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Update 18
सुमन दोनों कार पार्क करके नीचे उतर जाते है जहा गेट पर ही उनको संजय की पत्नी कोमल खड़ी दिखाई दे जाती है जो किसी डिलेवरी बॉय से कुछ ले रही होती है सुमन कोमल के पास चली आती है औऱ गौतम गाडी में सामान उतारने लगता है.
कोमल (44) सुमन को देखते ही - अरे सुमन.. तुम अब आ रही हो.. अब भी आने की क्या जरुरत थी? सीधा शादी में ही आ जाती.. कितने फ़ोन करवाए तुम्हारे भईया से, मगर तुम तो जैसे यहां ना आने की कसम खाकर बैठी हो..
सुमन - नहीं भाभी.. घर में काम ही इतना रहता है की कहीं आने जाने की फुर्सत ही नहीं रहती..
कोमल - अरे उस छोटे से पुलिस क्वाटर में कितना काम होता होगा सुमन.. तुम तो बहाने बनाने लगी हो..
सुमन - भाभी ग़ुगु का कॉलेज भी तो था.. औऱ अभी तो एक हफ्ता बच्चा है ना ऋतू की शादी को.. सब काम आराम से हो जाएगा..
कोमल - ग़ुगु आया है तेरे साथ?
सुमन - हाँ वो सामान उतार रहा है..
गौतम हाथ मे अपना औऱ सुमन का बेग लेकर कोमल औऱ सुमन के पास आ जाता है जहा कोमल देखते ही गौतम को अपनी छाती से लगा लेती है औऱ कहती है..
कोमल - ग़ुगु.. कितना बड़ा हो गया है तू.. कब से नहीं देखा तुझे.. बिलकुल चाँद सी शकल हो गई है तेरी.. सुमन क्या खिलाती हो इसे..
गौतम चुपचाप खड़ा रहता है औऱ कुछ देर बाद बोलता है..
गौतम - बॉक्स में क्या है?
कोमल - ये? ये तो मैंने शूज मांगवाए है जॉगिंग के लिए.. वो पुराने वाले एक महीने पुराने हो गए थे ना इसलिए.. (सुमन को देखकर) सिर्फ 15 हज़ार के है..
सुमन - भाभी माँ कहा है..
कोमल - अरे मैं भी ना.. आओ अंदर आओ.. ग़ुगु बेग यही रख दो.. नौकर ले आएगा.. (नौकर को आवाज लगाकर) अब्दुल.. सामान ऊपर पीछे वाले रूम रख दे.. आओ सुमन..
सुमन औऱ गौतम गायत्री से मिलते है औऱ फिर सुमन बाकी लोगों से मिलने लगती है लेकिन गौतम नौकर से कमरा पूछकर कमरे में आ जाता है..
गौतम - दूसरा बेग कहा है?
अब्दुल - भईया वो मैडम के कहने पर बगल वाले रूम में रख दिया है..
गौतम - ठीक है..
अब्दुल - कुछ लाना है?
गौतम - नहीं तुम जाओ..
गौतम रूम देखकर मन में - बहनचोद मामा ने घर नहीं महल बनवाया है.. बिस्तर तो साला ऐसा है दसवी मंज़िल से भी गिरो तो बचा लेगा..
गौतम ये सब सोच ही रहा था कि पीछे से गौतम को गौतम के मामा संजय औऱ मामी कोमल की बेटी ऋतू (24) ने ग़ुगु को आवाज दी..
ऋतू - ग़ुगु..
गौतम ने पीछे मुड़कर ऋतू को देखा औऱ चुपचाप खड़ा रहा.. उसने ऋतू से हेलो हाय करने की कोई कोशिश नहीं की, ऋतू ने कुछ देर ठहर कर आगे बात शुरू की..
ऋतू - अब तक नाराज़ है?
गौतम - मैं क्यों नाराज़ होने लगा?
ऋतू - तो फिर मुझे देखकर इतना रुखा रिएक्शन क्यों दिया? ना हाथ मिलाया ना गले लगा..
गौतम - मेरे जैसे चोर के गले लगने या हाथ मिलाने का शोक आपको कबसे होने लगा?
ऋतू - तू अब भी नाराज़ है ना.. 6 साल हो गए.. अब तक उस बात को नहीं भुला.. मुझसे गलती हो गई थी ग़ुगु.. मुझे तेरा झूठा चोरी ना नाम नहीं लगाना चाहिए था.. माफ़ नहीं करेगा..
गौतम - मैं कौन होता हूँ माफ़ करने वाला आपको.. वैसे बहुत बड़ा घर बनवाया है आप लोगों ने.. इसके एक कमरे की जगह में तो हमारा आधे से ज्यादा घर आ जाएगा..
ऋतू - मैं भाभी के साथ बाहर जा रही हूँ तू चल मेरे साथ.. तूझे शहर घूमाती हूँ..
गौतम - मुझे कहीं नहीं जाना..
ऋतू के पीछे उसकी भाभी औऱ संजय कोमल के बेटे चेतन की बीवी आरती (26) कमरे के अंदर आती हुई - ऋतू चल ना आने में देर हो जायेगी.. तुझे वैसे भी शॉपिंग में बहुत समय लगता है.. (गौतम को देखते हुए) ये सुमन बुआ का बेटा गौतम है ना..
ऋतू उदासी से - हम्म..
आरती गौतम के नजदीक आते हुए - हाय.. कितना सुन्दर चेहरा है.. पहली बार देख रही हूँ.. मेरी औऱ चेतन की शादी में क्यों नहीं आये तुम?
गौतम - मन नहीं था आने का..
आरती - इतने रूखेपन से क्यों बात कर रहे हो.. मैं कोई पराइ तो नहीं हूँ..
ऋतू - भाभी छोडो ना.. ग़ुगु सफर से आया है, थक गया होगा..
आरती - ठीक है.. ग़ुगु तू भी चल.. शादी की शॉपिंग करनी है.. तुझे जो खरीदना हो मैं दिलवा दूंगी..
गौतम - मेरे पास मेरी जरुरत का हर सामान है.. मुझपर अहसान करने की जरुरत नहीं..
आरती को गौतम का बर्ताव समझ नहीं आता कि क्यों गौतम उससे इस तरह रूखेपन औऱ परायेपन से बात कर रहा है मगर ऋतू को सब पता औऱ वो चाहती थी कि आरती गौतम से ज्यादा बात ना करें औऱ वहा से चली जाए..
ऋतू - भाभी चलो ना.. फिर आप ही बोलोगी कितनी देर लगा दी...
आरती का खिला हुआ चेहरा गौतम से बात करके थोड़ा उतर चूका था.. उसे लगा था वो गौतम के साथ हंसी मज़ाक़ औऱ हंसी ठिठोली कर सकती है औऱ देवर भाभी वाला एक मजबूत रिश्ता कायम कर सकती है मगर गौतम ने उसे अपनी दो चार बातों से ही इतनी दूर कर दिया था कि आरती वापस गौतम से बात करने में हिचक महसूस हो रही थी.. आरती ऋतू के कहने पर गौतम को अकेला छोड़कर ऋतू के साथ कमरे से बाहर आ गई औऱ अपनी सास कोमल औऱ सुमन के साथ ऋतू को शॉपिंग करवाने कार लेकर निकल पड़ी..
गौतम थोड़ी देर आराम करने के बाद अपने कमरे से निकल कर नीचे आ गया औऱ अपनी नानी गायत्री के कमरे में आ गया जहा गायत्री टीवी पर किसी सीरियल को देखते हुए उसमें ध्यान लगाए बैठी थी..
गौतम अपनी नानी के करीब आकर उसकी गोद में अपना सर रखकर लेट गया जिससे गायत्री का ध्यान टीवी से टूट गया औऱ वो गौतम के सर को सहलाती हुई गौतम को लाड प्यार करने लगी..
