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Erotica जोरू का गुलाम उर्फ़ जे के जी

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komaalrani

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जोरू का गुलाम भाग 246 ----तीज प्रिंसेज कांटेस्ट पृष्ठ १५३३

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komaalrani

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तब तो सायद मिस एक्स भी खतरे की भोगी है. जैसा की आनंद बाबू की कंपनी जैसे. अब देखते है की आनंद बाबू से कैसे अटैचमेंट होता है.

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तब तो सायद मिस एक्स भी खतरे की भोगी है. जैसा की आनंद बाबू की कंपनी जैसे. अब देखते है की आनंद बाबू से कैसे अटैचमेंट होता है.

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मिस एक्स एक इंटरनेशनल फायनेंशियल एक्सपर्ट हैं जिनकी रिपोर्ट की बहुत इज्जत है और कई कंपनियां दुनिया में डूब चुकी है

उनके बारे में शुरू में लिखा है

फारवर्ड ट्रेडिंग, डेरिवेटिवस और शार्ट सेलिंग पर उन्होंने डॉक्टरेट प्रिंसटन यूनिवर्सिटी से किया था, फिर हावर्ड से ला,... कम्पनी ला में।

शेल कम्पनीज, हवाला ट्रांजैक्शन को पकड़ने में उनकी महारत के कारण २६ साल की उम्र में वो फाइनेंशियल एक्शन टास्क फ़ोर्स (FATF) की चार साल डिप्टी एक्जीक्यूटिव सेक्रेटरी मिस एक्स बन गयी, उसके पहले वो यू एस ट्रेजरी के फायनेंसियल क्राइम इंफोर्स्मेंट नेटवर्क (FinCEN) में सीनियर एनलिस्ट का काम किया था और मनी लांड्रिंग , टेरर फंडिंग में महारत हासिल की थी।

ऍफ़ टी ऍफ़ में मिस एक्स की पहल से तीन देश ग्रे लिस्ट में चले गए थे।


एक से एक बड़ी ट्रिलयन डालर कारपोरेट का वो जबरदस्त विश्लेषण वो करती थीं, और निश्चित रूप से उनकी रिपोर्ट को प्रभावित करने की कोशिश की जाती थी, पर आज तक कोई सफल नहीं रहा। और ऍफ़ ऐ टीएफ ( फाएंसियल एक्शन टास्क फोर्स ) में काम करते हुए कितने देशो, बैंको को जो छद्म तरीके से आतंकी संगठनों को फंडिंग करते हैं, उन्हें मिस एक्स ने पकड़ा था और उन्हें हर तरह की धमकियां मिली थीं।
 

komaalrani

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आप ने हमें ऐसे उलझा कर रहा हुआ है की अभी पता नहीं चल रहा की कौन दोस्त कौन दुश्मन. जब तक ताश के सारे पत्ते खुले. तब तक पता नहीं चलेगा.

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ये सस्पेंस है इसलिए सारे पत्ते तो कहानी के अंत में ही खुलेंगे।
 

Premkumar65

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भाग २४५ गीता और गाजर वाला

३६,२२,४६६

Geeta-25.jpg


और वो सब्जी का ठेला, कल जहाँ गाजर बिक रही थी , आज भी वही और सामने खड़ी गीता मोल भाव कर रही थी, गुड्डी के रहते तो गीता का पूरा ध्यान गुड्डी के पीछे ही पड़ा रहता था, लेकिन अब गुड्डी के जाने के बाद वो भी,…



मैंने नोट किया मेरे घर की पूरी चाभी का गुच्छा, गीता की कमर पे लटक रहा था, पल्लू से बंधा,

मुझे देख के वो एकदम सुबह की धूप की तरह खिल गयी, बोली, “ भैया भाभी घर पे नहीं है। काहें जल्दी मचाये हो।“



और अब मैं गीता के साथ उसी गाजर वाले सब्जी के ठेले के पास, और गीता ने मुझे समझाया



" भैया भाभी तो सुजाता भाभी के यहाँ गयी है कउनो अर्जेन्टी मीटिंग थी घंटा भर बाद आएँगी। हमसे बोल के गयीं हैं , तोहार भैया आफिस से थका मांदा आयेंगे तो तनी चाय वाय,… जो ओनकर मन करे पीयाय दिहु, हमहू बोले की हमार भैया हमार मर्जी जॉन मन करे तौन पियाइब। और थकान का पक्का इलाज कर देब, रात भर भौजी, तोहरे साथ कबड्डी खेलिहें। तो अभी हम चल रहे तोहरे साथ, तानी ये सब्जी ले लें। "



