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नजरिया:- समाज का दोगलापन
हम हैं गरीब तो घृणा के बाण चलाते हो
होते जो कोई महान सेलेब्रिटी ठीक होने की आश बंधाते तुम,
कैसा है तुम्हारा ये मन और दर्पण
खुद इंसान होकर भी नफरत ही नफरत फैलाते हो।
कोरोना नहीं कोई ऐशो-आराम जो अमीरी और गरीबी जानता है,
ये तो चाबुक है उस महामहिम का जो बराबर फल बांटता है।
सभी मित्र कमेंट कर अपनी राय दे
हम हैं गरीब तो घृणा के बाण चलाते हो
होते जो कोई महान सेलेब्रिटी ठीक होने की आश बंधाते तुम,
कैसा है तुम्हारा ये मन और दर्पण
खुद इंसान होकर भी नफरत ही नफरत फैलाते हो।
कोरोना नहीं कोई ऐशो-आराम जो अमीरी और गरीबी जानता है,
ये तो चाबुक है उस महामहिम का जो बराबर फल बांटता है।
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