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Adultery ठाकुर ज़ालिम और इच्छाधारी नाग

आपका सबसे पसंदीदा चरित्र कौनसा है?

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andypndy

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चैप्टर -2 नागवंश और घुड़वंश कि दुश्मनी, अपडेट -26

सुप्तनाग का हाँथ घुड़वती के मखमली बड़े स्तन पे था वो उस से खेल रहा था, ऐसा शानदार अहसास पा के सुप्तनाग के होश उड़े हुए थे, स्तन साहलाने मे वो मग्न था..
स्तन सहलाये जाने से घुड़वती भी पिघल रही थी परन्तु मन मजबूत किये सहमी हुई पड़ी थी वो भी गरम हो रही है दिखाना नहीं चाहती थी. परन्तु सर्पटा हज़ारो स्त्रियों को चोद चूका था वो औरत के रग रग से वाकिफ था.
घुड़वती को गरम होता देख उसकी बांन्छे खिल रही थी.
घुड़वती अभी भी विरोध कर रही थी हालांकि बदन पिघल रहा था, गुप्तनाग भी अब तक दूसरे स्तन को पकड़ चूका था घुड़वती का एक हाथ गुप्तनाग के पैर के नीचे दबा हुआ था, और एक बात बची खुची इज़्ज़त बचा रहा था जो गोरी चुत पे टिका हुआ था.
घुड़वती :- देखो तुम लोग जो भी हो छोड़ दो मुझे, नागकुमार को मालूम पड़ा तो वो तुम्हे छोड़ेगा नहीं. आवाज़ मे एक कम्पन था अब ye कम्पन हवस का था या घबराहट का कह नहीं सकते.
सर्पटा :- फूंकारता है... मै हूँ नाग वंश विष रूप का राजा सर्पटा, नागकुमार मेरा ही बड़ा बेटा है
विष रूप का होने वाला राजा उसने ही मुझे तेरे पास भेजा है,
अपने पिता को तोहफा दिया है उसने "तेरा शिकार "
हाहाहाहाहा...
भयानक हसीं से वातावरण गूंज उठता है, सर्पटा बड़ी सफाई से अपनी चाल खेल गया था.
घुड़वती ये सुनते ही ढीली पड़ गई, उसकी रही सही हिम्मत भी जवाब दे गई.
वो जिस से मिलने आई थी उसी ने उसका सौदा कर दिया "मै तो मन ही मन नागकुमार को चाहने लगी थी "
नहीं नहीं... ये झूठ है ऐसा नहीं हो सकता कहाँ नागकुमार सुन्दर कोमल गोरा और ये सर्पटा काला भयानक राक्षस जैसा.
फिर फिर ... नागकुमार क्यों नहीं आया? और इस जगह का सर्पटा को कैसे मालूम?
सर्पटा को कैसे मालूम कि मै मिलने आउंगी.
मतलब सर्पटा सही बोल रहा है.
अब घुड़वती फस चुकी थी उसे सर्पटा कि बात पे यकीन हो चला था
उसके आँखों से अंशु धारा फुट पड़ी थी.. अब ना हवस थी ना कोई उमग ना ही प्यास
सिर्फ पछतावा, दुख और आँसू रह गये थे.
सर्पटा घुड़वती कि हालात देख के ख़ुश था उसने घुड़वती कि हिम्मत तोड़ दि थी
अब मंजिल दूर नहीं थी उसके मन से नागकुमार हट चूका था अब जगानी थी सिर्फ हवस... शुद्ध हवस.

