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दोस्तो, मेरा नाम अविनाश है और मैं शेयर बाजार में ट्रेडिंग करता हूं।
ये बात आज से तीन साल पहले की है. मेरे घर के बगल के घर के ठीक सामने एक सेक्सी भाभी रहती थीं. उनका नाम पिंकी था.
पिंकी भाभी एक मस्त कसी हुई हुस्न की मालकिन थीं. उनका फिगर 36-28-38 का था. सेक्सी भाभी के पिछवाड़े का शेप बिल्कुल पागल कर देने वाला था. उनको देखकर किसी का भी लंड टनटना जाए. मैंने कई बार भाभी की चुत को सोचकर मुठ भी मारी कि बस किसी तरह से भाबी की चुत चोदने को मिल जाए, तो मज़ा आ जाए.
पिंकी भाबी के पति शहर में ही एक छोटा होटल चलाते थे. उनके पति देखने में ही बड़े भद्दे से लगते थे. पता नहीं लंगूर के हाथ में अंगूर किसने दे दिया था. बेचारी भाभी को उसके पति शांत भी कर पाते होंगे या नहीं.
मेरे रूम की बालकनी बिल्कुल पिंकी भाभी के रूम की बालकनी के सामने पड़ती थी. मैं बार बार उस बालकनी में जाता रहता था कि काश भाभी के दीदार हो जाएं. कभी कभी वो कपड़े सूखने डालने आती थीं तो उन्हें देख कर अपनी आंखें सेंक लेता था.
एक दिन जब मैं बालकनी में बैठा था. तब पिंकी भाभी नाराज़ होकर बालकनी में आईं, और कुछ देर बाद उनके पति उधर आए और भाभी को ताना मार कर चले गए.
भाभी नाराज़ होकर बैठ गईं. मैं भाभी को देखे जा रहा था.
जब पिंकी भाभी ने मुझे ध्यान से देखा कि मैं उन्हें ही घूर कर देख रहा हूँ.
तो उन्होंने इशारे में पूछा- क्या हुआ? ऐसे क्यों देख रहे हो?
मैंने ना में सर हिलाकर कहा- कुछ नहीं … बस ऐसे ही बैठा हूँ.
फिर वो उधर से चली गईं.
उसके बाद जब भी मैं भाभी को बालकनी में देखता, तो वो मुझे नोटिस करतीं कि मैं उन्हें देख रहा हूँ.
एक दिन मैं जब गली से जा रहा था तो मुझे पिंकी भाभी मिल गईं. मैं बहुत डरा हुआ था कि कहीं ये कुछ उल्टा सीधा न बोल दें.
तभी रेणुका भाबी बोलीं- आप मुझे रोज़ बाल्कनी में क्यों घूरते रहते हो? नाम क्या है आपका?
मैंने कुछ जवाब नहीं दिया.
तब उन्होंने दोबारा पूछा.
मैंने थोड़ी हिम्मत जुटाई और कहा- अविनाश … चूंकि आप बहुत सुंदर हो, मुझे अच्छी लगती हो. इसलिए मैं आपको देखता रहता हूँ.
मैं इसी तरह से भाभी की तारीफ़ किए जा रहा था और वो मेरी बातें सुन रही थीं. शायद वो भी यही चाहती थीं और मेरी तरफ देख कर स्माइल दिए जा रही थीं.
फिर वो अपने फ्लैट में चली गईं.
मैं भी अपने फ्लैट में जाकर बाल्कनी में बैठ गया.
थोड़ी देर बाद पिंकी भाभी आईं और प्यारी सी स्माइल देकर चली गईं.
दो दिन तक ऐसे ही चलता रहा. फिर मैंने पिंकी भाभी से उनका मोबाइल नंबर मांगा, तो पहले तो वो नहीं मानी. फिर मैंने थोड़ी ज़िद की, तो मान गईं और उन्होंने मुझे अपना फोन नम्बर दे दिया.
फिर क्या था. हमारी बातों का सिलसिला शुरू हो गया. प्यार भरी बातें आगे बढ़ने लगीं. अब तो हम दोनों काफी कुछ सेक्सी बातें भी कर लेते थे.
एक दिन मैंने पूछ ही लिया- आप इतनी सुंदर हैं भाभी जी और आपके पति दिखने में ऐसे … ये कैसे हो गया.
मेरे इस सवाल से मानो मैंने उनकी दुखती नस पर हाथ रख दिया था.
भाभी उदास स्वर में बोलीं- क्या बताऊं अवि … मैं ये शादी अपनी मर्ज़ी से नहीं की, घरवालों के प्रेशर में मुझे शादी करनी पड़ी. मैं खुद भी इस शादी से खुश नहीं हूँ.
मुझे लगा कि अब मेरी बात बन सकती है.
मैंने कहा- क्या हुआ भाभी, आपके पति अच्छा कमाते हैं और क्या चाहिए?
