[०९] १९.०३.२०२१
रात में हम सब फ़िल्म देखने गए और फिर बाहर एक अच्छे रेस्टॉरेंट में खाना खा लिया. घर आने पर भाभी ने बच्चो को सुलाया और फिर हॉल में आयी. मैंने भाभी से कहा था की मई हॉल में ही गद्दा बिछाके सोऊंगा क्यों के बच्चो के बगल में वो सब करना मुझे अच्छा नहीं लगता, भले ही बच्चे सोए हुए क्यों न हो. जब भाभी आयी तो मै tv. देख रहा था,
"विश्वास आओ न मुझे सोना है अब मुझे सुलाओ "
कहते हुए भाभी, बिछाये हुए बिस्तर पे लेट गई. उन्होंने अब एक गाउन पहना हुआ था और उनके बड़े बड़े स्तनोके nipples. उस गाउन के ऊपर बाहर निकले हुए दिख रहे थे. भाभी एक साइड में लेटी हुई थी, बिस्तर के लम्बाई के बीचोबीच sideways. लेटनेसे उनके स्तन और ज़्यादा आकर्षक लग रहे थे.
पर वो अभी भी गाउन में ढके हुए थे, उनके वो गोल गोल स्तन देख कर मुझे उनका दूध पीनेका बोहोत मन हो रहा था. मै भाभी के बगल में बिस्तर पे बैठ गया और उनके स्तनोको हलके हलके सहलाने लगा, भाभी मुझे ही देखे जा रही थी,
"भाभी मुझे आपका दूध पिलाइये न please." मैंने उत्कटता से कहा
"विश्वास मै सोना चाहती हु मुझे कल बोहोत काम है, बाजार जाना है कल, प्लीज आज रहने दो, जलधि से मुझे चुसवाओ और मै चूसते हुए सो जाउंगी"
"ठीक है भाभी पर फिर आप मेरी इच्छाओंका भी तो सोचो"
ये कहते हुए मै भाभी के साइड में थोड़ा ऊपर की और खिसकते हुए एक साइड लेट गया और मेरी लुंगी को साइड हटाके लिंग भाभी के मुँह के पास ले गया, भाभी लिंग देख खुश हुई, वह काफी तन गया था
"तुम कितने अच्छे हो विश्वास"
कहते हुए भाभी ने मज़े से मेरे लिंग को मुँह में ले लिया और अंदर ज़ुबान को मेरे लिंग के सिरे के ऊपर घूमने लगी. मुझे बोहोत आनंद आ रहा था पर साथ ही भाभी के दूध की भी लालसा और भाभी का मना करना भी आखर रहा था. भाभी आराम से मेरे लिंग के साथ मुँह में खेल रही थी.
"जैसे आप के लिए लिंगपान ज़रूरी है ना भाभी, वैसे ही मुझे भी स्तनपान ज़रूरी है, मेरा तो मन करता है के जिस तरह आप मुँह में लिंग लेके सो जाती हो उसी तरह मै भी मुँह में आपका nipple. लेके सो जाऊ"
"ये तो तभी हो सकता है जब तुम्हारे साहब आ जाये, मै उनका लिंग चूसते हुए सो जाउंगी और तुम इधर निचे मेरे निप्पल को चूसते हुए सो जाओ, लेकिन इस के लिए भी शर्ते है, क्यों के मुझे नहीं लगता उन्हें ये उनके सामने होते हुए ठीक लगेगा, चलो मैंने मना भी लिया तब भी प्रॉब्लम ये है के अगर मै तुमको रात भर पिलाऊंगी तो सुबह मेरे nipples. बोहोत दर्द करते है, जो मै नहीं चाहती ...समझे"
कहते हुए भाभी ने फिर से मेरा लिंग मुँह में ले लिया और चूसने लगी.
"इसका मतलब ये कभी नहीं हो सकता, यही ना ?!, जाने दीजिये भाभी, कोई बात नहीं"
कहते हुए मैंने मेरे लिंग को भाभी के मुँह में और अंदर पुश किया, भाभी के गले में जब लिंग लगा तो वो भी थोड़ा पीछे हुई और लिंग को मुँह से बिना छोड़े निचे से सर उठाके मेरे चेहरे को देखने लगी, उसका चूसना लेकिन बराबर जारी था. जैसे कोई बच्चा बोतल से दूध पीता है बिलकुल वैसे ही. फिर भाभी ने मेरे लिंग के सुपाडे को हलके से दांत लगाया.
