Dharmendra Kumar Patel
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दुश्मनी तब ही होती है जब प्रेम अधूरा रह जाये, यही होगा अब.... एक प्रेम जो अधूरा रहा वो बीज बो देगा दुश्मनी कि.बहुत ही शानदार अपडेट है । घुडवती और नागकुमार का मिलान अधूरा रह गया । अगले अपडेट का बेसब्री से इंतजार रहेगा
Dhamakedaar update dostचैप्टर -2, कामवती का पुनः जन्म अपडेट -24
घुड़वती जिंदगी के पहले चरम सुख को महसूस कर रही थी,
निचला वस्त्र पूर्णत्या गिला हो चूका था, सांसे धोकनी कि तरह चल रही थी.
नागकुमार साँसो के साथ उठते गिरते स्तन को देख रहा था, ये नजारा उसके लंड को फाड़ने को बेकरारा था.
घुड़वती कपड़े के ऊपर से ही अपनी चुत को दबोच हांफ रही रही, पानी का फव्वारा लगातार निकल रहा था.
उसका बदन झटके खा रहा था.... आंखे उलट चुकी थी.
नागकुमार के हाथ घुड़वती के निचले वस्त्र तक पहुंच जाये है, उसे देखना था कि ये मादक गंध कहाँ से आ रही है...
इसी मादक गंध मे खींचता हुआ कोई और भी झरने के नजदीक झाड़ियों तक पहुंच चूका था..... वो भी मदहोश था ऐसी सुन्दर काया को देख के.
नागकुमार धीरे से पकड़ के कपडे को हटा देता है, घुड़वती कोई विरोध नहीं करती अपितु उसने दम ही नहीं था कि वो कुछ करती या बोलती वो बस आंखे बंद किये किसी अनजानी दुनिया मे थी.
नागकुमार कपड़ा खींच देता है जैसे ही उसकी नजर घुड़वती कि जांघो के बीच पड़ती है उसके होश उड़ जाते है, मुँह खुला रह जाता है, आंखे और लंड फटने को बेकरार हो जाते है.
आअह्ह्हह्म..... मुँह से हैरानी भरी सिसकारी निकल जाती है.
घुड़वती कि जांघो के बीच चुत के नाम पे सिर्फ एक लकीर थी, कोई बाल नहीं एक दम गोरी चिकनी चुत.
महीन दरार से पानी रिस रहा था जो सीधा गांड के छेद से चुता हुआ बहते पानी मे टपक रहा था, ये कामरस का झरना था इस झरने को देखने का नसीब ही नागकुमार को मिला था...
नागकुमार स्तंभ खड़ा चुत रुपी झरने को देख रहा था
दूसरी तरफ झड़ी ने छुपा शख्स " ये तो अपने नागकुमार है, ये साथ मे लड़की कौन है? विष रूप कि तो नहीं लगती? इसकी मादक गंध से तो किसी के भी होश उड़ जायेंगे.
ये सिर्फ हमारे मालिक के बिस्तर कि शोभा बढ़ाने लायक है "
"मालिक को बताना होगा " ऐसा सोच वो शख्स विषरूप कि और सरसरा जाता है.
सभी बातों से बेखबर नागकुमार का हाथ घुड़वती कि चुत के पास पहुंच चूका था, वो धीरे से अपनी एक ऊँगली चुत से निकलते शहद मे डूबा के अपनी नाक के पास ले आता है.
शनिफ्फ्फ्फफ्फ्फ़.... आअह्ह्ह.... क्या मादक गंध है.
उसके दिमाग़ सुन्न पड़ जाता है, उत्तेजना सर चढ़ जाती है धीरे से अपनी लम्बी जबान निकल के ऊँगली पे रख देता है, जैसे ही स्वाद चखता है घन घना जाता है
उसका धैर्य जवाब देने लगा था, ऐसा मादक स्वाद उसके रोम रोम को हिला रहा था.