और गाजर के दूकान वाले पर पिल पड़ी



" ससुर के नाती, जउन मोट लम्बी गाजर रहे कुल अपनी बहिनी क बिल के लिए बचाय के रखे हो का, चुन चुन के सबसे लम्बी, सबसे मोटी दो …छोट मोट में हमें मजा ना आवत , और सामने ही रहती हूँ। गीता नाम है मेरा। "
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मैं खड़ा गीता की बदमाशी और उसका मस्त पिछवाड़ा देख रहा था।

और सोच रहा था,

दिमाग अब दही हो रहा था , एकदम सर टनटना रहा था.



मुम्बई से चलने से पहले सिर्फ एक चिंता थी गुड्डी से मुलाकात हो पाएगी नहीं, कहीं फ्लाइट लेट हो गयी, कहीं एयरपोर्ट से घर पहुँचने तक ट्रैफिक जाम में फंस गया लेकिन

पहले एयरपोर्ट पर लॉबी में 'उनसे' मुलाकात के बाद जो सिलसिला शुरू हुआ की,.. पहले लग रहा था अब हम लोगों ने जंग जीत ली है और अब सिर्फ मस्ती और आराम, लेकिन



वो रिपोर्ट जो मिली कि कोई है जो वैसे तो मुझे ठरकी समझता है लेकिन थोड़ा बहुत शक है और घर पहुँचने के बाद, गुड्डी तो मिल गयी, बिन बोले बात भी बहुत हो गयी, लेकिन



सर्वेलेंस जो अभी अंग्रेजी जासूसी किताबो में पढ़ा था या फिल्मो में देखा था, फिजिकल और साइबर,... वो कीड़ा मारक यंत्र से साफ़ था घर के किसी भी कोने में बात करने से हर बात जो कोई भी है वहां तक बात पहुँच जायेगी, फोन लैप टॉप सब हैक, आफिस की हालत भी वही, ... और ये दुकान वाला ठीक घर के समाने और फिर फ़ूड ट्रक वो भी सरवायलेंस का ही हिस्सा, ...
Good going. Ab Geeta than utaregi.
 

Premkumar65

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गीता है चाभी

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तभी मेरा ध्यान गीता पर गया,

नमक जबरदस्त था उसमें और वो सब्जी के ठेले वाले से चिपकी पड़ रही थी। बेचारा असली काम तो उसका 'कुछ और ' था लेकिन गीता से पीछा छुटवाना आसान नहीं था, उससे चिपक के जबतक वो हटता गीता ने अपने फोन से एक सेल्फी ले ली। वो उसे धक्का देके दूर हटा और गीता के हाथ से मोबाइल छीनने की कोशिश करने लगा लेकिन गीता ने मोबाइल मेरी ओर उछाल दिया ,



" हे वो बेचारा जब मना कर रहा है तो काहे ले रही हो "

और उस ठेले वाले को दिखाते हुए जैसे डिलीट कर रहा हूँ, डिलीट कर दिया।



लेकिन डिलीट मैंने एक दूसरी पिक्चर की थी और उस पिक को गैलरी और कैमरे से बाहर कहीं सेव कर दिया था.



" जो नहीं देता न मैं उसकी जबरदस्ती लेती हूँ और हचक के पटक के लेती हूँ, गाजर तो तेरी ठीक ठीक लग रही है शकल से भी गांडू नहीं लग रहा है तो काहें घबड़ा रहा है स्साले " गीता उससे बोली, फिर जोड़ा, " अभी जल्दी ये खड़े हैं वरना बिना लिए जाती नहीं, और ये सब्जी सब मेरे खाते में लिख लेना , गीता नाम है मेरा। "

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गीता के काटे का पानी नहीं मांगता, जिस तरह से आँचल ठीक करने के बहाने, अपने दोनों ठोस छोटे छोटे गदराये जुबना के उसे दर्शन कराये, और झुक के एकदम लो कट चोली की गहराई का, बेचारे का टनटना गया। और फिर जासूसी कोड में तो ये कहीं लिखा नहीं है की जासूसी करने जाओ तो कोई लाइन मारे तो चक्कर न चलाओ और वो भी लाइन मारने वाली गीता जैसी, जोबन के साथ साथ उसके डबल मीनिंग वाले डायलॉग

और ठसके से गीता मेरी ओर आ गयी लेकिन चलने के पहले उसे मुड़ के एक जबरदस्त आँख मारी।

बजाय सीधे जाने के हम लोग पेड़ों का एक झुण्ड था उसकी ओर से जा रहे थे, सिर्फ पैदल का रास्ता। घने पेड़, हैकिंग की कोई संभावना नहीं थी, फिर भी मैंने पाने कीट पकडक यंत्र को साउंड मोड में कर दिया था, १५० मीटर तक कुछ भी होता तो अलार्म बजता, लेकिन आवाज आयी गीता की,

उस सब्जी वाले जासूस को ये नहीं मालूम था की गीता उस की भी मौसी है, बात चीत में गीता ने बहुत कुछ उगलवा लिया, और वही बोल रही थी.

