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Incest छोटी सी जान चूतो का तूफान

FUCKWITHORAL

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hello

dosto me is site per new user ho aur apke liye kuch leke aane wala hu jo apne pad hi liya hoga toh ager mujse koi galti hoti hai toh please muje maaf kr dena

thank you
apka apna FUCKWITHORAL
 
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FUCKWITHORAL

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PART-1

मुकेश आज देल्ही से वापिस अपने घर आ रहा था…..वो देल्ही अपने दोस्त के छोटे भाई के शादी मे आया था……साथ मे उसका ड्राइवर भी था…मुकेश गुरदासपुर का रहने वाला था, और रात को वापिस अपने घर गुरदासपुर जा रहा था….रात के 1 बजे का टाइम था…..सड़क सुनसान थी, और चारो तरफ अंधेरा फेला हुआ था….वो अभी गुरदासपुर से कुछ 100 किमी के दूरी पर थी……मुकेश ड्राइवर के साथ अगली सीट पर बैठा हुआ था….

तभी हेडलाइट के रोशनी मे सामने सड़क पर कोई पड़ा हुआ नज़र आया…मुकेश का ड्राइवर कार को ड्राइव करते हुए एक साइड से आगे बढ़ गया. “ड्राइवर गाड़ी पीछे लो” मुकेश ने सड़क पर पड़े जिस्म की ओर देखते हुए कहा…..

ड्राइवर: साहब रहने दो…….पता नही कोन है…..फज़ूल मे लफडे मे काहे को पढ़ना…..

मुकेश: मेने कहा ना गाड़ी के पीछे लो, देखेने मे कोई बच्चा लगता है…..

ड्राइवर: ठीक साहब जैसे आपकी मर्ज़ी…..

ड्राइवर ने गाड़ी रिवर्स गियर मे डाली, और उस बच्चे के पास जाकर रोक दी, दोनो गाड़ी से नीचे उतरे, तो उन्होने देखा, एक 1***साल का बच्चा, खून से लत्पथ सड़क पर बेहोश पड़ा था…उसके सर और मूह से बहुत खून बह रहा था….मुकेश ने नीचे बैठते हुए, उसकी नब्ज़ देखी, और ड्राइवर के तरफ देखता हुआ बोला, अभी जिंदा है….चलो जल्दी से उठाओ इसे, इसको हॉस्पिटल लेकर जाना होगा….

ड्राइवर और मुकेश ने उस बच्चे को उठाया, और कार की पिछली सीट पर लेटा दिया….मुकेश जानता था कि, वो अपने सहर से 100 किमी की दूरी पर है, और अगर वो वक्त रहते वहाँ पहुच गया तो, इस बच्चे के जान बचाई जा सकती थी. मुकेश ने ड्राइवर के साथ आगे बैठते हुए कहा….जल्दी कार चलाओ, जितना तेज चला सकते हो….उतना तेज चलाओ….

मुकेश का ड्राइवर भी एक्सपर्ट था…..फिर क्या था, वो एक घंटे मे ही गुरदासपुर के सबसे बड़े हॉस्पिटल के अंदर थे…उस
बच्चे को आइसीयू मे भरती करा दया….और पोलीस को भी इनफॉर्म कर दिया गया…..मुकेश अपने इलाक़े का नामी गिरामी ज़मींदार था…..कई सो एकड़ ज़मीन और कई फार्महाउस थे….बड़े-2 लोगो से उसकी जान पहचान थी.

मुकेश को जो पता था, उसने सब पोलीस को बता दया था……अब बच्चे के होश मे आनने का इंतजार था….मुकेश हॉस्पिटल की लॉबी मे टहलता हुआ, रिसेप्षन तक फुँचा, और उसने वहाँ से अपने घर अपनी पत्नी शीला को फोन लगाया……थोड़ी देर बाद शीला ने फोन उठया…..दोस्तो ये 1988 की बात है, जब मोबाइल फोन नही हुआ करते थे…सिर्फ़ लॅंडलाइन फोन ही बात करने का ज़रिया थे……थोड़ी देर बाद उसकी पत्नी शीला ने फोन उठाया.

शीला: हेलो कॉन….

मुकेश: शीला मैं हूँ मुकेश……

शीला: आप अभी तक आए नही क्या हुआ ? सब ठीक तो है ना ?

मुकेश: हां मैं ठीक हूँ…..दरअसल अभी मैं हॉस्पिटल मे हूँ.

शीला: (घबराते हुए) जी क्या हुआ ? आप ठीक तो है ना ?

मुकेश: हां शीला मैं एक दम ठीक हूँ…दरअसल बात ये है कि,

उसके बाद मुकेश ने शीला को सारी बात बताई, और कहा कि, वो सुबह ही घर वापिस आ पाएगा….उसके बाद उसने फोन रख दया…

मुकेश 35 साल का हॅंडसम और उँची कद काठी वाला आदमी था…उसकी पत्नी निहायत ही खूबसूरत और 32 साल की थी…..बहुत ही धार्मिक विचारो वाली, दोनो मे बहुत प्यार था….पर शादी के 10 साल बाद भी उनके कोई संतान नही थी…..वजह थी शीला की बच्चेदानी मे कुछ प्राब्लम थी…..मुकेश ने शीला का कई जगह इलाज करवाया…..पर भगवान के आगे किसी की क्या चलती है….