गुप्तनाग बहते हुए आँसू को अपनी जीभ से चाट लेता है, बेचारी भोली घुड़वती को बहुत अच्छा लगता है उसके दिल को जैसे मरहम लगा हो ये कुछ नया था
गुप्तनाग कि जीभ लगातार आँसू चाट रही थी कभी गाल पे कभी नाक पे तो कभी हलके से गुलाबी सुर्ख होंठ को छू जाती, इस छुवन से घुड़वती मचल जाती है,
उसके होंठ पे गीली जीभ और खुद के आँसू का नमकीन स्वाद मजा दे रहा था.
लेकिन वो ये दिखाना नहीं चाहती थी उसके आँसू बंद हो चुके थे ऊपर से लगातर होते स्तन मर्दन से उसके बदन मे झुरझुरी दौड़ने लगी थी उसके स्तन से निकलता करंट सीधा नाभी पे जा रहा था उसकी नाभी फूल रही थी
सांसे जोर जोर से चलने लगी थी वो अपना मुँह भींचे लेती हुई थी.
गुप्तनाग लगातार उसके होंठो को छेड रहा था घुड़वती हलके से अपनी जीभ बाहर निकलती है उतने मे ही गुप्तनाग अपने होंठ पीछे खींच लेता है.
नीचे सुप्तनाग अपनी जीभ घुड़वती के स्तन पे नीचे कि तरफ ले जा के चाटता हुआ ऊपर के और ले जाता है,
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आआआह्हः.... गीली चिपचिपी जीभ के स्पर्श से ही घुड़वती सिहर उठती है, नया कामुक बदन को और क्या चाहिए था उसकी उमंग इस एक छुवन से ही वापस लौटने लगी..
उसे और चाहिए था यही अहसास... उसके ना चाहते हुए भी साँसो के साथ उसके स्तन ऊपर को हो जाते है और सर पीछे को झुक जाता है जैसे स्तन खुद कि मन मर्जी चला रहे हो
सुप्तनाग स्थति को भापता हुआ एक बार फिर अपनी चिपचिपी जबान से ऊपर से नीचेचाट लेता है.
3-4 बार ऐसा करने से घुड़वती के निप्पल बाहर को निकाल जाते है जो किजीभ चलाने से टकरा रहे थे, निप्पल पे गिला खुर्दरा अहसास अलग ही कहर ढा रहा था, उसका मन करता है कि निप्पल को पकड़ के नोच ले परन्तु एक हाथ चुत ढके हुए था तो दूसरा हाथ गुप्तेनाग के पैर के नीचे दबा था घुड़वटी बेबस थी.
सुप्तनाग धीरे से अपना मुँह खोल उसके बड़े से तीखे निप्पल को मुँह मे भर चुभलाने लगता है.
आअह्ह्ह.... कामुक सिसकारी निकाल जाती है घुड़वती के मुँह से अब वो भूल चुकी थी नागकुमार को उसपे हवस सवार होने लगी थी,
उसे यही तो चाहिए रहा यही तो करने आई थी.
फिर नाग कुमार के धोखे ने उसे आज़ाद कर दिया था, आजादी थी अपने बदन को जानने कि, आजादी थी काम क्रीड़ा का नया पाठ पड़ने कि.
अब गुप्तनाग भी नीचे उतार आया था उसने घुड़वती का हाथ आज़ाद कर दिया था परन्तु अब घुड़वती अपने हाथ से स्तन नहीं ढक रही थी वो ऐसे ही पड़ा था.
गुप्तनाग भी स्तन पे टूट पड़ता है, एक स्तन सुप्तनाग नोच रहा था तो दूसरा स्तन गुप्तनाग
दोनों ने स्तन चाट चाट के लाल कर दिए थे
दोनों ही प्यार से पेश आ रहे थे, लेकिन ये तो सिर्फ छलावा था प्यार से सम्भोग मे क्या मजा?
घुड़बती के स्तन चमक रहे थे, फुल के पहले से ज्यादा बड़े हो गये थे, उसकी चुत लगातार पानी छोड़ रही थी चुत का पानी हाथ को पूरी तरह भिगो चूका था,
घुड़वती इस कदरगरम हो चुकी थी कि वो अपना एक हाथ उठा के सुपटनाग के सर पे रख देती है और जोर से स्तन पे दबा देती है जैसे बोलना चाहती हो चुसो इसे खाओ.... नोच लो

