घर बार...
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घर बार.. ये एक छोटी कड़ी है... "अब कहानी कब आएगी ये नहीं पता क्युकी मैं एक लेखक नहीं हु और सब से बड़ी बात ये है की मैं कहानी लिखने के लिए टाइम ही दे पता. इसके कई कारण है बस ऐसे ही कभी कभी समय मिलता है तो लिख लेते. और सच कहे इस कहानी पर काम भी हो रहा है पर ये कब आएगी ये नहीं कह सकते है क्युकी इसके बहुत से भाग अभी अच्छे से लिखें नहीं है और इसके कुछ किरदार रह गए है जो कहानी को आगे ले जाते है उन सब मैं सयम लग रहा है... "
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ओह भाई जान ...जोर से जोर...मेरा…ओह चोद बहनचोद ...कहती हुयी दूसरी बार फारिग हो गयी बिल्लो. उसके बाद.. विकी तो आज जैसे बिल्लो को खा जाने ही चाहता था और उसके तेज झटके तेज और तेज होते रहे और बिल्लो हर धक्के पर सिसके जाती उसकी की तेज़ आवाज़ निकल जाती विकी के लंड की नशे फूलने लगी और सूपड़ा पहले से बहुत ज्यादा ही मोटा और चौड़ा हो गया "ओह हहहहहहह… मैं गयी.." मैं भी आ रहा हु इसके साथ ही विकी हुंकाह मरता हुआ अपने गढ़े वीर्य की बौछार करते हुए ही मैं फ़ारिग होने लगा उसके हाथ बिल्लो के चुचो को अपने हाथो में थाम कर बुरी फरहा रगड़ने लगा उसके पकड़ मजबूत होती गयी विकी "अह्ह्ह्ह मैं आ.. आहहहह " आहे भरते हुए फ़ारिग हो गया बिल्लो विकी को कस कर पकड़ कर उससे किसी नागिन सी लिपट गई विकी के गर्म गढ़े वीर्य को मेहसूस करते ही झूठ गई आहे भरते हुए चिपकी रही उसके नाख़ून विकी की कमर में गड़े गए थे उसके फ़ारिग होते ही उसकी टांगे विकी की कमर पर कसी हुई थी फ़री जो दोनों के बगल में ही थी दोनों की जोरदर चुदाई देख कर अपनी चुत के होठो को रगड रही थी बिल्लो के फ़ारिग होते ही फ़री की चुत भी झूठ पड़ी उसकी बुँदे 7-8 इंच दूर बैड की चादर गीली करने लगी उसकी चीख ही निकल गई "अह्ह्ह.. भा..भाईईई.." उसकी चीख सुन कर विकी ने अपनी फ़री को देखा और अपना मुँह रोती चुत से लगा दिया चुत से मुँह लगाते ही सारा रस चूसने लगा फ़री ने अपने भाई के सर को दवाने लगी जैसे चुत में ही घुसाना चाहती हो " हा भाई अह्ह्ह.. आहहहह खा जाओ भाई…आह्ह" करते हुए चुत से रस बहाती रही करहाती रही ना जाने उसके शरीर को कितने ही बिजली के झटके लगते रहे वो अपनी चूचियों को खुद ही अपने हाथों से मसल रही. विकी ने फ़री की चुत को खाली कर के अपने सर को उठाकर अपनी बहन फ़री को देखा जो अभी भी बिजली के झटके खा रही थी और जैसे ही विकी हटा उसके झटके धीरे होने लगे जैसे ही फ़री फ़ारिग हुई बैसे ही उसके हाथों की पकड़ उसके भाई के सर पर कमजोर पड़ने लगी फ़री के हाथ बेजान से गिर गए जान तो अब फ़री के शरीर में भी नहीं रही जैसे ही उसका कामरस उसकी चुत से होता हुआ बहार निकल गया. उसकी फ़री अब सुकून से आंखे बंद किये लेटी रही. विकी को अपनी फ़री को सुकून से आंखे बंद किये देख कर उसको भी रहत हुई और बड़ा ही प्यार आ रहा था फ़री के मासूम चहरे को देख कर उसने फिर से चुत के होठों से लगा दिया "फ़री अह्ह्ह ईई… आह ही निकल गई" विकी ने फ़री की चुत से अपने होंठ हटा लिए और बिल्लो को देखा जो उसको ही देख रही थी बिल्लो ने विकी की आँखों में देखा और कुछ आँखों ही आँखों में कहा और अगले ही पल बिल्लो ने हिम्मत कर के अपने हाथों को उठाया पर उसके कांधो पर रखे और उठने लगी. विकी ने बिल्लो के हाथों को पकड़ा और कांधो से हटा कर फिर से नीच कर दिए और खुद बिल्लो की ओर बढ़ गया बिल्लो के होठों से अपने होंठ लगा दिए. बिल्लो के होठों से होंठ लगते ही उसके शरीर में जैसे कहा से जान आ गई और उसकी जीव से जीव को लड़ा ने लगी और उसके होठों को चूसने लगी जब बिल्लो से सांस ना लि गई तक बिल्लो ने अपने होठों से विकी के होठों को अलग किया "बिल्लो अह्ह्ह..निकल गई" बिल्लो के चेहरे पर भी अब वो ही सुकून आ गया था जो कुछ देर पहले आया था. विकी ने अब तक अपना लंड बिल्लो की फूली चुत से नहीं निकाला था जो अभी भी फ़ारिग होने के बाद भी पहले जैसे ही खड़ा था पर पहले से कुछ कम कड़क हो गया था विकी ने हल्के से लंड को बहार निकालने लगा और जैसे ही सुपडे तक बहार निकलते हुए रुक गया और जैसे ही सूपड़ा बहार निकाला बैसे ही "पप्प" की हल्की आवज़ आयी जो विकी के कानो ने सुनी और साथ ही बिल्लो ने पर इसके साथ ही बिल्लो की "आह्ह विकी इईई…" भी आह निकल गई उसकी चुत के होंठ आपस में मिलने के लिए एकदूसरे की ओर बड़े पर मिल ना सके अभी कुछ घंटो पहले जो एकदूसरे से अलग होना भी नहीं चाहते थे और अब एकदूसरे से मिल भी नहीं पा रहे थे 2-3 उंगलिओ जितनी जगहा बन गई थी और उसकी गहरी गुफा से गड़े वीर्य की नदी बह रही थी जो बिल्लो की चुत के किनारे से होता हुआ उसका वीर्य गांड की छोटी गोल रिंग को गिला करता हुआ बैड की चादर को गिला कर रहा था. विकी का दिल तो पहले से ही बिल्लो की गांड पर आ गया था. उसके होठों पर हल्की से मुस्कान आ गई और वो बिल्लो और अपनी फ़री के बिच ही लेट गया और दोनों की ही चूचियों को अपने हाथों में लिए हल्के से मलने लगा और उसकी आंखे इस सुकून से बंद हो गई थी.