सुबह के 6 बजे, मुकेश लॉबी मे एक बेंच पर बैठा हुआ था….तभी डॉक्टर ने उसे आकर बताया कि, उस लड़के को होश आ गया है….वहाँ का इनस्पेक्टर भी वही था…..बच्चे के होश मे आने के खबर सुनते ही मुकेश और इनस्पेक्टर दोनो रूम मे चले गये….इनस्पेक्टर ने बड़े ही प्यार से उस लड़के से पूछा…..

इनस्पेक्टर: बेटा तुम्हारा नाम क्या है ?

लड़का: (अपने आप को इस हालत मे देख कर घबराते हुए) जी जी साहिल…

इनस्पेक्टर: साहिल तुम्हारे मा पापा कोन है…….तुम्हारा आक्सिडेंट हुआ था….और तुम इनको (मुकेश की तरफ इशारा करते हुए) सड़क पर बेहोश मिले थे…..ये ही तुम्हें यहाँ लेकर आए है….कोन है तुम्हारे मा बाप. उनको खबर कर देते है……
इनस्पेक्टर के बात सुन कर वो लड़का खामोश हो गया…मानो जैसे उसके जखमो को फिर से किसी ने कुरेद दिया हो…..उसकी आँखें नम हो गयी..और वो सुबक्ते हुए बोला……”मैं अनाथ हूँ” मुझे नही पता मेरे मा बाप कोन है…..

इनस्पेक्टर: ओह्ह अच्छा फिर ये बताओ तुम कहाँ रहते हो…….कोई तो होगा जिसे तुम जानते होगे ?

बच्चा: मैं नही जानता किसी को……मैं तो सड़क पर ही रहता हूँ…..

उसने बड़ी मासूमियत से कहा…..”अच्छा तो फिर ये बताओ तुम्हारा आक्सिडेंट कैसे हुआ” इनस्पेक्टर ने बहुत ही प्यार से पूछा….

लड़का: वो मैं सड़क पर चल रहा था क़ी, पीछे से एक ट्रक ने मुझे टक्कर मार दी….उसके बाद मुझे कुछ याद नही…

इनस्पेक्टर: (मुकेश की ओर देखते हुए) मुझे लगता है कि ये लड़का सही बोल रहा है….हम इसमे ज़यादा कुछ नही कर पाएँगे…कोई गवाह भी नही है…जिसने देखा हो, कि किसने इसे टक्कर मारी है….

उसके बाद इनस्पेक्टर और मुकेश रूम से बाहर आ गये….. इनस्पेक्टर ने मुकेश को थॅंक्स बोला, और कहा कि, आप जैसे लोगो के कारण ही आज के दुनिया मे इंसांयत है…वरना आपकी जगह कोई और होता तो सड़क पर पड़े इस अनाथ मर रहे बच्चे की तरफ कोई देखता भी नही……..

मुकेश ने हॉस्पिटल मे बिल दिया, और डॉक्टर को बोला कि, वो अब घर जा रहा है…लड़के की देखभाल करें….वो दोपहर को फिर आएगा…उसके बाद मुकेश अपने घर चला गया…शीला बेसबरी से मुकेश का इंतजार कर रही थी……मुकेश को सही सलामत देख कर उसकी जान मे जान आई…..उसके पूछने पर मुकेश ने सारा किस्सा अपनी पत्नी को बता दया.

मुकेश: शीला तुम थोड़ा सा खाना बना कर पॅक कर दो….मुझे फिर से हॉस्पिटल जाना है….उस बेचारे बच्चे का तो इस दुनियाँ मे कोई भी नही है. इतनी सी उमर मे ही नज़ाने अब तक उसने क्या-2 दुख देखे होंगे.

शीला: जी बना देती हूँ…..मैं भी चलु आपके साथ ?

मुकेश: तुम क्या करोगी वहाँ जाकर ?

शीला: बस ऐसे ही.

मुकेश: ठीक दोपहर को चलते हैं…..

शीला: ठीक है आप जाकर आराम करिए….मैं खाना बनाती हूँ…आप कल रात से सोए नही है….

मुकेश अपने रूम मे चला गया……..शीला ने घर मे करने वाली नौकरानी को खाना तैयार करने के लिए कहा….और खुद उसकी मदद की. दोपहर को जब वो अपने रूम मे गयी तो, उसने देखा के मुकेश पहले से तैयार हो चुका है…

शीला: आप उठ गये….खाना लगाऊ क्या ?

मुकेश: हां जल्दी करो…..खाने के बाद हॉस्पिटल भी जाना है….

शीला: जी आप तैयार होकर बाहर आ जाए…मैं खाना लगाती हूँ…

खन्ना खाने के बाद दोनो हॉस्पिटल पहुच गये……वहाँ इनस्पेक्टर पहले से ही माजूद था….मुकेश को देखते ही इनस्पेक्टर बोला…अब तो लड़के की हालत मे काफ़ी सुधार है….बेचारा बच गया….

