मुकेश: खाना खाया तुमने ?
साहिल: नही अभी नही खाया…
मुकेश: देखो हम तुम्हारे लिए खाना लेकर आए है….
साहिल ने एक बार शीला के हाथ मे पकड़े हुए लंच बॉक्स की तरफ देखा, और फिर से अपने सर को झुका लिया….
मुकेश: अर्रे शीला देख क्या रही हो. खाना डालो प्लेट मे….
शीला: जी………जी अभी डालती हूँ…..
शीला ने प्लेट मे खाना डाला, और साहिल की तरफ बढ़ा दया…साहिल ने एक बार फिर से शीला की तरफ देखा…और प्लेट लेने के लिए जैसे ही ही हाथ आगे बढ़ाया….वो एक दम से चीख उठा. शायद उसके हाथ मे चोट लगी थी….”अहह माआ”
साहिल की दर्द भरी पुकार सुन कर शीला के माँ मे अजीब सी टीस उठी, और उसने प्लेट को एक साइड मे रखते हुए, उसका हाथ पकड़ लिया. और फ़िकरमंद अंदाज़ मे बोली, क्या हुआ बेटा…….कहाँ दर्द हो रहा है…
साहिल: वो हाथ मे चोट लगी है….
शीला: अच्छा रहने दो…..मैं खिला देती हूँ….
मुकेश बैठा सब देख रहा था…वो जानता था कि, शीला के मन के किसी कोने मे आज भी मा बनने के चाहत है…जो साहिल को देख कर दबी ना रह सकी..शीला को जब ख़ुसी से साहिल को खाना खिलाते देखा, मुकेश को भी अच्छा लग रहा था…… तभी इनस्पेक्टर अंदर दाखिल हुआ और मुकेश से बोला…
इनस्पेक्टर: मुकेश जी वो अनाथ आश्रम के ट्रस्टी आ गये है….उनसे बात कर लेते हैं…..
मुकेश: हूँ जी चलिए …….
मुकेश उठ कर इनस्पेक्टर के साथ बाहर आ गया……और अनाथ आश्रम के ट्रस्टी से बात करने लगा….शीला भी बाहर आ गये…जब मुकेश ट्रस्टी से बात कर रहा था….तब शीला ने मुकेश को आवाज़ देकर बुलाया.
मुकेश: हां शीला क्या बात है ?
शीला: जी ये इनस्पेक्टर क्या कह रहा है….वो इस बच्चे को अनाथ आश्रम भेंजेगे क्या ?
मुकेश: हां शीला अब उस बेचारे का घर तो है नही, और कहाँ जाएगा..
शीला: थोड़ी देर सोचने के बाद) जी क्या हम वो मैं कह रही थी कि,क्या हम साहिल को अपने साथ नही रख सकते….
मुकेश: (शीला के बात सुन कर थोड़ी देर सोचने के बाद) ह्म्म सोच तो मैं भी यही रहा था. पर शीला किसी को पालना और वो भी किसी गेर को बहुत बड़ी ज़िम्मेदारी होती है…….
शीला: हां जानती हूँ…..पर क्या हम दोनो मिलकर भी ये ज़िम्मेदारी नही संभाल सकते…..
मुकेश ने मुस्करा कर शीला की तरफ देखा , और बोला, ठीक है मैं इनस्पेक्टर और आश्रम के ट्रस्टी से बात करता हूँ…फिर मुकेश ने इनस्पेक्टर और आश्रम के ट्रस्टी को अपने और शीला के दिल के बात बता दी… वो लोग झट से राज़ी हो गये….
इनस्पेक्टर: ठीक है मुकेश जी, आप दोनो हमारे साथ चल कर कुछ फॉरमॅलिटी पूरी कर लें. उसके बाद आप इस बच्चे को घर ले जा सकते है.
मुकेश: ठीक हैं इनस्पेक्टर चलिए…….
उसके बाद मुकेश इनस्पेक्टर के साथ पोलीस स्टेशन चला गया…और ज़रूरी कागज़ी करवाई करने के बाद उन्होने ने साहिल को गोद लिया……शीला तो ख़ुसी से फूली नही समा रही थी….औलाद के लिए वो कई सालो से तरसी थी. और आज साहिल के रूप मे उसे अपना बेटा मिल गया था….और आज मुकेश साहिल को हॉस्पिटल से घर लाने वाला था….
शीला तो जैसे बादलों मे उड़ रही थी….उसने अपने कई रिस्तेदारो और दोस्तो को ये खबर बता दी, और उसने साहिल के घर पर आने की ख़ुसी के मोके पर बहुत बड़ी पार्टी रखी थी…
Part - 2
दोस्तो अब मैं जिन किरदारों के बारे मे आपको बताने जा रहा हूँ. उनका इस कहानी मे बहुत बड़ा रोल है….शीला ने पार्टी मे अपने दोनो भाइयो को बुलाया था…उसके दोनो भाई शादी शुदा था…शीला के बड़े भाई का नाम कुलवंत सिंग था. कुलवंत सिंग शीला से उमेर मे दो साल बड़ा था…उसकी पत्नी का नाम नेहा था…नेहा की उमर लगभग 30 साल के करीब थी…उनकी शादी को लघ्भग 10 साल हो चुके थे…..