तब वो बोलीं- सिर्फ पैसे से कुछ नहीं होता.. और भी कुछ चाहिए होता है लाइफ में.. मैं तुमको कैसे बताऊं!
मैं- मुझे अपना दोस्त समझो भाभी … और सब खुल कर बता दो. शायद मैं आपकी कुछ मदद कर सकूँ.
पिंकी- मेरा पति मुझे संतुष्ट नहीं कर पाता है. मैं रात भर तड़पती रहती हूँ.
मैं- अगर आप चाहें … तो मैं आपकी ये तमन्ना पूरी कर सकता हूँ.
भाभी- हट पागल!
इतना कह कर भाभी ने फोन काट दिया.
मुझे लगा कि भाभी नाराज़ हो गईं. थोड़ी देर बाद भाभी बाल्कनी में आईं और उन्होंने मुझे एक आंख मारी और कटीली स्माइल देकर गांड मटकाते हुए अन्दर चली गईं.
मैं उनके इस एक्शन से हक्का बक्का रह गया था.
अभी मैं कुछ समझ पाता कि तभी भाभी का कॉल आया- हैलो … क्या सोच रहे हो?
मैंने कहा- भाभी मैं तो डर ही गया था, जब आपने चल हट कह कर फोन काट दिया था.
भाभी- अच्छा तुम तो बड़े डरपोक हो यार!
मैंने भाभी के मुँह से पहली बार यार शब्द सुना था, तो मुझे बड़ी तसल्ली हुई.
फिर मैंने कहा- आपने फोन किया था … कुछ बोलिए ना.
भाभी- हां एक गुड न्यूज़ थी. कल मेरे पति 3 दिन के लिए दिल्ली जाने वाले हैं. तो कल रात तुम मेरे घर पर आ जाना.
भाभी के मुँह से ये सुनते ही मेरी ख़ुशी का ठिकाना ना रहा. कुछ देर तक भाभी से बात हुई, फिर उन्होंने फोन कट कर दिया.
अब मैं कल रात का इंतजार करने लगा.
दूसरे दिन मैंने सुबह से लंड को ठीक से साफ़ किया और उस पर क्रीम पाउडर लगा कर खुशबूदार लंड भाभी के लिए रेडी कर लिया.
आख़िर वो टाइम आ ही गया और मैंने पिंकी भाभी के फ्लैट की घंटी बजाई. भाभी ने डोर खोला और मैं उन्हें देखता ही रह गया.
नीले रंग की पारदर्शी साड़ी में भाभी कयामत माल लग रही थीं. उनके लोकट ब्लाउज से उनके मम्मे मानो मेरे लंड को चुनौती दे रहे थे. भाभी के मम्मे उस चुस्त ब्लाउज में से बाहर आने को तड़फ रहे थे.
मुझे तो बस यूं लग रहा था कि मेरे सामने कोई अप्सरा खड़ी है.
भाभी ने मेरे हाथ को पकड़ा और खींचते हुए अन्दर ले गईं.
अगले ही पल भाभी ने मुझे अपनी ओर खींचा और प्यार से बांहों में भर लिया.
पांच मिनट तक हम दोनों एक़ दूसरे की बांहों में रहे. बाद में अलग होकर बेडरूम की ओर चल दिए.
बेडरूम में जाते हम एक दूसरे लिपट गए और मैंने अपने होंठ भाभी के होंठों पर लगा दिए और किस करने लगा. भाभी भी मेरा भरपूर साथ दे रही थीं. फिर मैंने भाभी के ब्लाउज के ऊपर से उनके मम्मों को मसलने लगा. भाभी का हाथ मेरी पेंट पर आ गया था.. और वो मेरी पेंट के ऊपर से ही मेरे लंड को सहलाने लगीं.
फिर मैं थोड़ा आगे बढ़ा और उन्हें किस करते करते उनकी साड़ी उतारने लगा. मैंने एक पल में ही भाभी की साड़ी को उतार फेंका. अब वो ब्लाउज और पेटीकोट में अप्सरा से कम नहीं लग रही थीं.
धीरे धीरे मैंने भाभी के ब्लाउज और पेटीकोट को भी अलग कर दिया. अब वो मेरे सामने ब्रा और पेंटी में रह गई थीं. भाभी ब्लैक कलर की जालीदार ब्रा और पेंटी में क्या मस्त सेक्सी माल लग रही थीं. मेरा मन किया कि पूरा निचोड़ कर रख दूँ.
भाभी ने किसी पोर्न ऐक्ट्रेस की इठलाते हुए अपने मम्मे हिलाए और बड़ी अदा से मेरी शर्ट और पैंट को उतार दिया.
अब मैं भाभी के सामने सिर्फ़ अंडरवियर में था. मैंने उनको अपनी ओर खींचा और उन्हें किस करते हुए उनके तने हुए मम्मे दबाने लगा. भाभी मेरे अंडरवियर के ऊपर से ही मेरे लंड को सहला रही थीं.
