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Adultery दो भाई दो बहन

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Update 1


राज अपने घर से कुछ दूरी पर बने तालाब के किनारे एक पेड़ की छाया

मे बैठा था. राज एक 21 वर्ष का गथीला नौजवान था. सिर पर

काले घूघराले बाल, चौड़ी बलिश्त छाती और मजबूत बाहें.

ये उसकी पसंदीदा जगह थी. उसे जब भी समय मिलता वो यहीं आकर

बैठता था. यहाँ का शांत वातावरण और एकांत उसे अछा लगता था.

राज ने आगे बढ़कर एक पत्थर को उठा लिया और हवा मे उछालने लगा

जैसे की उसका वजन नाप रहा हो. फिर उसकी निगाह आपने सामने रखे

कुछ पन्नो पर पड़ी, जिनपर सुंदर अक्षरों मे कुछ लिखा हुआ था.

काग़ज़ के पन्ने हवा मे फड़ फडा रहे थे.

पत्थर के वजन से सन्तूस्त हो उसने वो पन्ने अपनी गोद मे रख लिए

और पत्थर को ठीक उनके बीचों बीच रख कर पन्नो को उस पत्थर से

लपेट दिया. फिर अपनी जेब से एक पतली सी रस्सी निकाल उसने उन पन्नो

को बाँध दिया.

वो अपनी जगह से उठा और तालाब के किनारे पर आकर उस पत्थर को

पानी के बीचों बीच फैंक दिया. पत्थर के फैंकते ही पानी जोरों से

चारों तरफ उछला और वो पत्थर तालाब की गहराइयों मे समाता चला

गया.

राज चुपचाप सोच रहा था कि ना जाने कितने ही ऐसे पन्ने इस तालाब

की गहराईओं मे दफ़न पड़े है. वैसे तो पानी का एक कतरा उन पर

लीखी लकीरो को मिटाने के लिए काफ़ी है पर अगर शब्द सिर्फ़

धुंधले पड़ गये तो वो पढ़ने के लिए काफ़ी होंगे. क्या उसे इन पन्नो

को जला देना चाहिए था जिसपर उसने अपनी कल्पना को एक कहानी की

शक्ल मे अंजाम दिया था.

तभी उसे तालाब के दूसरी तरफ़ से कुछ आवाज़ सुनाई दी. उसने अपनी

बहन की आवाज़ को तुरंत पहचान लिया. वो तुरत उस पेड़ के पीछे

छिप गया जिससे आनेवाले की नज़र उस पर ना पड़ सके. जैसे ही उसने

अपनी बहन को देखा जिसने एक सफेद रंग की शॉर्ट्स के उपर एक लाल

रंग का टॉप पहन रखा था
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उसकी आँखें बंद हो गयी. उसने पेड़ का

सहारा ले लिया और अपने ख़यालों मे खोया अपनी बहन रोमा की प्यारी

हँसी सुनने लगा.

थोड़ी ही देर मे उसका लंड उसकी शॉर्ट मे तन कर खड़ा हो गया. दिल

मे ज़ज्बात का एक मीठा मीठा दर्द उमड़ने लगा. वो जानता था कि उसे

एक दिन अपनी बहन को पाना है. रोमा रोज़ अपनी सहेलियों को घर लाकर

उसे चिढ़ाती थी. उसे उसकी इस हरकत पर प्यार आता था पर वो अपनी

बहन से इससे कहीं ज़्यादा प्यार करता था. वो जानता था कि रोमा की

सब सहेलियाँ उसे लाइन मारती है पर उसकी सब सुंदर सहेलियाँ भी

उसे अपनी बहन से अलग नही कर सकती थी.

राज का दायां हाथ उसके खड़े लंड पर आ गया. शॉर्ट्स के उपर से ही

वो अपने लंड के सुपाडे को मसल्ने लगा. उसके मुँह से एक मादक कराह

निकली तो पेड़ पर बैठे कुछ पंछी उसकी बहन की दिशा मे उड़ गये.

उसे तुरंत अपनी ग़लती का एहसास हुआ. उसने अपने आप को और पेड़ के

पीछे इस कदर छुपा लिया कि किसी की भी नज़र उस पर ना पड़ सके.

अपने एकांत से संतुष्ट हो उसने अपनी शॉर्ट्स की ज़िप खोली और अपने

खड़े लंड को खुली हवा मे आज़ाद कर दिया. अब वो अपनी आँखे बंद

अपने लंड को मसल्ने लगता है. खुली आँखों की जगह वो बंद

आखों से अपनी बेहन को और ज़्यादा अच्छे रूप मे देख रहा था.