" स्साला नौटंकी, झूठ भी नहीं बोलना आता …. पक्का पन्छाह का है, ( पन्छाह मतलब पश्चिम उत्तरप्रदेश का ). जबरदस्ती का फ़िल्मी भोजपुरी बोल रहा था. एक गाली तो आती नहीं ढंग की। कह रहा था उसका खेत है ( कई खेत वाले अपनी सब्जी लेकर बेचने आते थे, जिनसे ताज़ी और सस्ती सब्जी मिल जाती थी और उन्हें ज्यादा मार्जिन ) लेकिन खेती किसानी खानदान में किसी ने न किया होगा, महतारी चने के खेत में चुदवाती जरूर होगा। स्साला फोटो के नाम पर कितना उछल रहा था जैसे गाँड़ खोल कर मैंने उसमें तीखी मिर्ची कूट दी हो, ... गाँड़ मारूंगी तो मैं उसकी जरूर "

" लेकिन तोहें देख के ललचा रहा था, मुंह में पानी आ रहा था, " मैंने गीता को मस्का लगाया ।

चाभी का गुच्छा घुमाते हुए वो बोली,

" अरे स्साले के मुंह में नहीं, गाजर में पानी आ रहा था। वैसे लगता वो भी स्साला चोदू है, लेकिन मेरे इस भइया ऐसा नहीं, पक्का बहनचोद, मादरचोद दोनों है, न ऐसा दम किसी में है न ऐसी गाजर " गीता ने मेरा हाथ दबाते हुए कहा।


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(असल में बदमाशी मेरी सास की थी, जब वो आयी थीं तो गीता की माँ मंजू, इनको बहू जी कहती थीं, बस उन्हें तो मौका चाहिए था, मेरे सामने ही मंजू से बोलीं, की मेरी बेटी तेरी बहू है तो मेरा दामाद, और मंजू उनकी बदमाशी समझ गयीं। बस उसी दिन से रिश्ता हो गया, मंजू की बेटी गीता मेरी बहन और मंजू माँ और जब मैं पहली बार ही गीता से मिला तो तो माँ बेटी दोनों चढ़ीं, और क्या न हुआ, और उस दिन के बाद से तो और उसी रिश्ते से गुड्डी को गीता ने अपनी छोटी भौजी बना लिया,

लेकिन एक बात और हुयी की मैं गीता पर पूरा विश्वास कर सकता था, जितना खुद पर, उससे भी ज्यादा और गीता की सहज बुद्धि का मैं भी लोहा मानता था,

" लेकिन तुम फोटोवा मिटा काहे दिए " अब गीता का गुस्सा मेरे ऊपर।



मैंने तुरंत वो फोल्डर खोल के गीता को दिखा दिया, उसकी सेल्फी एकदम जस की तस थी। और तभी मुझे आइडिया आया, गीता का फोन हैक भी नहीं हुआ था और उसमें कीड़े भी नहीं लगे थे, मतलब उसके जरिये मैं कम से कम एक दो बार शार्ट मेसेज कर सकता हूँ।
Very smooth and descriptive writing Komal ji.
 

Premkumar65

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बन गयी बात
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सामने वो फ़ूड ट्रक भी दिख रही थी पेड़ों की आड़ से मैंने गीता से कहा, हे चल साथ में कुछ खाने के लिए ले लेते हैं तेरी भौजी को तो आने में टाइम लगेगा।



गीता की आँख तेज थी, उसने देख लिया और बोली,

“अरे वो अय्यर साहेब के यहाँ जो काम करती हैं न वो हेमवा खड़ी है स्साली,... एक तो भैया तोहें साथ देख के ओह स्साली का झांट सुलगेगी दूसरे जा के पूरी कालोनी में बांटेगी। तू जा, लेकिन जल्दी आना. अगर पांच मिनट से देर लगी न तो गाँड़ मार के ताखे पे रख दूंगी। “



