आप सोच रहे होंगे समीर अखिर कहा था और एन पांच साल में समीर ने क्या किया तो चलते हैं कुछ पीछे
जैसे मोम ने मुझे मार कर अंदर बंद कर दिया मुझे मोम और बहनो से नफरत होने लगी अखिर क्यूँ मोम ने मुझे किसी पराये मर्द के लिए मारा मैं उनका खून हू फिर क्यूँ मुझ से प्यार नहीं उस आकाश से प्यार ऐसा कौनसा मैंने गुनाह किया जो मोम इतनी बड़ी सजा दी क्या मोम और प्रिया सभी अपने गुनाह को छुपाने के मुझ पर ऐसे ही जुल्म करेगे तनु और कोमल के साथ तो मेरा बचपन बिता हुआ क्या आज वो भी मुझे मोम के छोड़ रही हैं क्या मोम के प्यार के आगे य़ह मेरा प्यार कुछ नहीं मैं रूम में बैठा रोये जा रहा अपने पापा और पूजा मोम की तस्वीर हाथ में लेकर अखिर क्यूँ चले गए आप मुझे छोड़ कर मुझे भी साथ अपने साथ ले जाते उस यहा में मैं आशु बहाते हुए अब मैं जल्द ही आपसे मिलेगा नहीं रहना मुझे यहा मैं आ रहा हू मोम आपका बेटा आपके पास आ रहा है पापा मुझे माफ कर देना मैंने तनु और कोमल साथ छोड़ दिया वो बदल गई पापा अब उनसे कभी नहीं मिलेगा मैं
मैं आशु पूछते हुए कमरे में देखने लगा तो मुझे बाहर जाने का कोई रास्ता नहीं दिखा अखिर मैं बैड पर बैठ सोचने लगा कैसे यहा से निकल सकता हू तबी मुझे कांच की खिड़की का खयाल आया तो मैंने पास रखा लैम्प उठा कर खिड़की पर मारा जिस से कांच की खिड़की टूटने लगी मैं 3 बार वो लैम्प खिड़की पर मारा तो खिड़की कांच टूट गया मैं वहां से बाहर निकला मैं बड़बड़ाते हुए अगर मैं गैट से गया तो गार्ड मुझे रोक लेंगे इस मैं छपते हुए दीवार के पास गया पैड का सहारा लेते दीवार पर तो चड गया लेकिन दूसरी तरफ नीचे कैसे उतरे क्योंकि दीवार काफी हद ऊंची बनी हुई थी मुझे पकड़े जाने डर था उस से भी यादा डर मुझ इस बात से था अगर मुझे मोम ने पकड़ लिया तो मुझे घर से छोड़ने के लिए बहुत मारेगी इस लिए मैंने दीवार से नीचे शाल मार दी नीचे गिरते मुझे कुछ नहीं हुया मैं ठीक था फिर मैं सोचते अब कहा जाए घर से तो निकल गया हू मोम मुझे दूंद लेगी और मैं क्यूँ भाग रहा हू किसके लिए मैं सोचते हुए नहीं समीर तेरा यहा कोई नहीं तुम्हें मरना होगा किस के लिए जिये अपने लिए अगर अपने लिए जीना है तो तुझे हर दिन मरना होगा मैं सोचते हुए नहीं ऐसा नहीं हो सकता मुझे नहीं जीना मर जाना है मुझे मैं सोचते हुए रेल्वे लाइन की ओर चलने लगा तो मुझे लोगों के आते जाते देख मैं और आगे बड़ने लगा मैं ऐसी जगह पहुँचा जहा कोई नहीं था सुनसान चारो तरफ अंधेरा ही देखाई देता मैं मन में सोचते हुए वही पटरी पर लेटने लगा तभी किसी में मुझे पीछे से पकडा तो डर के मारे मेरी साँस अटक गयी मैं डरते हुए पीछे देखा तो चार लड़कों खड़े थे जिनके कपड़े फाटे हुए रात थोड़ी रोशनी मे दिखाई दिए
पहले वाला लड़कों क्या गोंझू मारने आया है
मैंने कोई जवाब नहीं दिया
दूसरा लड़कों देख हीरो मरना है तो मर हम तुझे रोकने वाले नहीं लेकिन य़ह गले के सोने का चैन और तेरे कपड़े और बूट दिखने में काफी महंगे लगते है य़ह हमे दे दो तुम्हें तो मरना है फिर य़ह महंगे कपड़े क्यूँ खराब करे
