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मेरा नाम रतनप्रिया है, मैं अपनी एडल्ट स्टोरी बता रही हूँ. मैं लखनऊ की रहने वाली हूं मेरी उम्र 22 वर्ष है मैं बी एस सी की पढ़ाई कर रही हूं.
सब कहते हैं कि मैं बहुत खूबसूरत हूं मेरी साईज 26 कमर, 34 बूब्स, 36 हिप्स है। सभी मुझे देख कर बस मेरे साथ सेक्स करना चाहते हैं, सभी मोहल्ले के लोग, बाहर के लोग, रिश्तेदार सभी यहां तक कि मेरे पापा के सभी दोस्त और मेरे रियल चाचा भी!
मैंने अभी कुछ दिन पहले देखा कि मेरे चाचा मुझे नहाते हुए देख रहे थे, मैं सब समझ गई।
एक दिन चाचा मेरे रूम में छुप कर मुझे कपड़े बदलने पर देख रहे थे कि अचानक मैंने परदा हटा दिया तो पीछे चाचा मुठ मार रहे थे उनका लंड बहुत बड़ा मोटा उनके हाथ में और मैं पूरी नंगी खड़ी थी, मैं घबरा गयी और वो भी घबरा गये.
तभी चाचा मुझसे बोले कि प्लीज रतनप्रिया किसी से मत बताना!
और रूम से भाग गये. अगले दस दिन मुझे दिखे नहीं।
इसी बीच मुझे दो बार मेरे सपनों में चाचा ने बहुत चोदा. अब मैं जब भी सोचती. सिर्फ चाचा के बारे में… नेट में ब्लू फिल्म देखती तो चाचा का वो लंड आंखों के सामने आ जाता और मेरी चूत गीली हो जाती।
मेरी बुआ की लड़की की शादी में पूरा परिवार जा रहा था, दो गाड़ियां थी दोनों बड़ी थी, एक में सब लोग आ गये.
मैं और मेरे चाचा का छोटा पांच साल का बेटा रोहित रह गया था, वो मेरे साथ ही रहता था, मम्मी ने मुझे बोला- तुम उस गाड़ी में जाकर बैठ जाओ, तुम्हारे चाचा उस गाड़ी से आयेंगे.
वो गाड़ी सफ़ारी थी, मैं बैठ गई.
पापा मम्मी वाली गाड़ी आगे निकल गयी. जिस गाड़ी में मैं चाचा के बेटे को लेकर बैठी थी, पांच मिनट में चार लोग आकर उस में बैठ गये. वे चारों चाचा और पापा के दोस्त थे.
तभी चाचा भी आए, मैं बीच वाली सीट में किनारे में बैठी थी चाचा मेरी तरफ आकर बैठ गए मुझे बोले- रतनप्रिया थोड़ा खिसको!
अब बीच वाली सीट में 4 लोग हो गए, दो लोग चाचा के दोस्त, मैं और चाचा… सभी सटे हुए बैठे थे. मुझे थोड़ा अजीब लग रहा था. मैं चाचा और उनके एक दोस्त के बीच में थी.
शाम को 6:00 बज रहे थे. जैसे ही कार चली, चाचा का हाथ मेरे मेरे कंधे से टच होने लगा, 20 मिनट बाद चाचा का हाथ धीरे से मेरी जांघों में आ गया, मैं कुछ ना बोली कि उनके दोस्त लोग क्या कहेंगे.
थोड़ी देर बाद चाचा और उनके दोस्त चुटकुले सुनाने लगे और सब हंसने लगे इधर चाचा अपना हाथ मेरी जाघों में चलाने लगे, मैं ब्लैक कलर का सूट पहने थी, सलवार के उपर से ही चाचा मेरी जांघों के बीच में मेरी चूत में कपड़े के ऊपर से ही उंगली करने लगे. मेरा चेहरा लाल पड़ने लगा पर पर मैं कुछ नहीं बोल पाई, मेरी हालत तेजी से खराब होने लगी.
चाचा को लगा कि रतनप्रिया का भी मन है, सच में मुझे कुछ होने लगा था. दूसरे बगल में जो एक अंकल मतलब चाचा के दोस्त बैठे थे, वे भी मुझ से सटे थे, उनको भी थोड़ी थोड़ी हरकत होने लगी थी, मुझसे पूछने लगे- रतनप्रिया, कुछ परेशानी तो नहीं हो रही?
