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Incests thriller suspense��
चूतो का समुंदर में डुपकी
(मैं अपने मन मे सोचा कि क्या इसे बताऊ मेरे सपने के बारे मे…फिर सोचा कि नही अभी नही फिर कभी)
मैं- अरे कुछ नही भाई, वो आज रश्मि ने लंड चूसा …वही सोच कर लंड अकड़ रहा था
संजीव- साले अभी तो मत सोच ये स्कूल है
मैं- तो क्या हुआ बे
संजीव- क्या भाई अब यहाँ तेरे खड़े लंड को कौन शांत करेगा
मैं-मन मे(पूनम है ना..)
(पूनम संजीव की सिस्टर थी…मैने उसे चोदा था ….ये कैसे हुआ वो कहानी आगे आयगी…वो हम से 2 साल बड़ी है..लेकिन पढ़ाई मे कमजोर है तो जैसे तैसे 11थ मे पहुचि है इस साल…मतलब हम से 1 क्लास पीछे)
संजीव- भाई तेरे तो मज़े है घर पर चूत ओर गंद खुली मिलती है…मैं क्या करू मुझे तो कभी-2 ही मिल पाती है....
(संजीव के घर उसकी ग्रूप फॅमिली थी…संजीव के मोम डॅड के अलावा दो सिस्टर थी …बड़ी पूनम थी,,,ऑर उससे भी बड़ी थी सोनी…जिसकी शादी हो गई थी…इसके अलावा संजीव की 2 कज़िन सिस्टर भी थी….रक्षा ऑर अनु…रक्षा संजीव से 1 साल छोटी थी ऑर अनु संजीव के बराबर ही थी.....दोनो हमारे ही स्कूल मे पढ़ती है)
सोनी
[/पूनम
[URL='https://imgbb.com/']रक्षा
अनु
मैं-(थोड़ा सोच कर)- संजीव 1 बात कहूँ…लेकिन बुरा मत मानना
संजीव- बोल भाई …तेरी किसी बात का बुरा माना है आज तक
मैं- लेकिन भाई अभी जो मैं बोलने वाला हूँ वो सुनकर शायद तू बुरा मान जाय
संजीव-भाई दिल खोल कर बोल…बुरा नही मनुगा…तू बोल ना भाई
मैं(झिझकते हुए)- भाई तू अपने घर मे किसी को सेट कर ले ना. तेरी प्राब्लम सॉल्व हो जाएगी...
संजीव(थोड़ी देर चुप रहने के बाद बोला)- भाई क्या बात कर रहा है....???
मैं-मैने पहले ही बोला था कि बुरा मत मानना, मैने तो इसलिए कहा कि अगर तेरे घर मे तुझे कोई चोदने के लिए मिल गई तो तेरा रास्ता सॉफ हो जाएगा ओर तू घर मे ही मज़े करेगा....
संजीव(थोड़ा खुश होते हुए ऑर झिझकते हुए)- भाई….सच कहूँ….तुझसे क्या छिपाना…..चाहता तो मैं भी हूँ...
मैं- पर क्या..???
संजीव(थोड़ा सोचकर)- मैं किसके साथ…मतलब मुझसे कौन ….समझ ना..
मैं- समझा....ये बात है…अच्छा तू एक बात बता
संजीव-हाँ बोल क्या..???
मैं-तुझे तेरे घर पर किसी को देखकर मन करता है चोदने का...सच बताना
संजीव(काफ़ी देर सोचकर)-हाँ... ....हहा...भाई..बट
मैं-बट क्या..??? ..बोल ना
संजीव(झिझक के साथ)- भाई तू हँसेगा मुझ पर
मैं-भाई तू मेरा खास दोस्त है मैं हँसूँगा नही..बल्कि तेरी हेल्प करूगा....ताकि तू भी मज़े कर पाए
संजीव-(झिझकते हुए)-मेरी...म्म्म...मम्मी
मम्मी
मैं(शॉक्ड होकर)- सच में...????
संजीव-हाँ भाई..ऑर नज़रे झुका लेता है
मैं-तो शरमाता क्यो है बोलना...कि तू तू अपनी मम्मी को छोड़ना चाहता है...??
संजीव-हाँ..बट मम्मी...कैसे..???
मैं (कुछ सोच कर)-अच्छा ये बता कि तेरी फीलिंग्स क्या होती है जब तेरी मोम तेरे सामने आती है ..बोल
संजीव-भाई सच बोलू
मैं-हाँ बिल्कुल सच
संजीव-(शरमाते हुए)-भाई जब मम्मी को देखता हूँ..तो मेरा लंड अकड़ने लड़ता है ऑर उनकी गंद को देख कर तो…हहायी….क्या गाड़ है मेरी माँ की...लगता है कि 1 ही झतके मे लंड उसकी गंद मे उतार दूं पर...
