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Adultery घर में दफन राज(इंसेस्ट; एडल्टरी ; कॉकोल्ड)

क्या आप लोग मोनी दीदी के फ्लैशबैक जानना चाहोगे किसने पहली बार मोनी को कली से फूल बनाया


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Rsingh

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दोस्तों यह मेरी पहली कहानी है उम्मीद करता हूं आप लोगों को पसंद आएगी अगर कुछ गलती होगी तो क्षमा कर देना।

यह कहानी होती है एक छोटे से शहर की जो कि गंगा के किनारे होता है। जहां के कुछ इलाकों में एक देसी वातावरण देखने को मिलता है तो कुछ ऐसे भी इलाके होते हैं जहां बड़े शहरों की हल्की झलक मिल जाती है।

इसी शहर में एक मिडिल क्लास फैमिली होती है यह कहानी एक ऐसे परिवार की होती है जो कि ऊपर से दिखने में तो बहुत सुलझी हुई लगती है मगर अंदर से बहुत ही उल्टी होती है। जिसका हर किरदार अपने आप में ही एक रहस्य को लेकर बैठा होता है। मगर कहते हैं ना कि रहस्य और राज्य कितने भी गहरे क्यों नहीं हो वक्त ऐसी परिस्थितियां लाता है कि धीरे-धीरे खुद ही सारी गुत्थी सुलझने लगती है।


वंदना 42 साल की औरत गोरी चिट्ठी जिसकी कद अच्छी खासी होती है घने रेशमी जुल्फें जो गांड़ तक हो बदन भरा हुआ भारी भरकम गुदाज मांसल थुलथुली गांड़ बड़ी चुचि मोटी मांसल जांघ और उस मोटी जांघों के बीच में मोटी चर्बी वाली बालों से ढकी चूत जैसे मानो कि नीचे वाला अपने अंदर में कोई अनमोल खजाने को छुपाए है।

मोनू एक 20 साल का लड़का जो स्कूल में गंदे लड़कों की संगति में रह करके गंदी कहानियां पढ़ना और अपने ही मम्मी के बारे में गंदे गंदे फेंटेसी करना। वैसे तो मां की नजरों में भोलू राम होता है मगर किसी को नहीं खबर होता है कि सबकी नजरों में सीधा दिखने वाला मोनू असल में कितना चालू चीज है।


वैसे तो और भी कहानियों में पात्र आते जाते रहेंगे जो कि आप लोगों को समय-समय पर मालूम चल जाएंगे।


वंदना के पति जो कि दूसरे राज्य में नौकरी करते हैं जिस वजह से अक्सर उनको बाहर ही रहना पड़ता है।


यह बात उन दिनों की होती है जब नवंबर का महीना होता है और मोनू अपने कंबल के अंदर सोता हुआ कोई हसीन सपने देख रहा होता है। सुबह की हल्की हल्की धूप निकल चुकी होती है और सामने पेड़ों के ऊपर टहनियों के ऊपर चिड़ियों की चहचहाहट मानव पूरे वातावरण में ऐसे संगीत बिखेर रहा हो जिससे मोनू बिस्तर से उठने का नाम ही नहीं लेता है।

रोज सुबह की तरह वंदना नाइटी पहने हुए घर में झाड़ू लगा रही होती है। इसके बाद वो रसोई में जाकर के काम कर रही होती है और तभी उसे ध्यान में आता है कि मोनू तो अभी तक सोया हुआ है और आज संडे भी है। तभी उसे आ जाना कि याद आता है कि आज तो किरायेदारों का महीने का दिन हो गया है। वंदना का घर छोटा बड़ा होता है तीन मंजिला जिसको की एक्स्ट्रा इनकम के लिए किराए पर भी लगा देती है जहां पर कुछ कॉलेज जाने वाले जवान लड़के तो कुछ पारिवारिक मर्द रहते हैं तो कुछ ऐसे लोग भी रहते हैं जो कि नौकरी के वजह से इस शहर में हो।



वंदना: यह लड़का भी ना अभी तक सोया हुआ है समझ में नहीं आता है क्या होगा इसका
मोनू मोनू उठना भी है या अभी तक सोना ही है आने दो पापा का फोन बोलते हैं तुम तो रात भर फोन चलाते हो और सुबह लेट उठते हो।


इधर बंदना किचन से आवाज लगा रही होती है लेकिन उसे क्या मालूम कि उसका बेटा हूं मोनू कोई हसीन सपने में ब्लैंकेट के अंदर खोया हुआ है।


वंदना: यह लड़का ऐसे सुनने वाला नहीं है मैं तेरी कदमों से चलते हुए उसके कमरे में आकर जोर से उसके ऊपर गुस्सा होती हूं और उसका ब्लैंकेट खींच देती हूं। कब से तुम को आवाज दे रही हूं सुनने का नाम ही नहीं है आज मालूम है ना संडे है । जल्दी से उठ करके फ्रेश हो जाओ नाश्ता बना देती हूं उसके बाद डैडी लेकर के जिनका जिनका महीने का किराया का समय हो गया है उनको जा करके बोलो कि मम्मी ने किराए के लिए बोला है।



