- 14,615
- 19,212
- 214
Mast supar Update Komal jiछुटकी - होली, दीदी की ससुराल में
छुटकी,
स्टेशन पर सब लोग छोड़ने आये थे , उनकी सलहज , रीतू भाभी , ... उनकी मंझली साली , दसवीं वाली ... बेचारी अभी भी सम्हल सम्हल कर चल रही थी , पिछवाड़े तेज चिलख उठ रही थी उसको , और रीतू भाभी अपनी ननद की ये हालत देख कर , मुश्किल से अपनी हंसी दबा पा रही थीं , पता उन्हें भी था और मुझे भी , मैं तो जब छत पर के कमरे से छुटकी का सामान लाने गयी थी तो मैंने हल्के से देखा भी था , मंझली निहुरी हुयी थी , कुतिया बनी दुछत्ती पर , और ये पीछे से चढ़े हुए ,
" नहीं जीजू उधर नहीं , पीछे नहीं , प्लीज आगे कर लीजिये न बहुत दर्द हो रहा है "
मैं समझ गयी , अगर लड़के दर्द का ख्याल करें न तो न तो किसी लड़की की गाँड़ मारी जाय न किसी चिकने लौंडे की गाँड़ ,... और ऊपर से वहां न तो कडुआ तेल था न वैसलीन , सिर्फ थूक लगा के ये अपनी मंझली साली की गाँड़ मारने के चक्कर में पड़े थे , दसवें में पढ़ने वाली लड़की ,कितनी कसी होगी आप सोच सकते हैं , ...
बस मैं दबे पाँव बिना कुछ भी आवाज किये नीचे छुटकी का समान ले कर आ गयी ,
मिश्राइन भाभी ने बल्कि पूछा भी पाहुन नहीं दिख रहे हैं मैंने बहाना बना दिया , बस तैयार हो रहे हैं , आ ही रहे हैं।
हम लोगो के एकदम चलने का टाइम हो गया तब पहले सहारा लेकर धीरे धीरे मंझली ऊपर से उतरी , और पीछे पीछे वो ,...
और मंझली के चलने के अंदाज से सभी समझ गए पिछवाड़े कुदाल कस के चली है।
छुटकी बहुत खुश थी ,
आखिर उसे अपने जीजू के साथ चलने का मौका मिल गया , और फिर उससे बढ़कर उसे आठ दस दिन के बाद आना नहीं पड़ेगा , मिश्राइन भाभी ने अपने सलहज होने का हक पूरी तरह अदा कर दिया , नन्दोई का फायदा करा कर ,... इनका मुंह उतरा था छुटकी चल तो रही थी , लेकिन उसे आठ दस दिन बाद आना पड़ता , नौवीं का सालाना का इम्तहान बाकी था ,
बस उन्होंने अपने नन्दोई की परेशानी समझ भी ली , सुलझा भी दी। वो छुटकी के स्कूल की वाइसप्रिंसिपल थी और मिश्राजी मैनेजर , बस। उन्होंने फैसला सुना दिया , छुटकी को।
" ... तो मत आओ न , अरे ऐसे जीजू के पास जाने का मौक़ा थोड़े मिलता है , अरे तेरा छमाही में अच्छे नंबर थे बस उसी के ऊपर , ... कम्पार्टमेंटल ,... अब जुलाई में स्कूल खुलेगा तभी , तीन चार महीने दीदी जीजा के पास रहो ,... "
ये बताना मुश्किल था की छुटकी ज्यादा खुश थी या छुटकी के जीजू।
और अब वो अपने जीजू के पास चिपकी लिबरा रही थी,इतरा रही थी , मंझली को चिढ़ा रही थी , एकदम भूल कर की अभी चार पांच घंटे पहले इन्ही इसके जीजू ने कितनी बेरहमी से फाड़ी थी ,... और कितना जोर जोर से वो चीख चिल्ला रही थी।
" जीजू आपने आज बहुत तंग किया अभी तक ,... " वो अपने जीजू से शिकायत कर रही थी की उसके जीजू की सलहज ने अपनी ननद का छुटकी का गाल कस के चिकोटी काटी ,
" अरे जीजू ने तंग किया की ढीली किया , अभी तो जा रही हो न आज रात में ट्रेन में तेरी बची खुची भी ढीली कर देंगे , ... प्यार से करवाना , ... "
स्टेशन पर ज्यादा भीड़ भाड़ नहीं थी , अभी तो होली की छुट्टिया हीं चल रही थी , कौन होली के बीच में जाता , और जब ट्रेन आयी तो वो भी आलमोस्ट खाली , फर्स्ट क्लास के चार बर्थ वाले में हम लोगों का रिजर्वेशन था , हम लोगों का स्टेशन छोटा सा था तो दो मिनट में ही ट्रेन चलने लगी।
लेकिन तभी उसके पहले टीटी आया , वही जो हम लोगों के आते समय था और जिसको उन्होंने १०० रुपये की टिप दी थी
उनको देखते ही जोर से मुस्कराया , बोला लगता है होली जबरदस्त हुयी है।
सच में १० -१२ कोट तक तो मैंने गिना था उसके बाद मैंने भी छोड़ दिया , सबसे तगड़ी तो मोहल्ले की भाभियाँ , इनकी सलहजें , ... महीने भर की कालिख इकट्ठा की थी और एक इंच भी इनके देह की बची नहीं होगी , जहाँ वो कालिख नहीं पोती गयी होगी , बल्कि मिश्राइन औरदूबे भाभी ने पिछवाड़े दो पोर तक अंदर ऊँगली कर के भी , उसके बाद आज उनकी सालियों ने लीला , रीमा छुटकी और रीतू भाभी ने ,... पिछवाड़े के गड़हे में , वार्निश पेण्ट , पके रंग लाल नीला बैगनी और रीतू भाभी ने तो इनकी सालियों से , छुटकी की दोनों सहेलियों से , सीधे उनके चर्म दंड पर सुनहला पेण्ट ,...
