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मैंने अपने कॉलेज के पहले साल में बनाया एक नया यार
नाम था उसका दीपक और था पढने में काफ़ी होशियार
यू एस मैं बस गए थे पिता जी पिछले कोई दस साल से
और यहाँ माँ बेटे को छोड़ दिया जीने को उनके हाल पे
मम्मी उसकी सरकारी दफ्तर में कुछ लगी थी करने जाब
पढ़ लिख कर कुछ बन जाउ दीपक का था अब ये ख्वाब
शुरू में कॉलेज में दीपक संग मेरी यारी मेरी थी मजबूरी
हर साल परीक्षा में पास होना में मेरे लिए था बहुत जरूरी
आये दिन कोई नई चूत ढूंढता हूँ मुझमें थी ये बड़ी ख़राबी
कॉलेज की कन्या हो वो कोई या हो कोई गदराई भाभी
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ब्याही हुई औरत को चोदने में मुझे मिलता था बड़ा सुरूर
लपक लपक के लौड़ा लेती बिस्तर पर मजा देती भरपूर
वही आजकल की ये नई लौंडिया तो शोर मचाती ज्यादा
जोर जोर से वो चिल्लाये जबकी अभी लंड गया हो आधा
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कई बार दीपक को मैंने ऐसे मौके पर चाहा साथ ले जाना
लेकिन हर बार वो मुझे मना कर देता कर के कोई बहाना
फ़िर धीरे धीरे कॉलेज मैं हम दोनों की गहरी हो गई यारी
पढाई के साथ अब काई विषयों पर होती थी बात हमारी
परीक्षा के दिन पास आ गए तो मेरी चिंता लगी थी बढ़ने
एक दिन अपनी किताब उठा मैं उसके घर जा पहुंचा पढ़ने
उसके कमरे में बैठ कर के हम दोनो फिर करने लगे पढाई
कुछ समय में उसकी मम्मी हाल जानने उस कमरे में आई
मेरे दिल की तो धड़कन रुक गई और आंखें मेरी पथराई
पलक झपकना ही भूल गया मैं जो मुझकोदिया दिखायी
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गोरा रंग गहरी आंखें और माथे पर एक छोटी सी बिंदिया
देख के रूप का ऐसा सागर कोई भी खो बैठेगा निंदिया
हर एक अंग से टपकता योवन और गांड थी अच्छी चौड़ी
और लाल चोली के पीछे छुपीहुई थी गोरे चूचो की जोड़ी
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देख ऐसा माल करारा मेरा लन अपना सर था लगा उठाने
रख एक तकिया अपनी गोद में अपने लन को लगा दबाने
दे हमको चाय नाश्ता वो मुड़ कर वापस लगी अब जाने
दरवाज़े पर रुक देखा मुझको और धीरे से लगी मुस्काने
घर वापस आकर मैं तो बस दीपक की मम्मी में था खोया
रात बिस्तर पर दो बार मुठ मार कर मैं उस रात को सोया
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नाम था उसका दीपक और था पढने में काफ़ी होशियार
यू एस मैं बस गए थे पिता जी पिछले कोई दस साल से
और यहाँ माँ बेटे को छोड़ दिया जीने को उनके हाल पे
मम्मी उसकी सरकारी दफ्तर में कुछ लगी थी करने जाब
पढ़ लिख कर कुछ बन जाउ दीपक का था अब ये ख्वाब
शुरू में कॉलेज में दीपक संग मेरी यारी मेरी थी मजबूरी
हर साल परीक्षा में पास होना में मेरे लिए था बहुत जरूरी
आये दिन कोई नई चूत ढूंढता हूँ मुझमें थी ये बड़ी ख़राबी
कॉलेज की कन्या हो वो कोई या हो कोई गदराई भाभी
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ब्याही हुई औरत को चोदने में मुझे मिलता था बड़ा सुरूर
लपक लपक के लौड़ा लेती बिस्तर पर मजा देती भरपूर
वही आजकल की ये नई लौंडिया तो शोर मचाती ज्यादा
जोर जोर से वो चिल्लाये जबकी अभी लंड गया हो आधा
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कई बार दीपक को मैंने ऐसे मौके पर चाहा साथ ले जाना
लेकिन हर बार वो मुझे मना कर देता कर के कोई बहाना
फ़िर धीरे धीरे कॉलेज मैं हम दोनों की गहरी हो गई यारी
पढाई के साथ अब काई विषयों पर होती थी बात हमारी
परीक्षा के दिन पास आ गए तो मेरी चिंता लगी थी बढ़ने
एक दिन अपनी किताब उठा मैं उसके घर जा पहुंचा पढ़ने
उसके कमरे में बैठ कर के हम दोनो फिर करने लगे पढाई
कुछ समय में उसकी मम्मी हाल जानने उस कमरे में आई
मेरे दिल की तो धड़कन रुक गई और आंखें मेरी पथराई
पलक झपकना ही भूल गया मैं जो मुझकोदिया दिखायी
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गोरा रंग गहरी आंखें और माथे पर एक छोटी सी बिंदिया
देख के रूप का ऐसा सागर कोई भी खो बैठेगा निंदिया
हर एक अंग से टपकता योवन और गांड थी अच्छी चौड़ी
और लाल चोली के पीछे छुपीहुई थी गोरे चूचो की जोड़ी
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देख ऐसा माल करारा मेरा लन अपना सर था लगा उठाने
रख एक तकिया अपनी गोद में अपने लन को लगा दबाने
दे हमको चाय नाश्ता वो मुड़ कर वापस लगी अब जाने
दरवाज़े पर रुक देखा मुझको और धीरे से लगी मुस्काने
घर वापस आकर मैं तो बस दीपक की मम्मी में था खोया
रात बिस्तर पर दो बार मुठ मार कर मैं उस रात को सोया
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