जैसे कोई शराबी को थोडी शराब चख के तो पूरी बॉटल ही मुँह को लगा देता है ऐसी ही इच्छा जन्म ले चुकी थी नागकुमार के दिल मे.
वो अपने घुटने के बल झुकता चला जाता है, उसे सिर्फ वो पतली लकीर दिख रही थी जहाँ से मादक नशीला शहद टपक रहा था,
उसकी नाक ठीक घुड़वती कि चिकनी चुत के ऊपर थी इस बार जोर से सांस खिंचता है ये मादक गंध शरीर के हर रोये तक पहुंच चुकी थी... उस से रहा नहीं जाता वो अपनी लापलापति लम्बी जीभ घुड़वती कि चुत पे रख देता है.....
आनंदसागर मे डूबी घुड़वती इस हमले से सिहर उठती है, आग उगलती चुत पे जीभ कि ठंडक पड़ते है घुड़वती तड़प के आंखे खोल देती है कोहनी के बढ़ उठ जाती है.
आअह्ह्ह..... नागकुमार क्या कर रहे है आप?
नागकुमार कुछ नहीं बोलता बस वो कही खो गया था, उसकी जबान चुत कि लकीर पे कभी ऊपर तो कभी नीचे को चल रही थी.
आअह्ह्ह..... घुड़वती कि सिसकारिया फिर से निकलने लगती है.
उसका बदन उत्तेजना के मारे तड़प रहा था, दोनों हाथ से नागकुमार का सर पकड़ के चुत पे दबाने लगती है, जैसे अंदर ही घुसा देगी... नागकुमार लपा लप मलाईदार चुत चाट रहा था कभी गांड के छेद से चुत के दाने तक चाटता तो कभी चुत के दाने से गांड के छेद तक चाटता,
दोनों ही जिस्म सम्भोग कला सिख़ रहे थे, कामसुःख के नये द्वारा खोल रहे थे.
कामकला कोई सिखाता नहीं है वो तो बस स्वतः आ जाती है.
नाग कुमार को चाटने और घुड़वती को चाटवाने मे मजा आ रहा था.
नागकुमार चुत चाटते चाटते पत्थर के ऊपर आ कर अपना लिंग घुड़वती के मुँह कि तरफ कर देता है.
अब नागकुमार का मुँह घुड़वती कि चुत मे और लंड घुड़वती के मुँह पे दस्तक दे रहा था.
आखिर उसे भी चुसाई चटाई का सुख चाहिए था, ये कला खुद से ही विकसित हो गई जहाँ दोनों रखा साथ मजा ले सके.
घुड़वती अचानक इस बदलाव से चौकती है आंखे खोल देखती है तो एक गोरा खूबसूरत लंड बिल्कुल नाक के पास झटक रहा है.
घुड़वती लम्बी सांस खींचती है... आअह्ह्ह शिफ्फ्फ्फफ्फ्फ़..... लिंग कि गंध साँसो मे उतरती चली जाती है नाक से होती चुत तक एक लहर दौड़ उठती है जिसे चुत चाटता नागकुमार महसूस करता है,
घुड़वती कि चुत एक पल को खुलती है फिर बंद हो जाती है जैसे तड़प रही हो कुछ मांग रही हो.
लेकिन क्या मांग रही है दोनों को ही नहीं पता था.... बस जो हो रहा था सौ हो रहा था.
घुड़वती अपनी जीभ निकाल के लिंग के छीद्र पे रख देती है एक अजीब स्वाद से मुँह भर जाता है, स्तन पेट काँपने लगते है.
स्वाद ऐसा मदहोश कर देने वाला था कि उस से रहा नहीं जाता वो अपना छोटा सा मुँह खोले लिंग को अंदर लेने कि पुरजोर कोशिश करती है.. नीचे होती चुत चुसाई उसे ऐसा करने को प्रेरित कर रही थी.
मुँह मे लिंग जाने से नागकुमार के टट्टे सिकुड़ने लगते है, ये अजीब था ये अहसास वो था जिसका कोई जवाब नहीं किसका कोई शब्द नहीं होता.