स्तन ले दबाव बनाये घुड़वती लगातार सिसक रही थी, वो ऐसा नहीं करना चाहती थी परन्तु ये निगड़ा नया जवान जिस्म कहाँ साथ दे रहा था मुँह से निकलती हुंकार इसका सबूत थी, उसका सर पीछे को झुका हुआ था, स्तन हवा मे उठे हुए थे चुत अभी भी हाथ से ढकी हुई थी वो अभी भी अपनी चुत को बचा लेना चाहती थी, परन्तु कब तक?
दोनों सेवक स्तन को चाट चाट के गिला और चिपचपा कर चुके थे उनकी लार स्तन से टपकती हुई नीचे चट्टान पे गिर रही थी,
घुड़वती कमर उठाये मरे जा रही थी उसकी हालात ख़राब होने लगी थी लग रहा था जैसेझड़ जाएगी, उसकी चुत फव्वारा छोड़ देगी...
तभी अचानक दोनों हट जाते है.. सुनसान
घुड़वती झड़ने के बिल्कुल करीब थी लेकिन ये क्या हुआ ये हट क्यों गये..
वो अपनी आंखे खोलती है तो पाती है कि दोनों उसे देख मुस्कुरा रहे थे वो तीनो के सामने सिर्फ चुत पे हाथ रखे पूरी नंगीब्लेती हुई थी उसे स्सखालित होना था उसे ये उत्तेजना सहन नहीं हो रही थी
वो कैसे बोलती कि चुसो और चुसो बंद किया.. वो सवालिया नजरों से दोनों को देखती है.
सर्पटा :- क्या हुआ सुंदरी क्या चाहिए? ये चाहिए क्या?
वो इशारे से अपना लंड दिखता है जो कि घुड़वती के कामुक चूसे हुए स्तन को देख खड़ा हो चूका था एक दम काला मोटा ताकतवर लंड.
images

गुस्से से उबालती घुड़वती उस लंड को देखती ही रह जाती है, असर सीधा चुत पे हो रहा था, जाने क्या प्रभाव था सर्पटा के लंड का कि एक कुंवारी लड़की के चुत से पानी आने लगा था मात्र लंड देखने से.
 

Raj_sharma

परिवर्तनमेव स्थिरमस्ति ||❣️
Supreme
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Gajab ke or lajabaan update The teeno.
Maza aagaya bhai. Ati kamuk.
 

Nevil singh

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चैप्टर -2 नागवंश और घुड़वंश कि दुश्मनी, अपडेट -26