मोनू: मैं मन ही मन सोच रहा होता हूं और कितना अच्छा सपना देख रहा था अपनी आंखों को मलता हुआ मैं बिस्तर से उठ जाता हूं। और कुछ देर में फ्रेश होकर के नाश्ता वगैरह करने के बारे डेयरी ले लेता हूं और बोलता हूं
आपने बोला था कि इस महीने का किराया आएगा तो मोटरसाइकिल दिलवा दोगे।


वंदना: हां बोला था ना मगर तुम्हारी लक्षण और करतूत देख कर मन नहीं करता है तुमको दिलवाने का कि तुम भी आवारागर्दी करना शुरु कर दोगे। पापा तुम्हारे हमेशा पूछते रहते हैं ठीक से पढ़ाई करता है या नहीं बताओ उस दिन तुम्हारे स्कूल गई थी तुम्हारा रिजल्ट इतना खराब था। वहां जितने भी पेरेंट्स बैठे हुए थे मुझे उनके बीच में कैसा लगा मैं ही समझती हूं नहीं तो घर में गाड़ी की तो जरूरत है क्योंकि मुझे भी बाहर जाने में मार्केट जाने में दिक्कत होती है मगर तुम्हारे ही वजह से नहीं लेती हूं।


मोनू: लगता है आज मैं लेट से सो गया इसीलिए मम्मी गरम हो गई है कहीं बात गरबर ना हो जाए यह बातें मेरे मन में चल रही होती है और तभी मुझे एक आईडिया आता है मैं बड़े ही प्यार से जाता हूं और मम्मी को पीछे से बाहों में भर लेता हूं


इतना गुस्सा करती हो मेरी मम्मी मैंने बोला था ना कि मेरी तबीयत ठीक नहीं लग रही है इसलिए मुझे लेट हो गया उठने में। और आपको तो मालूम है ना स्कूल के जो बच्चे होते हैं वह स्कूल के टीचर से ही ट्यूशन पढ़ते हैं इसीलिए उनको मार्क्स मिलने में आसानी होती है आप ही तो कहती हो ना कि तुम्हारा जो भी मार्क्स आए तुम्हारे दम पर आना चाहिए।

(मैं मन ही मन अब खुश हो रहा होता हूं मुझे लग रहा होता है कि मम्मी को मैं मना लूंगा)

वंदना: अरे चोर मुझे पीछे से गधे जैसा हो गया है अभी तक बच्चों जैसा करता है। मेरा मन नहीं करता क्या मेरा बेटा भी गाड़ी चलाएं देखो तो बगल के जितने भी लड़के हैं कितने अच्छे अच्छे मार्क्स आते हैं सबके तुम मुझे प्रॉमिस कर दो कि तुम्हारा मार्क्स अच्छा आएगा तुम जो गाड़ी बोलोगे दिलवाने के लिए दिलवा दूंगी


जैसे ही वंदना के मुंह से यह बातें निकलती है मोनू की तो मानो मनचाही मुराद पूरी हो गई हो।


मोनू: मैं बड़ा खुश हो जाता हूं और प्यार से मम्मी के गाल पकड़ कर बोलता हूं सच्ची मम्मी फिर तो आप की कसम इस बार देखना मेरा एक्जाम कैसा जाएगा अब आप की कसम खाया हूं तो अब तो आप मुझे शाम में दिलवा देना गारी आपको मालूम है ना कि मैं आप का झूठा कसम नहीं खाता हूं।



वंदना: मुस्कुरा कर के मोनू से अपने आप को चुरा लेती हूं और बोलती हो मेरे बेटे को अच्छी तरीके से मालूम है मुझे कैसे मनाया जाता है। जा अब जल्दी से महीने का रेंट लेकर के आ जाओ।


बेटा सुनो ना दूसरे वाले फ्लोर पर जो फैमिली रहती है उनके पास तुम मत जाना उनसे मैं बात कर लूंगी थोड़ा उन लोगों के साथ में अभी प्रॉब्लम है तो उनको थोड़ा लेट लगेगा।


मोनू: मैं मुंह बना लेता हूं और बोलता हूं यह क्या बात हुई मम्मी लेट लगेगा लेकिन वक्त तो हो गया है ना।


दूसरे फ्लोर पर जो फैमिली रहती है मैंने उनके बारे में कुछ बोलना सही नहीं समझा क्योंकि उनसे मम्मी की अच्छी खासी बनती है।


कुल मिलाकर के मैं वहां से गाड़ी ले कर के निकल जाता हूं और 1 घंटे लग जाते हैं मुझे यह सब करते हुए फिर मैं मम्मी के पास आता हूं और उनको पैसे दे देता हूं। और हर बार की तरह इस बार भी उसमें से मम्मी मुझे ₹500 दे देती है। क्योंकि जब भी मैं घर के काम करता हूं जैसे सब्जियां लाना या कोई सामान लगा तो मम्मी खुद कुछ ना कुछ मुझे दे देती है।






थोड़ी देर तक फोन में फेसबुक वगैरा सब कुछ चलाने के बाद मुझे अचानक याद आता है कि ऊपर की आंटी ने बोला होता है। मम्मी को बोलना ऊपर आने के लिए उन्होंने कोई साड़ी वगैरह खरीदी है दिखानी हैं।

