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Adultery छुटकी - होली दीदी की ससुराल में

komaalrani

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छुटकी -होली दीदी की ससुराल में

भाग १११ पंडित जी और बुच्ची की लिख गयी किस्मत पृष्ठ ११३८

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Chalakmanus

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असल में कहानी में अभी असली फोकस बुच्ची पे हैं, कच्ची कली, दर्जा नौ वाली, दूल्हे की कजिन, और कहानी के शुरू में आपको याद होगा तो थोड़ी सी नकचढ़ी, मजाक में उछलती थी,

और उसके बाद है दूल्हे की माँ पे, और कुछ है सहायक भूमिका में चुनिया, बुच्ची की सहेली, रामपुर वाली भाभी, मंजू भाभी और

ऑफ़ कोर्स इमरतिया तो है ही

इसलिए और अधिक करेक्टर्स जोड़ने से एक तो बुच्ची पर फोकस हलका होगा और दूसरे कहानी मंद हो जायेगी और वैसे भी कथानक के अलावा क्योंकि में रस्म रिवाज और लोकगीतों पे भी जोर दे रही हूँ, जो इस फोरम पर कम ही लेखिकाएं करती हैं इसलिए उसका भी असर घटनाक्रम की तेजी पर पड़ता है।

पर आपने कहा है तो जल्द ही एक दो और करेक्टर्स जुड़ेंगे, बुच्ची की ही उम्र के
🙏🙏🙏🙏
 

komaalrani

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Bhaut aacha likhte ho aap ...

Please watch mine also

Welcome to thread

:thanks: :thanks: :thanks: :thanks: :thanks: :thanks:
 
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Rajizexy

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छुटकी -होली दीदी की ससुराल में

भाग १११ पंडित जी और बुच्ची की लिख गयी किस्मत
२८,५३,५०१
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जबतक सूरजु की माई ये किस्सा सुना रही थीं की एक ज्योतिषी आये /आयीं

ज्योतिषी जी लगता है सीधे बनारस से आये थे, पोथी पत्रा समेटे, माथे पे त्रिपुण्ड, खूब गोरे, थोड़े स्थूल, धोती जैसे तैसे बाँधी, ऊपर से कुरता पहने, एक हाथ में चिमटा भी,खड़का के बोले,

" अलख निरंजन, अलख निरंजन, किसी को बच्चा न हो रहा हो, कोई लंड के बिन तरस रही हो, बाबा सब का हल करेंगे, सबकी परेशानी दूर करेंगे, सबका भाग बाँचेंगे "

चुनिया तो आज अपनी सहेली बुच्ची की ऐसी तैसी करवाने पे जुटी है, बस ज्योतिषी जी का पैर पकड़ लिया और छोड़ने को तैयार नहीं,...

" आप मेरी इस बेचारी सहेली का कल्याण कर दीजिये, बहुत परेशान है बेचारी,… जो दक्षिणा कहियेगा देगी, आप की सब बात मानेगी, "

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" अच्छा तो ये दूल्हे की बहिनिया भी है " पंडित जी ने बुच्ची के गोरे गोरे मुखड़े को देख कर कहा,

" सगी से बढ़कर, …सगी तो कोई है नहीं तो ये सगी से बढ़कर, राखी यही बांधती है, सब रसम बहन वाली यही " मुन्ना बहु ने जोर से हंकार लगाई
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और ज्योतिषी जी बैठ गए, बुच्ची का बायां हाथ पकड़ लिया और सब ओर देख के बोले,

" यह छिनरिया क भौजाई कौन है "

इमरतिया, मुन्ना बहु, रामपुर वाली भाभी सब ने जोर की हंकार लगाई, लेकिन डांट पड़ी इमरतिया को, और हुकुम हुआ,



" ये कहती है की कोरी है, अभी तक लंड का सुख नहीं लिया तो पहले खोल के जांच कर के मुझे दिखाओ "

जबतक इमरतिया आती रामपुर वाली भाभी ने बुच्ची का हाथ पकड़ के खड़ा कर दिया और छोटी सी स्कर्ट कमर पे, इमरतिया और मुन्ना बहु ने बुच्ची को जकड़ लिया और रामपुर वाली ने पहले तो हथेली से सबको दिखाते हुए बुच्ची की बुर को रगड़ा थोड़ी देर और जब पनिया गयी तो दोनों फांको को पूरी ताकत से फ़ैलाने की कोशिश की,

बुच्ची की बुरिया सच में नहीं खुल पायी, बड़ी मुश्किल से, कोई बहुत कोशिश करेगा तो बस पतली वाली ऊँगली वो भी एक, तेल वेल लगा के, कलाई की पूरी ताकत से एक पोर भी घुस जाए तो बड़ी बात,

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और सब भौजाइयों का मन खुश हो गया, कोई अपने भाइयों के मजे के बारे में सोच के, कोई देवरों के लेकिन सबसे ज्यादा इमरतिया मुस्करा रही थी, आज तो उसने घोंट के देख भी लिया था, अब तक परपरा रही थी, टमाटर ऐसा मोटा सुपाड़ा था सूरजु का और कड़ा भी कितना, और कमर में जोर तो, सांड मात। और इस पतली संकरी दरार में जाएगा, लेकिन जाएगा तो जाएगा, भैया बहिनिया का रिश्ता है, बिना चुदे तो बचेगी नहीं,