सुप्तनाग का हाँथ घुड़वती के मखमली बड़े स्तन पे था वो उस से खेल रहा था, ऐसा शानदार अहसास पा के सुप्तनाग के होश उड़े हुए थे, स्तन साहलाने मे वो मग्न था..
स्तन सहलाये जाने से घुड़वती भी पिघल रही थी परन्तु मन मजबूत किये सहमी हुई पड़ी थी वो भी गरम हो रही है दिखाना नहीं चाहती थी. परन्तु सर्पटा हज़ारो स्त्रियों को चोद चूका था वो औरत के रग रग से वाकिफ था.
घुड़वती को गरम होता देख उसकी बांन्छे खिल रही थी.
घुड़वती अभी भी विरोध कर रही थी हालांकि बदन पिघल रहा था, गुप्तनाग भी अब तक दूसरे स्तन को पकड़ चूका था घुड़वती का एक हाथ गुप्तनाग के पैर के नीचे दबा हुआ था, और एक बात बची खुची इज़्ज़त बचा रहा था जो गोरी चुत पे टिका हुआ था.
घुड़वती :- देखो तुम लोग जो भी हो छोड़ दो मुझे, नागकुमार को मालूम पड़ा तो वो तुम्हे छोड़ेगा नहीं. आवाज़ मे एक कम्पन था अब ye कम्पन हवस का था या घबराहट का कह नहीं सकते.
सर्पटा :- फूंकारता है... मै हूँ नाग वंश विष रूप का राजा सर्पटा, नागकुमार मेरा ही बड़ा बेटा है
विष रूप का होने वाला राजा उसने ही मुझे तेरे पास भेजा है,
अपने पिता को तोहफा दिया है उसने "तेरा शिकार "
हाहाहाहाहा...
भयानक हसीं से वातावरण गूंज उठता है, सर्पटा बड़ी सफाई से अपनी चाल खेल गया था.
घुड़वती ये सुनते ही ढीली पड़ गई, उसकी रही सही हिम्मत भी जवाब दे गई.
वो जिस से मिलने आई थी उसी ने उसका सौदा कर दिया "मै तो मन ही मन नागकुमार को चाहने लगी थी "
नहीं नहीं... ये झूठ है ऐसा नहीं हो सकता कहाँ नागकुमार सुन्दर कोमल गोरा और ये सर्पटा काला भयानक राक्षस जैसा.
फिर फिर ... नागकुमार क्यों नहीं आया? और इस जगह का सर्पटा को कैसे मालूम?
सर्पटा को कैसे मालूम कि मै मिलने आउंगी.
मतलब सर्पटा सही बोल रहा है.
अब घुड़वती फस चुकी थी उसे सर्पटा कि बात पे यकीन हो चला था
उसके आँखों से अंशु धारा फुट पड़ी थी.. अब ना हवस थी ना कोई उमग ना ही प्यास
सिर्फ पछतावा, दुख और आँसू रह गये थे.
सर्पटा घुड़वती कि हालात देख के ख़ुश था उसने घुड़वती कि हिम्मत तोड़ दि थी
अब मंजिल दूर नहीं थी उसके मन से नागकुमार हट चूका था अब जगानी थी सिर्फ हवस... शुद्ध हवस.