दुगने जोश मे आ केदांतो से पकड़ पकड़ के चुत को काटने लगता है.
आअह्ह्ह..... नागकुमार ऐसा बोल घुड़वती भी लंड को मुँह मे भर लेती है.
अब जो हो रहा था सब काम कला का हिस्सा था, वो खजाना था जो इन दोनों जवान जिस्म ने मिल के खोजा था.
अब इस खजाने का लुत्फ़ एकसाथ उठा रहे थे.
चुत चाटे जाने से पच पच.... फुचक कि आवाज़ और लंड चूसे जाने से गुलुप गुलुप पीच... पूछ... का मधुर संगीत गूंज रहा था.
जैसे कोई दो महान संगीत कार जुगलबंदी कर रहे हो हारना कोई नहीं चाहता था.
नागकुमार उत्तेजना मे अपनी कमर को हिलाने लगता है जिस कारण लिंग सीधा घुड़वती के गाके तक जा के वापस आ रहा था, थूक निकल निकल के पुरे मुँह को भिगो चूका था.
नीचे चुत छप छप कर रही थी सारा रस नागकुमार गटके जा रहा था.
थूक और काम रस से चुत चमक रही थी.
परन्तु कब तक दो नये जवान जिस्म इस आग को संभाल पाते....
घुड़वती अपनी गांड उठा उठा के नागकुमार के मुँह पे मारने लगी... नागकुमार अपने लंड को जितना हो सकता था उतना घुड़वती कि मुँह मे पेले जा रहा था..
सिसकारिया रुकने का नाम नहीं ले रही थी. उत्तेजना मदकता दोनों के सर पे हावी थी,
बस कभी भी हवस से लठपथ जवानी फटने को थी.
तभी घुड़वती वापस से छल छला उठी.... आअह्ह्ह.....
जोरदार सफ़ेद पानी का फव्वारा छटा और नागकुमार के मुँह मे समा गया.
नागकुमार भी कामरस का स्वाद पा के काबू ना कर सका वो भी भल भला के फट पड़ा.
आअह्ह्ह..... करता एक के बाद एक पिचकारी छोड़ता चला गया, घुड़वती जो स्सखालन होने से निढाल थी उसके मुँह मे गर्म लावा फट गया था, गरम कसैला मादक स्वाद पा के उसकी चुत से एक जोरदार फव्वारा फिर निकला.
आअह्ह्ह..... नागकुमार.
दोनों ही परम आनंद कि गहराई मे खोये हुए थे.
घुड़वती और नाग कुमार का मुँह एक दूसरे के वीर्य से भीगा पड़ा था.
घुड़वती बचे खुचे वीर्य को जीभ से पोंछ पोंछ के चाट रही थी, ये स्वाद अद्भुत था, ये पल खोना नहीं चाहती थी.
आखिर उसके जीवन मे पहली बार मर्दाना वीर्य चख रही थी.
कुछ गाल होंठ पे ही रह गया था कुछ गले से नीचे उतार चूका था.
दोनों ही अपने जीवन के अनमोल खजाने को पा चुके थे..
दोनों पता नहीं कितने वक़्त को यु ही एक दूसरे को घूरते रहे...
तभी शाम हो चली घुड़वती को होश आता है कि वो सुबह से ही घर से निकली है.
वो जल्द ही उठती है . नाग कुमार कि और वीर्य भरे चेहरे से देखती है और अपने अर्ध घुड़ रूप मे दौड़ पड़ती है...
नागकुमार :- कल मै यही इंतज़ार करूंगा सुंदरी.... आना जरूर.
घुड़वती पीछे पलट के देखती है उसके चेहरे पे एक कामुक मुस्कान थी,हाथ उठा अलविदा कह चल देती है
और दौड़ पड़ती है. तिगड... तिगाड़ टप टप टप....
पीछे रह जाते है सिर्फ उड़ती धूल... और नागकुमार अपने मुरझाये लंड के साथ.