लेकिन इमरतिया का ध्यान टूटा ज्योतिषी जी की डांटसे,

" कौन भौजाई है कोहबर रखाने वाली, सुन लो कान और गांड दोनों खोल के, कल सांझ होने के पहले, ये अपने भाई से, दूल्हे से चुद जानी चाहिए, और झूठ मुठ का नहीं, सच्ची, कम से कम दो भौजाइयां, इस स्साली की बुर में ऊँगली डाल के मलाई जांचेगी तब माना जाएगा इसने अपने भैया क मलाई घोंट ली है "
Super sexy update 👌👌👌
Jyotishi bhi sab nonveg batein hi kr rha hai
 

Rajizexy

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बुच्ची -पिछवाड़े काला तिल
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" एकदम पंडित जी,"मुन्ना बहु और इमरतिया दोनों बोली।

लेकिन चुनिया के मन में तो अपने भाई का फायदा नाच रहा था, गप्पू बेचारा जब से आया था बुच्ची का जोबन लूटने के पीछे पड़ा था। और चुनिया भी चाहती थी, उसे अपनी सहेली को चिढ़ाने का, छेड़ने का मौका मिल जाता, तो ज्योतिषी जी का गोड़ तो वो पकड़े ही थी, कुछ उनसे कुछ अपनी सहेली बुच्ची से गुहार लगाने लगी,

" हे खाली अपने भाई को दोगी या हमारे भाई को भी चिखाओगी. .... बेचारा गप्पू इतने दिन से दो इंच की चीज के लिए निहोरा कर रहा है /"
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' अरे भौजाई के भाई का तो पहला हक़ है, भौजाई की ननद पे, लेकिन चलो अब बियाह बैठा है तो दूल्हा के बाद इसके भाई का ही, गप्पू का ही गप्प करना, और वो भी एक दिन के अंदर ही, कल सांझी तक दुलहे क मलाई और परसों तक गप्पू का, जो नखड़ा करें ये तो सब भौजाई पकड़ के जबरदस्ती आपन आपन भाई चढ़ा दें इसके ऊपर "

ज्योतिषी ने फैसला सुना दिया,

लेकिन बुच्ची का हाथ देखते देखते उनके माथे पे बल पड़ गए



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जैसे कोई बहुत बड़ी परेशानी सामने आ गयी हो, फिर अपने कागज भी देखा उन्होंने और जैसे अपने से बोलीं "

ये बरात जाने के पहले ही बड़ी मुसीबत है "

" का हुआ पंडित जी " बुच्ची भी परेशान हो के बोली,

लेकिन बुच्ची की बात अनसुनी कर के उन्होंने रामपुर वाली भाभी से कहा,

" जरा देख तो इस स्साली रंडी के गाँड़ पे, दाएं चूतड़ पे कोई तिल तो नहीं है "

बस रामपुर वाली भाभी को मौका मिल गया, बुच्ची को उन्होंने खड़ी किया, और फ्राक उठा के दोनों चूतड़ फैला के खुद भी देखा,… सबको दिखाया।


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था।

खूब बड़ा सा काल तिल, दाएं चूतड़ पे एकदम गाँड़ की दरार के बगल में, चूतड़ दोनों खूब मस्त, फूले फूले बहुत ही टाइट, कैसे कसे और दरार एकदम चिपकी कसी।

" उपाय बताइये, महाराज " मुन्ना बहु हाथ जोड़ के बोली, फिर कहा " तिल तो है "

" उपाय तोहरे, कुल भौजाई लोगन के हाथ में हैं, पहले तो दूल्हा से इसकी गाँड़ मरवाओ, और बुर के टाइम भले ही एक दो बूँद सरसों का तेल , लेकिन गाँड़ एकदम सूखी,


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बहुत हुआ तो दूल्हा का लौंड़ा चूस चूस के जितना गीला कर ले इनकी ये बहिनिया और अपने हाथ से उसका लौंडा पकड़ के इसकी सूखी गाँड़ में सटा के, तीन धक्के में पूरा लंड अंदर होना चाहिए जड़ तक "

ज्योतिषी जी बोले।
लेकिन पंडित जी ने अभी भी अपना गोड़ पकडे चुनिया की ओर देखा और सीरियस हो के चुनिया से पूछा,
" दूल्हे का कोई स्साला है क्या "
चुनिया का मुंह एक डीएम खिल गया, मुस्करा के बोली, है ना, मेरा भाई गप्पू।
और पंडित जी ने बिना चुनिया के चेहरे पर से ध्यान हटाए, गंभीरता पूर्वक फैसला सुनाया
" उपाय है, बारात बिना बिघन के जायेगी और उपाय है वही स्साला, उसी के हाथ में है सब कुछ। दूल्हे की बहिन पहले दूल्हे से गांड मरवायेगी, दूल्हे की भौजाई के सामने तो इस काले तिल का असर कम होगा, लेकिन पूरा असर जाएगा, जब दूल्हे का साला, इस काली तिल वाली की गांड मारेगा,
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और फिर से बरात जाने के ठीक पहले, सब के सामने, जैसे कुल रस्मे नाउन कराती है ये रस्म भी करानी होगी, आँगन में निहुरा के दूल्हे के साले से क्या नाम बयाया था तूने, " उन्होंने फिर चुनिया से पूछा