इसके बाद मैंने भाभी को बेड पर चित लिटा दिया और उनके ऊपर चढ़ कर उनके होंठों से होंठ लगाते हुए उन्हें किस करने लगा. भाभी ने मुझे नीचे को धकेला, तो मैं समझ गया और उनके नीचे की ओर आने लगा.
पहले मैंने भाभी की ब्रा उतार दी और मम्मे आज़ाद कर दिए. भाभी के मम्मे ब्रा से बाहर आते हुए मानो खुश हो कर फुदकने लगे थे. क्या रसीले मम्मे थे.
मैंने उन्हें देखा तो भाभी ने अपने हाथ से अपने एक मम्मे को मेरी तरफ बढ़ा दिया. मैंने भाभी के मम्मों के दोनों निप्पलों को बारी बारी से किस किया और उनके मम्मों से खेलने लगा. उन्हें अपने हाथों में भर कर दबाने लगा.
भाभी के मुँह से ‘आअहह..’ की मादक सिस्कारियां निकलने लगीं.
करीब 5 मिनट के बाद मैं धीरे धीरे भाभी के नीचे की ओर जाने लगा. उनकी नाभि के आस-पास मैंने अपने होंठों से किस किया, तो वो एकदम से सिहर सी गईं.
उसके बाद मैंने भाभी की पेंटी में हाथ डाला, तो उनकी चुत पूरी गीली हो चुकी थी. मैंने पैंटी को भी उतार दिया और मुझे भाभी की सफाचट चूत के दीदार हो गए.
आह … क्या मस्त गुलाबी चूत थी. लगता था आज ही भाभी ने अपनी चुत की झांटों को साफ़ किया था.
मैं तो उनकी फूली हुई चूत देख कर ही पागल हो गया. मुझसे रहा नहीं गया और मैंने अपना मुँह उनकी चूत पर लगा दिया.
जैसे ही मेरी जीभ भाभी की चुत पर लगी, वो एकदम से उत्तेजित हो गईं और अपने मुँह से कामुक सिसकारियां भरते हुए ‘आअहह … मार दिया.’ की आवाजें करने लगीं.
लग रहा था कि भाभी काफ़ी टाइम चुदी ही नहीं थीं. उन्होंने मुश्किल से एक मिनट में ही अपनी चुत से पानी छोड़ दिया. मैंने भी उनकी चुत के रस का भरपूर मज़ा लिया.
क्या खट्टा स्वाद था. मैं भाभी की चुत चाटता रहा.
थोड़ी देर चूत चाटने बाद वो फिर से गर्म होने लगीं और मुँह से कामुक आवाजें निकालने लगीं- आअहह … ऊहह … क्या बात है मेरे राजा. तुमको चुत चूसने बड़ा मज़ा आ रहा है … आह … और चूसो … आज खा जाओ मेरी चूत को … आअहह मज़ा आ गया.
भाभी मेरा सर पकड़ कर अपनी चूत पर दबाने लगीं. थोड़ी देर बाद उन्होंने कहा कि मुझे भी अपने लंड का मज़ा चखाओ.
मैंने कहा- हां क्यों नहीं मेरी रानी … अब तो मेरा लंड तुम्हारा ही है.
फिर मैं हट गया और वो खड़ी हो गईं. भाभी ने मेरे अंडरवियर को उतार दिया और मेरे खड़े लंड देखते ही कहने लगीं- अरे वाह … ऐसे किसी लंड का ही तो मैं इतने दिनों से इन्तजार कर रही थी.
भाभी लंड ऐसे चूसने लगीं. मानो किसी छोटी बच्ची को लॉलीपॉप चूसने मिल गई हो. भाभी बड़े प्यार से मेरे लंड को अपने गले तक पूरा भर रही थी और बड़े मज़े से चूस रही थीं.
भाभी करीब दस मिनट तक लंड चूसती रहीं. फिर बोलीं- चलो अब इस लंड का मज़ा मेरी चूत को भी दे दो.
मैंने उन्हें बेड पर लिटाया और उनकी चूत को एक बार फिर से चाटने लगा.
वो पागल हुए जा रही थीं और कामुक होकर कहने लगीं- प्लीज़ और मत तड़पाओ मेरी चुत को! अब तो इस चुत को फाड़ दो. इसका भोसड़ा बना दो … आह मुझसे रहा नहीं जा रहा है.
मैं चुदाई की पोजीशन में आया और लंड को भाभी की चूत पर सैट कर दिया. भाभी के होंठों पर मैंने अपने होंठ लगाए और एक तेज का झटका दे मारा. मैंने एक ही झटके में अपना पूरा लंड भाभी की चुत में पेल दिया. एकदम से पूरा लंड घुसते ही वो दर्द के मारे छटपटाने लगीं. मगर उनके होंठों पर मेरे होंठ लगे थे, तो वो चीख भी नहीं सकती थीं.