मैं जाता हूं और मम्मी के कमरे से बाहर उनको बोलता हूं मम्मी मैं बोलना भूल ही गया था कि आंटी ऊपर मैं बोल रही थी कि आपको ऊपर आने के लिए कुछ दिखानी है उनको शायद पता नहीं कोई कपड़ा वगैरह खरीदा है उन्होंने।


वंदना: खाना खा लिए हो ना तुम खाने का मन करेगा तो किचन में लेकर के खा लेना जरा देख लेना खिड़की दरवाजे तो नहीं खुले हैं नहीं तो बिल्ली आकर के दूध गिरा देती।
 

Rsingh

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वंदना: मोनू मैं ऊपर जा रही हूं आंटी के पास में तुम दरवाजा लगा लो और कहीं बात आए बिना चले मत जाना। अरे हां बाबा बोला ना शाम को एक बारचलूंगी तुम्हारे गाड़ी के लिए , मैं नाइटी पहने हुए ही वहां से निकल जाती हूं ।

और देखती हूं कि सुधा का दरवाजा खुला होता है तो मैं आवाज देते हुए अंदर चले जाती हूं। पलंग पर बैठते हुए सुधा से बोलती हूं हो गई खरीदारी।

सुधा: हां हो गई ज्यादा नहीं बस थोड़ी बहुत अभी बैठी हुई थी तो मोनू आया हुआ था तो उसको बोली कि मम्मी को बोलना ऊपर आने के लिए, देखिए ना यही वाली साड़ी लिए हैं मुझे लगता है कहीं ज्यादा दाम तो नहीं ले लिया

वंदना: मैं अपने हाथों में कपड़े को ले लेती हूं और छोटी हूं तो मुझे अच्छा लगता है|वैसे दाम तो सही ही लिया है कपड़ा थोड़ा अच्छी क्वालिटी का है तो कहां उसी के यहां लिया है जहां हम लोग लेते हैं।

भाई साहब नहीं दिखाई पड़ रहे हैं आज तो ऑफिस बंद होगा ना या फिर कहीं गए हुए हैं बाहर

सुधा: नहीं बस थोड़ा किसी से मिलने के लिए गए हुए हैं। क्यों कोई काम था क्या जरूरी बात अगर है तो बोलो फोन पर बोल देती हूं उनको कुछ मंगाना है क्या मार्केट से

वंदना: नहीं कुछ मंगाना नहीं है बस कुछ बात करनी थी तुमको मालूम है ना कि मोनू पिछले महीने से ही गाड़ी के लिए जिद कर रहा है। अब मुझे तो इन सब चीज के बारे में इतना ज्यादा मालूम नहीं है वही सो जी की भाई साहब से पूछती कि कौन गाड़ी बढ़िया होता नहीं होता

सुधा: तो इसमें कौन सी बड़ी बात है मोनू को तो पता होगा ना कौन सी गाड़ी उसको लेनी है उसको भी तो पसंद होगा ना।
वंदना: वह बात नहीं है अरे बात ऐसी है कि गाड़ी में क्या सब डॉक्यूमेंट लगता है क्या कैसे सब होता है तो कोई जानकार होता है तो अच्छा होता है ना


सुधा: अच्छा यह बात है ना तो कोई बात नहीं शाम तक तो आ ही जाएंगे तू बात कर लेना अगर आज लेनी है तो लेकर चले जाना उनको साथ में वैसे भी एक शोरूम में उनके जान पहचान का कोई है।

वंदना: चलो फिर तो बहुत अच्छी बात है जान पहचान का कोई है तो और भी आसानी होगी ना । वैसे अगर भाई साहब आए तो मुझे एक बार फोन कर देना या उनको ही मेरे यहां भेज देना।

सोच रही हूं ना कि किसी दिन मार्केट चलते हैं साथ में ठंड का समय आ गया है ना तो थोड़ा कपड़े वगैरह भी ले लेंगे ठंड के लिए नहीं तो यहां पर बहुत महंगा देता है। वैसे भी घर में मन नहीं लगता है इसी बहाने थोड़ा मूड भी बन जाएगा बाहर निकलने के बाद

सुधा: मैं हंसने लगती हूं और फिर बोलती हूं घर में मन नहीं लगता है या फिर ठंडी में भाई साहब के बिना मन नहीं लगता ही ही ही

वंदना: मैं मुस्कुरा देती हूं और सुधा से बोलती हूं हां वह भी बात है मगर क्या करें काम भी तो जरूरी है ना वैसे तुम्हारी तो बढ़िया से ठंडी निकल रही होगी ना भाई साहब के साथ में

सुधा: नहीं ऐसी कोई बात नहीं है अब यह सब इतना थोड़ी ना होता है वह दूसरों शुरू के शादी में होता था अब तो बच्चे बड़े हो गए हैं। घर के कामों से ही फुर्सत नहीं मिलता है तो कहां से हो सर अब मन भी नहीं है वह सब का

तभी कुछ ही वक्त में सुधा के पति के कदमों की आहट होती है।
सुधा का पति जब अंदर आ रहा होता है उसने यह तो नहीं सुना होता है कि दोनों के बीच में क्या बातें हो रही है बस इतना सुना होता है कि अब मन भी नहीं करता है।