"हे नाग देव क्या घोड़ी थी "
नागकुमार भी विषरूप कि ओर चल पड़ता है.
नागकुमार से पहले ही कोई शख्स विष रूप पहुंच चूका था.
शख्स :- हे नाजराजा सर्पटा, मै सही कह रहा हूँ मैंने अपनी आँखों से देखा है क्या सुंदरी थी वो, ऐसा सौंदर्य कि अपने कभी जीवन मे नहीं देखा.
सर्पटा :- ऐसे कैसी हो सकता है गुप्तनाग?
हमने तो राज्य कि हर औरत लड़की को भोगा है तो फिर ये कौन आ गई?
गुप्त नाग :-वो स्त्री अपने राज्य कि है भी नहीं मालिक अपितु वो स्त्री ही नहीं है वो तो घोड़ी है, जवान कमसिन घोड़ी
घुड़पुर कि राजकुमारी घुड़वती.वो आँखों देखा विवरण सर्पटा को सुना देता है.
सर्पटा :- आह्हः.... गुप्त नाग तुम्हारी बातो से तोमेरा लंड अंगड़ाई लेने लगा, हमारे बेटे नागकुमार के मुँह पे वो चुत मसल रही थी, वाह मतलब चुदासी घोड़ी है.
गुप्त नाग :- हाँ मालिक नई नई जवानी निकली है तो उफान मार रही है, यही मौका है.
बोल के खिसयानी हसीं हस देता है.
सर्पटा :- hmmmm... तुम्हारी बात मानते है गुप्त नाग, यदि तुम्हारी बात झूठ निकली तो जानते हो ना सजा ऐसी मौत दूंगा कि पूरा राज्य याद रखेगा
गुप्त नाग :- खबर पक्की है मालिक, कल आप स्वयं चल कर देख लीजिएगा और यदि मैं सही हुआ तो?
सर्पटा :- गर तुम सही तो मर्ज़ी तुम्हारी मुँह माँगा ले लेना.
तो मालिक कल चलने के लिए तैयार रहिएगा.
प्लान बन चूका था घुड़वती पे संकट मंडराने लगा था.
परन्तु इन सब से अनजान घुड़वती घुड़पुर पहुंच चुकी थी आज वो अपने आपे मे नहीं थी.
बिस्तर पे लेटी आज दिन भर कि घटना ही उसकी आँखों के सामने दौड़ रही थी उसकी चुत अभी भी पानी छोड़ रही थी, मुँह मे नागकुमार के वीर्य का स्वाद अभी भी महसूस हो रहा था.
आंखे बंद किये वो आने वाले कल के बारे मे सोच रही थी. मुझे जाना चाहिए? लेकिन हम क्यों जाये? वो नागकुमार हमारा है कौन?सवाल का जवाब उसका सुलगता बदन दे रहा था
घुड़वती तेरी ये आग का क्या? देख तेरी चुत कैसे उसकी याद मे अंशु बहाँ रही है.
तेरा ये जवान जिस्म यहाँ महल मे धूल खा रहा है, अपना जीवन जी अपने जिस्म से खेल उसे उचाईया छूने दे.
"क्या ये सही है?"
सही गलत कुछ नहीं होता घुड़वती, यही तो अच्छा लगता है तुझे देख खुद को तेरे ये गोल स्तन, उभरी गांड टपकती चुत क्या कहती है.
जा मजा ले अपने जिस्म का.
इसी उधेड़बुन मे उसे कब नींद आ जाती है पता ही नहीं चलाता.
विष रूप मे नागकुमार भी इसी आग मे तड़प रहा था.
क्या जवान घोड़ी थी वो, ऐसी स्त्री ऐसी मादक महक कभी नहीं महसूस कि मैंने.
यही स्त्री इस विष रूप कि रानी बनने लायक है.
नागकुमार तो घुड़वती को रानी बनाने के सपने संजोने लगा था.
वो भी इसी मीठे सपने मे सौ चूका था.