गुप्तनाग बहते हुए आँसू को अपनी जीभ से चाट लेता है, बेचारी भोली घुड़वती को बहुत अच्छा लगता है उसके दिल को जैसे मरहम लगा हो ये कुछ नया था
गुप्तनाग कि जीभ लगातार आँसू चाट रही थी कभी गाल पे कभी नाक पे तो कभी हलके से गुलाबी सुर्ख होंठ को छू जाती, इस छुवन से घुड़वती मचल जाती है,
उसके होंठ पे गीली जीभ और खुद के आँसू का नमकीन स्वाद मजा दे रहा था.
लेकिन वो ये दिखाना नहीं चाहती थी उसके आँसू बंद हो चुके थे ऊपर से लगातर होते स्तन मर्दन से उसके बदन मे झुरझुरी दौड़ने लगी थी उसके स्तन से निकलता करंट सीधा नाभी पे जा रहा था उसकी नाभी फूल रही थी
सांसे जोर जोर से चलने लगी थी वो अपना मुँह भींचे लेती हुई थी.
गुप्तनाग लगातार उसके होंठो को छेड रहा था घुड़वती हलके से अपनी जीभ बाहर निकलती है उतने मे ही गुप्तनाग अपने होंठ पीछे खींच लेता है.
नीचे सुप्तनाग अपनी जीभ घुड़वती के स्तन पे नीचे कि तरफ ले जा के चाटता हुआ ऊपर के और ले जाता है,
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आआआह्हः.... गीली चिपचिपी जीभ के स्पर्श से ही घुड़वती सिहर उठती है, नया कामुक बदन को और क्या चाहिए था उसकी उमंग इस एक छुवन से ही वापस लौटने लगी..
उसे और चाहिए था यही अहसास... उसके ना चाहते हुए भी साँसो के साथ उसके स्तन ऊपर को हो जाते है और सर पीछे को झुक जाता है जैसे स्तन खुद कि मन मर्जी चला रहे हो
सुप्तनाग स्थति को भापता हुआ एक बार फिर अपनी चिपचिपी जबान से ऊपर से नीचेचाट लेता है.
3-4 बार ऐसा करने से घुड़वती के निप्पल बाहर को निकाल जाते है जो किजीभ चलाने से टकरा रहे थे, निप्पल पे गिला खुर्दरा अहसास अलग ही कहर ढा रहा था, उसका मन करता है कि निप्पल को पकड़ के नोच ले परन्तु एक हाथ चुत ढके हुए था तो दूसरा हाथ गुप्तेनाग के पैर के नीचे दबा था घुड़वटी बेबस थी.
सुप्तनाग धीरे से अपना मुँह खोल उसके बड़े से तीखे निप्पल को मुँह मे भर चुभलाने लगता है.
आअह्ह्ह.... कामुक सिसकारी निकाल जाती है घुड़वती के मुँह से अब वो भूल चुकी थी नागकुमार को उसपे हवस सवार होने लगी थी,
उसे यही तो चाहिए रहा यही तो करने आई थी.
फिर नाग कुमार के धोखे ने उसे आज़ाद कर दिया था, आजादी थी अपने बदन को जानने कि, आजादी थी काम क्रीड़ा का नया पाठ पड़ने कि.
अब गुप्तनाग भी नीचे उतार आया था उसने घुड़वती का हाथ आज़ाद कर दिया था परन्तु अब घुड़वती अपने हाथ से स्तन नहीं ढक रही थी वो ऐसे ही पड़ा था.
गुप्तनाग भी स्तन पे टूट पड़ता है, एक स्तन सुप्तनाग नोच रहा था तो दूसरा स्तन गुप्तनाग
दोनों ने स्तन चाट चाट के लाल कर दिए थे
दोनों ही प्यार से पेश आ रहे थे, लेकिन ये तो सिर्फ छलावा था प्यार से सम्भोग मे क्या मजा?
घुड़बती के स्तन चमक रहे थे, फुल के पहले से ज्यादा बड़े हो गये थे, उसकी चुत लगातार पानी छोड़ रही थी चुत का पानी हाथ को पूरी तरह भिगो चूका था,
घुड़वती इस कदरगरम हो चुकी थी कि वो अपना एक हाथ उठा के सुपटनाग के सर पे रख देती है और जोर से स्तन पे दबा देती है जैसे बोलना चाहती हो चुसो इसे खाओ.... नोच लो

स्तन ले दबाव बनाये घुड़वती लगातार सिसक रही थी, वो ऐसा नहीं करना चाहती थी परन्तु ये निगड़ा नया जवान जिस्म कहाँ साथ दे रहा था मुँह से निकलती हुंकार इसका सबूत थी, उसका सर पीछे को झुका हुआ था, स्तन हवा मे उठे हुए थे चुत अभी भी हाथ से ढकी हुई थी वो अभी भी अपनी चुत को बचा लेना चाहती थी, परन्तु कब तक?
दोनों सेवक स्तन को चाट चाट के गिला और चिपचपा कर चुके थे उनकी लार स्तन से टपकती हुई नीचे चट्टान पे गिर रही थी,
घुड़वती कमर उठाये मरे जा रही थी उसकी हालात ख़राब होने लगी थी लग रहा था जैसेझड़ जाएगी, उसकी चुत फव्वारा छोड़ देगी...
तभी अचानक दोनों हट जाते है.. सुनसान
घुड़वती झड़ने के बिल्कुल करीब थी लेकिन ये क्या हुआ ये हट क्यों गये..
वो अपनी आंखे खोलती है तो पाती है कि दोनों उसे देख मुस्कुरा रहे थे वो तीनो के सामने सिर्फ चुत पे हाथ रखे पूरी नंगीब्लेती हुई थी उसे स्सखालित होना था उसे ये उत्तेजना सहन नहीं हो रही थी
वो कैसे बोलती कि चुसो और चुसो बंद किया.. वो सवालिया नजरों से दोनों को देखती है.
सर्पटा :- क्या हुआ सुंदरी क्या चाहिए? ये चाहिए क्या?
वो इशारे से अपना लंड दिखता है जो कि घुड़वती के कामुक चूसे हुए स्तन को देख खड़ा हो चूका था एक दम काला मोटा ताकतवर लंड.
images