उसने देखा कि उसकी बेहन नंगे पावं घास पर दौड़ रही है. राज अपनी

18 वर्षीया बहन के पीछे दौड़ रहा है उसे पकड़ने के लिए और

आख़िर मे वो उसे पकड़ ही लेता है. दोनो घास पर गिर जाते है

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और

रोमा हंस पड़ती है.

थोड़ी देर बाद वो उसके मुलायम पंजो को मसल्ने लगता है. वो खुले

आसमान के नीचे घास पर लेटे उसकी उंगलियों को महसूस कर रही थी.

वो अपनी जादुई उंगलियों से उसकी पैरों की मालिश करने लगा तो वो

सिसक पड़ी और उसकी छोटे छोटे मोमे टॉप के अंदर उछलने लगे.

उसने उसकी दाँयी टांग को उठा कर अपनी गोद मे रख लिया. इससे उसकी

जंघे थोड़ी फैल गयी और उसकी नज़र ठीक उसकी जांघों के बीच मे

पड़ी. पैर थोड़ा सा उठा हुआ होने की वजह से शॉर्ट्स के अंदर से सब

दिख रहा था. उसने देखा कि उसने काले रंग की पेंटी पहन रखी

है और उसकी चूत की बारीक़ियाँ पेंटी के बगल से दिख रही है.

राज अपनी कल्पना को किसी फिल्म की तरह अपने ख़यालों मे देख रहा

था, और उसका हाथ पूरी रफ़्तार से खुद के लंड पर चल रहा था.

अपनी कल्पना मे राज अपने हाथ उसके नाज़ुक पंजो को मसल्ते मसल्ते

उसके घूटनो तक ले आया और वहाँ की मालिश करने लगा. कितनी

सुंदर मुलायम त्वचा थी. घूटनो की मालिश करते करते भी उसकी

निगाह शॉर्ट्स मे दीखती काली पेंटी पर टिकी हुई थी. घुटनो से आगे

बढ़ कर उसके हाथ अब जाँघो के अंदरूनी हिस्सों पर पहुँचे.

जैसे ही उसका हाथ जांघों से थोड़ा उपर पहुँचा उसका शरीर कांप

उठा. एक शांत रज़ामंदी पा उसके हाथ शॉर्ट्स के अंदर उसकी पेंटी के

किनारे तक पहुँचे तो उसे लगा जैसे कि कोई गरम भाप पेंटी के

अंदर से उठ रही है.

ये उसकी कल्पना थी. आखरी क्षण मे जब उसके लंड मे उबाल आने

लगा तो उसने यहाँ तक सोच डाला कि वो उसके पैरों के बीच बैठा

अपने लंड को उस छोटे से छेद मे घुसा रहा हो. उसका लंड उस छोटे

छेद की दीवारों को चीरता हुआ अंदर तक घुस रहा है.

तभी उसके लंड ने उबाल खाया और विर्य की एक लंबी पिचकारी सामने

के पत्रों पर गिरने लगी. वो जोरों से अपने लंड को मसल्ते हुए लंड

से आखरी बूँद तक पत्थरो पर फैंकने लगा. उसने अपनी आँखे

खोली और सामने गिरे वीर्य को देखने लगा.

************

"कहाँ है वो?" रोमा ने अपने आप से पूछा. वो और उसकी सहेली गीता

एक दूसरे का हाथ पकड़े तालाब के किनारे तक आ गये थे. उसने अभी

थोड़ी देर पहले उसे तालाब के किनारे बैठे एक पत्थर को तालाब मे

फैंकते देखा था, अब कहाँ चला गया.

"यार मे तो थक गयी हूँ" गीता ने शिकायत की. उसे पता था कि

उसकी कोई अदा कोई तरीका राज को अपनी तरफ आकर्षित करने मे कामयाब

नही हो पाएगी, "मेरी तो समझ मे नही आ रहा कि में क्या करूँ."

"आओ यहाँ तालाब के किनारे बैठते है." रोमा ने कहा.

तालाब के किनारे बैठते ही उसका ध्यान अपने 21 वर्षीया भाई राज पर

आ टिका. कितना अकेला अकेला रहता है वो. वो हमेशा अपनी सहेलियों

को घर लेकर आती जिससे उसका दिल बहल जाए. पर वो है कि अलग

अलग ही रहना पसंद करता है.

रोमा को पता था कि उसका भाई एक प्यारा और जज्बाती इंसान है. वो

अपने कॉलेज की आखरी साल मे थी और राज ग्रॅजुयेशन कर चुका था.

ग्रॅजुयेशन करने के बाद भी उसने अभी तक कोई गर्ल फ़्रेंड नही

बनाई थी. वो इसी उम्मीद से अपनी सहेलियों को घर लाती कि शायद

इनमे से कोई उसके भाई को भा जाए. पर ऐसा ना होने पर अब उसकी

सहेलियों ने भी आना छोड़ दिया था. गीता भी यही शिकायत कर

रही थी. रोमा को सब समझ मे आ रहा था और उसे अपने भाई पर

झुंझलाहट भी हो रही थी और उसकी इस अदा पर प्यार भी आता था.