मुकेश: इनस्पेक्टर अब क्या करना है इस बच्चे का…

इनस्पेक्टर: करना क्या है सर जी. सिटी मे एक अनाथ आश्रम है…आश्रम के ट्रस्टी से कॉंटॅक्ट किया है, थोड़ी देर मे आता होगा…..वही पर इसको भेज देंगे…

मुकेश: ह्म्म ठीक है……

उसके बाद मुकेश और शीला उस रूम मे आ गये……जहाँ पर वो लड़का लेटा हुआ था…मुकेश को देखते ही साहिल बेड पर उठ कर बैठ गया….

मुकेश: और कैसे हो……दर्द तो नही हो रहा…..

साहिल: नही अंकल….अब ठीक हूँ….

उसने अपने मासूम से चेहरे से मुकेश और शीला की ओर देखते हुए कहा….और फिर अपनी नज़रे नीचे कर ली………शीला साहिल को एक टक देखे जा रही थी…जिसकी वजह से साहिल थोड़ा नर्वस फील कर रहा था…और अपने छोटे- 2 हाथों की उंगलयों को आपस मे दबा रहा था..
 

FUCKWITHORAL

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मुकेश: खाना खाया तुमने ?

साहिल: नही अभी नही खाया…

मुकेश: देखो हम तुम्हारे लिए खाना लेकर आए है….

साहिल ने एक बार शीला के हाथ मे पकड़े हुए लंच बॉक्स की तरफ देखा, और फिर से अपने सर को झुका लिया….

मुकेश: अर्रे शीला देख क्या रही हो. खाना डालो प्लेट मे….

शीला: जी………जी अभी डालती हूँ…..

शीला ने प्लेट मे खाना डाला, और साहिल की तरफ बढ़ा दया…साहिल ने एक बार फिर से शीला की तरफ देखा…और प्लेट लेने के लिए जैसे ही ही हाथ आगे बढ़ाया….वो एक दम से चीख उठा. शायद उसके हाथ मे चोट लगी थी….”अहह माआ”

साहिल की दर्द भरी पुकार सुन कर शीला के माँ मे अजीब सी टीस उठी, और उसने प्लेट को एक साइड मे रखते हुए, उसका हाथ पकड़ लिया. और फ़िकरमंद अंदाज़ मे बोली, क्या हुआ बेटा…….कहाँ दर्द हो रहा है…

साहिल: वो हाथ मे चोट लगी है….

शीला: अच्छा रहने दो…..मैं खिला देती हूँ….

मुकेश बैठा सब देख रहा था…वो जानता था कि, शीला के मन के किसी कोने मे आज भी मा बनने के चाहत है…जो साहिल को देख कर दबी ना रह सकी..शीला को जब ख़ुसी से साहिल को खाना खिलाते देखा, मुकेश को भी अच्छा लग रहा था…… तभी इनस्पेक्टर अंदर दाखिल हुआ और मुकेश से बोला…

इनस्पेक्टर: मुकेश जी वो अनाथ आश्रम के ट्रस्टी आ गये है….उनसे बात कर लेते हैं…..

मुकेश: हूँ जी चलिए …….

मुकेश उठ कर इनस्पेक्टर के साथ बाहर आ गया……और अनाथ आश्रम के ट्रस्टी से बात करने लगा….शीला भी बाहर आ गये…जब मुकेश ट्रस्टी से बात कर रहा था….तब शीला ने मुकेश को आवाज़ देकर बुलाया.

मुकेश: हां शीला क्या बात है ?

शीला: जी ये इनस्पेक्टर क्या कह रहा है….वो इस बच्चे को अनाथ आश्रम भेंजेगे क्या ?

मुकेश: हां शीला अब उस बेचारे का घर तो है नही, और कहाँ जाएगा..

शीला: थोड़ी देर सोचने के बाद) जी क्या हम वो मैं कह रही थी कि,क्या हम साहिल को अपने साथ नही रख सकते….

मुकेश: (शीला के बात सुन कर थोड़ी देर सोचने के बाद) ह्म्म सोच तो मैं भी यही रहा था. पर शीला किसी को पालना और वो भी किसी गेर को बहुत बड़ी ज़िम्मेदारी होती है…….


शीला: हां जानती हूँ…..पर क्या हम दोनो मिलकर भी ये ज़िम्मेदारी नही संभाल सकते…..

मुकेश ने मुस्करा कर शीला की तरफ देखा , और बोला, ठीक है मैं इनस्पेक्टर और आश्रम के ट्रस्टी से बात करता हूँ…फिर मुकेश ने इनस्पेक्टर और आश्रम के ट्रस्टी को अपने और शीला के दिल के बात बता दी… वो लोग झट से राज़ी हो गये….

इनस्पेक्टर: ठीक है मुकेश जी, आप दोनो हमारे साथ चल कर कुछ फॉरमॅलिटी पूरी कर लें. उसके बाद आप इस बच्चे को घर ले जा सकते है.

मुकेश: ठीक हैं इनस्पेक्टर चलिए…….

उसके बाद मुकेश इनस्पेक्टर के साथ पोलीस स्टेशन चला गया…और ज़रूरी कागज़ी करवाई करने के बाद उन्होने ने साहिल को गोद लिया……शीला तो ख़ुसी से फूली नही समा रही थी….औलाद के लिए वो कई सालो से तरसी थी. और आज साहिल के रूप मे उसे अपना बेटा मिल गया था….और आज मुकेश साहिल को हॉस्पिटल से घर लाने वाला था….