गायत्री - कम से कम अपनी नानी से तो मिलने आ सकता था ना ग़ुगु..
गौतम - आ गया ना नानी...
गायत्री - हाँ पुरे छः साल बाद.. एक दो साल औऱ देर करता तो नानी भगवान को प्यारी हो जाती..
गौतम - कैसी बातें कर रही हो नानी.. आप तो अभी भी जवान हो.. अभी से कहा भगवान् को याद कर रही हो..
गायत्री हसते हुए - 62 बरस की हो गई बेटा..
गौतम प्यार से गायत्री के गाल चूमकर - नानी दिखने में तो आज भी आप 22 साल से एक साल ज्यादा की नहीं लगती.. ऐसे लगता है मामी आपकी बहु नहीं सास है औऱ आप मामी की सास नहीं बहु हो..
गायत्री हस्ते हुए - तू इतनी बातें करना कब से सिख गया ग़ुगु? पहले तो बहुत चुपचाप औऱ अपने आप में रहता था अब देखो.. लग ही नहीं रहा तू मेरा पहले वाला ग़ुगु है..
गौतम - समय के साथ तो सबको बदलना पड़ता है ना नानी.. वैसे आप चाहो तो मैं फिर से वही आपका ग़ुगु बन सकता हूँ..
गायत्री - कोई जरुरत नहीं है बेटा.. सच कहु तो तू ऐसे ही हँसता खेलता ज्यादा अच्छा लगता है..
गौतम - नानी आप नहीं गई शॉपिंग पर?
गायत्री - तू तो जानता है तेरी मामी को, उसके साथ शॉपिंग पर जाने का मेरा बिलकुल मन नहीं था..
गौतम - क्यों?
गायत्री - तू तो जानता है उसका स्वाभाव केसा है.. अपनी अमीरी झाड़ने का कोई मौका नहीं छोड़ती.. ऐसा लगता है हर चीज की कीमत बताने की नौकरी करती हो..
गौतम - तो क्या हुआ? उनके पास पैसे है तो वो अपने पैसो का रोब झाड़ती है.. आप भी ये सब कर सकती हो..
गायत्री - मुझे तो इन सब दिखावे औऱ ढकोसले से दूर रहने दे बेटा.. मैं तो जैसी हूँ ठीक हूँ.. मुझे तो सुमन के लिए बुरा लगता है कोमल कहीं अपनी अमीरी दिखाने के चक्कर उसका दिल ना दुखा दे.. चल छोड़ इन बातों को ये बता.. इतना खूबसूरत औऱ जवाँ हो गया है तू.. कितनी गर्लफ्रेंड बनाई तूने?
गौतम - क्या फ़ायदा नानी इस शकल.. एक भी नहीं बनी..
गायत्री - हट झूठा... सच सच बता किसी को नहीं बताऊंगी..
गौतम - सच में नानी.. मुझे कोई लड़की पटती ही नहीं है.. पता नहीं क्या कमी है मुझमे..
गायत्री - कमी.. कमी तो है ही नहीं मेरे ग़ुगु में.. सब खूबी ही खूबी है.. तू बोल मैं बनवा देती हूँ तेरी गर्लफ्रेंड..
गौतम गायत्री के गले में हाथ डालकर - नानी आप ही बन जाओ ना मेरी गर्लफ्रेंड..
गायत्री प्यार से गौतम के गाल चूमकर - तू तो बहुत चालक हो गया है.. मुझे ही फंसाने के चक्कर में है..
गौतम गायत्री के गले में हाथ डालकर - नानी अब आप हो ही इतनी ब्यूटीफुल.. मैं क्या करू?
गायत्री हसते हुए गौतम का हाथ पकड़ कर चूमते हुए - लगता है अभी से लड़की ढूंढ़नी पड़ेगी तेरे लिए..
गौतम गायत्री को अपनी तरफ खींचकर गले लगाते हुए - ढूंढने की क्या जरुरत है नानी.. आप हो ना..
औऱ फिर से गायत्री के गाल पर चुम्बन कर देता है..
गायत्री को विधवा हुए 15 साल से ऊपर का समय बीत चूका था औऱ उसके बाद से उसे कभी किसी पुरुष का स्पर्श नहीं मिला था आज गौतम ने जैसे गायत्री से बात की थी औऱ उसे छुआ था उससे गायत्री
के मन में हलचल होने लगी थी औऱ उसके अंदर सालों से छुपी हुई औरत का वापस उदय होने लगा था गायत्री के साथ जिस तरह से मीठी बातें गौतम कर रहा था उससे गायत्री को अजीब सुख मिलने लगा था औऱ वो चाहने लगी थी गौतम उससे इसी तरह औऱ बातें करें..
गायत्री प्यार से - चल पीछे हट.. बदमाश कहीं का.. कुछ भी बोलता है.. बहुत बेशर्म हो गया है तू..
गौतम गायत्री को अपनी बाहों में औऱ कस लेता है - मैं तो आगे बढ़ना चाहता हूँ नानी, आप तो पीछे हटाने लगी..
गायत्री हसते हुए - न जाने तुझे मुझ बुढ़िया मैं क्या नज़र आ गया.. चल अब छोड़ मुझे कोई देख लेगा तो बात बनायेगा..
गौतम गायत्री को बिस्तर पर धकेल देता है औऱ उसके साथ खुद भी गिर जाता है औऱ कहता है - सब तो शॉपिंग गए है नानी.. हम कुछ भी करें.. हमें देखने वाला यहाँ बचा ही कौन है?
गायत्री - छी.. कैसी गन्दी बात कर रहा है तू.. छोड़ मुझे..
गौतम ने आगे कुछ भी ना बोलकर गायत्री के होंठों को अपने होंठों में भर लिया औऱ चूमने लगा.. गायत्री हैरान होकर बेसुध लेटी रही औऱ गौतम गायत्री को चूमता रहा साथ ही उसने अपना रखा हाथ गायत्री के साडी के अंदर डाल कर उसकी चुत को अपने हाथों के पंजे से पकड़ लिया औऱ मसलते हुए गायत्री की चुत में उंगलियां करने लगा जिससे गायत्री की काम इच्छा सुलग उठी.. औऱ वो भी धीरे धीरे गौतम के चुम्बन का प्रतिउतर चूमकर देने लगी..
गौतम ने पहले ही अपनी कलाई का धागा लाल होते देखकर गायत्री को अपने जाल में ले लिया था औऱ उसे भोगने की नियत से अपने आप को गायत्री के अनुरूप ढालते हुए उसके बदन को छेड़ने औऱ उससे खेलने लगा..
गायत्री की 62 साल पुरानी चुत गौतम के हाथ लगने पर 62 सेकंड में ही सुलगने लगी औऱ उसमे भारी गर्मी गौतम को अपने हाथ पर महसूस होने लगी.. गौतम ने कुछ मिनट में ही गायत्री चुत से नदी बहा दी जिससे गायत्री गौतम से लिपटकर गौतम को चूमने औऱ चाटने लगी उसे मालूम नहीं रहा की वो अपनी बेटी के बेटे के साथ ऐसा कर रही थी..
गौतम ने गायत्री के हाथ में अपना लंड रख दिया औऱ अपने हाथ से गायत्री का हाथ पकड़कर गायत्री के हाथ से अपना लंड हिलवाने लगा.. गायत्री के हाथ में जैसे ही गौतम का लंड आया वो चूमना छोड़कर एक नज़र गौतम के लंड पर डालकर उसे देखने लगी लेकिन अगले ही पल गौतम ने गायत्री के बाल पकड़ कर वापस अपने होंठों से उसे लगा लिया.. गायत्री को चूमकर उसने गायत्री को बेड पर बैठा दिया औऱ खुद फर्श पर खड़ा हो गया..