"सिर्फ़ अपनी स्टुपिड किताब मे कुछ लिखता रहता है." रोमा ने शिकायत

करते हुए कहा.

"राज...और लिखता रहता है?" गीता ने आश्‍चर्या से पूछा.

"हाँ और क्या." रोमा ने कहा, "यही काम है जो वो दिन भर करता

रहता है. ग्रॅजुयेशन के बाद कितना बदल गया है वो. ऐसा लगता

है कि उसकी जिंदगी किसी जगह आकर ठहर गयी है. वो मुझे भी

हर समय नज़र अंदाज़ करता रहता है. समझ मे नही आता की उसे

परेशानी क्या है. "

"क्या लिखता रहता है वो अपनी किताब मे?" गीता ने पूछा.

रोमा ने अपने कंधे उचकते. हुए कहा, "मुझे पता नही. मेने कई

बार जानने की कोशिश कि लेकिन वो अपनी किताब इस कदर छुपा कर

रखता है कि कुछ पता नही. जब वो लिखना खत्म कर लेता है तो

उन पन्नो को किताब मे से फाड़ देता है. हज़ारों कहानियाँ लिखी होगी

उसने."

"हो सकता हो कि वो कहानियाँ ना हो, सिर्फ़ डायरी मेनटेन करता हो"

गीता ने कहा.

"हां हो सकता है," रोमा ने इतना कहा ही था कि उसने राज को पेड़ के

पीछे से बाहर आते देखा. पहली बार उसे एहसास हुआ कि वो पेड़ के

पीछे था, पर वो कर क्या रहा था? उसने सोचा.

"शैतान का नाम लो और शैतान हाज़िर है." गीता ने हंसते हुए

कहा, "तुम्हे पता है रोमा अगर ये तेरा भाई अगर मुझे रत्ती भर

भी लिफ्ट देता तो में पहले ही दिन उसे सेंचुरी बनाने का मौका दे

देती."

"चल छीनाल कहीं की." रोमा ने कहा, "अच्छा एक बात तो बता .

अब तक कितने बॅट्स्मन को बॅटिंग करने का मौका दिया है?"

"वैसे अभी तक तो छीनाल बनी नही हूँ." गीता ने कहा, "पर हां

तेरे भाई के लिए छीनाल बनने को भी त्यार हूँ, मैं तो बस इतना

कहती हूँ कि मैं अपनी जान देती हूँ इसपर."

"हां ये तो है." रोमा ने अपने भाई की ओर देखते हुए कहा जो तालाब

के राउंड लगाते हुए उनकी तरफ ही आ रहा था.
 
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Update 2


रोमा के मन मे जलन सी जाग गयी ये सोच कर कि कितनी लड़कियाँ उसके

भाई पर जान छिड़कती है. उसकी आँखों मे हल्की सी नमी सी आ गयी.

दिल मे एक अजीब सा दर्द सा उठने लगा जो हमेशा किसी वक्त उसके

प्यार से भरा रहता था. अब वो उसपर ध्यान ही नही देता था.

रोमा ने देखा कि राज उनकी तरफ ही बढ़ रहा है. जलन के मारे उसने

गीता को देखा जो घास पर लेटी थी और अपने उठे हुए मम्मे दीखाने

की कोशिश कर रही थी. उसकी चुचियाँ किसी मधुमक्खी के छ्त्ते

की तरह उठी हुई थी जैसे की मक्खियो को न्योता दे रही हो. उसकी

समझ मे नही आ रहा था कि अगर राज ने उसकी तरफ ध्यान दिया और

कुछ कहा तो वो क्या करेगी.

किंतु राज ने ऐसा कुछ नही किया और उसकी बगल से गुज़रते हुए उसके

सिर को ठप थपाते हुए सिर्फ़ इतना कहा, "अपनी जिंदगी को जीना

सीखो और मेरी जिंदगी मे दखल देना बंद करो."

राज की बात उसके दिल को चुब सी गयी किंतु दिल मे एक अजीब सी खुशी

भी जाग उठी. आज कितने महीनो बाद उसके भाई ने उससे बात की थी.

खुशी की एक हल्की लकीर उसके होठों पर आ गयी.

"में तो अपनी जिंदगी जी रही हूं लेकिन एक तुम हो जो अपनी जिंदगी

से भाग रहे हो..." रोमा ने अपनी खुशी को छुपाते हुए कहा.