गप्पू , चुनिया ने पट जवाब दिया।

" हाँ तो उसी गप्पू से आँगन में सब लड़कियों औरतों के सामने गांड मरवायेगी

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और कभी भी उस को मना नहीं करेगी, वतरण दूल्हे की बहिन के पिछवाड़े के काले तिल का तो बड़ा दोष है, ये तो अच्छा हुआ मैंने देख लिया "

पंडित जी ने रास्ता बता दिया, बरात के बिना बिघन के जाने का, और सबको देख कर बोले

" फिर बरात बिना किसी बिघन के चली जायेगी "
और सब औरतों ने गहरी सांस ली।

और अगली बात उन्होंने बुच्ची से की,

" हे बुआ बनने का तो बहुत मन कर रहा होगा, तोहार नयकी भौजी कितने दिन में बियाय दें बोल "

मुस्कराते हुए ख़ुशी से बुच्ची बोली, " अरे जउने दिन हमार भैया उनकी फाड़ें, जउने दिन हमरे घरे आएँगी, ओकरे ठीक नौ महीने बाद न एक दिन जयादा न एक दिन कम "


" तो नौ महीना में बुआ बनने के लिए जो कहूँगी वो करोगी ना "

" एकदम पंडित जी " ख़ुशी से बुच्ची बोली।
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" तो बरात बिदा कराये के जब सब लौटेंगी न तो ओकरे बाद तुरंत ही, बिना घर में घुसे, घर के बाहर बाहर, नौ लौंडो, मर्दो की मलाई, वो भी लगातार, एक मलाई गिराय के निकरे, तो दूसरा तैयार रहे अंदर पेलने के लिए, नौ मर्दो की मलाई बुरिया में ले के ही घर में घुसना , नौ से ज्यादा हो सकते हैं कम नहीं। बस दुल्हिन नौ महीने में लड़का जनेगी "

" एकदम पंडित जी हमार जिम्मेदारी, हम आपने साथ ले जाके, अपनी ननद को घोटवाएंगी, बाईसपुरवा में न लंड की कमी न मलाई की "
मुन्ना बहु ने जिम्मेदारी अपने ऊपर ले ली,



पठान टोली वाली नयकी सैयदायिन भौजी बोलीं
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" अरे पंडित जी की बात कौन टाल सकता है वो भी इत्ते शुभ काम के लिए, नौ बार तो ही मलाई घोंटनी है, अरे बुच्चिया तीन छेद हैं तीनो में एक साथ और नौ लौंडो का इंतजाम रहेगा, एक बार में तीन चढ़ेंगे तीनो बिल में आधे घंटे में मलाई निकाल के,
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तीन मुठियाते रहेंगे, फिर वो तीन, और उसके बाद फिर से तो डेढ़ दो घंटे में बुच्ची ननद घोंट लेंगी नौ बार मलाई "

पंडित जी ने मुस्करा के हामी भर दी। मलाई किसी छेद में जाए, बस बुच्ची की देह में जाए, उसी से असर हो जायेगा, हाँ उसके बाद लौंडो की मर्जी


लेकिन शादी बियाह में एक मुसीबत हो तो


ज्योतिषी जी पतरा बिचार रहे थे फिर बुच्ची से बोले, " बरात चली तो जायेगी लेकिन बियाहे में ठनगन, "
बेचारी बड़की ठकुराइन दूल्हे की माई का मुंह मुरझा गया, इतना मुश्किल से तो सूरजु बियाह के लिए तैयार हुए, ससुराल वाले एक नकचढ़े, लड़की पढ़ी लिखी है हाईस्कूल का इम्तहान दी है और ऊपर से अब ये मुसीबत, कहीं किसी बात पे बरात वापस न कर दें, नाक कटेगी उनकी दोनों हाथ जोड़ के अंचरा पकड़ के पंडित जी के गोड़ लगती बोलीं

" पंडित जी कउनो उपाय बताइये, अब सब आप ही के हाथ में हैं,... जो कहियेगा वही होगा।"
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पंडित जी ने एक बार फिर गाँव की औरतो की ओर देखा फिर उनकी निगाह बुच्ची के चेहरे पे टिक गयी,

" उपाय है तो लेकिन बड़ा मुश्किल है, हो नहीं पायेगा " बड़ी सीरियसली वो बोले, फिर जोड़ा, ' होनी को कौन टाल सकता है " और ठंडी सास ली, लम्बी
अब चुनिया के साथ बुच्ची ने भी गोड़ पकड़ लिया

" बोलिये न पंडित जी, कुछ भी करुँगी मैं अपने भैया के लिए, भाभी के लिए कोई उपाय तो होगा।
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और गाँव की औरतों ने भी हामी भरी