जल्दी में गीता का फोन मेरे हाथ में ही रह गया, और फ़ूड ट्रक पे बहुत भीड़ भी नहीं थी दो चार लोग ही रहे होंगे।

गीता समझ रही थी की असल मामला कुछ और है पर वो तुरंत अपने रोल में ढल जाती थी। उसने देख लिया था की उसका फोन मेरे हाथ में है पर वो कुछ नहीं बोली।

और मैं फ़ूड ट्रक के पास पहुंचता की उसके पहले वो मुझे दिख गयी, मस्त टीनेजर, जस्ट इंटर पास, जबरदस्त चूजे और गुड्डी की असली सहेली, जिसे मेरा और गुड्डी का सब चक्कर मलूम ही नहीं था, रोज कोचिंग में गुड्डी की बुलबुल खोल के मेरी मलाई ढूंढती थी।

पर मेरी आंख उसे पहचानती की उससे पहले उसने पहचान लिया, हाय हम दोनों ने साथ बोला और हथेली भी एक साथ मारी।



निधि थी, गुड्डी की पक्की सहेली।
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गुड्डी की सहेली होने के नाते मुझे भैया बोलती थी, लेकिन पक्की सहेली होने के नाते उसे ये भी मालूम था की उसकी सहेली की टंकी में सफ़ेद तेल रोज कौन भरता है और उसकी सहेली के टेनिस साइज उभारों पर दांत और नाख़ून के निशान किसके रहते हैं। उसने जोर से मुझे चिपका लिया और अपने उभरे उभारों को मेरी शर्ट पर रगड़ते हुए पहले तो मेरे गाल पर हलके से किस किया और फिर बोली, " भैया कहूं की जीजू "

" कहने सुनने में क्या रखा है " ये कह के मैंने अपने उभरे बल्ज को उसकी जाँघों के बीच रगड़ के उसे अपनी लम्बाई मोटाई और इरादे का इशारा दे दिया . एक हाथ मेरे उसके चूतड़ नाप रहा था हॉट पेंट में,

निधि सच में गुड्डी की पक्की सहेली थी, उसे फरक नहीं पड़ रहा था की फ़ूड ट्रक वाले जो अब तक उसके गदराये जोबना को खा जाने वाली नज़रों से देख रहे थे, अब हम दोनों की चिपका चिपकी देख रहे थे , और ऊपर से निधि ने सीधे मेरे टनटनाये बल्ज को पैंट के ऊपर से पकड़ लिया और खुल के दबाने लगी, और चिढ़ाते हुए बोली,

" भैया, मेरी सहेली ने तो दगा दे दिया, अब दस पंद्रह दिन की छुट्टी, क्या होगा इस बेचारे का, रोज बेचारा मेरी सहेली को चारा खिलाता था और अब "

उस बदमाश ने दुःख भरा मुंह बना के कस के उसे दबा दिया।
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" अरे, तेरी सहेली की ये सहेली है ना, इस बेचारे का ख्याल करने के लिए, अब तेरी बुलबुल को चारा खिलायेगा, बोल मंजूर " मैं क्यों मौका छोड़ता और साथ में कस के उसके दोनों चूजे दबा दिए, एकदम गुड्डी की तरह थे, मस्त, टाइट। "



मेरा मोबाइल मतलब गीता का मोबाइल भी चालू था।



और निधि अब मुझे लगा गुड्डी की असली सहेली थी, अपनी चुनमुनिया को मेरे मोटू से रगड़ते बोली, " कैसे भैया हो बहन से पूछ रहे है, बहन पर पहला हक़ तो भाई का ही होता है, और वो भाई नहीं जो बहन से पूछे "


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बात आगे बढ़ती लेकिन दो बातें हुयी, एक तो

मुझे लगा की वो हेमा देख रही है और बात नमक मिर्च लगा के कल बाँट देगी। इसलिए मैं अलग हो गया और उससे पूछा,



" तुमने अभी कुछ आर्डर दिया है या,... "

" डोसा और उत्थपम, पारसल, ... संगीता ( गुड्डी का स्कूल का नाम ) ने शायद यहाँ अपना नंबर लिखवाया होगा तो उसकी लिस्ट से मेरा नंबर भी, तो आज ऑफर था , फिफ्टी परसेंट डिस्काउंट का इसलिए।



मैंने भी पैक्ड का ऑर्डर दे दिया,



और दूसरी बात,तबतक निधि का आर्डर आ गया था।

मेरे हाथ में गीता का फोन था और मुझे एक ब्रेन वेव आ गयी ,...