गुस्से से उबालती घुड़वती उस लंड को देखती ही रह जाती है, असर सीधा चुत पे हो रहा था, जाने क्या प्रभाव था सर्पटा के लंड का कि एक कुंवारी लड़की के चुत से पानी आने लगा था मात्र लंड देखने से.
Behtreen update dost
 

sunoanuj

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Bahut hi behtarin update… khani bahut hee kamuk hai… or aapki lekhan Shailly isko or bhi madak kar deti hai ….

👏🏻👏🏻👏🏻
 

andypndy

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चैप्टर -2 नागवंश और घुड़वंश कि दुश्मनी अपडेट -27

हवस के चरम पे पहुंचा के घुड़वती को वापस खींच लिया गया था, उसकी चुत फूल के सिकुड़ने लगी थी.
वो बस झड़ना चाहती थी लेकिन सर्पटा इतनी आसानी से ये खेल ख़त्म करने वाला नहीं था, उसे दौड़ा दौड़ा के शिकार करने मे ही मजा आता था
आज शिकार थी एक नयी जवान मासूम घोड़ी जिसके दिल मे नागकुमार के लिए नफरत और बदन मे हवस थी.
अँगारे भरी आँखों से वो सर्पटा कि तरफ देखती है सर्पटा बिना कुछ बोले लंड हिला रहा था,धीरे से ऍबे लंड कि चमड़ी को ऊपर खिंचता है, सीधी मादक गंध घुड़वती कि नाक से टकरा जाती है
पहले से ही काम अग्नि मे जल्दी घुड़वती महक पा के चित्कार उठी... आअह्ह्ह.... उसकी आँखों मे याचना थी.
सुप्तनाग और गुप्तनाग पीछे हट चुके थे, सर्पटा अपनी जगह सेउठ खड़ा होता है और कामुक स्तन जो कि चुसाई से लाल हो गये थे उन्हें देखता आगे बढ़ता है,
विशालकाय लंड जांघो के बीच झूल रहा था, सर्पटा कि मर्दाना चाल से लंड हिलोरे खा रहा था.
घुड़वती आंखे फाडे चुत पे हाथ रखे सर्पटा को नजदीक आते देख रही थी.
सर्पटा बिल्कुल पास पहुंच चूका था, वो अपने एक हाथ से लंड पकड़ता है ऊपर कि और कर के एक दम छोड़ देता है,
लंड सीधा घुड़वती कि चुत ढके हाथ पे प्रहार करता है.
धममम.... लंड कि गर्माहट और वजन से ही घुड़वती सिहर जाती है उसके बदन मे एक अनोखी गुदगुदी होती है जो उसने कभी महसूस नहीं कि थी ऊपर से लंड से निकली गंध...
आअह्ह्ह... कुछ हो रहा है मुझे "मन कर रहा है इस चुत को रागड़ू "
उसका बदन अब बिल्कुल साथ छोड़ देने पे उतारू था.
सर्पटा ऐसा ही कई बार करता है अपने भारी लंड को उठता और धम से वापस पटक देता, जैसे कोई लोहार हथोड़ा पिट रहा हो वैसा ही आभास हो रहा था घुड़वती को अपनी चुत पे, हाथ पे पड़ते प्रहार सीधा उसकी चुत पे असर डाल रहे थे,
उसकी चुत और ज्यादा पानी छोड़ने लगी थी, इतना पानी कि उंगलियों के बीच से पानी बाहर आने कि कोशिश कर रहा था,
कामुक मादक चुत का कुछ रस सर्पटा के लंड पे भी लग गया था.
सर्पटा :- क्यों सुंदरी अच्छा लग रहा है ना?
घुड़वती कुछ नहीं कहती वो अपना सर दूसरी तरफ घुमा लेती है "कैसे कहती कि मजा आ रहा है"
सर्पटा :- तेरी चुत तो चीख चीख के बोल रही है कि मारो मुझे