और एक बार फिर गांव की भौजाइयों को उन्होंने काम सौंप दिया,

" बियाह बैठने के पहले कम से कम दस बार, दूल्हे की बहिनिया पे, और दस बार मतलब दस मरद चढ़ जाएँ, एक मरद कितनी बार पेलेगा, उसकी मर्जी, हाँ दस से ज्यादा हो सकता है कम नहीं "
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और यह जिम्मेदारी भी मुन्ना बहू ने अपने ऊपर ले ली, उनके दिमाग में भरौटी, अहिरौटी, पसियाने के वो लौंडे घूम रहे थे जो चोदते नहीं फाड़ते थे, नोच के रख देते थे और उनकी चुदी, फिर एक तो किसी लंड से घबराती नहीं थी और दूजे बिना लंड के रह नहीं सकती थी, चार पांच लौंडो का मन तो रोज रखेगी, और ऊपर से सूरजु क माई खुदे बोलीं,

" मुन्ना बहु, देवरानी उतारना है तो ये जिम्मेदारी तोहार "
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और अब बुच्ची की लिख गयी थी,

जो लंड के नाम से चिढ़ती थी वो एक से एक छिनारों का नंबर डकाने वाली थी

लेकिन अब ज्योतिषी जी के टारगेट पे दूल्हे की माँ आ गयीं।
Gazab shartein jyotishi ki hi c cc siiiiii
💦 💦 💦 💦 💦 💦
 

Rajizexy

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Super dupr gazab kamuk updates hi c cc siiiiii didi,
💦💦💦💦💦💦💦
kese bataun bilkul gili ho gyi hai
 

Premkumar65

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भाग १११ पंडित जी और बुच्ची की लिख गयी किस्मत
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जबतक सूरजु की माई ये किस्सा सुना रही थीं की एक ज्योतिषी आये /आयीं

ज्योतिषी जी लगता है सीधे बनारस से आये थे, पोथी पत्रा समेटे, माथे पे त्रिपुण्ड, खूब गोरे, थोड़े स्थूल, धोती जैसे तैसे बाँधी, ऊपर से कुरता पहने, एक हाथ में चिमटा भी,खड़का के बोले,

" अलख निरंजन, अलख निरंजन, किसी को बच्चा न हो रहा हो, कोई लंड के बिन तरस रही हो, बाबा सब का हल करेंगे, सबकी परेशानी दूर करेंगे, सबका भाग बाँचेंगे "

चुनिया तो आज अपनी सहेली बुच्ची की ऐसी तैसी करवाने पे जुटी है, बस ज्योतिषी जी का पैर पकड़ लिया और छोड़ने को तैयार नहीं,...

" आप मेरी इस बेचारी सहेली का कल्याण कर दीजिये, बहुत परेशान है बेचारी,… जो दक्षिणा कहियेगा देगी, आप की सब बात मानेगी, "

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" अच्छा तो ये दूल्हे की बहिनिया भी है " पंडित जी ने बुच्ची के गोरे गोरे मुखड़े को देख कर कहा,

" सगी से बढ़कर, …सगी तो कोई है नहीं तो ये सगी से बढ़कर, राखी यही बांधती है, सब रसम बहन वाली यही " मुन्ना बहु ने जोर से हंकार लगाई
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और ज्योतिषी जी बैठ गए, बुच्ची का बायां हाथ पकड़ लिया और सब ओर देख के बोले,

" यह छिनरिया क भौजाई कौन है "

इमरतिया, मुन्ना बहु, रामपुर वाली भाभी सब ने जोर की हंकार लगाई, लेकिन डांट पड़ी इमरतिया को, और हुकुम हुआ,



" ये कहती है की कोरी है, अभी तक लंड का सुख नहीं लिया तो पहले खोल के जांच कर के मुझे दिखाओ "

जबतक इमरतिया आती रामपुर वाली भाभी ने बुच्ची का हाथ पकड़ के खड़ा कर दिया और छोटी सी स्कर्ट कमर पे, इमरतिया और मुन्ना बहु ने बुच्ची को जकड़ लिया और रामपुर वाली ने पहले तो हथेली से सबको दिखाते हुए बुच्ची की बुर को रगड़ा थोड़ी देर और जब पनिया गयी तो दोनों फांको को पूरी ताकत से फ़ैलाने की कोशिश की,

बुच्ची की बुरिया सच में नहीं खुल पायी, बड़ी मुश्किल से, कोई बहुत कोशिश करेगा तो बस पतली वाली ऊँगली वो भी एक, तेल वेल लगा के, कलाई की पूरी ताकत से एक पोर भी घुस जाए तो बड़ी बात,

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और सब भौजाइयों का मन खुश हो गया, कोई अपने भाइयों के मजे के बारे में सोच के, कोई देवरों के लेकिन सबसे ज्यादा इमरतिया मुस्करा रही थी, आज तो उसने घोंट के देख भी लिया था, अब तक परपरा रही थी, टमाटर ऐसा मोटा सुपाड़ा था सूरजु का और कड़ा भी कितना, और कमर में जोर तो, सांड मात। और इस पतली संकरी दरार में जाएगा, लेकिन जाएगा तो जाएगा, भैया बहिनिया का रिश्ता है, बिना चुदे तो बचेगी नहीं,

लेकिन इमरतिया का ध्यान टूटा ज्योतिषी जी की डांटसे,

" कौन भौजाई है कोहबर रखाने वाली, सुन लो कान और गांड दोनों खोल के, कल सांझ होने के पहले, ये अपने भाई से, दूल्हे से चुद जानी चाहिए, और झूठ मुठ का नहीं, सच्ची, कम से कम दो भौजाइयां, इस स्साली की बुर में ऊँगली डाल के मलाई जांचेगी तब माना जाएगा इसने अपने भैया क मलाई घोंट ली है "
Buchhi ko to aaj ghontna hi padega Sarju ka lund.
 

