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Danny69

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Update 7

गौतम ने बाइक उसी बरगद के नीचे लगा दी औऱ सुमन से बोला..

गौतम - चलो माँ.. चढ़ो वापस सीढ़िया..

सुमन - चलो.. चढ़नी तो मेरे ग़ुगु को भी पड़ेगी..

गौतम ने जैसे ही पहला कदम बढ़ाया उसके बगल से होते हुए करीम का रिक्शा आगे जाकर एक किनारे रुक गया जिसे गौतम ने पहचान लिया था.. रिक्शे से रूपा उतरकर एक नज़र गौतम पर डालती है औऱ फिर उसका हाथ पकडे खड़ी सुमन को देखती है..

रूपा को पहली बार किसी औरत से जलन हो रही थी मगर वो कुछ नहीं कर सकती थी.. रूपा के मन में जलन से ज्यादा इर्षा भरी हुई थी वो बनना चाहती थी उसके सामने था..

गौतम ने रूपा को देखकर भी अनदेखा कर दिया औऱ सुमन का हाथ थामे सीढ़ियों की औऱ बढ़ने लगा तभी रूपा सुमन से बोली..

रूपा - दीदी सुनिए..

सुमन रुककर - ज़ी.. बोलिये..

रूपा - वो आपका पर्स बाइक पर ही रखा हुआ है..

सुमन - अरे मैं भी कितनी भुल्लककड़ हो गई हूँ. जा ग़ुगु पर्स ले आ. आपका शुक्रिया बताने के लिए..

रूपा - शुक्रिया केसा दीदी.. छोटी सी तो बात है.. ये आपका बेटा है..

सुमन - हाँ.. ये मेरा ग़ुगु है..

रूपा - बहुत खूबसूरत है.. बिलकुल आपकी तरह.

सुमन - ज़ी शुक्रिया.. आप भी बाबाजी के पास आई है?

रूपा - हाँ वो कुछ मन्नत थी सोचा शायद यहां आकर पूरी हो जाए..

सुमन - चलिए चलते हुए बात करते है.

रूपा - ज़ी चलिए.. मेरा नाम रूपा है..

सुमन - ज़ी मेरा नाम सुमन..

रूपा - बड़ा ही प्यारा नाम है आपका.. सचमुच में आप सुमन जैसी खिली हुई खुश्बू से भरी हुई हो..

सुमन मुस्कुराते हुए - नाम तो आपका भी आप पर बहुत जचता है.. जैसा रूप वैसा नाम..

रूपा - आप इसी शहर में रहती है?

सुमन - हाँ.. ग़ुगु के पापा पुलिस में तो पुलिस क्वाटर में ही रहते है.. और आप?

रूपा - ज़ी वो मेरा तलाक़ हो चूका है.. कोई बच्चा तो है नहीं, इसलिए अकेली ही शहर के बीच एक फ्लेट में रहती हूँ..

सुमन - तलाक़ क्यों?

रूपा - अब मर्द जात क्या भरोसा दीदी, कोई और मिल गई तो छोड़ गए. मैंने भी नहीं रोका और तलाक़ ले लिया..

सुमन हमदर्दी से - बहुत गलत हुआ है आपके साथ..

रूपा - छोड़िये दीदी ये सब.. आपने ये साडी कहा से ली? बहुत खूबसूरत है..

सुमन - ये तो मुझे तोहफ़े में मिली थी. मेरी ननद ने दी थी..

रूपा - आप के ऊपर बहुत खिल रही है दीदी..

सुमन - शुक्रिया.. वैसे इस सूट में आप का मुक़बला करना भी बहुत मुश्किल है.. साधारण सूट को भी आपके इस रूप ने ख़ास बना दिया..

रूपा हस्ती हुई - क्या दीदी आप भी मज़ाक़ करती हो..


गौतम रूपा औऱ सुमन के बीच खड़ा था औऱ दोनों की बात सुन रहा था. रूपा अनजान बनने का नाटक बखूबी निभा रही थी औऱ गौतम समझ चूका था की रूपा सुमन से दोस्ती करना चाहती है मगर उसने भी अनजाने बनते हुए दोनों के बीच से किनारा ले लिया औऱ चुपचाप सीढ़िया चढने लगा..


रूपा सुमन से कई बातें उगलवा चुकी थी औऱ बहुत सी सही गलत बातें अपने बारे में भी बता चुकी थी.. सीढ़िया चढ़ते चढ़ते दोनों में अच्छी बनने लगी थी औऱ बाबा के दरवाजे पर पहुंचते पहुंचते दोनों आपसमे बात करते हुए खिल खिलाकर हसने लगी थी..

गौतम हमेशा की तरह बाहर ही रुक गया औऱ रूपा को आज साधारण लिबास में देखने लगा आज रूपा उसे बहुत आकर्षक लग रही थी..


रूपा का मकसद सुमन से दोस्ती करने का था औऱ वो उसी के साथ कतार में बैठ गई.. भीड़ ज्यादा थी मगर दोनों की बातचीत से समय का पता ही नहीं लगा.. सुबह ग्यारह बजे कतार में बैठी सुमन औऱ रूपा की बारी आते आते 2 बज गए थे तब तक दोनों पक्की सहेलियों की तरह बात करने लग गई थी..


सुमन की बारी आई तो वो बाबाजी को प्रणाम करके सामने बैठ गयी..

सुमन - बाबाजी आपने काम बताया था वो मैंने शुरु कर दिया है, बस अब जल्दी से अपना घर बनवा दो..

बाबाजी - बिटिया जो कहा था करते जा औऱ बाबा के सामने हाज़िरी लगाते जा.. सब हो जाएगा.. और याद रख तुझे घर से बढ़कर मिलेगा लेकिन उसके लिए तुझे एक कार्य करना होगा..

सुमन - बताइये बाबाजी..

बाबाजी - वक़्त आने पर तुझे पता चल जाएगा.. अभी उचित समय नहीं है..

सुमन - ज़ी बाबा ज़ी.. कहते हुए सुमन सामने से हट गयी औऱ रूपा बाबाजी के सामने बैठ गई..

बाबाजी - बोल बिटिया क्या चाहिए तुझे?

रूपा - मुझे जो चाहिए मैं कहकर नहीं बता सकती बाबाज़ी आप मेरे मन की बात समझो औऱ कोई उपाय बताओ उसे हासिल करने का..

बाबाजी - तुझे जो चाहिए वो तुझे जरूर मिलेगा लेकिन बटाइ में.. मैं पर्चा लिख देता हूँ तू अगर वैसा कर देगी तो जो तू मांग रही है तुझे जरूर मिल जाएगा..

रूपा - अगर ऐसा है तो बाबाजी.. मैं अपना सबकुछ आपको देने के लिए त्यार हूँ..

बाबाजी - मुझे तो खाने के लिए अन्न चाहिए बिटिया बाकी सब तू अपने पास रख.. ले पढ़कर आग में जला दे बाहर ये पर्चा.. जा..

रूपा ने पर्चा पढ़ा तो उसमें लिखा था की गौतम को अपने बेटे के रूप में हासिल करने के लिए उसे महीने में सिर्फ बार ही उसके साथ सम्भोग करना होगा उससे ज्यादा नही. रूपा ने पर्चा पढ़कर जला दिया..




गौतम हमेशा की तरह वही पेड़ के नीचे जाकर बैठ गया औऱ वापस उसे नज़ारे को देखने लगा जिसे वो बहुत बार देख चूका था.. आज फिरसे उसे नीचे कोई आता हुआ दिखा औऱ वो समझा गया की ये वही पागल है जिसे उसने पिछली बार जामुन तोड़कर दिए थे औऱ जिसे वो आदमी बड़े बाबा कहकर बुला रहा था..


बूढ़ा ऊपर आकर वापस गौतम से पानी माँगने लगा औऱ गौतम ने उसपर तरस खाकर वापस पानी दे दिया, बूढ़े ने उसी तरह कुछ बून्द हथेली में लेकर अपने सर पर दाल दी औऱ पानी पीकर बोतल वापस गौतम के पास रख दी..

बड़े बाबाज़ी - वापस आ गया तू?

गौतम - देख बुड्ढे मैं तेरे साथ बकचोदी करने के मूंड में नहीं हूँ.. तुझे चाहिए तो जामुन तोड़कर ला देता हूँ तू चला जा लेकर वापस नीचे चुपचाप..

बड़े बाबाज़ी - गुस्सा क्यू करता है बेटा.. मैं कुछ देने ही आया था तुझे पिछली बार की तरह..

गौतम - अबे ओ ढोंगी.. क्या लिया था मैंने तुझसे पिछली बार?

बड़े बाबाज़ी- अरे तूने ही तो बोला था ऐसा लिंग चाहिए जिसकी दीवानी हर औरत बन जाए.. भूल गया? वो तवयाफ जो अभी मठ के अंदर तेरी माँ के साथ बैठी है तेरी दीवानी बनी या नहीं.. बता? कहता है तो वापस ले लेता हूँ जो तुझे दिया है..


इस बार बाबाज़ी की बात सुनकर गौतम का सर चकरा गया औऱ वो बड़ी बड़ी आँखों से बाबाजी को देखने लगा, उसे अपने कानो पर यक़ीन नहीं आ रहा था..

बड़े बाबाजी - ऐसे क्या देख रहा है?

गौतम सकपका कर - आप कौन हो और ये सब कैसे जानते हो?

बड़े बाबाजी - मैं वीरेंद्र सिंह हूँ, और तेरे बारे में सब जानता हूँ.. बता कुछ चाहिए तो वरना मैं नीचे जाऊ?

इस गौतम हाथ जोड़कर - मुझे माफ़ कर दो..

बड़े बाबाजी - मैं तो तुझसे नाराज़ ही नहीं हूँ बेटा.. माफ़ क्यू मांगता है.. मुझे तो ये भी पता है वो तवायफ अभी तेरी माँ के साथ अंदर बैठी हुई तुझे होने बेटे के रूम में मांग रही है..

गौतम - मैं अपने किये पर शर्मिंदा हूँ बाबाजी.. आप सच में बहुत अन्तर्यामी हो.. मैं अगर आपके कोई काम आ सकता हूँ तो बता दो मैं जरूर काम आऊंगा..

बड़े बाबाजी - काम तो बहुत बड़ा है और बहुत मुश्किल है क्या तू कर पायेगा?

गौतम - आप कहकर देखिये बाबाजी मैं कुछ भी कर जाऊँगा..

बड़े बाबाजी - अभी तू मेरा काम करने को त्यार नहीं है.. जब होगा तब कह दूंगा.. अब तू अपनी जवानी का सुख भोग.. कुछ चाहिए तो मुझे बता.. मैं दे देता हूँ तुझे..

गौतम - मुझे कुछ नहीं चाहिए बाबाजी..

बड़े बाबाजी - अच्छा ठीक है फिर में चलता हूँ.. जब तू काम करने लायक़ हो जाएगा तब जरूर बताऊंगा..

ले धागा कलाई पर पहन ले जब ये काले से सफ़ेद हो जाए तब यहां आ जाना.. तब बताऊंगा मुझे क्या चाहिए.. औऱ हाँ जिस औरत का भी तेरे साथ सम्भोग करने का मन होगा, उसके सामने आते ही ये धागा लाल रंग का हो जाएगा..

गौतम - ठीक है बाबाजी..


बाबाजी ज़ी ये कहते हुए वापस नीचे चले गए औऱ गौतम उठकर वापस वही आ गया जहा से उसने रूपा औऱ सुमन को छोड़ा था.. उसने देखा कि रूपा सुमन के साथ खड़ी हुई आपस में हाथ पकडे हंसकर बातें कर रही थी..

गौतम - माँ चलना नहीं है?

सुमन - हाँ ग़ुगु.. चलते है, पर तू पहले आंटी का नम्बर फ़ोन में सेव कर ले.. बहुत पटेगी हमारी..

गौतम - ठीक है करता हूँ अब चलो.. आपके लिए एक सरप्राइज भी है..

सुमन - क्या?

गौतम - वो तो घर चलकर पता चलेगा..

रूपा - बुरा ना मानो नीचे साथ में एक एक कप चाय पीकर चले?

सुमन - हाँ हाँ क्यू नहीं..

सीढ़िया उतर कर सब वही पास में बनी एक चाय कि स्टाल पर आ गए.. औऱ चाय पिने लगे..

रूपा - कल आप क्या कर रही है?

सुमन - कुछ नहीं क्यू?

रूपा - तो फिर दीदी घर आइये ना ग़ुगु के साथ.. हम मिलकर खूब सारी बात करेंगे, एक साथ डिनर भी करेंगे और कोई अच्छी सी मूवी भी साथ बैठकर देखेंगे..

