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Incest छीनाल मां

ram11

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एक रात को 1 बजे मैं अपने कमरे में लेटा हुआ मोबाइल पे गन्दी गन्दी चुदाई की कहानियां पढ़ रहा था. मुझे ध्यान नहीं रहा की दरवाज़ा पूरी तरह से बंद नहीं है. मैं माँ बेटे की चुदाई वाली कहानीयों पढने में मुझे बहुत मजा आता है और मैं आज भी ऐसी ही एक कहानी को रस लेकर पढ़ रहा था. मेरा लवड़ा पत्थर की तरह टाईट हो गया था और मैं उसे हाथ में लेकर हिला रहा था. बाप रिश्तेदार के यहाँ बाहर गए था इसलिए माँ सो रही थी और मैं उसे ही याद करते हुए सेक्सी इन्सेस्ट कहानीपढ़ रहा था. मुझे मेरी माँ बहुत सेक्सीलगती है, उसके बड़े बड़े पांच पांच किलोके मम्मे और और उनपे तीर की तरह तने पांच इंच के चूचक चूसने का मेरा बड़ा मन करता है. 48 इंच की उसकी कमर है जिसके कारन उसके चूतड बहुत बड़े हैं. मुझे लगता है वो गांड बहुत मरवाती होगी. उसकी बड़ी सी तोंद निकली हुयी है, जो मुझे अक्सर दिखती रहती है. खाना खाने के बाद वो साडी उतर देती हैफिर अपनी मोती तोंद में मेरे सामने ही हाथ फेरते हुए कहती - मेरे मुन्ने यहीं मैंने तुझे पूरे नौ महीने रख के पाला है. फिर वो अपने मोटे मम्मो को दोनों हाथो में भर लेती जो हाथो में आनहीं पाते. तब उसके लो कट स्लीवलेस ब्लाउज से आधे से ज्यादा गोरे गोरे मम्मे बाहर झाँकने लगते. वो मुझे दिखाते हुए कहती - इन्ही से मैंने तुझे पांच साल तक दूध पिलाया है. ऐसा सुनते ही मेरा लवड़ा निक्कर में खड़ा हो जाता. वो अपनी बगलों के बाल साफ़ नहीं करती थी, इसलिए वहां 10 इंच लम्बे बालों का जंगल उगा हुआ था. जिन्हें वो मेरे सामने ही कंघी करती, मेरा मन करता की वहां मैं अपनी जीभ सेकंघी कर दूँ. पर वो मुझे ऐसा कोई मौका नहीं देती इसलिए मुझे मन मार कर कामुक कहानिया पढ़ कर मुठ मारना पड़ता. आज भी मैं जोर जोर से लवड़ा हिला रहा था तभी मेरी माँ कमरे में घुस आई
 