गायत्री कुछ समझ पाती इससे पहले ही गौतम ने उसके पककर सफ़ेद हो चुके बाल पकड़ कर उसके मुंह में अपने लंड का प्रवेश करवा दिया औऱ अपनी नानी गायत्री को अपना लोडा चूसाने लगा..
गायत्री के मन में उथल पुथल मची हुई थी औऱ उसके चेहरे पर रोमांच, डर, कामुकता, बेबसी, बेसब्री औऱ रिश्तो के मेले होने का दुख एक साथ झलक रहा था..
गायत्री ने गौतम के लंड को मुंह से नहीं निकाला औऱ धीरे धोरे चूसने लगी. गौतम ने भी कोई जल्दी नहीं की औऱ गायत्री को आराम आराम से लोडा चूसाने का सुख भोगने लगा..
गायत्री औऱ गौतम के बीच ये सब चल ही रहा था की उन दोनों को ऊपर से किसी के नीचे आने की आहट सुनाई दी.. औऱ गायत्री ने फ़ौरन गौतम का लंड अपने मुंह से बाहर निकाल दिया औऱ अपनेआप को ठीक करने लगी गौतम ने भी परिस्थिति समझते हुए अपना लंड पेंट में डाल लिया औऱ कमरे से बाहर आ गया जहा उसे घर का नोकर अब्दुल दिखाई दिया जो सीधा गायत्री के कमरे की तरफ चला गया औऱ उससे बोला..
अब्दुल - चाय बना दू बड़ी मालकिन...
गायत्री - नहीं.. तू रहने.. आज मैं खुद चाय बना लुंगी..
गायत्री ये कहते हुए बेड से उठ जाती है औऱ रसोई की तरफ चली जाती है..
गायत्री की मनोदशा को बयाँ करना मुश्किल था उसे अभी अभी जो सुख गौतम ने दिया था गायत्री उसे वो भूल ही चुकी थी.. सालों से बंजर होकर पड़ी जमीन पर अकाल के बाद जैसे बारिश के पानी से पौधे खिल उठते है उसी तरह सालों से गायत्री की वीरान औऱ अकेली जिंदगी में भी आज गौतम के कारण मादकता औऱ कामुकता ने अपने बीज को बोकर पौधे में बदल दिया था..
गायत्री का एक मन उसे कोस रहा था औऱ ये समझा रहा था की वो अपने नाती के साथ कैसे इस तरह की जलील हरकत कर सकती है औऱ उसके साथ जिस्मानी सम्भन्ध बनाने का प्रयास कर सकती है.. गायत्री चाय बनाते हुए अपनेआप को बुरा भला कहे जा रही थी.. मगर गायत्री का दूसरा मन चोरी छिपे गायत्री को बहका रहा था औऱ अब्दुल को गालिया देते हुए कोस रहा था कि क्यों वो बीच में आ गया.. क्या उसे आने में देर नहीं हो सकती थी? गायत्री की काम इच्छा ने तो उसके मन में दूसरा जन्म ले लिया था औऱ उसके दिमाग में चल रही बातों ने पहले मन को हरा दिया था.. गायत्री अब गौतम के करीब जाना चाहती थी औऱ सालों से सुखी पड़ी जिंदगी को थोड़ा काम के रस से गिला कर लेना चाहती थी..
गायत्री की चाय उसकी बची हुई जवानी के साथ उबाल मार चुकी थी औऱ उसने फैसला कर लिया था.. गायत्री ने चाई एक कप में छन्नी की औऱ कप लेकर गौतम के कमरे की तरह आने लगी..
दरवाजे पर पहुंचकर एक बार गायत्री रुकी जैसे कुछ सोच रही हो फिर गायत्री आगे बढकर दरवाजे के अंदर आ गई जहा गौतम बेड पर ऐसे बैठा हुए था जैसे गायत्री का ही इंतजार कर रहा हो.. आगे कुछ पहल करने की हिम्मत गायत्री में नहीं थी इसलिए उसने चाय को बेड की साइड टेबल पर रख दिया औऱ एक नज़र गौतम से मिलाकर वापस नज़र चुराते हुए उसे चाय पिने का बोलकर वापस जाने लगी..
गायत्री ने मुश्किल से दो कदम बढ़ाये होंगे की गौतम ने बेड से उठकर गायत्री की तरफ बढ़ते हुए अपना सीधा हाथ गायत्री की कमर में डालकर उसे अपने गले से लगा लिया औऱ दूसरे हाथ से दरवाजे को कुंदी मारकर गायत्री के साथ बिस्तर में कूद गया औऱ फिर से गायत्री औऱ गौतम का चुम्बन शुरू हो गया..
इस बार गायत्री अपने पुरे मन के साथ गौतम को ऐसे चुम रही थी जैसे गौतम उसका नाती नहीं पति हो..
गौतम ने थोड़ी देर चूमने के बाद वापस गायत्री की ड्यूटी अपने लंड पर लगा दी औऱ उसे बिस्तर पर झुकाते हुए अपना लंड चूसाने लगा..
गौतम - आहहह... नानी.. दाँत मत लगाओ यार.. आहहह... बहनचोद क्या मस्त मज़े देती हो नानी अभी भी.. (गायत्री के चुचे दबाते हुए) उफ्फ्फ नानी कितनी बड़ी औऱ मस्त है आपकी चूचियाँ.. ढीली पड़ने के बाद भी कहर ढा रही है..
गायत्री गौतम की बातें सुनती हुई उसके लोडा चूसे जा रही थी औऱ गौतम की वासना अपने चरम पर आने लगी थी वो लोडा चुस्ती गायत्री को देखकर बहकने लग गया था औऱ जल्दी ही झड़ने की कगार पर भी आ पंहुचा था..
गौतम - नानी.. आने वाला है चुसो जोर से थोड़ा.. आहहह... ऐसे ही नानी... हाय... आहहह...
गौतम गायत्री के मुंह में झड़ जाता है औऱ गायत्री बिना संकोच किये उसका वीर्यपान कर लेती है फिर गौतम का लंड साफ करके जाने लगती है मगर गौतम गायत्री को वापस बिस्तर पर गिरा देता है औऱ गायत्री की चुत के दर्शन करने के इरादे से उसकी साडी पकड़ के ऊपर कमर तक उठा देता है.. वो देखता है की गायत्री ने चड्डी नहीं पहनी थी.. औऱ उसके बालों से भरी चुत साफ सामने थी जो अब हलकी काली पड़ गई थी.. गौतम ने बिना किसी झिझक के गायत्री की चुत को अपने मुंह में भर लिया औऱ चूसने औऱ चाटने लगा.. जिस तरह से गौतम गायत्री की चाट रह था गायत्री को परम सुख की प्राप्ति होने लगी थी..
गायत्री गौतम के बाल पकड़ के जोर जोर उसे अपनी चुत चटवा रही थी औऱ अब उसने भी शर्म की चादर हटाते हुए बात करना शुरू कर दिया था..
गायत्री - चाट ग़ुगु.. जोर से चाट अपनी नानी की चुत को.. 16 साल हो गए किसी ने मेरी इस चुत की चिंता नहीं की.. तू ही पहला है ग़ुगु.. चाट बेटा.. आहहह... उम्म्म्म.. अह्ह्ह्ह..
गौतम गायत्री की बात सुनकर मन ही मन मुस्काता हुआ उसकी चुत को अपने मुंह से ठंडी करने लगा.. गायत्री तो जैसे हक़ीक़त औऱ ख़्वाब के बीच कहीं आँख बंद किये प्रकृति से मिले इस अदभुद सुख को भोग रही थी..
गौतम ने गायत्री की गांड में उंगलि करते हुए चुत को चाटना जारी रखा औऱ अपनी जीभ उसकी चुत में डाल उसे चाटने लगा.. गौतम चाहता था की वो गायत्री को शर्म लिहाज़ औऱ रिश्तो के बंधन से बाहर ले आये जिसमे वो सफल भी हो चूका था..