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Buchhi ke liye to j
बुच्ची -पिछवाड़े काला तिल
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" एकदम पंडित जी,"मुन्ना बहु और इमरतिया दोनों बोली।

लेकिन चुनिया के मन में तो अपने भाई का फायदा नाच रहा था, गप्पू बेचारा जब से आया था बुच्ची का जोबन लूटने के पीछे पड़ा था। और चुनिया भी चाहती थी, उसे अपनी सहेली को चिढ़ाने का, छेड़ने का मौका मिल जाता, तो ज्योतिषी जी का गोड़ तो वो पकड़े ही थी, कुछ उनसे कुछ अपनी सहेली बुच्ची से गुहार लगाने लगी,

" हे खाली अपने भाई को दोगी या हमारे भाई को भी चिखाओगी. .... बेचारा गप्पू इतने दिन से दो इंच की चीज के लिए निहोरा कर रहा है /"
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' अरे भौजाई के भाई का तो पहला हक़ है, भौजाई की ननद पे, लेकिन चलो अब बियाह बैठा है तो दूल्हा के बाद इसके भाई का ही, गप्पू का ही गप्प करना, और वो भी एक दिन के अंदर ही, कल सांझी तक दुलहे क मलाई और परसों तक गप्पू का, जो नखड़ा करें ये तो सब भौजाई पकड़ के जबरदस्ती आपन आपन भाई चढ़ा दें इसके ऊपर "

ज्योतिषी ने फैसला सुना दिया,

लेकिन बुच्ची का हाथ देखते देखते उनके माथे पे बल पड़ गए



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जैसे कोई बहुत बड़ी परेशानी सामने आ गयी हो, फिर अपने कागज भी देखा उन्होंने और जैसे अपने से बोलीं "

ये बरात जाने के पहले ही बड़ी मुसीबत है "

" का हुआ पंडित जी " बुच्ची भी परेशान हो के बोली,

लेकिन बुच्ची की बात अनसुनी कर के उन्होंने रामपुर वाली भाभी से कहा,

" जरा देख तो इस स्साली रंडी के गाँड़ पे, दाएं चूतड़ पे कोई तिल तो नहीं है "

बस रामपुर वाली भाभी को मौका मिल गया, बुच्ची को उन्होंने खड़ी किया, और फ्राक उठा के दोनों चूतड़ फैला के खुद भी देखा,… सबको दिखाया।


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था।

खूब बड़ा सा काल तिल, दाएं चूतड़ पे एकदम गाँड़ की दरार के बगल में, चूतड़ दोनों खूब मस्त, फूले फूले बहुत ही टाइट, कैसे कसे और दरार एकदम चिपकी कसी।

" उपाय बताइये, महाराज " मुन्ना बहु हाथ जोड़ के बोली, फिर कहा " तिल तो है "

" उपाय तोहरे, कुल भौजाई लोगन के हाथ में हैं, पहले तो दूल्हा से इसकी गाँड़ मरवाओ, और बुर के टाइम भले ही एक दो बूँद सरसों का तेल , लेकिन गाँड़ एकदम सूखी,


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बहुत हुआ तो दूल्हा का लौंड़ा चूस चूस के जितना गीला कर ले इनकी ये बहिनिया और अपने हाथ से उसका लौंडा पकड़ के इसकी सूखी गाँड़ में सटा के, तीन धक्के में पूरा लंड अंदर होना चाहिए जड़ तक "

ज्योतिषी जी बोले।
लेकिन पंडित जी ने अभी भी अपना गोड़ पकडे चुनिया की ओर देखा और सीरियस हो के चुनिया से पूछा,
" दूल्हे का कोई स्साला है क्या "
चुनिया का मुंह एक डीएम खिल गया, मुस्करा के बोली, है ना, मेरा भाई गप्पू।
और पंडित जी ने बिना चुनिया के चेहरे पर से ध्यान हटाए, गंभीरता पूर्वक फैसला सुनाया
" उपाय है, बारात बिना बिघन के जायेगी और उपाय है वही स्साला, उसी के हाथ में है सब कुछ। दूल्हे की बहिन पहले दूल्हे से गांड मरवायेगी, दूल्हे की भौजाई के सामने तो इस काले तिल का असर कम होगा, लेकिन पूरा असर जाएगा, जब दूल्हे का साला, इस काली तिल वाली की गांड मारेगा,
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और फिर से बरात जाने के ठीक पहले, सब के सामने, जैसे कुल रस्मे नाउन कराती है ये रस्म भी करानी होगी, आँगन में निहुरा के दूल्हे के साले से क्या नाम बयाया था तूने, " उन्होंने फिर चुनिया से पूछा