मैं बोली- नहीं!
अंकल बोले- तुम बहुत खूबसूरत दिख रही हो!
मैंने बोला- थैंक्स!
इधर मेरे रियल चाचा मेरी सलवार का नाड़ा खोलने लगे, मैं हाथ पकड़ने की कोशिश की पर मुंह से कुछ ना बोल पाई. पर अब चाचा कहां मानने वाले थे, उन्होंने नाड़ा खोल दिया और अपना हाथ मेरी पैंटी के ऊपर ले जाकर बिल्कुल चूत में रख दिया और जोर से दबाने लगे मुंह से मेरे सिसकी निकल गई.
तभी बगल वाले अंकल बोले- क्या हुआ रतनप्रिया?
मैं बोली- कुछ नहीं!
इतने में चाचा अब पैंटी के अन्दर हाथ डाल के मेरे चूत के बाल सहलाने लगे, इधर मैं अपना होश खोने लगी कि तभी चाचा अपने हाथ से मेरी चूत खोल कर उसमें अपनी उंगली चलाने लगे मैं एकदम से मदहोश सी होने लगी. लगभग दस मिनट में मेरी चूत बहुत गीली हो गई और अब मुझे कुछ नहीं याद कि क्या मैं करूं, क्या नहीं! कौन मेरी बगल से बैठा है और क्या ठीक है.
तभी चाचा ने अपनी उंगली मेरी चूत में जोर से घुसा दी, अपने आप मेरे मुंह से ‘ओहह…’ निकल गया.
तभी चाचा के दोस्त जो बगल में बैठे थे, उनकी तरफ मेरा हाथ अपने आप चला गया और सहारे के लिए पकड़ा पर हाथ उनके पैंट की जिप में रखा गया और दब भी गया मुझसे!
फिर क्या, वो अंकल मेरी तरफ देखने लगे और धीरे से कान में बोले- रतनप्रिया बहुत मन है लगता है? तुम्हारी हालत बहुत खराब लग रही है, रुको मैं सब इतंजाम कर दूंगा, अपनी जिप खोल कर देता हूं शर्ट ऊपर कर देता हूं.
और उन्होंने वैसा ही किया और मेरा हाथ पकड़ के अपने लन्ड को पकड़ा दिया, उसे उपर नीचे कराने लगे.
ओहह… अब उनका लन्ड बड़ा होने लगा और गर्म भी, मैं एकदम उत्तेजित हो गई. तभी वो अंकल अपना हाथ मेरी जांघों में ले आये, उनका हाथ चाचा के हाथ से टकरा गया क्योंकि चाचा पहले से चूत में उंगली डाल के अन्दर बाहर कर रहे थे.
तभी अंकल बोले मेरे चाचा को- साले कमीने, पहले से कब्जा किया हुआ है।
चाचा बोले- ग्राउंड मैंने ही तैयार किया है, सब मिल बांट कर खा लेंगे.
बाकी जो दो अंकल एक ड्राइवर के बगल से और एक हमारी सीट में ही किनारे में बैठे थे, दोनों बोले- कहां कब्जा कर लिया यारो? कुछ बताओ?
तभी चाचा बोले- सिन्धु, रोहित सो गया या जग रहा है?
रोहित आगे वाले अंकल की गोद में बैठा था!
अंकल बोले- ये तो गाड़ी चलने के थोड़ी देर में ही सो गया था.
तब चाचा बोले- फिर तुम बचे हुए दोनों भी देख लो!
और गाड़ी के अंदर की लाइट जला दी, मेरा कुर्ता हटा दिया. मेरा हाथ बगल वाले अंकल के लंड पर था, चाचा का हाथ मेरी चूत में उंगली डाली हुई थी.
तभी वे दोनों अंकल बोले- तुम लोग बहुत पागल हो! बेचारी की हालत देखो, इसके नीचे चूत से रस बह रहा है और तुम लोग उसे तड़पा रहे हो? ये रस अनमोल है.
मैंने शर्म के मारे आंखें बंद कर ली थी.
तभी आगे वाले अंकल रोहित को आगे सीट में लिटा कर उठ आ गये और ड्राईवर को बोले- जो गाड़ी में हो रहा है, उसे भूल जाना और गाड़ी में ध्यान दो, एक्सीडेंट मत कर देना.
उसने बोला- जी साहब!