राज ने एक राहत की सांस ली. वो हमेशा से डरता था कि अगर वो रोमा

के ज़्यादा करीब रहेगा तो एक दिन उसकी बहन उसके मन की भावनाओ को

पहचान लेगी. जबसे उसकी कल्पनाओ मे वो आने लगी थी उसने उसके करीब

रहना छोड़ दिया था. एक यही तरीका था उसके पास से अपने ज़ज्बात और

अपनी भावनाओ को छिपाने का. वो अपनी बहन को बहुत प्यार करता था

और उससे दूर रह कर ही वो एक बड़े भाई का फ़र्ज़ निभा सकता था.

"तुम सच कहती हो रोमा, वो अपनी जिंदगी से भाग ही रहा है." राज

के व्यवहार को देख गीता को एक बार फिर दुख पहुँचा था. उसने

कितना प्रयत्न किया था कि वो राज को आकर्षित कर सके किंतु वो

सफल नही हो पा रही थी.

"रोमा में अब चलती हू सोमवार को सुबह कॉलेज मे मिलेंगे." गीता

इतना कहकर वहाँ से चली गयी.

रोमा ने पलट कर अपने भाई की ओर देखा. राज उसकी नज़रों से ओझल

हो चुका था लेकिन वो अब भी उसके ख़यालों मे बसा हुआ था. उसे लगा

कि वो घूम कर उसके पास आ गया है और उसकी बगल मे घास पर

बैठ गया हो. वो उससे उसके दोस्त, उसकी कॉलेज लाइफ के बारे मे पूछ

रहा है.

उसकी कल्पना मे आया कि अचानक उसका बाँया हाथ उसके दाएँ हाथ से

टकरा गया और उसके बदन मे जैसे बिजली का करेंट दौड़ गया हो.

उसके मन मे आया कि वो उसे सब कुछ बता दे कि किस तरह उसकी कमी

उसके जीवन को खोखला कर रही है, उसे अपना वही पुराना भाई

चाहिए जो पहले था.

* * * * * * * * *

"रोमा ज़रा ये कचरा तो बाहर फैंक देना." उसकी मम्मी ने कहा.

"पर मम्मी ये तो राज का काम है ना." रोमा ने कहा.

"राज घर पर नही है, और तुम घर पर हो इसलिए मुझसे ज़्यादा

बहस मत करो और जाकर कचरा फैंक कर आओ." उसकी मम्मी ने थोड़ा

गुस्सा दिखाते हुए कहा.

बेमन से रोमा ने कचरे की थैली बस्टबिन से बाहर निकाली और बगल

मे रख दी. फिर एक फ्रेश नई थैली डस्ट बिन मे लगा दी तभी उसका

ध्यान कचरे की थैली से बाहर झाँकती एक कीताब पर पड़ी.

उत्स्सूकता वश उसने वो कीताब उठा ली और बगल की अलमारी मे छिपा

दी.

रोमा कचरे की थैली घर से बाहर फैंक कर वापस आई और वो

किताब अलमारी से निकाल अपने कमरे मे आ गयी. कमरे का दरवाज़ा अंदर

से बंद कर वो किताब खोल देखने लगी. उसने देखा कि किताब के

पन्ने कोरे थे और उनपर कुछ भी नही लिखा था.

उसका दिल मायूसी मे डूब गया. उसे लगा था कि वो राज की कहानी का

राज आज जान जाएगी तभी उसने देखा कि पन्नो पर लिखाई के कुछ

अक्षर दिख रहे है.

वो दौड़ कर अपने कॉलेज बैग से पेन्सिल निकाल कर ले आई और उन

पन्नो पर घिसने लगी. थोड़ी ही देर मे लिखाई के अक्षर उभर कर

साफ हो गये.

किताब पर लिखे शब्दों को पढ़ वो चौंक गयी. क्या राज यही सब

अपनी कहानी मे लिखता रहता है.

...."मेने उससे कह दिया कि मैं उससे प्यार करता हूँ. वो मुस्कुरा

कर मेरी तरफ देखती है. मैं हल्के से उसकी चुचि को छूता हूँ

और वो सिसक पड़ती है. में और ज़ोर से दबाता हूँ. उसे अच्छा

लगता है.

......अब में उसकी दोनो चुचियों को दबाता हूँ. अब वो गरमाने

लगती है. में जानता हूँ वो मुझे पाना चाहती है........"

"कौन है ये लड़की...?" रोमा मन ही मन बदबूदा उठती है. कोई

कल्पनायक लड़की है या हक़ीकत मे कोई है...."

रोमा किताब को अपनी छाती से लगाए पलंग पर लेट जाती है. वो

सोचने लगती है कि वो लड़की कौन हो सकती है. अचानक उसे लगता

है कि वो लड़की खुद ही है. अपनी ही कल्पना मे खोए वो अपने अक्स

को उन कोरे पन्नो मे ढूँदने की कोशिश करती है.