सुमन - ठीक है रूपा.. जैसा तुम कहो.. क्यू ग़ुगु.. चलोगे आंटी के घर मेरे साथ?

गौतम - हाँ हाँ क्यू नहीं.. ये भी तो घर की ही है..

सुमन - अच्छा अब इज़ाज़त दीजिये.. घर पर बहुत सा काम पड़ा है..

रूपा - हाँ बिलकुल.. पर याद रहे दीदी संडे को ग़ुगु के साथ घर आना होगा.. मैं कोई बहाना नहीं सुनूंगी..

सुमन - ज़ी पक्का..


गौतम औऱ सुमन रूपा से विदा लेकर घर की तरफ आ गए औऱ रूपा करीम की रिक्शा में बैठके वापस कोठे के लिए निकल पड़ी..

करीम - क्या हुआ बाजी.. पहली बार में ही मिल गया क्या जो चाहिए था?

रूपा - नहीं करीम.. पर लगता है मिल जाएगा.. अच्छा वो शहर वाला फ्लेट कब से बंद है जो कांति सेठ ने मेरे नाम किया था?

करीम - बाजी.. पहले तो किसी को किराए पर दिया था पर 3 साल से कोई औऱ आया नहीं वहा रहने.. तभी से बंद है..

रूपा पैसे देते हुए - अभी वहा की सारी साफ सफाई करवा दे.. मैं कल से अब वही रहूंगी..

करीम - जैसा आप बोले बाजी..

रूपा अपना फ़ोन देखती है तो गौतम का massage आया होता है..

गौतम - सूट में तुम बहुत प्यारी लग थी मम्मी.. अगर साथ में माँ नहीं होती तो इतना प्यार करता की याद रखती..


रूपा मुस्कुराते हुए मैसेज पढ़कर रिक्शा से बाहर देखने लगी.. और एक सिगरेट सुलगा कर गौतम को याद करते हुए मंद मंद मुस्कान अपने चेहरे पर सजा कर गौतम को याद करने लगती है..

Haaaay daaaaya.....
Mast Update tha....
Kas asa Baba ji mujha vi mil jata, to ma vi Gugu jasa bar mang leta yaaaar....

Gugu na to lund sa ek Slut Rupa ka Andar vi Mamta jagha diya....
Humna to kisso kahini ma kisi ladki ya aurat ko apni premi ka liya asa desperate ya premi ka liya mannat mangta dekha ha....
Par pahali bar kisi tabayat ko kisi ki Mummy ban na ka liya asa dekh raha hu.....
Aa to Kahini ko orvi jada majadar kar rahi ha....
Pahala to sirf ek Mummy Suman thi, or aab Or ek Mummy Rupa.....
Haaaay dodo Mummy.....
Bada kismat bala ha Gugu....

Jabardas Update.....

❤❤❤❤❤❤👍👍👍👍👍👍🤤🤤🤤🤤🤤
 

kamdev99008

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आगे पढें, तीसरी मम्मी भी आयेगी
3-3 मम्मी :D
 

Luckyloda

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बहुत ही सुंदर update.....Maa bete k शुरुआती मधुर मिलन का.....



Update 19



तुझमे मज़ा ही नहीं है बहनचोद.. हट.. तेरी शकल देखकर लंड भी खड़ा नहीं होता मेरा.. ये कहते हुए असलम बिस्तर से खड़ा हो जाता है औऱ अपने सामने टांग खोले लेटी रेशमा को दो-चार औऱ गालिया देकर साइड टेबल पर पड़ा शराब का एक पेग एक घूंट में ख़त्म करता है औऱ फिर सिगरेट सुलगा कर कश लेता हुआ कमरे से बाहर चला जाता है औऱ रेशमा चुपचाप बिस्तर पर पड़ी रहती है, असलम के कमरे से बाहर जाने के बाद अपनी सलवार पहनकर बिस्तर पर अपने दोनों पैरों को साथ में जोड़ कर अपना सर अपने घुटनो में रखकर रोने लगती है..

आदिल की बहन रेशमा की शादी कुछ साल पहले असलम से हुई थी असलम औऱ रेशमा की शादीशुदा जिंदगी सही नहीं चल रही थी दोनों में प्यार था ही नहीं.. असलम बहुत शराब औऱ सिगरेट पिने का आदि थी औऱ शादी के वक़्त तक उसका लंड ढीला पड़ चूका था.. शादी के बाद कुछ महीने तो उसने ढीले लंड से ही रेशमा के साथ सम्भोग किया जिसमे हर बार रेशमा मज़बूरी में असलम के साथ ये सब करती मगर फिर असलम का लंड खड़ा होना भी बंद हो गया जिससे वो बस रेशमा से छेड़खानी ही करता उसके अलावा कुछ नहीं.. असलम भी बखूबी अपनी कमजोरी जानता था इसलिए उसने उसने अपने घरवालों के ताने मारने औऱ रेशमा को बाँझ कहने पर भी उसे शादी के चार साल बाद भी तलाक नहीं दिया औऱ रेशमा को बस एक चीज समझने लगा था.. रेशमा को शादी के बाद कभी असलम से जिस्मानी सुख नहीं मिला..

रेशमा अपना सर घुटनो में दिए बैठी थी की उसके व्हाट्सप्प नम्बर कोई massage आया जिसके नोटिफिकेशन से उसका ध्यान अपने दुख से फ़ोन की तरफ चला गया..
रेशमा ने देखा की उसके व्हाट्सप्प पर किसी अनजान नम्बर से कुछ massage आया है जिसकी DP में एक बच्चे की स्माइल इमोजी थी..
हेलो..
रेशमा ने रिप्लाई किया - कौन?
आपका आशिक..
रेशमा ने गुस्से से फ़ोन नम्बर ब्लोक करके वापस नीचे रख दिया औऱ उसी तरह बैठ गई..
कुछ देर बाद वापस रेशमा के फ़ोन पर अलग नम्बर से व्हाट्सप्प नोटिफिकेशन आया औऱ उसने इस बार जब DP देखी तो उसने देखा की उसपर गौतम की एक प्यारी सी तस्वीर लगी थी..
गौतम - हेलो..
रेशमा गौतम की तस्वीर देखकर थोड़ी हैरान हुई लेकिन फिर उसने गौतम के massage का रिप्लाई किया..
रेशमा - बोलो..
गौतम - आई लव यू..
रेशमा ने जब ये मैसेज देखा उसके दिल में अजीब सी हलचल होने लगी, उसे पहले गुस्सा आया मगर फिर उसका गुस्सा मीठी से अहसास में बदल गया.. आज तक किसीने उसे आई लव यू नहीं बोला था औऱ असलम से ये उम्मीद करना बेईमानी थी..
रेशमा कुछ पल ठहर कर रिप्लाई किया - पहले वाला massage भी तूने किया था ना? थप्पड़ खाने का इरादा है क्या? बोलू अब्बू को?
गौतम - बोल दे.. तेरी ख़ुशी के लिए इतना तो कर ही सकता हूँ..
रेशमा - कमीने सुधर जा.. आदिल की बहन हूँ मैं.. औऱ तुझे मेरा नम्बर कहा से मिला?
गौतम - नम्बर तो आदिल के फ़ोन में देख लिया था.. औऱ सुधरने के लिए बिगड़ा ही कहा हूँ मैं.. बस तुमसे प्यार करता हूँ.. पहले बोल नहीं पाया तो अब बोल रहा हूँ..
रेशमा - बड़ा आया प्यार करने वाला.. 4 साल बड़ी हूँ तुझसे.. औऱ घर के सामने आकर .. जोर जोर से कबाड़ी वाले चिल्लाने में शर्म नहीं आती तुझे?
गौतम - शर्म नहीं मज़ा आता है जानू.. औऱ 4 बड़ी हो तो क्या हुआ? इतना दम है कि बिस्तर में रुला दूंगा..
रेशमा को अब गौतम से चैट करने में मज़ा आने लगा था औऱ सोच रही थी उसका दिनभर खाली पड़ा समय गौतम से बात करके आराम से गुजर सकता है..
रेशमा - बड़ा आया रुलाने वाला.. ये आशिक़ी ना कहीं औऱ जाकर झाड़ना.. मेरे पास देने के लिए सिर्फ थप्पड़ है.. खाना हो तो बताना..
गौतम - हाँ खाना है.. बताओ कहाँ आना पड़ेगा खाने के लिए?
रेशमा मुस्कुराने लगी औऱ रिप्लाई किया - लगता है तेरे घर आकर आंटी से शिकायत करनी पड़ेगी तेरी.. बहुत ज्यादा बिगड़ गया है तू.. कमीना अपने दोस्त कि बहन को ही नहीं छोड़ रहा..
गौतम - बहन छोडो मैं तो अम्मी के चक्कर में भी हूँ.. देखता हूँ मेरे दोस्त आदिल की अम्मी ज्यादा मस्त है या बहन..
रेशमा - कुत्ते तू पक्का पीटने वाला है मेरे हाथों से.. 5-6 दिन बाद जब घर आउंगी तब बताऊंगी तुझे..
गौतम - इतना लम्बा इंतजार करना पड़ेगा तुम्हारा?
रेशमा गौतम का रिप्लाई देखकर मन ही मन मुस्कुराते हुए सोचने लगी थी गौतम कैसे इतनी बेशर्मी से उससे बात कर रहा है औऱ उससे इसमें क्यों एक अजीब सुकून मिल रहा है..
रेशमा - गर्लफ्रेंड नहीं है तेरी?
गौतम - ये क्यों पूछ रही हो?
रेशमा - पहले बता है या नहीं..
गौतम - नहीं है..
रेशमा - तभी तू अपने दोस्त की बहन के पीछे पड़ा है कमीने.. चुपचाप सुधर जा वरना अच्छा नहीं होगा.. कुत्ता कमीना..
गौतम - अच्छा वरना क्या कर लोगी तुम? औऱ बार बार कुत्ता मत बोलो समझी? तुम खूबसूरत हो इसका मतलब ये नहीं कि मैं तुमसे कुछ भी सुन लूंगा..
गौतम से अपनेआपको खूबसूरत होने की बात सुनकर रेशमा के मन में गौतम के लिए आकर्षण पैदा होने लगा था औऱ वो इसमें एक ख़ुशी को महसूस कर रही थी.. उसका मन अब गौतम से औऱ बात करने का हो रहा था..
रेशमा - हो तुम कुत्ते, औऱ कुत्ते ही नहीं कमीने भी हो.. बेशर्म भी हो औऱ बेवकूफ भी.. समझें?
गौतम - रेशमा देखो मैं तुम्हे पसंद करता हूँ औऱ तुम हसीन औऱ प्यारी हो इसका मतलब ये नहीं मैं कुछ भी सुनूंगा.. अब अगर मुझे कुछ बोला तो फिर देखना..
रेशमा वापस गौतम की बात सुनकर मीठे अहसास से भरी जा रही थी उसे लगने लगा था की गौतम उसके अकेलेपन को काटने का जरिया हो सकता है..
रेशमा - नहीं तो क्या करोगे? मम्मी से शिकायत करोगे मेरी.. अरे मेरा बाबू.. इतनी बात पर रोने लगा..
गौतम - ज्यादा ना मेरे मज़े मत ले.. वरना बाद में ऐसा रुलाऊंगा ना याद करेगी..
रेशमा - जाके कार्टून देख टीवी में, बड़ा आया रुलाने वाला.. शकल देखने से लगता है तू लड़का नहीं लड़की है.. प्यार करेगा मुझसे.. कुत्ता..
गौतम - अपनी माँ चुदा.. नहीं करूँगा अब massage... बार बार कुत्ता बोल रही है..
रेशमा - गाली देना भी आती है तुझे? मैं समझी अभी भी मम्मा का दूदू पिता होगा..
रेशमा को इस बार अपने massage का रिप्लाई नहीं मिला तो उसने वापस massage किया..
क्या हुआ? नाराज़ हो गया मेरा कुत्ता.. इतनी जल्दी प्यार का भूत उतर गया?
इस massage को भी गौतम ने seen करके छोड़ दिया औऱ रिप्लाई नहीं दिया..
रेशमा वापस - बोल ना कुछ अब.. अभी तो प्यार मोहब्बत की बातें कर रहा था.. अब चुप हो गया..
वापस massage को गौतम ने seen करके छोड़ दिया औऱ रिप्लाई नहीं दिया अब रेशमा हलकी सी बेचैन होने लगी थी..
रेशमा - सच में बुरा लगा? अच्छा सॉरी.. अब तो रिप्लाई कर..
गौतम ने इसे भी seen करके छोड़ दिया औऱ कुछ रिप्लाई नहीं दिया तो रेशमा गुस्से औऱ बेचानी से भर गई उसने सीधा नम्बर डायल करके गौतम को फ़ोन लगा दिया..
गौतम फ़ोन उठाके - हेलो..
रेशमा - हेलो के बच्चे.. रिप्लाई करने में उंगलियां घिस जाती हो तेरी? जवाब क्यों नहीं दे रहा?
गौतम - तूने ही तो कहा.. सुधर जा.. मैं सुधर गया.. औऱ वैसे भी मुझे बार बार खूबसूरत लड़कियों से कुत्ता सुनने का शोक नहीं है..
रेशमा - अच्छा ज़ी.. फ़ोन में घुसके ऐसा थप्पड़ मारूंगी ना होश ठिकाने आ जाएंगे तेरे.. चुपचाप व्हाट्सप्प पर बात कर मुझसे.. समझा? औऱ कुत्ता तो तू है, मैं बोलूंगी तुझे कुत्ता..
गौतम - बाद में बात करूंगा, मुझे नींद आ रही है.. सोना है..
रेशमा - सच में तू लड़की ही है.. कुत्ते.. कितने नखरे कर रहा है..
गौतम - मैं नखरे कर रहा हूँ? औऱ तू क्या कर रही है?
रेशमा - मैं करुँगी ही.. तू आया है मेरे पास, मैं नहीं आई..
गौतम - गलती हो गई मेरी जो मैं आ गया.. वापस नहीं आऊंगा..
रेशमा - वापस आने के लिए मैं तुझे जाने दूंगी तब ना.. बहुत शोक है ना तुझे अपने दोस्त की बहन पटाने का? तुझे तो मैं अपना कुत्ता बनकर रखूंगी अब..
गौतम - मुझे कोई शोक नहीं है कुत्ता बनने का, अपने शोहर को बनाना.. मुझे माफ़ कर.. सुबह बहुत काम है, सोना है मुझे..
रेशमा फ़ोन पर kiss देते हुए - उम्म्महां... सो जा मेरे कुत्ते.. सुबह बात करूंगी तुझसे..
गौतम हसते हुए - मैं नहीं करूँगा...
रेशमा किसी के आने की आहट सुनकर..
रेशमा - कोई आ रहा है.. रखती हूँ.. बाय बेबी...
रेशमा फ़ोन काट देती है औऱ बिस्तर पर उसी उदासी के साथ बैठ जाती है कि सामने दरवाजे से असलम नशे में चूर होकर लड़खड़ाते हुए आकर बिस्तर पर गिर जाता है औऱ थोड़ी देर में खराटे भरने लगता है वही रेशमा के मुंह से बेबी सुनकर गौतम को अजीब अहसास होने लगता है.. औऱ वो मुस्कुराते हुए बिस्तर में उल्टा लेट के रेशमा को याद करता हुआ मुस्कुराने लगता है..
रेशमा गौतम का नम्बर Kutta😘💋 नाम से सेव कर लेती है औऱ उसकी व्हाट्सप्प DP को देखते हुए कुछ सोचकर मुस्कराने लगती है फिर एक के बाद एक कई चुम्मे गौतम की तस्वीर पर कर देती है औऱ उसे अपने सीने से लगाकर मीठे सपनो में खोकर सो जाती है..