तभी अंकल ने बोला- बाद में तुम्हें भी कुछ ईनाम में मिल जाएगा.
ड्राइवर बोला- धन्यवाद साहब!
सब कहते हैं कि मैं बहुत खूबसूरत हूं मेरी साईज 26 कमर, 34 बूब्स, 36 हिप्स है। सभी मुझे देख कर बस मेरे साथ सेक्स करना चाहते हैं, सभी मोहल्ले के लोग, बाहर के लोग, रिश्तेदार सभी यहां तक कि मेरे पापा के सभी दोस्त और मेरे रियल चाचा भी!
मैंने अभी कुछ दिन पहले देखा कि मेरे चाचा मुझे नहाते हुए देख रहे थे, मैं सब समझ गई।
एक दिन चाचा मेरे रूम में छुप कर मुझे कपड़े बदलने पर देख रहे थे कि अचानक मैंने परदा हटा दिया तो पीछे चाचा मुठ मार रहे थे उनका लंड बहुत बड़ा मोटा उनके हाथ में और मैं पूरी नंगी खड़ी थी, मैं घबरा गयी और वो भी घबरा गये.
तभी चाचा मुझसे बोले कि प्लीज रतनप्रिया किसी से मत बताना!
और रूम से भाग गये. अगले दस दिन मुझे दिखे नहीं।
इसी बीच मुझे दो बार मेरे सपनों में चाचा ने बहुत चोदा. अब मैं जब भी सोचती. सिर्फ चाचा के बारे में… नेट में ब्लू फिल्म देखती तो चाचा का वो लंड आंखों के सामने आ जाता और मेरी चूत गीली हो जाती।
मेरी बुआ की लड़की की शादी में पूरा परिवार जा रहा था, दो गाड़ियां थी दोनों बड़ी थी, एक में सब लोग आ गये.
मैं और मेरे चाचा का छोटा पांच साल का बेटा रोहित रह गया था, वो मेरे साथ ही रहता था, मम्मी ने मुझे बोला- तुम उस गाड़ी में जाकर बैठ जाओ, तुम्हारे चाचा उस गाड़ी से आयेंगे.
वो गाड़ी सफ़ारी थी, मैं बैठ गई.
पापा मम्मी वाली गाड़ी आगे निकल गयी. जिस गाड़ी में मैं चाचा के बेटे को लेकर बैठी थी, पांच मिनट में चार लोग आकर उस में बैठ गये. वे चारों चाचा और पापा के दोस्त थे.
तभी चाचा भी आए, मैं बीच वाली सीट में किनारे में बैठी थी चाचा मेरी तरफ आकर बैठ गए मुझे बोले- रतनप्रिया थोड़ा खिसको!
अब बीच वाली सीट में 4 लोग हो गए, दो लोग चाचा के दोस्त, मैं और चाचा… सभी सटे हुए बैठे थे. मुझे थोड़ा अजीब लग रहा था. मैं चाचा और उनके एक दोस्त के बीच में थी.
शाम को 6:00 बज रहे थे. जैसे ही कार चली, चाचा का हाथ मेरे मेरे कंधे से टच होने लगा, 20 मिनट बाद चाचा का हाथ धीरे से मेरी जांघों में आ गया, मैं कुछ ना बोली कि उनके दोस्त लोग क्या कहेंगे.
थोड़ी देर बाद चाचा और उनके दोस्त चुटकुले सुनाने लगे और सब हंसने लगे इधर चाचा अपना हाथ मेरी जाघों में चलाने लगे, मैं ब्लैक कलर का सूट पहने थी, सलवार के उपर से ही चाचा मेरी जांघों के बीच में मेरी चूत में कपड़े के ऊपर से ही उंगली करने लगे. मेरा चेहरा लाल पड़ने लगा पर पर मैं कुछ नहीं बोल पाई, मेरी हालत तेजी से खराब होने लगी.
चाचा को लगा कि रतनप्रिया का भी मन है, सच में मुझे कुछ होने लगा था. दूसरे बगल में जो एक अंकल मतलब चाचा के दोस्त बैठे थे, वे भी मुझ से सटे थे, उनको भी थोड़ी थोड़ी हरकत होने लगी थी, मुझसे पूछने लगे- रतनप्रिया, कुछ परेशानी तो नहीं हो रही?
मैं बोली- नहीं!
अंकल बोले- तुम बहुत खूबसूरत दिख रही हो!
