चैप्टर -2 कामवती का पुनः जन्म अपडेट -22
घुड़वतीं सुन्दर मनमोहक झरने को देख खुद को रोक नहीं पाती और धीरे धीरे कर के पानी मे उतरने लगती है
आहहहह.... कितना शीतल जल है, तन को ठंडक पंहुचा रहा है.
घुड़वती का नया नया जवान हुआ जिस्म ठन्डे पानी का लुत्फ़ उठाने लगा, उसके रोंगटे खड़े होने लगे.
हवा मे एक तरह का नशा था मादक नशा
जो घुड़वती के बदन को भिगो रहा था.
घुड़वती सम्मोहित सी झरने के पास चली जाती है, और झरने के नीचे अपने जवान सुडोल बदन को नहलाने लगती है.
लेकिन यहाँ झरने मे सिर्फ वो ही अकेली नहीं थी कोई और भी था जो इस प्रकृति इस सौंदर्य का दीवाना था.
विषरूप का बड़ा राजकुमार "नागकुमार" उसे कोई खबर नहीं थी कि कोई जवान घोड़ी उसकी और बड़ी चली आ रही है.
घुड़वती झरने के नीचे पहुंच चुकी थी, ठन्डे पानी कि बुँदे उसके बदन पे अंगारो कि तरह गिर रही थी.
मदमस्त घोड़ी झरने के नीचे अंगड़ाई लेने लगी, उसके शरीर मे उठती मदकता जंगल मे फैलने लगी,
मदकता से भारी खुशबू जो एक जवान खूबसूरत घोड़ी कि थी वो खुशबू नागकुमार कि नाक से भी टकरा गई.
आहहहह... ये कैसी गंध है? ऐसी खुशबू तो आजतक जीवन मे कभी महसूस ही नहीं कि.
ये मुझे क्या हो रहा है? मेरे लिंग का आकर क्यों बढ़ रहा है.
आअह्ह्ह.... इस खुशबू मे नशा है.
नागकुमारगंध से आकर्षित हो घुड़वती कि दिशा कि तरफ चल पड़ता है.
वही घुड़वाती मदहोशी मे डूबती जा रही थी, उसके हाथ खुद ही अपने स्तन पे चल पड़ते है वो उन्हें दबाने लगती है,
आअह्ह्ह.... कितना आनंद है इस वातावरण मे, मेरे बदन मे आग क्यों लग रही है.
अच्छा लग रहा है... घुड़वती कामक्रीड़ा से पहली बार परिचित हो रही थी.
वो अपने ऊपरी वस्त्र त्याग देती है, खुले वातावरण मे झरने के नीचे दो सुन्दर गुलाबी स्तन आज़ाद हो चुके थे,
बड़े और मादक स्तन जिस पर छोटे से बिंदु सामान निप्पल अंकित था.
स्तन आज़ाद होने से एक मादक और पहले से कही ज्यादा गंध निकलती है नाग कुमार को अपनी और खींचने लगती है...
गंध कि दिशा मे खींचा चला जाता है झरने से कुछ दूर पहुँचता है तो उसे झरने के नीचे जो दीखता है वो प्राण खींचने के लिए काफ़ी था, ऐसा अद्भुत सौंदर्य ऐसी काया ऐसे स्तन... उसके पैर वही झड़ी के पास ही जाम जाते है,
लगता था जैसे खून जम गया है बस आंखे जिन्दा है वो भी इसलिए जिन्दा है कि ये नजारा निहार सके.
धम्म से वही झड़ी के बीच गिर पड़ता है.
दृश्य ही ऐसा था झरने के नीचे बला कि खूबसूरत स्त्री अर्ध नग्न अवस्था मे अठखेलिया कर रही थी.
घुड़वती कभी अपने स्तन को निहारती कभी अपने सपाट खूबसूरय पेट को,
एक हाथ स्तन पे रख मसल देती तो दूसरा हाथ पेट सहलाता, उसके मुँह से हलकी हलकी सिसकारिया निकल रही थी जो कि झरने के साथ मधुर संगीत उत्पन्न कर रही थी,
घुड़वती से रहा नहीं जा रहा था उसकी टांगो के बीच कुछ हो रहा था, जैसे कोई उन्माद निकलना चाहता हो.
घुड़वतीं के लिए कामुकता का अहसास पहली बार था नया था.
जिज्ञासावंश वो अपना एक हाथ कपड़ो के ऊपर से ही चुत पे रख देती है.
आअह्ह्ह.... सुन्दर अहसास क्या हो रहा है मुझे कुछ नशा हो रहा है.
नशा तो नागकुमार को भी हो रहा था जो ये दृश्य देख जडवत था, उसका लिंग पूरा तना हुआ था
इतना तन गया था कि मारे उत्तेजना के लाल पड़ गया था.