"उफ्फ्फ भाभी चुभाइये मत, ठीक से चूसिये और सो जाइये, मुझे भी कल दफ्तर जाना है, काम मुझे भी बोहोत है, प्लीज."
भाभी की और देखते हुए मैंने कहा तो भाभी मुझे ही देख रही थी, मेरे इस बात पे भाभी ने लिंग को बिना मुहसे निकले ही एक मुस्कान दी और फिर नज़रे हटा, चूसने लगी. थोड़ी देर चूसने के बाद भाभी बोली
"अच्छा बाबा मै मेरे स्तन खुले रखती हु, मै सो जाउंगी तो तुम चूसना ठीक है?!..."
मै खुश हो गया और मुस्कुराके बोलै
"हां भाभी ये ठीक रहेगा"
"पर ज़रा धीरेसे चूसना, मुझे जगाना नहीं...और हां रात भर मत चूसना... जैसे ही दोनों स्तनों का दूध ख़तम हो जाये तुम स्तनोको ढक के सो जाना, कल सुबह मुझे अगर निप्पल में दर्द हुआ तो मै तुम्हे ज़रूर सबक सिखाऊंगी ...समझे ?" भाभी गहन मुद्रा में बोली
"बिलकुल नहीं दर्द होगा भाभी, आप आराम से निश्चिंत हो के सो जाइये मै बोहोत प्यार से और धीरे से चूसूंगा"
भाभी फिर मुँह में लिंग लिए मुस्कुराई और इस बार थोड़े ज़्यादा suction. से मेरा लिंग चूसने लगी, पुचुक्क पुच ससस सी आवाज़े आने लगी थी भाभी के लिंगपान से
"ओहो भाभी क्या कमाल चूस रही हो आप हम्म्म आऊवो ssss."
मै अब चरम पे पोहोच रहा था,
"मै झड़ रहा हु भाभी, होऊ sss. "
कुछ ही पालो में मैंने भाभी के मुँह में मेरा सारा जीवनरस उंढेल दिया, और हमेशा की तरह भाभी ने एक बून्द भी जाया नहीं होने दी... वो चुस्ती रही ...अंदर खींचती रही ...कुछ मिनिट और चूसने के बाद मैंने कहा
"भाभी हो गया अब आप भी सो जाओ ना !"
"हां विश्वास बस १० से १५ मिनिट और... और मै सो जाउंगी, मै ठीक से सो जाऊ तब निकल लेना तुम मेरे मुहसे, अब बात मत करो मुझे चूसते चूसते सोने दो"
भाभी के १५ मिनट जब आधे घंटे में बदल गए तब जाके उनको नींद आई, फिर मैंने बड़ी सावधानीसे उनके मुँह से मेरा लिंग निकाला, ये सोचके के कही वो जग न जाए...क्यों के अगर वो जग गई तो फिर आधा घंटा मुझे उन्हें चुसवाना पड़ता. भाभी के मुँह से लिंग निकालते ही मै उठ बैठा और एक नज़र उनके खुले हुए बड़े बड़े दूध भरे स्तनों पर दौड़ाई. जन्नत कैसी दिखती है ? अगर कोई मुझे पूछे तो मै कहूंगा ...सयाली भाभी के खुले स्तनों जैसी ...ओहोहोह अलौकिक नज़ारा होता है वो जब जब मेरे सामने भाभी के सुडोल और सुन्दर स्तन नंगे होते है.
मैंने बड़े आराम से आपने आपको भाभी के स्तनों के सामने एडजस्ट किया और मै हलके हलके उनके निप्पल को चूमने लगा, ...मेरा लिंग फिर से तन गया था, पर मै बोहोत सावधान था,...के कही भाभी फिर से न जग जाये, मैंने भाभी के बाये स्तन का निप्पल हलके से मुँह में ले लिया और बड़े प्यार से चूसने लगा, कुछ देर बाद दूध मेरे मुँह में आने लगा...
स्वादिष्ट और सेहतमं, मीठा और प्रेमवर्धक, गाढ़ा और पवित्र, मादक और मनचाहा ...ऐसा है भाभी का दूध.
मैंने भाभी के दोनों स्तनों का दूध बड़े आराम से पिया और फिर उनके स्तनों को बिना ढके उन अति सुन्दर निप्पल्स को देखते देखते सो गया.