शीला तो जैसे बादलों मे उड़ रही थी….उसने अपने कई रिस्तेदारो और दोस्तो को ये खबर बता दी, और उसने साहिल के घर पर आने की ख़ुसी के मोके पर बहुत बड़ी पार्टी रखी थी…

Part - 2

दोस्तो अब मैं जिन किरदारों के बारे मे आपको बताने जा रहा हूँ. उनका इस कहानी मे बहुत बड़ा रोल है….शीला ने पार्टी मे अपने दोनो भाइयो को बुलाया था…उसके दोनो भाई शादी शुदा था…शीला के बड़े भाई का नाम कुलवंत सिंग था. कुलवंत सिंग शीला से उमेर मे दो साल बड़ा था…उसकी पत्नी का नाम नेहा था…नेहा की उमर लगभग 30 साल के करीब थी…उनकी शादी को लघ्भग 10 साल हो चुके थे…..

कुलवंत और नेहा की शादी के एक साल बाद ही, उनके घर एक बेटे ने जनम लिया…पर उनकी खुसिया ज़यादा दिन तक कायम ना रही, 3 साल के बाद एक आक्सिडेंट मैं उनके बेटे क़ी मौत हो गयी….उसके बाद उनकी किस्मेत ने ही मानो उनसे मूह फेर लिया हुआ, नेहा उसके बाद कभी मा नही बन पाई…कुलवंत सिंग का छोटा भाई भी उस के साथ रहता था, तीन साल पहले कुलवंत के छोटे भाई रवि की शादी हुई थी….और शादी के एक साल बाद ही उनके घर एक बेटे ने जनम लिया था….रवि की पत्नी बहुत तेज तरार औरत है……उसका नाम पायल है…

जिसे अब 6 महीने हो चुके है….दोनो भाई और उनकी पत्नियो के अलावा उनके घर मे कुलवंत सिंग की मा भी रहती है…जो अब काफ़ी बूढ़ी हो चुकी है…जब कुलवंत सिंग के बेटे की मौत हुई थी, तो कुलवंत सिंग ने अपने छोटे भाई और पत्नी से मिल कर यह फैंसला किया था कि, वो अपने बेटे की मौत का जिकर अपनी मा से नही करेंगे…..

क्योंकि कुलवंत सिंग की मा अपने पोते से बहुत प्यार करती थी….और कुलवंत सिंग ये जानता था कि, अगर उसकी मा को ये खबर पता चली तो, उसकी मा उसी वक़्त दम तोड़ देगी…क्योकि उसकी मा को पहले ही दो बार हार्ट अटॅक आ चुका था….इसलिए उन्होने अपनी मा को यही बता कर रखा था कि, उनका बेटा अपनी बुआ (यानी शीला के पास सहर मे रह कर पढ़ाई कर रहा है) कुलवंत सिंग भी दोबारा संतान ना होने के कारण बहुत दुखी था.

चलिए अब आगे बढ़ा जाए….तो शीला साहिल के घर आने को लेकर बहुत ही खुस थी…..जिसके लिए उसने इतनी बड़ी पार्टी अरेंज की थी…कुलवंत सिंग ने जो झूट अपनी मा से बोला था….वो शीला और उसका पति भी जानते थी. इसलिए कुलवंत सिंग अपनी मा को साथ लेकर नही आया था……साहिल के घर आने की ख़ुसी मे बहुत धूम धाम से पार्टी की गयी….उस दिन के बाद तो शीला और मुकेश की जिंदगी ही बदल गयी…..मुकेश तो अपने काम के लिए सुबह घर से चला जाता, और रात को घर आता….पर शीला एक पल के लिए भी अपनी आँखों से साहिल को दूर नही होने देती…….

उसके बचपन के खेल देख कर खुस होती रहती…..जल्द ही साहिल का अड्मिशन स्कूल मे करवा दिया गया…घर पर उसके लिए प्राइवेट ट्यूशन भी रखी गयी ताकि वो जल्द ही अपनी हमउमर बच्चो की क्लास मे पहुच सके….साहिल ने भी उनको निराश नही किया…और एक साल मे ही वो अपनी उमर के बच्चो की क्लास मे पहुच गया…

साहिल की भी जैसे जिंदगी बदल गयी हो….हर तरह की सुख सुविधा, पैसे और किसी चीज़ की कमी नही थी…मोहल्ले मे उसके कई दोस्त बन चुके थे…जिनके साथ वो शाम को क्रिकेट खेलता था….साहिल अब 8थ क्लास मे पहुच गया था…साहिल रोज स्कूल से आता और अपने दोस्तो के साथ क्रिकेट खेलन लग जाता……

साहिल जिन दोस्तो के साथ खेलता था…..उनमे से कुछ उससे दो तीन साल बड़े थे. शीला का घर बहुत बड़ा था…..घर के पीछे की तरफ बहुत सी खाली जगह थी….जैसे कि आप जानते है कि, उस उमर मे बच्चो के अंदर बहुत जिग्यासा होती है, वैसे ही साहिल के अंदर भी थी…एक दिन जब साहिल सब बच्चो के साथ क्रिकेट खेलते-2 थक गया…तो सब बैठ कर आराम करने लगे…उनमे से एक लड़का था विजय जो अक्सर गालियाँ निकाल कर बातें करता था…..