ram11

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."अरे मेरा बेटा सोया नहीं अब तक, मोबाइल में पढ़ रहा है. हिंदी कहानियां पढ़ रहा है.""ओह शिट... आई. तुम सोयी नहीं अब तक!!""अरे तू तो पूरा नंगा है बेटा!!! अरे इतनी रात को पूरे कपडे क्यूँ उतार रक्खे हैं तूने !!! और ये मेरी गन्दी चड्ढी तेरे हाथ में क्यों है?? क्या कर रहा है तू... बोल मेरी चड्ढी के साथ क्या कर रहा है??? मैंने रात में सोनेसे पहले चड्ढी उतर कर बाथरूम में रखी थी. तू वहां से मेरी गन्दी चड्ढी ले आया और उसके साथ तू ये क्या कर रहा है.""कुछ नहीं आई...""कुछ क्या नहीं. और ये कौन सी कहानी पढ़रहा है तू.... दिखा जरा..."उसने झटके से मेरा मोबाइल छीन लिया और पढने लगी."माँ बेटे की चुदाई की कहानी. तो तू इतनी रात को ये सब पढता है. माँ बेटे की चुदाई. और कोई कहानी नहीं मिली तुझे पढने को हरामखोर, कुत्ते की औलाद. तो तू ऐसी कहानिया पढने के बाद अपनी आई के साथ ये सब करना चाहता है. अपनी सगी आई के साथ..."वो अपने नंगे पेट में हाथ फेरते हुए बोली - नौ महीने मैंने तुझे यहाँ रख के पाला और तू अपनी सगी आई के बारे में ऐसा सोचता है. उसके बारे में चुदाई की कल्पना करता है... तेरा लवड़ा जरूर ऐसी कहानियां पढ़ कर खड़ा होता होगा, क्यूँ??मैं कुछ नहीं बोला."अब चुप क्यूँ है हरामखोर, मुह पे ताला पड़ गया क्या?? हां खड़ा तो होता है, देखो लवडे को कैसा खड़ा किया हुआ है. ८ इंच का लवड़ा कैसा फूल गया है. शर्म नहीं आती तुझे आई के सामने लवड़ा खड़ा करने में...."मैं लंड को छुपाने लगा."छुपाता क्यूँ है भड़वे. मेरी चड्ढी को सूंध कर लंड खड़ा करता है और फिर आई को देख के छुपाता है. सूअर मैंने ही इसको खिला पिला के इतना बड़ा किया है तभी यह मेरी चड्ढी को देख के फूल रहा है. बोल न सही कह रही हूँ न मैं... सही हैन....""सॉरी आई ""सोरी से क्या होगा!!! तू अपनी सगी आई को चुदाई की नज़र से देखता है... उसके साथ शारीरिक सम्बन्ध बनाना चाहता है... उसको चोदना चाहता है.... हाय किस हरामखोर सूअर को मैंने पैदा किआ जो अपनी सगी माँ को चोदना चाहता है... उसकी चड्ढी को सूंघ के मुठ मरता है... लवड़ा खड़ा करता है...."आई ने गुस्से से मेरे बाल पकड़ कर मुझेझकझोर दिया."तू मेरी कोख में ही क्यों न मर गया. मादरचोद तुझे मैंने पैदा ही क्यों किआ.... तू अपनी माँ की चूत में 8 इंच का ये मोटा लवड़ा डालना चाहता है. मेरे भोसड़े को चोदना चाहता है..... हाय मेरा सगा बेटा मेरा भोसदा चोदना चाहता है.... अपनी सगी माँ को भी नहीं छोड़ा... कैसा कलयुग आ गया है भगवन की बेटा ही अपनी माँ का भोसडे में लंड पेलना चाहता है....."मेरी माँ की आँखे गुस्से से लाल हो रही थी. उसके मन में जो आ रहा था वो बकती जा रही थी. मुझे भी बहुत ग्लानी हो रही थी, मन कर रहा था की मर जाऊं लेकिन मेरा लवड़ा बैठने की बजाय और खड़ा हो रहा था. मेरी माँ मेरे लंड को घूरे जा रही थी."देख तो कैसा तन रहा है... इसका मतलब तू सच में अपनी आई को चोदना चाहता है. तेरे बाप को पता चलेगा तो वो तुझे फांसी पे लटका देगा. मेरे भोसड़े को उसके और रिश्तेदारों के अलावा आज तक किसी और नहीं चोदा.... और तू भी इस भोसड़े में लवड़ा पेलना चाहता है.... शर्म कर तेरी आई हूँ मैं.... पैदा किआ है मैंने तुझे....""सोरी माँ... गलती हो गयी... अब नहीं करूँगा.... कभी नहीं करूँगा...." सोरी माँ... गलती हो गयी... अब नहीं करूँगा.... कभी नहीं करूँगा...."
 
