की एक कॉलेज स्टूडेंट थी जिसके सामने उसकी पूरी जिंदगी पड़ी थी। जेल में रहने की वजह से वह ना तो कॉलेज जा पा रही थी और ना ही अपनी पढ़ाई कर पा रही थी। वैसे तो पढ़ने वाली लड़कियों के लिए जेल में लाइब्रेरी व कमरों की भी व्यवस्था थी लेकिन जेलर के नफरती व अड़ियल रवैये की वजह से कैदियों को लाइब्रेरी में जाने की इजाजत कम ही मिलती थी। जिन कैदियों को पढ़ाई करनी होती थी, उन्हें सेल में ही किताबे मुहैया करवा दी जाती थी।​

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उन सातो की जिंदगी पूरी तरह से बदल चुकी थी। जेल में होने वाले बर्ताव को भूल पाना उनके लिए आसान नही था। उनके पास जेल से बाहर निकलने की उम्मीद के अलावा कोई चारा नही बचा था। कुछ पुरानी कैदियों ने उन्हें यह भी बताया था कि बहुत सारी औरते सालो से जेल में कैद है जिनके केस आज भी कोर्ट में चल रहे हैं। उन्हें ना तो जमानत मिलती है और ना ही सजा होती हैं। कई कैदियों ने उन्हें उम्मीद ना छोड़ने की सलाह भी दी और यह भी कहा कि एक ना एक दिन वे लोग जेल से जरूर बाहर निकलेगी।​
 
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madforusedbrapanty

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Don't worry brother. कहानी में आगे सभी के कपड़े उतरवाये जायेंगे।
Shukriya
Badi besabri se intezar rahega
Lekin har vastra ka zikra Aisa ho ki Lage samne hi ho raha hai
Thank you
Your way of presenting story is very 👍 👍 👍
 
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