"ओह्ह्ह्ह राज में तुमसे कितना प्यार करती हूँ." वो कह उठती है, उसे

लगता है कि राज उसकी बगल मे ही लेटा हुआ है.

अपना प्यार खुद पर जाहिर कर उसे लगा कि उसके दिल से बोझ उत्तर

गया. जिन भावनाओ को वो छुपाते आई थी आज वो रंग दिखाने लगी

थी. उसके हाथ खुद बा खुद उसकी चुचियों पर जा पहुँचे और

वो उन्हे मसल्ने लगती है. उत्तेजना और प्यार की मादकता मे उसके

निपल तन कर खड़े जो जाते है. कामुकता की आग मे उसका बदन

ऐंठने लगता है.

दरवाज़े पर थपथपाहट सुन उसका ध्यान भंग होता है. फिर जैसे

वो दरवाज़े को खुलता देखती है झट से अपना हाथ अपनी चुचियों से

खींच लेती है.

राज ने अर्ध खुले दरवाज़े से अंदर झाँका. उसने देखा कि रोमा का लाल

रंग का टॉप थोड़ा उपर को खिसका हुआ था और उसकी चुचियों की

गोलियाँ साफ दिखाई दे रही थी साथ ही उसके खड़े निपल भी उसकी

नज़र से बच नही सके. इस नज़ारे को देख उसका लंड उसकी शॉर्ट मे

फिर एक बार तन कर खड़ा हो गया.

रोमा ने उसकी नज़रों का पीछा किया तो उसने देखा कि राज उसकी

चुचियों को ही घूर रहा था. उसने झट से अपने टॉप को नीचे किया

पर ऐसा करने से उसके निपल और तने हुए देखाई देने लगे. शर्म

और हया के मारे उसका चेहरा लाल हो गया.

"तुम मेरी जगह पर कचरा फैंक कर आई उसके लिए तुम्हे थॅंक्स

कहने आया था." राज ने कहा.

"कोई बात नही." वो चाहती थी कि राज जल्दी से जल्दी यहाँ से चला

जाए.

राज कुछ और कहना चाहता था लेकिन जब उसने देखा कि रोमा शर्मा

रही है तो उसके मन को पढ़ते हुए वो चुपचाप वहाँ से चला गया.

रोमा अपने चेहरे को अपने हाथों से ढक अपने आपको कोसने

लगी, "बेवकूफ़ लड़की आज कितने महीनो बाद उसने तुमसे इस तरह

प्यार से बात की और तुम हो कि उसे भगा दिया. तुम्हे बिस्तर पर उठ

कर बैठ जाना था और उसे कमरे मे आने के लिए कहती. बेवकूफ़

बेवकूफ़."

जैसे ही वो बिस्तर पर से उठने लगी उसकी नज़र राज की किताब और

पेन्सिल पर पड़ी, "हे भगवान काश उसने ये सब ना देखा हो."

रोमा सोच मे पड़ गयी कि हे भगवान उसने ये क्या किया. अगर राज ने

वो किताब देख ली होगी तो एक बार फिर उसने राज को खो दिया है. वो

अपनी रुलाई को रोक ना पाई, उसकी आँखों से तार तार आँसू बहने लगे.

* * * * *

राज का ध्यान अपनी बहन पर से हटाए नही हट रहा था. जब वो

बाहर से आया तो मम्मी ने उससे कहा था कि वो जाकर रोमा का

धन्यवाद करे क्यों कि उसका काम रोमा ने किया था.

मम्मी की अग्या मान वो उसके कमरे मे गया था और उसने उसे थैंक्स

कहा था. जब उसने रोमा को बिस्तर पर लेटे देखा तो उसे वो किसी

अप्सरा से कम नही लगी थी. जिस तरह से वो लेटी थी और उसके टॉप मे

उपर को उठी हुई उसकी चुचियाँ और उसके खड़े निपल दिख रहे

थे वो ठीक किसी काम देवी की तरह लग रही थी.

उसके दिल मे तो आया कि उन कुछ लम्हो मे वो अपने दिल की बात रोमा को

बता दे लेकिन दिल की बात ज़ुबान तक आ नही पाई. उसकी समझ मे

नही आया कि वो अपने ज़ज्बात किस तरह अपनी सग़ी बहन को बताए. वो

अपनी बातों को शब्दों मे ढाल नही पाया. उसे पता था कि थोड़े

दिनो मे रोमा कॉलेज चली जाएग्गी और शायद उसे फिर मौका ना मिले

उसे बताने का.

राज अपने कमरे मे आ गया, वो चाहता तो सीधे रोमा के कमरे मे

जाता और उसे सब कुछ बता देता पर उसमे शायद इतनी हिम्मत नही

थी कि वो उसे बता पाए.