कहा मैं मारने के लिए आया अभी मेरी उनसे डर कर गाड़ फाटे जा रही थी मुझे मरना है मैं अब तक भूल चुका था
पहले वाला लड़का चल कपड़े उतार और मुझे राम दिखाते हुए चल जल्दी कर वर्ना इतना मरूंगा के जो दर्द सह नहीं पाए
मैं डरते हुए जल्दी से अपने कपड़े उतारा साथ में बूट और उस लड़के को दिया
पहले वाला लड़कों अपने कपड़े उतार मुझे देते हुए चल य़ह पहन नहीं तेरे घर वालों तुझे नंगा देख अच्छा नहीं लगेगा मैंने जल्दी से वो कपड़े पहने
दूसरा लड़कों चल अब य़ह तेरे गले मैं जो चैन लटक रहा य़ह मुझे दे
मैंने डरते चैन उतार कर उसे दिया
पहले वाला लड़कों दूसरे वाले से चैन लेते हुए य़ह गोल्ड की है क्या
मैं हाँ य़ह गोल्ड की है मेरी माँ ने मुझे दी
पहले वहां अब य़ह मेरी हुयी जिसे वो गले में पहन लेता है
दूसरे वाला लड़का पहले वाले नाम लेते देख भाई तूने य़ह कपड़ा और बूट लिए अब य़ह चैन मुझे दे इस पर तीनों का हक है तुमने अपने हिस्से का ले लिया
पहले वाला चल मैंने बोल दिया य़ह मेरी है तो मतलब मेरी अब निकलो यहा से
दूसरे वाला य़ह तुम अच्छा नहीं कर रहे हर बार तुम ऐसा करते हो
मैं अभी वही डर के मारे हिला तक नहीं उनकी बहस सुनने लगा
पहले वाला फिर बोला जिसकी लाठी उसकी बैंस
दूसरे वाला अपने साथी को इशारा कर्ता तो उसका साथी पास पड़े पत्थर को उठा पहले वाले लड़के के सिर पर दे मारता जिस से वो लड़का गिर जाता अभी पहले वाला लड़का गाली देते सिर पकड सम्हाल नहीं पया तब तक दूसरे वाला लड़का पत्थर उठा उस जमीन पर गिरे लड़कों के सिर पर मारने लगा
मैं डर के मारे उनको देख स्टेशन की ओर भागने लगा मैं बार बार पीछे मूड देखने लगा कहीं वो मेरे पीछे तो नहीं आया मैं जब तक काफी दूर निकला जैसे ही स्टेशन पर गया तभी एक ट्रेन चलाने लगी मैं भागता हुया उस ट्रेन की तरफ दोड़ पड़ा रात का वक़्त था स्टेशन पर कुछ ही लोग थे मैं ट्रेन की खिड़की का सरिया पकड ट्रेन में गया और वही दरवाजे के पास बैठ गया मुझे डर के मारे ट्रेन के अंदर जाने को हिम्मत नहीं हुयी मेरी आँखों में अभी उस लड़के का खून से सना हुया चेहरा था
जैसे मेरे जाने के बाद वो उस लड़के का चेहरा पत्थरों से कुचल दिया और उसे पटरी पर लिटा कर चल दिये सुबह सभी को लगा वो मैं समीर
मैं ट्रेन में बैठ गया मुझे नहीं पता था वो ट्रेन कहा जा रही मुझे कहा जाना मेरा दिमाग कुछ कम नहीं कर रहा था ठंडी हवा आने से मुझे ऐसी नींद आयी मेरी आँखों तब खुली जब ट्रेन में शोर होने लगा सुबह 12 बज रहे थे मैं रात के 9 बजे के आसपास ट्रेन में चला था इतनी देर कैसे सोया लोग ट्रेन में आते जाते रहे मुझे कुछ पता नहीं था जब देखने के लिए खड़ा हुआ अभी नींद भी ठीक से खुली नहीं था मुझे बस इतना ही सुनाई दिया चोर चोर और डूबे से कुछ 5,6 लड़के दोड़तो आए मे रास्ते से हट पता तब तक एक ने मुझे धक्का- दिया मैं देखते ही ट्रेन से गिरने लगा उपर कुछ लड़के गिरते हुए दिखाई दिए जब मैं नीचे गिरा तो दर्द के मारे मेरी चीख निकली मैं गिरते हुए नीचे की तरफ जा रहा तो मुझे मुझे समझ आया मैं हू खुद को डूबता देख मैं हाथ पैर मारने लगा ऊपर पानी की सता पर आने तुक मेरी सांसे फूल चुकी थी उस मुझे अपनी तरफ आते हुए कुछ लकड़ी के पैड दिखाई दिए जो पानी मे तैर रहे थे जैसे व्यपारिक लोग नदी के रास्ते दो नंबर की लकड़ी बैच पैसे कमाते हैं सायद वो चोरी करने वाले लड़कों भी एन पानी मे तेर रहे पैड से बच जाते होंगे
