आग भी लगा रहे हो और आग को बुझा भी रहे हो । इरोटिका , सेक्सुअल सीन्स की बात क्या ही करें , कहानी भी जबरदस्त लिखी है आपने ।
इस कहानी मे ऐसा लग रहा है जैसे आशु का पुनर्जन्म हो गया हो । गौतम की बातें , चुलबुलापन , नटखटपन , शरारतीपन , वाइन और सिगरेट का शौक बिल्कुल आशु के जैसा है ।
इधर बैरागी और विरेन्द्र सिंह की कहानी डालकर इस कहानी को और भी रोचक बना दिया है । बैरागी की मौत नो डाऊट अत्यंत ही दुखद थी ।
आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग अपडेट डियर ।