सुनील (सुधा का पति 50साल): मैं आता हूं और बोलता हूं क्या मन नहीं करता है। क्या बातें हो रही हैं दोनों के बीच में फोन किया था तुमने कि मोनू की मम्मी आई हुई है कुछ बात करना चाहती है।


वंदना: हां वह भाई साहब बात ऐसी है ना कि मोनू बोल रहा था गाड़ी के लिए और आपको तो मालूम है ना कि मुझे मालूम नहीं है इतना कुछ और सुधा बता रही थी कि आपके थोड़ी जान पहचान है तो मैं सोचा कि आप के साथ ही चलती तो अच्छा रहता।


सुनील (सुधा के पति50साल) अच्छा यानी कि आपने गाड़ी दिलवाने का सूची लिया उसको चलिए लेकिन मैं तो कहूंगा कि नहीं दिलवाई है आजकल मालूम है ना रोड पर कितनी दुर्घटनाएं होती है। हम लोगों की बात छोड़िए हम लोग बाल बच्चे वाले आदमी हैं हम लोग गाड़ी संयम से चलाते हैं मगर यह लोग अभी बच्चा है नादान है उतना कुछ मालूम नहीं है भगवान ना चाहे कुछ इधर उधर हो गया तो।

वंदना: आपकी बात सही है भाई साहब मगर क्या करें बच्चा जिद्दी है ना आपको तो मालूम है ना कि मां-बाप को बाल बच्चों की जिद के आगे झुकना ही पड़ता है।
और वैसे भी घर में एक गाड़ी रहेगी तो अच्छा रहेगा इनकी कार तो यहां पर रखी हुई होती है तो उस से हर जगह संभव नहीं और मुझे चलानी भी नहीं आती है।


सुनील: ठीक है तो आधार कार्ड और पैन कार्ड का फोटो कॉपी वगैरह है ना आपके पास या है ना कार्ड और बैंक का एक चेक बुक ले लीजिएगा हां बस हो जाएगा ज्यादा कुछ नहीं लगता है। नहीं नहीं आपको अपने नाम से ही लेना पड़ेगा लड़के का नाम से नहीं क्योंकि सर्टिफिकेट में तो उसका उम्र कम होगा ना, ऐसा करिए ना कि 1 घंटे में मैं थोड़ा खाना पीना खा लेता हूं थोड़ा आराम कर लेता हूं तो फिर 1 घंटे में चलेंगे



वंदना: 1 घंटे में हां ठीक है घंटे में निकलेगा अच्छा रहेगा ठीक है मैं भी अब चलती हूं काफी वक्त हो गया है 1 घंटे के बाद मैं आ जाऊंगी या आप ही आ जाना।


और फिर मैं वहां से नीचे आ जाती हूं और देखती हूं कि कमरा अंदर से बंद होता है तो मैं आवाज देती हूं मोनू दरवाजा खोल बेटा

(और इधर मोनू गंदी किताबें पढ़ने में व्यस्त होता है मस्त होता है)
 

DREAMBOY40

सपनों का सौदागर 😎
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दोस्तों यह मेरी पहली कहानी है उम्मीद करता हूं आप लोगों को पसंद आएगी अगर कुछ गलती होगी तो क्षमा कर देना।

यह कहानी होती है एक छोटे से शहर की जो कि गंगा के किनारे होता है। जहां के कुछ इलाकों में एक देसी वातावरण देखने को मिलता है तो कुछ ऐसे भी इलाके होते हैं जहां बड़े शहरों की हल्की झलक मिल जाती है।

इसी शहर में एक मिडिल क्लास फैमिली होती है यह कहानी एक ऐसे परिवार की होती है जो कि ऊपर से दिखने में तो बहुत सुलझी हुई लगती है मगर अंदर से बहुत ही उल्टी होती है। जिसका हर किरदार अपने आप में ही एक रहस्य को लेकर बैठा होता है। मगर कहते हैं ना कि रहस्य और राज्य कितने भी गहरे क्यों नहीं हो वक्त ऐसी परिस्थितियां लाता है कि धीरे-धीरे खुद ही सारी गुत्थी सुलझने लगती है।


वंदना 42 साल की औरत गोरी चिट्ठी जिसकी कद अच्छी खासी होती है घने रेशमी जुल्फें जो गांड़ तक हो बदन भरा हुआ भारी भरकम गुदाज मांसल थुलथुली गांड़ बड़ी चुचि मोटी मांसल जांघ और उस मोटी जांघों के बीच में मोटी चर्बी वाली बालों से ढकी चूत जैसे मानो कि नीचे वाला अपने अंदर में कोई अनमोल खजाने को छुपाए है।

मोनू एक 20 साल का लड़का जो स्कूल में गंदे लड़कों की संगति में रह करके गंदी कहानियां पढ़ना और अपने ही मम्मी के बारे में गंदे गंदे फेंटेसी करना। वैसे तो मां की नजरों में भोलू राम होता है मगर किसी को नहीं खबर होता है कि सबकी नजरों में सीधा दिखने वाला मोनू असल में कितना चालू चीज है।