थोड़ी देर मैं ऐसे ही लंड लगाए भाभी के ऊपर चढ़ा रहा. जब उनका दर्द कम हुआ तो मैं हरकत में आया.
मैंने अपने होंठों को उनके होंठों से अलग किए.
भाभी लम्बी सांस लेते हुए कहने लगीं- मारोगे क्या … मेरी तो जान ही निकलने वाली थी … आराम से करो. मैं कई दिनों से चुदी नहीं हूँ.
अब भाभी अपनी गांड उठा कर मेरा साथ देने लगीं. मैंने भी झटके मारना स्टार्ट कर दिए. धकापेल चुदाई शुरू हो गई. वो भी अपनी गांड को उठा कर मेरे लंड से लड़ाई लेने लगीं.
हर एक झटके के साथ भाभी मचलने लगीं- आह … और ज़ोर से … और तेज पेलो … फाड़ दो इस चुत को … आह साली का भोसड़ा बना दो … मैं तुम्हारे लंड की दीवानी हो गयी. आह ऐसा सुख मुझे कभी नहीं मिला. आह और जोर से … और तेज … फक मी फक मी हार्ड … आह कितना मज़ा आ रहा है. मैं न जाने कितने दिनों से प्यासी थी.
मैं ताबड़तोड़ चुत चुदाई में लगा हुआ था.
करीब 10 मिनट तक ऐसे ही चुदाई के बाद मैंने भाभी को डॉगी स्टाइल में आने को कहा.
भाभी झट से कुतिया बन गईं. मैंने पीछे से उनकी चूत पर निशाना लगाते हुए एक जोर का झटका दे मारा. मेरा लंड सीधा उनकी चुत में फ़च से घुसता चला गया. इस समय भाभी की चूत गीली होने की वजह से पूरे रूम में फ़च फ़च की आवाजें आने लगी थीं.
हम दोनों पर ही चुदाई का खुमार चढ़ा हुआ था, कोई भी हार मानने को तैयार नहीं था.
फिर थोड़ी बाद मैं भाभी के नीचे लेट गया और वो मेरे ऊपर आ गईं. भाभी ने अपनी चूत को मेरे लंड पर सैट किया और घचाक से लंड पर बैठती चली गईं.
मेरा पूरा लंड भाभी की चुत में उनकी बच्चेदानी तक घुस गया था. उनकी एक मीठी सी आह … निकली और अब वो ऊपर से झटके मार रही थीं. इधर मैं नीचे से उनको पेले जा रहा था.
करीब दस मिनट की और चुदाई के बाद भाभी की चुत ने फव्वारा छोड़ दिया. वो निढाल होकर मुझ पर गिर गईं. पर मैं अब भी नहीं झड़ा था.
उनकी थकान भरी सांसें बता रही थीं कि वो काफी शिथिल हो गई हैं. वो मुझसे झड़ने के लिए कहने लगी थीं.
अब मेरी नीयत भाभी की गांड पर बिगड़ गई. मैंने भाभी की गांड मारनी चाही, तो वो मना करने लगीं.
थोड़ा मनाने पर भाभी गांड मरवाने के लिए मान गईं. वो मेरे लंड से उठ कर अपनी अलमारी से तेल ले आईं. भाभी ने ढेर सारा तेल अपनी गांड के छेद में लगाया और मेरे लंड पर भी काफी सारा तेल लगा दिया.
फिर भाभी गांड मरवाने के लिए कुतिया बन गईं.
मैंने अपने लंड को उनकी गांड पर सैट किया और दबाने लगा. लंड का सुपारा अन्दर जाते ही भाभी दर्द के मारे चिल्लाने लगीं.
पर मैं कहां मानने वाला था. मैंने धीरे धीरे करके अपना पूरा लंड भाभी की गांड में पेल दिया. उनकी आंखों में आंसू आ गए थे. मैं पूरे लंड को भाभी की गांड में डाले ऐसे ही रुका रहा. जब भाभी का दर्द कुछ कम हुआ, तो वो अपनी गांड हिलाकर साथ देने लगीं.
मैं भी उनकी गांड को जोरों से पेले जा रहा था.
करीब दस मिनट तक ऐसे ही गांड चोदने के बाद मेरा पानी निकलने वाला था.
मैंने अपना पूरा माल भाभी की गांड में खाली कर दिया और हम दोनों ऐसे ही थोड़ी देर पड़े रहे.
थोड़ी देर बाद जब मैंने उनसे पूछा- भाभी, कैसा लगा मेरे लंड का मज़ा?
तब उन्होंने कहा- आज से मैं तुम्हारी हुई. तुम्हें जब चाहे, जैसे चाहे मुझे चोदना हो, चोद सकते हो.
उस रात हमने अलग अलग तरीकों से तीन बार चुदाई की. उसके बारे में मैं जल्द ही आपको लिखूंगा.