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ram11

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तेरी हरकतों को देख के तो ऐसा लगता है की तू रोज़ करेगा... बता क्या करता हैमेरी चड्ढी के साथ... बता... कैसा मजा मिलता है तुझे.... बोल भडवे... क्या करता है तू मेरी गन्दी चड्ढी के साथ....""आई.... जब तुम सो जाती हो तो मैं बाथरूमजाकर तुम्हारी चड्ढी ले आता हु....""तुझे कैसे पता चला की मेरी चड्ढी बथरूम में है....""आई तुम मेरे सामने ही कई बार पेटीकोट से चड्ढी निकाल दिया करती थी और बाथरूम में फेंक देती थी तोह....""हाय राम मैं तो तुझे बच्चा समझ ऐसा करती थी और तू मुझे ऐसा करते देख लवड़ाटाईट करता था.... सही कहती है मेरी माँ आजकल के लौंडो का कोई भरोसा नहीं.... मौका मिले तो सबसे पहले माँ को छोड़ दें.... बता फिर क्या करता था तू....""मैं बाथरूम जाता और तुम्हारी गन्दी चड्ढी को कमरे में ले आता. फिर नंगा हो जाता. तुम्हारी चड्ढी को सूंघता.... उसमे से तेरी चूत की बास आती.... तो मेरा लवड़ा खड़ा होने लगता.... उसमे तुम्हारी चूत का पानी लगा होता, मैं उसे चाटता.... मेरा लवड़ा एकदम टाईट हो जाता फिर मैं अपना लवड़ा चड्ढी में फंसा कर चड्ढी को चोदता...."माँ ये सुनकर गुस्से में बोली - वाह मेरी चड्ढी चोदता और कल्पना करता की तू मुझे चोद रहा है. तेरा लवड़ा मेरे भोसड़े में घुस रहा है. तू मेरे पांच पांच किलो के मम्मे दबा रहा है. यही न.... यही सोचता है न तू.... बता.... मैं तुझेकितना सीधा समझती थी....सबसे तेरी तारीफ करती थी की मेरा बेटा चुदाई से दूर है... दिन भर पढता रहता है.... मादरचोद तू ये पढता था... माँ बेटे की चुदाई की कहानिया.... मेरी गन्दी चड्ढी के साथ मुठ मरता है.... माँ को चोदने की कल्पना करता है..... आने दे तेरे बाप को उसी से तेरी शिकायत करुँगी.... साले गोली मार देगा वो तुझे.... मादरचोद.....ये सुनते ही मेरी गांड फट गयी.... मेरे बाप का गुस्सा बहुत खतरनाक है.... उसके उपर आठ मर्डर के केस चल रहे हैं. वो एक नुम्बर का हरामी इंसान था. मोहल्ले की एक भी औरत ऐसी नहीं थी जिसे उसने न चोदा हो. मैं माँ के पैरों पे गिर गया."मुझे माफ़ कर दे आई... मुझसे बहुत बड़ी गलती हो गयी.... मैंने तेरे भोसड़े को याद करके मुठ मारी.... अब कभी तेरे नाम की नहीं मरूँगा.... न तेरे भोसड़े को यादकरूँगा.... न ही तेरी गन्दी चड्ढी छुऊंगा...."माँ ने अपने पेटीकोट को कमर तक उठाया और अपने ६ इंच के क्लीन शेव्ड भोसड़े को दिखाते हुए कहा - यही चाहिए न तुझे... इसी भोसड़े का भूखा है न तू कुत्ते.... यहीं अपना लंड पेलना चाहता है न तू.... मुझे कुतिया बना के चोदना चाहता है न तू.... देख... इसी भोसड़े का दीवाना है न तू.... इसी के लिए तेरा लवड़ा खड़ा होता है.... अपनी सगी आई की इसी चूत को देखकर तू मुठ मारता है न.... यहीं से निकला है तू कुत्ते....मैं आई के भोसड़े को घूरते हुए बोला- मुझे माफ़ कर दे आई.... अब गलती दुबारा नहीं करूँगा.... प्लीज पापा को न बोलना प्लीज...."तू ऐसा कैसे कर सकता है... तू मेरा सगा बेटा है, मैं तेरी सग्गी आई.... और अपनी सगी आई के भोसड़े को ही तू चोदना चाहताहै...."
तू ऐसा कैसे कर सकता है... तू मेरा सगा बेटा है, मैं तेरी सग्गी आई.... और अपनी सगी आई के भोसड़े को ही तू चोदना चाहताहै....
 