वैसे तो और भी कहानियों में पात्र आते जाते रहेंगे जो कि आप लोगों को समय-समय पर मालूम चल जाएंगे।


वंदना के पति जो कि दूसरे राज्य में नौकरी करते हैं जिस वजह से अक्सर उनको बाहर ही रहना पड़ता है।


यह बात उन दिनों की होती है जब नवंबर का महीना होता है और मोनू अपने कंबल के अंदर सोता हुआ कोई हसीन सपने देख रहा होता है। सुबह की हल्की हल्की धूप निकल चुकी होती है और सामने पेड़ों के ऊपर टहनियों के ऊपर चिड़ियों की चहचहाहट मानव पूरे वातावरण में ऐसे संगीत बिखेर रहा हो जिससे मोनू बिस्तर से उठने का नाम ही नहीं लेता है।

रोज सुबह की तरह वंदना नाइटी पहने हुए घर में झाड़ू लगा रही होती है। इसके बाद वो रसोई में जाकर के काम कर रही होती है और तभी उसे ध्यान में आता है कि मोनू तो अभी तक सोया हुआ है और आज संडे भी है। तभी उसे आ जाना कि याद आता है कि आज तो किरायेदारों का महीने का दिन हो गया है। वंदना का घर छोटा बड़ा होता है तीन मंजिला जिसको की एक्स्ट्रा इनकम के लिए किराए पर भी लगा देती है जहां पर कुछ कॉलेज जाने वाले जवान लड़के तो कुछ पारिवारिक मर्द रहते हैं तो कुछ ऐसे लोग भी रहते हैं जो कि नौकरी के वजह से इस शहर में हो।



वंदना: यह लड़का भी ना अभी तक सोया हुआ है समझ में नहीं आता है क्या होगा इसका
मोनू मोनू उठना भी है या अभी तक सोना ही है आने दो पापा का फोन बोलते हैं तुम तो रात भर फोन चलाते हो और सुबह लेट उठते हो।


इधर बंदना किचन से आवाज लगा रही होती है लेकिन उसे क्या मालूम कि उसका बेटा हूं मोनू कोई हसीन सपने में ब्लैंकेट के अंदर खोया हुआ है।


वंदना: यह लड़का ऐसे सुनने वाला नहीं है मैं तेरी कदमों से चलते हुए उसके कमरे में आकर जोर से उसके ऊपर गुस्सा होती हूं और उसका ब्लैंकेट खींच देती हूं। कब से तुम को आवाज दे रही हूं सुनने का नाम ही नहीं है आज मालूम है ना संडे है । जल्दी से उठ करके फ्रेश हो जाओ नाश्ता बना देती हूं उसके बाद डैडी लेकर के जिनका जिनका महीने का किराया का समय हो गया है उनको जा करके बोलो कि मम्मी ने किराए के लिए बोला है।



मोनू: मैं मन ही मन सोच रहा होता हूं और कितना अच्छा सपना देख रहा था अपनी आंखों को मलता हुआ मैं बिस्तर से उठ जाता हूं। और कुछ देर में फ्रेश होकर के नाश्ता वगैरह करने के बारे डेयरी ले लेता हूं और बोलता हूं
आपने बोला था कि इस महीने का किराया आएगा तो मोटरसाइकिल दिलवा दोगे।


वंदना: हां बोला था ना मगर तुम्हारी लक्षण और करतूत देख कर मन नहीं करता है तुमको दिलवाने का कि तुम भी आवारागर्दी करना शुरु कर दोगे। पापा तुम्हारे हमेशा पूछते रहते हैं ठीक से पढ़ाई करता है या नहीं बताओ उस दिन तुम्हारे स्कूल गई थी तुम्हारा रिजल्ट इतना खराब था। वहां जितने भी पेरेंट्स बैठे हुए थे मुझे उनके बीच में कैसा लगा मैं ही समझती हूं नहीं तो घर में गाड़ी की तो जरूरत है क्योंकि मुझे भी बाहर जाने में मार्केट जाने में दिक्कत होती है मगर तुम्हारे ही वजह से नहीं लेती हूं।


मोनू: लगता है आज मैं लेट से सो गया इसीलिए मम्मी गरम हो गई है कहीं बात गरबर ना हो जाए यह बातें मेरे मन में चल रही होती है और तभी मुझे एक आईडिया आता है मैं बड़े ही प्यार से जाता हूं और मम्मी को पीछे से बाहों में भर लेता हूं


इतना गुस्सा करती हो मेरी मम्मी मैंने बोला था ना कि मेरी तबीयत ठीक नहीं लग रही है इसलिए मुझे लेट हो गया उठने में। और आपको तो मालूम है ना स्कूल के जो बच्चे होते हैं वह स्कूल के टीचर से ही ट्यूशन पढ़ते हैं इसीलिए उनको मार्क्स मिलने में आसानी होती है आप ही तो कहती हो ना कि तुम्हारा जो भी मार्क्स आए तुम्हारे दम पर आना चाहिए।

(मैं मन ही मन अब खुश हो रहा होता हूं मुझे लग रहा होता है कि मम्मी को मैं मना लूंगा)