कमेंट करके बताएं कि ये चुदाई कथा आपको किसी लगी??
ये बात आज से तीन साल पहले की है. मेरे घर के बगल के घर के ठीक सामने एक सेक्सी भाभी रहती थीं. उनका नाम पिंकी था.
पिंकी भाभी एक मस्त कसी हुई हुस्न की मालकिन थीं. उनका फिगर 36-28-38 का था. सेक्सी भाभी के पिछवाड़े का शेप बिल्कुल पागल कर देने वाला था. उनको देखकर किसी का भी लंड टनटना जाए. मैंने कई बार भाभी की चुत को सोचकर मुठ भी मारी कि बस किसी तरह से भाबी की चुत चोदने को मिल जाए, तो मज़ा आ जाए.
पिंकी भाबी के पति शहर में ही एक छोटा होटल चलाते थे. उनके पति देखने में ही बड़े भद्दे से लगते थे. पता नहीं लंगूर के हाथ में अंगूर किसने दे दिया था. बेचारी भाभी को उसके पति शांत भी कर पाते होंगे या नहीं.
मेरे रूम की बालकनी बिल्कुल पिंकी भाभी के रूम की बालकनी के सामने पड़ती थी. मैं बार बार उस बालकनी में जाता रहता था कि काश भाभी के दीदार हो जाएं. कभी कभी वो कपड़े सूखने डालने आती थीं तो उन्हें देख कर अपनी आंखें सेंक लेता था.
एक दिन जब मैं बालकनी में बैठा था. तब पिंकी भाभी नाराज़ होकर बालकनी में आईं, और कुछ देर बाद उनके पति उधर आए और भाभी को ताना मार कर चले गए.
भाभी नाराज़ होकर बैठ गईं. मैं भाभी को देखे जा रहा था.
जब पिंकी भाभी ने मुझे ध्यान से देखा कि मैं उन्हें ही घूर कर देख रहा हूँ.
तो उन्होंने इशारे में पूछा- क्या हुआ? ऐसे क्यों देख रहे हो?
मैंने ना में सर हिलाकर कहा- कुछ नहीं … बस ऐसे ही बैठा हूँ.
फिर वो उधर से चली गईं.
उसके बाद जब भी मैं भाभी को बालकनी में देखता, तो वो मुझे नोटिस करतीं कि मैं उन्हें देख रहा हूँ.
एक दिन मैं जब गली से जा रहा था तो मुझे पिंकी भाभी मिल गईं. मैं बहुत डरा हुआ था कि कहीं ये कुछ उल्टा सीधा न बोल दें.
तभी रेणुका भाबी बोलीं- आप मुझे रोज़ बाल्कनी में क्यों घूरते रहते हो? नाम क्या है आपका?
मैंने कुछ जवाब नहीं दिया.
तब उन्होंने दोबारा पूछा.
मैंने थोड़ी हिम्मत जुटाई और कहा- अविनाश … चूंकि आप बहुत सुंदर हो, मुझे अच्छी लगती हो. इसलिए मैं आपको देखता रहता हूँ.
मैं इसी तरह से भाभी की तारीफ़ किए जा रहा था और वो मेरी बातें सुन रही थीं. शायद वो भी यही चाहती थीं और मेरी तरफ देख कर स्माइल दिए जा रही थीं.
फिर वो अपने फ्लैट में चली गईं.
मैं भी अपने फ्लैट में जाकर बाल्कनी में बैठ गया.
थोड़ी देर बाद पिंकी भाभी आईं और प्यारी सी स्माइल देकर चली गईं.
दो दिन तक ऐसे ही चलता रहा. फिर मैंने पिंकी भाभी से उनका मोबाइल नंबर मांगा, तो पहले तो वो नहीं मानी. फिर मैंने थोड़ी ज़िद की, तो मान गईं और उन्होंने मुझे अपना फोन नम्बर दे दिया.
फिर क्या था. हमारी बातों का सिलसिला शुरू हो गया. प्यार भरी बातें आगे बढ़ने लगीं. अब तो हम दोनों काफी कुछ सेक्सी बातें भी कर लेते थे.
एक दिन मैंने पूछ ही लिया- आप इतनी सुंदर हैं भाभी जी और आपके पति दिखने में ऐसे … ये कैसे हो गया.
मेरे इस सवाल से मानो मैंने उनकी दुखती नस पर हाथ रख दिया था.
भाभी उदास स्वर में बोलीं- क्या बताऊं अवि … मैं ये शादी अपनी मर्ज़ी से नहीं की, घरवालों के प्रेशर में मुझे शादी करनी पड़ी. मैं खुद भी इस शादी से खुश नहीं हूँ.
मुझे लगा कि अब मेरी बात बन सकती है.
मैंने कहा- क्या हुआ भाभी, आपके पति अच्छा कमाते हैं और क्या चाहिए?
