चैप्टर -2 नागवंश और घुड़वंश कि दुश्मनी, अपडेट -26
सुप्तनाग का हाँथ घुड़वती के मखमली बड़े स्तन पे था वो उस से खेल रहा था, ऐसा शानदार अहसास पा के सुप्तनाग के होश उड़े हुए थे, स्तन साहलाने मे वो मग्न था..
स्तन सहलाये जाने से घुड़वती भी पिघल रही थी परन्तु मन मजबूत किये सहमी हुई पड़ी थी वो भी गरम हो रही है दिखाना नहीं चाहती थी. परन्तु सर्पटा हज़ारो स्त्रियों को चोद चूका था वो औरत के रग रग से वाकिफ था.
घुड़वती को गरम होता देख उसकी बांन्छे खिल रही थी.
घुड़वती अभी भी विरोध कर रही थी हालांकि बदन पिघल रहा था, गुप्तनाग भी अब तक दूसरे स्तन को पकड़ चूका था घुड़वती का एक हाथ गुप्तनाग के पैर के नीचे दबा हुआ था, और एक बात बची खुची इज़्ज़त बचा रहा था जो गोरी चुत पे टिका हुआ था.
घुड़वती :- देखो तुम लोग जो भी हो छोड़ दो मुझे, नागकुमार को मालूम पड़ा तो वो तुम्हे छोड़ेगा नहीं. आवाज़ मे एक कम्पन था अब ye कम्पन हवस का था या घबराहट का कह नहीं सकते.
सर्पटा :- फूंकारता है... मै हूँ नाग वंश विष रूप का राजा सर्पटा, नागकुमार मेरा ही बड़ा बेटा है
विष रूप का होने वाला राजा उसने ही मुझे तेरे पास भेजा है,
अपने पिता को तोहफा दिया है उसने "तेरा शिकार "
हाहाहाहाहा...
भयानक हसीं से वातावरण गूंज उठता है, सर्पटा बड़ी सफाई से अपनी चाल खेल गया था.
घुड़वती ये सुनते ही ढीली पड़ गई, उसकी रही सही हिम्मत भी जवाब दे गई.
वो जिस से मिलने आई थी उसी ने उसका सौदा कर दिया "मै तो मन ही मन नागकुमार को चाहने लगी थी "
नहीं नहीं... ये झूठ है ऐसा नहीं हो सकता कहाँ नागकुमार सुन्दर कोमल गोरा और ये सर्पटा काला भयानक राक्षस जैसा.
फिर फिर ... नागकुमार क्यों नहीं आया? और इस जगह का सर्पटा को कैसे मालूम?
सर्पटा को कैसे मालूम कि मै मिलने आउंगी.
मतलब सर्पटा सही बोल रहा है.
अब घुड़वती फस चुकी थी उसे सर्पटा कि बात पे यकीन हो चला था
उसके आँखों से अंशु धारा फुट पड़ी थी.. अब ना हवस थी ना कोई उमग ना ही प्यास
सिर्फ पछतावा, दुख और आँसू रह गये थे.
सर्पटा घुड़वती कि हालात देख के ख़ुश था उसने घुड़वती कि हिम्मत तोड़ दि थी
अब मंजिल दूर नहीं थी उसके मन से नागकुमार हट चूका था अब जगानी थी सिर्फ हवस... शुद्ध हवस.
गुप्तनाग बहते हुए आँसू को अपनी जीभ से चाट लेता है, बेचारी भोली घुड़वती को बहुत अच्छा लगता है उसके दिल को जैसे मरहम लगा हो ये कुछ नया था
गुप्तनाग कि जीभ लगातार आँसू चाट रही थी कभी गाल पे कभी नाक पे तो कभी हलके से गुलाबी सुर्ख होंठ को छू जाती, इस छुवन से घुड़वती मचल जाती है,
उसके होंठ पे गीली जीभ और खुद के आँसू का नमकीन स्वाद मजा दे रहा था.
लेकिन वो ये दिखाना नहीं चाहती थी उसके आँसू बंद हो चुके थे ऊपर से लगातर होते स्तन मर्दन से उसके बदन मे झुरझुरी दौड़ने लगी थी उसके स्तन से निकलता करंट सीधा नाभी पे जा रहा था उसकी नाभी फूल रही थी
सांसे जोर जोर से चलने लगी थी वो अपना मुँह भींचे लेती हुई थी.
गुप्तनाग लगातार उसके होंठो को छेड रहा था घुड़वती हलके से अपनी जीभ बाहर निकलती है उतने मे ही गुप्तनाग अपने होंठ पीछे खींच लेता है.
नीचे सुप्तनाग अपनी जीभ घुड़वती के स्तन पे नीचे कि तरफ ले जा के चाटता हुआ ऊपर के और ले जाता है,
आआआह्हः.... गीली चिपचिपी जीभ के स्पर्श से ही घुड़वती सिहर उठती है, नया कामुक बदन को और क्या चाहिए था उसकी उमंग इस एक छुवन से ही वापस लौटने लगी..