" हे चल सेल्फी ले लेते हैं " और मैंने और निधि ने एक सेल्फी ली फिर दो चार और सब गीता वाले फोन पे,

लेकिन दो में इस तरह की जो फ़ूड कोर्ट में काम कर रहे थे उनलोगो की भी साफ़ साफ़ पिक आ जाए,... फ़ूड कोर्ट की तो खैर सब में थी।

तबतक मेरा आर्डर भी आ गया और हम दोनों चल दिए।



गीता के साथ मैं घर की ओर जा रहा था बस रस्ते में रुक के, गीता के फोन से ही गीता की गाजर वाले के साथ की फोटो और फ़ूड कोर्ट की अपनी और निधि की सेल्फी , जिसमें फ़ूड कोर्ट की ट्रक दिख रही थी दो काम करने वाले दिख रहे थे वो पिक्स थी और कोड वर्ड।

उसी जगह से जहाँ पेड़ों का घनघोर झुण्ड था, और न हम दोनों दिख सकते थे न फोन हैक हो सकते थे



अब मैं श्योर था की दो चार घंटे में ‘एम्’ के पास सर्वेलन्स का मेसेज पहुंच जाएगा।



हमें यह समझ में नहीं आ रहा था कारपोरेट हेड क्वार्टर को भी नहीं की अटैक कौन कर रहा है, उसका असली टारगेट क्या है और क्यों कर रहा है।



मैं शिकार पकड़ने के लिए जो बकरा बांधा जाता है कुछ उस तरह था, और मेरे ऊपर सर्वेलेंस कर के कुछ अंदाजा लग जाना था। जैसे सर्टेनली ये काम उन्होंने आउट सोर्स किया होगा, बीच में एक दो कट आउट भी होंगे लेकिन कुछ तो अता पता चलता और एक को पकड़ के दूसरा, धागे का एक सिरा हाथ लग गया था , कर्टसी गीता की सेल्फी और उसके फोन के।

मुझे भी नहीं मालूम था की वह कौन है, मुझे क्या मेरी पैरेंट कम्पनी, जो मल्टीनेशनल कम्पनी का हेडक्वार्टर था, वहां भी किसी को नहीं मालूम था , टॉप मैनजमेंट को तो सबसे कम इस तरह की चीजें बतायी जाती थीं, जिसे वो नार्को टेस्ट में न कुछ उगल सकें, लेकिन इस मामले में कंपनी की जो सिक्योरटी एजेंसी थी, वो कुछ प्राइवेट कांट्रैक्ट के जरिये इस तरह के काम करती थी और उसमें भी चार पांच कटआउट के बाद ही, लेकिन वो डिलीवर करता था

और मुझे यह भी नहीं मालूम था की वो हिन्दुस्तान में है या उज्बेकिस्तान में लेकिन ये मालूम था की चार पांच वी पी एन के बाद घंटे भर के अंदर ये सारी पिक्स उसे मिल जाएंगी और उस के बाद इन सर्वेलेंस वालों की उधेड़ बुन शुरू हो जायेगी, चोर के घर मोर लग जाएंगे, इसलिए वन टाइम कॉन्टैक्ट मैंने इस्तेमाल कर लिया और मेरे मन को बड़ी शान्ति मिली की मेरी
ओर से भी एक कदम चाल चल दी गयी।
Good going.
 

Shetan

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ये सस्पेंस है इसलिए सारे पत्ते तो कहानी के अंत में ही खुलेंगे।
तब तो बेसब्री से इंतजार रहेगा. नया अपडेटेड का.

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Premkumar65

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गीता और चम्पी तेल मालिश,


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वो किचेन में,... मैं लिविंग रूम में सोफे पे, सर अभी भी,...



चाय उसने चढाने के लिए रख दी थी और उस की गालियां और हुक्मनामा दोनों किचेन से जारी था,



" भैया कुछ करो मत….. चुपचाप लेट जाओ, अभी आती हूँ न कपडे उतार दूंगी। मैं समझ रही हूँ तोहार छिनार रंडी गुड्डी चली गयी है न गाँड़ मरवाने दिल्ली नए नए लौंडो से ओहि क याद आ रही है न। अरे एक बहन गयी तो दूसरी है न, बस चाय लेकर आती हूँ अभी, चुपचाप लेटे रहो, अरे जूता वूता पहने रहो, दो मिनट भी स्साला इन्तजार नहीं कर सकता, स्साले मादरचोद, अरे तेरी बहिनिया दिल्ली गयी अपनी बिलिया में किल्ली गड़वाने तो तोहार महतारी तो आ रही हैं, अगले हफ्ते, हमरे सामने भौजी से बात हुयी थी, बस घुसना जिस भोंसडे में से निकले हो, की वही सोच के फनफना रहा यही, आती हूँ अभी चाय लेके, कुछ मत करना बस लेते रहो चुप्पे, भौजी के आवे में डेढ़ दो घंटा कम से कम है अभी, "