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माँ ने मेरे बाल पकड़ कर मेरे सर को चूत के पास खिंच लिया और बोली - देख यही चाहिए न तुझे.... यही चाहिए न....फिर वो बिस्तर में अपनी टांगे खोल कर लेट गयी और मेरे सर को टांगो के बीचो बिच खिंच लिया. उसने दोनों हाथो से अपनी 6 इंच की चूत को फैला दिया. वो दो बित्ते की बेहद फटी हुयी कोयले सी काली चूत थी....उसका गुलाबी मुह इतना बडा की मेरा पूरा सर अन्दर घुस जाए. हाथी का लंड भी कम पड़े... उसकी बेहद फटीऔर चौड़ी चूत का दाना यानि क्लिट 4 इंच का था जो लंड की तरह तना हुआ था. ऐसा लगता था की आई इससे भी किसी को चोद सकती है. चूत के फांके 5 इंच लम्बी कबूतर के पंखो की तरह फैली हुयी थी औरकाली थी लेकिन अन्दर से एकदम लाल गुलाबी थी. मूतने का छेद इतना बड़ा था की दो उंगलियाँ उसमे भी घुस जाएँ. चूतके अन्दर का मांस निकल कर बाहर आया हुआ था. ऐसा लग रहा था मानो गुलाबी रंग की फूल गोभी उगी हो. मेरा मन उस गोभी में मुह मारने को ललचा उठा. साथ ही मुझे समझ में नहीं आ रहा था की आई की चूत इतनी बड़ी कैसे हुयी होगी.आई ने मेरे मन का चोर पकड़ लिया, वो अपनी लाल सुर्ख आँखों को नचाते हुए बोली - भड़वे... तेरा बाप इसी भोसड़ा को चोदता है और तू भी यही से निकला है... तेरी सगी माँ का भोसडा है यह... तुझे शरम नहीं आती अपनी सगी आई का भोसडा देखते!!!! ऐसे घूर घूर के देख रहा है लगता है की खा जायेगा... इसी को देख के तेरा लंड खड़ा होता है न... इसी की बास तू मेरी चड्ढी में सूंघता है न.... बोल...बोल...
मैंने हाँ में सर हिलाया तो माँ ने मेरा मुह चूत में घुसा दिया. मेरी नाकउसके क्लिट से रगड़ गयी और मेरा लवड़ा झटके मारने लगा. वो बोली - सूंघ साले हरामी.... सूंघ ले मेरे भोसड़े को... सूंघ... ले ले इसकी खुश्बू.... तुझे बहुत पसंद है न तेरे आई के भोसड़े की बास.... सूंघ ले....
मैं अपनी नाक उस चार इंच के लंड पर रगड़ कर सूंघने लगा. बड़ी भीनी सी खुशबुथी.... पेशाब सी महक आ रही थी.... बहुत तेज़... मुझे आई के मूत की बदबू खुशबु कीतरह लग रही थी.... मैं जोर जोर से उस खुशबु को अपनी नाक में भरने लगा. माँ ने मुट्ठी में मेरे सर के बाल पकड़ लिएऔर अपनी गांड उठा कर मेरे मुह में रगड़ने लगी...
"साले हरामी तुझे मजा आ रहा है आई के भोसड़े को सूंघने में... हाय इतने मजे से तो तेरा बाप भी इसे नहीं सूंघता.... हाय राम तू कितना मादरचोद बेटा है.... अपनी सगी आई के भोसड़े को सूंघ रहा है.... हाय बेशरम सूंघ ले.... हाय, अब सूंघता ही रहेगा की चाटेगा भी... तेरी आई की चूत चाट ले भडवे.... हां चाट ले इस माँ के भोसड़े को.... मेरी फटी चूत को चाट भडवे.... चाट मेरी काली बुर.... हाय पूरी जीब घुसा दे छेद में.... चाट ले इस जगह को, यही से तू निकला है मादरचोद.... मेरे फटी बुर को चाट ले...."
 

