• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Adultery "ज्योतिषी की सलाह" (COMPLETED)

doctorchodu

MILFLOVER
369
2,030
123
मेरा नाम मोनू है उम्र 18 साल और मैं लखनऊ में रहता हूँ।

मेरे दोस्त का नाम रिशु है और वह पहले मेरे पड़ोस में रहता था। हमारी दोस्ती बचपन की है। उसके घर पर उसके मम्मी पापा और वो खुद रहते है। हमारे घरेलू रिश्ते थे, मेरी दीदी उसको भी राखी बंधती थी और छोटा भाई समझती थी पर वो मेरी दीदी को चोदना चाहता था और मुझे उसकी मम्मी बहुत अच्छी लगती थी। हम दोनो दोस्त एक दूसरे से कुछ नहीं छुपाते थे।

उसके पापा का एक साल के लिए अचानक दिल्ली ट्रान्सफर हो जाने से अब वो और उसकी मम्मी ही वहाँ रहते है पर अब उन्होंने अपना घर मेरे घर से चार किलोमीटर की दूरी पर बनवा लिया है और कुछ दिन पहले वो वहाँ रहने चले गए हैं। मेरे घर पर भी मेरे मम्मी-पापा और मेरी बहन रश्मि रहते हैं। मेरे मम्मी-पापा दोनों नौकरी करते हैं और रश्मि कालेज में पढ़ती है। रश्मि की उम्र 19 साल है।

एक दिन मैं रिशु के घर गया तो उसकी माँ ने दरवाजा खोला और मुझे अंदर बुलाया।

मैंने उनसे पूछा- कामिनी आंटी, रिशु कहाँ है? कई दिनों से मिला ही नहीं और कालेज भी नहीं आ रहा है?

कामिनी- उसकी तो तबियत बहुत खराब है।

क्या हो गया आंटी? मैंने पूछा।

कामिनी- अब तुमसे क्या छिपाऊँ, जब से इस घर में आए हैं अचानक उसको दौरे पड़ने लगे हैं। वैसे तो एकदम ठीक रहता है पर अचानक चक्कर आ कर गिर पड़ता है।

तब तक रिशु भी आ गया। मैंने देखा तो दिखने से वो एकदम फिट लग रहा था।

मैंने उससे पूंछा कि आंटी क्या कह रही है? किसी डॉक्टर को दिखाया या नहीं?

रिशु- यार सभी बड़े डॉक्टरों को दिखा लिया, एक महीने से दवा खा रहा हूँ पर कुछ फर्क ही नहीं पड़ता है। अचानक चक्कर आ जाता है और एक से दो मिनट के लिए मैं बेहोश हो जाता हूँ। इसीलिए गाड़ी भी नहीं चला रहा और घर से बाहर भी नहीं जा रहा हूँ।


मैंने आंटी से कहा- आप मेरे साथ चलिए और रिशु की कुंडली ले लीजिए। मेरे एक गुरु जी है जो ज्योतिष के अच्छे जानकार है और कई लोगों की मदद कर चुके हैं। वो बता सकते हैं कि रिशु को क्या दिक्कत है।

आंटी भी साधू लोगों को बहुत मानती थी तो वो उसी समय मेरे साथ चल दी। रिशु को हमने घर पर ही छोड़ दिया कि कहीं रास्ते में तबियत न खराब हो जाये। गुरु जी के आश्रम पहुँच कर हमने अपने आने की खबर करवाई।

काफी भीड़ होने के बावजूद गुरु जी ने हमें पहले ही बुलवा लिया।

गुरु जी- आओ बेटा मोनू, सब कुशल मंगल तो है?

मैंने बताया- नहीं गुरु जी, ये मेरे दोस्त की माता जी हैं। अचानक मेरे दोस्त को दौरे पड़ने लगे हैं जिससे हम बहुत परेशान हैं।

गुरु जी- क्या नाम है बेटी तुम्हारे पुत्र का?

कामिनी- जी रिशु !

गुरु जी- अरे बहुत ही सुन्दर और गुणी बालक है, कई बार मोनू के घर पर उससे मुलाकात हो चुकी है मेरी।

कामिनी- जी कई डॉद्टरों को दिखाया पर कुछ नहीं हुआ, अब तो आपका की सहारा है।

गुरु जी- बेटी तुम पुत्र की जन्म कुंडली ली हो क्या?

कामिनी- जी महाराज, यह लीजिये !

यह कह कर कामिनी ने रिशु की कुंडली स्वामी जी को दे दी। करीब एक घंटे तक स्वामी जी ने उसको पढ़ा-देखा।

गुरु जी- बेटी, अब तक जीवन में मैंने ऐसा दोष नहीं देखा। इसका ठीक होना असंभव है।

यह सुन कर कामिनी आंटी जोर से रोने लगी और कहने लगी- नहीं महाराज, ऐसे मत कहिये, रिशु मेरा एक ही बेटा है, उसके लिए जो भी करना होगा वो मैं करूंगी पर आप मुझे निराश न करें।

गुरु जी- धीरज रखो बेटी !

कामिनी- नहीं महाराज, अब अगर मेरा बेटा ठीक नहीं हुआ तो मैं अपनी जान दे दूँगी।
गुरु जी- मोनू बेटा, तुम जरा बाहर जाओ, मुझे कामिनी से अकेले में कुछ बात करनी है।

मैं उठ कर बाहर आ गया और दरवाजे से कान लगा कर खड़ा हो गया।

अंदर गुरु जी आंटी से कह रहे थे- देखो बेटी, मैं वैसे तो यह उपाय बताने वाला नहीं था पर तुम्हारी हालत मुझे मजबूर कर रही है। पर यह उपाय भी आसान नहीं है और धर्म संगत भी नहीं
है।

कामिनी- ऐसी क्या बात है स्वामी जी?

गुरु जी- बेटी, रिशु की कुंडली में एक भयानक दोष है जो सिर्फ एक हालत मैं ही हट सकता है। मुझसे तो कहा भी नहीं जा रहा।

कामिनी: बताइए स्वामी जी। जो भी उपाय होगा मैं करने के लिए तैयार हूँ।

गुरु जी- बेटी, रिशु एक ही दशा मैं ठीक हो सकता है। यदि वो एक ही सप्ताह के भीतर किसी अविवाहित कुंवारी ब्राह्मण कन्या से तीन बार सम्भोग करे।

यह सुन कर मुझे तो झटका लग गया और आंटी भी चौंक गई।

यह आप क्या कह रहे है गुरु जी? इस बात की संभावना तो बहुत कम है की कोई ब्राह्मण अपनी बेटी की शादी रिशु से करे जबकि हम ब्राह्मण नहीं हैं। कामिनी बोली।

गुरु जी- मैंने कहा है अविवाहित कन्या ! यह नहीं कहा कि उसका रिशु से विवाह हो, यदि विवाह हो गया तो वो कन्या भी कायस्थ हो जायेगी और यह उपाय विफल हो जायेगा।

साथ ही इस बात का ध्यान भी रखना होगा कि पहले सम्भोग के वक्त उसकी योनि अक्षत हो और कन्या के मासिकधर्म होते हों अर्थात आयु 16 वर्ष से अधिक हो और पूरे सप्ताह वो सिर्फ रिशु के साथ ही सम्भोग करे किसी और के साथ नहीं ! और कम से कम तीन बार सम्भोग करे ही।

इस उपाय के बाद रिशु चाहे तो उस कन्या से विवाह कर सकता है।

मुझे तो यह असंभव लगता है, भला कौन लड़की तैयार होगी इस तरह से ! और जो किसी लालच में तैयार हो जायेगी तो वो कुंवारी तो नहीं ही होगी। वैसे भी आज कल तो लड़कियाँ 13-14 की उम्र में ही अपना कुंवारापन खो देती हैं। कामिनी ने कहा।


गुरु जी ने कहा- जरूरी नहीं कि कन्या तैयार हो, बात सम्भोग की है प्रेम की नहीं। और मैंने कहा ही था कि उपाय कठिन है। पर इसके सिवाय कोई दूसरा रास्ता नहीं है। और अगर रिशु इस बीमारी से निकल जाता है तो 80 वर्ष का आरोग्य जीवन होगा।

यह सुन कर कामिनी आंटी ने गुरु जी को प्रणाम किया और बाहर आ गई। हम वापस घर चल पड़े। इतनी देर में मैंने अपनी योजना बनाई और अनजान बनते हुए आंटी से पूछा- स्वामी जी ने क्या कहा और आप इतनी परेशान क्यों हैं?

तो कामिनी आंटी ने मुझसे कहा- बात तुम्हारे लायक नहीं है। अभी तुम छोटे हो।

मैंने कहा- आंटी आप मुझे नहीं बताना चाहती तो कोई बात नहीं ! पर मैंने सब कुछ सुन लिया है।

कामिनी- जब तुमने सब कुछ अपने कानों से सुन लिया है तो मुझसे क्या पूछ रहे हो? स्वामी जी ने जो कहा है वो तो हो नहीं सकता।

मैंने कहा- आंटी, इतनी जल्दी हार नहीं मानिए, मैं काफी देर से यही सोच रहा था कि आपके घर जो काम वाली है वो तो ब्राह्मण है और उसकी बेटी अभी 16 साल की ही होगी। अगर उसको पाँच दस हजार रुपये दे दिए जायें तो वो शायद तैयार हो जाये?

कामिनी- अरे वो कुंवारी नहीं है, जब 15 साल की थी तभी एक लौंडे के साथ भाग गई थी। 4 महीने बाद लौट कर घर आई थी और मान लो कि अगर वो कुँवारी होती भी तो कौन सी माँ मान जायेगी। तुम भी तो ब्राह्मण हो, तुम्हीं कोई लड़की बताओ। अरे अगर कोई तुम्हें दस हजार रुपये दे तो क्या तुम अपने घर की लड़की किसी को दे दोगे?

मैंने कहा- आंटी, आप तो नाराज़ हो रही हैं ! रिशु को मैं अपने भाई से बढ़कर मानता हूँ और जरूरत पड़े तो रश्मि को भी इस काम के लिए दे सकता हूँ और वो भी बिना किसी पैसे के।

मेरी बात सुन कर कामिनी के तो होश ही उड़ गए, वो बोली- सच मोनू, अगर यह तुम सच कह रहे हो तो तुम रिशु को वाकई भाई मानते हो और रश्मि है तो 18 की पर इतनी सीधी है कि पक्का कुँवारी ही होगी। तुम अगर ऐसा कर दोगे तो मैं तुम्हारा एहसान जिंदगी भर नहीं भूलूंगी और रश्मि की शादी भी रिशु से कर दूँगी। पर रश्मि तैयार हो जायेगी?

