- 205
- 917
- 93
प्यारे मित्रों,
मेरा नाम राजेश है ।
आज में आप लोगों को मेरे चुदक्कड़ मम्मी की हवस के खेल की सारी कहानी बताने जा रहा हूँ ।
तो सबसे पहले में आप सभी को मेरे परिवार से मिला देता हूँ ।
चाचा- रमेश गुप्ता- उम्र 36
दादा जी- जनार्दन गुप्ता- उम्र 67
पापा- लोकनाथ गुप्ता- उम्र 47
मम्मी- गायत्री गुप्ता- उम्र 42
और
मैं उनका एकलौता बेटा- उम्र 19 साल.....
दादी जी अभी इस दुनिया में नही हैं ।
और मेरा मम्मी गायत्री की उम्र भले ही 42 हो लेकिन उसकी शारीरिक बनावट और खूबसूरती बहुत ही आकर्षक थी ।
गोरा रंग, 36 की बूब्स, 38 की गांड, और 30 कि कमर, ये सब देख के कोई भी मर्द बहक सकता है । हमारे पड़ोस के कई मर्द उन्हें लाइन मारने का कोई भी मौका नही छोड़ते थे ।
पड़ोस के मिश्रा अंकल खिड़की से रोज मम्मी को लाइन मारते थे और तो और मिश्रा अंकल के बेटा मोहन भी मम्मी को चोदने की फिराक में था ।
मम्मी जब बाज़ार जाती थी तो बाजार में एक सब्जी बाला रामु नाम के मम्मी से double meaning बाते करता था ।
मेरे पापा की इलेक्ट्रॉनिक्स की दुकान है । वो वहीं पर व्यस्त रहते थे ।
मेरे चाचा रमेश एक प्राइवेट कंपनी में job करते थे ।
चलो तो फिर सुरु करते हैं कहानी-
दोस्तों में पढ़ाई के साथ साथ कंप्यूटर क्लासेज भी करता था ।
तो में रोज शाम 4 बजे कंप्यूटर क्लास के लिए निकलता था और 6 बजे आ जाता था ।
एक दिन की बात है "में रोज की तरह कंप्यूटर क्लास के लिए घर से निकला, लेकिन उस दिन हमारे सर् की तबियत खराब रहने की वजह से जल्दी घर लौटना पड़ा ।
में करीब 4:20 बजे क्लास से निकला घर के लिए ।
में घर पहुंच के मेरा साईकल को स्टैंड पे लगा के जैसे ही दरवाजे खोल के अंदर पहुंचा तो मैने मम्मी के रूम से किसी के हंसने की आवाजें सुनी ।
में धीरे से दरवाजे तक अपना कान ले के सुनने की कोसिस किया ।
तो पता चला अंदर मम्मी हंस रही थी । और किसी से बात कर रही थी । लेकिन मुझे ये समझ नही आया कि दूसरा कौन है, क्यों कि पापा उस वक़्त दुकान में होते हैं ।
तभी मम्मी बोल रही थी-: ओह फो यहां वहां हाथ मत लगाओ, जब भी देखो हाथ मारते रहते हो ।
तभी एक मर्द की आवाज सुनाई दिया और मुझे पता चल गया कि वो आदमी कौन था । वो मेरे चाचा रमेश थे ।
रमेश- हाथ लगा लगा के तो ही इतना बड़ा किया है तुम्हारे इस दो आम को ।
में समझ गया कि चाचा कौन सी आम की बात कर रहे थे ।
मम्मी- हाथ लगा दिए कोई बात नही, लेकिन खबरदार जो इस आम को चूसने की कोसिस की तो !
रमेश- कोई वेवकूफ ही होगा जो आम को बिना चूसे ही छोड़ दे, वो भी इतने बड़े रसीले आम ।
और फिर दोनों खिल खिला कर हंसने लगे । मम्मी की हंसी में मादकता भरी हुई थी ।
सच बोलूं तो मेरा लंड खड़ा हो गया था ये सब बातें सुन के ।
फिर रमेश चाचा बोले- आम इतने बड़े हो गए हैं कि एक आम एक हाथ में ठीक से नही आ रहा है, लगता है इसकी रस निचोड़ के पीना पड़ेगा ।
मम्मी- कौन रोका है तुमको, इतने साल से पी रहे हो मेने रोका है क्या तुम्हें ?
ये बात सुनके मेरे होश उड़ गए ।
रमेश- हैं डार्लिंग, जब तक आम की सारी रस ना चूस लूं तब तक तुम्हारी आम को चूसता रहूंगा ।
मम्मी- सारे रस मत चूसना, थोड़ा सा तुम्हारे भैया के लिए भी रखो, वेचारे क्या चूसेंगे ।
रमेश- भैया अभी भी चूसते हैं क्या ?