तब वो बोलीं- सिर्फ पैसे से कुछ नहीं होता.. और भी कुछ चाहिए होता है लाइफ में.. मैं तुमको कैसे बताऊं!
मैं- मुझे अपना दोस्त समझो भाभी … और सब खुल कर बता दो. शायद मैं आपकी कुछ मदद कर सकूँ.
पिंकी- मेरा पति मुझे संतुष्ट नहीं कर पाता है. मैं रात भर तड़पती रहती हूँ.
मैं- अगर आप चाहें … तो मैं आपकी ये तमन्ना पूरी कर सकता हूँ.
भाभी- हट पागल!
इतना कह कर भाभी ने फोन काट दिया.
मुझे लगा कि भाभी नाराज़ हो गईं. थोड़ी देर बाद भाभी बाल्कनी में आईं और उन्होंने मुझे एक आंख मारी और कटीली स्माइल देकर गांड मटकाते हुए अन्दर चली गईं.
मैं उनके इस एक्शन से हक्का बक्का रह गया था.
अभी मैं कुछ समझ पाता कि तभी भाभी का कॉल आया- हैलो … क्या सोच रहे हो?
मैंने कहा- भाभी मैं तो डर ही गया था, जब आपने चल हट कह कर फोन काट दिया था.
भाभी- अच्छा तुम तो बड़े डरपोक हो यार!
मैंने भाभी के मुँह से पहली बार यार शब्द सुना था, तो मुझे बड़ी तसल्ली हुई.
फिर मैंने कहा- आपने फोन किया था … कुछ बोलिए ना.
भाभी- हां एक गुड न्यूज़ थी. कल मेरे पति 3 दिन के लिए दिल्ली जाने वाले हैं. तो कल रात तुम मेरे घर पर आ जाना.
भाभी के मुँह से ये सुनते ही मेरी ख़ुशी का ठिकाना ना रहा. कुछ देर तक भाभी से बात हुई, फिर उन्होंने फोन कट कर दिया.
अब मैं कल रात का इंतजार करने लगा.
दूसरे दिन मैंने सुबह से लंड को ठीक से साफ़ किया और उस पर क्रीम पाउडर लगा कर खुशबूदार लंड भाभी के लिए रेडी कर लिया.
आख़िर वो टाइम आ ही गया और मैंने पिंकी भाभी के फ्लैट की घंटी बजाई. भाभी ने डोर खोला और मैं उन्हें देखता ही रह गया.
नीले रंग की पारदर्शी साड़ी में भाभी कयामत माल लग रही थीं. उनके लोकट ब्लाउज से उनके मम्मे मानो मेरे लंड को चुनौती दे रहे थे. भाभी के मम्मे उस चुस्त ब्लाउज में से बाहर आने को तड़फ रहे थे.
मुझे तो बस यूं लग रहा था कि मेरे सामने कोई अप्सरा खड़ी है.
भाभी ने मेरे हाथ को पकड़ा और खींचते हुए अन्दर ले गईं.
अगले ही पल भाभी ने मुझे अपनी ओर खींचा और प्यार से बांहों में भर लिया.
पांच मिनट तक हम दोनों एक़ दूसरे की बांहों में रहे. बाद में अलग होकर बेडरूम की ओर चल दिए.
बेडरूम में जाते हम एक दूसरे लिपट गए और मैंने अपने होंठ भाभी के होंठों पर लगा दिए और किस करने लगा. भाभी भी मेरा भरपूर साथ दे रही थीं. फिर मैंने भाभी के ब्लाउज के ऊपर से उनके मम्मों को मसलने लगा. भाभी का हाथ मेरी पेंट पर आ गया था.. और वो मेरी पेंट के ऊपर से ही मेरे लंड को सहलाने लगीं.
फिर मैं थोड़ा आगे बढ़ा और उन्हें किस करते करते उनकी साड़ी उतारने लगा. मैंने एक पल में ही भाभी की साड़ी को उतार फेंका. अब वो ब्लाउज और पेटीकोट में अप्सरा से कम नहीं लग रही थीं.
धीरे धीरे मैंने भाभी के ब्लाउज और पेटीकोट को भी अलग कर दिया. अब वो मेरे सामने ब्रा और पेंटी में रह गई थीं. भाभी ब्लैक कलर की जालीदार ब्रा और पेंटी में क्या मस्त सेक्सी माल लग रही थीं. मेरा मन किया कि पूरा निचोड़ कर रख दूँ.
भाभी ने किसी पोर्न ऐक्ट्रेस की इठलाते हुए अपने मम्मे हिलाए और बड़ी अदा से मेरी शर्ट और पैंट को उतार दिया.
अब मैं भाभी के सामने सिर्फ़ अंडरवियर में था. मैंने उनको अपनी ओर खींचा और उन्हें किस करते हुए उनके तने हुए मम्मे दबाने लगा. भाभी मेरे अंडरवियर के ऊपर से ही मेरे लंड को सहला रही थीं.