ram11

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ऐसा कहते हुए आई अपनी बुर को जोर जोर से मेरे मुह में रगड़ने लगी. उसकी चूत का चिपचिपा पानी मेरे चेहरे में लगने लगा. उसकी पेशाबी बास मुझे पागल करने लगी. उसके फूल गोभी जैसे उभरे मांस को मैंने अपने मुह में भर लिया और जोर जोर से चूसने लगा.... बुर का मांस बहुत नरम था, ऐसा लग रहा था मानो मैं मटन की बोटी चूस रहा हूँ. एकदम रसीली.... उसका चूत का पानी भी बहते हुएमेरे मुह में जा रहा था. चूसने से पुच्च पुच्च की तेज़ आवाज़ हो रही थी औरमाँ गांड उछाल उछाल कर चिल्ला रही थी - ऐसे ही चाट बेटा आई के फटे भोसड़े को.... हाय बहुत दिनों बाद किसी ने इसे चाटा है... मेरे मादरचोद बेटे बहुत मस्त चाट रहा है तू.... ऐसे ही चाट... चाट ले बेटा... इसी भोसड़े से तू १६ साल पहलेनिकला है.... हाय और आज तू उसे चाट रहा है.... तुझे शर्म भी नहीं आ रही... पापी.... हवस के कीड़े.... हरामखोर.... तू आई की बुर को चाट कर बहुत बुरा कर रहा है... तुझे नरक में भी जगह नहीं मिलेगी.....
मुझे माँ की बातें और गलियां बहुत उत्तेजित कर रही थी. वो अक्सर रात मेंमेरे बाप को गन्दी गन्दी माँ बहन की गलियां दिया करती थी. तब मुझे लगता थाकी बंद कमरे के भीतर दोनों लड़ रहे है. आज पता चला वो कैसी लडाई थी. चुदाई के दौरान मेरी माँ को गलियां बकते हुए डोमिनेट करने की आदत है. इसका जिवंत प्रमाण आज मैं खुद देख और अनुभव कर रहा हूँ. मैंने चार इंच के काले क्लिटको अपने मुह में भर लिया और मुठ मारनेकी तरह आगे पीछे कर जीभ से चोदने लगा...मेरी माँ ने उत्तेजना से अपनी मोटी टांगें मेरी गर्दन में लपेट ली. कुछ पल के लिए लगा की वो मेरा गला घोंट देगी. लेकिन ऐसा नहीं हुआ और उसने पकड़ढीली कर दी और मजा लेते हुए बोली - हरामी खड़ा कर दे मेरे लंड को फिर इसी से तेरी गांड मरूंगी... तेरे गांड के छेद का आज इसी लवडे से उद्घाटन करुँगी.... हाय चूस हरामी.... कितना मस्त चूसता है रे तू... हाय इतना मस्त तो तेरा बाप भी नहीं चूसता रे.... कहाँ से सिखा, बता भडवे कहाँ से सिखा.... और किस किस के भोसड़े कहते तूने बता... किसने सिखाया तुझे इतना मस्त चूसना... बोल....हाय
मैंने आई की बातों को अनसुना कर उसके क्लिट को दांतों से हलके हलके काटने लगा. आई उत्तेजित होकर जोर जोर से चिल्लाने लगी - मादरचोद बेटे.... हाय क्या काट लेगा मेरे छोटे से लवडे को... हाय चाट बना कर खायेगा इसे... खा ले हरामी खा ले ऐसे ही खा ले.... हाय....मैंने दो उंगलियाँ आई की चूत में घुसा दी और उसकी काली पुत्तियों को चूसने लगा. आई की चूत से खूब पानी बह रहा था ऐसा लग रहा है जैसे वो मूत रही है. नमकीन स्वाद मेरे मुह में आ रहा था और पेशाब की बदबू भी... मैंने गौर सेदेखा तो मूतने के छेद से पानी रिस रहाथा. इसका मतलब आई धीरे धीरे मूत रही है. मैंने अपना मुह उस छोटे से छेद पर रख दिया और जीभ को नुकीला कर अन्दर घुसा दिया. घुसाते ही मूत की एक हलकी सी धार मेरे मुह में टकराई जिससे होंठ भीग गए. मैं मजे लेता हुआ जीभ से ही मूतने के छेद को चोदने लगा. आई उत्तेजना से कसमसाते हुए दोनों हाथोसे मेरे बाल पकड़ कर खीचने लगी जैसे उखाड़ ही देगी. और मुझे दर्द की बजाय मज़ा आ रहा था मैं और जोर से चाटने लगा वो निचे से गांड उछलने लगी. उसने मेरासर चूत में अन्दर तक घुसा दिया जिससे मेरी आँखे, नाक और मुह सब भोसड़े में घुस गया. पूरा चेहरा उसके मूत और पानीसे चिपचिपा हो गया.
 