मैं किसी तरह पैड के पास पहुँचा और उसे पकड लिया काफी पानी मेरे अन्दर जाने के कारण मैं बेहोश होने लगा जब मुझे होश आया तो काफी अंधेरा हो चुका था मुझे आसपास पैड ही दिखाई दिए मैं खड़ा हुआ तो मुझे दूर तक कोई रोशनी नहीं दिखाई दी मैं पहली बार घर से निकला था ट्रेन की बात अलग थी वहां लोग थे लेकिन यहा तो कोई आदमी क्या रोशनी भी दिखाई नहीं दी रात के अंधेरे मे पतों की आवाज सुन मेरी गाड़ फाटे जा रही थी मुझे कुछ समझ नहीं आया मैं किधर जाना तभी मुझे कुछ जानवरों के चिल्लाने की आवाज सुनायी दी डर के मारे भागा और पैड पर चड गया डर के मारे नीचे उतर जाना मेरे लिए खतरनाक हो सकता था मैं वही पैड के बड़े टहनियों पर बैठा रहा कल से कुछ खाया नहीं था भूख के मारे मेरी जान निकल रही थी नीचे उतर कहीं जाने की हालत नहीं थी मैं भूख से बेहाल हो पत्ते तोड़ कर खाने लगा इतना बुरा भी स्वाद नहीं था रात सुबह देर रात जागने के बाद वही पैड पर सो गया अभी नींद भी पूरी नहीं हुयी थी के पाछीऊ की आवाज सुन मैंनें आँखों खोली आँख मालते हुए देखा तो हर तरफ सूरज की रोशनी रोशनी थी मैं काफी ऊँचे पैड पर बैठा हुआ था हर तरफ पहाड़ ही पहाड़ बड़े बड़े पैड दिखाई दे रहे थे कोई आदमी जा कोई घर वहां दिखाई नहीं दिया
मैं नीचे उतरा और चलने लगा काफी दूर तक चला लेकिन मुझे कोई सड़क नहीं दिखाई दी हर तरफ पहाड़ और पैड ही थे मुझे डर भी लग रहा था मैं कहा हू और रात पत्ते खाए थे भूख भी बहुत जोरों पर लगी हुई थी मैंने अपने कपड़े देखे जो अब तक ठीक से देख नहीं पया जगह जगह से फाटे पड़े थे काफी बदबूदार
मैं सोचने लगा पहले मुझे खाना खा लेना चाहिए गर्मी के कारण पसीना से बुरा हाल हो गया थोड़ी दूर चला मुझे खाने के लिए कुछ पेड़ों पर फल दिखे मैंने फल खाए भूख तो मिट्टी मगर प्यास अभी लगी थी गर्मी मे पानी ना मिले तो क्या हाल होता उपर से कपड़े बदबूदार मैं आगे कुछ दूर तक चला मुझे कहीं से पानी गिरने के आवाज सुनायी दी मैं उस पानी आवाज की तरफ बड़ने लगा पानी जब आवाज वाली जगह पहुँचा तो मुझे कोई पानी दिखाई नहीं दिया आसपास कोई नहीं झरना नहीं था मैं निराश हो वही से जाने लगा तो मुझे गुफा जैसा कुछ दिखा मैं गुफा के बाहर रुका मुझे अन्दर जाने से डर लग रहा था लेकिन उसी गुफा से पानी की आवाज काफी तेज सुनाई दे रही थी मैं अन्दर की तरफ चल पड़ा कुछ दूर चलने पर अन्दर का नजारा कुछ अलग था बाहर से गुफा का मुह छोटा था लेकिन अन्दर से गुफा बहुत बड़ी उपर पत्थरों से डाकि हुई सूरज की रोशनी पत्थरों से होते हुए अन्दर आ रही थी