गप्पू , चुनिया ने पट जवाब दिया।

" हाँ तो उसी गप्पू से आँगन में सब लड़कियों औरतों के सामने गांड मरवायेगी

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और कभी भी उस को मना नहीं करेगी, वतरण दूल्हे की बहिन के पिछवाड़े के काले तिल का तो बड़ा दोष है, ये तो अच्छा हुआ मैंने देख लिया "

पंडित जी ने रास्ता बता दिया, बरात के बिना बिघन के जाने का, और सबको देख कर बोले

" फिर बरात बिना किसी बिघन के चली जायेगी "
और सब औरतों ने गहरी सांस ली।

और अगली बात उन्होंने बुच्ची से की,

" हे बुआ बनने का तो बहुत मन कर रहा होगा, तोहार नयकी भौजी कितने दिन में बियाय दें बोल "

मुस्कराते हुए ख़ुशी से बुच्ची बोली, " अरे जउने दिन हमार भैया उनकी फाड़ें, जउने दिन हमरे घरे आएँगी, ओकरे ठीक नौ महीने बाद न एक दिन जयादा न एक दिन कम "


" तो नौ महीना में बुआ बनने के लिए जो कहूँगी वो करोगी ना "

" एकदम पंडित जी " ख़ुशी से बुच्ची बोली।
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" तो बरात बिदा कराये के जब सब लौटेंगी न तो ओकरे बाद तुरंत ही, बिना घर में घुसे, घर के बाहर बाहर, नौ लौंडो, मर्दो की मलाई, वो भी लगातार, एक मलाई गिराय के निकरे, तो दूसरा तैयार रहे अंदर पेलने के लिए, नौ मर्दो की मलाई बुरिया में ले के ही घर में घुसना , नौ से ज्यादा हो सकते हैं कम नहीं। बस दुल्हिन नौ महीने में लड़का जनेगी "

" एकदम पंडित जी हमार जिम्मेदारी, हम आपने साथ ले जाके, अपनी ननद को घोटवाएंगी, बाईसपुरवा में न लंड की कमी न मलाई की "
मुन्ना बहु ने जिम्मेदारी अपने ऊपर ले ली,



पठान टोली वाली नयकी सैयदायिन भौजी बोलीं
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" अरे पंडित जी की बात कौन टाल सकता है वो भी इत्ते शुभ काम के लिए, नौ बार तो ही मलाई घोंटनी है, अरे बुच्चिया तीन छेद हैं तीनो में एक साथ और नौ लौंडो का इंतजाम रहेगा, एक बार में तीन चढ़ेंगे तीनो बिल में आधे घंटे में मलाई निकाल के,
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तीन मुठियाते रहेंगे, फिर वो तीन, और उसके बाद फिर से तो डेढ़ दो घंटे में बुच्ची ननद घोंट लेंगी नौ बार मलाई "

पंडित जी ने मुस्करा के हामी भर दी। मलाई किसी छेद में जाए, बस बुच्ची की देह में जाए, उसी से असर हो जायेगा, हाँ उसके बाद लौंडो की मर्जी


लेकिन शादी बियाह में एक मुसीबत हो तो


ज्योतिषी जी पतरा बिचार रहे थे फिर बुच्ची से बोले, " बरात चली तो जायेगी लेकिन बियाहे में ठनगन, "
बेचारी बड़की ठकुराइन दूल्हे की माई का मुंह मुरझा गया, इतना मुश्किल से तो सूरजु बियाह के लिए तैयार हुए, ससुराल वाले एक नकचढ़े, लड़की पढ़ी लिखी है हाईस्कूल का इम्तहान दी है और ऊपर से अब ये मुसीबत, कहीं किसी बात पे बरात वापस न कर दें, नाक कटेगी उनकी दोनों हाथ जोड़ के अंचरा पकड़ के पंडित जी के गोड़ लगती बोलीं

" पंडित जी कउनो उपाय बताइये, अब सब आप ही के हाथ में हैं,... जो कहियेगा वही होगा।"
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पंडित जी ने एक बार फिर गाँव की औरतो की ओर देखा फिर उनकी निगाह बुच्ची के चेहरे पे टिक गयी,

" उपाय है तो लेकिन बड़ा मुश्किल है, हो नहीं पायेगा " बड़ी सीरियसली वो बोले, फिर जोड़ा, ' होनी को कौन टाल सकता है " और ठंडी सास ली, लम्बी
अब चुनिया के साथ बुच्ची ने भी गोड़ पकड़ लिया

" बोलिये न पंडित जी, कुछ भी करुँगी मैं अपने भैया के लिए, भाभी के लिए कोई उपाय तो होगा।
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और गाँव की औरतों ने भी हामी भरी

और एक बार फिर गांव की भौजाइयों को उन्होंने काम सौंप दिया,

" बियाह बैठने के पहले कम से कम दस बार, दूल्हे की बहिनिया पे, और दस बार मतलब दस मरद चढ़ जाएँ, एक मरद कितनी बार पेलेगा, उसकी मर्जी, हाँ दस से ज्यादा हो सकता है कम नहीं "
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और यह जिम्मेदारी भी मुन्ना बहू ने अपने ऊपर ले ली, उनके दिमाग में भरौटी, अहिरौटी, पसियाने के वो लौंडे घूम रहे थे जो चोदते नहीं फाड़ते थे, नोच के रख देते थे और उनकी चुदी, फिर एक तो किसी लंड से घबराती नहीं थी और दूजे बिना लंड के रह नहीं सकती थी, चार पांच लौंडो का मन तो रोज रखेगी, और ऊपर से सूरजु क माई खुदे बोलीं,