वंदना: अरे चोर मुझे पीछे से गधे जैसा हो गया है अभी तक बच्चों जैसा करता है। मेरा मन नहीं करता क्या मेरा बेटा भी गाड़ी चलाएं देखो तो बगल के जितने भी लड़के हैं कितने अच्छे अच्छे मार्क्स आते हैं सबके तुम मुझे प्रॉमिस कर दो कि तुम्हारा मार्क्स अच्छा आएगा तुम जो गाड़ी बोलोगे दिलवाने के लिए दिलवा दूंगी


जैसे ही वंदना के मुंह से यह बातें निकलती है मोनू की तो मानो मनचाही मुराद पूरी हो गई हो।


मोनू: मैं बड़ा खुश हो जाता हूं और प्यार से मम्मी के गाल पकड़ कर बोलता हूं सच्ची मम्मी फिर तो आप की कसम इस बार देखना मेरा एक्जाम कैसा जाएगा अब आप की कसम खाया हूं तो अब तो आप मुझे शाम में दिलवा देना गारी आपको मालूम है ना कि मैं आप का झूठा कसम नहीं खाता हूं।



वंदना: मुस्कुरा कर के मोनू से अपने आप को चुरा लेती हूं और बोलती हो मेरे बेटे को अच्छी तरीके से मालूम है मुझे कैसे मनाया जाता है। जा अब जल्दी से महीने का रेंट लेकर के आ जाओ।


बेटा सुनो ना दूसरे वाले फ्लोर पर जो फैमिली रहती है उनके पास तुम मत जाना उनसे मैं बात कर लूंगी थोड़ा उन लोगों के साथ में अभी प्रॉब्लम है तो उनको थोड़ा लेट लगेगा।


मोनू: मैं मुंह बना लेता हूं और बोलता हूं यह क्या बात हुई मम्मी लेट लगेगा लेकिन वक्त तो हो गया है ना।


दूसरे फ्लोर पर जो फैमिली रहती है मैंने उनके बारे में कुछ बोलना सही नहीं समझा क्योंकि उनसे मम्मी की अच्छी खासी बनती है।


कुल मिलाकर के मैं वहां से गाड़ी ले कर के निकल जाता हूं और 1 घंटे लग जाते हैं मुझे यह सब करते हुए फिर मैं मम्मी के पास आता हूं और उनको पैसे दे देता हूं। और हर बार की तरह इस बार भी उसमें से मम्मी मुझे ₹500 दे देती है। क्योंकि जब भी मैं घर के काम करता हूं जैसे सब्जियां लाना या कोई सामान लगा तो मम्मी खुद कुछ ना कुछ मुझे दे देती है।






थोड़ी देर तक फोन में फेसबुक वगैरा सब कुछ चलाने के बाद मुझे अचानक याद आता है कि ऊपर की आंटी ने बोला होता है। मम्मी को बोलना ऊपर आने के लिए उन्होंने कोई साड़ी वगैरह खरीदी है दिखानी हैं।

मैं जाता हूं और मम्मी के कमरे से बाहर उनको बोलता हूं मम्मी मैं बोलना भूल ही गया था कि आंटी ऊपर मैं बोल रही थी कि आपको ऊपर आने के लिए कुछ दिखानी है उनको शायद पता नहीं कोई कपड़ा वगैरह खरीदा है उन्होंने।


वंदना: खाना खा लिए हो ना तुम खाने का मन करेगा तो किचन में लेकर के खा लेना जरा देख लेना खिड़की दरवाजे तो नहीं खुले हैं नहीं तो बिल्ली आकर के दूध गिरा देती।
वंदना: मोनू मैं ऊपर जा रही हूं आंटी के पास में तुम दरवाजा लगा लो और कहीं बात आए बिना चले मत जाना। अरे हां बाबा बोला ना शाम को एक बारचलूंगी तुम्हारे गाड़ी के लिए , मैं नाइटी पहने हुए ही वहां से निकल जाती हूं ।

और देखती हूं कि सुधा का दरवाजा खुला होता है तो मैं आवाज देते हुए अंदर चले जाती हूं। पलंग पर बैठते हुए सुधा से बोलती हूं हो गई खरीदारी।

सुधा: हां हो गई ज्यादा नहीं बस थोड़ी बहुत अभी बैठी हुई थी तो मोनू आया हुआ था तो उसको बोली कि मम्मी को बोलना ऊपर आने के लिए, देखिए ना यही वाली साड़ी लिए हैं मुझे लगता है कहीं ज्यादा दाम तो नहीं ले लिया

वंदना: मैं अपने हाथों में कपड़े को ले लेती हूं और छोटी हूं तो मुझे अच्छा लगता है|वैसे दाम तो सही ही लिया है कपड़ा थोड़ा अच्छी क्वालिटी का है तो कहां उसी के यहां लिया है जहां हम लोग लेते हैं।

भाई साहब नहीं दिखाई पड़ रहे हैं आज तो ऑफिस बंद होगा ना या फिर कहीं गए हुए हैं बाहर