मैंने कहा- देखिये स्वामी जी ने कहा था कि सम्भोग बिना कन्या की स्वीकृति से भी हो सकता है। और दूसरी बात मेरे घर वाले नहीं मानेगे कि उसकी शादी किसी गैर ब्राह्मण के यहाँ हो इसीलिए मुझे इस बात का वादा चाहिए कि यह बात बाहर नहीं जायेगी ताकि रश्मि की बदनामी न हो।

कामिनी- मैं जबान देती हूँ !
जबान से काम नहीं चलेगा, आज हमारे सम्बन्ध अच्छे है कल कौन जाने क्या हो जाये? आप कुछ नहीं कहेगी पर अगर मेरी रिशु से लड़ाई हो जाये और वो सबको बोल दे? मैंने कहा।

कामिनी- तो तुम क्या चाहते हो?

देखिए, मेरी सगी बहन की इज्जत का सवाल है तो दूसरी तरफ रिशु की भी किसी सगी रिश्तेदार का सवाल होना चाहिए।

कामिनी- देखो मोनू, अगर मेरे कोई बेटी होती तो मैं उसे तुम्हारे हवाले कर देती, पर मेरा एक ही बेटा है रिशु !

बेटी न सही माँ ही सही ! मैंने कहा।

मेरी बात सुन कर कामिनी चौंक गई।

मैंने कहा- चौकिये मत आंटी जी, देखिये अगर रश्मि के साथ रिशु ने सम्भोग किया और आपने मेरे साथ तो ना मैं किसी से कहूँगा ना आप लोग। रिशु की बीमारी भी ठीक हो जायेगी और मेरी चिंता भी दूर हो जायेगी जो मुझे रश्मि की बदनामी को लेकर है। अरे, अब सोच क्या रही हैं, मैं अपने दोस्त के लिए अपनी सगी बहन की क़ुरबानी दे सकता हूँ और आप अपने इकलौते बेटे के लिए अपनी क़ुरबानी नहीं दे सकती?

कामिनी बोली- मैं यह नहीं सोच रही हूँ ! क्योंकि मेरे पास तैयार होने के अलावा कोई रास्ता नहीं है। बल्कि यह सोच रही हूँ कि तुम्हें एक 37 साल की औरत में इतनी दिलचस्पी क्यों है?

मैंने कहा- अरे आंटी, हीरे की कदर तो जौहरी ही जानता है। तो बताइए बात पक्की?

पक्की ! कामिनी बोली।

और मैंने प्यार से आंटी के एक होठों पर एक पप्पी ले ली।

उनके घर पहुँच कर मैंने गाड़ी रोकी और बोला- आंटी आप रिशु को बाहर भेज दीजिए ताकि उसे भी मैं समझा दूँ।

कामिनी बोली- उसे यह भी बताओगे क्या कि रश्मि के बदले तुम मुझसे सम्भोग करोगे?

जितना जरूरी होगा उतना ही बताऊँगा, आप उसे बाहर तो भेजिए।


कामिनी अंदर गई और रिशु बाहर आ गया। उसे गाड़ी में बिठा कर हम वहाँ से चल दिए थोड़ी दूर जाकर मैंने गाड़ी एक तरफ़ रोकी और उसे गले लगा कर कहा- हमारी योजना कामयाब हो गई ! तुम्हारे चक्कर का चक्कर चल गया और तुम्हारी माँ मुझसे चुदने के लिए तैयार है और रश्मि की चुदाई तुमसे करवाने के लिए तो वो कुछ भी करेगी। स्वामी जी ने क्या एक्टिंग की है, मज़ा आ गया।

रिशु, अरे इतनी बढ़िया योजना बनाया था, फ्लॉप कैसे होती? चलो घर चलो और आगे की तैयारी करते हैं।

रास्ते से हमने एक दवा खरीदी और घर पहुँच कर मैंने रिशु को इशारा किया और वो अंदर चला गया।

मैंने कामिनी से कहा- चलिए आंटी, रिशु को सब समझा दिया है, थोडा नाराज़ था पर मैंने उसे समझा दिया कि यह बहुत जरूरी है। चलिए बेडरूम में चल कर आगे की बात करते हैं।

कामिनी- हाय, तुमने रिशु को बता दिया कि तुम मेरे साथ क्या करोगे?

अब वो घर पर है और हम सेक्स करेंगे तो उसे पता नहीं चलेगा? मैंने कहा।

और कामिनी को बेडरूम में ले जाकर दरवाजा बंद कर लिया।

कामिनी ने कहा- अभी यह करना जरूरी है? जब रिशु रश्मि से कर ले तब हम करेंगे।

मैंने कामिनी को बेडरूम में ले जाकर दरवाजा बंद कर लिया।

कामिनी ने कहा- अभी यह करना जरूरी है? जब रिशु रश्मि से कर ले तब हम करेंगे।

मैंने कहा- अरे यार, रिशु तो कल रश्मि के साथ पहली बार करेगा। सुनो, तुम आज रात को मेरे घर फोन करना और रश्मि से कहना कि कल तुम्हारे यहाँ पूजा है और सारे लोग आ जायें। मम्मी पापा तीन दिन के लिए बाहर गए है तो रश्मि मेरे साथ यहाँ आएगी।

तब तुम कह देना कि पंडित नहीं आया और पूजा रद्द हो गई। सबको फोन करके मना कर दिया पर हमारा फोन नहीं लग रहा था। फिर हम रश्मि को किसी न किसी तरीके उत्तेजित करके मना ही लेंगे और उसके बाद रिशु का काम हो जायेगा। कहो, मेरी जान ?

यह बोल कर मैंने कामिनी की साड़ी खोल दी और अब वो ब्लाउज और पेटीकोट में मेरे सामने खड़ी थी।

कामिनी- इतनी जल्दी आंटी से जान और आप से तुम पर आ गए? मानती हूँ पक्के बहनचोद हो ! आओ और अब मेरी प्यास बुझाओ !

मुझे उम्मीद नहीं थी कि कामिनी इतनी जल्दी खुल जायेगी ! पर उसके मुँह से गालियाँ सुन कर मजा आ गया।

लम्बी, गोरी चिट्टी कामिनी का भरा बदन, चौड़ी कमर, बाहर निकले उत्तेजक कूल्हे और ब्लाउज से बाहर झांकते बड़े-बड़े स्तन मेरे मन में हलचल मचाने लगे। मेरे मन में उनको नंगा देखने का ख्याल आने लगा। फिर हम दोनों बिस्तर पर लेट गए। कामिनी एकदम मुझ से लिपट गई, मुझे करंट सा लगा जब उनके स्तन मेरी छाती से छुए। उसकी एक टांग मेरे ऊपर थी।

मैंने भी उसकी टांग पर एक पैर रख दिया और उसकी पीठ पर हाथ रखते हुए कहा- आओ मेरी जान !

कामिनी धीरे-धीरे मेरी बाहों में सिमटती जा रही थी और मुझे मजा आ रहा था। धीरे से मैंने उनके कूल्हों पर हाथ रखा और धीरे-धीरे सहलाने लगा।

कामिनी को मजा आ रहा था। फ़िर कामिनी सीधी लेट गई। अब मैं भी उससे चिपट गया और उसके वक्ष पर सिर रख लिया। मेरा लण्ड खड़ा हो चुका था। मैं धीरे धीरे उनका पेट और फ़िर जांघ सहलाने लगा।

तभी कामिनी ने अपने ब्लाउज के कुछ हुक खोल दिये यह कह कर कि बहुत गर्मी लग रही है। अब उनके चुचूक साफ़ नज़र आ रहे थे।



मैंने चूचियों पर हाथ रख लिया और सहलाने लगा। मैंने उनकी चूचियाँ ब्लाउज से निकाल कर मुँह में ले लिया और दोनों हाथों से पकड़ कर मसलते हुए उनका पेटीकोट अपने पैर से ऊपर करना शुरु कर दिया। उसकी गोरी गोरी जांघों को देख कर मैं एकदम जोश में आ चुका था। उसकी चूत नशीली लग रही थी। मैंने उसकी चूत को चाटना शुरु कर दिया। मैं पागल हो चुका था। आज मेरा बहुत पुराना सपना पूरा होने वाला था।

मैंने अपने पैर कामिनी के सिर की तरफ़ कर लिये थे। कामिनी भी मेरा लण्ड निकाल कर चूसने लगी। वह मुझे भरपूर मजा दे रही थी। कुछ देर बाद कामिनी मेरे ऊपर आ गई और मैं नीचे से चूत चाटने के साथ साथ उनके गोरे और बड़े बड़े कूल्हे सहलाने लगा। कामिनी की चूत पानी छोड़ गई।

अब मैं और नहीं रह सकता था, मैं उठा और कामिनी को लिटा कर, उसकी टांगें चौड़ी करके चूत में लण्ड डाल दिया और कामिनी कराहने लगी। मैं जोर जोर से धक्के लगाने लगा। कामिनी ने मुझे कस कर पकड़ लिया और कहने लगी- मोनू ऐसे ही करो, बहुत मजा आ रहा है, आज मैं तुम्हारी हो गई, अब मुझे रोज़ तुम्हारा लण्ड अपनी चूत में चाहिये ! एएऊउ स्स स्सी स्स्स आह्ह्ह ह्म्म आय हां हां च्च उई म्म मा।

कुछ देर बाद मेरे लण्ड ने पानी छोड़ दिया और कामिनी भी कई बार डिस्चार्ज हो चुकी थी। उस दिन मैंने तीन बार अलग अलग आसनों से कामिनी को चोदा। कामिनी ने भी मस्त हो कर पूरा साथ दिया।

उसके बाद हमने कपड़े पहने और बाहर ड्राइंगरूम में आ गए, रिशु वहाँ टीवी देख रहा था, उसको देख कर कामिनी थोड़ा शरमा गई और मैंने घर का नंबर मिलाया और फोन कामिनी को दे दिया। फोन रश्मि ने उठाया और वही बात हुई जो तय हुई थी। रश्मि ने कह दिया कि वो कल दस बजे तक आ जायेगी।

मैंने कामिनी को चूम लिया तो रिशु मुस्कुराने लगा और मैं वहां से चला आया।

घर पहुँचा तो रश्मि बोली- भैया, कामिनी आंटी का फोन आया था कल सुबह दस बजे उनके यहाँ जाना है, पूजा है।

मैंने कहा- ठीक है ! नौ बजे तक तैयार हो जाना !

और मन ही मन सोचा कि पूजा तो तुम्हारी होगी, कल की जिंदगी भर नहीं भूलोगी।

अगले दिन हम सुबह साढ़े नौ बजे घर से निकले और दस बजे रिशु के घर पहुँच गए। अंदर गए तो रश्मि ने पूछा- आंटी, क्या हम लोग सबसे पहले आ गए हैं?