" मुन्ना बहु, देवरानी उतारना है तो ये जिम्मेदारी तोहार "
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और अब बुच्ची की लिख गयी थी,

जो लंड के नाम से चिढ़ती थी वो एक से एक छिनारों का नंबर डकाने वाली थी

लेकिन अब ज्योतिषी जी के टारगेट पे दूल्हे की माँ आ गयीं।
Buchhi ke liye to jyotish mast landon ka intezaam kar diya hai.
 

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दूल्हे की माई –

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लेकिन ज्योतिषी जी की निगाहें किसी और ढूंढ रही थीं,

" अरे दूल्हे क महतारी कहाँ है, न जाने कौन कौन से चुदवाय के गाभिन हुयी हो, अपने भोसड़े से लौंडा निकाली हो, ओकर नूनी सहराये सहराये के तेल लगाए के बड़ा की हो, कहाँ है छिनार "

" अरे इधर हैं, "

एक साथ दसो औरतों की आवाज आयी और सबसे जोरदार आवाज थी, सूरजु की बूआ, कांती बूआ और मामी की, ख़ास तौर से छोटी मामी की।


एक की भौजाई तो दूसरे की ननद,

और भौजाई तो गाँव क कितनी सूरजु क माई के उम्र की लड़कियों की,जब बियाह के आयीं, गौने उतरीं तो कुछ उनकी सास ने सिखाया कुछ मौके का संस्कार, जात बिरादरी अपनी जगह लेकिन गाँव क रिश्ता, खून के रिश्ते से भी बड़ा, तो जो उनकी सास की समौरिया सब सास, सबका गोड़ छूती थीं वो बिना जात बिरादर देखे, चाहे काम वाली भी हो और गाँव की जितनी लड़कियां सब उनकी ननद और सबकी सूरजु क माई भौजाई,
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सूरजु क माई क उमर क लड़कियों की, कुछ पांच दस साल छोट, लेकिन ननद तो ननद, पैदायशी छिनार, और खाली बबुआन की नहीं, उनकी सास ने सिखाया था, बाईसपुरवा एक गाँव है, भले टोले २२ हों, जाति बिरादरी, काम काज अगली जगह, गाँव क रिश्ता अपनी जगह, और सूरजु क माई ने वो बात गाँठ बाँध ली, तो जब गाने में गरियाना शुरू करती तो चमरौटी, अहिरौटी, भरौटी क कउनो बिटिया बचती नहीं, और सबके बियाहे में कउनो टोला हो, कोहबर में ननदोई क रगड़ाई में सबसे आगे, आखिर गाँव क दमाद, उनका नन्दोई, कउनो बिरादरी का हो, कउनो टोला का हो, है तो ननदोई, उनकी सुकुवार ननद को ले जा रहा है तो उसकी माई बहिन गरियाई ही जायेगी,



तो सूरजु की माई ने सबको खाली नेवता नहीं भेजवाया था, बल्कि चिट्ठी भी,

"बिना बूआ के आँगने में नाचे भतीजे क बियाह नहीं होता,,,,, कुल तुम्ही लोगो को सम्हारना है,"



और कुछ तो आ ही गयी थीं, बाकी बरात बिदा करने के पहले, पक्का, और सब की सब बियाहता, लड़कोर, दो चार तो दमाद परछ चुकीं, बहू उतरा चुकीं, मायके और ससुरार दोनों जगह की खेली खायी तो आज कौन लाज शर्म, उहो भौजी की रगड़ाई में, भतीजे क बियाह में,...तो अब सब सूरजु की माई की सब ननदें उनके पीछे पड़ गयीं , खाली बबुआने की नहीं, अहिरौटी, भरौटी कउनो टोला बचा नहीं था

" खड़ी करो रंडी को, अभी उसका भी,... "

पंडित जी हँसते बोले, और भरौटी, अहिरौटी की दो औरतें, गाँव की लड़कियां जो शादी के लिए ही आयी थीं, सूरजु के माई की समौरिया, गाँव के रिश्ते से ननद, उन दोनों ने पकड़ के खड़ा कर दिया और उनका हाथ पंडित जी के आगे,

सूरजु का माई भी मजा ले रही थी, बियाह शादी में यही सब तो मजा है, अपने मायके में सूरजु क कउनो मामी बची नहीं थी, जनको सूरजु की माई ने नंगा करके न नचाया हो, अँगने में, बियाह में, बरात जाने के बाद,



लेकिन पंडित जी ने हाथ देखने से हाथ देखने से मना कर दिया, और सूरजु की माई की नन्दो को गरियाया अलग से,



" अरे हाथ तो मैं कुँवार लड़कियों का नहीं देखती, ....जेकरे भोसड़े से वो लौंडा निकला है, वो भोंसड़ा देखूंगी, खोल के, फैला के छू के, रगड़ के, तब पता चलेगा, इस रंडी क हाल,.... खोल स्साली का, "