गायत्री अब वापस झड़ने वाली थी औऱ इस बार उसने बिना किसी झिझक के गौतम के मुंह में अपना पानी निकाल दिया औऱ उसके बालों को जोर से खींच कर गौतम को अपने ऊपर लेटा लिया औऱ फिर से गौतम औऱ गायत्री चुम्बन के मीठे अहसास को महसूस करने लगे..
कुछ देर बाद गौतम चुम्बन तोड़कर गायत्री से - मज़ा आया नानी..
गायत्री - तू तो जादूगर है ग़ुगु.. मैंने आज तक ऐसा कुछ महसूस नहीं किया..
गौतम अपना लंड गायत्री की चुत पर रगढ़ते हुए - असली मज़ाक़ तो आपको चुदाई में आएगा नानी.. आप बोलो तो डाल दू अंदर..
गायत्री - नहीं नहीं ग़ुगु.. तेरा बहुत बड़ा है औऱ मेरी चुत बहुत छोटी.. मैं झेल नहीं पाउंगी बेटा..
गौतम - मैं धीरे धीरे डालूंगा नानी.. सब आपकी मर्ज़ी से होगा.. आपको पसंद नहीं आये तो मैं कुछ नहीं करूँगा..
गायत्री - ठीक है बेटा.. पर बहुत ध्यान से मेरी चुत बिलकुल सिकुड़ चुकी है..
गौतम - ठीक है नानी..
गौतम अपने लंड पर थोड़ा सा थूक लगाकर गायत्री की चुत में उठेल देता है औऱ हल्का सा दबाब बनाता जिससे उसके लंड का टोपा गायत्री की चुत में घुस जाता है औऱ गायत्री की चिंख निकल जाती है औऱ वो जल बिन मछली जैसे तड़पने लगती है.. गौतम लंड का टोपा वापस बाहर निकाल लेता है औऱ गायत्री से कहता है..
गौतम - नानी सॉरी.. आप ठीक हो ना..
गायत्री - हाय मेरी माँ.. ग़ुगु मैं नहीं झेल पाउंगी बेटा.. माफ़ कर मुझे..
गौतम - कोई बात नहीं नानी.. मेरी गलती है आपके साथ ज़िद कर बैठा..
गायत्री उठकर अपने कपडे सही करते हुए - चाय ठंडी हो गई ग़ुगु.. मैं अभी दूसरी बना लाती हूँ..
गौतम पूरी बेशर्मी से गायत्री को देखकर अपना नंगा लोडा मसलते हुए - रहने दो नानी.. वैसे भी मेरा चाय पिने का नहीं सुट्टा फुकने का है..
गायत्री मुस्कुराते हुए गौतम को देखकर - तेरा मन नहीं भरा ना बेशर्म..
गौतम बेड से उठकर अपने सामान से भरे बेग की तरफ जाता है औऱ उसमे से सिगरेट का पैकेट औऱ लाइटर निकालकर एक सिगरेट जलाते हुए गायत्री से कहता है..
गौतम - मेरा मन तो तभी भरेगा नानी जब मेरे इस लंड से आपकी चुत पिटेगी..
गायत्री मुस्कुराते हुए गौतम के नज़दीक आकर - ग़ुगु मैं अगर तेरी ये इच्छा पूरी कर पाती तो मुझे बहुत ख़ुशी होती.. पर तू समझ ना..
गौतम सिगरेट का कश लेकर धुआँ गायत्री के मुंह पर छोड़ते हुए - आज नहीं तो कल मेरी इच्छा पूरी जरूर हो जायगी नानी.. आप उदास मत हो.. बस अब आप चुत में गाजर मूली डालना शुरू कर दो.. थोड़ा बड़ा हो जाएगा आपका छेद तो मेरे लंड को घुसने में आसानी होगी..
ये कहते हुए गौतम गायत्री के कंधे पर हाथ रखकर उसे नीचे बैठा लेता है औऱ उसके मुंह में अपना लंड वापस डाल देता है औऱ गायत्री के बाल पकड़ कर सिगरेट के कश लेटे हुए उसे लोडा फिर से चूसाने लगता है..
गौतम अपनी नानी गायत्री को अपने सामने घुटनो पर बैठाकर सिगरेट के कश मारते हुए अपना लंड चुसवा ही रहा था की उसका फ़ोन बजने लगा..
गौतम फ़ोन उठाकर - हेलो माँ...
सुमन - क्या कर रहा है ग़ुगु..
गौतम - कुछ नहीं माँ नानी के साथ थोड़ी सी मस्ती कर रहा था..
सुमन - अपनी नानी को परेशान तो नहीं कर रहा ना ग़ुगु तू?
गौतम - परेशान क्यों करूँगा माँ.. नानी तो अपने आप से ही मेरी हर बात मान लेती है..
सुमन - क्या कर रही है नानी..
गौतम - कुल्फी चूस रही है माँ...
सुमन - कुल्फी?
गौतम - हाँ माँ.. बाहर कुल्फी वाला आया था तो मैंने लेकर नानी को दे दी वो मेरे सामने चूस रही है बैठके...
सुमन - बेटा नानी को ज्यादा कुल्फी मत चूसाना वरना उनको ठंड लग जायेगी..
गौतम - उसकी चिंता आप मत करो ना.. मैं हूँ ना..
सुमन - अच्छा तुझे पिंक ज्यादा पसंद है या येल्लो?
गौतम - पहले बताओ क्यों पूछ रही हो? कुछ खरीद रही हो ना मेरे लिए?
सुमन - क्यों शादी में मेरा ग़ुगु जीन्स शर्ट ही पहनेगा क्या? एक सूट पसंद आया है.. जल्दी से कलर बता कोनसा लूँ?
गौतम सिगरेट का कश लेकर गायत्री के मुंह में लोडा आगे पीछे करते हुए - रहने दो माँ क्यों किसी औऱ का अहसान ले रही हो..
सुमन - अरे अहसान की क्या बात है इसमें? मैं अपने पैसो से ले रही हूँ.. तू बस कलर बता औऱ ज्यादा बात मत कर..
गौतम - ब्लैक.. पर साइज कैसे पता चलेगा आपको, सही है या नहीं?
सुमन - रोज़ अपनी छाती से लगा के सोती हूँ तुझे.. तेरी ऊपर से नीचे तक की नाप मुझे मुंह जबानी याद है..
गौतम सिगरेट का आखिरी कश लेकर - अपने लिए क्या ले रही हो?
सुमन - मेरे लिए क्या? मेरे पास तो पहले से इतना कुछ है..
गौतम - अगर अपने लिए कुछ नहीं ले रही हो तो मेरे लिए भी मत लेना.. मैं नहीं पहनूंगा समझी?
सुमन - अच्छा ठीक है मेरे शहजादे.. ले लुंगी अपने लिए भी कुछ..
गौतम - कुछ नहीं.. कुछ अच्छा लेना.. वरना मुझे जानती हो आप..
सुमन हस्ते हुए - अच्छा मेरे छोटे से ग़ुगु ज़ी.. ले लुंगी कुछ अच्छा सा.. तेरे लिए भी औऱ मेरे लिए भी..
गौतम - ठीक है आई लव यू माँ..
सुमन - लव यू मेरा बच्चा..
फ़ोन कट हो जाता है औऱ फिर गौतम दोनों हाथों से गायत्री के सफ़ेद बाल पकड़ कर उसके मुंह में लोडा जोर जोर से आगे पीछे करने लगता है जिससे थोड़ी देर बाद गायत्री के मुंह में गौतम झड़कर हल्का हो जाता है औऱ इस बार भी गायत्री बिना झिझक सारा वीर्य पी कर खड़ी हो जाती है..
गौतम - मज़ा आ गया नानी.. मुंह के साथ अलगी बात चुत भी चाहिए आपकी..