कामिनी- अरे नहीं, असल में पूजा रद्द हो गई क्योंकि पंडित जी बीमार हो गए ! सबको तो मैंने फोन करके मना कर दिया पर तुम्हारा फोन लग ही नहीं रहा था। अच्छा ही हुआ कि तुम आ गई, पहली बार आई हो इस घर में ! मोनू तो आता रहता हैं पर तुम तो शक्ल ही नहीं दिखाती। अब खाना खाकर ही जाना।

रश्मि- नहीं आंटी, ऐसी बात नहीं है ! पर कॉलेज के बाद समय ही नहीं मिलता।

अरे ऐसी भी क्या पढ़ाई ! यही तो उम्र है खेलने खाने की ! क्यों मोनू?

मैंने शरारत से कहा- जी, मैं तो खूब खेलता-खाता हूँ आप तो जानती ही हैं। रिशु कहाँ है?

कामिनी- नहा रहा है !

तब तक रिशु नहा कर आ गया और उसने सिर्फ एक तौलिया लपेट रखा था। उसको देख कर रश्मि शरमा गई तो रिशु बोला- अरे क्या दीदी, बचपन में हम दोनों नंगे खेलते थे और अभी तो तौलिया पहना है मैंने ! तब भी शरमा गई?

रश्मि बोली- हट बदमाश !

रिशु रश्मि के सामने इस प्रकार से बैठ गया कि उसका लण्ड रश्मि को नजर आता रहे। रश्मि की निगाहें भी बार बार उसके तौलिए के अन्दर उसके लण्ड पर जा रही थी और यह बात हम तीनों से छिपी नहीं थी।

कामिनी ने मुझसे पूछा- मोनू कोल्डड्रिंक या चाय?

मैंने कहा- चाय !

रिशु ने भी चाय माँगी तब कामिनी ने रश्मि से पूछा तो वो बोली- जब ये लोग चाय पियेंगे तो मैं भी वही ले लूंगी।

पाँच मिनट में चाय आ गई और हमने अपने अपने कप उठा लिए।

तभी रिशु किसी बहाने से उठा और रश्मि के पास गया। रिशु ने रश्मि के ऊपर अपनी चाय गिरा दी, योजना के अनुसार रिशु की चाय ज्यादा गर्म नहीं थी। और वो पूरी चाय से तरबतर हो गई।

कामिनी को मैंने इशारा किया और वो रिशु के ऊपर चिल्लाने लगी।

रिशु ने तुरंत रश्मि का टॉप खींच कर उतार दिया तो रश्मि अकस्मात हुए इस घटनाक्रम से स्तम्भित सी रह गई। जब उसे अपना होश आया तो वो अपने को रिशु से छुड़ाने का प्रयत्न करने लगी। तब तक कामिनी उनके पास पहुँच चुकी थी और कामिनी ने रश्मि को रिशु से छुड़वा कर अपनी बाहों में ले लिया, उसे बाथरूम में ले गई और उसके ऊपर शॉवर चला दिया।

हम दोनों भी बाथरूम में गए तो देखा कि कामिनी भी बिल्कुल भीग चुकी थी। कामिनी रश्मि की ब्रा भी उतार चुकी थी और उसके स्तनों को धोने के बहाने मसल रही थी, उसके चुचूकों से खेल रही थी।

रश्मि की यौनाग्नि प्रज्वलित हो चुकी थी और उसके आंखें मुंदी जा रही थी।

रिशु अन्दर गया और वो भी रश्मि के स्तन मसलने लगा। रिशु ने रश्मि की चूचियों पर हाथ फ़ेरते हुए पूछा- अब जलन तो नहीं हो रही?

इस पर कामिनी बोली- हाँ रश्मि बता दे ! अगर जलन हो रही है तो रिशु से बर्फ़ मंगवाऊँ?

मैं बोला- मैं लाता हूं बर्फ़ !

मैं बर्फ़ रसोई में जाकर फ़्रिज़ से बर्फ़ ले आया और रिशु और कामिनी दोनों उसकी चूचियों पर बर्फ़ फ़िराने लगे।

रश्मि सिहर गई और कहने लगी- नहीं आन्टी ! बहुत ठण्डी लग रही है।

तो मैं गर्म कर देता हूं ना चूस कर ! कह कर रिशु कुछ ही पलों में उसके स्तन चूसने लगा।

अरे तेरी जीन्स बिल्कुल भीग गई ! कहते हुए कामिनी रश्मि की जींस का बटन खोलने लगी और नीचे झुक कर उसकी जींस उसकी टांगों से अलग कर दी।

अब रश्मि सिर्फ़ पैंटी में थी।

कामिनी ने रिशु को आँख से इशारा किया तो रिशु अपने हाथ रश्मि की पैन्टी पर ले गया और उसकी फ़ुद्दी पैंटी के ऊपर से ही सहलाने लगा। रश्मि ने कोई विरोध नहीं किया।

रश्मि अब पूरी गर्म हो चुकी थी और सीत्कार रही थी। फिर रिशु उसकी पैन्टी के अन्दर से हाथ डाल कर उसकी चूत के बालों पर हाथ फिराने लगा।

कामिनी ने अपने हाथ से रश्मि की पैंटी नीचे सरका दी और अब रिशु का हाथ उसकी नंगी योनि पर था।

इसी अवस्था में कामिनी और रिशु मिलकर रश्मि को कमरे में ले गए और बिस्तर पर लिटा दिया।

आँटी रिशु के गीले कपड़े उतारने लगी तो रिशु ने कहा- मम्मी, आप जाइए, मैं सम्भाल लूंगा।

कामिनी के जाने के बाद रिशु उसकी चूत के घने बालों पर हाथ फिराने लगा, फ़िर रिशु रश्मि की चूत की फांकों पर हाथ फिराने लगा। फिर हाथ फिराते-फिराते रिशु उंगलियों को रश्मि की चूत के फाँको में डाल कर रगड़ने लगा और अपनी एक उँगली रश्मि की चूत के अन्दर घुसा कर उसकी चूत को हल्के-हल्के रगड़ने लगा।


फिर उसकी चूत के जी-पॉयंट को अपनी उंगलियों से दबाने और हल्के-हल्के रगड़ने लगा। लगभग 5-7 मिनट बाद रश्मि की चूत से कुछ बहुत चिकना सा निकलने लगा।

अचानक रश्मि के मुँह से सिसकियाँ निकलने लगी और उसने अपनी आँखें खोल दी और काम-मद में बोली- रिशु क्या कर रहे हो?

रिशु ने कहा- बस सोचा कि आज अपनी रश्मि को कुछ मजा कराया जाये। सच बताओ, क्या मजा नहीं आ रहा हैं? मुझे पता है तुम मजे ले रही थी। वरना तुम्हारे नीचे से चिकना-चिकना सा नहीं निकलता।

रश्मि मुस्कुराई और बोली- सच रिशु, मुझे नहीं पता तुम क्या कर रहे थे पर मज़ा आ रहा था।

रिशु बोला- रश्मि, मेरा साथ दो। हम दोनों मिलकर खूब मजा करेंगे।

रश्मि बोली- क्या साथ दूँ और क्या दोनों मिलकर मजा करेंगे। और मेरी पैंटी क्यो उतार रखी है ?

रिशु ने कहा- रश्मि, मैं तुम्हारी पैंटी के अन्दर मजा ढूंढ रहा था !

कह कर रिशु ने उसे अपने सीने से चिपका लिया और फिर रिशु ने अपने जलते हुऐ होंठ रश्मि के होंठों पर रख दिए।

फिर रिशु उसके नरम-नरम होंठों को अपने होंठों में भर कर चूसने लगा। रश्मि ने भी उसे अपनी बाँहो में कस लिया। वो बहुत गर्म हो चुकी थी, जोर-जोर से सिसकारियाँ ले रही थी, रिशु के बालों पर हाथ फेर रही थी और उसके होंठ चूस रही थी।

रिशु का लण्ड रश्मि की जांघों से रगड़ खा रहा था। रिशु ने रश्मि का हाथ पकड़ कर अपने लण्ड पर रख दिया। रश्मि ने बिना झिझके रिशु का लण्ड अपने हाथ में थाम लिया। वो लण्ड को अपने हाथ में दबाने लगी। रिशु का लण्ड तन कर और भी सख्त हो गया था। रश्मि लण्ड को मुठ्ठी में भर कर आगे-पीछे करने लगी। फिर वो रिशु का लण्ड पकड़ कर जोर-जोर से हिलाने लगी।

अब रिशु रश्मि की चूत मारने को बेताब हो रहा था। रिशु रश्मि के ऊपर आकर लेट गया। रश्मि का नंगा जिस्म रिशु के नंगे जिस्म के नीचे दब गया। रिशु का लण्ड रश्मि की जांघों के बीच में रगड़ खा रहा था।

रिशु उसके उपर लेट कर उसके चुचूक को चूसने लगा। वो बस सिसकारियाँ ले रही थी। फिर रिशु एक हाथ नीचे ले जा कर उसकी चूत पर रख कर रगड़ने लगा और फिर एक उंगली उसकी चूत में डाल दी। वो मछली की तरह छटपटाने लगी और अपने हाथों से रिशु का लण्ड को टटोलने लगी। रिशु का लण्ड पूरे जोश में आ गया था और पूरा तरह खड़ा हो कर लोहे जैसा सख्त हो गया था।

रश्मि रिशु के कान के पास फुसफसा कर बोली- ओह रिशु। प्लीज़ ! कुछ करो ना। तन-बदन में आग सी लग रही है।

यह सुन कर अब रिशु ने उसकी टांगें थोड़ी ओर चौड़ी की और उसके ऊपर चढ़ गया। फिर अपने लण्ड का सुपारा उसकी चूत पर रख कर रगड़ने लगा। फिर रिशु ने अपने लण्ड का सुपाड़ा उसकी चूत पर टिका कर एक जोरदार धक्का मारा जिससे लण्ड का सुपारा रश्मि की कुंवारी चूत को फाड़ता हुआ अन्दर चला गया।

लण्ड के अन्दर जाते ही रश्मि के मुँह से चीख निकल गई और वो अपने हाथ पाँव बैड पर पटकने लगी और रिशु को अपने ऊपर से धकेलने की कोशिश करने लगी। लेकिन रिशु ने उसे कस कर पकड़ा था।

रश्मि की चीख सुन कर कामिनी अन्दर आ गई और सारा खेल देखने लगी।

रश्मि रिशु के सामने गिड़गिड़ाने लगी- प्लीज़ रिशु, मुझे छोड़, रिशु मर जाऊंगी, बहुत दर्द हो रहा है।

रिशु ने कहा- रश्मि तुम ही तो कह रही थी कि रिशु, प्लीज़ ! कुछ करो ना। तन-बदन में आग सी लग रही हैं। इसलिये तो तुम्हारे अन्दर डाला है। रश्मि तुम चिन्ता मत करो, पहली बार में ऐसा होता है, एक बार पूरा अन्दर जाने के बाद तुम्हें मज़ा ही मज़ा आएगा।