उसे उमीद थी कि रात के खाने पर रोमा से उसकी मुलाकात होगी. पर

रोमा थी कि उसका कहीं पता नही था. राज ने खाना ख़त्म ही किया

था कि उसका सबसे प्यारा दोस्त जय अपनी बहन रिया के साथ आ

पहुँचा. रिया बगल के शहर के कॉलेज मे पढ़ती थी. जय राज की

ही उमर का था और दोनो ने ग्रेजुएशन साथ साथ पूरा किया था.
 
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Update 3

रिया जय से दो साल बड़ी थी. बचपन के दोस्त होने की वजह से दोनो

का एक दूसरे का घर आना जाना था. जबसे रिया जवान हुई थी राज के

मन मे उसके लिए कुछ था पर रिया थी कि उसे अपनी उमर से बड़े

लड़कों से ही फ़ुर्सत नही थी. पर आज वो कुछ अलग ही लग रही थी.

उसने एक चंचल मुस्कान से राज से हाथ मिलाया और उसके गालों पर एक

चुम्मा दे दिया जैसे की बरसों के पुराने दोस्त हो.

रिया आज बहुत ही सेक्सी लग रही थी. उसने एक काले रंग की टाइट

जीन्स पहन रखी थी

और साथ ही एक गुलाबी रंग का स्लीव्ले टॉप.

जीन्स इतनी टाइट थी कि उसके चूतड़ की गलाईयों दीख रही थी
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और

टॉप के उपर से उसकी नुकीली चुचियों बाहर को उछल रही थी.

राज जय और रिया के साथ तालाब के किनारे चल पड़ा. बरसों से वहाँ

एक अलाव बनाया गया था जहाँ रात को लोग उसमे लकड़ियाँ जला पार्टी

मनाते थे. आज की रात भी कुछ ऐसा ही प्रोग्राम था तीनो का.

रोमा को घर के पीछे कुछ आवाज़े सुनाई दी. सूरज डूब चुका था

और अंधेरा होने लगा था. उसने कमरे की लाइट जलाई और खिड़की पर

लगे पर्दों को हटाकर बाहर देखा. जब उसकी आँखे अंधेरे मे

देखने को अभ्यस्त हो गयी तो उसे अपने भाई राज के साथ जय और एक

लड़की को तालाब की ओर जाते देखा. उसके दिल मे फिर से जलन जाग

उठी. मन तो किया कि दौड़ कर उनके साथ शामिल हो जाए. पहले तो

मा मना कर दिया करती थी पर अब वो 18 की हो चुकी थी पर अपनी

शरम की वजह से वो ऐसा ना कर सकी.

रोमा ने खिड़की को थोड़ा खोल दिया जिससे वो उनपर नज़र रख सके .

उसने देखा कि जब राज ने उस अलाव मे जो लकड़ियाँ पड़ी हुई थी उन्हे

जला दिया और फिर कुछ लकड़ियाँ ढूँदने को जाने लगा तो उस लड़की

ने उसका हाथ पकड़ा और उसके साथ चल पड़ी. जिस तरह से उस लड़की ने

राज का हाथ पकड़ा था उसे देख रोमा को फिर जलन होने लगी.

राज ने जब अपने हाथों मे रिया के हाथ को महसूस किया तो वो चौंक

पड़ा. दोनो हाथ मे हाथ डाले इस तरह चल रहे थे जैसे की दो

प्रेमी चाँदनी रात मे सैर को निकले हो. रिया के बदले हुए व्यवहार

से राज को आश्चर्या हो रहा था.

"कितनी सुन्दर जगह है." रिया ने रुकते हुए सामने दिखाई देती

पहाड़ियों पर नज़र डालते हुए कहा. "कितनी शांति और एकांत है

यहाँ पर है...ना."

जब रिया ने अपना सिर उसके कंधे पर रखा तो उसके बदन से उठती

महक ने राज के लंड मे फिर सरसरी भर दी.

"पिछले कई सालों से तुम मुझे नज़र अंदाज़ कर रही हो, और आज

अचानक ऐसे बिहेव कर रही हो जैसे कि मेरी प्रेमिका हो?" राज ने

पूछा.

"यही तो हम लड़कियों की ख़ासियत है, जिसे हम पसंद करते है उसे

नज़र अंदाज़ करते हैं," रिया ने जवाब दिया, "और सब लड़के हमे

परेशान करते है चिढ़ाते है कभी हमारे बाल खींच कर या

फिर दूसरे तरीके से, जो तुम कभी नही करते थे. यही वजह है

कि में तुम्हे हमेशा से पसंद करती आई हूँ."

रिया की बात सुनकर राज सोच मे पड़ गया. वो भी तो रोमा को नज़र

अंदाज़ करता है और रोमा भी उससे दूर दूर रहती है, तो क्या रिया

के अनुसार हम दोनो एक दूसरे को पसंद करते है.