और सामने मेरे वो था जिसकी मुझे तलाश थी जिसकी तलाश मे मैं गुफा मे आया था सामने गुफा मे एक छोटा तालाब था उसमे उपर से पानी गिर रहा था जो मुझे बाहर से दिखाई नहीं दिया सायद पत्थरों के नीचे से बेह रहा था मैं दोड़ कर पानी के तालाब मे छलांग लगा दी ठंडे ठंडे पानी से मुझे राहत मिली फिर मैं झरने से गिरते हुए पानी को पीने लगा बहुत देर तक मैं उस तालाब मे रहा कोई दो घंटे तभी मुझे किसी के आवाज सुनाई दी मुर्ख बालक तुम यहा कैसे आए आए
जब मैंने पीछे देखा कोई सफेद वालो वाले बाबा थे जिसके हाथ मे एक लकड़ी पकडी हुयी थी काफी बूढे नजर आ रहे थे वो धीरे धीरे चलते मेरे पास आए उनके हाथ कंप रहें थे सायद उनकी उम्र बहुत यादा थी मैं उनकी तरफ ही देखे जा रहा था और मैं बाहर निकल खड़ा हो गया वो साधु बाबा मेरे पास आए और आते ही मुझ से पूछने लगे
साधु बाबा, बालक क्या तुमने इस झरने से पानी पिया
मैं डरते हुए जी साधु बाबा मुझे बहुत प्यास लगी थी इस लिए मैंने झरने का पानी पिया
साधु बाबा गुस्से से तुम मुर्ख हो अब तुम बहुत जल्द मरने वाले हो तुम्हें कोई नहीं बचा सकता जिसे सुन मुझ बहुत डर लगने लगा मैंने ऐसी क्या गलती की जो साधु बाबा मुझ से गुस्सा हो गए सिर्फ थोड़ा पानी ही तो पिया क्या बाबा मुझे मारेगी मैं अभी सोच रहा था तभी साधु
साधु बाबा गुस्से से तुम अन्दर कैसे आए कहा से आए हों तुम
मैं, डरते हुए अपनी सारी बाते बोलता गया मन मे यही खयाल था सायद सच जान बाबा मुझे छोड़ देंगे
साधु बाबा बालक मौत से डर तुम वहां से तो भाग आए लेकिन मौत तुम्हारे पीछे यहा जगल तक चली आयी
मुझे अब पता चला मैं यहा घूम रहा हू वो जंगल है
मैं हाथ जोड़ बाबा बहुत प्यास लगी थी बस थोड़ा पानी पिया
साधु बाबा बेटा मैं तुम्हें कुछ नहीं कहने वाला पानी तो होता ही प्यास भुजाने के लिए है जीवन मे जैसे सांसो की जरूरत होती हुए हैं वैसे ही पानी की लेकिन तुम्हें य़ह पानी नहीं पीना चाहिए था
मैं, बाबा क्या हुया मुझे क्यूँ नहीं पानी पीना चाहिये था जब आप कह रहे हों पानी तो बना ही पास के लिए फिर क्यूँ
साधु बाबा, बेटा बैठ जाओ पहले फिर मैं बताता हू तुमने क्या किया मैं वहां पास पड़े पत्थर पर बैठ बाबा की ओर देखने लगा बाबा वही पत्थर पर बैठ गए
साधु बाबा हज़ारों साल पहले जहा बहुत बड़ा तालाब हुया कर्ता था अब जो झरना तुम्हें दिख रहा य़ह बहुत बड़ी नहीं बहा करती थी
मैं, फिर बाबा अब तो य़ह तालाब छोटा है उस नदी का पानी कहा गया
साधु बाबा यहा आसपास एक राजा का राज हुया कर्ता था सभी इस नहीं के पानी पर निर्भर थे धीरे धीरे पानी कम होने लगा राजा ने एलान किया कोई बाहर का आदमी इस नदी का पानी नहीं पी सकता जो भी कोई मेरे राज से बाहर का आदमी इसका पानी पीए उसे सजा दी जाए वक़्त बीत रहा था पानी कमी दिखने लगी तभी राजा का दूसरे राज के राजे के साथ युद्ध होने लगा
एक दिन कोई राशि यहा से गुजर रहा था तो उसे प्यास लगी वो इस तालाब का पानी पीने लगा उस राशि को पानी पीते देख मारते
राजा के पहरेदार राशि को पकड कर मारने लगे