रात के साढ़े गयराह का समय हो चूका था औऱ गौतम अभी अभी रेशमा से बात करके सोने के लिए लेटा था
वही सुमन की चुत सुलग रही थी वो बिस्तर पर करवट बदलते हुए सोने की नाकाम कोशिश कर रही थी उसकी चुत ना जाने क्यों अपने आप गीली हुई जा रही थी औऱ उसके सामने आज सुबह की हसीन यादे आने लगी थी जब गौतम ने उसकी चुत को चाट कर उसकी चुत से अमृत वर्षा की थी.. सुमन का दिल वापस उसी वर्षा में भीगने को आतुर हो रहा था औऱ वो चाहती थी की गौतम उसे वापस वही सुख दे जो उसने सुबह उसे दिया था. सुमन की हालत एक ऐसी प्रियतमा की हो चुकी थी जिसे ना तो मिलन चाहिए था ना ही जुदाई.. सुमन से रहा ना गया तो वो बाथरूम में घुसकर अपनी चुत को उंगलि से ठंडा करने की कोशिश में लग गई मगर उसकी चुत में अब गौतम के मुंह का जाइका लग चूका था औऱ वो चाहती थी की गौतम उसकी सुलगती चुत को चूसकर ठंडा कर दे..

सुमन ने बाथरूम में उंगलि करनी बंद कर दी औऱ अपनी साडी को कमर से ऊपर उठाकर अपनी लम्बी लम्बी झांटो को साफ झरने में लग गई.. कुछ पलों में उसकी चुत के आस पास के सारे बाल साफ हो गए औऱ उसकी गुलाबी चुत निखर कर औऱ भी ज्यादा आकर्षक बनकर सामने आ गई.. सुमन अपनी गुलाबी चुत देखकर बड़े प्यार से मुस्कुराते हुए उस पर हाथ फेरकर गौतम को याद करने लगी औऱ अब उसने गौतम से वापस अपनी चुत शांत करवाने का दृढ़ निश्चय कर लिया था मगर जब उसने दिवार पर लटक रही घड़ी देखी तो कुछ असमंजस में पड़ गई.. रात के बारह बज चुके थे औऱ इस वक़्त गौतम के पास जाना उसे अजीब लग रहा था.. उसे लग रहा था की गौतम सो चूका होगा औऱ अब वो अपनी इच्छा को पूरी नहीं कर पाएगी, सुमन उदासी से वापस बिस्तर पर आ गई औऱ अपनी सुलगती हुई चुत को सहलाते हुए गौतम को याद करने लगी..

सुमन इसी तरह कुछ देर लेटी रही औऱ अपने ख्यालों में खोकर गौतम औऱ उसके बीच सुबह हुआ प्यार की पहली उपलब्धि को याद करते हुए काम की आग में सुलगने लगी.. इसी तरह लेटे लेटे आधा घंटा औऱ बीत चूका था मगर सुमन को ना नींद आ रही थी ना सुकून मिल रहा था औऱ ना ही अपनी सुलगती चुत से छुटकारा मिल रहा था.. उसने गौतम के पास जाने का वापस सोचा मगर घड़ी में समय औऱ गौतम को नींद से जगाने का ख्याल उसे रोकने लगा..

सुमन ने अपना फ़ोन उठाकर गौतम को व्हाट्सप्प पर massage करने की सोची जिससे वो पता लगा सके की गौतम जाग रहा है या नहीं.. सुमन ने व्हाट्सप्प पर गौतम को massage किया औऱ उसके रिप्लाई का इंतजार करने लगी..

गोतम अभी भी रेशमा की यादो में खोया हुआ था मगर फ़ोन पर नोटिफिकेशन बीप की आवाज सुनकर उसका ध्यान रेशमा की यादो से उचट गया औऱ उसने अपने फ़ोन को हाथ में लेकर उसमे आये सुमन के massage को देखा..
सुमन - ग़ुगु सो गया क्या?
गौतम अपनी माँ का massage औऱ घड़ी में समय देखकर समझ गया की सुमन के मन में क्या चल रहा है.. गौतम massage देखकर मुस्कुराने लगा औऱ सोचने लगा कि अब उसकी माँ सुमन भी उसके लिए तैयार है.. गौतम ने तुरंत रिप्लाई करने का ख्याल दिमाग से निकाल दिया औऱ थोड़ा इंतेज़ार करने लगा..
इधर सुमन बेसब्री से गौतम के रिप्लाई का इंतजार कर रही थी मगर जब उसे दस मिनट गुजरने के बाद गौतम का रिप्लाई नहीं मिला तो वो निराश होकर फ़ोन बिस्तर पर पटक दिया औऱ एक तकिये को अपनी छाती से लगाकर बिस्तर ओर बैठ गई औऱ नाउम्मीदी से उदास हो गई.. सुमन ऐसी बैठी ही थी कि उसके फ़ोन पर नोटिफिकेशन की आवाज हुई औऱ सुमन ने फ़ोन हाथ में कर उसमे गौतम का massage देखा..
गौतम - नहीं माँ.. आप भी नहीं सोइ अभी तक?
सुमन की सारी उदासी हवा हो गई औऱ वो ख़ुशी से भर गई सुमन ने रिप्लाई किया..
सुमन - बेटू मुझे नींद नहीं आ रही?
गौतम - मुझे भी नींद नहीं आ रही माँ..
सुमन - नई जगह है ना शायद इसलिए.. एक दो दिन में आदत लग जायेगी..
गौतम - वो भी है पर आप जानती हो मुझे आपके साथ सोने की आदत लग चुकी है..
सुमन मुस्कुराते हुए - जानती हूँ बेटू.. पर यहां साथ नहीं सो सकते.. किसीने देख लिया तो बात का बतंगड़ बना देंगे..
गौतम - सही कह रही हो माँ.. किसीने देख लिया तो सोचेंगे हमारे बीच अफेयर चल रहा है..
सुमन - बेटू..
गौतम - हां माँ...
सुमन - तेरे रूम का सामने वाला दरवाजा बंद है क्या?
गौतम - हां क्यों?
सुमन - कुछ नहीं.. मैंने भी अपने रूम का सामने वाला दरवाजा बंद कर रखा है..
गौतम - तो?
सुमन - तो मेरे ग़ुगु ज़ी.. मैं पीछे हम दोनों के रूम की कॉमन बालकनी से तेरे रूम में आ रही हूँ.. पीछे बालकनी वाला दरवाजा खुला रखना..
गौतम - आ जाओ माँ.. खुला ही है..

गौतम ने अपनी टीशर्ट औऱ लोवर निकाल दिया औऱ सुमन का इंतज़ार करने लगा.. दो मिनट बाद सुमन भी अपनी साडी निकालकर सिर्फ ब्लाउज औऱ पेटीकोट में पीछे बालकनी के दरवाजे से गोतम के रूम में आ गई औऱ दरवाजा लगा दिया..
सुमन - बेशर्म कुछ पहन तो ले..
गौतम अपनी वी-शेप चड्डी के ऊपर से लंड को मसलते हुए - चड्डी पहन तो रखी है माँ.. औऱ इतना कहकर गौतम आगे बढ़ गया औऱ सुमन को अपनी बाहों में भर लिया..
सुमन - आराम से ग़ुगु.. कितना कसके पकड़ता है तू..
गौतम - आप ना चुप रहो.. समझी? मैं कब से आपका वेट कर रहा था औऱ आपने massage किया तो रात के पौने एक बजे..
सुमन - माफ़ कर बेटू.. मुझे लगा तू सो गया होगा..
गौतम सुमन का ब्लाउज खोलते हुए - माँ आप जानती तो हो आपका दूध पिए बिना मुझे नींद नहीं आती, आपके बिना कैसे सो सकता हूँ मैं?
सुमन - सॉरी बेटू.. माफ़ कर दे.. कल से इतनी देरी नहीं करुँगी..
गौतम ब्लाउज उतार कर ब्रा खोलते हुए - कोई बात नहीं माँ.. आपके लिए सब माफ़ है..
सुमन अपनी चूचियाँ गौतम को दिखाती हुई - देख तूने इनका क्या हाल किया था सुबह.. पुरे बूब्स पर तेरे काटने से कितने निशान बन गए.. भाभी पूछ रही थी इतनी ढक कर क्यों साडी पहनी है.. अब उनको क्या बताऊ? मेरा ग़ुगु मेरे बदन पर जगह जगह काटने के निशान छोड़ता है..
गौतम सुमन के पेटीकोट के नाड़े को खींचकर खोलता हुआ - किस बेशर्म का नाम ले रही हो माँ इस वक़्त.. सच कहु तो उसकी शकल देखकर मुझे गुस्सा आने लगता है..
पेटीकोट उतरने से सुमन भी गौतम की तरह चड्डी में आ जाती है औऱ कहती है..
सुमन - ऐसा क्यों बोलता है बेटू.. मामी है तेरी, औऱ इस बार तो तुझे बहुत प्यार भी कर रही है.. देखा नहीं कैसे आते ही तुझे अपने गले से लगाया था भाभी ने औऱ तेरे लिए कितना प्यारा औऱ महंगा सूट लिया है उन्होंने.. खाने के समय भी तो अपने हाथ से तुझे खाना खिला रही थी औऱ तुझे चुम रही थी..

