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प्रोलॉग
सर्दियों की हल्की ठंडक में दिल्ली की सड़कों पर शाम ढल रही थी। सूरज का नारंगी रंग आकाश में धीरे-धीरे गहराता जा रहा था। रिया एक छोटी सी कैफे के कोने में बैठी थी, उसकी उंगलियां गर्म कॉफी के कप पर टिकी हुई थीं। उसकी निगाहें बार-बार दरवाजे की ओर जातीं, मानो किसी का इंतजार कर रही हों।
“तुम हमेशा लेट हो, आर्यन,” उसने धीमे से कहा, जैसे ही वह दरवाजे से अंदर आया।
“और तुम हमेशा शिकायत करती हो,” उसने मुस्कुराते हुए जवाब दिया और सामने बैठ गया।
रिया ने गहरी सांस ली, जैसे कोई बड़ा फैसला करने जा रही हो।
“आर्यन, हमें बात करनी होगी,” उसने गंभीर स्वर में कहा।
“क्या हुआ? सब ठीक है ना?” आर्यन ने उसकी आँखों में झांकते हुए पूछा।
“नहीं, सब ठीक नहीं है। आर्यन, यह रिश्ता अब और आगे नहीं बढ़ सकता।”
आर्यन का चेहरा पल भर में कठोर हो गया। उसने सोचा, यह मज़ाक है।
“रिया, तुम क्या कह रही हो? हम एक-दूसरे से प्यार करते हैं। हमने एक साथ भविष्य के सपने देखे हैं।”
“प्यार...?” उसने कड़वाहट से कहा। “आर्यन, यह सिर्फ एक आकर्षण था। मैं इसे प्यार नहीं कह सकती। मुझे लगता है, यह खत्म करने का समय आ गया है।”
“तुम मज़ाक कर रही हो, रिया। यह तुम नहीं हो,” आर्यन का स्वर विश्वास और डर के बीच डगमगा रहा था।
“मैं वही कह रही हूं, जो सच है। मैं अब इस रिश्ते में नहीं रह सकती। मुझे अपनी जिंदगी को अलग दिशा में ले जाना है।”
आर्यन को लगा, जैसे उसके पैरों के नीचे से जमीन खिसक रही हो।
“रिया, प्लीज! हम इतने करीब आए हैं। तुम ऐसा नहीं कर सकती।”
“मैं मजबूर हूं, आर्यन। यह सही है।”
कुछ पल के लिए दोनों के बीच गहरी खामोशी छा गई। आर्यन ने उसकी ओर देखा, उसकी आँखों में टूटे सपनों का दर्द साफ झलक रहा था।
“अगर यह तुम्हारा फैसला है, तो मैं इसे बदल नहीं सकता। लेकिन याद रखना, रिया, मैं हमेशा तुम्हारे लिए खड़ा रहूंगा। शायद, किसी दिन तुम्हें एहसास हो कि यह प्यार सच्चा था।”
यह कहकर वह उठ खड़ा हुआ और बिना पलटे वहां से चला गया। रिया ने बस उसे जाते हुए देखा, उसकी आंखों में हल्का सा पानी झलक रहा था।
क्या यह प्यार का अंत था, या सिर्फ एक और मोड़? क्या आर्यन और रिया की राहें फिर कभी मिलेंगी? जानने के लिए पढ़ते रहिए, तुम मेरे हो।
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अगर आपको इस तरह की कहानी
पसंद है, तो बताइए। मैं इसे और आगे लिख सकता हूं।
सर्दियों की हल्की ठंडक में दिल्ली की सड़कों पर शाम ढल रही थी। सूरज का नारंगी रंग आकाश में धीरे-धीरे गहराता जा रहा था। रिया एक छोटी सी कैफे के कोने में बैठी थी, उसकी उंगलियां गर्म कॉफी के कप पर टिकी हुई थीं। उसकी निगाहें बार-बार दरवाजे की ओर जातीं, मानो किसी का इंतजार कर रही हों।
“तुम हमेशा लेट हो, आर्यन,” उसने धीमे से कहा, जैसे ही वह दरवाजे से अंदर आया।
“और तुम हमेशा शिकायत करती हो,” उसने मुस्कुराते हुए जवाब दिया और सामने बैठ गया।
रिया ने गहरी सांस ली, जैसे कोई बड़ा फैसला करने जा रही हो।
“आर्यन, हमें बात करनी होगी,” उसने गंभीर स्वर में कहा।
“क्या हुआ? सब ठीक है ना?” आर्यन ने उसकी आँखों में झांकते हुए पूछा।
“नहीं, सब ठीक नहीं है। आर्यन, यह रिश्ता अब और आगे नहीं बढ़ सकता।”
आर्यन का चेहरा पल भर में कठोर हो गया। उसने सोचा, यह मज़ाक है।
“रिया, तुम क्या कह रही हो? हम एक-दूसरे से प्यार करते हैं। हमने एक साथ भविष्य के सपने देखे हैं।”
“प्यार...?” उसने कड़वाहट से कहा। “आर्यन, यह सिर्फ एक आकर्षण था। मैं इसे प्यार नहीं कह सकती। मुझे लगता है, यह खत्म करने का समय आ गया है।”
“तुम मज़ाक कर रही हो, रिया। यह तुम नहीं हो,” आर्यन का स्वर विश्वास और डर के बीच डगमगा रहा था।
“मैं वही कह रही हूं, जो सच है। मैं अब इस रिश्ते में नहीं रह सकती। मुझे अपनी जिंदगी को अलग दिशा में ले जाना है।”
आर्यन को लगा, जैसे उसके पैरों के नीचे से जमीन खिसक रही हो।
“रिया, प्लीज! हम इतने करीब आए हैं। तुम ऐसा नहीं कर सकती।”
“मैं मजबूर हूं, आर्यन। यह सही है।”
कुछ पल के लिए दोनों के बीच गहरी खामोशी छा गई। आर्यन ने उसकी ओर देखा, उसकी आँखों में टूटे सपनों का दर्द साफ झलक रहा था।
“अगर यह तुम्हारा फैसला है, तो मैं इसे बदल नहीं सकता। लेकिन याद रखना, रिया, मैं हमेशा तुम्हारे लिए खड़ा रहूंगा। शायद, किसी दिन तुम्हें एहसास हो कि यह प्यार सच्चा था।”
यह कहकर वह उठ खड़ा हुआ और बिना पलटे वहां से चला गया। रिया ने बस उसे जाते हुए देखा, उसकी आंखों में हल्का सा पानी झलक रहा था।
क्या यह प्यार का अंत था, या सिर्फ एक और मोड़? क्या आर्यन और रिया की राहें फिर कभी मिलेंगी? जानने के लिए पढ़ते रहिए, तुम मेरे हो।
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पसंद है, तो बताइए। मैं इसे और आगे लिख सकता हूं।
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