उसे और चाहिए था यही अहसास... उसके ना चाहते हुए भी साँसो के साथ उसके स्तन ऊपर को हो जाते है और सर पीछे को झुक जाता है जैसे स्तन खुद कि मन मर्जी चला रहे हो
सुप्तनाग स्थति को भापता हुआ एक बार फिर अपनी चिपचिपी जबान से ऊपर से नीचेचाट लेता है.
3-4 बार ऐसा करने से घुड़वती के निप्पल बाहर को निकाल जाते है जो किजीभ चलाने से टकरा रहे थे, निप्पल पे गिला खुर्दरा अहसास अलग ही कहर ढा रहा था, उसका मन करता है कि निप्पल को पकड़ के नोच ले परन्तु एक हाथ चुत ढके हुए था तो दूसरा हाथ गुप्तेनाग के पैर के नीचे दबा था घुड़वटी बेबस थी.
सुप्तनाग धीरे से अपना मुँह खोल उसके बड़े से तीखे निप्पल को मुँह मे भर चुभलाने लगता है.
आअह्ह्ह.... कामुक सिसकारी निकाल जाती है घुड़वती के मुँह से अब वो भूल चुकी थी नागकुमार को उसपे हवस सवार होने लगी थी,
उसे यही तो चाहिए रहा यही तो करने आई थी.
फिर नाग कुमार के धोखे ने उसे आज़ाद कर दिया था, आजादी थी अपने बदन को जानने कि, आजादी थी काम क्रीड़ा का नया पाठ पड़ने कि.
अब गुप्तनाग भी नीचे उतार आया था उसने घुड़वती का हाथ आज़ाद कर दिया था परन्तु अब घुड़वती अपने हाथ से स्तन नहीं ढक रही थी वो ऐसे ही पड़ा था.
गुप्तनाग भी स्तन पे टूट पड़ता है, एक स्तन सुप्तनाग नोच रहा था तो दूसरा स्तन गुप्तनाग
दोनों ने स्तन चाट चाट के लाल कर दिए थे
दोनों ही प्यार से पेश आ रहे थे, लेकिन ये तो सिर्फ छलावा था प्यार से सम्भोग मे क्या मजा?
घुड़बती के स्तन चमक रहे थे, फुल के पहले से ज्यादा बड़े हो गये थे, उसकी चुत लगातार पानी छोड़ रही थी चुत का पानी हाथ को पूरी तरह भिगो चूका था,
घुड़वती इस कदरगरम हो चुकी थी कि वो अपना एक हाथ उठा के सुपटनाग के सर पे रख देती है और जोर से स्तन पे दबा देती है जैसे बोलना चाहती हो चुसो इसे खाओ.... नोच लो
स्तन ले दबाव बनाये घुड़वती लगातार सिसक रही थी, वो ऐसा नहीं करना चाहती थी परन्तु ये निगड़ा नया जवान जिस्म कहाँ साथ दे रहा था मुँह से निकलती हुंकार इसका सबूत थी, उसका सर पीछे को झुका हुआ था, स्तन हवा मे उठे हुए थे चुत अभी भी हाथ से ढकी हुई थी वो अभी भी अपनी चुत को बचा लेना चाहती थी, परन्तु कब तक?
दोनों सेवक स्तन को चाट चाट के गिला और चिपचपा कर चुके थे उनकी लार स्तन से टपकती हुई नीचे चट्टान पे गिर रही थी,
घुड़वती कमर उठाये मरे जा रही थी उसकी हालात ख़राब होने लगी थी लग रहा था जैसेझड़ जाएगी, उसकी चुत फव्वारा छोड़ देगी...
तभी अचानक दोनों हट जाते है.. सुनसान
घुड़वती झड़ने के बिल्कुल करीब थी लेकिन ये क्या हुआ ये हट क्यों गये..
वो अपनी आंखे खोलती है तो पाती है कि दोनों उसे देख मुस्कुरा रहे थे वो तीनो के सामने सिर्फ चुत पे हाथ रखे पूरी नंगीब्लेती हुई थी उसे स्सखालित होना था उसे ये उत्तेजना सहन नहीं हो रही थी
वो कैसे बोलती कि चुसो और चुसो बंद किया.. वो सवालिया नजरों से दोनों को देखती है.
सर्पटा :- क्या हुआ सुंदरी क्या चाहिए? ये चाहिए क्या?
वो इशारे से अपना लंड दिखता है जो कि घुड़वती के कामुक चूसे हुए स्तन को देख खड़ा हो चूका था एक दम काला मोटा ताकतवर लंड.
गुस्से से उबालती घुड़वती उस लंड को देखती ही रह जाती है, असर सीधा चुत पे हो रहा था, जाने क्या प्रभाव था सर्पटा के लंड का कि एक कुंवारी लड़की के चुत से पानी आने लगा था मात्र लंड देखने से.