गौतम सुमन को बाहों में उठाकर उसके साथ बिस्तर में गिरते हुए - प्यार नहीं कर रही माँ.. मामी लेना चाहती है मेरी.. सुबह जब मेरे गले लगी थी तब उनका हाथ आपके छोटे ग़ुगु पर था.. आप तो बातों में खोई हुई थी आपको पता भी नहीं चला.. मामी ने अच्छे से मेरे लंड को दबा के मसला था औऱ उसके बाद से मेरे पीछे पड़ी हुई है.. खाने के समय भी मामी अपने पैर से मेरे पैर को रगड़ रही थी.. मैं तो बस आपके कहने पर चुप हूँ वरना मामी को ऐसा सबक सिखाऊ की याद रखे वो रंडी..
सुमन गौतम के होंठ अपनी ऊँगली से पकड़कर - ग़ुगु चुपकर.. मामी को गाली देता है.. कितनी बड़ी है तुझसे वो.. औऱ थोड़ा बहुत तुझे इधर उधर छू लिया तो क्या हो गया उसमे..
गौतम - मामी की तरफदारी इसलिए कर रही हो ना क्युकी वो अब तमीज में बात कर रही है? मुझसे बढ़कर हो गई आपके लिए मामी?
सुमन गौतम के सीने के ऊपर आकर उसे चूमते हुए बोली - अच्छा ज़ी.. बाहर जब बड़ी उम्र की औरतों के साथ मुंह काला करता है तब तुझे शर्म नहीं आती.. औऱ घर की किसी औरत ने जरा छू लिया तो गुस्सा आ गया मेरे शहजादे को..
गौतम सुमन के कूल्हे मसलकर - किसके साथ मुंह काला किया मैंने.. जरा बताओगी आप?
सुमन गौतम की चड्डी में हाथ डालकर उसके लंड को मसलते हुए - मेरा मुंह मत खुलवा मेरे शहजादे.. मैं सब जानती तूने किस किसको अपने लंड पर खिलाया है..
गौतम सुमन के होंठों को चूमकर - तो बताओ ना.. ऐसे पहेलियाँ क्या बुझाती हो..
सुमन गौतम के चेहरे को अपने दोनों हाथों से पकड़कर एक लम्बा औऱ गहरा चुम्मा करते हुए - पिंकी के साथ उस रात तूने क्या क्या किया था मैं सब जानती हूँ.. उसके बाद होटल के रूम नम्बर 402 में तेरी वो टीचर क्या नाम बताया था तूने उसका माधुरी.. उसके साथ तूने जो गुल खिलाये थे वो भी मुझे मालुम है.. औऱ उस पुलिसवाली रजनी को खुलेआम जो तूने रगड़ा था ना उसका वीडियो भी मैंने तेरे फ़ोन में देखा पूरा देखा है.. इसके बाद तेरे फ़ोन में जो बुर्केवाली औरत की तस्वीरे है उसे देखकर लगता है तूने उसके साथ भी अपना ये गोरा मुंह काला किया हुआ है.. बेशर्म इतनी बड़ी बड़ी औरत के साथ मुंह काला करने के बाद अपनी सगी मामी के थोड़ा सा छूने पर मुझसे बच्चों की तरह मामी की शिकायत कर रहा है..

गौतम सुमन से ये सब सुनकर हैरान औऱ शर्म से लाल हो चूका था उसे समझ नहीं आ रहा था आगे सुमन से क्या कहे औऱ क्या करें.. सुमन गौतम के मनोदशा समझ रही थी औऱ सुमन ने ही गौतम से आगे बात करना शुरू किया..
सुमन प्यार से गौतम के चेहरे को अपनी तरफ करके - क्या हुआ मेरे शहजादे.. हो गई बोलती बंद? तेरी माँ हूँ मैं.. समझा?
गौतम - आप सब जानती हो फिर मुझसे कुछ नहीं बोली..
सुमन - क्या बोलती? वैसे भी अगर तुझे बड़ी औरत पसंद है तो इसमें क्या बुराई है? तेरी ख़ुशी के आगे तो मैं कुछ भी कर सकती हूँ.. तुझे अगर रूपा आंटी भी पसंद है बता मैं उसे मना लुंगी तेरे लिए..
गौतम मुस्कुराते हुए - अच्छा.. अब मेरे लिए दलाली भी करोगी आप?
सुमन हंसकर - तेरी लिए वो भी कर लुंगी..
गौतम - मुझे रूपा आंटी पसंद है पर आप रहने दो मैं खुद ही उन्हें मना लूंगा..
सुमन के लंड को मसलते हुए - मामी अगर छोटी मोटी छेड़-छाड़ी करें तो बुरा मत मानना ग़ुगु..
गौतम सुमन के निप्पल्स मरोड़ते हुए - आप फ़िक्र मत करो.. मामी को अब मैं बताऊंगा.. औऱ ऐसा बताऊंगा की मामी जिंदगी भर याद रखेगी..
सुमन हंसकर - वैसे एक बात कहूं बेटा..
गौतम सुमन के खड़े हुए चुचक मुंह में लेकर चूसते हुए - बोलो ना माँ..
सुमन - कोमल भाभी को ऐसे पेलना कि वो ऋतू की शादी तक ठीक से चल भी ना पाए..
गौतम हँसते हुए सुमन को देखकर - आप चिंता मत करो माँ.. मामी की ऐसी माँ चोदुँगा साली शादी के बाद भी लगड़ाकर ही चलेगी..
सुमन हस्ते हुए - गाली भी कितनी प्यारी लगती है तेरे इस मुंह से..
गौतम - आप कहो आपके लिए भी दो चार गाली अपने मुंह से निकाल दू..
सुमन - तू मुझे जो गाली देना चाहे दे सकता है ग़ुगु.. पर अब मेरा एक काम कर दे..
गौतम सुमन की चड्डी में हाथ घुसाते हुए - मैं जानता हूँ माँ आप किस काम से आई हो.. मैं अभी आपको खुश कर देता हूँ.. आपने चुत के सारे बाल साफ कर दिए?
सुमन - मेरे ग़ुगु के मुंह में आते थे ना इसलिए साफ कर दिए..
गौतम - उफ्फ्फ माँ.. कितनी चिकनी हो गई आपकी चुत..
सुमन - अब मेरी चुत पर अपना हाथ ही फेरता रहेगा या अपने इन प्यार से नाजुक होंठों का कमाल भी दिखायेगा?
गौतम - माँ.. पहले 1-1 पेग हो जाए?
सुमन - नहीं ग़ुगु..
गौतम - रूपा आंटी के साथ तो मना नहीं करती आप..
सुमन - अच्छा ठीक है पर यहां शराब क्या है?
गौतम - उसकी चिंता आप मत करो मैं साथ लाया था..
सुमन - ग़ुगु तू ना बहुत कमीना हो गया है..
गौतम अलमीरा खोलकर बेग से शराब की बोतल निकालता है औऱ दो प्लास्टिक के ग्लास निकालकर दोनों का एक एक पेग बनाता है औऱ सुमन के साथ चेस करते हुए एक सांस में सुमन के साथ पेग पी जाता है..
गौतम - माँ एक औऱ..
सुमन - नहीं ग़ुगु.. अब नहीं..
गौतम - अच्छा एक शर्त लगाते है..
सुमन - क्या?
गौतम - अगर मैंने 5 मिनट में आपको खुश कर दिया तो आप एक औऱ पेग मेरे साथ पिओगी..
सुमन - ठीक है लगी शर्त..
गौतम बेड के साइड टेबल से सिगरेट का पैकेट निकालकर एक सिगरेट अपनी माँ सुमन के गुलाबी होंठों पर लगा देता है औऱ फिर लाइटर से अपनी माँ के होंठों पर लगी सिगरेट जलाकर, सुमन की चड्डी नीचे सरकाते हुए उसकी चुत पर अपने होंठ लगा देता है जिससे सुमन के मुंह से सिस्कारी निकल जाती है औऱ वो एक हाथ से सिगरेट के कश लेटे हुए दूसरे हाथ से गौतम के बाल पकड़कर गौतम का सर अपनी चुत पर दबा लेती है औऱ चुत चटाई का अतुलनीय अद्भुत अकल्पनीय सुख भोगने लगती है..

गौतम किसी कुत्ते की तरह सुमन की चुत चाटे जा रहा था औऱ सुमन सिगरेट के कश लेते हुए सिसकारिया भरती हुई गौतम को वासना की नज़रो से देखे जा रही थी.. सुमन इतनी काम की आग में जल रही थी की पांच मिनट तो दूर उसके उंगलियों में सुलगती सिगरेट आधी ख़त्म होने से पहले ही उसकी चुत ने अपना पानी गौतम के मुंह में छोड़ दिया औऱ सुमन चरम सुख को अनुभव करती हुई निढाल हो गई.. गौतम ने चुत का पानी पीते हुए अच्छे से सुमन की चुत चाट कर ऊपर आ गया औऱ सुमन के हाथ से सिगरेट लेकर एक लम्बा कश मारके सिगरेट बुझा देता है औऱ सुमन से बोलता है..
गौतम - माँ लगता बहुत देर से रोके हुए थी आप अपनेआपको..
सुमन थोड़ा रूककर बिस्तर से उठकर दोनों के लिए शराब का दूसरा पेग बना लेती है औऱ एक पेग गौतम के हाथ में दे देती है औऱ दूसरा खुद पीकर कहती है..
सुमन - तू ना बहुत गन्दा है ग़ुगु.. ऐसी बुरी आदत लगा दी है एक दिन में कि बस.. अब तो लगता है बिना अपनी चुत चटवाए नींद ही नहीं आएगी..
गौतम पेग पीकर - तो क्या हुआ माँ.. मैं हूँ ना आपके पास.. आपकी इस पगुलाबी चुत को चाट चाटकर ठंडा करने के लिए..
सुमन को नशा होने लगा था..
सुमन - आजा ग़ुगु.. मैं भी तुझे खुश कर देती हूँ..
गौतम सुमन को कंडोम देकर - लो माँ लगा दो.. मैं समझ सकता हूँ आपको blowjob देने में उल्टी आती है.. मैं जबरदस्ती आपसे कुछ नहीं करवाना चाहता..
सुमन मुस्कुराते हुए गौतम से कंडोम लेकर फाड़ते हुए गौतम के लंड पर लगा देती है औऱ कहती है - तेरी इन्ही प्यारी प्यारी औऱ मीठी बातों के कारण कभी कभी मुझे लगता है कि मैं तुझे अपनी चुत भी दे दूँ.. मगर फिर तेरा औऱ मेरा रिश्ता बीच में आकर मेरे मन को पिंजरे में डाल देता है..
गौतम - माँ..
सुमन - हां ग़ुगु?
गौतम - क्या मैं आपको आपके नाम से बुला सकता हूँ अभी के लिए?
सुमन मुस्कुराते हुए - हम्म.. जैसा तु चाहे..
गौतम अपने लंड को सुमन के मुंह में ड़ालते हुए - एक बात बोलू सुमन..
सुमन लोडा मुंह में लेकर चूसते हुए गौतम को देखकर - हम्म.
गौतम - मुझे पापा से जलन होती है.. कश पापा की जगह आप मुझे मिली होती.. मैं आपको कभी वो दुख नहीं देता जो पापा ने आपको दिए है.. हमेशा आपको प्यार करता औऱ खुश रखता..
सुमन मुंह से एक पल के लिए लंड निकालकर नशे में हसते हुए - अच्छा हुआ नहीं मिली वरना मैं अगर तेरे पापा की जगह तुझे मिली होती तो तू सुहागरात में ही मेरी इस छोटी सी चुत को अपने इस लंड से फाड़कर उसका भोसड़ा बना देता..
गौतम सुमन के मुंह में वापस लंड डालकर उसे लोडा चुसवाते हुए - मैं मज़ाक़ नहीं कर रहा सुमन.. मुझे जगमोहन से बहुत जलन होती है औऱ उसपर हंसी भी आती है.. साले के लंड में जरा सा भी दम नहीं है मगर दोदो जन्नत की हूर जैसी बीवी रखी हुई है..
सुमन मुंह से लंड निकालकर - तू जानता है उस दूसरी बीवी को ग़ुगु.. मिला है कभी उस औरत से?
गौतम वापस लोडा मुंह में डालकर चुसवाते हुए - हां जानता हूँ सुमन औऱ मिला भी हूँ.. आप भी मिली है उससे..