"किस सोच मे खो गये राज?" रिया उसके सिर को ठप थपाते हुए

बोली. "अगर तुम्हे नही दिखाई दे रहा है तो में साफ शब्दों मे

कह रही हूँ कि आज की रात में अपने आपको तुम्हारे हवाले कर रही

हूँ, आया समझ मे बुद्धू."

राज को विश्वास नही हो रहा था कि बरसों से जिसके पीछे वो पड़ा

था आज खुद वो अपने आपको उसे सोन्प रही थी ये उस्केलिये किसी

तोहफे से कम नही था.

"हां में समझ रहा हूँ." राज हंसते हुए कहा.

रिया राज के साथ चिपक कर खड़ी हो गयी, "ये अलाव की आग बुझने

मे कितना वक़्त लगेगा?"

"ज़्यादा से ज़्यादा 15-20 मिनिट." राज ने जवाब दिया.

"तो फिर एक काम करते हैं, हम पकड़ा पकड़ी खेलते है, अगर आग

बुझने से पहले तुमने मुझे पकड़ लिया तो में तुम्हारी.' रिया ने

चंचल मुस्कान के साथ कहा.

उसकी समझ मे नही आ रहा था कि वो क्या खेल उसके साथ खेलना

चाहती है. रिया जैसे ही पहाड़ो की तरफ भागी राज भी उसके पीछे

भागा. किंतु थोड़ी ही देर मे उसने उसे पकड़ लिया.

जैसे ही उसने उसे पकड़ना चाहा वो लड़खड़ा कर नीचे गिर

पड़ी, "पागल हो गये हो क्या."

"में तुम्हारे बाल खींचना चाहता था जैसे तुमने कहा कि मेने

पहले कभी नही खींचे." राज ने हंसते हुए कहा.

"हां... लेकिन इसका ये मतलब नही कि हर लड़की को ये हरकत पसंद

आती है." रिया ने कहा.

रिया ने उसके पेंट के बकल को पकड़ा और उसे अपने उपर खींच लिया.

राज को रिया किसी अप्सरा से कम नही लग रही थी. रिया को वो बचपन

से जानता था और वो उसे हमेशा से अच्छी लगती आई थी आज वही जज़्बा

फिर उसके दिल मे उमड़ आया. वो गहरी नज़रों से रिया को देख रहा

था.

"राज..... मुझे प्यार करो ना....." रिया ने अपना चेहरा उसकी चौड़ी

छाती मे छुपाते हुए कहा.

राज ने अपनी नज़रें उसकी नज़रों से मिलाई उसने देखा कि उसकी आँखों

मे मादकता छाई हुई थी. उसने उसके स्लीवलेशस ब्लाउस के उपर से उसकी

चुचियों को पकड़ा जिन्हे वो बरसों से महसूस करना चाहता था. उसके

लंड मे लहू की धारा तेज हो गयी. वो धीरे धीरे उसकी मुलायम

लेकिन कठोर चुचियों को दबाने लगा.

उन्माद की मस्ती मे रिया ने अपनी आँखे बंद कर ली. उसके हाथ राज की

पीठ पर जाकड़ गये. राज उसके निपल को अपनी उंगलियों से भींच

रहा था. उत्तेजना के मारे उसका लंड पेंट के बाहर आने को फड़ फडा

रहा था. राज ने उसके टॉप को नीचे से पकड़ा और उसके सिर के उपर

कर उतार दिया.

रिया ने अपना हाथ राज के जाँघो के बीच रखा और पेंट के उपर से

उसके लंड को सहलाने लगी. उसके लंड को मसल मसल वो उसे चिढ़ाने

लगी. फिर उसने उसकी पॅंट के बकल को खोला और बटन खोल उसकी

पेंट को ढीला कर दिया. फिर उसने उसकी अंडरवेर की एलास्टिक मे अपनी

उंगली फसा उसे थोड़ा नीचे कर दिया. राज का लंड उछल को बाहर आ

गया.

उसके खड़े लंड को देख रिया की आँखो मे चमक सी आ गयी, "काश

तुमने मेरे बाल बहोत साल पहले खींचे होते." वो उसके लंड की

चमड़ी को उपर नीचे करने लगी. "अगर तुमने ऐसा पहले किया होता

तो पता नही में कितनी बार इस प्यारे लंड का स्वाद चख चुकी होती."

"हां मुझे भी ऐसा ही लग रहा है." कहकर राज उसकी चुचियों को

मसल्ने लगा.