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हाय मन करता है की तेरे जैसे हरामी बेटे को फिर से भोसड़े में घुसा लूँ. तेरे सर से ही चुदवा लूँ. हाय क्या मस्त चाटता है तू. ऐसा लग रहा है की तू चाट चाट के मेरी चूत का पानी गिरवा देगा... हाय राम... बहुत मस्त है तू मादरचोद...."

मैंने दो उंगलिया उसकी चूत में घुसा दी और वो अन्दर जाकर गायब हो गयी. आई को कुछ असर ही नहीं हुआ. मैंने फिर चार उंगलिया डाल दी. फिर भी कुछ नहीं हुआ. मैंने अपना मोटा हाथ अन्दर घुसा दिया और काले भोसड़े को चोदने लगा."हाय राम... हरामी ये क्या किआ तूने... मेरे फूल जैसे कोमल भोसड़े में हाथ घुसा दिया.... हाय राम कितना निर्दयी है तू... तुझे तेरी सग्गी आई पर जरा भी रहम नहीं आया.... इतना मोटा हाथ मेरे छोटे से भोसड़े में घुसा दिया और चोद रहा है... हाय लंड डालने की जगह में हाथघुसाता है कोई भला!!! दुष्ट लौंडा है तू... तू अपनी सग्गी आई की फटी चूत को और फाड़ देगा... हाय राम मादरचोद... अब जोर जोर से हाथ चला... हाय और जोर से.... हाय हाथ को लंड बना के चोद.... हरामी कहीं के... मादरचोद... मुट्ठी बंद कर के चोद..."
मैंने अपने हाथ की मुट्ठी बंद की और बंद मुट्ठी से चोदने लगा. मैं पूरा हाथ बाहर निकलता और वापस डाल देता. हाथ कंधे तक उस भोसड़े में घुस जाता... उसकी गहराई बहुत थी... ऐसा लगता मानो कोई अँधेरा कुआ है जिसका कोई तल नहीं है. आई को मजा रहा था वो जोर जोर से गांड उछाल कर चुदवा रही थी. उसकी चूत के अन्दर का गुलाबी मांस मेरे हाथ के साथ ही बाहर निकल कर आ जाता. फिर मैं उस मांस को पंचिंग बैग समझ कर मुक्का मारता तो हाथ के साथ ही भोसड़े की गहराइयों में समां जाता. आई ने अपनी टांगे पूरी चौड़ी कर हवा में उठाई हुयी थी और पैर के अंगूठे को हाथो से पकड़ा हुआ था जिससे भोसड़ा पूरा खुल गया था. वो उत्तेजना से काँप रही थी, मैंने हाथ कंधे तक घुसाया हुआ था और अन्दर मेरी उंगलिया चूत के मॉस को सहला रही थी उसका तल खोज रही थी. मैं इस वक़्त खुद को गोताखोर की तरह महसूस कर रहा था जो समंदर की गहराइयों में जाकर तल से चीज़े खोज कर लाते हैं. मैं भी आई के भोसड़े के तल को खोज रहा था, उंगलियों से सहला रहा था. आई अपने उत्तेजना के चरम पे थी जैसे ही मैंने हाथ बाहर निकाला. मूत का एक जोरदार फ़व्वारा मेरे चेहरे से टकराया. मुझे चेहरा हटाने का टाइम भी नहीं मिला और मैं आई के मूत से पूरा नहा गया. वो जोर जोर से मूत रही थी और उस धार का निशाना मेरा चेहरा था. वो जोर से हंस रही थी, उसे बहुत मजा रहा था. मेरा मुह खुल गया था और मैं मूत पी रहा था. मुझे बहुत मजा आ रहा था. हाय मेरी आई का मूत बहुत स्वादिष्ट है... मन करता है की आई सारी ज़िन्दगी ऐसे ही मूतती रहे और मैं उसका नमकीन पीला मूत पीता रहूँ...."पी ले भडवे... पी ले... तेरी सग्गी आई का मूत पि ले... तू किस्मत वाला है जो तुझेसगी माँ का मूत पिने को मिला... लोग तरसते रहते है... मर जाते है... फिर भी नहीं पी पाते... मादरचोद पी ले... बता कैसा है मेरा मूत... बता..."