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फ़री की आंखे लगभग 20 मिनट बाद हल्की सी खुली तो उसको कुछ देर पहले हुई चुदाई याद आने लगी जिस में उसके साथ बिल्लो का भी हाल एक जैसा ही हो गया था ये याद आते ही फ़री ने अपने बगल में देखा तो बिल्लो आंखे बंद किये पड़ी थी और उसका भाई उसका ना दिखा तो अपने भाई को देखने लगी पर जैसे ही वो उठी तो उसको पता चला की उसका भाई उसकी चूची से ही मुँह लगा कर लेता हुआ है अपना भाई को ऐसे देख कर फ़री को बड़ा प्यार आया जो कुछ देर पहले उसके और उसकी सहेली बिल्लो खेतो को अपने मोटे हल से बेरहमी से जोत रहा था जोतने के बाद पानी देकर गुलाब के पौधे भी लगा रहा था विकी को देख कर ऐसा लगता ही नहीं था की वो ऐसा भी कर सकता है जैसा उसने कुछ देर पहले किया था अभी तो उसके चेहरे पर बस सुकून और मासूमियत ही दिख रही थी पर कौन कह सकता है की इसलिए मासूम से चाहरे के पीछे इतने मोते बडे भयंकर मुसल का मालिक हो सकता है जो दिखने में भोला मासूम लगता है पर उतना ही सड़, घोड़ा, गधा और जाने क्या क्या जो भी होते है वो सब है पर ये भी सब है की विकी इन सब से भी ज्यादा ताकतबार है फ़री ऐसे ही अपने भाई की मन ही मन बड़ाई कर रही थी. उसके होठों पर मुस्कान आ गई उसने बड़े ही प्यार से अपने विकी के सर और हाथ फेरा और उसके सर को पकड़ कर निचे बैड पर रखा और खुद उठ कर बैठ गई बिल्लो को देखा जो अभी भी लेटी हुई थी दुनिया से बेखबर फ़री ने नजर जैसे ही बिल्लो के चुचो पर पड़ी तो आंखे ही बड़ी हो गई. बिल्लो की चूचियाँ एकदरे की बिपरीत दिशा में उठी हुई थी उसकी चूचियों पर अभी उंगलियों के निशान उभरे हुए थे जो सबूत थे विकी की बेरहमी के फ़री बैड से उठकर बिल्लो के पास आयी तो देखा बिल्लो की टांगे एकदूसरे से दूर चौड़ी हुई पड़ी है चुत फूलकर सूज गई थी बिल्लो की चुत के जो होंठ कुछ घंटो पहले कोमल और छोटे थे जिनको फ़री के होठों ने चूमा था उनकी हालत अब पहले से बदल गई थी चुत के अंदर का वो गुलाबी मास दिख रहा था फ़री ये देख कर हैरान ही हो गई. उसने बिल्लो की चुत को कितनी बार देखा था पर आज से पहले उसकी चुत के होंठ कभी अलग ही नहीं हुए थे जबकि बिल्लो अपने भाई से चुद चुकी थी और तो और फ़री के अबू ने भी उसकी चुत के मजे लिए थे पर पहले तो कभी ये हाल नहीं हुआ था बिल्लो का जो आज हुआ है. बिल्लो की चुत पूरी विकी के वीर्य से ही भारी पड़ी थी उसकी चुत से उसका वीर्य रिश रहा था जो गांड को भिगो रहा था फ़री तो बिल्लो का ये हाल देख कर ही हैरान थी की उसकी आंखे एक बार फिर से फैल गई जब उसका ध्यान इस बात पर गाय. जिस बिल्लो की चुत के होठ उसके भाई और फ़री के अबू के कर्म के बाद भी नहीं फैले थे आज विकी के पहली बारी में ही इतने फैला गए थे जो एकदूसरे से मिल भी नहीं पा रहे थे उसके बिच 2 इंच जितना गैप आ गाय था जो बिल्लो के सांस ने और छोड़ने पर हल्के तो पास आते पर दूसरे ही पल दूर हो जाते. फ़री अपने सर पर हाथ रखती है फिर अगले ही पल मुस्काने लग जाती है "कमीने विकी अभी से तेरा ये हाल है तो आगे जाने क्या क्या करेगा फिर तो तू कभी…आह्ह.. "मेरा कमीना तू कितना भी कर पर तेरी फ़री बाजी हमेसा तुझे पहली बार जैसी ही मिलेगी.."
हुह्म्म्म.. भाई तेरी फ़री बाजी...
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