रश्मि को देख कर कामिनी हंसने लगी और बोली- अरे पूरा डालो तब इसे असली मज़ा आयेगा।

यह सुन कर रिशु ने एक और धक्का लगा कर उसकी चूत में अपना आधा लण्ड घुसा दिया। रश्मि तड़पने लगी। रिशु उसके ऊपर लेट कर उसके उरोज़ों को दबाने लगा और उसके होठों को अपने होठों से रगड़ने लगा। इससे रश्मि की तकलीफ़ कुछ कम हुई।

अब रिशु ने एक जोरदार धक्के से अपना पूरा का पूरा लण्ड उसकी चूत के अन्दर कर दिया। रिशु का 8" लम्बा और ३" मोटा लण्ड उसके कौमार्य को चीरता हुआ उसकी कुँवारी चूत में समा गया।

इस पर वो चिल्लाने लगी- आहह्ह, मर गई। ओह प्लीज़ रिशु इसे बाहर निकाल, रिशु मर जाउंगी।

उसकी चूत से खून टपकने लगा था।

रिशु रुक गया और रश्मि से बोला- प्लीज़ ! रश्मि, मेरी जान, अब और दर्द नहीं होगा।

रश्मि का यह पहला सैक्सपीरियन्स था। इसलिए रिशु वहीं रुक गया और उसे प्यार से सहलाने लगा और उसके माथे को और आँखों को चूमने लगा । उसकी आँखों से आँसू निकल आये थे और वो सिसकारियाँ भरने लगी थी। यह देख कर रिशु ने रश्मि को अपनी बाँहो में भर लिया।

फिर रिशु ने अपने जलते हुऐ होंठ रश्मि के होंठों पर रख दिए और रिशु उसके नरम-नरम होंठों को अपने होंठों में भर कर चूसने लगा, ताकि वो अपना सारा दर्द भूल जाये। कुछ देर बाद उसका दर्द भी कम हो गया और उसने मुझे अपनी बाँहों में से कस लिया। रिशु ने भी रश्मि को अपनी बाँहों में भर लिया। रिशु का पूरा लण्ड रश्मि की चूत के अन्दर तक समाया हुआ था। फिर रिशु अपने होंठों से उसके नरम-नरम होंठों को चूसने लगा।

कुछ देर तक दोनों ऐसे ही एक-दूसरे से चिपके रहे और एक-दूसरे के होंठों को चूसते रहे।

फिर रिशु अपने लण्ड को उसकी चूत में धीरे-धीरे अन्दर बाहर करने लगा। रश्मि ने कोई विरोध नहीं किया। अब शायद उसका दर्द भी खत्म होने लगा था और वो जोश में आ रही थी और अपनी कमर को भी हिलाने लगी थी। उसकी चूत में से खून बाहर आ रहा था जो इस बात का सबूत था कि उसकी चूत अभी तक कुंवारी थी और आज ही रिशु ने उसकी सील तोड़ी है।

उसकी चूत बहुत तंग थी और रिशु का लण्ड बहुत मोटा था, इसलिए रश्मि को चोदने में बहुत मजा आ रहा था। रिशु अपने लण्ड को धीरे-धीरे से रश्मि की चूत के अन्दर-बाहर कर रहा था।

फिर कुछ देर बाद रश्मि ने अपनी टांगें उपर की तरफ मोड़ ली और रिशु की कमर के दोनों तरफ लपेट ली। रिशु अपने लण्ड को लगातार धीरे-धीरे रश्मि की चूत के अन्दर-बाहर कर रहा था। धीरे-धीरे रिशु की रफ़्तार बढ़ने लगी। अब रिशु का लण्ड रश्मि की चूत में तेजी से अन्दर-बाहर हो रहा था। रिशु रश्मि की चूत में अपने लण्ड के तेज-तेज धक्के मारने लगा था।

थोड़ी देर में रश्मि भी नीचे से अपनी कमर उचका कर रिशु के धक्कों का ज़वाब देने लगी और मज़े में बोलने लगी- सी .... सी.... और जोररर से.......... येस अररऽऽ बहुत मज़ा आ रहा है और अन्दर डालो और रिशु और अन्दर येस्स्स्स्सऽऽ जोर से करो। प्लीज़ ! रिशु तेज-तेज करो ना। आज मुझे बहुत मज़ा आ रहा है।

रश्मि को सचमुच में मजा आने लगा था। वो जोर जोर से अपने कूल्हे हिला रही थी और रिशु तेज़-तेज़ धक्के मार रहा था। वो रिशु के हर धक्के का स्वागत कर रही थी। उसने रिशु के कूल्हों को अपने हाथों में थाम लिया। जब रिशु लण्ड उसकी चूत के अन्दर घुसाता तो वो अपने कूल्हे पीछे खींच लेती। जब रिशु लण्ड उसकी चूत में से बाहर खींचता तो वो अपनी जांघें उपर उठा देती।

रिशु तेज-तेज धक्के मार कर रश्मि को चोदने लगा।

फिर रिशु बैड पर हाथ रख कर रश्मि के ऊपर झुक कर तेजी से उसकी चूत मारने लगा। अब रिशु का लण्ड रश्मि की चिकनी चूत में आसानी और तेजी से आ-जा रहा था। रश्मि भी अब चुदाई का भरपूर मजा ले रही थी। वो मदहोश हो रही थी।

रिशु ने रुक कर रश्मि से पूछा- रश्मि अच्छा लग रहा है?

रश्मि बोली- हाँ रिशु, बहुत अच्छा लग रहा है। प्लीज़ ! रुको मत। तेज-तेज करते रहो। हाँ प्लीज़ ! तेज-तेज करो। प्लीज़ ! चलो करो। अब रुको मत। तेज-तेज करते रहो।

रश्मि के मुहँ से यह सुन कर रिशु ने फिर से रश्मि को पूरे आवेग से चोदना शुरु कर दिया। रिशु ने रश्मि के बड़े-बड़े कूल्हे को अपने हाथों से जकड़ लिया और छोटे-छोटे मगर तेज-तेज शॉट मार कर रश्मि को चोदने लगा।

रश्मि के मुँह से मस्ती में "ओह्ह्हहोहोह सिस्स्सह्ह्ह हाहाह्ह्हआआआ हा-हा करो-करो ऽअआह हाहअआ प्लीज़ ! रिशु तेज-तेज करो।"

करीब 15 मिनट की चुदाई के बाद वो झड़ने वाली थी तभी दोनों एक साथ अकड़ गये और एक साथ जोर-जोर से धक्के मारने लगे। फिर अचानक रश्मि ने रिशु को कस कर अपनी बाँहो में भर लिया और बोली- रिशु रिशु! क्या हो रहा है मुझे ! जोर-जोर से करो येस-येस अररर् और जोर से य....य....यस यससस रिशु हई ईई....! इसके साथ ही रश्मि की चूत ने अपना पानी छोड़ दिया। उसने एक जोर से आह भरी और फिर वो ढीली पड़ गई।

रिशु समझ गया कि रश्मि स्खलित हो गई है। लेकिन रिशु का काम अभी नहीं हुआ था इसलिए रिशु जोर-जोर से अपने लण्ड से रश्मि की चूत को पेलने लगा। रिशु भी झड़ने वाला था, इसलिये रिशु तेज-तेज धक्के मारने लगा।

रश्मि रोने सी लगी और रिशु के लण्ड को अपनी चूत में से बाहर निकालने के लिए बोलने लगी। लेकिन रिशु ने उसकी बातों को अनसुना कर धक्के लगाना जारी रखा।

करीब 2-3 मिनट तक रश्मि को तेज-तेज चोदने के बाद जब रिशु होने लगा तो रिशु ने अपना लण्ड रश्मि की चूत से बाहर खींच लिया और उसकी चूत के झांटों ऊपर वीर्य गिरा दिया और उसके ऊपर गिर गया। फिर रिशु उसके ऊपर लेट कर अपनी तेज-तेज चलती हुई सांसों को सामान्य होने का इन्तज़ार करता रहा। फिर रिशु रश्मि की बगल में लेट गया। रश्मि भी रिशु के साथ लेटी हुई अपनी सांसों को काबू में आने का इंतजार कर रही थी।

रश्मि की चूत के काले घने घुंघराले बालों में रिशु के वीर्य की सफेद बून्दें चमक रही थी।