मैंने एक चूल्लू में मूत लिया और आई के मुह डाल दिया - तुम खुद चख लो आई...आई ने गुस्से से मुझे देखा और बोली - मादरचोद तेरी इतनी हिम्मत... सगी आई को मूत पिलाएगा... माँ को उसका सगा बेटा उसी का मूत पिलाएगा... देख रहे हो भगवन कैसी फूटी किस्मत है मेरी... मेरा सगा बेटा मुझे मूत पिला रहा है... घोर कलयुग आ गया है भगवन... ये माँ की सेवा करने की बजाय मूत पिला रहा है..."आई ये तुम्हारा ही है... और फिर मैंने भी तो पिया..."
मूत पीना टट्टी खाना सूअर को अच्छा लगता है. तू साले सूअर है इसलिए तुझे अच्छा लगता है. अभी मूत पिया है फिर बोलेगा आई भूख लगी है टट्टी खिला दो... तू सूअर है तो क्या मैं भी सुअरनी हो जाऊं... नहीं, कभी नहीं... अब खड़े खड़े क्या तक रहा है... चल साफ़ कर मेरा मुह जो तूने गन्दा किआ है..."

मैंने आई की गन्दी चड्ढी उठाई और उसके मुह की ले गया. वो गुस्से से मुझे देखते बोली - चड्ढी से नहीं..."फिर किस् से ??""तेरी जीभ से भडवे... मादरचोद तू मेरे गंदे फटे भोसड़े को जीभ से चाट कर साफ़ कर सकता है तो मुह को भी साफ़ कर..."मैंने अपनी जीभ निकाली और उसके सांवले मोटे मोटे गालों को चाटने लगा. उसने अपनी आँखे बंद कर ली. मुझे नहीं पता था की आई इतनी छोटी सी बात से इतना नाराज़ हो जाएगी. मैं उसके चेहरे को अच्छे से चाट कर साफ़ कर देनाचाहता था जिस से उसका गुस्सा दूर हो जाये.
 
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