लेकिन नियति को ये सब मंजूर नहीं था.
क्या होगा घुड़वती का?
क्या यही से दुश्मनी कि शुरुआत हुई थी नाग ओर घोड़ो के बीच?
बने रहिये कथा जारी है
चैप्टर -2, कामवती का पुनः जन्म अपडेट -24
घुड़वती जिंदगी के पहले चरम सुख को महसूस कर रही थी,
निचला वस्त्र पूर्णत्या गिला हो चूका था, सांसे धोकनी कि तरह चल रही थी.
नागकुमार साँसो के साथ उठते गिरते स्तन को देख रहा था, ये नजारा उसके लंड को फाड़ने को बेकरारा था.
घुड़वती कपड़े के ऊपर से ही अपनी चुत को दबोच हांफ रही रही, पानी का फव्वारा लगातार निकल रहा था.
उसका बदन झटके खा रहा था.... आंखे उलट चुकी थी.
नागकुमार के हाथ घुड़वती के निचले वस्त्र तक पहुंच जाये है, उसे देखना था कि ये मादक गंध कहाँ से आ रही है...
इसी मादक गंध मे खींचता हुआ कोई और भी झरने के नजदीक झाड़ियों तक पहुंच चूका था..... वो भी मदहोश था ऐसी सुन्दर काया को देख के.
नागकुमार धीरे से पकड़ के कपडे को हटा देता है, घुड़वती कोई विरोध नहीं करती अपितु उसने दम ही नहीं था कि वो कुछ करती या बोलती वो बस आंखे बंद किये किसी अनजानी दुनिया मे थी.
नागकुमार कपड़ा खींच देता है जैसे ही उसकी नजर घुड़वती कि जांघो के बीच पड़ती है उसके होश उड़ जाते है, मुँह खुला रह जाता है, आंखे और लंड फटने को बेकरार हो जाते है.
आअह्ह्हह्म..... मुँह से हैरानी भरी सिसकारी निकल जाती है.
घुड़वती कि जांघो के बीच चुत के नाम पे सिर्फ एक लकीर थी, कोई बाल नहीं एक दम गोरी चिकनी चुत.
महीन दरार से पानी रिस रहा था जो सीधा गांड के छेद से चुता हुआ बहते पानी मे टपक रहा था, ये कामरस का झरना था इस झरने को देखने का नसीब ही नागकुमार को मिला था...
नागकुमार स्तंभ खड़ा चुत रुपी झरने को देख रहा था
दूसरी तरफ झड़ी ने छुपा शख्स " ये तो अपने नागकुमार है, ये साथ मे लड़की कौन है? विष रूप कि तो नहीं लगती? इसकी मादक गंध से तो किसी के भी होश उड़ जायेंगे.
ये सिर्फ हमारे मालिक के बिस्तर कि शोभा बढ़ाने लायक है "
"मालिक को बताना होगा " ऐसा सोच वो शख्स विषरूप कि और सरसरा जाता है.
सभी बातों से बेखबर नागकुमार का हाथ घुड़वती कि चुत के पास पहुंच चूका था, वो धीरे से अपनी एक ऊँगली चुत से निकलते शहद मे डूबा के अपनी नाक के पास ले आता है.
शनिफ्फ्फ्फफ्फ्फ़.... आअह्ह्ह.... क्या मादक गंध है.
उसके दिमाग़ सुन्न पड़ जाता है, उत्तेजना सर चढ़ जाती है धीरे से अपनी लम्बी जबान निकल के ऊँगली पे रख देता है, जैसे ही स्वाद चखता है घन घना जाता है
उसका धैर्य जवाब देने लगा था, ऐसा मादक स्वाद उसके रोम रोम को हिला रहा था.
जैसे कोई शराबी को थोडी शराब चख के तो पूरी बॉटल ही मुँह को लगा देता है ऐसी ही इच्छा जन्म ले चुकी थी नागकुमार के दिल मे.