सुमन दोनों कार पार्क करके नीचे उतर जाते है जहा गेट पर ही उनको संजय की पत्नी कोमल खड़ी दिखाई दे जाती है जो किसी डिलेवरी बॉय से कुछ ले रही होती है सुमन कोमल के पास चली आती है औऱ गौतम गाडी में सामान उतारने लगता है.
कोमल (44) सुमन को देखते ही - अरे सुमन.. तुम अब आ रही हो.. अब भी आने की क्या जरुरत थी? सीधा शादी में ही आ जाती.. कितने फ़ोन करवाए तुम्हारे भईया से, मगर तुम तो जैसे यहां ना आने की कसम खाकर बैठी हो..
सुमन - नहीं भाभी.. घर में काम ही इतना रहता है की कहीं आने जाने की फुर्सत ही नहीं रहती..
कोमल - अरे उस छोटे से पुलिस क्वाटर में कितना काम होता होगा सुमन.. तुम तो बहाने बनाने लगी हो..
सुमन - भाभी ग़ुगु का कॉलेज भी तो था.. औऱ अभी तो एक हफ्ता बच्चा है ना ऋतू की शादी को.. सब काम आराम से हो जाएगा..
कोमल - ग़ुगु आया है तेरे साथ?
सुमन - हाँ वो सामान उतार रहा है..
गौतम हाथ मे अपना औऱ सुमन का बेग लेकर कोमल औऱ सुमन के पास आ जाता है जहा कोमल देखते ही गौतम को अपनी छाती से लगा लेती है औऱ कहती है..
कोमल - ग़ुगु.. कितना बड़ा हो गया है तू.. कब से नहीं देखा तुझे.. बिलकुल चाँद सी शकल हो गई है तेरी.. सुमन क्या खिलाती हो इसे..
गौतम चुपचाप खड़ा रहता है औऱ कुछ देर बाद बोलता है..
गौतम - बॉक्स में क्या है?
कोमल - ये? ये तो मैंने शूज मांगवाए है जॉगिंग के लिए.. वो पुराने वाले एक महीने पुराने हो गए थे ना इसलिए.. (सुमन को देखकर) सिर्फ 15 हज़ार के है..
सुमन - भाभी माँ कहा है..
कोमल - अरे मैं भी ना.. आओ अंदर आओ.. ग़ुगु बेग यही रख दो.. नौकर ले आएगा.. (नौकर को आवाज लगाकर) अब्दुल.. सामान ऊपर पीछे वाले रूम रख दे.. आओ सुमन..
सुमन औऱ गौतम गायत्री से मिलते है औऱ फिर सुमन बाकी लोगों से मिलने लगती है लेकिन गौतम नौकर से कमरा पूछकर कमरे में आ जाता है..
गौतम - दूसरा बेग कहा है?
अब्दुल - भईया वो मैडम के कहने पर बगल वाले रूम में रख दिया है..
गौतम - ठीक है..
अब्दुल - कुछ लाना है?
गौतम - नहीं तुम जाओ..
गौतम रूम देखकर मन में - बहनचोद मामा ने घर नहीं महल बनवाया है.. बिस्तर तो साला ऐसा है दसवी मंज़िल से भी गिरो तो बचा लेगा..
गौतम ये सब सोच ही रहा था कि पीछे से गौतम को गौतम के मामा संजय औऱ मामी कोमल की बेटी ऋतू (24) ने ग़ुगु को आवाज दी..
ऋतू - ग़ुगु..
गौतम ने पीछे मुड़कर ऋतू को देखा औऱ चुपचाप खड़ा रहा.. उसने ऋतू से हेलो हाय करने की कोई कोशिश नहीं की, ऋतू ने कुछ देर ठहर कर आगे बात शुरू की..
ऋतू - अब तक नाराज़ है?
गौतम - मैं क्यों नाराज़ होने लगा?
ऋतू - तो फिर मुझे देखकर इतना रुखा रिएक्शन क्यों दिया? ना हाथ मिलाया ना गले लगा..
गौतम - मेरे जैसे चोर के गले लगने या हाथ मिलाने का शोक आपको कबसे होने लगा?
ऋतू - तू अब भी नाराज़ है ना.. 6 साल हो गए.. अब तक उस बात को नहीं भुला.. मुझसे गलती हो गई थी ग़ुगु.. मुझे तेरा झूठा चोरी ना नाम नहीं लगाना चाहिए था.. माफ़ नहीं करेगा..
गौतम - मैं कौन होता हूँ माफ़ करने वाला आपको.. वैसे बहुत बड़ा घर बनवाया है आप लोगों ने.. इसके एक कमरे की जगह में तो हमारा आधे से ज्यादा घर आ जाएगा..
ऋतू - मैं भाभी के साथ बाहर जा रही हूँ तू चल मेरे साथ.. तूझे शहर घूमाती हूँ..
गौतम - मुझे कहीं नहीं जाना..
ऋतू के पीछे उसकी भाभी औऱ संजय कोमल के बेटे चेतन की बीवी आरती (26) कमरे के अंदर आती हुई - ऋतू चल ना आने में देर हो जायेगी.. तुझे वैसे भी शॉपिंग में बहुत समय लगता है.. (गौतम को देखते हुए) ये सुमन बुआ का बेटा गौतम है ना..
ऋतू उदासी से - हम्म..
आरती गौतम के नजदीक आते हुए - हाय.. कितना सुन्दर चेहरा है.. पहली बार देख रही हूँ.. मेरी औऱ चेतन की शादी में क्यों नहीं आये तुम?
गौतम - मन नहीं था आने का..
आरती - इतने रूखेपन से क्यों बात कर रहे हो.. मैं कोई पराइ तो नहीं हूँ..
ऋतू - भाभी छोडो ना.. ग़ुगु सफर से आया है, थक गया होगा..
आरती - ठीक है.. ग़ुगु तू भी चल.. शादी की शॉपिंग करनी है.. तुझे जो खरीदना हो मैं दिलवा दूंगी..
गौतम - मेरे पास मेरी जरुरत का हर सामान है.. मुझपर अहसान करने की जरुरत नहीं..
आरती को गौतम का बर्ताव समझ नहीं आता कि क्यों गौतम उससे इस तरह रूखेपन औऱ परायेपन से बात कर रहा है मगर ऋतू को सब पता औऱ वो चाहती थी कि आरती गौतम से ज्यादा बात ना करें औऱ वहा से चली जाए..
ऋतू - भाभी चलो ना.. फिर आप ही बोलोगी कितनी देर लगा दी...
आरती का खिला हुआ चेहरा गौतम से बात करके थोड़ा उतर चूका था.. उसे लगा था वो गौतम के साथ हंसी मज़ाक़ औऱ हंसी ठिठोली कर सकती है औऱ देवर भाभी वाला एक मजबूत रिश्ता कायम कर सकती है मगर गौतम ने उसे अपनी दो चार बातों से ही इतनी दूर कर दिया था कि आरती वापस गौतम से बात करने में हिचक महसूस हो रही थी.. आरती ऋतू के कहने पर गौतम को अकेला छोड़कर ऋतू के साथ कमरे से बाहर आ गई औऱ अपनी सास कोमल औऱ सुमन के साथ ऋतू को शॉपिंग करवाने कार लेकर निकल पड़ी..
गौतम थोड़ी देर आराम करने के बाद अपने कमरे से निकल कर नीचे आ गया औऱ अपनी नानी गायत्री के कमरे में आ गया जहा गायत्री टीवी पर किसी सीरियल को देखते हुए उसमें ध्यान लगाए बैठी थी..
गौतम अपनी नानी के करीब आकर उसकी गोद में अपना सर रखकर लेट गया जिससे गायत्री का ध्यान टीवी से टूट गया औऱ वो गौतम के सर को सहलाती हुई गौतम को लाड प्यार करने लगी..
गायत्री - कम से कम अपनी नानी से तो मिलने आ सकता था ना ग़ुगु..