विजय:ओये लोडीये तेरी बेहन दी साले….तुझे कल कहा था कि, मेरे लिए वो मैथ की बुक ला देना तूँ लेकर आया नही….

साम: यार क्या करूँ…..कल भूल गया….

विजय: चल फुद्दि दिया…साले कल ज़रूर मूठ मार रहा होगा…..तभी भूल गया तूँ….

साहिल ये शब्द पहली बार सुन रहा था, क्योंकि ये लड़के उसके स्कूल के नही थे..”विजय ये लोड्‍ा और फुद्दि क्या होता है”

विजय: (हंसते हुए) क्या नवाब साहिब आप को फुद्दि लंड का भी पता नही..

साहिल: नही मुझे नही पता….

विजय: देखेगा क्या होता है…..

साहिल: हां दिखाओ…

विजय ने एक बार साहिल और साम के तरफ मुस्करा कर देखा और फिर चारो तरफ देखाते हुए अपनी पेंट की ज़िप खोल कर अपने 6 इंच लंबे लंड को बाहर निकाल लिया…और अपने हाथ से पकड़ कर साहिल को दिखाते हुए बोला “ये देख इसे लंड कहते है” साहिल हैरत भरी नज़रों से कभी साम के तरफ़ देखता, और कभी विजय के लंड की तरफ….

विजय: क्या हुआ अरे लंड तो तेरे पास भी है….और औरतों के यहाँ पर छेद होता है….जिसे चूत यानी फुद्दि कहते है…तूने देखी है कभी किसी की चूत……

साहिल: नही पर एक बात पुच्छू….

विजय: (अपने लंड को पेंट के अंदर करते हुए) हां बोल…..

साहिल: तुम्हारी ये सुसू इतनी बड़ी क्यों है.

विजय: (हंसते हुए) क्या क्या बोला तूने सुसू…अबे बच्चे मर्दों का लंड होता है……तुम्हारे क्या सुसू लगी है…दिखा ज़रा अपनी सुसू….

साहिल: नही मुझे शरम अत्ती है…

विजय: यार क्या बच्चो जैसी बातें करता है……..दिखा ना..

साहिल ने शरमाते हुए, अपनी पेंट की ज़िप खोली, और अपना सिक्युडा हुआ 2 इंच लुली बाहर निकाल कर बोला “ये देखो मेरा लंड” विजय और साम ने कुछ देर एक दूसरे की तरफ देखा और फिर ज़ोर-2 से हँसने लगे….

विजय: (हंसते हुए) अर्रे लल्लू लाल ये लंड नही ये तो नूनी है हा हा हा…

दोनो को यू हंसता देख कर और उन्हे अपना मज़ाक उड़ाता देख कर साहिल खड़ा हुआ, और घर के अंदर चला गया….विजय और साम उसको पीछे से आवाज़ देते रहे…पर साहिल एक पल के लिए नही रुका…वो दोनो भी वापिस अपने घर चले गये….साहिल अपना सा मूह बना कर अपने रूम मे आ गया… दोपहर का वक़्त था….शीला साहिल के रूम मे आई….

शीला: साहिल उठो तैयार हो जाओ…..आज हमने पार्टी मे जाना है…

साहिल: नही मा मुझे नही जाना….

शीला: अर्रे क्या हुआ……..इतने गुस्से मे क्यों हो ?

साहिल: कुछ नही मुझे नही जाना कही….

शीला: ठीक है ठीक है……गुस्सा क्यों हो रहे हो….मैं निर्मला को बोल देती हूँ, वो तुम्हारे लिए खाना बना देगी …हम शाम तक घर आ जाएँगे…..

उसके बाद शीला नीचे आ गयी….अभी कुछ दिन पहले ही उन्होने अपने घर मे नयी नौकरानी रखी थी, निर्मला विधवा थी…उसका एक बेटा था जो कि **** साल का था…शीला ने नीचे आकर निर्मला से साहिल के लिए खाना बनाने के लिए कहा…और उसे कहा कि, जब तक वो घर वापिस नही आ जाते, वो साहिल के साथ ही रहे…उसके बाद शीला और मुकेश पार्टी के लिए निकल गये…

निर्मला ने खाना तैयार किया, और ऊपेर साहिल के रूम मे गयी…साहिल अभी भी अपने बेड पर टेक लगा कर बैठा हुआ था….उसका चेहरा लटका हुआ था…निर्मला साहिल को बाबू कह कर पुकारती थी…”बाबू खाना तैयार है…नीचे आकर खाना खा लो”

साहिल: (बुझे हुए मूड के साथ)मुझे नही खाना कुछ भी………

निर्मला: (साहिल के उतरे हुए चेहरे को देखते हुए) क्या हुआ बाबू मेम्साब ने कुछ कहा क्या….

साहिल: नही …..

निर्मला: तो फिर उदस्स क्यों लग रहे हो…दोस्तो से झगड़ा हुआ….