वो अपने घुटने के बल झुकता चला जाता है, उसे सिर्फ वो पतली लकीर दिख रही थी जहाँ से मादक नशीला शहद टपक रहा था,
उसकी नाक ठीक घुड़वती कि चिकनी चुत के ऊपर थी इस बार जोर से सांस खिंचता है ये मादक गंध शरीर के हर रोये तक पहुंच चुकी थी... उस से रहा नहीं जाता वो अपनी लापलापति लम्बी जीभ घुड़वती कि चुत पे रख देता है.....
आनंदसागर मे डूबी घुड़वती इस हमले से सिहर उठती है, आग उगलती चुत पे जीभ कि ठंडक पड़ते है घुड़वती तड़प के आंखे खोल देती है कोहनी के बढ़ उठ जाती है.
आअह्ह्ह..... नागकुमार क्या कर रहे है आप?
नागकुमार कुछ नहीं बोलता बस वो कही खो गया था, उसकी जबान चुत कि लकीर पे कभी ऊपर तो कभी नीचे को चल रही थी.
आअह्ह्ह..... घुड़वती कि सिसकारिया फिर से निकलने लगती है.
उसका बदन उत्तेजना के मारे तड़प रहा था, दोनों हाथ से नागकुमार का सर पकड़ के चुत पे दबाने लगती है, जैसे अंदर ही घुसा देगी... नागकुमार लपा लप मलाईदार चुत चाट रहा था कभी गांड के छेद से चुत के दाने तक चाटता तो कभी चुत के दाने से गांड के छेद तक चाटता,
दोनों ही जिस्म सम्भोग कला सिख़ रहे थे, कामसुःख के नये द्वारा खोल रहे थे.
कामकला कोई सिखाता नहीं है वो तो बस स्वतः आ जाती है.
नाग कुमार को चाटने और घुड़वती को चाटवाने मे मजा आ रहा था.
नागकुमार चुत चाटते चाटते पत्थर के ऊपर आ कर अपना लिंग घुड़वती के मुँह कि तरफ कर देता है.
अब नागकुमार का मुँह घुड़वती कि चुत मे और लंड घुड़वती के मुँह पे दस्तक दे रहा था.
आखिर उसे भी चुसाई चटाई का सुख चाहिए था, ये कला खुद से ही विकसित हो गई जहाँ दोनों रखा साथ मजा ले सके.
घुड़वती अचानक इस बदलाव से चौकती है आंखे खोल देखती है तो एक गोरा खूबसूरत लंड बिल्कुल नाक के पास झटक रहा है.
घुड़वती लम्बी सांस खींचती है... आअह्ह्ह शिफ्फ्फ्फफ्फ्फ़..... लिंग कि गंध साँसो मे उतरती चली जाती है नाक से होती चुत तक एक लहर दौड़ उठती है जिसे चुत चाटता नागकुमार महसूस करता है,
घुड़वती कि चुत एक पल को खुलती है फिर बंद हो जाती है जैसे तड़प रही हो कुछ मांग रही हो.
लेकिन क्या मांग रही है दोनों को ही नहीं पता था.... बस जो हो रहा था सौ हो रहा था.
घुड़वती अपनी जीभ निकाल के लिंग के छीद्र पे रख देती है एक अजीब स्वाद से मुँह भर जाता है, स्तन पेट काँपने लगते है.
स्वाद ऐसा मदहोश कर देने वाला था कि उस से रहा नहीं जाता वो अपना छोटा सा मुँह खोले लिंग को अंदर लेने कि पुरजोर कोशिश करती है.. नीचे होती चुत चुसाई उसे ऐसा करने को प्रेरित कर रही थी.
मुँह मे लिंग जाने से नागकुमार के टट्टे सिकुड़ने लगते है, ये अजीब था ये अहसास वो था जिसका कोई जवाब नहीं किसका कोई शब्द नहीं होता.
दुगने जोश मे आ केदांतो से पकड़ पकड़ के चुत को काटने लगता है.
आअह्ह्ह..... नागकुमार ऐसा बोल घुड़वती भी लंड को मुँह मे भर लेती है.