गौतम - आ गया ना नानी...
गायत्री - हाँ पुरे छः साल बाद.. एक दो साल औऱ देर करता तो नानी भगवान को प्यारी हो जाती..
गौतम - कैसी बातें कर रही हो नानी.. आप तो अभी भी जवान हो.. अभी से कहा भगवान् को याद कर रही हो..
गायत्री हसते हुए - 62 बरस की हो गई बेटा..
गौतम प्यार से गायत्री के गाल चूमकर - नानी दिखने में तो आज भी आप 22 साल से एक साल ज्यादा की नहीं लगती.. ऐसे लगता है मामी आपकी बहु नहीं सास है औऱ आप मामी की सास नहीं बहु हो..
गायत्री हस्ते हुए - तू इतनी बातें करना कब से सिख गया ग़ुगु? पहले तो बहुत चुपचाप औऱ अपने आप में रहता था अब देखो.. लग ही नहीं रहा तू मेरा पहले वाला ग़ुगु है..
गौतम - समय के साथ तो सबको बदलना पड़ता है ना नानी.. वैसे आप चाहो तो मैं फिर से वही आपका ग़ुगु बन सकता हूँ..
गायत्री - कोई जरुरत नहीं है बेटा.. सच कहु तो तू ऐसे ही हँसता खेलता ज्यादा अच्छा लगता है..
गौतम - नानी आप नहीं गई शॉपिंग पर?
गायत्री - तू तो जानता है तेरी मामी को, उसके साथ शॉपिंग पर जाने का मेरा बिलकुल मन नहीं था..
गौतम - क्यों?
गायत्री - तू तो जानता है उसका स्वाभाव केसा है.. अपनी अमीरी झाड़ने का कोई मौका नहीं छोड़ती.. ऐसा लगता है हर चीज की कीमत बताने की नौकरी करती हो..
गौतम - तो क्या हुआ? उनके पास पैसे है तो वो अपने पैसो का रोब झाड़ती है.. आप भी ये सब कर सकती हो..
गायत्री - मुझे तो इन सब दिखावे औऱ ढकोसले से दूर रहने दे बेटा.. मैं तो जैसी हूँ ठीक हूँ.. मुझे तो सुमन के लिए बुरा लगता है कोमल कहीं अपनी अमीरी दिखाने के चक्कर उसका दिल ना दुखा दे.. चल छोड़ इन बातों को ये बता.. इतना खूबसूरत औऱ जवाँ हो गया है तू.. कितनी गर्लफ्रेंड बनाई तूने?
गौतम - क्या फ़ायदा नानी इस शकल.. एक भी नहीं बनी..
गायत्री - हट झूठा... सच सच बता किसी को नहीं बताऊंगी..
गौतम - सच में नानी.. मुझे कोई लड़की पटती ही नहीं है.. पता नहीं क्या कमी है मुझमे..
गायत्री - कमी.. कमी तो है ही नहीं मेरे ग़ुगु में.. सब खूबी ही खूबी है.. तू बोल मैं बनवा देती हूँ तेरी गर्लफ्रेंड..
गौतम गायत्री के गले में हाथ डालकर - नानी आप ही बन जाओ ना मेरी गर्लफ्रेंड..
गायत्री प्यार से गौतम के गाल चूमकर - तू तो बहुत चालक हो गया है.. मुझे ही फंसाने के चक्कर में है..
गौतम गायत्री के गले में हाथ डालकर - नानी अब आप हो ही इतनी ब्यूटीफुल.. मैं क्या करू?
गायत्री हसते हुए गौतम का हाथ पकड़ कर चूमते हुए - लगता है अभी से लड़की ढूंढ़नी पड़ेगी तेरे लिए..
गौतम गायत्री को अपनी तरफ खींचकर गले लगाते हुए - ढूंढने की क्या जरुरत है नानी.. आप हो ना..
औऱ फिर से गायत्री के गाल पर चुम्बन कर देता है..
गायत्री को विधवा हुए 15 साल से ऊपर का समय बीत चूका था औऱ उसके बाद से उसे कभी किसी पुरुष का स्पर्श नहीं मिला था आज गौतम ने जैसे गायत्री से बात की थी औऱ उसे छुआ था उससे गायत्री
के मन में हलचल होने लगी थी औऱ उसके अंदर सालों से छुपी हुई औरत का वापस उदय होने लगा था गायत्री के साथ जिस तरह से मीठी बातें गौतम कर रहा था उससे गायत्री को अजीब सुख मिलने लगा था औऱ वो चाहने लगी थी गौतम उससे इसी तरह औऱ बातें करें..
गायत्री प्यार से - चल पीछे हट.. बदमाश कहीं का.. कुछ भी बोलता है.. बहुत बेशर्म हो गया है तू..
गौतम गायत्री को अपनी बाहों में औऱ कस लेता है - मैं तो आगे बढ़ना चाहता हूँ नानी, आप तो पीछे हटाने लगी..
गायत्री हसते हुए - न जाने तुझे मुझ बुढ़िया मैं क्या नज़र आ गया.. चल अब छोड़ मुझे कोई देख लेगा तो बात बनायेगा..
गौतम गायत्री को बिस्तर पर धकेल देता है औऱ उसके साथ खुद भी गिर जाता है औऱ कहता है - सब तो शॉपिंग गए है नानी.. हम कुछ भी करें.. हमें देखने वाला यहाँ बचा ही कौन है?
गायत्री - छी.. कैसी गन्दी बात कर रहा है तू.. छोड़ मुझे..
गौतम ने आगे कुछ भी ना बोलकर गायत्री के होंठों को अपने होंठों में भर लिया औऱ चूमने लगा.. गायत्री हैरान होकर बेसुध लेटी रही औऱ गौतम गायत्री को चूमता रहा साथ ही उसने अपना रखा हाथ गायत्री के साडी के अंदर डाल कर उसकी चुत को अपने हाथों के पंजे से पकड़ लिया औऱ मसलते हुए गायत्री की चुत में उंगलियां करने लगा जिससे गायत्री की काम इच्छा सुलग उठी.. औऱ वो भी धीरे धीरे गौतम के चुम्बन का प्रतिउतर चूमकर देने लगी..
गौतम ने पहले ही अपनी कलाई का धागा लाल होते देखकर गायत्री को अपने जाल में ले लिया था औऱ उसे भोगने की नियत से अपने आप को गायत्री के अनुरूप ढालते हुए उसके बदन को छेड़ने औऱ उससे खेलने लगा..
गायत्री की 62 साल पुरानी चुत गौतम के हाथ लगने पर 62 सेकंड में ही सुलगने लगी औऱ उसमे भारी गर्मी गौतम को अपने हाथ पर महसूस होने लगी.. गौतम ने कुछ मिनट में ही गायत्री चुत से नदी बहा दी जिससे गायत्री गौतम से लिपटकर गौतम को चूमने औऱ चाटने लगी उसे मालूम नहीं रहा की वो अपनी बेटी के बेटे के साथ ऐसा कर रही थी..
गौतम ने गायत्री के हाथ में अपना लंड रख दिया औऱ अपने हाथ से गायत्री का हाथ पकड़कर गायत्री के हाथ से अपना लंड हिलवाने लगा.. गायत्री के हाथ में जैसे ही गौतम का लंड आया वो चूमना छोड़कर एक नज़र गौतम के लंड पर डालकर उसे देखने लगी लेकिन अगले ही पल गौतम ने गायत्री के बाल पकड़ कर वापस अपने होंठों से उसे लगा लिया.. गायत्री को चूमकर उसने गायत्री को बेड पर बैठा दिया औऱ खुद फर्श पर खड़ा हो गया..
गायत्री कुछ समझ पाती इससे पहले ही गौतम ने उसके पककर सफ़ेद हो चुके बाल पकड़ कर उसके मुंह में अपने लंड का प्रवेश करवा दिया औऱ अपनी नानी गायत्री को अपना लोडा चूसाने लगा..