गीता की आवाज और मैं सब परेशानी भूल गया। किसके पास हैं इत्ते रिसोर्स की मेरे घर पहुँचने के पहले ही घर में आफिस में और वो भी इंटरेनशनल सीक्रेट एजेंसी लेवल वाले बग्स, सब बात मैंने एक झटके में हटाने की कोशिश की,



गीता चाय ले आयी लेकिन मेरी हालत देख के वो समझ गयी आज मामला कुछ और है. बस झट से उसने साडी उतारी और गोल गोल करके मेरे सर के नीचे।



' इसलिए सर दर्द होता है,…. ठीक से लेटो तो सही अभी तेल लगा देती हूँ चम्पी तेल मालिश सब दर्द गायब " मुस्कराते हुए वो बोली।



सिर्फ चोली कट एकदम टाइट गहरे क्लीवेज वाला ब्लाउज जो जोबन को उभार ज्यादा रहा था आधे से ज्यादा बाहर झलका रहा था, ... चाय का प्याला लिए मुझे वो ललचा रही थी, वो जान रही थी क्या असर हो रहा है उसके जोबन का मेरे ऊपर,

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" ऊप्स भैया, चाय में चीनी कम लग रही है, डाल देती हूँ,... " और चाय की प्याली से एक कस के चुस्की उसने ली, और प्याला मेरी ओर बढ़ा दिया।

मैं समझ रहा था शैतानी जहाँ उसके होंठों का रस लगा था मैंने भी चुस्की वही से ली, और वो काम में लग गयी, पहले मेरे जूते मोज़े फिर पैंट और शर्ट


चाय ख़तम होने तक, मैं सिर्फ ब्रीफ और बनयाइन में था। प्याला लेकर वो गयी और एक छोटी सी कटोरी में तेल लेकर हल्का गुनगुना और उसमे पता नहीं क्या क्या मिला था,

चाय से ही बहुत मैं रिलैक्स महसूस कर रहा था. बस ये सोच रहा था किसी तरह घंटे भर की नींद आ जाए, तो टेंशन ख़त्म हो। मैं जिन चीजों को सोचने की नहीं सोचता वही बातें दिमाग में, लेकिन अब कुछ आराम मिल रहा था.

गीता ने नीचे एक टॉवेल बिछा दी थी और मैं पेट के बल लेटा, सर के नीचे उसकी साड़ी का तकिया,

घबड़ा मत साले तेरी गाँड़ नहीं मारूंगी और जिस दिन मारने का मन होगा न बता के मारूंगी, बस चुप चाप आँख बंद के लेटा रह। टिपिकल गीता और अब उसकी साड़ी के साथ उसका ब्लाउज भी मेरे सर के नीचे, कुछ देर उसने मेरे कंधो पर, गले के पीछे मालिश की और फिर मुझे पीठ के बल,

चम्पी तेल मालिश,



आँखे अब अपने आप मूँद रही थी, कुछ तो था उस तेल में उन उँगलियों में जिस तरह से वो कनपटी पे दबा रही थी माथे पर सहला रही थी और बदमाशी एकदम नहीं, अभी भी मैं ब्रीफ में था और ब्रीफ टनटनाया,...



मैं ९० फीसदी सो गया था, एकदम रिलैक्स। आँखे अगर चाहूँ तो भी खोल नहीं सकता था। पूरी देह रिलैक्स हो गयी थी, लेकिन सोया अभी भी नहीं था, गीता ने बालों को हटा के भी तेल लगाया, दोनों अंगूठे से एक साथ गले के पीछे मसाज किया, और तब तक उसकी निगाह मेरे खड़े खूंटे पर गयी और दस गालियां सुनाई उसने,