अब जो हो रहा था सब काम कला का हिस्सा था, वो खजाना था जो इन दोनों जवान जिस्म ने मिल के खोजा था.
अब इस खजाने का लुत्फ़ एकसाथ उठा रहे थे.
चुत चाटे जाने से पच पच.... फुचक कि आवाज़ और लंड चूसे जाने से गुलुप गुलुप पीच... पूछ... का मधुर संगीत गूंज रहा था.
जैसे कोई दो महान संगीत कार जुगलबंदी कर रहे हो हारना कोई नहीं चाहता था.
नागकुमार उत्तेजना मे अपनी कमर को हिलाने लगता है जिस कारण लिंग सीधा घुड़वती के गाके तक जा के वापस आ रहा था, थूक निकल निकल के पुरे मुँह को भिगो चूका था.
नीचे चुत छप छप कर रही थी सारा रस नागकुमार गटके जा रहा था.
थूक और काम रस से चुत चमक रही थी.
परन्तु कब तक दो नये जवान जिस्म इस आग को संभाल पाते....
घुड़वती अपनी गांड उठा उठा के नागकुमार के मुँह पे मारने लगी... नागकुमार अपने लंड को जितना हो सकता था उतना घुड़वती कि मुँह मे पेले जा रहा था..
सिसकारिया रुकने का नाम नहीं ले रही थी. उत्तेजना मदकता दोनों के सर पे हावी थी,
बस कभी भी हवस से लठपथ जवानी फटने को थी.
तभी घुड़वती वापस से छल छला उठी.... आअह्ह्ह.....
जोरदार सफ़ेद पानी का फव्वारा छटा और नागकुमार के मुँह मे समा गया.
नागकुमार भी कामरस का स्वाद पा के काबू ना कर सका वो भी भल भला के फट पड़ा.
आअह्ह्ह..... करता एक के बाद एक पिचकारी छोड़ता चला गया, घुड़वती जो स्सखालन होने से निढाल थी उसके मुँह मे गर्म लावा फट गया था, गरम कसैला मादक स्वाद पा के उसकी चुत से एक जोरदार फव्वारा फिर निकला.
आअह्ह्ह..... नागकुमार.
दोनों ही परम आनंद कि गहराई मे खोये हुए थे.
घुड़वती और नाग कुमार का मुँह एक दूसरे के वीर्य से भीगा पड़ा था.
घुड़वती बचे खुचे वीर्य को जीभ से पोंछ पोंछ के चाट रही थी, ये स्वाद अद्भुत था, ये पल खोना नहीं चाहती थी.
आखिर उसके जीवन मे पहली बार मर्दाना वीर्य चख रही थी.
कुछ गाल होंठ पे ही रह गया था कुछ गले से नीचे उतार चूका था.
दोनों ही अपने जीवन के अनमोल खजाने को पा चुके थे..
दोनों पता नहीं कितने वक़्त को यु ही एक दूसरे को घूरते रहे...
तभी शाम हो चली घुड़वती को होश आता है कि वो सुबह से ही घर से निकली है.
वो जल्द ही उठती है . नाग कुमार कि और वीर्य भरे चेहरे से देखती है और अपने अर्ध घुड़ रूप मे दौड़ पड़ती है...
नागकुमार :- कल मै यही इंतज़ार करूंगा सुंदरी.... आना जरूर.
घुड़वती पीछे पलट के देखती है उसके चेहरे पे एक कामुक मुस्कान थी,हाथ उठा अलविदा कह चल देती है
और दौड़ पड़ती है. तिगड... तिगाड़ टप टप टप....
पीछे रह जाते है सिर्फ उड़ती धूल... और नागकुमार अपने मुरझाये लंड के साथ.
"हे नाग देव क्या घोड़ी थी "
नागकुमार भी विषरूप कि ओर चल पड़ता है.
नागकुमार से पहले ही कोई शख्स विष रूप पहुंच चूका था.