सुमन लोडा चूसते चूसते - कौन है वो..
गौतम - पहले वादा करो आप गुस्सा नहीं करोगी.. सुमन लोडा चूसते हुए - नहीं करुँगी.. बता ना..
गौतम - सुमन उस रात होटल के रूम नम्बर 402 में आपने जिस औरत को मेरे साथ देखा था वो मेरी टीचर नहीं बल्कि आपकी सौतन माधुरी थी..
सुमन ये सुनकर गौतम के लंड को चूसना बंद करके उसके लंड को अपने दातो से पकड़ लेती है..
गौतम आह भरके - सुमन दर्द हो रहा है.. आह्ह.. छोडो ना सुमन..
सुमन थोड़ा औऱ अपने दातो की पकड़ गौतम के लंड पर मजबूत कर लेती है औऱ गौतम के चेहरे पर झलकता दर्द देखने लगती है..
गौतम फ़रियाद करता हुआ - माँ दर्द हो रहा है.. छोडो ना..
सुमन अपने मुंह से लंड निकालकर गुस्से से - उस डायन के साथ मुंह काला करते शर्म नहीं आई तुझे? तू जानता है उसके कारण हमें कितना दुख सहना पड़ा है.. फिर भी उसके साथ तूने सब कुछ किया..
गौतम अपने लंड को संभालता हुआ - उसका क्या दोष माँ इसमें.. पापा ने धोके से फसाया था उसे.. औऱ सच कहु तो आपसे ज्यादा गुस्सा मुझे उसपर आया था.. मगर वो भी आपकी तरह ही खूबसूरत औऱ हसीन थी.. मेरी नफरत कब प्यार में बदल गयी पता नहीं चला..
सुमन गुस्से से - मेरी तरह?
गौतम - सॉरी माँ.. आपसे थोड़ी कम..
सुमन - वो हमारे बारे में सच जानती है?
गौतम - नहीं अभी बताया नहीं उसे.. उस दिन आपके पूछने पर आपको बताया था ना शादी में लड़की मिली थी.. जिसके साथ पहली मुलाक़ात में सब हो गया था..
सुमन - वो माधुरी ही थी?
गौतम शरमाते हुए - हाँ.. पापा ने उसे घर भी दिलवाया है शहर के बीच पोश कॉलोनी में.. काफी अच्छा औऱ बड़ा है..
गौतम के लंड पर लगा कंडोम सुमन के दांतो की पकड़ से फट चूका था..
सुमन गौतम के लंड पर लगा कंडोम उतारते हुए - मुझे उससे बात करनी है.. तू कल उसे सारी सच्चाई बता देना..
गौतम - पर माँ सच्चाई जानने के बाद वो मुझे ठरकी समझेगी.. मैं पहले ही 3 दिन से उसका फ़ोन नहीं उठा रहा..
सुमन दूसरा कंडोम फाड़कर गौतम के लंड पर पहनाती हुई - वो तो तू है ही.. मैं भी तुझे कितना मासूम औऱ भोला समझती थी मगर तेरी इस भोली सी शकल के पीछे एक शैतान है..
इतना कहकर सुमन गौतम का लंड वापस चूसने लगती है...
गौतम सुमन के सर पर हाथ रखते हुए - ठीक है मेरी सुमन, जैसा आप कहो..

सुमन अब जोर जोर से औऱ पूरी मेहनत के साथ गौतम का लंड चूस रही थी उसे लोडा चूसते हुए बहुत देर हो चुकी थी मगर गौतम अपनेआप को बहुत कण्ट्रोल किये हुए सुमन को प्यार से देख रहा था औऱ blowjob का सुख ले रहा था.. सुमन पिछले 20 मिनट से गोतम के लंड को चूसकर उसका पानी निकालने की कोशिश कर रही थी मगर उसे सफलता नहीं मिल सकी थी.. गौतम समझ सकता था की सुमन का मुंह अब दर्द करने लग रहा होगा इसलिए उसने सुमन से कहा..
गौतम - माँ एक पेग औऱ बनाउ? लास्ट..
सुमन ने गौतम के लंड को मुंह से निकाल दिया औऱ हाँ में सर हिला दिया..
गौतम दो पेग बनाकर ले आया औऱ एक सुमन को देते हुए दूसरा खुद पिने लगा.. गौतम ने एक सिगरेट भी जला ली थी जिसके कश लगाते हुए वो अपने सामने घुटनो पर बैठी अपनी माँ सुमन को देख रहा था.. सुमन ने एक झटके में पूरा पेग ख़त्म कर दिया औऱ फिर वापस गौतम के लंड को मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दिया.. इस बार सुमन नशे में पूरी तरह उतर चुकी थी औऱ खुलकर गौतम का लोडा चूस रही थी गौतम चाहता तो अब अपने लंड पर से कंडोम हटाकर अपनी माँ से अपना लंड चुसवा सकता था मगर उसने ऐसा नहीं किया औऱ अपना पेग ख़त्म करके एक हाथ से सिगरेट के कश लगाता हुआ दूसरे हाथ से अपनी माँ के बाल पकड़ कर उसके मुंह में अपना लोडा तेज़ी दे अंदर बाहर करने लगा.. कुछ मिनटों बाद ही गौतम झड़ गया. सुमन गौतम के लंड पर से कंडोम उतार कर गाँठ लगाती हुई कंडोम को बेड के किनारे फर्श पर रखकर खड़ी हो गई औऱ गोतम के हाथ सिगरेट लेकर कश मारती हुई गौतम को देखने लगी गौतम भी तृप्त होकर सुमन के सामने खड़ा हुआ उसे ही देखे जा रहा था.. दोनों माँ बेटे एक दूसरे के सामने नंगे खड़े थे औऱ एकदूसरे को देख रहे थे..

गौतम ने कुछ देर इसी तरह खड़े रहकर सुमन के हाथ से सिगरेट लेकर बुझा दी औऱ सुमन की कमर में हाथ डालकर उसे अपने करीब खींचकर गले लगाते हुए चुम लिया औऱ दोनों वापस बिस्तर में गिर गए..
दोनों का ये चुम्बन बहुत देर तक चला औऱ जब टुटा तो दिवार पर लटकी घड़ी रात के दो बजने का फरमान सुना रही थी..
सुमन की आँखे नशे में होने का संकेत दे रही थी औऱ गौतम भी सुरूर में था.. मगर गौतम सुमन को उसके नशे का फ़ायदा उठाकर उसके साथ सम्भोग करना नहीं चाहता था.. इसलिए गौतम ने सुमन को अपने गले से औऱ कसके लगाते हुए प्यार से उसकी जुल्फ संवार कर उसके चेहरे को देखते हुए, सुमन के कंधे पर अपने हाथो से थपकिया देकर सुलाने की कोशिश करने लगा..
नशे में डूबी सुमन की आँख खुली हुई थी वो बस गौतम को देख रही थी.. उसका दिमाग अभी भी सब देख सुन रहा था, सुमन को अहसास हो रहा था कि कैसे गौतम उसे अपनी बाहों में भरके बच्चों की तरह सुलाने की कोशिश कर रहा था.. सुमन मुस्कुराते हुए अपनी आँख बंद कर लेती है औऱ कुछ पल बाद गहरी नींद में चली जाती है..
सुमन के नींद में जाने के बाद गौतम को अहसास होता है की उसका लंड अभी भी पूरी औकात में खड़ा था.. औऱ ऐसा होना स्वाभाविक भी था गौतम की बाहों में एक हसीन औऱ बेहद खूबसूरत औरत नंगी लेटी हुई थी भले वो गौतम की खुदकी माँ थी मगर उसके रूप ने गौतम के मन की सरहद पार कर दी थी..

गौतम सुमन को सुलाकार बिस्तर से उठ गया औऱ एक कंडोम पहनकर अपनी सोती हुई माँ के हुस्न को देखकर उसे चोदने के ख़्वाब देखता हुआ मुठ मारने लगा.. झड़ने के बाद गौतम अपनी माँ को फिर से बाहों में लेकर सो गया..

सुबह साढ़े छः बजे सुमन की आँख जब खुली तो उसने देखा की गौतम उसे बच्चों की तरह अपनी बाहों में लेकर सो रहा था. सुमन को गौतम पर रात की बात याद करके औऱ अभी सोता देखकर बहुत प्यार आ रहा था.. वो धीरे से गौतम की बाहों से निकली औऱ उठकर अपने कपडे पहनते हुए कमरे की हालत ठीक करके वापस बालकोनी से अपने कमरे में आ गई.. गौतम उसी तरह सोता रहा..


Maaja aa gya padh k
 
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Ek number

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तुझमे मज़ा ही नहीं है बहनचोद.. हट.. तेरी शकल देखकर लंड भी खड़ा नहीं होता मेरा.. ये कहते हुए असलम बिस्तर से खड़ा हो जाता है औऱ अपने सामने टांग खोले लेटी रेशमा को दो-चार औऱ गालिया देकर साइड टेबल पर पड़ा शराब का एक पेग एक घूंट में ख़त्म करता है औऱ फिर सिगरेट सुलगा कर कश लेता हुआ कमरे से बाहर चला जाता है औऱ रेशमा चुपचाप बिस्तर पर पड़ी रहती है, असलम के कमरे से बाहर जाने के बाद अपनी सलवार पहनकर बिस्तर पर अपने दोनों पैरों को साथ में जोड़ कर अपना सर अपने घुटनो में रखकर रोने लगती है..

आदिल की बहन रेशमा की शादी कुछ साल पहले असलम से हुई थी असलम औऱ रेशमा की शादीशुदा जिंदगी सही नहीं चल रही थी दोनों में प्यार था ही नहीं.. असलम बहुत शराब औऱ सिगरेट पिने का आदि थी औऱ शादी के वक़्त तक उसका लंड ढीला पड़ चूका था.. शादी के बाद कुछ महीने तो उसने ढीले लंड से ही रेशमा के साथ सम्भोग किया जिसमे हर बार रेशमा मज़बूरी में असलम के साथ ये सब करती मगर फिर असलम का लंड खड़ा होना भी बंद हो गया जिससे वो बस रेशमा से छेड़खानी ही करता उसके अलावा कुछ नहीं.. असलम भी बखूबी अपनी कमजोरी जानता था इसलिए उसने उसने अपने घरवालों के ताने मारने औऱ रेशमा को बाँझ कहने पर भी उसे शादी के चार साल बाद भी तलाक नहीं दिया औऱ रेशमा को बस एक चीज समझने लगा था.. रेशमा को शादी के बाद कभी असलम से जिस्मानी सुख नहीं मिला..