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मैं-पर क्या यार..??
चूतो का समुंदर में डुपकी
(मैं अपने मन मे सोचा कि क्या इसे बताऊ मेरे सपने के बारे मे…फिर सोचा कि नही अभी नही फिर कभी)
मैं- अरे कुछ नही भाई, वो आज रश्मि ने लंड चूसा …वही सोच कर लंड अकड़ रहा था
संजीव- साले अभी तो मत सोच ये स्कूल है
मैं- तो क्या हुआ बे
संजीव- क्या भाई अब यहाँ तेरे खड़े लंड को कौन शांत करेगा
मैं-मन मे(पूनम है ना..)
(पूनम संजीव की सिस्टर थी…मैने उसे चोदा था ….ये कैसे हुआ वो कहानी आगे आयगी…वो हम से 2 साल बड़ी है..लेकिन पढ़ाई मे कमजोर है तो जैसे तैसे 11थ मे पहुचि है इस साल…मतलब हम से 1 क्लास पीछे)
संजीव- भाई तेरे तो मज़े है घर पर चूत ओर गंद खुली मिलती है…मैं क्या करू मुझे तो कभी-2 ही मिल पाती है....
(संजीव के घर उसकी ग्रूप फॅमिली थी…संजीव के मोम डॅड के अलावा दो सिस्टर थी …बड़ी पूनम थी,,,ऑर उससे भी बड़ी थी सोनी…जिसकी शादी हो गई थी…इसके अलावा संजीव की 2 कज़िन सिस्टर भी थी….रक्षा ऑर अनु…रक्षा संजीव से 1 साल छोटी थी ऑर अनु संजीव के बराबर ही थी.....दोनो हमारे ही स्कूल मे पढ़ती है)
सोनी
[/पूनम
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अनु
मैं-(थोड़ा सोच कर)- संजीव 1 बात कहूँ…लेकिन बुरा मत मानना
संजीव- बोल भाई …तेरी किसी बात का बुरा माना है आज तक
मैं- लेकिन भाई अभी जो मैं बोलने वाला हूँ वो सुनकर शायद तू बुरा मान जाय
संजीव-भाई दिल खोल कर बोल…बुरा नही मनुगा…तू बोल ना भाई
मैं(झिझकते हुए)- भाई तू अपने घर मे किसी को सेट कर ले ना. तेरी प्राब्लम सॉल्व हो जाएगी...
संजीव(थोड़ी देर चुप रहने के बाद बोला)- भाई क्या बात कर रहा है....???
मैं-मैने पहले ही बोला था कि बुरा मत मानना, मैने तो इसलिए कहा कि अगर तेरे घर मे तुझे कोई चोदने के लिए मिल गई तो तेरा रास्ता सॉफ हो जाएगा ओर तू घर मे ही मज़े करेगा....
संजीव(थोड़ा खुश होते हुए ऑर झिझकते हुए)- भाई….सच कहूँ….तुझसे क्या छिपाना…..चाहता तो मैं भी हूँ...
मैं- पर क्या..???
संजीव(थोड़ा सोचकर)- मैं किसके साथ…मतलब मुझसे कौन ….समझ ना..
मैं- समझा....ये बात है…अच्छा तू एक बात बता
संजीव-हाँ बोल क्या..???
मैं-तुझे तेरे घर पर किसी को देखकर मन करता है चोदने का...सच बताना
संजीव(काफ़ी देर सोचकर)-हाँ... ....हहा...भाई..बट
मैं-बट क्या..??? ..बोल ना
संजीव(झिझक के साथ)- भाई तू हँसेगा मुझ पर
मैं-भाई तू मेरा खास दोस्त है मैं हँसूँगा नही..बल्कि तेरी हेल्प करूगा....ताकि तू भी मज़े कर पाए
संजीव-(झिझकते हुए)-मेरी...म्म्म...मम्मी
मम्मी
मैं(शॉक्ड होकर)- सच में...????
संजीव-हाँ भाई..ऑर नज़रे झुका लेता है
मैं-तो शरमाता क्यो है बोलना...कि तू तू अपनी मम्मी को छोड़ना चाहता है...??
संजीव-हाँ..बट मम्मी...कैसे..???
मैं (कुछ सोच कर)-अच्छा ये बता कि तेरी फीलिंग्स क्या होती है जब तेरी मोम तेरे सामने आती है ..बोल
संजीव-भाई सच बोलू
मैं-हाँ बिल्कुल सच
संजीव-(शरमाते हुए)-भाई जब मम्मी को देखता हूँ..तो मेरा लंड अकड़ने लड़ता है ऑर उनकी गंद को देख कर तो…हहायी….क्या गाड़ है मेरी माँ की...लगता है कि 1 ही झतके मे लंड उसकी गंद मे उतार दूं पर...
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मैं-पर क्या यार..??