मम्मी- कभी कभी ।
तभी मम्मी की चिल्लाने की आवाज आई ।
मम्मी- ऊईईमा...... दांत मत लगाओ ना ।
में समझ गया कि चाचा ने शायद मम्मी के nipple को काट लिए होंगे ।
फिर 5 मिनट तक खामोशी छा गया और अंदर से सिर्फ चचचच्चा... चुचुचुचु...छपछप..चुचुचुच्छ...की आवाजें आने लगी । में समझ गया कि अंदर किसिंग चल रहा होगा ।
मेरा लंड बुरी तरह खड़ा हो गया था ।
5 मिनट बाद मम्मी बोली-: चलो जल्दी करो, तुम्हारा बेटा अभी आता ही होगा ।
रमेश- चलो उसको आने भी दो, आखिर उसे भी पता चले कि उसकी असली पापा उसकी मम्मी को कैसे प्यार करता है ।
मम्मी- तुम भी ना ! उसको पता नही चलना चाहिए कि तुम उसके पापा हो ।
रमेश- लेकिन क्यों ? उसको पता चलना चाहिए कि मैने तुम्हे चोद के उसे पैदा किया है ।
मम्मी- नाटक बन्द करो और जल्दी करो ।
रमेश- जल्दी करना मेरा आदत नही है । में आराम से औरत को भोगता हूँ, और वैसे भी तुम तो मेरी जान हो । तुम्हे प्यार से लंबे समय तक चोदना है ।
उस दिन मुझे पहली बार पता चला कि मेरा असली बाप कौन है ।
फिर मुझे नशा चढ़ने जैसा एहसास हुआ, क्यों कि आदमी जब हवस के आग में जलता है उसे कुछ दिखाई नही देता ।
मुझे मम्मी और चाचा की चुदाई देखने की बहुत इच्छा हुई । और में पूरी कोसिस करने लगा कि कैसे ये देखा जाय ।
फिर मे खिड़की के पास गया और छोटी से hole पे झांकने लगा ।
अंदर का नजारा देख के में थरथरा गया ।
मम्मी और चचा पूरे नंगे थे । वदन पे एक भी कपड़े नही थे ।
मम्मी को में पहली बार नंगी देख रहा था
मेरा नाम राजेश है ।
आज में आप लोगों को मेरे चुदक्कड़ मम्मी की हवस के खेल की सारी कहानी बताने जा रहा हूँ ।
तो सबसे पहले में आप सभी को मेरे परिवार से मिला देता हूँ ।
चाचा- रमेश गुप्ता- उम्र 36
दादा जी- जनार्दन गुप्ता- उम्र 67
पापा- लोकनाथ गुप्ता- उम्र 47
मम्मी- गायत्री गुप्ता- उम्र 42
और
मैं उनका एकलौता बेटा- उम्र 19 साल.....
दादी जी अभी इस दुनिया में नही हैं ।
और मेरा मम्मी गायत्री की उम्र भले ही 42 हो लेकिन उसकी शारीरिक बनावट और खूबसूरती बहुत ही आकर्षक थी ।
गोरा रंग, 36 की बूब्स, 38 की गांड, और 30 कि कमर, ये सब देख के कोई भी मर्द बहक सकता है । हमारे पड़ोस के कई मर्द उन्हें लाइन मारने का कोई भी मौका नही छोड़ते थे ।
पड़ोस के मिश्रा अंकल खिड़की से रोज मम्मी को लाइन मारते थे और तो और मिश्रा अंकल के बेटा मोहन भी मम्मी को चोदने की फिराक में था ।
मम्मी जब बाज़ार जाती थी तो बाजार में एक सब्जी बाला रामु नाम के मम्मी से double meaning बाते करता था ।
मेरे पापा की इलेक्ट्रॉनिक्स की दुकान है । वो वहीं पर व्यस्त रहते थे ।
मेरे चाचा रमेश एक प्राइवेट कंपनी में job करते थे ।
चलो तो फिर सुरु करते हैं कहानी-
दोस्तों में पढ़ाई के साथ साथ कंप्यूटर क्लासेज भी करता था ।
तो में रोज शाम 4 बजे कंप्यूटर क्लास के लिए निकलता था और 6 बजे आ जाता था ।
एक दिन की बात है "में रोज की तरह कंप्यूटर क्लास के लिए घर से निकला, लेकिन उस दिन हमारे सर् की तबियत खराब रहने की वजह से जल्दी घर लौटना पड़ा ।
में करीब 4:20 बजे क्लास से निकला घर के लिए ।
में घर पहुंच के मेरा साईकल को स्टैंड पे लगा के जैसे ही दरवाजे खोल के अंदर पहुंचा तो मैने मम्मी के रूम से किसी के हंसने की आवाजें सुनी ।
में धीरे से दरवाजे तक अपना कान ले के सुनने की कोसिस किया ।
तो पता चला अंदर मम्मी हंस रही थी । और किसी से बात कर रही थी । लेकिन मुझे ये समझ नही आया कि दूसरा कौन है, क्यों कि पापा उस वक़्त दुकान में होते हैं ।
तभी मम्मी बोल रही थी-: ओह फो यहां वहां हाथ मत लगाओ, जब भी देखो हाथ मारते रहते हो ।
तभी एक मर्द की आवाज सुनाई दिया और मुझे पता चल गया कि वो आदमी कौन था । वो मेरे चाचा रमेश थे ।
रमेश- हाथ लगा लगा के तो ही इतना बड़ा किया है तुम्हारे इस दो आम को ।
में समझ गया कि चाचा कौन सी आम की बात कर रहे थे ।
मम्मी- हाथ लगा दिए कोई बात नही, लेकिन खबरदार जो इस आम को चूसने की कोसिस की तो !