सुधा: नहीं बस थोड़ा किसी से मिलने के लिए गए हुए हैं। क्यों कोई काम था क्या जरूरी बात अगर है तो बोलो फोन पर बोल देती हूं उनको कुछ मंगाना है क्या मार्केट से

वंदना: नहीं कुछ मंगाना नहीं है बस कुछ बात करनी थी तुमको मालूम है ना कि मोनू पिछले महीने से ही गाड़ी के लिए जिद कर रहा है। अब मुझे तो इन सब चीज के बारे में इतना ज्यादा मालूम नहीं है वही सो जी की भाई साहब से पूछती कि कौन गाड़ी बढ़िया होता नहीं होता

सुधा: तो इसमें कौन सी बड़ी बात है मोनू को तो पता होगा ना कौन सी गाड़ी उसको लेनी है उसको भी तो पसंद होगा ना।
वंदना: वह बात नहीं है अरे बात ऐसी है कि गाड़ी में क्या सब डॉक्यूमेंट लगता है क्या कैसे सब होता है तो कोई जानकार होता है तो अच्छा होता है ना


सुधा: अच्छा यह बात है ना तो कोई बात नहीं शाम तक तो आ ही जाएंगे तू बात कर लेना अगर आज लेनी है तो लेकर चले जाना उनको साथ में वैसे भी एक शोरूम में उनके जान पहचान का कोई है।

वंदना: चलो फिर तो बहुत अच्छी बात है जान पहचान का कोई है तो और भी आसानी होगी ना । वैसे अगर भाई साहब आए तो मुझे एक बार फोन कर देना या उनको ही मेरे यहां भेज देना।

सोच रही हूं ना कि किसी दिन मार्केट चलते हैं साथ में ठंड का समय आ गया है ना तो थोड़ा कपड़े वगैरह भी ले लेंगे ठंड के लिए नहीं तो यहां पर बहुत महंगा देता है। वैसे भी घर में मन नहीं लगता है इसी बहाने थोड़ा मूड भी बन जाएगा बाहर निकलने के बाद

सुधा: मैं हंसने लगती हूं और फिर बोलती हूं घर में मन नहीं लगता है या फिर ठंडी में भाई साहब के बिना मन नहीं लगता ही ही ही

वंदना: मैं मुस्कुरा देती हूं और सुधा से बोलती हूं हां वह भी बात है मगर क्या करें काम भी तो जरूरी है ना वैसे तुम्हारी तो बढ़िया से ठंडी निकल रही होगी ना भाई साहब के साथ में

सुधा: नहीं ऐसी कोई बात नहीं है अब यह सब इतना थोड़ी ना होता है वह दूसरों शुरू के शादी में होता था अब तो बच्चे बड़े हो गए हैं। घर के कामों से ही फुर्सत नहीं मिलता है तो कहां से हो सर अब मन भी नहीं है वह सब का

तभी कुछ ही वक्त में सुधा के पति के कदमों की आहट होती है।
सुधा का पति जब अंदर आ रहा होता है उसने यह तो नहीं सुना होता है कि दोनों के बीच में क्या बातें हो रही है बस इतना सुना होता है कि अब मन भी नहीं करता है।

सुनील (सुधा का पति 50साल): मैं आता हूं और बोलता हूं क्या मन नहीं करता है। क्या बातें हो रही हैं दोनों के बीच में फोन किया था तुमने कि मोनू की मम्मी आई हुई है कुछ बात करना चाहती है।


वंदना: हां वह भाई साहब बात ऐसी है ना कि मोनू बोल रहा था गाड़ी के लिए और आपको तो मालूम है ना कि मुझे मालूम नहीं है इतना कुछ और सुधा बता रही थी कि आपके थोड़ी जान पहचान है तो मैं सोचा कि आप के साथ ही चलती तो अच्छा रहता।


सुनील (सुधा के पति50साल) अच्छा यानी कि आपने गाड़ी दिलवाने का सूची लिया उसको चलिए लेकिन मैं तो कहूंगा कि नहीं दिलवाई है आजकल मालूम है ना रोड पर कितनी दुर्घटनाएं होती है। हम लोगों की बात छोड़िए हम लोग बाल बच्चे वाले आदमी हैं हम लोग गाड़ी संयम से चलाते हैं मगर यह लोग अभी बच्चा है नादान है उतना कुछ मालूम नहीं है भगवान ना चाहे कुछ इधर उधर हो गया तो।

वंदना: आपकी बात सही है भाई साहब मगर क्या करें बच्चा जिद्दी है ना आपको तो मालूम है ना कि मां-बाप को बाल बच्चों की जिद के आगे झुकना ही पड़ता है।
और वैसे भी घर में एक गाड़ी रहेगी तो अच्छा रहेगा इनकी कार तो यहां पर रखी हुई होती है तो उस से हर जगह संभव नहीं और मुझे चलानी भी नहीं आती है।


सुनील: ठीक है तो आधार कार्ड और पैन कार्ड का फोटो कॉपी वगैरह है ना आपके पास या है ना कार्ड और बैंक का एक चेक बुक ले लीजिएगा हां बस हो जाएगा ज्यादा कुछ नहीं लगता है। नहीं नहीं आपको अपने नाम से ही लेना पड़ेगा लड़के का नाम से नहीं क्योंकि सर्टिफिकेट में तो उसका उम्र कम होगा ना, ऐसा करिए ना कि 1 घंटे में मैं थोड़ा खाना पीना खा लेता हूं थोड़ा आराम कर लेता हूं तो फिर 1 घंटे में चलेंगे