मैंने बोला- थैंक्स!
इधर मेरे रियल चाचा मेरी सलवार का नाड़ा खोलने लगे, मैं हाथ पकड़ने की कोशिश की पर मुंह से कुछ ना बोल पाई. पर अब चाचा कहां मानने वाले थे, उन्होंने नाड़ा खोल दिया और अपना हाथ मेरी पैंटी के ऊपर ले जाकर बिल्कुल चूत में रख दिया और जोर से दबाने लगे मुंह से मेरे सिसकी निकल गई.
तभी बगल वाले अंकल बोले- क्या हुआ रतनप्रिया?
मैं बोली- कुछ नहीं!
इतने में चाचा अब पैंटी के अन्दर हाथ डाल के मेरे चूत के बाल सहलाने लगे, इधर मैं अपना होश खोने लगी कि तभी चाचा अपने हाथ से मेरी चूत खोल कर उसमें अपनी उंगली चलाने लगे मैं एकदम से मदहोश सी होने लगी. लगभग दस मिनट में मेरी चूत बहुत गीली हो गई और अब मुझे कुछ नहीं याद कि क्या मैं करूं, क्या नहीं! कौन मेरी बगल से बैठा है और क्या ठीक है.
तभी चाचा ने अपनी उंगली मेरी चूत में जोर से घुसा दी, अपने आप मेरे मुंह से ‘ओहह…’ निकल गया.
तभी चाचा के दोस्त जो बगल में बैठे थे, उनकी तरफ मेरा हाथ अपने आप चला गया और सहारे के लिए पकड़ा पर हाथ उनके पैंट की जिप में रखा गया और दब भी गया मुझसे!
फिर क्या, वो अंकल मेरी तरफ देखने लगे और धीरे से कान में बोले- रतनप्रिया बहुत मन है लगता है? तुम्हारी हालत बहुत खराब लग रही है, रुको मैं सब इतंजाम कर दूंगा, अपनी जिप खोल कर देता हूं शर्ट ऊपर कर देता हूं.
और उन्होंने वैसा ही किया और मेरा हाथ पकड़ के अपने लन्ड को पकड़ा दिया, उसे उपर नीचे कराने लगे.
ओहह… अब उनका लन्ड बड़ा होने लगा और गर्म भी, मैं एकदम उत्तेजित हो गई. तभी वो अंकल अपना हाथ मेरी जांघों में ले आये, उनका हाथ चाचा के हाथ से टकरा गया क्योंकि चाचा पहले से चूत में उंगली डाल के अन्दर बाहर कर रहे थे.
तभी अंकल बोले मेरे चाचा को- साले कमीने, पहले से कब्जा किया हुआ है।
चाचा बोले- ग्राउंड मैंने ही तैयार किया है, सब मिल बांट कर खा लेंगे.
बाकी जो दो अंकल एक ड्राइवर के बगल से और एक हमारी सीट में ही किनारे में बैठे थे, दोनों बोले- कहां कब्जा कर लिया यारो? कुछ बताओ?
तभी चाचा बोले- सिन्धु, रोहित सो गया या जग रहा है?
रोहित आगे वाले अंकल की गोद में बैठा था!
अंकल बोले- ये तो गाड़ी चलने के थोड़ी देर में ही सो गया था.
तब चाचा बोले- फिर तुम बचे हुए दोनों भी देख लो!
और गाड़ी के अंदर की लाइट जला दी, मेरा कुर्ता हटा दिया. मेरा हाथ बगल वाले अंकल के लंड पर था, चाचा का हाथ मेरी चूत में उंगली डाली हुई थी.
तभी वे दोनों अंकल बोले- तुम लोग बहुत पागल हो! बेचारी की हालत देखो, इसके नीचे चूत से रस बह रहा है और तुम लोग उसे तड़पा रहे हो? ये रस अनमोल है.
मैंने शर्म के मारे आंखें बंद कर ली थी.
तभी आगे वाले अंकल रोहित को आगे सीट में लिटा कर उठ आ गये और ड्राईवर को बोले- जो गाड़ी में हो रहा है, उसे भूल जाना और गाड़ी में ध्यान दो, एक्सीडेंट मत कर देना.
उसने बोला- जी साहब!
तभी अंकल ने बोला- बाद में तुम्हें भी कुछ ईनाम में मिल जाएगा.
ड्राइवर बोला- धन्यवाद साहब!