कुलवंत और नेहा की शादी के एक साल बाद ही, उनके घर एक बेटे ने जनम लिया…पर उनकी खुसिया ज़यादा दिन तक कायम ना रही, 3 साल के बाद एक आक्सिडेंट मैं उनके बेटे क़ी मौत हो गयी….उसके बाद उनकी किस्मेत ने ही मानो उनसे मूह फेर लिया हुआ, नेहा उसके बाद कभी मा नही बन पाई…कुलवंत सिंग का छोटा भाई भी उस के साथ रहता था, तीन साल पहले कुलवंत के छोटे भाई रवि की शादी हुई थी….और शादी के एक साल बाद ही उनके घर एक बेटे ने जनम लिया था….रवि की पत्नी बहुत तेज तरार औरत है……उसका नाम पायल है…
जिसे अब 6 महीने हो चुके है….दोनो भाई और उनकी पत्नियो के अलावा उनके घर मे कुलवंत सिंग की मा भी रहती है…जो अब काफ़ी बूढ़ी हो चुकी है…जब कुलवंत सिंग के बेटे की मौत हुई थी, तो कुलवंत सिंग ने अपने छोटे भाई और पत्नी से मिल कर यह फैंसला किया था कि, वो अपने बेटे की मौत का जिकर अपनी मा से नही करेंगे…..
क्योंकि कुलवंत सिंग की मा अपने पोते से बहुत प्यार करती थी….और कुलवंत सिंग ये जानता था कि, अगर उसकी मा को ये खबर पता चली तो, उसकी मा उसी वक़्त दम तोड़ देगी…क्योकि उसकी मा को पहले ही दो बार हार्ट अटॅक आ चुका था….इसलिए उन्होने अपनी मा को यही बता कर रखा था कि, उनका बेटा अपनी बुआ (यानी शीला के पास सहर मे रह कर पढ़ाई कर रहा है) कुलवंत सिंग भी दोबारा संतान ना होने के कारण बहुत दुखी था.
चलिए अब आगे बढ़ा जाए….तो शीला साहिल के घर आने को लेकर बहुत ही खुस थी…..जिसके लिए उसने इतनी बड़ी पार्टी अरेंज की थी…कुलवंत सिंग ने जो झूट अपनी मा से बोला था….वो शीला और उसका पति भी जानते थी. इसलिए कुलवंत सिंग अपनी मा को साथ लेकर नही आया था……साहिल के घर आने की ख़ुसी मे बहुत धूम धाम से पार्टी की गयी….उस दिन के बाद तो शीला और मुकेश की जिंदगी ही बदल गयी…..मुकेश तो अपने काम के लिए सुबह घर से चला जाता, और रात को घर आता….पर शीला एक पल के लिए भी अपनी आँखों से साहिल को दूर नही होने देती…….
उसके बचपन के खेल देख कर खुस होती रहती…..जल्द ही साहिल का अड्मिशन स्कूल मे करवा दिया गया…घर पर उसके लिए प्राइवेट ट्यूशन भी रखी गयी ताकि वो जल्द ही अपनी हमउमर बच्चो की क्लास मे पहुच सके….साहिल ने भी उनको निराश नही किया…और एक साल मे ही वो अपनी उमर के बच्चो की क्लास मे पहुच गया…
साहिल की भी जैसे जिंदगी बदल गयी हो….हर तरह की सुख सुविधा, पैसे और किसी चीज़ की कमी नही थी…मोहल्ले मे उसके कई दोस्त बन चुके थे…जिनके साथ वो शाम को क्रिकेट खेलता था….साहिल अब 8थ क्लास मे पहुच गया था…साहिल रोज स्कूल से आता और अपने दोस्तो के साथ क्रिकेट खेलन लग जाता……
साहिल जिन दोस्तो के साथ खेलता था…..उनमे से कुछ उससे दो तीन साल बड़े थे. शीला का घर बहुत बड़ा था…..घर के पीछे की तरफ बहुत सी खाली जगह थी….जैसे कि आप जानते है कि, उस उमर मे बच्चो के अंदर बहुत जिग्यासा होती है, वैसे ही साहिल के अंदर भी थी…एक दिन जब साहिल सब बच्चो के साथ क्रिकेट खेलते-2 थक गया…तो सब बैठ कर आराम करने लगे…उनमे से एक लड़का था विजय जो अक्सर गालियाँ निकाल कर बातें करता था…..
विजय:ओये लोडीये तेरी बेहन दी साले….तुझे कल कहा था कि, मेरे लिए वो मैथ की बुक ला देना तूँ लेकर आया नही….