राशि , क्यूँ मार रहे हों मुझे तुम क्या जुर्म किया मैंने
पहरेदार , तुमने इस तालाब का पानी पिया राजा के राज के लोग ही इस तालाब का पानी पी सकते है और कोई बाहर वाला पीए तो उसे सजा दी जाती है
राशि को य़ह सब जान क्रोध आ गया
ऋषि तुम लोगों ने मुझे इस पानी के लिए मारा जिसे भगवान ने इंसान उपहार में दिया था तुमने कामदेव के भक्त पर जुल्म किया है मैं कामदेव भक्त शाराप देता हू जो भी इंसान इस तालाब से पानी पियेगा वो कामदेव की काम अग्नि में जलकर मौत को प्राप्त होगा
पहरेदार राशि को मारते हुए महल ले जाते हैं जहा राजा दरबार मे बैठा हुया था राजा ऋषि को मारते देख जल्दी उठ जाता और पहरेदार को रोक कर मारने का कराना पूछता
पहरेदार महाराज इस राशि ने तालाब से पानी पिया
राजा गुस्से से मुर्ख हो तुम सब मैंने लोगों को माना किया किसी राशि मुनि को नहीं
राजा अपने दूसरे पहरेदार से एन सबको मौत की सजी दी जाती है एन लोगों ने राशि पर जुल्म किया इन्हें मार दिया जाए
राजा, राशि से हाथ जोड़ माफ करना राशि जी मेरे पहरेदार से भूल हो गई आप आए बैठो यहा
राशि , राजन अब कुछ बदल तो नहीं सकता तुम अच्छा राजा हो जो राशि मुनि का सत्कार करते हो भूल तो मुझ से भी हुयी है जब मुझे मारा तो क्रोध में मैंने शाराप दिया जो उस झरने तालाब का पानी पियेगा वो काम में विलीन होगा उसके सामने माँ बहन बेटी कोई रिसता नहीं होगा वो जब भी काम वासना से किसी का शापर्स करेगा तो जिसे शापर्स किया वो उस शापर्स करने वाले इंसान का होकर रह जाएगा उसके साथ सबंध बनाएगा और कुछ दिनों मे पानी पीने वाले इंसान की मौत हो जाएगी
राजा हाथ जोड़ राशि महाराज य़ह आप ने क्या कर दिया एक पानी पर य़ह राज निर्भर था दूसरे राजा ने इस नदी का पानी रोक लिया जिस से पानी यहा कम लगा मैंने पानी पर रोक लगा दी थी मेरे सैनिक युद्ध मे मर रहे है आप अपना शाराप वापिस ले लो
राशि , राजा से मैं य़ह शाराप तो वापिस नहीं ले सकता लेकिन तुमने मुझे इज्जत सन्मान दिया मैं वरदान देता हू जो भी साचे साफ नेक दिल इंसान इस तालाब से पानी पियेगा उसे उसकी मौत तो नहीं होगी लेकिन काम के कारण जो पानी पीने वाला काम वासना से किसी से शापर्स करेगा वो काम में विलीन हो शापर्स करने वाले का हो जाएगा और जो जो भी इस तालाब मे इशान करेगा उसका जिसम किसकी भी घाव लगने पर कुछ देर में फिर भर जायेगे उकसा जिस्म आम लोगों बहुत ताकतवर और सुन्दर होगा जो किसी को भी मोहित कर ले
अब आगे
साधु बाबा, फिर राजा के सैनिक उस झरने में नहाए कुछ गलत विचार दिल मे लाते और पानी पीते जिस से राज के लोग और सैनिक मारे गए जो सैनिक बच गए उन्हों ने युद्ध लड़ा लेकिन सैनिक कम थे जिसके करा दूसरे राजा ने राजा और उसके सैनिकों को कैद कर लिया धीरे धीरे लोग मारने लगे पानी के करन तो लोगों ने पत्थरों से नदी को बंद करना चाहा लेकिन अभी कुछ पानी ऐसे पत्थरों के नीचे से बेह रहा
बाबा ने जो बताया मैंने सुना
मैं, बाबा क्या होगा मेरा क्या मैं मर जाएगा क्या मेरी भी मौत होगी