साहिल: सब के सब बेकार दोस्त है…..मेरा मज़ाक उड़ाते है….आगे से कभी उनके साथ नही खेलूँगा………

क्रमशः....................................
 
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Rohit Dwivedi

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Yah Raj Sharma ki story hai bhai...
Agar tum ise likh rahe ho to. GIF aur image use karo tabhi maja aaega chhoti si Jaan chhoto ka Toofan
 
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ARTICUNO

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मुकेश: खाना खाया तुमने ?

साहिल: नही अभी नही खाया…

मुकेश: देखो हम तुम्हारे लिए खाना लेकर आए है….

साहिल ने एक बार शीला के हाथ मे पकड़े हुए लंच बॉक्स की तरफ देखा, और फिर से अपने सर को झुका लिया….

मुकेश: अर्रे शीला देख क्या रही हो. खाना डालो प्लेट मे….

शीला: जी………जी अभी डालती हूँ…..

शीला ने प्लेट मे खाना डाला, और साहिल की तरफ बढ़ा दया…साहिल ने एक बार फिर से शीला की तरफ देखा…और प्लेट लेने के लिए जैसे ही ही हाथ आगे बढ़ाया….वो एक दम से चीख उठा. शायद उसके हाथ मे चोट लगी थी….”अहह माआ”

साहिल की दर्द भरी पुकार सुन कर शीला के माँ मे अजीब सी टीस उठी, और उसने प्लेट को एक साइड मे रखते हुए, उसका हाथ पकड़ लिया. और फ़िकरमंद अंदाज़ मे बोली, क्या हुआ बेटा…….कहाँ दर्द हो रहा है…

साहिल: वो हाथ मे चोट लगी है….

शीला: अच्छा रहने दो…..मैं खिला देती हूँ….

मुकेश बैठा सब देख रहा था…वो जानता था कि, शीला के मन के किसी कोने मे आज भी मा बनने के चाहत है…जो साहिल को देख कर दबी ना रह सकी..शीला को जब ख़ुसी से साहिल को खाना खिलाते देखा, मुकेश को भी अच्छा लग रहा था…… तभी इनस्पेक्टर अंदर दाखिल हुआ और मुकेश से बोला…

इनस्पेक्टर: मुकेश जी वो अनाथ आश्रम के ट्रस्टी आ गये है….उनसे बात कर लेते हैं…..

मुकेश: हूँ जी चलिए …….

मुकेश उठ कर इनस्पेक्टर के साथ बाहर आ गया……और अनाथ आश्रम के ट्रस्टी से बात करने लगा….शीला भी बाहर आ गये…जब मुकेश ट्रस्टी से बात कर रहा था….तब शीला ने मुकेश को आवाज़ देकर बुलाया.

मुकेश: हां शीला क्या बात है ?

शीला: जी ये इनस्पेक्टर क्या कह रहा है….वो इस बच्चे को अनाथ आश्रम भेंजेगे क्या ?

मुकेश: हां शीला अब उस बेचारे का घर तो है नही, और कहाँ जाएगा..

शीला: थोड़ी देर सोचने के बाद) जी क्या हम वो मैं कह रही थी कि,क्या हम साहिल को अपने साथ नही रख सकते….

मुकेश: (शीला के बात सुन कर थोड़ी देर सोचने के बाद) ह्म्म सोच तो मैं भी यही रहा था. पर शीला किसी को पालना और वो भी किसी गेर को बहुत बड़ी ज़िम्मेदारी होती है…….


शीला: हां जानती हूँ…..पर क्या हम दोनो मिलकर भी ये ज़िम्मेदारी नही संभाल सकते…..

मुकेश ने मुस्करा कर शीला की तरफ देखा , और बोला, ठीक है मैं इनस्पेक्टर और आश्रम के ट्रस्टी से बात करता हूँ…फिर मुकेश ने इनस्पेक्टर और आश्रम के ट्रस्टी को अपने और शीला के दिल के बात बता दी… वो लोग झट से राज़ी हो गये….

इनस्पेक्टर: ठीक है मुकेश जी, आप दोनो हमारे साथ चल कर कुछ फॉरमॅलिटी पूरी कर लें. उसके बाद आप इस बच्चे को घर ले जा सकते है.

मुकेश: ठीक हैं इनस्पेक्टर चलिए…….

उसके बाद मुकेश इनस्पेक्टर के साथ पोलीस स्टेशन चला गया…और ज़रूरी कागज़ी करवाई करने के बाद उन्होने ने साहिल को गोद लिया……शीला तो ख़ुसी से फूली नही समा रही थी….औलाद के लिए वो कई सालो से तरसी थी. और आज साहिल के रूप मे उसे अपना बेटा मिल गया था….और आज मुकेश साहिल को हॉस्पिटल से घर लाने वाला था….

शीला तो जैसे बादलों मे उड़ रही थी….उसने अपने कई रिस्तेदारो और दोस्तो को ये खबर बता दी, और उसने साहिल के घर पर आने की ख़ुसी के मोके पर बहुत बड़ी पार्टी रखी थी…

Part - 2

दोस्तो अब मैं जिन किरदारों के बारे मे आपको बताने जा रहा हूँ. उनका इस कहानी मे बहुत बड़ा रोल है….शीला ने पार्टी मे अपने दोनो भाइयो को बुलाया था…उसके दोनो भाई शादी शुदा था…शीला के बड़े भाई का नाम कुलवंत सिंग था. कुलवंत सिंग शीला से उमेर मे दो साल बड़ा था…उसकी पत्नी का नाम नेहा था…नेहा की उमर लगभग 30 साल के करीब थी…उनकी शादी को लघ्भग 10 साल हो चुके थे…..