रेशमा अपना सर घुटनो में दिए बैठी थी की उसके व्हाट्सप्प नम्बर कोई massage आया जिसके नोटिफिकेशन से उसका ध्यान अपने दुख से फ़ोन की तरफ चला गया..
रेशमा ने देखा की उसके व्हाट्सप्प पर किसी अनजान नम्बर से कुछ massage आया है जिसकी DP में एक बच्चे की स्माइल इमोजी थी..
हेलो..
रेशमा ने रिप्लाई किया - कौन?
आपका आशिक..
रेशमा ने गुस्से से फ़ोन नम्बर ब्लोक करके वापस नीचे रख दिया औऱ उसी तरह बैठ गई..
कुछ देर बाद वापस रेशमा के फ़ोन पर अलग नम्बर से व्हाट्सप्प नोटिफिकेशन आया औऱ उसने इस बार जब DP देखी तो उसने देखा की उसपर गौतम की एक प्यारी सी तस्वीर लगी थी..
गौतम - हेलो..
रेशमा गौतम की तस्वीर देखकर थोड़ी हैरान हुई लेकिन फिर उसने गौतम के massage का रिप्लाई किया..
रेशमा - बोलो..
गौतम - आई लव यू..
रेशमा ने जब ये मैसेज देखा उसके दिल में अजीब सी हलचल होने लगी, उसे पहले गुस्सा आया मगर फिर उसका गुस्सा मीठी से अहसास में बदल गया.. आज तक किसीने उसे आई लव यू नहीं बोला था औऱ असलम से ये उम्मीद करना बेईमानी थी..
रेशमा कुछ पल ठहर कर रिप्लाई किया - पहले वाला massage भी तूने किया था ना? थप्पड़ खाने का इरादा है क्या? बोलू अब्बू को?
गौतम - बोल दे.. तेरी ख़ुशी के लिए इतना तो कर ही सकता हूँ..
रेशमा - कमीने सुधर जा.. आदिल की बहन हूँ मैं.. औऱ तुझे मेरा नम्बर कहा से मिला?
गौतम - नम्बर तो आदिल के फ़ोन में देख लिया था.. औऱ सुधरने के लिए बिगड़ा ही कहा हूँ मैं.. बस तुमसे प्यार करता हूँ.. पहले बोल नहीं पाया तो अब बोल रहा हूँ..
रेशमा - बड़ा आया प्यार करने वाला.. 4 साल बड़ी हूँ तुझसे.. औऱ घर के सामने आकर .. जोर जोर से कबाड़ी वाले चिल्लाने में शर्म नहीं आती तुझे?
गौतम - शर्म नहीं मज़ा आता है जानू.. औऱ 4 बड़ी हो तो क्या हुआ? इतना दम है कि बिस्तर में रुला दूंगा..
रेशमा को अब गौतम से चैट करने में मज़ा आने लगा था औऱ सोच रही थी उसका दिनभर खाली पड़ा समय गौतम से बात करके आराम से गुजर सकता है..
रेशमा - बड़ा आया रुलाने वाला.. ये आशिक़ी ना कहीं औऱ जाकर झाड़ना.. मेरे पास देने के लिए सिर्फ थप्पड़ है.. खाना हो तो बताना..
गौतम - हाँ खाना है.. बताओ कहाँ आना पड़ेगा खाने के लिए?
रेशमा मुस्कुराने लगी औऱ रिप्लाई किया - लगता है तेरे घर आकर आंटी से शिकायत करनी पड़ेगी तेरी.. बहुत ज्यादा बिगड़ गया है तू.. कमीना अपने दोस्त कि बहन को ही नहीं छोड़ रहा..
गौतम - बहन छोडो मैं तो अम्मी के चक्कर में भी हूँ.. देखता हूँ मेरे दोस्त आदिल की अम्मी ज्यादा मस्त है या बहन..
रेशमा - कुत्ते तू पक्का पीटने वाला है मेरे हाथों से.. 5-6 दिन बाद जब घर आउंगी तब बताऊंगी तुझे..
गौतम - इतना लम्बा इंतजार करना पड़ेगा तुम्हारा?
रेशमा गौतम का रिप्लाई देखकर मन ही मन मुस्कुराते हुए सोचने लगी थी गौतम कैसे इतनी बेशर्मी से उससे बात कर रहा है औऱ उससे इसमें क्यों एक अजीब सुकून मिल रहा है..
रेशमा - गर्लफ्रेंड नहीं है तेरी?
गौतम - ये क्यों पूछ रही हो?
रेशमा - पहले बता है या नहीं..
गौतम - नहीं है..
रेशमा - तभी तू अपने दोस्त की बहन के पीछे पड़ा है कमीने.. चुपचाप सुधर जा वरना अच्छा नहीं होगा.. कुत्ता कमीना..
गौतम - अच्छा वरना क्या कर लोगी तुम? औऱ बार बार कुत्ता मत बोलो समझी? तुम खूबसूरत हो इसका मतलब ये नहीं कि मैं तुमसे कुछ भी सुन लूंगा..
गौतम से अपनेआपको खूबसूरत होने की बात सुनकर रेशमा के मन में गौतम के लिए आकर्षण पैदा होने लगा था औऱ वो इसमें एक ख़ुशी को महसूस कर रही थी.. उसका मन अब गौतम से औऱ बात करने का हो रहा था..
रेशमा - हो तुम कुत्ते, औऱ कुत्ते ही नहीं कमीने भी हो.. बेशर्म भी हो औऱ बेवकूफ भी.. समझें?
गौतम - रेशमा देखो मैं तुम्हे पसंद करता हूँ औऱ तुम हसीन औऱ प्यारी हो इसका मतलब ये नहीं मैं कुछ भी सुनूंगा.. अब अगर मुझे कुछ बोला तो फिर देखना..
रेशमा वापस गौतम की बात सुनकर मीठे अहसास से भरी जा रही थी उसे लगने लगा था की गौतम उसके अकेलेपन को काटने का जरिया हो सकता है..
रेशमा - नहीं तो क्या करोगे? मम्मी से शिकायत करोगे मेरी.. अरे मेरा बाबू.. इतनी बात पर रोने लगा..
गौतम - ज्यादा ना मेरे मज़े मत ले.. वरना बाद में ऐसा रुलाऊंगा ना याद करेगी..
रेशमा - जाके कार्टून देख टीवी में, बड़ा आया रुलाने वाला.. शकल देखने से लगता है तू लड़का नहीं लड़की है.. प्यार करेगा मुझसे.. कुत्ता..
गौतम - अपनी माँ चुदा.. नहीं करूँगा अब massage... बार बार कुत्ता बोल रही है..
रेशमा - गाली देना भी आती है तुझे? मैं समझी अभी भी मम्मा का दूदू पिता होगा..
रेशमा को इस बार अपने massage का रिप्लाई नहीं मिला तो उसने वापस massage किया..
क्या हुआ? नाराज़ हो गया मेरा कुत्ता.. इतनी जल्दी प्यार का भूत उतर गया?
इस massage को भी गौतम ने seen करके छोड़ दिया औऱ रिप्लाई नहीं दिया..
रेशमा वापस - बोल ना कुछ अब.. अभी तो प्यार मोहब्बत की बातें कर रहा था.. अब चुप हो गया..
वापस massage को गौतम ने seen करके छोड़ दिया औऱ रिप्लाई नहीं दिया अब रेशमा हलकी सी बेचैन होने लगी थी..
रेशमा - सच में बुरा लगा? अच्छा सॉरी.. अब तो रिप्लाई कर..
गौतम ने इसे भी seen करके छोड़ दिया औऱ कुछ रिप्लाई नहीं दिया तो रेशमा गुस्से औऱ बेचानी से भर गई उसने सीधा नम्बर डायल करके गौतम को फ़ोन लगा दिया..
गौतम फ़ोन उठाके - हेलो..
रेशमा - हेलो के बच्चे.. रिप्लाई करने में उंगलियां घिस जाती हो तेरी? जवाब क्यों नहीं दे रहा?
गौतम - तूने ही तो कहा.. सुधर जा.. मैं सुधर गया.. औऱ वैसे भी मुझे बार बार खूबसूरत लड़कियों से कुत्ता सुनने का शोक नहीं है..
रेशमा - अच्छा ज़ी.. फ़ोन में घुसके ऐसा थप्पड़ मारूंगी ना होश ठिकाने आ जाएंगे तेरे.. चुपचाप व्हाट्सप्प पर बात कर मुझसे.. समझा? औऱ कुत्ता तो तू है, मैं बोलूंगी तुझे कुत्ता..
गौतम - बाद में बात करूंगा, मुझे नींद आ रही है.. सोना है..
रेशमा - सच में तू लड़की ही है.. कुत्ते.. कितने नखरे कर रहा है..
गौतम - मैं नखरे कर रहा हूँ? औऱ तू क्या कर रही है?
रेशमा - मैं करुँगी ही.. तू आया है मेरे पास, मैं नहीं आई..
गौतम - गलती हो गई मेरी जो मैं आ गया.. वापस नहीं आऊंगा..
रेशमा - वापस आने के लिए मैं तुझे जाने दूंगी तब ना.. बहुत शोक है ना तुझे अपने दोस्त की बहन पटाने का? तुझे तो मैं अपना कुत्ता बनकर रखूंगी अब..
गौतम - मुझे कोई शोक नहीं है कुत्ता बनने का, अपने शोहर को बनाना.. मुझे माफ़ कर.. सुबह बहुत काम है, सोना है मुझे..
रेशमा फ़ोन पर kiss देते हुए - उम्म्महां... सो जा मेरे कुत्ते.. सुबह बात करूंगी तुझसे..
गौतम हसते हुए - मैं नहीं करूँगा...
रेशमा किसी के आने की आहट सुनकर..
रेशमा - कोई आ रहा है.. रखती हूँ.. बाय बेबी...
रेशमा फ़ोन काट देती है औऱ बिस्तर पर उसी उदासी के साथ बैठ जाती है कि सामने दरवाजे से असलम नशे में चूर होकर लड़खड़ाते हुए आकर बिस्तर पर गिर जाता है औऱ थोड़ी देर में खराटे भरने लगता है वही रेशमा के मुंह से बेबी सुनकर गौतम को अजीब अहसास होने लगता है.. औऱ वो मुस्कुराते हुए बिस्तर में उल्टा लेट के रेशमा को याद करता हुआ मुस्कुराने लगता है..
रेशमा गौतम का नम्बर Kutta😘💋 नाम से सेव कर लेती है औऱ उसकी व्हाट्सप्प DP को देखते हुए कुछ सोचकर मुस्कराने लगती है फिर एक के बाद एक कई चुम्मे गौतम की तस्वीर पर कर देती है औऱ उसे अपने सीने से लगाकर मीठे सपनो में खोकर सो जाती है..

रात के साढ़े गयराह का समय हो चूका था औऱ गौतम अभी अभी रेशमा से बात करके सोने के लिए लेटा था
वही सुमन की चुत सुलग रही थी वो बिस्तर पर करवट बदलते हुए सोने की नाकाम कोशिश कर रही थी उसकी चुत ना जाने क्यों अपने आप गीली हुई जा रही थी औऱ उसके सामने आज सुबह की हसीन यादे आने लगी थी जब गौतम ने उसकी चुत को चाट कर उसकी चुत से अमृत वर्षा की थी.. सुमन का दिल वापस उसी वर्षा में भीगने को आतुर हो रहा था औऱ वो चाहती थी की गौतम उसे वापस वही सुख दे जो उसने सुबह उसे दिया था. सुमन की हालत एक ऐसी प्रियतमा की हो चुकी थी जिसे ना तो मिलन चाहिए था ना ही जुदाई.. सुमन से रहा ना गया तो वो बाथरूम में घुसकर अपनी चुत को उंगलि से ठंडा करने की कोशिश में लग गई मगर उसकी चुत में अब गौतम के मुंह का जाइका लग चूका था औऱ वो चाहती थी की गौतम उसकी सुलगती चुत को चूसकर ठंडा कर दे..

सुमन ने बाथरूम में उंगलि करनी बंद कर दी औऱ अपनी साडी को कमर से ऊपर उठाकर अपनी लम्बी लम्बी झांटो को साफ झरने में लग गई.. कुछ पलों में उसकी चुत के आस पास के सारे बाल साफ हो गए औऱ उसकी गुलाबी चुत निखर कर औऱ भी ज्यादा आकर्षक बनकर सामने आ गई.. सुमन अपनी गुलाबी चुत देखकर बड़े प्यार से मुस्कुराते हुए उस पर हाथ फेरकर गौतम को याद करने लगी औऱ अब उसने गौतम से वापस अपनी चुत शांत करवाने का दृढ़ निश्चय कर लिया था मगर जब उसने दिवार पर लटक रही घड़ी देखी तो कुछ असमंजस में पड़ गई.. रात के बारह बज चुके थे औऱ इस वक़्त गौतम के पास जाना उसे अजीब लग रहा था.. उसे लग रहा था की गौतम सो चूका होगा औऱ अब वो अपनी इच्छा को पूरी नहीं कर पाएगी, सुमन उदासी से वापस बिस्तर पर आ गई औऱ अपनी सुलगती हुई चुत को सहलाते हुए गौतम को याद करने लगी..

सुमन इसी तरह कुछ देर लेटी रही औऱ अपने ख्यालों में खोकर गौतम औऱ उसके बीच सुबह हुआ प्यार की पहली उपलब्धि को याद करते हुए काम की आग में सुलगने लगी.. इसी तरह लेटे लेटे आधा घंटा औऱ बीत चूका था मगर सुमन को ना नींद आ रही थी ना सुकून मिल रहा था औऱ ना ही अपनी सुलगती चुत से छुटकारा मिल रहा था.. उसने गौतम के पास जाने का वापस सोचा मगर घड़ी में समय औऱ गौतम को नींद से जगाने का ख्याल उसे रोकने लगा..

सुमन ने अपना फ़ोन उठाकर गौतम को व्हाट्सप्प पर massage करने की सोची जिससे वो पता लगा सके की गौतम जाग रहा है या नहीं.. सुमन ने व्हाट्सप्प पर गौतम को massage किया औऱ उसके रिप्लाई का इंतजार करने लगी..

गोतम अभी भी रेशमा की यादो में खोया हुआ था मगर फ़ोन पर नोटिफिकेशन बीप की आवाज सुनकर उसका ध्यान रेशमा की यादो से उचट गया औऱ उसने अपने फ़ोन को हाथ में लेकर उसमे आये सुमन के massage को देखा..
सुमन - ग़ुगु सो गया क्या?
गौतम अपनी माँ का massage औऱ घड़ी में समय देखकर समझ गया की सुमन के मन में क्या चल रहा है.. गौतम massage देखकर मुस्कुराने लगा औऱ सोचने लगा कि अब उसकी माँ सुमन भी उसके लिए तैयार है.. गौतम ने तुरंत रिप्लाई करने का ख्याल दिमाग से निकाल दिया औऱ थोड़ा इंतेज़ार करने लगा..
इधर सुमन बेसब्री से गौतम के रिप्लाई का इंतजार कर रही थी मगर जब उसे दस मिनट गुजरने के बाद गौतम का रिप्लाई नहीं मिला तो वो निराश होकर फ़ोन बिस्तर पर पटक दिया औऱ एक तकिये को अपनी छाती से लगाकर बिस्तर ओर बैठ गई औऱ नाउम्मीदी से उदास हो गई.. सुमन ऐसी बैठी ही थी कि उसके फ़ोन पर नोटिफिकेशन की आवाज हुई औऱ सुमन ने फ़ोन हाथ में कर उसमे गौतम का massage देखा..
गौतम - नहीं माँ.. आप भी नहीं सोइ अभी तक?
सुमन की सारी उदासी हवा हो गई औऱ वो ख़ुशी से भर गई सुमन ने रिप्लाई किया..
सुमन - बेटू मुझे नींद नहीं आ रही?
गौतम - मुझे भी नींद नहीं आ रही माँ..
सुमन - नई जगह है ना शायद इसलिए.. एक दो दिन में आदत लग जायेगी..
गौतम - वो भी है पर आप जानती हो मुझे आपके साथ सोने की आदत लग चुकी है..
सुमन मुस्कुराते हुए - जानती हूँ बेटू.. पर यहां साथ नहीं सो सकते.. किसीने देख लिया तो बात का बतंगड़ बना देंगे..
गौतम - सही कह रही हो माँ.. किसीने देख लिया तो सोचेंगे हमारे बीच अफेयर चल रहा है..
सुमन - बेटू..
गौतम - हां माँ...
सुमन - तेरे रूम का सामने वाला दरवाजा बंद है क्या?
गौतम - हां क्यों?
सुमन - कुछ नहीं.. मैंने भी अपने रूम का सामने वाला दरवाजा बंद कर रखा है..
गौतम - तो?
सुमन - तो मेरे ग़ुगु ज़ी.. मैं पीछे हम दोनों के रूम की कॉमन बालकनी से तेरे रूम में आ रही हूँ.. पीछे बालकनी वाला दरवाजा खुला रखना..
गौतम - आ जाओ माँ.. खुला ही है..