साधु बाबा, बेटा य़ह ना तुम तेह कर सकते हो ना मैं अगर तुम्हारा दिल नेक है तुम्हें कुछ नहीं होगा और अगर नहीं तो तुम्हारी मौत होगी
मैं ,बाबा से मैंने तो कभी कोई गुनाह नहीं किया कभी किसी का गलत नहीं किया क्या फिर भी मै मर जायेगा
साधु बाबा , बेटा अगर तुम बच गए तो तुम्हारे पास ताकतवर जिस्म होगा तुम्हें कोई चोट का असर नहीं होगा लेकिन काम के कारण तुम्हारे सबंध किसी से भी बन सकते है कोई रिसता बच नहीं पाएगा इस काम अग्नि से
मैं , बाबा अब मैं क्या करूं कहा जाए
साधु बाबा, बेटा तुम घर से मरने के लिए निकले थे अगर तुम्हारी किस्मत में मरना ही लिखा तो तुम इस जंगल में मारो अगर जिंदा रहे तो तुम जंगल एन गुफाओं से बहुत कुछ प्राप्त कर सकते जैसे राजा का दबा हुया सोना जो तुम्हारे जीवन को बदल देगा तुम्हारे पास पैसा होगा तो तुम कुछ भी कर सकते हो अपने माँ बाप की मौत का बदला भी तुम्हारे पास ताकतवर जिस्म होगा तो तुम किसी भी मुसीबत का सामना कर सकते हो क्या तुम अपने माँ बाप के कातिलों को माफ कर देंगे क्या उनसे तुम्हारे परिवार पर हुए जुल्म का हिसाब नहीं लेंगे
मैं, बाबा की बाते सुन इतने गुस्से था जिसे अगर अभी पापा को मारने वाला सामने हो तो उसे यही मार दूं बाबा की बातों ने मुझे अंदर तक हिला दिया मैं मन मे सोचते हुए अब मेरे पास ताकतवर जिस्म है मैं उन लोगों माफ़ नहीं करूगा जिसने भी मेरे पापा को मारा चाहे मेरी मोम रेणु ही क्यूँ ना हो मैं सोचते हुए
मैं, बाबा क्या मेरा जिसमें इतना ताकतवर होगा
साधु बाबा , बेटा य़ह सच है लेकिन जैसे हीरे को तराशा जाता उस उस हीरे की कीमत बढ़ जाती हैं वैसे ही तुम्हें अपने जिस्म को तराशने होगी जिस से तुम और भी ताकतवर बन सकते हो बाबा ने अभी मुझे बहुत कुछ समझा दिया कैसे क्या करना कैसे करना
मैं दो महीने जंगल मे घूमता रहा हर जगा गुफाओं मे मैं जगल के हर रास्ते से वाकिफ हुया मुझे यहा हीरे मोती सोने से भरे बुक्स मिले जीने मैं साधु बाबा के पास लाया एक दिन
साधु बाबा बेटा तुम अब जहा से चले जाओ
मैं, क्यूँ बाबा मैं क्यूँ यहा से चाला जोउ मुझे यहा पर अच्छा लगता यहा पर सकूँ मिलता
साधु बाबा बेटा तुम्हें जाना होगा इस समाज मे रहने लायक बनना होगा तुम्हें आगे पढ़ने के जाना होगा तुम य़ह सोना यहा छुपा दो य़ह तुम्हारी अमानत है तुम थोड़ा थोड़ा कर किसी ईमानदार इंसान को य़ह सब बेचो खुद का घर लो रहो वहां पड लिख कर अच्छा इंसान बनो
मैं, वहां से कुछ सोना लेता उसे बेच स्कूलों मे पढ़ने लगा जब वक़्त मिलता साधु बाबा के पास जाता उस झरने का पानी पीता नहाता मुझे लगता मेरा जिस्म इस से और ताकतवर होगा मैं जिम जाने लगा धीरे धीरे मेरी जिस्म ताकतवर होता गया मैं पहले दुबला पतला था वही मेरा जिस्म पर एब्स थे डोले बड़े हो गए मेरे चेहरे पर चमक बड़ने लगी मैं और भी खूबसूरत होता गया फिर मैं स्कूलों की पढाई कर मुंबई आया उसी शहर यहा से मैं भाग निकला था कभी वो पहले वाला समीर मर था जो अब सबके सामने था उसे कोई पहचान नहीं पया सबसे पहले मैंने अपने घर के लोगों पर नजरों रखने लगा वही कभी माया कभी दिनेश तो कभी आकाश मैंने सबका पीछा किया जो मुझे उनके बारे कुछ यादा नहीं पता चल पया