नागकुमार भी अपना एक हाथ अपने लिंग के ऊपर रख चमड़ी को पीछे सरका देता है
नागकुमार भी ऐसा सौंदर्य ऐसा कामुक नजारा पहली बार ही देख रहा था उसके लंड से निकली मादक गंध घुड़वती के नाथूनो तक पहुंचती है.
घुड़वती :- आह्हः... ये अचानक से कैसी गंध है, कितनी मादक गंध है ये
लंड कि गंध सूंघते हीघुड़वती के बदन मे सिरहान कोंध जाती है उसकी उत्तेजना बढ़ने लगती है
उसके हाथ स्वतः ही चुत पे चलने लगते है, दाने को घिस देते है...
उत्तेजना और रगड़ से चुत का पानी छल छला जाता है.
वातावरण मे मदकता लहरा जाती है.
घुड़वती मदहोशी मे स्तन और चुत रगड़ रही थी.. नई नई जवान घोड़ी को ये अहसास अपने कब्जे मे लेता जा रहा था,
नागकुमार से अब रहा नहीं जाता वो उस मादक खुशबू मे बंधा चल पड़ता है घुड़वाती क ओर.. उसे कोई होश नहीं था उसका लंड वस्त्र से बाहर निकला पड़ा था
वो एकटक घुड़वती को देखे जा रहा था, चले जा रहा था
अचानक छप छप.. गुलुप.. कि आवाज़ से घुड़वती होश मे अति है तो सामने नागकुमार को खड़ा देख घबरा जाती है,, उसके मुँह से चीख निकल जाती है.आआआईई.....
कौन हो तुम ऐसा बोल वो खड़ी हो जाती है ओर एक हाथ से अपने बड़े सुडोल स्तन ढकने का नाकामयाब प्रयास करती है.
घुड़वती कि चीख से नागकुमार भी होश मे आता है तो पाता है कि वो बिल्कुल सामने खड़ा है अद्भुत सौंदर्य उसके ठीक सामने खड़ा था.
घुड़वती :- कौन हो तुम? यहाँ क्या कर रहे हो?
नागकुमार :- हे सुंदरी मै कौन हूँ मुझे नहीं पता, आपका सौंदर्य मुझे यहाँ खींच लाया.
नागकुमार अभी भी मदहोशी मे था.
घुड़वती :- तुम्हे शर्म नहीं अति किसी स्त्री को नहाते देखते? जानते भी हो इस दुस्साहस का अंजाम क्या होगा?
नागकुमार :- अंजाम जों हो सुंदरी सब मंजूर है बस आप युही खड़ी रहिये, इतनी सुन्दर स्त्री मैंने कभी नहीं देखि.
अब घुड़वती भी थोड़ी नरम पड़ने लगी थी अपनी तारीफ सुन के.
घुड़वती :- अच्छा मै इतनी सुन्दर हूँ?
नागकुमार :- अप्सरा है आप, आपको कौन नहीं पाना चाहेगा.
घुड़वती को वही मादक गंध महसूस होती है जो नागकुमार के लंड से निकली थी.
आह्हः... वही मदहोश करने वाली गंध.
नागकुमार कि ओर देखती है जैसे ही उसकी नजर नीचे को जाती है उसको एक सम्पूर्ण गोरा खड़ा लंड दीखता है जो लगातार एक मादक नशीली खुशबू छोड़ रहा था.
घुड़वती :- अच्छा तो ये खुशबू तुम्हारे पास से आ रही है? आप है कौन? ओर इसे क्यों बाहर निकाल रखा है?
ये सुन के नागकुमार खुद को देखता है उसका लंड बाहर को निकला हुआ था,
वो हड़बड़ा के उसे अंदर करता है ओर पीछे घूम जाता है.
नागकुमार :- माफ़ कीजिएगा सुंदरी आपके सौंदर्य कामुक बदन को देख बेकाबू हो गया था.
घुड़वती ठहरी नई जवान घोड़ी ऐसी कामुक बाते ओर मादक गंध वापस से उसके बदन को जलाने लगी.
घुड़वती :- नागकुमार के ऐसे घूमने से वो हस देती है.
अच्छा ऐसा क्या देखा?
नागकुमार :- आपकी बड़ी आंखे, सुराहीदार गर्दन, सुनहरे बाल, गोल स्तन जिन्हे आप मसल रही थी.
घुड़वती ये सुन के शर्मा जाती है.
घुड़वती :- कितने गंदे है आप ऐसी बाते भी कोई करता है.
नागकुमार :- आप जैसे अप्सरा हो तो क्यों नहीं करता
ऐसी ही नोक झोंक मे घुड़वती भी नागकुमार कि तरफ आकर्षित होने लगती है उसे जरा भी ख्याल नहीं था कि वो अर्ध नग्न अवस्था मै एक अनजान पुरुष के सामने खड़ी है.
कथा जारी है...