गौतम ने अपनी टीशर्ट औऱ लोवर निकाल दिया औऱ सुमन का इंतज़ार करने लगा.. दो मिनट बाद सुमन भी अपनी साडी निकालकर सिर्फ ब्लाउज औऱ पेटीकोट में पीछे बालकनी के दरवाजे से गोतम के रूम में आ गई औऱ दरवाजा लगा दिया..
सुमन - बेशर्म कुछ पहन तो ले..
गौतम अपनी वी-शेप चड्डी के ऊपर से लंड को मसलते हुए - चड्डी पहन तो रखी है माँ.. औऱ इतना कहकर गौतम आगे बढ़ गया औऱ सुमन को अपनी बाहों में भर लिया..
सुमन - आराम से ग़ुगु.. कितना कसके पकड़ता है तू..
गौतम - आप ना चुप रहो.. समझी? मैं कब से आपका वेट कर रहा था औऱ आपने massage किया तो रात के पौने एक बजे..
सुमन - माफ़ कर बेटू.. मुझे लगा तू सो गया होगा..
गौतम सुमन का ब्लाउज खोलते हुए - माँ आप जानती तो हो आपका दूध पिए बिना मुझे नींद नहीं आती, आपके बिना कैसे सो सकता हूँ मैं?
सुमन - सॉरी बेटू.. माफ़ कर दे.. कल से इतनी देरी नहीं करुँगी..
गौतम ब्लाउज उतार कर ब्रा खोलते हुए - कोई बात नहीं माँ.. आपके लिए सब माफ़ है..
सुमन अपनी चूचियाँ गौतम को दिखाती हुई - देख तूने इनका क्या हाल किया था सुबह.. पुरे बूब्स पर तेरे काटने से कितने निशान बन गए.. भाभी पूछ रही थी इतनी ढक कर क्यों साडी पहनी है.. अब उनको क्या बताऊ? मेरा ग़ुगु मेरे बदन पर जगह जगह काटने के निशान छोड़ता है..
गौतम सुमन के पेटीकोट के नाड़े को खींचकर खोलता हुआ - किस बेशर्म का नाम ले रही हो माँ इस वक़्त.. सच कहु तो उसकी शकल देखकर मुझे गुस्सा आने लगता है..
पेटीकोट उतरने से सुमन भी गौतम की तरह चड्डी में आ जाती है औऱ कहती है..
सुमन - ऐसा क्यों बोलता है बेटू.. मामी है तेरी, औऱ इस बार तो तुझे बहुत प्यार भी कर रही है.. देखा नहीं कैसे आते ही तुझे अपने गले से लगाया था भाभी ने औऱ तेरे लिए कितना प्यारा औऱ महंगा सूट लिया है उन्होंने.. खाने के समय भी तो अपने हाथ से तुझे खाना खिला रही थी औऱ तुझे चुम रही थी..

गौतम सुमन को बाहों में उठाकर उसके साथ बिस्तर में गिरते हुए - प्यार नहीं कर रही माँ.. मामी लेना चाहती है मेरी.. सुबह जब मेरे गले लगी थी तब उनका हाथ आपके छोटे ग़ुगु पर था.. आप तो बातों में खोई हुई थी आपको पता भी नहीं चला.. मामी ने अच्छे से मेरे लंड को दबा के मसला था औऱ उसके बाद से मेरे पीछे पड़ी हुई है.. खाने के समय भी मामी अपने पैर से मेरे पैर को रगड़ रही थी.. मैं तो बस आपके कहने पर चुप हूँ वरना मामी को ऐसा सबक सिखाऊ की याद रखे वो रंडी..
सुमन गौतम के होंठ अपनी ऊँगली से पकड़कर - ग़ुगु चुपकर.. मामी को गाली देता है.. कितनी बड़ी है तुझसे वो.. औऱ थोड़ा बहुत तुझे इधर उधर छू लिया तो क्या हो गया उसमे..
गौतम - मामी की तरफदारी इसलिए कर रही हो ना क्युकी वो अब तमीज में बात कर रही है? मुझसे बढ़कर हो गई आपके लिए मामी?
सुमन गौतम के सीने के ऊपर आकर उसे चूमते हुए बोली - अच्छा ज़ी.. बाहर जब बड़ी उम्र की औरतों के साथ मुंह काला करता है तब तुझे शर्म नहीं आती.. औऱ घर की किसी औरत ने जरा छू लिया तो गुस्सा आ गया मेरे शहजादे को..
गौतम सुमन के कूल्हे मसलकर - किसके साथ मुंह काला किया मैंने.. जरा बताओगी आप?
सुमन गौतम की चड्डी में हाथ डालकर उसके लंड को मसलते हुए - मेरा मुंह मत खुलवा मेरे शहजादे.. मैं सब जानती तूने किस किसको अपने लंड पर खिलाया है..
गौतम सुमन के होंठों को चूमकर - तो बताओ ना.. ऐसे पहेलियाँ क्या बुझाती हो..
सुमन गौतम के चेहरे को अपने दोनों हाथों से पकड़कर एक लम्बा औऱ गहरा चुम्मा करते हुए - पिंकी के साथ उस रात तूने क्या क्या किया था मैं सब जानती हूँ.. उसके बाद होटल के रूम नम्बर 402 में तेरी वो टीचर क्या नाम बताया था तूने उसका माधुरी.. उसके साथ तूने जो गुल खिलाये थे वो भी मुझे मालुम है.. औऱ उस पुलिसवाली रजनी को खुलेआम जो तूने रगड़ा था ना उसका वीडियो भी मैंने तेरे फ़ोन में देखा पूरा देखा है.. इसके बाद तेरे फ़ोन में जो बुर्केवाली औरत की तस्वीरे है उसे देखकर लगता है तूने उसके साथ भी अपना ये गोरा मुंह काला किया हुआ है.. बेशर्म इतनी बड़ी बड़ी औरत के साथ मुंह काला करने के बाद अपनी सगी मामी के थोड़ा सा छूने पर मुझसे बच्चों की तरह मामी की शिकायत कर रहा है..

गौतम सुमन से ये सब सुनकर हैरान औऱ शर्म से लाल हो चूका था उसे समझ नहीं आ रहा था आगे सुमन से क्या कहे औऱ क्या करें.. सुमन गौतम के मनोदशा समझ रही थी औऱ सुमन ने ही गौतम से आगे बात करना शुरू किया..
सुमन प्यार से गौतम के चेहरे को अपनी तरफ करके - क्या हुआ मेरे शहजादे.. हो गई बोलती बंद? तेरी माँ हूँ मैं.. समझा?
गौतम - आप सब जानती हो फिर मुझसे कुछ नहीं बोली..
सुमन - क्या बोलती? वैसे भी अगर तुझे बड़ी औरत पसंद है तो इसमें क्या बुराई है? तेरी ख़ुशी के आगे तो मैं कुछ भी कर सकती हूँ.. तुझे अगर रूपा आंटी भी पसंद है बता मैं उसे मना लुंगी तेरे लिए..
गौतम मुस्कुराते हुए - अच्छा.. अब मेरे लिए दलाली भी करोगी आप?
सुमन हंसकर - तेरी लिए वो भी कर लुंगी..
गौतम - मुझे रूपा आंटी पसंद है पर आप रहने दो मैं खुद ही उन्हें मना लूंगा..
सुमन के लंड को मसलते हुए - मामी अगर छोटी मोटी छेड़-छाड़ी करें तो बुरा मत मानना ग़ुगु..
गौतम सुमन के निप्पल्स मरोड़ते हुए - आप फ़िक्र मत करो.. मामी को अब मैं बताऊंगा.. औऱ ऐसा बताऊंगा की मामी जिंदगी भर याद रखेगी..
सुमन हंसकर - वैसे एक बात कहूं बेटा..
गौतम सुमन के खड़े हुए चुचक मुंह में लेकर चूसते हुए - बोलो ना माँ..
सुमन - कोमल भाभी को ऐसे पेलना कि वो ऋतू की शादी तक ठीक से चल भी ना पाए..
गौतम हँसते हुए सुमन को देखकर - आप चिंता मत करो माँ.. मामी की ऐसी माँ चोदुँगा साली शादी के बाद भी लगड़ाकर ही चलेगी..
सुमन हस्ते हुए - गाली भी कितनी प्यारी लगती है तेरे इस मुंह से..
गौतम - आप कहो आपके लिए भी दो चार गाली अपने मुंह से निकाल दू..
सुमन - तू मुझे जो गाली देना चाहे दे सकता है ग़ुगु.. पर अब मेरा एक काम कर दे..
गौतम सुमन की चड्डी में हाथ घुसाते हुए - मैं जानता हूँ माँ आप किस काम से आई हो.. मैं अभी आपको खुश कर देता हूँ.. आपने चुत के सारे बाल साफ कर दिए?
सुमन - मेरे ग़ुगु के मुंह में आते थे ना इसलिए साफ कर दिए..
गौतम - उफ्फ्फ माँ.. कितनी चिकनी हो गई आपकी चुत..
सुमन - अब मेरी चुत पर अपना हाथ ही फेरता रहेगा या अपने इन प्यार से नाजुक होंठों का कमाल भी दिखायेगा?
गौतम - माँ.. पहले 1-1 पेग हो जाए?
सुमन - नहीं ग़ुगु..
गौतम - रूपा आंटी के साथ तो मना नहीं करती आप..
सुमन - अच्छा ठीक है पर यहां शराब क्या है?
गौतम - उसकी चिंता आप मत करो मैं साथ लाया था..
सुमन - ग़ुगु तू ना बहुत कमीना हो गया है..
गौतम अलमीरा खोलकर बेग से शराब की बोतल निकालता है औऱ दो प्लास्टिक के ग्लास निकालकर दोनों का एक एक पेग बनाता है औऱ सुमन के साथ चेस करते हुए एक सांस में सुमन के साथ पेग पी जाता है..
गौतम - माँ एक औऱ..
सुमन - नहीं ग़ुगु.. अब नहीं..
गौतम - अच्छा एक शर्त लगाते है..
सुमन - क्या?
गौतम - अगर मैंने 5 मिनट में आपको खुश कर दिया तो आप एक औऱ पेग मेरे साथ पिओगी..
सुमन - ठीक है लगी शर्त..
गौतम बेड के साइड टेबल से सिगरेट का पैकेट निकालकर एक सिगरेट अपनी माँ सुमन के गुलाबी होंठों पर लगा देता है औऱ फिर लाइटर से अपनी माँ के होंठों पर लगी सिगरेट जलाकर, सुमन की चड्डी नीचे सरकाते हुए उसकी चुत पर अपने होंठ लगा देता है जिससे सुमन के मुंह से सिस्कारी निकल जाती है औऱ वो एक हाथ से सिगरेट के कश लेटे हुए दूसरे हाथ से गौतम के बाल पकड़कर गौतम का सर अपनी चुत पर दबा लेती है औऱ चुत चटाई का अतुलनीय अद्भुत अकल्पनीय सुख भोगने लगती है..