कामिनी बोली- अरे रिशु तू पहली ही बार में इतनी देर टिका रहा? कमाल है।
मैंने कहा- अरे आखिर मेरी बहन की पहली चुदाई थी तो धमाकेदार तो होनी ही चाहिए थी।
कामिनी बोली- चलो अब अपन एक राउंड खेल लेते है।
फिर में कामिनी को चोद कर घर चला आया।
रात को मैंने फोन पर कामिनी से पूछा- रश्मि के क्या हाल हैं?
कामिनी ने बताया- उसको अब तो रिशु उसको तीसरी बार चोद रहा है और वो बहुत मज़े ले ले कर चुदवा रही है।
मैंने कहा - स्वामी जी ने तो एक हफ्ते का समय दिया था और रिशु ने तो एक दिन में ही तीन बार चोद डाला मेरी प्यारी दीदी को।
कामिनी हंसने लगी और बोली- अब रिशु की तबीयत ठीक हो जाये बस।
मैंने मन में कहा- ठीक तो हो ही जायेगा।
अगले दिन सुबह पापा का फोन आया, उन्होंने बोला कि वह चार दिन और वहीं रहेंगे।
फिर मैं आराम से तैयार हो कर जब रिशु के घर पंहुचा तो कामिनी ने बताया- रिशु और रश्मि एक साथ नहा रहे हैं।
मैंने रश्मि से कहा- घर नहीं चलना?
तो वो बोली - मम्मी-पापा तो परसों वापस आएंगे तब तक मैं यहीं रह जाती हूँ।
यह सुन कर रिशु ने रश्मि क एक प्यारा सा चुम्मा लिया और कामिनी बोली- यह तो बन गई पूरी चुदासी।
मैंने झूठ बोल दिया कि सुबह पापा का फोन आया था वो कल सुबह आ रहे हैं।
यह सुन कर रश्मि थोड़ा उदास हो गई तो मैंने कहा- अच्छा चलो ! शाम तक करो खूब प्यार ! आओ आंटी इनको प्यार करने दो ! हम आपके बेडरूम में चलते हैं।
और मैं फिर से कामिनी को एक बार और चोदने चल पड़ा और उधर रिशु रश्मि को बाथटब में लिटा कर चोदने लगा।
असल में मैंने सोचा कि जब रश्मि रिशु से चुद ही गई है तो क्यों न मैं भी उसको चोदूँ। यह सोच कर ही मैंने उसको झूठ बोला कि पापा कल आ रहे हैं ताकि उसे घर ले जा कर मैं खूब चोदूँ और उसकी गांड भी मारूँ।
शाम तक रिशु ने रश्मि की तबीयत से चुदाई की और फिर मैं उसे लेकर घर वापस आ गया।
अब मैं यह सोच रहा था कि कैसे रश्मि को चोदा जाये। क्योंकि हो सकता है कि रिशु से एक बार चुदने के बाद से वो उसके सामने खुल गई हो पर मेरे सामने आने से पहले वो अपना बदन ढक ले रही थी।
मैंने उसको बातों से गर्म करने की सोची। मैंने उससे पूछा- कैसा लगा पहली बार सेक्स करके?
वो बोली- देखो भैया, सभी लड़कियों को शरीर की भूख होती है और सबको सेक्स करना बहुत अच्छा लगता है पर एक तो बदनामी का डर और कभी कोई अनुभव न होने से कोई भी लड़की शादी से पहले सेक्स करने से डरती हैं, मैं भी शादी से पहले यह काम नहीं करना चाहती थी। जब मैं चुदी तो लगा कि जन्नत में पहुँच गई और लगा कि मैं बेकार ही डरती थी और फिर तो लगा कि बस रिशु मुझे चोदता ही जाये।
मैंने कहा - बस रिशु ही या और किसी से भी चुदने का इरादा है?
वो बोली - बात तो वही बदनामी की है और मेरा काम तो अब रिशु से हो ही जायेगा क्योंकि उसने बोला है कि जब भी जरूरत हो बुला लेना, मैं चोदने आ जाऊँगा।
मैंने कहा- बदनामी का कोई डर न हो तो?
वो बोली - मतलब?
मैंने कहा - रश्मि जब से मैंने कल से तुम्हें नंगा देखा है, मेरा बुरा हाल है और जब तक तुम मुझे नहीं मिल जाती मुझे चैन नहीं आयेगा। अचानक रश्मि भड़क गई और बोली- अपनी सगी बहन को पहले तो अपने दोस्त से चुदवाया और अब खुद भी चोदना चाहता है? बहन चोद !
उसके मुँह से गाली सुन कर मुझे बड़ा अजीब लगा क्योंकि हम सबको लगता था कि यह बहुत शरीफ है और कुछ नहीं जानती।
मैं साफ़ साफ़ बोला - देखो, तुम्हारी अगर मर्ज़ी न हो तो कोई बात नहीं ! पर मम्मी पापा कल नहीं चार दिन बाद आएंगे और मैं तुम्हें झूठ बोल कर वापिस इसलिए लाया था कि तुम्हें चोद सकूँ।
वो चिल्लाने लगी- चोद सकूँ ! चोद सकूँ ! अरे हाथ भी मत लगाना वरना देख लेना भोसड़ी के ! अरे, मैं वहाँ आराम से रिशु से चुद रही थी तब तो झूठ बोल कर मुझे वापिस ले आया और खुद चोदना चाहता है? गांड मार दूँगी अगर हाथ भी लगाया तो।
मैंने सोचा कि इस वक्त काम टेढ़ी ऊँगली से निकलना होगा।
मैंने कहा- बस इतनी सी बात? अभी मैं रिशु को यहीं ले आता हूँ !
और मैं रिशु को लेने चल पड़ा।
रिशु के घर पहुँच कर मैंने कामिनी से कहा- आज रात को रिशु मेरे घर पर ही रुकेगा और उसको लेकर वापस आ गया।
रास्ते में रिशु बोला- यार मोनू, रश्मि बहुत मस्त चीज़ है ! मैं उससे शादी करना चाहता हूँ ! अभी मम्मी से मैं यही बात कर रहा था। कुछ चक्कर चलाओ और मेरे साले बन जाओ।
मुझे पता था कि रश्मि रिशु के लंड की दीवानी हो चुकी है पर मैं बोला - यार, इसमें मेरा क्या फायदा? तुम्हें तो करारा माल मिलेगा जिंदगी भर चोदने के लिए और मुझे कुछ नहीं।
वो बोला- यार मम्मी को चुदवा दिया तुमसे ! और क्या चाहते हो?
मैं बोला - मैंने भी तो रश्मि चुदवा दिया तुमसे ! हिसाब बराबर।
रिशु - ऐसा मत बोल, तू मेरा दोस्त है। कुछ कर न यार।
मैं - देख कर तो सकता हूँ पर तू कुछ ऐसा कर कि रश्मि मुझसे चुदवा ले बस एक बार।
रिशु - साले अपनी सगी बहन को चोदेगा? मैं उससे शादी करना चाहता हूँ और तू बोल रहा है कि उसको तुझसे चुदवाऊँ।
मैं- अबे जाने दे, सबसे बड़ा रिश्ता तो आदमी और औरत का होता है। बोल क्योंकि मेरे मनाये बिना मम्मी पापा नहीं मानेंगे।
रिशु - चल यार, तू आखिर दोस्त है, आज ही ग्रुप सेक्स करते है रश्मि के साथ। चल एक बोतल वोदका ले ले।
मैं- हाँ खाना भी तो लेना है।
रिशु के कहने से मैंने सिर्फ नानवेज खाना लिया। खाना और वोदका खरीद कर हम जैसे ही घर पहुँचे, रश्मि रिशु से लिपट गई और पैंट के ऊपर से ही उसका लंड पकड़ कर हिलाने लगी।
मैंने कहा- अरे पहले खाने-पीने का इंतज़ाम करो, इसके लिए तो पूरी रात पड़ी है।
रश्मि बोली- लाओ, पैकेट मुझे दे दो ! मैं खाना लगाती हूँ।
खाना देख कर रश्मि बोली- अरे तुम लोग सिर्फ नानवेज ले कर आये हो ? अब मैं क्या करूंगी।
रिशु बोला- मेरी जान, पहले सिर्फ कबाब और तीन गिलास ले कर आओ।
रश्मि कबाब और गिलास ले कर आई तो रिशु ने कहा- ये सब मेज पर रख दो और मेरी गोद में बैठ जाओ। मोनू तुम पेग बनाओ।
रश्मि रिशु की गोद में बैठ गई और रिशु उसकी चूचियों से खेलने लगा।
मैंने तीन मोटे पेग बना दिए और रिशु ने एक पेग उठा कर रश्मि के मुँह से लगा दिया।
रश्मि बोली- अरे, मैं नहीं पीती !
पर रिशु ने एक ना सुनी और पूरा गिलास जबरदस्ती रश्मि के गले में उड़ेल दिया।
रिशु ने कहा- एक और पेग बनाओ इसके लिए।
इस बार मैंने वोदका थोड़ा कम और कोल्ड ड्रिंक ज्यादा डाल कर पेग बनाया तो रश्मि धीरे धीरे पीने लगी। तब तक रिशु ने एक कबाब का टुकड़ा उठाया और उसके मुँह में डालने लगा।
रश्मि ने कहा- नहीं रिशु, मैंने तुम्हारे कहने से शराब पी ली है पर यह नहीं खा सकती, उलटी हो जायेगी।
रिशु बोला- मेरी जान एक बार चखो तो !
रश्मि ना ना करती रही और रिशु ने सिर्फ एक सिर्फ एक मेरे लिए करते करते उसके मुँह में कबाब डाल ही दिया। बोनलेस होने की वजह से रश्मि को कुछ पता ही नहीं चला और वो कबाब खा गई। जैसा हमने सोचा था, हमने रश्मि को चार पेग पिला दिए और खुद सिर्फ दो ही पेग पिए और रश्मि का पहला पेग तो तीन पेग के बराबर था। अब रश्मि नशे में धुत हो चुकी थी और मज़े ले लेकर तंदूरी चिकन फाड़ रही थी।
खा पीकर हम रश्मि को गोद में उठा कर बेडरूम में ले गए। तब तक तो नशे से बेहोश हो चुकी थी। रिशु बोला - इतनी पी ली है इसने कि कल सुबह तक नशा नहीं उतरेगा इसका ! आधा घंटा सोने दे इसे, तब तक कोई ब्लू फिल्म लगा दे।
आधे घंटे में हम दोनों के लण्ड कुतुबमिनार बन चुके थे। हमने तब जा कर रश्मि को जगाया। मैंने उसकी दोनों चूचियों को मसल दिया पर उस पर नशा बहुत था तो उसने कोई विरोध नहीं किया और फ़िर वहीं सोफ़े पर रश्मि के बिल्कुल सामने बैठ गया। रिशु ने रश्मि को अपने ऊपर खींच लिया और रश्मि को अपने पूरे बदन पर फ़ैला कर उसके होंठ चूसने शुरु कर दिये।
रश्मि अब भी अपने दोनों टाँगों को सटाए हुइ थी, उन दोनों के सर मेरी ओर थे। रश्मि की छाती रिशु के सीने पे दबी हुई थी। रिशु अब रश्मि को वैसे ही चिपटाये हुए पलट गया और रश्मि अब उसके नीचे हो गई। वो अब उसके चुम्मे का जवाब देने लगी थी।
रिशु 2-3 मिनट के बाद हटा और फ़िर उसकी दाहिनी चूची को चूसने लगा। वह अपने एक हाथ से उसकी बाईं चूची को हल्के से मसल भी रहा था। रश्मि की आँखें बन्द थी और उसकी साँस गहरी हो चली थी।
जल्द ही रश्मि अपने पैरों को हल्के हल्के हिलाने, आपसे में रगड़ने लगी। उसकी चूत गीली होने लगी थी। जैसे ही उसने एक सिसकारी भरी, रिशु उसके ऊपर से पूरी तरह हट गया और मुझे उसके पैरों की तरफ़ जाने का इशारा किया। मैं अब रश्मि की सर की तरफ़ से हट कर उसके पैरों की तरफ़ हो गया।
रिशु अब उसकी चूत पर झुका। होठों के बीच उसकी झाँटों को ले कर दो-चार बार हल्के से खींचा और फ़िर उसकी जाँघ खोल दी। उसकी चूत की फ़ाँक खुद के पानी से गीली हो कर चमक रही थी। रिशु अपने स्टाईल में जल्द ही चूत चूसने लगा और रश्मि के मुँह से आआअह आआअह ऊऊऊऊ ओह जैसी आवाज ही निकल रही थी।
रिशु चूसता रहा और रश्मि चरम सुख पा सिसक सिसक कर, काँप काँप कर हम लोगों को बता रही थी कि उसको आज पूरी मस्ती का मजा मिल रहा है।
जल्द ही वो निढ़ाल हो कर थोड़ा शान्त हो गई।
तब रिशु ने उसको कहा - अब मेरे लण्ड को चूस कर उसका एक पानी झाड़।