गायत्री के मन में उथल पुथल मची हुई थी औऱ उसके चेहरे पर रोमांच, डर, कामुकता, बेबसी, बेसब्री औऱ रिश्तो के मेले होने का दुख एक साथ झलक रहा था..
गायत्री ने गौतम के लंड को मुंह से नहीं निकाला औऱ धीरे धोरे चूसने लगी. गौतम ने भी कोई जल्दी नहीं की औऱ गायत्री को आराम आराम से लोडा चूसाने का सुख भोगने लगा..
गायत्री औऱ गौतम के बीच ये सब चल ही रहा था की उन दोनों को ऊपर से किसी के नीचे आने की आहट सुनाई दी.. औऱ गायत्री ने फ़ौरन गौतम का लंड अपने मुंह से बाहर निकाल दिया औऱ अपनेआप को ठीक करने लगी गौतम ने भी परिस्थिति समझते हुए अपना लंड पेंट में डाल लिया औऱ कमरे से बाहर आ गया जहा उसे घर का नोकर अब्दुल दिखाई दिया जो सीधा गायत्री के कमरे की तरफ चला गया औऱ उससे बोला..
अब्दुल - चाय बना दू बड़ी मालकिन...
गायत्री - नहीं.. तू रहने.. आज मैं खुद चाय बना लुंगी..
गायत्री ये कहते हुए बेड से उठ जाती है औऱ रसोई की तरफ चली जाती है..
गायत्री की मनोदशा को बयाँ करना मुश्किल था उसे अभी अभी जो सुख गौतम ने दिया था गायत्री उसे वो भूल ही चुकी थी.. सालों से बंजर होकर पड़ी जमीन पर अकाल के बाद जैसे बारिश के पानी से पौधे खिल उठते है उसी तरह सालों से गायत्री की वीरान औऱ अकेली जिंदगी में भी आज गौतम के कारण मादकता औऱ कामुकता ने अपने बीज को बोकर पौधे में बदल दिया था..
गायत्री का एक मन उसे कोस रहा था औऱ ये समझा रहा था की वो अपने नाती के साथ कैसे इस तरह की जलील हरकत कर सकती है औऱ उसके साथ जिस्मानी सम्भन्ध बनाने का प्रयास कर सकती है.. गायत्री चाय बनाते हुए अपनेआप को बुरा भला कहे जा रही थी.. मगर गायत्री का दूसरा मन चोरी छिपे गायत्री को बहका रहा था औऱ अब्दुल को गालिया देते हुए कोस रहा था कि क्यों वो बीच में आ गया.. क्या उसे आने में देर नहीं हो सकती थी? गायत्री की काम इच्छा ने तो उसके मन में दूसरा जन्म ले लिया था औऱ उसके दिमाग में चल रही बातों ने पहले मन को हरा दिया था.. गायत्री अब गौतम के करीब जाना चाहती थी औऱ सालों से सुखी पड़ी जिंदगी को थोड़ा काम के रस से गिला कर लेना चाहती थी..
गायत्री की चाय उसकी बची हुई जवानी के साथ उबाल मार चुकी थी औऱ उसने फैसला कर लिया था.. गायत्री ने चाई एक कप में छन्नी की औऱ कप लेकर गौतम के कमरे की तरह आने लगी..
दरवाजे पर पहुंचकर एक बार गायत्री रुकी जैसे कुछ सोच रही हो फिर गायत्री आगे बढकर दरवाजे के अंदर आ गई जहा गौतम बेड पर ऐसे बैठा हुए था जैसे गायत्री का ही इंतजार कर रहा हो.. आगे कुछ पहल करने की हिम्मत गायत्री में नहीं थी इसलिए उसने चाय को बेड की साइड टेबल पर रख दिया औऱ एक नज़र गौतम से मिलाकर वापस नज़र चुराते हुए उसे चाय पिने का बोलकर वापस जाने लगी..
गायत्री ने मुश्किल से दो कदम बढ़ाये होंगे की गौतम ने बेड से उठकर गायत्री की तरफ बढ़ते हुए अपना सीधा हाथ गायत्री की कमर में डालकर उसे अपने गले से लगा लिया औऱ दूसरे हाथ से दरवाजे को कुंदी मारकर गायत्री के साथ बिस्तर में कूद गया औऱ फिर से गायत्री औऱ गौतम का चुम्बन शुरू हो गया..
इस बार गायत्री अपने पुरे मन के साथ गौतम को ऐसे चुम रही थी जैसे गौतम उसका नाती नहीं पति हो..
गौतम ने थोड़ी देर चूमने के बाद वापस गायत्री की ड्यूटी अपने लंड पर लगा दी औऱ उसे बिस्तर पर झुकाते हुए अपना लंड चूसाने लगा..
गौतम - आहहह... नानी.. दाँत मत लगाओ यार.. आहहह... बहनचोद क्या मस्त मज़े देती हो नानी अभी भी.. (गायत्री के चुचे दबाते हुए) उफ्फ्फ नानी कितनी बड़ी औऱ मस्त है आपकी चूचियाँ.. ढीली पड़ने के बाद भी कहर ढा रही है..
गायत्री गौतम की बातें सुनती हुई उसके लोडा चूसे जा रही थी औऱ गौतम की वासना अपने चरम पर आने लगी थी वो लोडा चुस्ती गायत्री को देखकर बहकने लग गया था औऱ जल्दी ही झड़ने की कगार पर भी आ पंहुचा था..
गौतम - नानी.. आने वाला है चुसो जोर से थोड़ा.. आहहह... ऐसे ही नानी... हाय... आहहह...
गौतम गायत्री के मुंह में झड़ जाता है औऱ गायत्री बिना संकोच किये उसका वीर्यपान कर लेती है फिर गौतम का लंड साफ करके जाने लगती है मगर गौतम गायत्री को वापस बिस्तर पर गिरा देता है औऱ गायत्री की चुत के दर्शन करने के इरादे से उसकी साडी पकड़ के ऊपर कमर तक उठा देता है.. वो देखता है की गायत्री ने चड्डी नहीं पहनी थी.. औऱ उसके बालों से भरी चुत साफ सामने थी जो अब हलकी काली पड़ गई थी.. गौतम ने बिना किसी झिझक के गायत्री की चुत को अपने मुंह में भर लिया औऱ चूसने औऱ चाटने लगा.. जिस तरह से गौतम गायत्री की चाट रह था गायत्री को परम सुख की प्राप्ति होने लगी थी..
गायत्री गौतम के बाल पकड़ के जोर जोर उसे अपनी चुत चटवा रही थी औऱ अब उसने भी शर्म की चादर हटाते हुए बात करना शुरू कर दिया था..
गायत्री - चाट ग़ुगु.. जोर से चाट अपनी नानी की चुत को.. 16 साल हो गए किसी ने मेरी इस चुत की चिंता नहीं की.. तू ही पहला है ग़ुगु.. चाट बेटा.. आहहह... उम्म्म्म.. अह्ह्ह्ह..
गौतम गायत्री की बात सुनकर मन ही मन मुस्काता हुआ उसकी चुत को अपने मुंह से ठंडी करने लगा.. गायत्री तो जैसे हक़ीक़त औऱ ख़्वाब के बीच कहीं आँख बंद किये प्रकृति से मिले इस अदभुद सुख को भोग रही थी..
गौतम ने गायत्री की गांड में उंगलि करते हुए चुत को चाटना जारी रखा औऱ अपनी जीभ उसकी चुत में डाल उसे चाटने लगा.. गौतम चाहता था की वो गायत्री को शर्म लिहाज़ औऱ रिश्तो के बंधन से बाहर ले आये जिसमे वो सफल भी हो चूका था..