कुलवंत और नेहा की शादी के एक साल बाद ही, उनके घर एक बेटे ने जनम लिया…पर उनकी खुसिया ज़यादा दिन तक कायम ना रही, 3 साल के बाद एक आक्सिडेंट मैं उनके बेटे क़ी मौत हो गयी….उसके बाद उनकी किस्मेत ने ही मानो उनसे मूह फेर लिया हुआ, नेहा उसके बाद कभी मा नही बन पाई…कुलवंत सिंग का छोटा भाई भी उस के साथ रहता था, तीन साल पहले कुलवंत के छोटे भाई रवि की शादी हुई थी….और शादी के एक साल बाद ही उनके घर एक बेटे ने जनम लिया था….रवि की पत्नी बहुत तेज तरार औरत है……उसका नाम पायल है…

जिसे अब 6 महीने हो चुके है….दोनो भाई और उनकी पत्नियो के अलावा उनके घर मे कुलवंत सिंग की मा भी रहती है…जो अब काफ़ी बूढ़ी हो चुकी है…जब कुलवंत सिंग के बेटे की मौत हुई थी, तो कुलवंत सिंग ने अपने छोटे भाई और पत्नी से मिल कर यह फैंसला किया था कि, वो अपने बेटे की मौत का जिकर अपनी मा से नही करेंगे…..

क्योंकि कुलवंत सिंग की मा अपने पोते से बहुत प्यार करती थी….और कुलवंत सिंग ये जानता था कि, अगर उसकी मा को ये खबर पता चली तो, उसकी मा उसी वक़्त दम तोड़ देगी…क्योकि उसकी मा को पहले ही दो बार हार्ट अटॅक आ चुका था….इसलिए उन्होने अपनी मा को यही बता कर रखा था कि, उनका बेटा अपनी बुआ (यानी शीला के पास सहर मे रह कर पढ़ाई कर रहा है) कुलवंत सिंग भी दोबारा संतान ना होने के कारण बहुत दुखी था.

चलिए अब आगे बढ़ा जाए….तो शीला साहिल के घर आने को लेकर बहुत ही खुस थी…..जिसके लिए उसने इतनी बड़ी पार्टी अरेंज की थी…कुलवंत सिंग ने जो झूट अपनी मा से बोला था….वो शीला और उसका पति भी जानते थी. इसलिए कुलवंत सिंग अपनी मा को साथ लेकर नही आया था……साहिल के घर आने की ख़ुसी मे बहुत धूम धाम से पार्टी की गयी….उस दिन के बाद तो शीला और मुकेश की जिंदगी ही बदल गयी…..मुकेश तो अपने काम के लिए सुबह घर से चला जाता, और रात को घर आता….पर शीला एक पल के लिए भी अपनी आँखों से साहिल को दूर नही होने देती…….

उसके बचपन के खेल देख कर खुस होती रहती…..जल्द ही साहिल का अड्मिशन स्कूल मे करवा दिया गया…घर पर उसके लिए प्राइवेट ट्यूशन भी रखी गयी ताकि वो जल्द ही अपनी हमउमर बच्चो की क्लास मे पहुच सके….साहिल ने भी उनको निराश नही किया…और एक साल मे ही वो अपनी उमर के बच्चो की क्लास मे पहुच गया…

साहिल की भी जैसे जिंदगी बदल गयी हो….हर तरह की सुख सुविधा, पैसे और किसी चीज़ की कमी नही थी…मोहल्ले मे उसके कई दोस्त बन चुके थे…जिनके साथ वो शाम को क्रिकेट खेलता था….साहिल अब 8थ क्लास मे पहुच गया था…साहिल रोज स्कूल से आता और अपने दोस्तो के साथ क्रिकेट खेलन लग जाता……

साहिल जिन दोस्तो के साथ खेलता था…..उनमे से कुछ उससे दो तीन साल बड़े थे. शीला का घर बहुत बड़ा था…..घर के पीछे की तरफ बहुत सी खाली जगह थी….जैसे कि आप जानते है कि, उस उमर मे बच्चो के अंदर बहुत जिग्यासा होती है, वैसे ही साहिल के अंदर भी थी…एक दिन जब साहिल सब बच्चो के साथ क्रिकेट खेलते-2 थक गया…तो सब बैठ कर आराम करने लगे…उनमे से एक लड़का था विजय जो अक्सर गालियाँ निकाल कर बातें करता था…..

विजय:ओये लोडीये तेरी बेहन दी साले….तुझे कल कहा था कि, मेरे लिए वो मैथ की बुक ला देना तूँ लेकर आया नही….

साम: यार क्या करूँ…..कल भूल गया….

विजय: चल फुद्दि दिया…साले कल ज़रूर मूठ मार रहा होगा…..तभी भूल गया तूँ….