" स्साले तेरी महतारी को बुला के इस खूंटे पर चढ़ाउंगी इस पे तब तेरी गरमी शांत होगी, .... पहले इसका इलाज होगा तब तुझे आराम मिलेगा। "
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सररर मेरी चड्ढी दूर पड़ी थी और खूंटा हवा में लेकिन उसकी आजादी बहुत देर तक नहीं रही. गीता की मुट्ठी में, नहीं वो मुठिया नहीं रही थी, जैसे छोटे बच्चो की नूनी में तेल लगाते हैं जिससे बाद में काम दे, बस एकदम उसी तरह, दोनों हाथ में लगे तेल से, जैसे कोई जवान ग्वालन दोनों सपुष्ट जाँघों के बीच पकड़ के दही की कतहरी को दोनों हाथों में मथानी पकड़ के दही बिलोये, बिलकुल एकदम वैसे कभी हलके कभी तेजी से पूरी ताकत से, एकदम उसी तरह से।


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और फिर एक झटके से उसने सुपाड़े की चमड़ी को पकड़ के खींच दिया।

तेल का असर अब धीरे धीरे और हो रहा था, मेरे सर का दर्द, कंधे का टेंसन, सब धीरे धीरे छू हो रहा था। आँखे भारी हो गयीं। कभी लगता यह सब सपने में हो रहा है तो कभी गीता की उँगलियों का अहसास होता।

नहीं सुपाड़ा खुलते ही उसने चूसना चाटना नहीं शुरू किया। एक हाथ से मांसल सुपाड़े को कस के दबाया और उसकी एकलौती आँख खुल गयी, बस टप टप टप टप तेल की बूंदे उसने चुआनी शुरू की एक बूँद भी बाहर नहीं जा रही थी।


हल्का हल्का छरछरा रहा था जो सरसों के तेल का असर होता है और जड़ तक एक सुरसुराहट हो रही थी , लेकिन निंदास में कोई फरक नहीं आयी। और अब गीता के रसीले किशोर जोबन, पहलौठी बियाई के दूध से थलथलाते जोबन, हाथ की जगह वो , उस मोटी मथानी को दबोचे मथ रहे थे पर माखन निकलने में अभी टाइम था।



और अब गीता के होंठ मैदान में आ गए,

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पर होंठों से पहले जीभ, जिस एकलौती आँख में उसने अभी तेल डाला था बस जीभ की टिप से उसी छेद के चारो ओर , और जीभ की टिप छेद में भी पल भर, फिर सपड़ सपड़ उसकी जीभ मोटे सुपाड़े को चाटती, और कब चाटना चूसने में बदल गया पता नहीं चला। और उस चुसाई चटाई के साथ अब मुठियाना भी चालू हो गया, कम से कम आठ दस मिनट का,... लेकिन ये गीता के पहलौठी के दूध का ही कमाल का था की अब कुछ भी हो १८-२० मिनिट से पहले झड़ने का सवाल ही नहीं था,...





गीता ने एक मिनट के लिए मेरे खूंटे को मुंह से निकाला और मुझे गरियाती बोली,



" स्साले अपनी महतारी के दामाद, माँ के भंडुए, पैदायशी गांडू, गंडवे की बिना गांड मारे, अरे अपनी महतारी को बुलाओ मारना उसकी गांड,... अभी मारती हूँ तेरी गांड,... "



एक बार फिर से पूरा सुपाड़ा गीता की मुंह में था, पूरी ताकत से वो चूस रही थी और तेल में डूबी चुपड़ी दो उँगलियाँ सीधे उसने मेरे पिछवाड़े जड़ तक,... क्या किसी डाक्टर को पिछवाड़े की एनाटामी की इतनी समझ नहीं थी जितनी गीता को। दोनों उँगलियाँ कस के प्रोस्ट्रेट मसाज कर रही थीं

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लेकिन गीता जितना मजे देना जानती थी उससे ज्यादा तड़पाना, अभी तक वो वैक्यूम क्लीनर की तरह चूस भी रही थी और साथ में उसी दो उँगलियाँ मेरे पिछवाड़े धंसी, प्रोस्ट्रेट मसाज, लेकिन जब उसे लगा की मेरी मंजिल दूर नहीं है उसने ऊँगली भी बाहर निकाल ली और अपने मुंहबोले भैया के खूंटे को भी मुंह की कैद से आजाद कर दिया,

इसलिए की बिना गरियाये उस मजा नहीं आता और बिना माँ बहिन की गाली सुने, उसके भैया को



पर आजादी दो पल की भी नहीं थी, खूंटा अब जोबन की कैद में था और जबरदस्त टीटफक चालू हो गया था, कभी अपने खड़े निपल को सुपाड़ी के छेद में डालती तो कभी दोनों हाथों से अपनी चूँचियों को पकड़ के लंड के चारो ओर रगड़ती और अगर में जरा भी धक्का देने की कोशिश करता तो मार गाली के,