वंदना: 1 घंटे में हां ठीक है घंटे में निकलेगा अच्छा रहेगा ठीक है मैं भी अब चलती हूं काफी वक्त हो गया है 1 घंटे के बाद मैं आ जाऊंगी या आप ही आ जाना।


और फिर मैं वहां से नीचे आ जाती हूं और देखती हूं कि कमरा अंदर से बंद होता है तो मैं आवाज देती हूं मोनू दरवाजा खोल बेटा

(और इधर मोनू गंदी किताबें पढ़ने में व्यस्त होता है मस्त होता है)


1. congrats for new story
2. Thanks for in dewnagiri lipi update
3. Shuruwaat bahut hi achchi hai. Ek jimmedaar ma jo pati ke bahar rahne par apne awara bete ko sambhal rahi hai saath hi uske relation uske kiraayedaaro ke saath emotionally attached hai jo ki kahani me aur gaharaayi laayegi .



4 . story me galtiya jinko sudharna bahut jruri
A) Bhai aapki story me grammar ka har jagah hai dikkt hai jisse kahaani padne aur samajhne me problem a rahi hai .
Shayad aap mobile se English to Hindi typing ka use karate hai jisse shabdo ke translation badal ja rahe hai. Iske liye ap update post karne se pahle use review kr le aur galtiya thik kare
B) bhai aapko apni story ka koi ek narrator select karna Hoga. Ya to aap khud narrate kare ya story ke kisi kirdar ko lead me rakh kr uske jubani kahani aage le jaaye. Nahi to kahani ka maja fika. Ho jayega


Well all the best for next update
Samay nikal kar update dete rahe
Apki wriitting skill bahut hi achchi hai jisme kaafi saara details add hai.


Thanks if you appreciate my review :vhappy1:
 
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Rsingh

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1. congrats for new story
2. Thanks for in dewnagiri lipi update
3. Shuruwaat bahut hi achchi hai. Ek jimmedaar ma jo pati ke bahar rahne par apne awara bete ko sambhal rahi hai saath hi uske relation uske kiraayedaaro ke saath emotionally attached hai jo ki kahani me aur gaharaayi laayegi .



4 . story me galtiya jinko sudharna bahut jruri
A) Bhai aapki story me grammar ka har jagah hai dikkt hai jisse kahaani padne aur samajhne me problem a rahi hai .
Shayad aap mobile se English to Hindi typing ka use karate hai jisse shabdo ke translation badal ja rahe hai. Iske liye ap update post karne se pahle use review kr le aur galtiya thik kare
B) bhai aapko apni story ka koi ek narrator select karna Hoga. Ya to aap khud narrate kare ya story ke kisi kirdar ko lead me rakh kr uske jubani kahani aage le jaaye. Nahi to kahani ka maja fika. Ho jayega


Well all the best for next update
Samay nikal kar update dete rahe
Apki wriitting skill bahut hi achchi hai jisme kaafi saara details add hai.


Thanks if you appreciate my review :vhappy1:
Aapane Jo Bhi baten Kahin Hain uska mujhe bahut hi acche tarike se Dhyan hai aur uske bare mein aapko fikra karne ki jarurat Nahin Hai jahan tak Kahani Ko narrate karne ki baat hai vah to Monu hi Karega lekin abhi Nahin Jab Kahani Aage badhegi Jab Monu ko Kuchh galat lagega
 

DREAMBOY40

सपनों का सौदागर 😎
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Aapane Jo Bhi baten Kahin Hain uska mujhe bahut hi acche tarike se Dhyan hai aur uske bare mein aapko fikra karne ki jarurat Nahin Hai jahan tak Kahani Ko narrate karne ki baat hai vah to Monu hi Karega lekin abhi Nahin Jab Kahani Aage badhegi Jab Monu ko Kuchh galat lagega

Sorry dost agar apko mere review pend nhi aye to
Mujhe nahi pta tha ki ap experience writter ho
Maine just update ki achchi bate aur uski kamiyo ke bare me bataya h
Jo ek hi acha reviewer hi btata h
Nhi to mai chaahta to tha nice update likh kar nikal jata


Hope you understand my words
Well all the best for your story

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Rsingh

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Sorry dost agar apko mere review pend nhi aye to
Mujhe nahi pta tha ki ap experience writter ho
Maine just update ki achchi bate aur uski kamiyo ke bare me bataya h
Jo ek hi acha reviewer hi btata h
Nhi to mai chaahta to tha nice update likh kar nikal jata


Hope you understand my words
Well all the best for your story

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मेरे भाई आप नाराज या उदास क्यों हो रहे हो आप सबके पसंद का ख्याल रखना मेरा परम कर्तव्य है।
और मेरे दिमाग में इस बात की फिक्र है इसीलिए कोई शिकायत का मौका नहीं मिलेगा आप लोगों को

आज शाम या रात तक में कम से कम 3 अपडेट दूंगा
 
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