शख्स :- हे नाजराजा सर्पटा, मै सही कह रहा हूँ मैंने अपनी आँखों से देखा है क्या सुंदरी थी वो, ऐसा सौंदर्य कि अपने कभी जीवन मे नहीं देखा.
सर्पटा :- ऐसे कैसी हो सकता है गुप्तनाग?
हमने तो राज्य कि हर औरत लड़की को भोगा है तो फिर ये कौन आ गई?
गुप्त नाग :-वो स्त्री अपने राज्य कि है भी नहीं मालिक अपितु वो स्त्री ही नहीं है वो तो घोड़ी है, जवान कमसिन घोड़ी
घुड़पुर कि राजकुमारी घुड़वती.वो आँखों देखा विवरण सर्पटा को सुना देता है.
सर्पटा :- आह्हः.... गुप्त नाग तुम्हारी बातो से तोमेरा लंड अंगड़ाई लेने लगा, हमारे बेटे नागकुमार के मुँह पे वो चुत मसल रही थी, वाह मतलब चुदासी घोड़ी है.
गुप्त नाग :- हाँ मालिक नई नई जवानी निकली है तो उफान मार रही है, यही मौका है.
बोल के खिसयानी हसीं हस देता है.
सर्पटा :- hmmmm... तुम्हारी बात मानते है गुप्त नाग, यदि तुम्हारी बात झूठ निकली तो जानते हो ना सजा ऐसी मौत दूंगा कि पूरा राज्य याद रखेगा
गुप्त नाग :- खबर पक्की है मालिक, कल आप स्वयं चल कर देख लीजिएगा और यदि मैं सही हुआ तो?
सर्पटा :- गर तुम सही तो मर्ज़ी तुम्हारी मुँह माँगा ले लेना.
तो मालिक कल चलने के लिए तैयार रहिएगा.
प्लान बन चूका था घुड़वती पे संकट मंडराने लगा था.
परन्तु इन सब से अनजान घुड़वती घुड़पुर पहुंच चुकी थी आज वो अपने आपे मे नहीं थी.
बिस्तर पे लेटी आज दिन भर कि घटना ही उसकी आँखों के सामने दौड़ रही थी उसकी चुत अभी भी पानी छोड़ रही थी, मुँह मे नागकुमार के वीर्य का स्वाद अभी भी महसूस हो रहा था.
आंखे बंद किये वो आने वाले कल के बारे मे सोच रही थी. मुझे जाना चाहिए? लेकिन हम क्यों जाये? वो नागकुमार हमारा है कौन?सवाल का जवाब उसका सुलगता बदन दे रहा था
घुड़वती तेरी ये आग का क्या? देख तेरी चुत कैसे उसकी याद मे अंशु बहाँ रही है.
तेरा ये जवान जिस्म यहाँ महल मे धूल खा रहा है, अपना जीवन जी अपने जिस्म से खेल उसे उचाईया छूने दे.
"क्या ये सही है?"
सही गलत कुछ नहीं होता घुड़वती, यही तो अच्छा लगता है तुझे देख खुद को तेरे ये गोल स्तन, उभरी गांड टपकती चुत क्या कहती है.
जा मजा ले अपने जिस्म का.
इसी उधेड़बुन मे उसे कब नींद आ जाती है पता ही नहीं चलाता.
विष रूप मे नागकुमार भी इसी आग मे तड़प रहा था.
क्या जवान घोड़ी थी वो, ऐसी स्त्री ऐसी मादक महक कभी नहीं महसूस कि मैंने.
यही स्त्री इस विष रूप कि रानी बनने लायक है.
नागकुमार तो घुड़वती को रानी बनाने के सपने संजोने लगा था.
वो भी इसी मीठे सपने मे सौ चूका था.
लेकिन नियति को ये सब मंजूर नहीं था.
क्या होगा घुड़वती का?
क्या यही से दुश्मनी कि शुरुआत हुई थी नाग ओर घोड़ो के बीच?
बने रहिये कथा जारी है