रश्मि शान्त पड़ी रही, पर रिशु उसके बदन को हल्के हल्के सहला कर होश में लाया और फ़िर उसको लण्ड चूसने को कहा।
रश्मि एक प्यारी से अदा के साथ उठी और फ़िर रिशु के लण्ड को अपने मुँह में ले लिया। वो अब मुझसे बिना शर्म किए खूब मजे लेने के मूड में थी। कभी हाथ से वो मुठ मारती, कभी चूसती और जल्द ही रिशु का लण्ड फ़ुफ़कारने लगा, फ़िर झड़ भी गया।
पर रश्मि ने ना में सर हिला दिया, तब रिशु तुरंत उठा और सारा माल रश्मि की चूची पर निकाल दिया। झड़ने के बाद भी रिशु का लण्ड हल्का सा ही ढीला हुआ था, जिसको उसने अपने हथेली से पौंछ दिया और फ़िर रश्मि को कहा- अब इसको चूस कर फ़िर से तैयार कर !
जब रश्मि ने चूस कर उसका खड़ा कर दिया तब उसने रश्मि को नीचे लिटा दिया। फ़िर उसकी टाँगों को पेट की तरफ़ मोड़ दिया, खुद अपने फ़नफ़नाए लण्ड के साथ बिल्कुल उसकी खुली हुई बुर के पास घुटने पर बैठ गया। हल्के हल्के से लण्ड अब उसकी बुर के मुहाने पे दस्तक देने लगा था। रश्मि अपनी आँख बन्द करके अपने बुर के भीतर घुसने वाले लण्ड का इन्तजार कर रही थी। रिशु ने अपने लण्ड को अपने बाँए हाथ से उसकी बुर पर टिकाया और फ़िर उसको धीरे धीरे भीतर पेलने लगा। रश्मि के मुँह से सिसकारी निकल गई और जब लण्ड आधा भीतर घुस गया, तब रिशु ने एक जोर का धक्का लगाया और पूरा सात इन्च भीतर पेल दिया।
रश्मि हल्के से चीखी- उई ई ईई ईईए स्स्स्स्स् स माँ आआआह !
और रश्मि की चुदाई शुरु हो गई। जल्द ही वह भी अपनी बुर को रिशु के लण्ड के साथ "ताल से ताल मिला" के अन्दाज में हिला हिला कर मस्त आवाज निकाल निकाल कर चुद रही थी, साथ ही बोले जा रही थी- आह चोदो ! वाह, मजा आ रहा है, और चोदो, जोर से चोदो, लूटो मजा मेरी बुर का, मेरी चूत का, बहुत मजा आ रहा है, खूब चोदो ! खूब चोदो !
फ़िर जब रिशु ने चुदाई की रफ़्तार बढ़ाई, रश्मि के मुँह से गालियाँ भी निकलने लगी- आआह मादरचोद ! ऊऊ ऊ ऊओह बहनचोद ! साले चोद जोर से चोदो रे साले मादरचोद।
रिशु भी मस्त हो रहा था, यह सब सुन सुन कर मस्ती में चोदे जा रहा था और रश्मि की गाली का जवाब गाली से दे रहा था- ले चुद साली, बहुत फ़ड़क रही थी, देख आज कैसे बुर फ़ाड़ता हूँ। साली कुतिया, आज लण्ड से तेरी बच्चादानी हिला के चोद दूँगा। देखना तू !
दोनों एक दूसरे को खूब गन्दी गन्दी गाली दे रहे थे और चुदाई चालू थी।
थोड़ी देर बाद रिशु ने लण्ड बाहर निकाल लिया। तब रश्मि ने उसको लिटा दिया और उसके ऊपर चढ़ गई। वो अब ऊपर से उसके लण्ड पर कूद रही थी और मैं उसके सामने होकर देख रहा था कि कैसे लण्ड को उसकी बुर लील रही थी।
पाँच मिनट बाद रिशु फ़िर उठने लगा और फ़िर रश्मि को पलट कर उसको घुटनों और हाथों पर कर दिया फ़िर पीछे से उसकी बुर में पेल दिया, बोला- अब बन गई ना रश्मि तू कुतिया ! साली चुद और चुद साली ! यहाँ लण्ड खा गपागप गपागप गपागप। मादरचोद ! बोल रन्डी, बोल साली कुतिया।
और वो भी नशे में बोल पड़ी- रन्डी रन्डी, साले बहनचोद तुम लोगों ने मुझे रन्डी बना दिया।
रिशु अब एक बार फ़िर लण्ड बाहर निकाल लिया और फ़िर उसको सीधा लिटा दिया। ऊपर से एक बार फ़िर चुदाई शुरु कर दी।
और करीब तीस मिनट के बाद रश्मि एक बार फ़िर काँपने लगी, वो फ़िर एक बार झर रही थी। तभी रिशु भी झरा- एक जोर का आआआआह और फ़िर पिचकारी रश्मि की झाँट पर छोड़ दी।
अब रिशु उठा और मुझे इशारा किया और अब मैं आगे बड़ा। रश्मि नशे में पड़ी हुई एकदम कच्ची कली जैसी, फ़कत कुँवारी, कोरी रसमलाई जैसी। मैंने सोचा अब देर करना ठीक नहीं क्योंकि इसका नशा अब थोड़ा कम तो होगा ही। मैंने अपने लंड को उसकी चूत के मुहाने पर रखा और उसकी कमर के नीचे एक हाथ डाला। उसके होंठों को अपने मुँह में भर लिया और फिर एक ही झटके में तीन इंच लंड अन्दर ठोंक दिया। रश्मि की घुटी-घुटी चीख निकल गई। कोई 2-3 मिनट के बाद जब उसकी चूत कुछ आराम में आई तब मैंने हौले-हौले धक्के लगाने शुरु किए पर अभी लंड पूरा नहीं घुसाया। आखिर वो मेरी सगी बहन थी मैं उसे खूब मजे दे कर चोदना चाहता था। मैंने उसके नितम्बों पर हाथ फेरना चालू रखा।
उसकी गाँड के छेद से जैसे ही मेरी उँगलियाँ टकराईं तो मैं तो रोमांच से भर उठा। बालों की कंघी के दाँत जैसी गाँड की तीख़ी नोकदार सिलवटों वाला छेद। आहहहह… क्या मस्त क़यामत है साली की गाँड की छेद। कुँवारी गाँड की पहचान तो उसके उभरे हुए सिलवटों से होती है। मुझे तो इस गाँड के छेद में अपना रस भर कर स्वर्ग के इस दूसरे दरवाज़े का लुत्फ हर क़ीमत पर उठाना ही है। पर पहले तो चूत चोदनी है, गाँड की बात बाद में।
मैंने रिशु से उसकी गांड के नीचे एक तकिया लगाने को कहा और अपना एक हाथ उसकी पतली कमर के नीचे डाल कर पकड़ लिया। अपने होंठ उसके होंठों पर रख करक उन्हें चूमा और फिर दोनों होंठ अपने मुँह में भर लिए। वो फिर से पूरी गर्म और मस्त हो चुकी थी। उसने तो अब नीचे से हल्के-हल्के धक्के भी लगाने शुरु कर दिए थे। मैंने अपना लंड थोड़ा सा बाहर निकाला और एक ज़ोरदार धक्का लगा दिया।
धक्का इतना ज़बर्दस्त था कि गच्च से जड़ तक उसकी चूत में समा गया। मेरा लंड रिशु से बड़ा था, रश्मि दर्द के मारे छटपटाने लगी। उसने मेरी पीठ पर अपने नाखून इतने ज़ोर से गड़ाए कि मेरी पीठ पर भी ख़ून छलक आया।
रश्मि ज़ोर से चीख़ी ओईईई… माँ… मर… गईईई… और उसकी आँखों से आँसू निकलने लगे।
मैंने उससे कहा- बस मेरी जान मैंने उसके नमकीन स्वाद वाले आँसूओं पर अपनी जीभ रख दी।
मोनू ! मुझे मार ही डाला… ओओईईई… निकाल बाहर... मैं मर जाऊँगी… उईईई माँआआआआ…।
वो रोए जा रही थी। मैं जानता था कि यह दर्द 3-4 मिनट का है बाद में तो बस मज़े ही मज़े। मेरा लंड तो जैसे निहाल ही हो गया। इतनी कसी हुई चूत कहाँ मिलेगी फिर इसीलिए रिशु शादी करना चाहता है इससे। कोई 5 मिनट के बाद रश्मि कुछ संयत हुई। उसकी चूत ने भी फिर से रस छोड़ना चालू कर दिया। मैंने उसकी कपोलों, होंठों और माथे पर चुम्बन लेने शुरु कर दिए और अपने धक्कों की गति बढ़ा दी।
फिर मैंने उससे पूछा- क्यों मेरी रंडी, कैसा है तेर भाई का लंड?
तो वह नशे में बोली- मोनू, तूने तो मेरी जान ही निकाल दी, ओईई… आआहह… या… ओह अब रूको मत ऐसे ही धक्के लगाओ… आहहह… या... ओई… मैं तो गईईईई…।
और उसके साथ ही वो एक बार फिर झड़ गई। मैं तो जैसे स्वर्ग में था। मैंने लगातार 8-10 धक्के और लगा दिए। अब तो उसकी चूत से फच्च-फच्च का मधुर संगीत बजने लगा था।
यह सिलसिला कोई 20 मिनट तो ज़रूर चला होगा। मेरा लंड बेचारा कब तक लड़ता। मैंने दनादन 5-7 धक्के और लगा दिए। रश्मि भी फिर से झड़ने के कगार पर ही तो थी। और फिर… एक... दो… तीन चार… पाँच... पता नहीं कितनी पिचकारियाँ मेरे लंड ने छोड़ दीं… रश्मि ने मुझे कस कर पकड़ लिया और उसकी चूत ने भी काम-रज छोड़ दिया। उसकी बाँहों में लिपटा मैं कोई दस मिनट उसके ऊपर ही पड़ा रहा। दस मिनट के बाद रश्मि जैसे नींद से जागी।
मैं उठ कर बैठ गया, रश्मि भी मेरी ओर सरक आई, उसने मेरे होंठों पर दो-तीन चुम्बन ले लिए।
मैंने उससे थैंक यू कहा तो उसने कहा- आखिर चोद हो डाला अपनी बहन को तूने कुत्ते…
मैंने रिशु की तरफ देखा- वो तो सोफे पर ही सो गया था। तब मैं रश्मि को गोद में उठा कर बाथरूम की ओर ले जाने लगा।
उसने अपनी बाँहें मेरे गले में डाल दी और आँखें बन्द कर लीं। मैंने देखा पूरा तकिया मेरे वीर्य और काम-रज़ से भीगा हुआ था। रश्मि पॉट पर बैठकर पेशाब करने लगी। आहहहह… फिच्च… स्स्स्सीईई… का वो सिसकारा और मूत की पतली धार तो कयामत ही थी। मैं तो मन्त्र-मुग्ध सा बस उस नज़ारे को देखता ही रह गया। पॉट पर बैठी रश्मि की चूत ऐसी लग रही थी जैसे एक छोटा करेला किसी ने छील कर बीच में से चीर दिया हो।
रिशु और मेरी जबरदस्त चुदाई से उसकी चूत के होंठ सूजकर पकौड़े जैसे हो गए थे। बिल्कुल लाल गुलाबी। उसकी गाँड का भूरा और कत्थई रंग का छोटा सा छेद खुल और बन्द हो रहा था। मैंने उससे कहा- एक मिनट रूको, मूतना बन्द करो और उठो… प्लीज़ जल्दी !
क्या हुआ? रश्मि ने मूतना बन्द कर दिया और घबरा कर बीच में ही खड़ी हो गई। मैंने उसे अपनी ओर खींचा। मैं घुटनों के बल बैठ गया और उसकी चूत को दोनों हाथों से खोल करक उसकी मदन-मणि के दाने को चूसने लगा।
वो तो आहहह… उहह्हह करती ही रह गई, उसने कहा- ओह… क्या कर रहे हो भैया ओफ्फ्फ... इसे साफ तो करने दो ! ओह गन्दे ओईई... माँ…
अरे प्यार में कुछ गन्दा नहीं होता ! मैंने कहा और फिर उसके किशमिश के दाने को चूसने लगा।
रश्मि कितनी देर तक बर्दाश्त करती। उसकी चूत के मूत्र-छिद्र से हल्की सी पेशाब की धार फिर चालू हो गई जो मेरी ठोड़ी से होती हुई गले के नीचे गिर सीने से होती मेरे लंड को जैसे धोती जा रही थी। उसने मेरे सिर के बाल पकड़ लिए कसकर।
मैं तो मस्त हो गया। जब उसका पेशाब बन्द हुआ तो उसने नीचे झुक कर मेरे होंठ चूम लिए और अपने होठों पर जीभ फिराने लगी। उसे भी अपनी मूत का थोड़ा सा नमकीन स्वाद ज़रूर मिल ही गया। हम साफ़-सफाई के बाद फिर बिस्तर पर आ गए।
रश्मि, एक बताना तो मैं भूल ही गया ! मैंने कहा। ऊँहह… अब कुछ मत बोलो बस मुझे प्यार करने दो अपने मोनू को ! उसने फिर मेरे होठों को चूम लिया।