" स्साले ये ताकत अपनी महतारी के लिए बचा के रख, हफ्ते भर बस, आएगी न छिनार तो चोदना उसको हम सब के सामने " और उस जोश में अपना और अपनी माँ मंजू का प्लान भी बता दिया,

" माई बोली रही थीं की तोर महतारी का पिछवाड़ा अभी कोरा है " वो चिढ़ाते हुए चूँचियों से खूंटा दबाते बोली,



और सब कस सब चारो ओर लगे कैमरों में कैद हो रहा था, जस का तस रिकार्ड होकर आगे जा रहा था, एक एक शब्द, एक एक सीन





और ये बदमाशी भी मेरी सास की थी, समधन में तो खुल्ला मजाक चलता है, और मेरी सास ने अपनी समाधन से मेरे सामने ये बात उगलवा ली थी, स्पीकर फोन आना था, उनकी बेटी दामाद दोनों थे। और उसके बाद तो वो चिढ़ाया मेरी सास ने



गीता चालू थी, " अरे भैया तोहें कुछ नहीं करना है, हम महतारी बेटी काहें को है, भौजी से बात हो गयी है, रहेंगी तो वो भी, बास हमारा माई , तुम तो जानते हो कितना जांगर हैं उनमे, बस उहे, भौजी की सास को निहुरा देंगी, माई की ताकत हिल भी नहीं सकती, और हम अपने भैया का खूंटा पकड़ के उनके पिछवाड़े सटाय दूंगी, हाँ तेल वेल कुछ नहीं बहुत हुआ तो दो चार बूँद तोहरी बहिनिया क थूक, और फिर तो "


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मेरी हालत खराब हो रही थी मैंने गीता से बार बार कहा, झाड़ दो झाड़ दो, लेकिन वो दुष्ट ऐन मौके पे फिर दस गाली उसने मुझसे कहा अपनी महतारी को दो, कबुलो सब



और उसके बाद एक बार फिर से सुपाड़ा उसके मुंह में, दो उँगलियाँ अंदर, जबरदस्त प्रोस्ट्रेट मसाज, कैंची की तरह ऊँगली वो फैला देती तो एक मुट्ठी के बराबर



पहले तो खाली चुभला रही थी, फिर पूरी ताकत से चूसना और जो हाथ खाली था उससे साथ साथ मुठियाना

भरभरा के सफ़ेद फवारा गीता के मुंह में छूटा, पर गीता ने मुंह नहीं हटाया। वो जानती थी मेरी राइफल डबल शॉट वाली है , थोड़ी देर में दुबारा



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मुझे बस इतना याद है की मैंने मुश्किल से आँख खोली, गीता ने पूरी ताकत से अपना मुंह खोल रखा था और उसमे मेरी रबड़ी मलाई भरी थी, कुछ छलक कर गीता के गाल पर भी, एक दो बूंदे लुढ़क कर गीता की ठुड्डी पर भी,....



और उस के साथ मेरा सारा तनाव, टेंसन भी जैसे निकल गया। ऐसी गाढ़ी नींद आयी
.
Ufffff Geeta ka Blow job. Gajab ka tha.
 

Premkumar65

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और

मेरी नींद खुली तो सामने मिसेज टिक टिक बता रही थीं मैं पूरे डेढ़ घंटे तक बेहोशी की नीद में सोया था, बेखबर। और अब देह हल्की लग रही थी।
देह पर अभी भी कोई कपडे नहीं थे, गीता भी आसपास नहीं थी,
किचेन में से ननद भौजाई के हंसने खिलखिलाने की आवाज आ रही थी तीन चार दिन बाद , तीज वाले फंक्शन के अगले दिन तीज प्रिंसेज का फंक्शन था जिसमे कालोनी की लड़कियां , टीनेजर्स भाग लेने वाली थीं उसी के बारे में कुछ सलाह मशविरा हो रहा था।

मेरी आँख फिर लग गयी और अबकी नींद खुली तो घंटे भर मैं और सो लिया था और देह एकदम हल्की लग रही, उठा तो बगल में मेरा शार्ट और टी शर्ट रखा था वो मैंने पहन लिया।



ननद भौजाई खाना लगा रही थीं।
Very interesting episode.
 

Shetan

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komaalrani

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फागुन के दिन चार भाग ३७, और दंगा नहीं हुआ, पृष्ठ ४१९

अपडेट पोस्टेड,

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