इसके बाद मैंने भाभी को बेड पर चित लिटा दिया और उनके ऊपर चढ़ कर उनके होंठों से होंठ लगाते हुए उन्हें किस करने लगा. भाभी ने मुझे नीचे को धकेला, तो मैं समझ गया और उनके नीचे की ओर आने लगा.
पहले मैंने भाभी की ब्रा उतार दी और मम्मे आज़ाद कर दिए. भाभी के मम्मे ब्रा से बाहर आते हुए मानो खुश हो कर फुदकने लगे थे. क्या रसीले मम्मे थे.
मैंने उन्हें देखा तो भाभी ने अपने हाथ से अपने एक मम्मे को मेरी तरफ बढ़ा दिया. मैंने भाभी के मम्मों के दोनों निप्पलों को बारी बारी से किस किया और उनके मम्मों से खेलने लगा. उन्हें अपने हाथों में भर कर दबाने लगा.
भाभी के मुँह से ‘आअहह..’ की मादक सिस्कारियां निकलने लगीं.
करीब 5 मिनट के बाद मैं धीरे धीरे भाभी के नीचे की ओर जाने लगा. उनकी नाभि के आस-पास मैंने अपने होंठों से किस किया, तो वो एकदम से सिहर सी गईं.
उसके बाद मैंने भाभी की पेंटी में हाथ डाला, तो उनकी चुत पूरी गीली हो चुकी थी. मैंने पैंटी को भी उतार दिया और मुझे भाभी की सफाचट चूत के दीदार हो गए.
आह … क्या मस्त गुलाबी चूत थी. लगता था आज ही भाभी ने अपनी चुत की झांटों को साफ़ किया था.
मैं तो उनकी फूली हुई चूत देख कर ही पागल हो गया. मुझसे रहा नहीं गया और मैंने अपना मुँह उनकी चूत पर लगा दिया.
जैसे ही मेरी जीभ भाभी की चुत पर लगी, वो एकदम से उत्तेजित हो गईं और अपने मुँह से कामुक सिसकारियां भरते हुए ‘आअहह … मार दिया.’ की आवाजें करने लगीं.
लग रहा था कि भाभी काफ़ी टाइम चुदी ही नहीं थीं. उन्होंने मुश्किल से एक मिनट में ही अपनी चुत से पानी छोड़ दिया. मैंने भी उनकी चुत के रस का भरपूर मज़ा लिया.
क्या खट्टा स्वाद था. मैं भाभी की चुत चाटता रहा.
थोड़ी देर चूत चाटने बाद वो फिर से गर्म होने लगीं और मुँह से कामुक आवाजें निकालने लगीं- आअहह … ऊहह … क्या बात है मेरे राजा. तुमको चुत चूसने बड़ा मज़ा आ रहा है … आह … और चूसो … आज खा जाओ मेरी चूत को … आअहह मज़ा आ गया.
भाभी मेरा सर पकड़ कर अपनी चूत पर दबाने लगीं. थोड़ी देर बाद उन्होंने कहा कि मुझे भी अपने लंड का मज़ा चखाओ.
मैंने कहा- हां क्यों नहीं मेरी रानी … अब तो मेरा लंड तुम्हारा ही है.
फिर मैं हट गया और वो खड़ी हो गईं. भाभी ने मेरे अंडरवियर को उतार दिया और मेरे खड़े लंड देखते ही कहने लगीं- अरे वाह … ऐसे किसी लंड का ही तो मैं इतने दिनों से इन्तजार कर रही थी.
भाभी लंड ऐसे चूसने लगीं. मानो किसी छोटी बच्ची को लॉलीपॉप चूसने मिल गई हो. भाभी बड़े प्यार से मेरे लंड को अपने गले तक पूरा भर रही थी और बड़े मज़े से चूस रही थीं.
भाभी करीब दस मिनट तक लंड चूसती रहीं. फिर बोलीं- चलो अब इस लंड का मज़ा मेरी चूत को भी दे दो.
मैंने उन्हें बेड पर लिटाया और उनकी चूत को एक बार फिर से चाटने लगा.
वो पागल हुए जा रही थीं और कामुक होकर कहने लगीं- प्लीज़ और मत तड़पाओ मेरी चुत को! अब तो इस चुत को फाड़ दो. इसका भोसड़ा बना दो … आह मुझसे रहा नहीं जा रहा है.
मैं चुदाई की पोजीशन में आया और लंड को भाभी की चूत पर सैट कर दिया. भाभी के होंठों पर मैंने अपने होंठ लगाए और एक तेज का झटका दे मारा. मैंने एक ही झटके में अपना पूरा लंड भाभी की चुत में पेल दिया. एकदम से पूरा लंड घुसते ही वो दर्द के मारे छटपटाने लगीं. मगर उनके होंठों पर मेरे होंठ लगे थे, तो वो चीख भी नहीं सकती थीं.