रमेश- कोई वेवकूफ ही होगा जो आम को बिना चूसे ही छोड़ दे, वो भी इतने बड़े रसीले आम ।
और फिर दोनों खिल खिला कर हंसने लगे । मम्मी की हंसी में मादकता भरी हुई थी ।
सच बोलूं तो मेरा लंड खड़ा हो गया था ये सब बातें सुन के ।
फिर रमेश चाचा बोले- आम इतने बड़े हो गए हैं कि एक आम एक हाथ में ठीक से नही आ रहा है, लगता है इसकी रस निचोड़ के पीना पड़ेगा ।
मम्मी- कौन रोका है तुमको, इतने साल से पी रहे हो मेने रोका है क्या तुम्हें ?
ये बात सुनके मेरे होश उड़ गए ।
रमेश- हैं डार्लिंग, जब तक आम की सारी रस ना चूस लूं तब तक तुम्हारी आम को चूसता रहूंगा ।
मम्मी- सारे रस मत चूसना, थोड़ा सा तुम्हारे भैया के लिए भी रखो, वेचारे क्या चूसेंगे ।
रमेश- भैया अभी भी चूसते हैं क्या ?
मम्मी- कभी कभी ।
तभी मम्मी की चिल्लाने की आवाज आई ।
मम्मी- ऊईईमा...... दांत मत लगाओ ना ।
में समझ गया कि चाचा ने शायद मम्मी के nipple को काट लिए होंगे ।
फिर 5 मिनट तक खामोशी छा गया और अंदर से सिर्फ चचचच्चा... चुचुचुचु...छपछप..चुचुचुच्छ...की आवाजें आने लगी । में समझ गया कि अंदर किसिंग चल रहा होगा ।
मेरा लंड बुरी तरह खड़ा हो गया था ।
5 मिनट बाद मम्मी बोली-: चलो जल्दी करो, तुम्हारा बेटा अभी आता ही होगा ।
रमेश- चलो उसको आने भी दो, आखिर उसे भी पता चले कि उसकी असली पापा उसकी मम्मी को कैसे प्यार करता है ।
मम्मी- तुम भी ना ! उसको पता नही चलना चाहिए कि तुम उसके पापा हो ।
रमेश- लेकिन क्यों ? उसको पता चलना चाहिए कि मैने तुम्हे चोद के उसे पैदा किया है ।
मम्मी- नाटक बन्द करो और जल्दी करो ।
रमेश- जल्दी करना मेरा आदत नही है । में आराम से औरत को भोगता हूँ, और वैसे भी तुम तो मेरी जान हो । तुम्हे प्यार से लंबे समय तक चोदना है ।
उस दिन मुझे पहली बार पता चला कि मेरा असली बाप कौन है ।
फिर मुझे नशा चढ़ने जैसा एहसास हुआ, क्यों कि आदमी जब हवस के आग में जलता है उसे कुछ दिखाई नही देता ।
मुझे मम्मी और चाचा की चुदाई देखने की बहुत इच्छा हुई । और में पूरी कोसिस करने लगा कि कैसे ये देखा जाय ।
फिर मे खिड़की के पास गया और छोटी से hole पे झांकने लगा ।
अंदर का नजारा देख के में थरथरा गया ।
मम्मी और चचा पूरे नंगे थे । वदन पे एक भी कपड़े नही थे ।
मम्मी को में पहली बार नंगी देख रहा था