हाहाहाहाहा....
घुड़वती शर्म और लज्जत से गड़े जा रही थी, "नहीं नहीं मै ऐसा नहीं कर सकती मै तो नागकुमार से मिलने आई थी "
लेकिन कौन नागकुमार जिसने मुझे धोका दिया "
सर्पटा :- हाथ हटा भी दे देखने तो दे क्या अनमोल खजाना छुपा रखा है जांघो के बीच?
घुड़वती ना मे सर हिलती है हालांकि वो गरम थी हवस भरी पड़ी थी लेकिन थी तो स्त्री ही ना वो भी पहली बार ऐसा कुछ कर रही थी.
फलस्वरूप नहीं बोल पाई.
सर्पटा :- कोई बात नहीं घुड़कन्या हम भी तेरे बिना बोले कुछ नहीं करेंगे.
इसी के साथ एक तेज़ प्रहार चुत ढके हाथ पे पड़ता है.
आअह्ह्ह..... घुड़वती कि सिसकारी निकाल पड़ती है.
तीनो हस पड़ते है.
बुरी फसी थी घुड़वती हवस के चक्कर मे.
इस तेज़ प्रहार से घुड़वती एक बार फिर झड़ने को थी लेकिन सर्पटा पीछे हट जाता है,
एक दो प्रहार और पड़ते तो काम बन जाता, लेकिन घुड़वती तड़प के रह जाती है उसकी सांसे तेज़ चल रही थी वो मछली कि तरह चट्टान पे लेटी तड़प रही थी.
सर्पटा अब आगे बढ़ता है वो अपनी एक ऊँगली धीरे से चुत ढके हाथ पे रखता है और धीरे धीरे सहलाता हुआ ऊपर कि ओर चल पड़ता है.
सर्पटा कि ऊँगली घुड़वती कि नाभी पे आ के रूकती है, वो अपनी ऊँगली को नाभी के आस पास फेरता है,घुड़वती सिहारन से पेट अंदर खींच लेटी है, नाभी कणास पास पसीने कि बुँदे जमा हो जाती है,
सर्पटा लगातार नाभी और पेट को सहला रहा था, कामुकता के मरे घुड़वती सिसकारी भर रही थी, पेट कभी फूलता तो कभी पिचकता, उसनेसर्पटा का हाथ हटाने कि कोई चेष्टा नहीं कि.
करती भी क्यों वो तो मदहोश थी आनंद मे आंखे बंद किये खुर्दरे हाथ का मजा ले रही थी.
सर्पटा का हाथ अब ऊपर को बढ़ जाता है दोनों लाल हुए स्तन के बीच.
सर्पटा :- अरे दुष्टो इतनी बुरी तरह कौन चूसता है देखो कैसे लाल कर दिए.
ये शब्द सुन के घुड़वती को कुछ होता है उसे दोनों का छुवन और चुसाई याद अति है, उसके निप्पल कड़क हो के बाहर आ जाते है.
सर पीछे किये स्तन उठाये घुड़वती पड़ी हुई थी उसे वापस से उसी छुवन और चुसाई का इंतज़ार था
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वो चाहती थी कि सर्पटा भींचे उसके स्तन को.
परन्तुसर्पटा दोनों स्तन कि गोलाइयो पे ऊँगली से सहलाये जा रहा था, हलकी चुवन एक अलग ही कामुकता पैदा कर रही थी.
तभी सर्पटा स्तन के निप्पल को पकड़ के बेरहमी से ऊपर को खींच लेता है, घुड़वती चीख पडती है.
आअह्ह्ह..... उम्म्म्म..... जैसे ही सर्पटा निप्पल छोड़ता है घुड़वती को हल्का दर्द और मजे का मिलाजुला मजा आता है.
दर्द मे मजे का पाठ पढ़ रही थी घुड़वती.
दूसरे स्तन के निप्पल को भी सर्पटा पकड़ के बेदर्दी से मरोड़ देता है. दर्द का मजा हि अलग है.
घुड़वती कि सांसे भरने लगी थी, स्तन उठ गिर रहे थे, उसे बस स्सखालित होना था कैसे भी.