थोड़ी देर मैं ऐसे ही लंड लगाए भाभी के ऊपर चढ़ा रहा. जब उनका दर्द कम हुआ तो मैं हरकत में आया.
मैंने अपने होंठों को उनके होंठों से अलग किए.
भाभी लम्बी सांस लेते हुए कहने लगीं- मारोगे क्या … मेरी तो जान ही निकलने वाली थी … आराम से करो. मैं कई दिनों से चुदी नहीं हूँ.
अब भाभी अपनी गांड उठा कर मेरा साथ देने लगीं. मैंने भी झटके मारना स्टार्ट कर दिए. धकापेल चुदाई शुरू हो गई. वो भी अपनी गांड को उठा कर मेरे लंड से लड़ाई लेने लगीं.
हर एक झटके के साथ भाभी मचलने लगीं- आह … और ज़ोर से … और तेज पेलो … फाड़ दो इस चुत को … आह साली का भोसड़ा बना दो … मैं तुम्हारे लंड की दीवानी हो गयी. आह ऐसा सुख मुझे कभी नहीं मिला. आह और जोर से … और तेज … फक मी फक मी हार्ड … आह कितना मज़ा आ रहा है. मैं न जाने कितने दिनों से प्यासी थी.
मैं ताबड़तोड़ चुत चुदाई में लगा हुआ था.
करीब 10 मिनट तक ऐसे ही चुदाई के बाद मैंने भाभी को डॉगी स्टाइल में आने को कहा.
भाभी झट से कुतिया बन गईं. मैंने पीछे से उनकी चूत पर निशाना लगाते हुए एक जोर का झटका दे मारा. मेरा लंड सीधा उनकी चुत में फ़च से घुसता चला गया. इस समय भाभी की चूत गीली होने की वजह से पूरे रूम में फ़च फ़च की आवाजें आने लगी थीं.
हम दोनों पर ही चुदाई का खुमार चढ़ा हुआ था, कोई भी हार मानने को तैयार नहीं था.
फिर थोड़ी बाद मैं भाभी के नीचे लेट गया और वो मेरे ऊपर आ गईं. भाभी ने अपनी चूत को मेरे लंड पर सैट किया और घचाक से लंड पर बैठती चली गईं.
मेरा पूरा लंड भाभी की चुत में उनकी बच्चेदानी तक घुस गया था. उनकी एक मीठी सी आह … निकली और अब वो ऊपर से झटके मार रही थीं. इधर मैं नीचे से उनको पेले जा रहा था.
करीब दस मिनट की और चुदाई के बाद भाभी की चुत ने फव्वारा छोड़ दिया. वो निढाल होकर मुझ पर गिर गईं. पर मैं अब भी नहीं झड़ा था.
उनकी थकान भरी सांसें बता रही थीं कि वो काफी शिथिल हो गई हैं. वो मुझसे झड़ने के लिए कहने लगी थीं.
अब मेरी नीयत भाभी की गांड पर बिगड़ गई. मैंने भाभी की गांड मारनी चाही, तो वो मना करने लगीं.
थोड़ा मनाने पर भाभी गांड मरवाने के लिए मान गईं. वो मेरे लंड से उठ कर अपनी अलमारी से तेल ले आईं. भाभी ने ढेर सारा तेल अपनी गांड के छेद में लगाया और मेरे लंड पर भी काफी सारा तेल लगा दिया.
फिर भाभी गांड मरवाने के लिए कुतिया बन गईं.
मैंने अपने लंड को उनकी गांड पर सैट किया और दबाने लगा. लंड का सुपारा अन्दर जाते ही भाभी दर्द के मारे चिल्लाने लगीं.
पर मैं कहां मानने वाला था. मैंने धीरे धीरे करके अपना पूरा लंड भाभी की गांड में पेल दिया. उनकी आंखों में आंसू आ गए थे. मैं पूरे लंड को भाभी की गांड में डाले ऐसे ही रुका रहा. जब भाभी का दर्द कुछ कम हुआ, तो वो अपनी गांड हिलाकर साथ देने लगीं.
मैं भी उनकी गांड को जोरों से पेले जा रहा था.
करीब दस मिनट तक ऐसे ही गांड चोदने के बाद मेरा पानी निकलने वाला था.
मैंने अपना पूरा माल भाभी की गांड में खाली कर दिया और हम दोनों ऐसे ही थोड़ी देर पड़े रहे.
थोड़ी देर बाद जब मैंने उनसे पूछा- भाभी, कैसा लगा मेरे लंड का मज़ा?
तब उन्होंने कहा- आज से मैं तुम्हारी हुई. तुम्हें जब चाहे, जैसे चाहे मुझे चोदना हो, चोद सकते हो.
उस रात हमने अलग अलग तरीकों से तीन बार चुदाई की. उसके बारे में मैं जल्द ही आपको लिखूंगा.
कमेंट करके बताएं कि ये चुदाई कथा आपको किसी लगी??
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