" अरे ससुराल में आये थे ऐसे बच के चले जाते , ... महीने भर तक तो लगेगा रंग छुड़ाने में , " उनके बगल में बैठी हंसती खिलखलाती छुटकी बोली।
उसका भी तो चेहरा क्या पूरी देह पर अभी भी रंगों के निशान,.... जीजा के साथ भौजाइयों ने भी
लेकिन ये तो सीधे मुद्दे पर आये ,
" रास्ते में कोई और पैंसेजर तो नहीं आएगा ,... " उन्होंने पूछा।
" नहीं नहीं अभी तो होली की ,... आप के कोच में आप ही लोग है और आप का स्टेशन भी सुबह आठ बजे आएगा , और आज ट्रेन में कोई और टीटी नहीं है , मुझे ही सारे डिब्बे चेक करने है , एक ओर का डिब्बा मैंने बंद कर दिया है , आप दूसरी ओर का बंद कर दें "
इतनी जोर से इनकी मुस्कराहट फैली और बाहर निकलने के साथ ही अबकी २०० का नोट इनके हाथ से टीटी के जेब में चला गया।
मुझे मंझली और छुटकी का स्टेशन पर , एक दूसरे को चिढ़ाना याद आ रहा था, पहले तो छुटकी खूब मंझली को चिढ़ा रही थी,
"देख जीजू मुझे ज्यादा चाहते हैं तभी तो मुझे अपने साथ ले जा रहे हैं, तू यहाँ बैठ के किताबों से कुश्ती लड़ना और मैं वाहन जीजा के साथ गाँव में खूब मस्ती,... और अब तो इम्तहान देने भी नहीं लौटना है, मुझे बस वहीँ दीदी के गाँव, जीजू के साथ रोज मस्ती,... "
लेकिन मंझली भी तो मेरी बहन थी, वो चढ़ गयी, बोली,...
" अरे जीजू ने तो तेरे सिर्फ आगे, मेरे तो आगे पीछे दोनों ओर, अभी शाम को खूब दर्द हुआ लेकिन साली कौन जो जीजू के लिए थोड़ा बहुत दर्द न बर्दास्त करे, ...तो सोच ले,... मैं बड़ी हूँ , इसलिए मेरे आगे पीछे दोनों , और तेरे तो सिर्फ एक ओर "
गनीमत था उसी समय ट्रेन के आने की सीटी सुनाई दी लेकिन मैं जानती थी छुटकी को , अब उसके मन में भी,....
और उसे क्या मालूम था, उसके पिछवाड़े पर तो उसके जीजू के जीजू का नाम लिखा था, जो पिछवाड़े के मामले में अपने साले से भी दो हाथ आगे थे, और किंकी भी नम्बरी, मैं भूल नहीं सकती की होली के दिन दहाड़े कैसे उन्होंने मेरे पिछवाड़े चढ़ाई की, वो भी अपनी पत्नी और मेरी ननद के सामने, साथ में उनका एक दोस्त भी था,
ये अभी भी केबिन के बाहर थे , सब दरवाजे कोच के अच्छी तरह बंद करने, और कपडे चेंज करने, और मैं एक बार फिर से यादों में खो गयी, नन्दोई जी ने रगड़ाई तो मेरी बहुत की पर मजा भी बहुत आया,
फ्लैश बैक
Chalo jate jate jija ne apni manjhali sali ki gand our chut dono hi maar liya
chhutki badi utawali ho rahi hai magar jab jija ka jija uski gand marega to tab kitna maja legi dekhte hai