गायत्री अब वापस झड़ने वाली थी औऱ इस बार उसने बिना किसी झिझक के गौतम के मुंह में अपना पानी निकाल दिया औऱ उसके बालों को जोर से खींच कर गौतम को अपने ऊपर लेटा लिया औऱ फिर से गौतम औऱ गायत्री चुम्बन के मीठे अहसास को महसूस करने लगे..
कुछ देर बाद गौतम चुम्बन तोड़कर गायत्री से - मज़ा आया नानी..
गायत्री - तू तो जादूगर है ग़ुगु.. मैंने आज तक ऐसा कुछ महसूस नहीं किया..
गौतम अपना लंड गायत्री की चुत पर रगढ़ते हुए - असली मज़ाक़ तो आपको चुदाई में आएगा नानी.. आप बोलो तो डाल दू अंदर..
गायत्री - नहीं नहीं ग़ुगु.. तेरा बहुत बड़ा है औऱ मेरी चुत बहुत छोटी.. मैं झेल नहीं पाउंगी बेटा..
गौतम - मैं धीरे धीरे डालूंगा नानी.. सब आपकी मर्ज़ी से होगा.. आपको पसंद नहीं आये तो मैं कुछ नहीं करूँगा..
गायत्री - ठीक है बेटा.. पर बहुत ध्यान से मेरी चुत बिलकुल सिकुड़ चुकी है..
गौतम - ठीक है नानी..
गौतम अपने लंड पर थोड़ा सा थूक लगाकर गायत्री की चुत में उठेल देता है औऱ हल्का सा दबाब बनाता जिससे उसके लंड का टोपा गायत्री की चुत में घुस जाता है औऱ गायत्री की चिंख निकल जाती है औऱ वो जल बिन मछली जैसे तड़पने लगती है.. गौतम लंड का टोपा वापस बाहर निकाल लेता है औऱ गायत्री से कहता है..
गौतम - नानी सॉरी.. आप ठीक हो ना..
गायत्री - हाय मेरी माँ.. ग़ुगु मैं नहीं झेल पाउंगी बेटा.. माफ़ कर मुझे..
गौतम - कोई बात नहीं नानी.. मेरी गलती है आपके साथ ज़िद कर बैठा..
गायत्री उठकर अपने कपडे सही करते हुए - चाय ठंडी हो गई ग़ुगु.. मैं अभी दूसरी बना लाती हूँ..
गौतम पूरी बेशर्मी से गायत्री को देखकर अपना नंगा लोडा मसलते हुए - रहने दो नानी.. वैसे भी मेरा चाय पिने का नहीं सुट्टा फुकने का है..
गायत्री मुस्कुराते हुए गौतम को देखकर - तेरा मन नहीं भरा ना बेशर्म..
गौतम बेड से उठकर अपने सामान से भरे बेग की तरफ जाता है औऱ उसमे से सिगरेट का पैकेट औऱ लाइटर निकालकर एक सिगरेट जलाते हुए गायत्री से कहता है..
गौतम - मेरा मन तो तभी भरेगा नानी जब मेरे इस लंड से आपकी चुत पिटेगी..
गायत्री मुस्कुराते हुए गौतम के नज़दीक आकर - ग़ुगु मैं अगर तेरी ये इच्छा पूरी कर पाती तो मुझे बहुत ख़ुशी होती.. पर तू समझ ना..
गौतम सिगरेट का कश लेकर धुआँ गायत्री के मुंह पर छोड़ते हुए - आज नहीं तो कल मेरी इच्छा पूरी जरूर हो जायगी नानी.. आप उदास मत हो.. बस अब आप चुत में गाजर मूली डालना शुरू कर दो.. थोड़ा बड़ा हो जाएगा आपका छेद तो मेरे लंड को घुसने में आसानी होगी..
ये कहते हुए गौतम गायत्री के कंधे पर हाथ रखकर उसे नीचे बैठा लेता है औऱ उसके मुंह में अपना लंड वापस डाल देता है औऱ गायत्री के बाल पकड़ कर सिगरेट के कश लेटे हुए उसे लोडा फिर से चूसाने लगता है..
गौतम अपनी नानी गायत्री को अपने सामने घुटनो पर बैठाकर सिगरेट के कश मारते हुए अपना लंड चुसवा ही रहा था की उसका फ़ोन बजने लगा..
गौतम फ़ोन उठाकर - हेलो माँ...
सुमन - क्या कर रहा है ग़ुगु..
गौतम - कुछ नहीं माँ नानी के साथ थोड़ी सी मस्ती कर रहा था..
सुमन - अपनी नानी को परेशान तो नहीं कर रहा ना ग़ुगु तू?
गौतम - परेशान क्यों करूँगा माँ.. नानी तो अपने आप से ही मेरी हर बात मान लेती है..
सुमन - क्या कर रही है नानी..
गौतम - कुल्फी चूस रही है माँ...
सुमन - कुल्फी?
गौतम - हाँ माँ.. बाहर कुल्फी वाला आया था तो मैंने लेकर नानी को दे दी वो मेरे सामने चूस रही है बैठके...
सुमन - बेटा नानी को ज्यादा कुल्फी मत चूसाना वरना उनको ठंड लग जायेगी..
गौतम - उसकी चिंता आप मत करो ना.. मैं हूँ ना..
सुमन - अच्छा तुझे पिंक ज्यादा पसंद है या येल्लो?
गौतम - पहले बताओ क्यों पूछ रही हो? कुछ खरीद रही हो ना मेरे लिए?
सुमन - क्यों शादी में मेरा ग़ुगु जीन्स शर्ट ही पहनेगा क्या? एक सूट पसंद आया है.. जल्दी से कलर बता कोनसा लूँ?
गौतम सिगरेट का कश लेकर गायत्री के मुंह में लोडा आगे पीछे करते हुए - रहने दो माँ क्यों किसी औऱ का अहसान ले रही हो..
सुमन - अरे अहसान की क्या बात है इसमें? मैं अपने पैसो से ले रही हूँ.. तू बस कलर बता औऱ ज्यादा बात मत कर..
गौतम - ब्लैक.. पर साइज कैसे पता चलेगा आपको, सही है या नहीं?
सुमन - रोज़ अपनी छाती से लगा के सोती हूँ तुझे.. तेरी ऊपर से नीचे तक की नाप मुझे मुंह जबानी याद है..
गौतम सिगरेट का आखिरी कश लेकर - अपने लिए क्या ले रही हो?
सुमन - मेरे लिए क्या? मेरे पास तो पहले से इतना कुछ है..
गौतम - अगर अपने लिए कुछ नहीं ले रही हो तो मेरे लिए भी मत लेना.. मैं नहीं पहनूंगा समझी?
सुमन - अच्छा ठीक है मेरे शहजादे.. ले लुंगी अपने लिए भी कुछ..
गौतम - कुछ नहीं.. कुछ अच्छा लेना.. वरना मुझे जानती हो आप..
सुमन हस्ते हुए - अच्छा मेरे छोटे से ग़ुगु ज़ी.. ले लुंगी कुछ अच्छा सा.. तेरे लिए भी औऱ मेरे लिए भी..
गौतम - ठीक है आई लव यू माँ..
सुमन - लव यू मेरा बच्चा..
फ़ोन कट हो जाता है औऱ फिर गौतम दोनों हाथों से गायत्री के सफ़ेद बाल पकड़ कर उसके मुंह में लोडा जोर जोर से आगे पीछे करने लगता है जिससे थोड़ी देर बाद गायत्री के मुंह में गौतम झड़कर हल्का हो जाता है औऱ इस बार भी गायत्री बिना झिझक सारा वीर्य पी कर खड़ी हो जाती है..
गौतम - मज़ा आ गया नानी.. मुंह के साथ अलगी बात चुत भी चाहिए आपकी..
गायत्री मुस्कुराते हुए गौतम की बात सुनकर उसके कमरे से बाहर चली जाती है औऱ गौतम बेड पर लेटते ही गहरी नींद में सो जाता है...