मैंने उससे कहा- मेरी बहना, मैं एक बार तुम्हारी चूत को चूसना चाहता हूँ।

उसका नशा कम भले ही हो गया था पर पूरी तरह नहीं उतरा था इसीलिए कोई ऐतराज़ नहीं हो सकता था।

मैं लेट गया और उसके पैर अपने सिर के दोनों ओर कर दिए जिससे उसकी चूत मेरे मुँह के ठीक ऊपर आ गई। हम दोनों अब 69 की मुद्रा में थे। रश्मि मेरे ऊपर जो थी। मेरा लंड ठीक उसके मुँह के सामने था।

मैंने झट से चूत की पंखुड़ियों को चौड़ा किया और गप्प से अपनी जीभ उस गुलाबी खाई में उतार दी। उत्तेजना में उसका शरीर काँपने लगा। मैंने उसकी चूत को ज़ोर-ज़ोर से चूसना चालू कर दिया, अब उसके पास मेरे लंड को चूसने के अलावा क्या रास्ता बचा था। उसने पहले मेरे लंड के सुपाड़े को चूमा और उस पर आए वीर्य की कुछ बूँदों चखा और फिर गप्प से उसे मुँह में भर कर चूसने लगी। मेरा लंड मेरी बहन के मुँह में जाकर तो निहाल ही हो गया।

मैंने अपनी जीभ उसकी गाँड के भूरे छेद पर भी फिरानी चालू कर दी। मैंने 4-5 बार अपनी जीभ उसकी गाँड पर फिराई तो वो एक किलकारी मारते हुए फिर झड़ गई। मैं अपना वीर्य उसके मुँह में अभी नहीं छोड़ना चाहता था। मुझे तो पहले उसकी गाँड का उदघाटन करना था और फिर जैसा मैंने सोचा था वही हुआ।

रश्मि ज़ोर-ज़ोर की साँसे लेती हुई एक ओर लुढ़क गई। उसके उरोज साँसों के साथ ऊपर-नीचे हो रहे थे। आँखें बन्द थीं। अचानक वह उठी और मेरे ऊपर आकर मुझे कस कर अपनी बाँहों में जकड़ लिया। मैंने अपनी ऊँगली उसकी गाँड की छेद पर फिरानी शुरु कर दी।

उफ्फ… क्या खुरदरा एहसास था।

वो तो बस आँखें बन्द किए मुझसे चिपकी पड़ी थी। मैंने हौले से उसके होंठों पर एक चुम्मा लिया और कहा- मेरी जान, मेरी बहना क्या हुआ?

बस अब कुछ मत बोलो, एक बार मुझे फिर से… और उसने मुझे चूम लिया।

रश्मि एक और मज़ा लोगी जो अभी रिशु ने नहीं दिया?

क्या मतलब… वो… वो... ओह… नो… नहीं… वो तो ऐसे बिदकी जैसे किसी काली छतरी को देख कर भैंस बिदकती है ओह भैया तुम्हारा दिमाग तो ठीक है ना… क्या बात कर रहे हो?

अरे मेरी रश्मि रानी औरत के तीन छेद होते हैं और तीनों में ही चुदाई की जाती है। चुदाई का असली आनन्द तो इस द्वार में ही है। एक बार मज़ा लेकर तो देखो, फिर तो रोज़ यही कहोगी कि पिछले छेद में ही डालो।

पर वो… वो... इतना मोटा मेरे छोटे से छेद में… ओह नो… मुझे डर लगता है। वो कुछ सोच नहीं पा रही थी। नहीं मुझे बहुत डर लग रहा है। सुना है इसमें करने पर बहुत दर्द होता है। अच्छा चलो तुम्हें दर्द होगा तो नहीं करेंगे। एक बार करने में क्या हर्ज़ है?

पर वो… वो ज़्यादा दर्द तो नहीं होगा ना कहीं…? वो कुछ हिचकिचा रही थी।

मैंने उसे करवट लेकर सो जाने को कहा। वो बाईं करवट के बल लेट गई औऱ अपनी दाईं टाँग को सिकोड़ कर अपने सीने की ओर कर लिया। अब मैं घुटने मोड़कर उसकी बाईं जाँघ पर बैठ गया ताकि जब मैं उसकी गाँड में लंड डालूँगा तो वह आगे की ओर नहीं खिसक पाएगी।

अब मैंने बोरोलीन की ट्यूब निकाली और टोपी खोल कर उसका मुँह उसकी गाँड की सुनहरी छेद पर लगा कर थोड़ा सा अन्दर किया। पहले से थोड़ी बोरोलीन लगी होने से ट्यूब की नॉब अन्दर चली गई। अब मैंने उस ट्यूब को ज़ोर से भींच दिया। उईई… भैयाऊऊऊ गुदगुदी हो रही है रश्मि नशे में चिहुँकी। वो आगे को सरक ही नहीं सकती थी।

मैंने आधी से ज़्यादा ट्यूब उसकी गाँड में खाली कर दी। अब धीरे-धीरे मैंने उसकी गाँड के छेद पर मालिश करनी शुरु कर दी। बोरोलीन अन्दर पिघलने लगी थी और मेरी उँगली उसकी गाँड की कसी हुई छेद के बावज़ूद भी आराम से अन्दर जाने लगी थी, प्यार से धीरे-धीरे।

रश्मि आआआहहह… उउउऊऊऊहहहह करने लगी।

कोई 4-5 मिनट की घिसाई और उंगलीबाज़ी से उसकी गाँड तैयार हो गई थी।

ओह… भैया अब डाल दो !

शाबाश ! मेरी रश्मि, यही तो मैं चाहता था।

अब मैंने वैसलीन की डिब्बी उठाई और लगभग आधी शीशी क्रीम अपने लंड पर लगा दी। मैंने सुपाड़े को उसकी गाँड पर लगा दिया। आह… क्या मस्त छेद था। दो गोल पहाड़ियों के बीच एक छोटी सी गुफ़ा जिसका दरवाज़ा कभी बन्द कभी खुल रहा था।

रश्मि आआहहहह… उँहहहह… ओह… उउउऊऊई... किए जा रही थी।

मैंने एक उँगली उसकी चूत में डाल कर अन्दर-बाहर करनी शुरु कर दी औऱ एक हाथ से उसकी घुण्डियाँ मसलनी शुरु कर दी। उसका एक बार और झड़ना ज़रूरी था ताकि गाँड के छेद को पार करवाने में उसे कम से कम दर्द हो।

3-4 मिनट की उंगलीबाज़ी और चूचियों को मसलने से वह उत्तेजित हो गई। उसका शरीर थोड़ा सा अकड़ने लगा और वो ऊईई... माँ आआ…ओओओहहह ययाआआआ… करने लगी। उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया।

मैंने अपनी उँगली निकाली और अपने मुँह में डाल कर एक चटकारा लिया। फिर मैंने दुबारा उँगली उसकी चूत में डाली और उसे भी चूत-रस चटाया। रश्मि तो मस्त ही हो गई। उसकी गाँड का छेद जल्दी-जल्दी खुलने और बन्द होने लगा था। यही समय था जन्नत के दूसरे द्वार को पार करने का।

जैसी उसकी गाँड खुलती मेरा सुपाड़ा थोड़ा सा अन्दर सरक जाता। अब तक उसकी गाँड का छेद 5 रुपए के सिक्के जितना खुल चुका था और लगभग पौना इंच सुपाड़ा अन्दर जा चुका था, सफलतापूर्वक बिना किसी दर्द के।

मैंने उसकी कमर को पकड़ा और ज़ोर का दबाव डालना चालू किया। गाँड अन्दर से चिकनी थी और रश्मि मस्त थी, गच्च से तीन इंच लण्ड घुस गया और इससे पहले कि रश्मि की चीख हवा में गूँजे मैंने उसका मुँह अपने दाएँ हाथ से ढँक दिया।

वो थोड़ा सा कसमसाई और गूँ-गूँ करने लगी। मैं शान्त रहा। मेरा 3 इंच लण्ड अन्दर जा चुका था। अब फिसल कर बाहर नहीं आ सकता था। मुझे डर था कि रिशु ने जा इसकी चूत मारी थी तब काफी खून निकला था उसी तरह गाँड से भी ख़ून ना निकल जाए। लेकिन बोरोलीन और वैसलीन की चिकनाई की वज़ह से उसकी गाँड फटने से बच गई थी।
इसका एक कारण और भी था मैंने लण्ड अन्दर डालते समय केवल दबाव ही दिया था धक्का नहीं मारा था।

2-3 मिनट आह… ऊहह… करने के बाद वह शान्त हो गई। मैंने अपना हाथ हटा लिया तो वह बोली- मुझे तो मार ही डाला।

अरे मेरी बहना ! अब देखना, तुम अपने मुँह से कहोगी और ज़ोर से ठोंको और ज़ोर से !

