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Romance निर्मोही

Boobsingh

Prime
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Oh.. So you r back.. Aap aye bahar ayi. 😛😛
Jokes apart.. really missing your thread. Hope to see the next thread ASAP
Thanks dost......
Update kal deta hu.....🤞🙏🏻
 
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Boobsingh

Prime
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प्रेम के जाते ही प्रमोद फटाफट दुकान बंद किया और चल पड़ा घर की तरफ……..वही दूसरी तरफ चन्दा का मन आज बहुत ज्यादा घबरा रहा था…वो खाना वगैरह बना कर अपने बापू और बाकी लोगों का इंतेजार कर रही थी की प्रमोद के आने के बाद जब तक वो उस्को खाना खिलाए तब तक वो लोग भी या जाए तो जिस चीज का डर उसे सता रहा है वो खतम हो जाएगा…अभी चन्दा इसी कशमकश मे थी की तभी दरवाजे पे दस्तक हुई और उसने घबराते हुए दरवाजा खोला और प्रमोद घर के भीतर आ गया…..
चन्दा दरवाजा बंद कर के वापिस कमरे मे आई जहा प्रमोद ने उसके सामने एक डब्बे मिठाई का रखा और कहा की आज मन कर गया की तुम्हारी मनपसंद मिठाई लेता चलू क्युकी बाकी लोग तो वहा शादी मे बढ़िया बढ़िया खाना खाएंगे तो हमारे लिए भी तो कुछ खास होना चाहिए…..चन्दा ने मिठाई का डब्बा उठाया और उसे ले कर रसोई की तरफ चल पड़ी…..चन्दा के इस बुझे हुए प्रक्रिया को देख कर प्रमोद बोला क्या हुआ खुश नहीं हुई अपनी पसंदीदा मिठाई देख कर…..अरे अपनी शादी को इतने दिन हो चुके है तो तुम्हारे बारे मे थोड़ा बहुत तो जान ही चुका हु पसंद नापसंद और ये भी की तुम्हे जबरदस्ती पसंद नहीं है…..
चन्दा जो प्रमोद के लिए खाना निकाल रही थी वो ठिठक गई और बुरी तरह घबरा गई की अब वो क्या बोले…..प्रमोद आँगन की तरफ बढ़ते हुए बोला मुझे अच्छे से पता है की तुम घबराई हुई हो की कही मै कुछ….इतना कह कर वो अपना हाथ मुह धोने लगा और बोला खाना ले आओ भाई आज दोपहर मे भी नहीं आ पाया था तो भूख जोरों की लगी हुई है और साथ मे खाएगी ना या आज साथ खाने मे भी दिक्कत है…..
प्रमोद के ऐसे बोलने पर चन्दा सकपका गई और धीरे से बोली नहीं मैंने खाना खा लिया है आप खा लीजिए…..प्रमोद बोल अरे इतने प्यार से मैं मिठाई ले कर आया हु दो न सही एक रोटी तो साथ मे खाओ…..
तभी प्रमोद की नजर खाने पे गई और आज पूरी और पनीर की सब्जी बनी है देख के वो बोला वाह आज तो अपने घर मे भी दावत है मिठाई लाना बेकार नहीं हुआ मेरा….चलो अब रोज की तरह साथ मे खाओ वरना हम भी नहीं खाएंगे…
तो चन्दा मन मार कर उसके साथ बैठ गई पर उसका ध्यान अभी प्रमोद की काही गई बातों पर था की सच में प्रमोद इतना समझदार हो सकता है या फिर ये उसका नाटक है…खाना खाने के बाद चन्दा ने बचा हुआ काम निपटा कर बिस्तर पर आ कर बैठ गई…
……
……..

बिस्तर पर बैठते ही प्रमोद ने चन्दा का हाथ पकड़ते हुए बोला हमसे मत घबराया करो हम कोई भूत पिसाच थोड़े है जो तुमको नुकसान पहुंचा देंगे या फिर कुछ गलत कर देंगे अरे जो एक पति पत्नी के बीच के रिश्ता का नींव होता है वो तो…….इतना बोल कर वो जैसे खुद मे शर्मा गया क्युकी चन्दा की आँखों में आँसू उभर आए थे…
पर आज प्रमोद के मन मे उथल पुथल मचा हुआ था कितने दिनों बाद उसे अपनी पत्नी के साथ एकांत मे रात का समय मिला था…अभी वो ये सब सोच ही रहा था की दरवाजे पे दस्तक हुई जिसको सुन कर उसने चन्दा का हाथ छोड़ दिया और दूसरी तरफ चन्दा के भी जान मे जान आई और वो दौड़ते हुए दरवाजा खोलने गई और सामने कोई और व्यक्ति खड़ा था जो शायद प्रमोद और प्रेम को उनके दुकान से जानता था……..
उसको देख कर चन्दा अंदर प्रमोद की तरफ देखी जो की दरवाजे की तरफ ही देख रहा था तो उसने चन्दा से पूछा की कौन है तो चन्दा बोली कोई और है और वो व्यक्ति बाहर से ही आवाज दे कर बोला अरे प्रमोद भईया है का……..
वो व्यक्ति थोड़ा घबराया हुआ लग रहा था अजनबी व्यक्ति की आवाज सुन कर प्रमोद आया और उसको देख कर वो व्यक्ति बोला भईया प्रेम और तोहरे चाचा के कौनों ट्रक वाला उड़ाये दिया है जल्दी चलो सब कोई को घायल अवस्था मे उठा कर अस्पताल ले के गए है…
इतना सुनना था की चन्दा चीखते हुए बोली बाबा और बाहर भागने ही वाली थी की प्रमोद ने उसे रोका और बोला अरे तुम यही रुको हम देख कर आते है पहले…पर चन्दा बोली की नहीं मै अपने बाबू को देखने जाऊँगी चाहे जो हो जाए…….
प्रमोद उसके आँखों मे आँसू और आवाज मे छुपी जिद को सुन कर कुछ नहीं बोला और कमरे के अंदर से अपना शर्ट ले कर पहनते हुए सब के साथ चल दिया और उस व्यक्ति से बोला की ऐसे कैसे क्या हुआ……तो वो व्यक्ति बोला की सारे कोई खाना खा कर लौट रहे थे साथ मे हम भी थे मेन रोड पार करते समय ये हादसा हो गया…….