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छोटी मामी और कांती बूआ, सूरजु का माई का पेटीकोट उठाने लगीं, लेकिन पंडित जी ने रामपुर वाली भाभी को इशारा किया बस वो आ गयी मैदान में, भले उनकी सास लगे, लेकिन सास की रगड़ाई का मजा ही अलग है,

" अरे ढक्क्न उठाने से कुछ नहीं होगा, ढक्क्न फिर गिर जाएगा, मैं बताती हूँ, रामपुर वाली भाभी बोलीं,


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सूरजु का माई क हाथ तो दोनों , उनकी ननदो के कब्जे में था, वो लाख चूतड़ पटके न वो हाथ छुड़ा सकती थीं, न रामपुर वाली भौजी का हाथ रोक सकती थीं।

बस रामपुर वाली भौजी को मौका मिला गया,

आराम आराम से उन्होंने दूल्हे की माई के पेटीकोट का नाड़ा उनके पेटीकोट से न सिर्फ खोला, बल्कि बाहर निकाल दिया,

और उनकी अहिरौटी वाली ननद के हाथ,

बड़ा जांगर था उस अहिरिनिया के हाथ में, अपनी भौजी का नाडा तोड़ के चार टुकड़े कर के चारो कोनो में फेंक दिया,


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और पेटीकोट सररर कर नीचे सरक गया,



मान गए सब लोग रामपुर वाली भौजी को,


अब नाड़ा सिर्फ दूल्हे की माई का खुला ही नहीं, बल्कि पेटीकोट से बाहर भी हो गया, और चार टुकड़े में, अब चाह के भी वो पेटीकोट नहीं पहन सकतीं,
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नाड़ा ही नहीं तो बांधेगी, क्या,


पेटीकोट भी छोटी मामी ने उठा लिया और उठा के कमरे के दूसरे कोने में,

और अब उनकी ननदिया, सूरजु की माई, एकदम, उन्होंने कोशिश भी की की हथेली से चुलबुलिया को ढंक ले,

लेकिन हाथ तो उनके दोनों ननदों के कब्जे में थे

और क्या बुलबुल थी, देख के कोई नहीं कह सकता था ऐसे तगड़े जवान मरद की माँ हैं,


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बड़ी बहन या हद से हद भाभी ही लगतीं, खैर चिढ़ाती भी सूरजु को वो वैसे हीं थीं ,

घर में वैसे भी खाली माँ बेटा तो कोई जायदा छिपाव, दुराव था भी नहीं, और सूरजु एक नंबर का लजाधुर तो जितना भौजाइयां छेड़तीं उससे ज्यादा, सूरजु की माई, और शादी तय होने के बाद तो और एकदम खुल के मजाक करती थीं,

इमरतिया साथ हो तो और मजे से छेड़ती थीं,

और वैसे भी उस जमाने में जल्दी शादी, और जहाँ नीचे के मैदान में खून खच्चर शुरू हुआ तो गौना, जेठ में ( जून ) में बियाह हुआ, अगहन ( नवंबर ) में गौना, पहले रात में ही सील टूटी, पलंग क पाटी टूटी और नौ महीने में सूरजु बाहर,



गोरी तो थी हीं, अँजोरिया अस रूप, चिकनी मांसल केले के तने सी जाँघे, रेशमी, छूते ही जैसे पुरइन के पात से पानी की बूँद सरक जाए, लेकिन जान मार रही थी, सूरजु की माई की बुर,

ऐसी रसीली तो नयी दुल्हिन की नहीं होती, पावरोटी ऐसी फूली, दोनों फांके चिपकी,


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जैसे गलबाहें बांधे दो अठखेलियां करती हुयी सहेलियां, झांटे तो जैसे कभी आयी नहीं थी, जिस मरद का हकीम लुकमान के नुस्खे से न खड़ा होता हो, उसका ऐसे मालपूवे को देख के सांड़ को मात करेगा,

सूरजु की माई हाथ से ढक नहीं सकती थीं,

पेटीकोट मिल भी जाए तो अब उसमे नाड़ा नहीं था, तो उन्होंने जाँघे कस के भींचने की कोशिश की

पर छोटी मामी सतर्क थीं, उन्होंने रामपुर वाली भौजी को इशारा किया लेकिन उन्हें इशारे की जरूरत नहीं थी,

पहले ही वो सवधान थीं और अपने दोनों उन्होंने सूरजु की माई के दोनों टांगों के बीच डाल के फैला दिया, अब वो लाख कोशिश करें तो भी बुर चिपका नहीं सकती थी, और आगे से मुन्ना बहू और सूरजु की माई के मायके की एक भौजाई ने मिल के दोनों फांके बड़ी ताकत लगा के फैला दिया पूरी ताकत से, और अब लग रहा था भोंसड़ा, जिससे दूल्हा निकला, एकदम अंदर तक साफ़ साफ़ दिख रहा था

एकदम लाल गुलाबी सुरंग अंदर, खूब गीली, चाशनी बह रही थी


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और थोड़ी देर, घुमा घुमा के सब लड़कियों औरतों के सामने
Uffff Gajab ka likh rahi ho Komal ji.
 
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