तब तक रिशु भी जग गया था और उसके मम्मों से खेलने आ गया था।

अब धीरे-धीरे धक्के लगाने का समय आ गया था। मैंने अपना लण्ड अन्दर-बाहर करना शुरु कर दिया। रश्मि ने अपने गाँड का छेद सिकोड़ने की कोशिश की तो मैंने उसे समझाया कि वो कतई ऐसा न करे। मैंने उसे बताया कि अगर उसने गाँड को सिकोड़ तो अन्दर लंड और सुपाड़ा दोनों फूल जाएँगे और उसे अधिक तक़लीफ होगी।

मैंने अपना लंड जड़ तक अन्दर कर दिया। रश्मि तो मस्त हो गई। वो तो बस उई… माँ… ही करती जा रही थी, मीठी सी सीत्कार। मैं अपना लण्ड अन्दर-बाहर ही करता जा रहा था। रश्मि अब पेट के बल हो गई थी, उसने अपने दोनों पैर चौड़े कर दिए और चूतड़ ऊपर उठा दिए।

मेरा लंड उसकी गाँड में कस गया पर चिकनाई के कारण अन्दर-बाहर होने में कोई दिक्क़त नहीं थी। हर धक्के के साथ रश्मि की सीत्कार निकल जाती और वह अपने चूतड़ और ऊपर कर लेती।

साली पहली गाँड चुदाई में ही इतनी मस्त हो गई, मैंने तो सपने में भी नहीं सोचा था कि इतनी ज़बर्दस्त गाँड होगी। ऐसा नहीं था कि मैं बस धक्के ही लगा रहा था, मैं तो उसकी चूत में भी उँगली कर रहा था, कभी उसकी पीठ चूमता, कभी उसके कान काटता।

वो तकिए से सिर लगाए आराम से अपना चूतड़ ऊपर-नीचे करती हुई ओओईई… आआहहह… ययाआआ… कर रही थी। कोई 20-25 मिनट की गाँड चुदाई के बाद मुझे लगा कि अब मंज़िल नज़दीक आने वाली है तो मैंने रश्मि से कहा- मेरी बहना, अब मैं आने वाला हूँ।

रश्मि हँसने लगी- अभी नहीं, एक बार मुझे कुतिया बनाकर भी करो।

और फिर वो अपने घुटनों के बल हो गई। मैं समझ गया साली ब्लू-फिल्म की तरह चुदवाना चाहती है।


मैंने उसकी कमर पकड़ी और लंड अन्दर डाल कर धक्के लगाने शुरु कर दिए। उसकी गाँड का छल्ला ऐसे लग रहा था जैसे किसी बच्ची के हाथ में पहनने वाली लाल रंग की चूड़ी हो या एक पतली सी गोल लाल रंग की ट्यूब-लाईट हो जो जल और बुझ रही हो। उसकी गाँड का छल्ला ऐसे ही अन्दर-बाहर हो रहा था।

उसने अपना सिर तकिए से लगा लिया और मेरे आँडों को ज़ोर से अपनी मुट्ठी में लेकर दबाने लगी। मेरे 8-10 धक्कों और चूत में उँगलीबाज़ी करने के कारण रश्मि की चूत ने पानी छोड़ दिया और उसने एक मीठी सी सीत्कार लेकर अपनी गाँड सिकोड़ी। इसके साथ ही मेरे लंड ने भी 7-8 पिचकारियाँ उसकी गाँड में छोड़ दीं। उसकी गाँड मेरे गरम और गाढ़े वीर्य से लबालब भर गई।

जैसे-जैसे मेरे धक्कों की रफ़्तार कम होती गई वो नीचे होती गई और फिर मैं उसके ऊपर लेटता चला गया। मैंने उसे बाँहों में भर रखा था। उसके दोनों उरोज मेरे हाथों में थे।

कोई दस मिनट तक आँखें बन्द किए हम लोग ऐसे ही पड़े रहे और रिशु उसके मम्में दबाता रहा। फिर रश्मि उठ खड़ी हुई। वो लंगड़ाती सी बाथरूम की ओर जाने लगी तो रिशु ने उसका हाथ पकड़ कर फिर अपनी गोद में बैठा लिया।

ओह सारा पानी मेरी जाँघों पर फैलता जा रहा है, मुझे गुदगुदी हो रही है... ओह… छोड़ो साफ़ तो करने दो।

पर रिशु ने उसे नहीं जाने दिया। मैंने तकिए के नीचे से नैपकीन निकाली और रश्मि की रिसती हुई गाँड को साफ कर दिया। उसकी गाँड का छेद अब बिल्कुल लाल होकर 5 रुपए के सिक्के जितना छोटा हो गया था। मैंने उसके होंठों का एक चुम्बन ले लिया- थैंक यू मेरी बहना !

ओह… थैंक यू मेरे मोनू ! उसने भी मुझे चूम लिया।

वो बिस्तर पर उँकड़ू बैठी अपनी चूत और गाँड के छेदों को देख रही थी, उसने कहा, देखो मेरी चूत और उसकी सौतन का क्या हाल कर दिया है तुम दोनों ने !

उसकी चूत सूज कर लाल हो गई थी और गाँड का रंग भी भूरे से लाल हो गया ता। उसकी चूत तो ऐसे लग रही थी जैसे किसी ने छोटी सी परवल को बीच में से चीर कर चौड़ा कर दिया हो। रिशु बोला अरे मैंने तो सिर्फ चूत चोदी थी तुम्हारा गांड का बाजा तो तुम्हारे भाई ने बजाया है। अब एक बार ज़रा हमें भी तो ये दूसरी जन्नत दिखाओ।

यह बोल कर रिशु ने अपना खड़ा हुआ लंड रश्मि की गांड में डाल दिया पर अब रश्मि को कोई तकलीफ नहीं हुई। उन चार दिनों में हमने रश्मि को कई बार चोदा और उसकी खूब गांड मारी। फिर मम्मी और पापा आ गए और मैंने उन्हें बोला की रश्मि और रिशु एक दूसरे से प्यार करते है और शादी करना चाहते हैं।

मेरे मम्मी पापा बहुत नाराज़ हुए पर जब मैंने उनको डराया कि रिशु के पास कुछ ऐसे फोटो हैं जिनसे रश्मि की बहुत बदनामी हो सकती है और कहीं भी उसकी शादी नहीं होगी, तब वो तैयार हो गए और दो साल बाद रश्मि और रिशु की शादी हो गई।

पर हमारे रिश्ते आज भी वैसे ही हैं और मैं आज भी कामिनी को चोदता हूँ।

The end
 

mahic4f

Active Member
1,024
506
128
shaandaar story
 

Adirshi

Royal कारभार 👑
Staff member
Sr. Moderator
38,596
54,941
304
Hello everyone.

We are Happy to present to you The annual story contest of XForum


"The Ultimate Story Contest" (USC).

Jaisa ki aap sabko maloom hai abhi pichhle hafte hi humne USC ki announcement ki hai or abhi kuch time pehle Rules and Queries thread bhi open kiya hai or Chit Chat thread toh pehle se hi Hind section mein khula hai.

Well iske baare mein thoda aapko bata dun ye ek short story contest hai jisme aap kisi bhi prefix ki short story post kar sakte ho, jo minimum 700 words and maximum 7000 words (Story ke words count karne ke liye is tool ka use kare — Characters Tool) . Isliye main aapko invitation deta hun ki aap is contest mein apne khayaalon ko shabdon kaa roop dekar isme apni stories daalein jisko poora XForum dekhega, Ye ek bahot accha kadam hoga aapke or aapki stories ke liye kyunki USC ki stories ko poore XForum ke readers read karte hain.. Aap XForum ke sarvashreshth lekhakon mein se ek hain. aur aapki kahani bhi bahut acchi chal rahi hai. Isliye hum aapse USC ke liye ek chhoti kahani likhne ka anurodh karte hain. hum jaante hain ki aapke paas samay ki kami hai lekin iske bawajood hum ye bhi jaante hain ki aapke liye kuch bhi asambhav nahi hai.

Aur jo readers likhna nahi chahte woh bhi is contest mein participate kar sakte hain "Best Readers Award" ke liye. Aapko bas karna ye hoga ki contest mein posted stories ko read karke unke upar apne views dene honge.

Winning Writer's ko well deserved Awards milenge, uske alawa aapko apna thread apne section mein sticky karne ka mouka bhi milega taaki aapka thread top par rahe uss dauraan. Isliye aapsab ke liye ye ek behtareen mouka hai XForum ke sabhi readers ke upar apni chhaap chhodne ka or apni reach badhaane kaa.. Ye aap sabhi ke liye ek bahut hi sunehra avsar hai apni kalpanao ko shabdon ka raasta dikha ke yahan pesh karne ka. Isliye aage badhe aur apni kalpanao ko shabdon mein likhkar duniya ko dikha de.

Entry thread 7th February ko open hoga matlab aap 7 February se story daalna shuru kar sakte hain or woh thread 25th February tak open rahega is dauraan aap apni story post kar sakte hain. Isliye aap abhi se apni Kahaani likhna shuru kardein toh aapke liye better rahega.

Aur haan! Kahani ko sirf ek hi post mein post kiya jaana chahiye. Kyunki ye ek short story contest hai jiska matlab hai ki hum kewal chhoti kahaniyon ki ummeed kar rahe hain. Isliye apni kahani ko kayi post / bhaagon mein post karne ki anumati nahi hai. Agar koi bhi issue ho toh aap kisi bhi staff member ko Message kar sakte hain.



Story se related koi doubt hai to iske liye is thread ka use kare — Chit Chat Thread

Kisi bhi story par apna review post karne ke liye is thread ka use kare — Review Thread

Rules check karne ke liye is thread ko dekho — Rules & Queries Thread

Apni story post karne ke liye is thread ka use kare — Entry Thread

Prizes
Position Benifits
Winner 1500 Rupees + Award + 30 days sticky Thread (Stories)
1st Runner-Up 500 Rupees + Award + 2500 Likes + 15 day Sticky thread (Stories)
2nd Runner-UP 5000 Likes + 7 Days Sticky Thread (Stories) + 2 Months Prime Membership
Best Supporting Reader Award + 1000 Likes+ 2 Months Prime Membership
Members reporting CnP Stories with Valid Proof 200 Likes for each report



Regards :- XForum Staff
 
Top