मैं जब भी अपने घर के नजदीक होता तो चार्ल्स घर मे भौंकने जिसका ना तो पता मेरी मोम रेणु को लगा ना मेरी बहनो को लेकिन चार्ल्स तो मुझे 1km से जान जाता था मेरी आहत पहचान लेता था मैंने आकाश की फाइट के बारे पता किया और मैंने आकाश को हरा कर मोम और अपनी बहनो के सामने आकाश की इज्जत लूट ली
फिर मैंने अपनी बहनो के कालेज मे एडमिशन लिया यहा पर आकाश का बेटा रोहित उसकी बहन नेहा और रुबीना और दिनेश के दो बेटे थे रवि और राघव जो रोहित के खास दोस्त थे यहा कालेज मे कोई और भी य़ह अभी मुझे पता नहीं चला आज कालेज मे मेरा पहले दिन जो था
कालेज वक़्त खत्म हुया मैं अपनी बाईक लेने के लिए पार्क मे चल दिया मैं पार्क मे अपनी बाईक के पास ही गया था तभी मुझे पीछे से किसी ने पीठ पर किक मारी मैं सीधा जमीन पर गिरा पीछे देखा तो रोहित उसके दोस्त उसकी बहन और मेरी बहने सामने खड़ी थी जिनकी आँखों मे गुस्सा और सबसे चेहरे पर मुस्कान थी
रोहित, सुबह बहुत फुदक रहा हीरो समझते हो खुद को चल अब दिखा अपनी हीरो गिरी रोहित और उसके 2 दोस्तों के हाथ मे हकी और बेसबॉल पकड़े हुए थे
मैं, उन्हें देख मन मे बेटा आज तुम मार खा लो इनसे अभी तुझे और काम करने इनसे उलाहना अभी सही फिर सोचता लेकिन मार नहीं खाना आज इनको मजा देता कैसे मार खाया जाता चओ आज पहली बार एक मोका दे ही देता हू तभी तो आगे खेल मे मजा आयेगे
मैं भाई सुबह के लिए Sorry बस सुबह गलती हो गया मुझे पता नहीं था आप लोग कोण अब मुझे पता चला
रोहित क्या बात है अभी से इतना डर अभी पता चला तुम्हें क्या लगता मैं तुम्हें माफ कर दूंगा
मैं भाई जैसे ही मुझे पता चला आप लोग कोण हो मैंने sorry बोलने आपके पास आने ही वाला लेकिन आप यहा मिल गए
रोहित मुझे किक मारते हुए sorry मई फुट तेरी हिम्मत कैसे हुयी मुझे हाथ लगाने की
मैं, भाई मुझे माफ कर आप जो बोलो गे मैं करूगा ना पक्का
प्रिया सोचते हुए कुछ भी करोगे
मैं हाँ मैं सिर हिला देता हू जिसे देख प्रिया बोलने लगी
प्रिया ठीक तुम्हें माफ किया साक्षी और रोहित बोलने को होते लेकिन प्रिया उन्हें इशारे से चुप रहने को बोलती है
प्रिया ठीक तुम अब घर जाओ कल मिलते है जो हम कहे वो तुम्हें करना होगा कामिनी मुस्कान देते हुए
मैं वहां से चल दिया मैं अपने मन मे सोच रहा था अब कोण किसके जाल मे य़ह वक़्त बतायेगा
दूसरे दिन मैं कालेज आया जैसे ही काल्स मे जाने लगा किसी लड़की से टकरा गया
मैं उसे देखते हुए य़ह य़ह यहा कैसे मेरे सामने खाड़ी लड़की कोई और नहीं पयाल थी
मैं , sorry मैं देख नहीं पया आपको मुझे माफ करना
पायल कोई बात नहीं और चुप चाप वो क्लास के बाहर चल दी
काल्स मे आज मेरी नजरों पायल पर थी लेकिन मुझे कुछ समझ नहीं आया पयाल के बारे मे मैं मन मे मुझे पयाल के बारे मे जानना होगा य़ह कोई इत्तफाक है जा कुछ और