रिया ने राज को खिसका कर अपने बगल मे लिटा दिया और फिर उसके

उप्पर झुक कर उसके लंड को अपनी मुठी मे ले मसल्ने लगी. फिर

उसने झुक कर उसके सुपाडे को अपने मुँह मे ले लिया. पहले तो वो अपनी

जीब से सूपदे को चाट्ती रही फिर अपने मुँह को पूरा खोल लंड को

अंदर लेने लगी. लंड उसके गले तक आ गया था.
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रिया को पता था कि समय कम है इसलिए वो जोरों से उसके लंड को

चूसने लगी. उसे लगा कि राज का लंड उसके मुँह मे और बड़ा होता जा

रहा है. वो अपनी ज़ुबान उसके लंड पर फिराते जोरों से चूसने लगी.

फिर उसने अपना मुँह हटाया और घास पर पीठ के बल लेट गयी.

रिया का मुँह लंड पर हटते देख राज उसकी पेंट के बटन को खोलने

लगा. उसकी जींस को उसने नीचे खिसका उत्तर दिया. फिर उसने उसकी

पॅंटी को भी उतार दिया. रिया ने अपनी जाँघो को थोड़ा फैला दिया.

"मुझे विश्वास नही हो रहा कि हम सही मे ये सब कर रहे है."

राज ने थोड़ी अस्चर्य भरी आवाज़ मे कहा.

"काश हमने पहले ये सब किया होता." रिया ने उसकी नज़रों से नज़रों

मिलाते हुए कहा, "मुझे चोदोगे ना अपने इस प्यारे लंड से......."

राज उसकी जाँघो के बीच आ गया और अपने लंड को उसकी चूत पर

घिसने लगा. जैसे ही लंड ने चूत को छुआ वो सिसक पड़ी और आहें

भरने लगी.

राज ने उसकी चूत की पंखुड़ियों को थोड़ा फैलाया और अपने लंड को

धीरे से उसकी चूत के अंदर घुसा दिया.

"आअह्ह राज कितना अच्छा लग रहा है तुम्हारा लंड मुझे अपनी चूत मे

ओह......."

राज ने अपना सुपाड़ा ही उसकी चूत मे घुसाया था, वो सुपाडे को

इधर उधर घूमा रहा था.

"रुक्क्क क्यों गये राज्ज्ज..... डालो ना पूरा लंड मेरी चूत मे......

मुझे पूरा लंड चाहिए अपनी चूत. मे डालो ना राज मत तड़पाओ

मुझे.....प्लीज़......" रिया सिसक पड़ी.

राज ने उसके कंधे पकड़े और एक ज़ोर का धक्का मार अपने लंड को उसकी

चूत मे पेल दिया. रिया ने भी अपनी टाँगे उसकी कमर से जकड़ ली और

नीचे से चूतड़ उठा उसके लंड को अपनी चूत के अंदर ले लिया.

थोड़ी ही देर मे उनकी कमर लय मे हिल रही थी. राज उसे चोद रहा

था.
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The Immortal

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Hello Everyone :hello:

We are Happy to present to you The annual story contest of Xforum "The Ultimate Story Contest" (USC).

Jaisa ki aap sabko maalum hai abhi pichle hafte he humne USC ki announcement ki hai or abhi kuch time Pehle Rules and Queries thread bhi open kiya hai or Chit chat thread toh pehle se he Hind section mein khulla hai.

Iske baare Mein thoda aapko btaadun ye ek short story contest hai jisme aap kissi bhi prefix ki short story post kar shaktey ho jo minimum 700 words and maximum 7000 words takk ho shakti hai. Isliye main aapko invitation deta hun ki aap Iss contest Mein apne khayaalon ko shabdon kaa Rupp dekar isme apni stories daalein jisko pura Xforum dekhega ye ek bahot acha kadam hoga aapke or aapki stories k liye kyunki USC Ki stories ko pure Xforum k readers read kartey hain.. Or jo readers likhna nahi caahtey woh bhi Iss contest Mein participate kar shaktey hain "Best Readers Award" k liye aapko bus karna ye hoga ki contest Mein posted stories ko read karke unke Uppar apne views dene honge.

Winning Writer's ko well deserved Awards milenge, uske aalwa aapko apna thread apne section mein sticky karne kaa mouka bhi milega Taaki aapka thread top par rahe uss dauraan. Isliye aapsab k liye ye ek behtareen mouka hai Xforum k sabhi readers k Uppar apni chaap chhodne ka or apni reach badhaane kaa.

Entry thread 7th February ko open hoga matlab aap 7 February se story daalna suru kar shaktey hain or woh thread 21st February takk open rahega Iss dauraan aap apni story daal shakte hain. Isliye aap abhi se apni Kahaani likhna suru kardein toh aapke liye better rahega.

Koi bhi issue ho toh aap kissi bhi staff member ko Message kar shaktey hain..


Rules Check karne k liye Iss thread kaa use karein :- Rules And Queries Thread.

Contest k regarding Chit chat karne k liye Iss thread kaa use karein :- Chit Chat Thread.


Regards : XForum Staff.
 
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