गौतम किसी कुत्ते की तरह सुमन की चुत चाटे जा रहा था औऱ सुमन सिगरेट के कश लेते हुए सिसकारिया भरती हुई गौतम को वासना की नज़रो से देखे जा रही थी.. सुमन इतनी काम की आग में जल रही थी की पांच मिनट तो दूर उसके उंगलियों में सुलगती सिगरेट आधी ख़त्म होने से पहले ही उसकी चुत ने अपना पानी गौतम के मुंह में छोड़ दिया औऱ सुमन चरम सुख को अनुभव करती हुई निढाल हो गई.. गौतम ने चुत का पानी पीते हुए अच्छे से सुमन की चुत चाट कर ऊपर आ गया औऱ सुमन के हाथ से सिगरेट लेकर एक लम्बा कश मारके सिगरेट बुझा देता है औऱ सुमन से बोलता है..
गौतम - माँ लगता बहुत देर से रोके हुए थी आप अपनेआपको..
सुमन थोड़ा रूककर बिस्तर से उठकर दोनों के लिए शराब का दूसरा पेग बना लेती है औऱ एक पेग गौतम के हाथ में दे देती है औऱ दूसरा खुद पीकर कहती है..
सुमन - तू ना बहुत गन्दा है ग़ुगु.. ऐसी बुरी आदत लगा दी है एक दिन में कि बस.. अब तो लगता है बिना अपनी चुत चटवाए नींद ही नहीं आएगी..
गौतम पेग पीकर - तो क्या हुआ माँ.. मैं हूँ ना आपके पास.. आपकी इस पगुलाबी चुत को चाट चाटकर ठंडा करने के लिए..
सुमन को नशा होने लगा था..
सुमन - आजा ग़ुगु.. मैं भी तुझे खुश कर देती हूँ..
गौतम सुमन को कंडोम देकर - लो माँ लगा दो.. मैं समझ सकता हूँ आपको blowjob देने में उल्टी आती है.. मैं जबरदस्ती आपसे कुछ नहीं करवाना चाहता..
सुमन मुस्कुराते हुए गौतम से कंडोम लेकर फाड़ते हुए गौतम के लंड पर लगा देती है औऱ कहती है - तेरी इन्ही प्यारी प्यारी औऱ मीठी बातों के कारण कभी कभी मुझे लगता है कि मैं तुझे अपनी चुत भी दे दूँ.. मगर फिर तेरा औऱ मेरा रिश्ता बीच में आकर मेरे मन को पिंजरे में डाल देता है..
गौतम - माँ..
सुमन - हां ग़ुगु?
गौतम - क्या मैं आपको आपके नाम से बुला सकता हूँ अभी के लिए?
सुमन मुस्कुराते हुए - हम्म.. जैसा तु चाहे..
गौतम अपने लंड को सुमन के मुंह में ड़ालते हुए - एक बात बोलू सुमन..
सुमन लोडा मुंह में लेकर चूसते हुए गौतम को देखकर - हम्म.
गौतम - मुझे पापा से जलन होती है.. कश पापा की जगह आप मुझे मिली होती.. मैं आपको कभी वो दुख नहीं देता जो पापा ने आपको दिए है.. हमेशा आपको प्यार करता औऱ खुश रखता..
सुमन मुंह से एक पल के लिए लंड निकालकर नशे में हसते हुए - अच्छा हुआ नहीं मिली वरना मैं अगर तेरे पापा की जगह तुझे मिली होती तो तू सुहागरात में ही मेरी इस छोटी सी चुत को अपने इस लंड से फाड़कर उसका भोसड़ा बना देता..
गौतम सुमन के मुंह में वापस लंड डालकर उसे लोडा चुसवाते हुए - मैं मज़ाक़ नहीं कर रहा सुमन.. मुझे जगमोहन से बहुत जलन होती है औऱ उसपर हंसी भी आती है.. साले के लंड में जरा सा भी दम नहीं है मगर दोदो जन्नत की हूर जैसी बीवी रखी हुई है..
सुमन मुंह से लंड निकालकर - तू जानता है उस दूसरी बीवी को ग़ुगु.. मिला है कभी उस औरत से?
गौतम वापस लोडा मुंह में डालकर चुसवाते हुए - हां जानता हूँ सुमन औऱ मिला भी हूँ.. आप भी मिली है उससे..

सुमन लोडा चूसते चूसते - कौन है वो..
गौतम - पहले वादा करो आप गुस्सा नहीं करोगी.. सुमन लोडा चूसते हुए - नहीं करुँगी.. बता ना..
गौतम - सुमन उस रात होटल के रूम नम्बर 402 में आपने जिस औरत को मेरे साथ देखा था वो मेरी टीचर नहीं बल्कि आपकी सौतन माधुरी थी..
सुमन ये सुनकर गौतम के लंड को चूसना बंद करके उसके लंड को अपने दातो से पकड़ लेती है..
गौतम आह भरके - सुमन दर्द हो रहा है.. आह्ह.. छोडो ना सुमन..
सुमन थोड़ा औऱ अपने दातो की पकड़ गौतम के लंड पर मजबूत कर लेती है औऱ गौतम के चेहरे पर झलकता दर्द देखने लगती है..
गौतम फ़रियाद करता हुआ - माँ दर्द हो रहा है.. छोडो ना..
सुमन अपने मुंह से लंड निकालकर गुस्से से - उस डायन के साथ मुंह काला करते शर्म नहीं आई तुझे? तू जानता है उसके कारण हमें कितना दुख सहना पड़ा है.. फिर भी उसके साथ तूने सब कुछ किया..
गौतम अपने लंड को संभालता हुआ - उसका क्या दोष माँ इसमें.. पापा ने धोके से फसाया था उसे.. औऱ सच कहु तो आपसे ज्यादा गुस्सा मुझे उसपर आया था.. मगर वो भी आपकी तरह ही खूबसूरत औऱ हसीन थी.. मेरी नफरत कब प्यार में बदल गयी पता नहीं चला..
सुमन गुस्से से - मेरी तरह?
गौतम - सॉरी माँ.. आपसे थोड़ी कम..
सुमन - वो हमारे बारे में सच जानती है?
गौतम - नहीं अभी बताया नहीं उसे.. उस दिन आपके पूछने पर आपको बताया था ना शादी में लड़की मिली थी.. जिसके साथ पहली मुलाक़ात में सब हो गया था..
सुमन - वो माधुरी ही थी?
गौतम शरमाते हुए - हाँ.. पापा ने उसे घर भी दिलवाया है शहर के बीच पोश कॉलोनी में.. काफी अच्छा औऱ बड़ा है..
गौतम के लंड पर लगा कंडोम सुमन के दांतो की पकड़ से फट चूका था..
सुमन गौतम के लंड पर लगा कंडोम उतारते हुए - मुझे उससे बात करनी है.. तू कल उसे सारी सच्चाई बता देना..
गौतम - पर माँ सच्चाई जानने के बाद वो मुझे ठरकी समझेगी.. मैं पहले ही 3 दिन से उसका फ़ोन नहीं उठा रहा..
सुमन दूसरा कंडोम फाड़कर गौतम के लंड पर पहनाती हुई - वो तो तू है ही.. मैं भी तुझे कितना मासूम औऱ भोला समझती थी मगर तेरी इस भोली सी शकल के पीछे एक शैतान है..
इतना कहकर सुमन गौतम का लंड वापस चूसने लगती है...
गौतम सुमन के सर पर हाथ रखते हुए - ठीक है मेरी सुमन, जैसा आप कहो..

सुमन अब जोर जोर से औऱ पूरी मेहनत के साथ गौतम का लंड चूस रही थी उसे लोडा चूसते हुए बहुत देर हो चुकी थी मगर गौतम अपनेआप को बहुत कण्ट्रोल किये हुए सुमन को प्यार से देख रहा था औऱ blowjob का सुख ले रहा था.. सुमन पिछले 20 मिनट से गोतम के लंड को चूसकर उसका पानी निकालने की कोशिश कर रही थी मगर उसे सफलता नहीं मिल सकी थी.. गौतम समझ सकता था की सुमन का मुंह अब दर्द करने लग रहा होगा इसलिए उसने सुमन से कहा..
गौतम - माँ एक पेग औऱ बनाउ? लास्ट..
सुमन ने गौतम के लंड को मुंह से निकाल दिया औऱ हाँ में सर हिला दिया..
गौतम दो पेग बनाकर ले आया औऱ एक सुमन को देते हुए दूसरा खुद पिने लगा.. गौतम ने एक सिगरेट भी जला ली थी जिसके कश लगाते हुए वो अपने सामने घुटनो पर बैठी अपनी माँ सुमन को देख रहा था.. सुमन ने एक झटके में पूरा पेग ख़त्म कर दिया औऱ फिर वापस गौतम के लंड को मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दिया.. इस बार सुमन नशे में पूरी तरह उतर चुकी थी औऱ खुलकर गौतम का लोडा चूस रही थी गौतम चाहता तो अब अपने लंड पर से कंडोम हटाकर अपनी माँ से अपना लंड चुसवा सकता था मगर उसने ऐसा नहीं किया औऱ अपना पेग ख़त्म करके एक हाथ से सिगरेट के कश लगाता हुआ दूसरे हाथ से अपनी माँ के बाल पकड़ कर उसके मुंह में अपना लोडा तेज़ी दे अंदर बाहर करने लगा.. कुछ मिनटों बाद ही गौतम झड़ गया. सुमन गौतम के लंड पर से कंडोम उतार कर गाँठ लगाती हुई कंडोम को बेड के किनारे फर्श पर रखकर खड़ी हो गई औऱ गोतम के हाथ सिगरेट लेकर कश मारती हुई गौतम को देखने लगी गौतम भी तृप्त होकर सुमन के सामने खड़ा हुआ उसे ही देखे जा रहा था.. दोनों माँ बेटे एक दूसरे के सामने नंगे खड़े थे औऱ एकदूसरे को देख रहे थे..

गौतम ने कुछ देर इसी तरह खड़े रहकर सुमन के हाथ से सिगरेट लेकर बुझा दी औऱ सुमन की कमर में हाथ डालकर उसे अपने करीब खींचकर गले लगाते हुए चुम लिया औऱ दोनों वापस बिस्तर में गिर गए..
दोनों का ये चुम्बन बहुत देर तक चला औऱ जब टुटा तो दिवार पर लटकी घड़ी रात के दो बजने का फरमान सुना रही थी..
सुमन की आँखे नशे में होने का संकेत दे रही थी औऱ गौतम भी सुरूर में था.. मगर गौतम सुमन को उसके नशे का फ़ायदा उठाकर उसके साथ सम्भोग करना नहीं चाहता था.. इसलिए गौतम ने सुमन को अपने गले से औऱ कसके लगाते हुए प्यार से उसकी जुल्फ संवार कर उसके चेहरे को देखते हुए, सुमन के कंधे पर अपने हाथो से थपकिया देकर सुलाने की कोशिश करने लगा..
नशे में डूबी सुमन की आँख खुली हुई थी वो बस गौतम को देख रही थी.. उसका दिमाग अभी भी सब देख सुन रहा था, सुमन को अहसास हो रहा था कि कैसे गौतम उसे अपनी बाहों में भरके बच्चों की तरह सुलाने की कोशिश कर रहा था.. सुमन मुस्कुराते हुए अपनी आँख बंद कर लेती है औऱ कुछ पल बाद गहरी नींद में चली जाती है..
सुमन के नींद में जाने के बाद गौतम को अहसास होता है की उसका लंड अभी भी पूरी औकात में खड़ा था.. औऱ ऐसा होना स्वाभाविक भी था गौतम की बाहों में एक हसीन औऱ बेहद खूबसूरत औरत नंगी लेटी हुई थी भले वो गौतम की खुदकी माँ थी मगर उसके रूप ने गौतम के मन की सरहद पार कर दी थी..

गौतम सुमन को सुलाकार बिस्तर से उठ गया औऱ एक कंडोम पहनकर अपनी सोती हुई माँ के हुस्न को देखकर उसे चोदने के ख़्वाब देखता हुआ मुठ मारने लगा.. झड़ने के बाद गौतम अपनी माँ को फिर से बाहों में लेकर सो गया..

सुबह साढ़े छः बजे सुमन की आँख जब खुली तो उसने देखा की गौतम उसे बच्चों की तरह अपनी बाहों में लेकर सो रहा था. सुमन को गौतम पर रात की बात याद करके औऱ अभी सोता देखकर बहुत प्यार आ रहा था.. वो धीरे से गौतम की बाहों से निकली औऱ उठकर अपने कपडे पहनते हुए कमरे की हालत ठीक करके वापस बालकोनी से अपने कमरे में आ गई.. गौतम उसी तरह सोता रहा..


Awesome update
 

Rajadopyaja

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Bhai moms_bachha ji
Ek request hai kya aap ek English story ko padh ke us hi tarah ki story apki style mein likh sakte hai kya.
Story ka title hai "Spellbound" by writer Lovecraft.
Please ek baar iss story ko padh ke dekhiye.
 
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