चन्दा के आँसू लगातार बहे जा रहे थे वो मन ही मन भगवान से प्रार्थना कर रही थी की उसके बाबा और बाकी सब ठीक हो…….जब सब लोग अस्पताल पहुंचे और वहा पहुँच कर जो बात डॉक्टर ने बताई उसको सुन कर चन्दा के तो होश ही उड़ गए हादसे मे उसके बाबा और नौरंगी दोनों की मौत हो गई थी जबकि प्रेम घायल था…
वही प्रमोद को कुछ समझ नहीं आ रहा था की वो क्या करे चन्दा को संभाले या खुद को या फिर घायल पड़े अपने बेटे को देखे या मृत पड़े अपने ससुर और बाप समान चाचा को देखे……
थोड़ी देर मे पुलिस वहा आ पहुंची और प्रमोद से हादसे की जानकारी ली और जरूरी कार्यवाही करने के बाद डॉक्टर से कह कर दोनों बूढ़ों के मृत शरीर को प्रमोद के हवाले कर दिया और चली गई……एक तरफ अपने बेटे को जिंदगी और मौत के बीच झूलते हुए छोड़ कर प्रमोद ने अपने नाम मात्र के कुछ जान पहचान के लोगों के साथ मिल कर कैसे भी दोनों बूढ़ों का अंतिम संस्कार किया पर इस समय उसको सबसे ज्यादा मुश्किल चन्दा को संभालने मे हुई........क्यूंकी अब चन्दा इस दुनिया मे बिल्कुल अकेली रह गई थी........और उसके बाबा का ऐसे इस तरह अचानक से साथ छूटने का दुख वो संभाल नहीं पा रही थी........उसके जीवन मे सबसे ज्यादा मायने रखने वाला इंसान भी औरों की तरह उससे मुह मोड़ कर चला गया था........
..
...
इस दुर्घटना के कुछ दिन बीत जाने के बाद भी चन्दा सामान्य नहीं हो पाई थी और अब शायद ही कोई बदलाव आने वाला था उसमे दिन भर गुमसुम सी रहती जो चेहरा पहले थोड़ा बहुत खिला भी रहता था अब वो रौनक भी उसके चेहरे से गायब हो चुकी थी क्यूंकी उसके लिए दिन रात कोई मायने नहीं रखते थे........उसके लिए अब ये दुनिया शून्य हो चुकी थी किसी के होने न होने से उसके कोई फर्क नहीं पड़ रहा था........वो सिर्फ अपने बाबा की आखिरी इच्छा का पालन करने मे लगी हुई थी........प्रमोद के साथ पत्नी का रिश्ता तो नहीं निभा पाई पर उसके घर की जिम्मेदारी जैसे वो उठाते आई थी वैसे ही अभी भी उठा रही थी.......पर अंदर ही अंदर जिंदगी पर से उसका विश्वास उठ चुका था पर जब तक साँसों के बही खाते में साँसे बची हुई है तब तक तो उसको अपने शरीर का बोझ लिए इस धरती पर फिरना ही होगा........
और दूसरी तरफ प्रमोद एक बार फिर से शराब के प्याले मे डूबने लगा था और प्रेम की स्तिथि रस्सी के बीचों बीच पड़े हुए गांठ की तरह हो चली थी क्यूंकी वो किसी को भी समझाने जाता तो दबाव उसपे ही पड़ता एक तरफ दुकान की लगभग लगभग सारी जिम्मेदारी उसके ऊपर आ गई थी और अगर वो दुकान सही से नहीं संभालेगा तो फिर घर मे राशन और बाकी जरूरत का सामान कहा से जुटाता और बदलते जमाने के साथ पैसे कितनी जरूरी चीज है ये उसे भली भांति मालूम था........
प्रेम प्रमोद से तो वैसे भी चिढ़ता था पर बाप बेटे का रिश्ता होने के नाते वो आज भी प्रमोद को शराब पीने से रोकता पर शराबी अपनी प्यास बुझाने का तरीका निकाल ही लेता था........हा पहले की मार पीट अब बहस का रूप ले कर रह गई थी वही चन्दा बस अपनी साँसों का बोझ हल्का करने मे जुटी थी........
इसी बीच प्रेम के जीवन मे एक दोस्त का आगमन होता है “पवन”.........
 
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