सर्पटा अब घुड़वती के सर के पीछे कि तरफ आ चूका था, उसकी जांघो के ठीक आगे घडवती का सर था लंड सर पे छू रहा था.
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घुड़वती जैसे ही कुछ समझती सर्पटा ने अपना लंड उठाया और धम से घुड़वती के चेहरे पे दे मारा.
आअह्ह्ह.... मा... लंड सीधा घुड़वती के होंठ पे जा के लगा, प्रहार इतना तेज़ था कि किनारे से होंठ थोड़ा फट गया एक हलकी महीन सी खून कि धारा निकाल पड़ी जो सीधा लंड पे लगी.
एक प्रहार और धमममम.... लंड नाक के करीब लगा, लंड से निकली गंध सीधा नाक मे घुस गई
आअह्ह्ह.... यही कमजोरी थी घुड़वती कि लंड कि मादक गंध
इस गंध ने घुड़वती के रोम रोम मे हवस का संचार कर दिया अब वो सब कुछ भूल चुकी थी अब जो होना है हो जाने दो.
जैसे ही वो अपने होंठ से निकलते खून को चाटने के लिए जीभ बाहर निकलती है वैसे ही लंड वापस से उसके होंठ पे पड़ता है
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इस बार उसकी गीली जीभ लंड पे पड़ती है, लंड से निकला स्वाद उसकी जीभ पे रेंगने लगता है,
अंदर ही अंदर उसकी हवस भी जवाब दे रही थी, नागकुमार कि गंध मे एक प्यार था परन्तु सर्पटा कि गंध मे सिर्फ हवस थी,, ये स्वाद सीधा चुत तक गया, उसकी चुत बेतहासा पानी छोड़ने लगी, ना जाने कब उसकी एक ऊँगली चुत कि लकीर मे चलने लगी, चुत ढके ढके ही उसकी ऊँगली चुत सहला रही थी, ये कुछ अलग थाकमसिन घुड़वती को तो पता ही नहीं था कि सम्भोग होता क्या है, परन्तु हवस अपने आप सब सीखा देती है.. घुड़वती का भी यही हाल था वो सब से छुपा के अपनी एक ऊँगली धीरे धीरे चुत कि लकीर मे अंदर घुसाने कि कोशिश कर रही थी उसे ऐसा करने से थोड़ी राहत का अनुभव हो रहा था.
थोड़ा सा ही सही लेकिन उसे सर्पटा के लंड का स्वाद मिल गया था, शसर्पटा वापस जैसे ही लंड पटकता है घुड़वती इस बार जानबूझ के जीभ बाहर निकाल देती है और लंड जीभ पे घिसता हुआ निकाल जाता है.
श्सर्पटा अपने लंड पे गिला अहसास पा है ख़ुश होता है
सर्पटा :- देखो तो ये जवान काली हमारा लंड चाटने कि कैशिश कर रही है. अरे मेरी रानी शर्माती क्यों है बोल दे ना कि तुझे मेरा लंड पसंद है चूसना है.
हाहाहाहा..... घुड़वती वापस से शर्मिंदा हो चली थी, वो चाहती तो यही थी लेकिन स्त्री सुलभ व्यवहार उसे रोक रहा था.
 
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