साम: यार क्या करूँ…..कल भूल गया….
विजय: चल फुद्दि दिया…साले कल ज़रूर मूठ मार रहा होगा…..तभी भूल गया तूँ….
साहिल ये शब्द पहली बार सुन रहा था, क्योंकि ये लड़के उसके स्कूल के नही थे..”विजय ये लोड्ा और फुद्दि क्या होता है”
विजय: (हंसते हुए) क्या नवाब साहिब आप को फुद्दि लंड का भी पता नही..
साहिल: नही मुझे नही पता….
विजय: देखेगा क्या होता है…..
साहिल: हां दिखाओ…
विजय ने एक बार साहिल और साम के तरफ मुस्करा कर देखा और फिर चारो तरफ देखाते हुए अपनी पेंट की ज़िप खोल कर अपने 6 इंच लंबे लंड को बाहर निकाल लिया…और अपने हाथ से पकड़ कर साहिल को दिखाते हुए बोला “ये देख इसे लंड कहते है” साहिल हैरत भरी नज़रों से कभी साम के तरफ़ देखता, और कभी विजय के लंड की तरफ….
विजय: क्या हुआ अरे लंड तो तेरे पास भी है….और औरतों के यहाँ पर छेद होता है….जिसे चूत यानी फुद्दि कहते है…तूने देखी है कभी किसी की चूत……
साहिल: नही पर एक बात पुच्छू….
विजय: (अपने लंड को पेंट के अंदर करते हुए) हां बोल…..
साहिल: तुम्हारी ये सुसू इतनी बड़ी क्यों है.
विजय: (हंसते हुए) क्या क्या बोला तूने सुसू…अबे बच्चे मर्दों का लंड होता है……तुम्हारे क्या सुसू लगी है…दिखा ज़रा अपनी सुसू….
साहिल: नही मुझे शरम अत्ती है…
विजय: यार क्या बच्चो जैसी बातें करता है……..दिखा ना..
साहिल ने शरमाते हुए, अपनी पेंट की ज़िप खोली, और अपना सिक्युडा हुआ 2 इंच लुली बाहर निकाल कर बोला “ये देखो मेरा लंड” विजय और साम ने कुछ देर एक दूसरे की तरफ देखा और फिर ज़ोर-2 से हँसने लगे….
विजय: (हंसते हुए) अर्रे लल्लू लाल ये लंड नही ये तो नूनी है हा हा हा…
दोनो को यू हंसता देख कर और उन्हे अपना मज़ाक उड़ाता देख कर साहिल खड़ा हुआ, और घर के अंदर चला गया….विजय और साम उसको पीछे से आवाज़ देते रहे…पर साहिल एक पल के लिए नही रुका…वो दोनो भी वापिस अपने घर चले गये….साहिल अपना सा मूह बना कर अपने रूम मे आ गया… दोपहर का वक़्त था….शीला साहिल के रूम मे आई….
शीला: साहिल उठो तैयार हो जाओ…..आज हमने पार्टी मे जाना है…
साहिल: नही मा मुझे नही जाना….
शीला: अर्रे क्या हुआ……..इतने गुस्से मे क्यों हो ?
साहिल: कुछ नही मुझे नही जाना कही….
शीला: ठीक है ठीक है……गुस्सा क्यों हो रहे हो….मैं निर्मला को बोल देती हूँ, वो तुम्हारे लिए खाना बना देगी …हम शाम तक घर आ जाएँगे…..
उसके बाद शीला नीचे आ गयी….अभी कुछ दिन पहले ही उन्होने अपने घर मे नयी नौकरानी रखी थी, निर्मला विधवा थी…उसका एक बेटा था जो कि **** साल का था…शीला ने नीचे आकर निर्मला से साहिल के लिए खाना बनाने के लिए कहा…और उसे कहा कि, जब तक वो घर वापिस नही आ जाते, वो साहिल के साथ ही रहे…उसके बाद शीला और मुकेश पार्टी के लिए निकल गये…
निर्मला ने खाना तैयार किया, और ऊपेर साहिल के रूम मे गयी…साहिल अभी भी अपने बेड पर टेक लगा कर बैठा हुआ था….उसका चेहरा लटका हुआ था…निर्मला साहिल को बाबू कह कर पुकारती थी…”बाबू खाना तैयार है…नीचे आकर खाना खा लो”
साहिल: (बुझे हुए मूड के साथ)मुझे नही खाना कुछ भी………
निर्मला: (साहिल के उतरे हुए चेहरे को देखते हुए) क्या हुआ बाबू मेम्साब ने कुछ कहा क्या….
साहिल: नही …..
निर्मला: तो फिर उदस्स क्यों लग रहे हो…दोस्तो से झगड़ा हुआ….
साहिल: सब के सब बेकार दोस्त है…..मेरा मज़ाक उड़ाते है….आगे से कभी उनके साथ नही खेलूँगा………
क्रमशः....................................