साहिल ये शब्द पहली बार सुन रहा था, क्योंकि ये लड़के उसके स्कूल के नही थे..”विजय ये लोड्‍ा और फुद्दि क्या होता है”

विजय: (हंसते हुए) क्या नवाब साहिब आप को फुद्दि लंड का भी पता नही..

साहिल: नही मुझे नही पता….

विजय: देखेगा क्या होता है…..

साहिल: हां दिखाओ…

विजय ने एक बार साहिल और साम के तरफ मुस्करा कर देखा और फिर चारो तरफ देखाते हुए अपनी पेंट की ज़िप खोल कर अपने 6 इंच लंबे लंड को बाहर निकाल लिया…और अपने हाथ से पकड़ कर साहिल को दिखाते हुए बोला “ये देख इसे लंड कहते है” साहिल हैरत भरी नज़रों से कभी साम के तरफ़ देखता, और कभी विजय के लंड की तरफ….

विजय: क्या हुआ अरे लंड तो तेरे पास भी है….और औरतों के यहाँ पर छेद होता है….जिसे चूत यानी फुद्दि कहते है…तूने देखी है कभी किसी की चूत……

साहिल: नही पर एक बात पुच्छू….

विजय: (अपने लंड को पेंट के अंदर करते हुए) हां बोल…..

साहिल: तुम्हारी ये सुसू इतनी बड़ी क्यों है.

विजय: (हंसते हुए) क्या क्या बोला तूने सुसू…अबे बच्चे मर्दों का लंड होता है……तुम्हारे क्या सुसू लगी है…दिखा ज़रा अपनी सुसू….

साहिल: नही मुझे शरम अत्ती है…

विजय: यार क्या बच्चो जैसी बातें करता है……..दिखा ना..

साहिल ने शरमाते हुए, अपनी पेंट की ज़िप खोली, और अपना सिक्युडा हुआ 2 इंच लुली बाहर निकाल कर बोला “ये देखो मेरा लंड” विजय और साम ने कुछ देर एक दूसरे की तरफ देखा और फिर ज़ोर-2 से हँसने लगे….

विजय: (हंसते हुए) अर्रे लल्लू लाल ये लंड नही ये तो नूनी है हा हा हा…

दोनो को यू हंसता देख कर और उन्हे अपना मज़ाक उड़ाता देख कर साहिल खड़ा हुआ, और घर के अंदर चला गया….विजय और साम उसको पीछे से आवाज़ देते रहे…पर साहिल एक पल के लिए नही रुका…वो दोनो भी वापिस अपने घर चले गये….साहिल अपना सा मूह बना कर अपने रूम मे आ गया… दोपहर का वक़्त था….शीला साहिल के रूम मे आई….

शीला: साहिल उठो तैयार हो जाओ…..आज हमने पार्टी मे जाना है…

साहिल: नही मा मुझे नही जाना….

शीला: अर्रे क्या हुआ……..इतने गुस्से मे क्यों हो ?

साहिल: कुछ नही मुझे नही जाना कही….

शीला: ठीक है ठीक है……गुस्सा क्यों हो रहे हो….मैं निर्मला को बोल देती हूँ, वो तुम्हारे लिए खाना बना देगी …हम शाम तक घर आ जाएँगे…..

उसके बाद शीला नीचे आ गयी….अभी कुछ दिन पहले ही उन्होने अपने घर मे नयी नौकरानी रखी थी, निर्मला विधवा थी…उसका एक बेटा था जो कि **** साल का था…शीला ने नीचे आकर निर्मला से साहिल के लिए खाना बनाने के लिए कहा…और उसे कहा कि, जब तक वो घर वापिस नही आ जाते, वो साहिल के साथ ही रहे…उसके बाद शीला और मुकेश पार्टी के लिए निकल गये…

निर्मला ने खाना तैयार किया, और ऊपेर साहिल के रूम मे गयी…साहिल अभी भी अपने बेड पर टेक लगा कर बैठा हुआ था….उसका चेहरा लटका हुआ था…निर्मला साहिल को बाबू कह कर पुकारती थी…”बाबू खाना तैयार है…नीचे आकर खाना खा लो”

साहिल: (बुझे हुए मूड के साथ)मुझे नही खाना कुछ भी………

निर्मला: (साहिल के उतरे हुए चेहरे को देखते हुए) क्या हुआ बाबू मेम्साब ने कुछ कहा क्या….

साहिल: नही …..

निर्मला: तो फिर उदस्स क्यों लग रहे हो…दोस्तो से झगड़ा हुआ….

साहिल: सब के सब बेकार दोस्त है…..मेरा मज़ाक उड़ाते है….आगे से कभी उनके साथ नही खेलूँगा………

क्रमशः....................................
Congratulations bhai for your new thread 🎉 🎉....

Aur mast update hai ... Ab dekhta hai aage kya hoga ... Sahil ka jeewan mai ..
 

sbaakva

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Yah Raj Sharma ki story hai bhai...
Agar tum ise likh rahe ho to. GIF aur image use karo tabhi maja aaega chhoti si Jaan chhoto ka Toofan
haan bhai ye maine bhi padhi h pehle par aap gifs ke saath add krke badhia se isko dubara start kriye to maza aa jaega padhne me
 
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