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मै 18 वर्ष की हो चुकी थी और 18 वर्ष की आयु मे ही मेरा शरीर औरतों की तरह भर गया था, पर दिमाग से मै अभी भी भोली थी। मेरी अपनी हमउम्र लड़कियो या लड़को से दोस्ती ज्यादा नहीं थी, मै जिस सोसाइटी मे रहती थी वही मै अपने से छोटी लड़कियो के साथ शाम को खेलती रहती थी। लड़को और आदमियो की अपने प्रति नज़र को मै थोड़ा थोड़ा पहचानने लगी थी और इंटरनेट पर पॉर्न देख के सेक्स के प्रति मेरी रुचि बढ्ने लगी थी, पर जब कभी मेरे हमउम्र लड़के मुझसे दोस्ती करने या लाइन मारने की कोशिश करते तो मै उन्हे लिफ्ट नहीं देती थी। मुझे तो हट्टे कट्टे बड़ी उम्र के आदमीयो को देख के उत्तेजना होती थी।
हमारी सोसाइटी मे कई गार्ड्स थे और उन्ही गार्ड्स मे से एक गार्ड था मोहन जो की करीब 50-52 साल का होगा और देखने मे वो मजबूत मर्द लगता था। वो मेरे को ताड़ता भी रहता था और उसके ताड़ने से मेरे अंदर सनसनी होने लगती थी। वैसे तो वो मेरे को बेटी बेटी कहता था पर उसकी नजरे मेरे गदराते जिस्म पे थी। एक बार मै ट्रैक पैंट और टीशर्ट पहन के नीचे घूम रही थी तो वो अपनी कुर्सी पर बैठा हुआ मुझे निहार रहा था। मुझे पता था की टाइट ट्रैक पैंट मे मेरे चौड़े हिप्स का उभार साफ दिख रहा है और टीशर्ट मे मेरे तने हुए उरोज उसे लुभा रहे थे। मै जानबूझ के उसके आस पास घूमती रही और झुक झुक के उसे अपने उभारो का दर्शन भी कराती रही। वो वासना भरी दृष्टि से मुझे देखता रहा और फिर मुझे अकेला देख मेरे पास चला आया।
"अरे चिंकी आज तुम अकेली तुम्हारे दोस्त नज़र नहीं आ रहे," वो बोला।
"वो सब तो ग्राउंड के खेल रही है, मै आज साइकिल चलना सीख रही हूँ," मै बोली।
"हे हे, तुम तो अब बड़ी हो गयी हो अभी तक साइकिल चलना नहीं आता, चलो मै पकड़ता हूँ साइकिल।"
मै गद्दी पर बैठ गयी और वो साइकिल पकड़ के मुझ से चलवाने लगा। वो एक हाथ से गद्दी पकड़े हुए था तो बार बार मेरी गांड पर हाथ लगा देता। एक दो बार तो मै उसके हाथ के ऊपर ही बैठ गयी। वो कई बार मेरे गर्दन और पीठ पर हाथ फेर दिया। थोड़ी देर बाद अंधेरा होने लगा तो मै घर वापस आ गयी। उस दिन के बाद से जब भी मिलता तो कुछ न कुछ मेरे से बात करता और कहता रहता की साइकिल चलना नहीं आया हो तो वो सीखा देगा। जब भी अकेले मे होता तो जरूर मेरी पीठ पे हाथ रख के बात करता। मुझे भी उसे साथ इस लुका छिपी मे मज़ा आने लगा।
एक बार सहेलियों के साथ छुपन छुपाई खेल रही थी और गार्ड हमेशा की तरह मुझे निहार रहा था। मै छुपने के लिए बेसमेंट के चली गयी तो गार्ड भी पीछे पीछे आ गया।
"चिंकी यहाँ आ जाओ," वो सीढ़ियो के पीछे इशारा किया तो मै चली गयी।
"कितना अंधेरा है यहाँ तो," मै बोली।
"कोई बात नहीं मै हूँ न," वो मेरे पीठ पे हाथ रखता हुआ बोला, "यहाँ कोई ढूंढ नहीं पाएगा।"
एक तो अंधेरा और उस पे वो बिलकुल मेरे से सट के खड़ा था, मुझे रोमांच हो आया। धीरे धीरे वो मेरी पीठ पे हाथ फिसलता हुआ मेरे को अपनी बाहो मे समेट सा लिया।
"क्या, क्या।"
"श श, बोलो मत बच्चे सुन लेगे," वो बोला, तो मै चुप हो गयी, पर मेरी साँसे तेज हो गयी। वो मेरी कमर मे हाथ डाल मे मुझे अपने से कस कर सटा लिया।
बेसमेंट मे सारे बच्चे मुझे ढूंढते हुए जा रहे थे और मै चुपचाप उसकी बाहो मे दबी खड़ी रही। मेरे दिल की धड़कन बढ्ने लगी जब वो मुझे पूरी तरह अपने अंदर ही समेटने लगा। उसकी साँसे मेरी गर्दन पर पड़ रही थी।
"छोड़ो, अब सब चले गए," मै फुसफुसाई।
"अभी रुको बेटी, नहीं तो वापस आ जाएगे," वो फुसफुसाया और एक हाथ से मेरे बालो को सहलाने लगा। मेरा पूरा बदन सन सन करने लगा।
"चिंकी बेटा, तुम्हे पता है न की तुम कितनी प्यारी हो, यहाँ सोसाइटी मे सबसे सुंदर लड़की हो," वो मेरे को फुसलाने लगा।
"अच्छा," मेरे को समझ नहीं आया की क्या बोलू।
"सच्ची, कसम से," वो एसे बोला की मेरी हंसी निकाल गयी। मुझे हँसता देख वो और शेर हो गया।
"अच्छा अंकल अब छोड़ो, अब तो सब बच्चे चले गए।"
"अरे इतनी जल्दी क्या है मै तो कितने दिनो से तुम्हें अपनी बाहों मे लेने के लिए मचल रहा था, अब एक पप्पी तो देनी पड़ेगी।"
"हौ अंकल, क्या कह रह हो," मै एक बार को सकपका गयी।
"एक पप्पी सिर्फ, कभी बोयफ्रेंड को नहीं दी क्या," वो बोला।
"धत अंकल कैसी बाते करते हो, मेरा कोई बॉयफ्रेंड नहीं है," मै शर्मा गयी।
"अरे इतनी सुंदर लड़की का कोई बॉयफ्रेंड नहीं, ऐसा कैसे हो सकता है।"
"मेरा कोई नहीं है, अब छोड़ो।"
पर वो मुझे पकड़े रहा, वहाँ बेसमेंट मे अंधेरे कोने मे कोई देखने वाला नहीं था। मेरा पूरा बदन सनसनाने लगा और वो मुझे जकड़े सिर्फ एक पप्पी, सिर्फ एक पप्पी की जिद लगाए रहा। मै उसकी बाहो मे कसमसाती रही।
वो खेला खाया हारामी आदमी था और समझ रहा था की लड़की ढीली पड रही है। मै कभी सेक्स तो क्या किसी लड़के को किस तक नहीं की थी। पहली बार किसी मर्द की बांहों के आई थी और मेरे पूरे बदन मे सनसनी दौड़ने लगी थी। जब गार्ड मुझे पकड़ के पप्पी की जिद करने लगा तो मुझे पॉर्न फिल्मे याद आने लगी की कैसे उसमे लड़का लड़की किस करते है, कैसे एक दूसरे के होंटो को चूसते है। अंदर से मन कर रहा था की एक बार करके देखना चाहिए। मुझे क्या पता था की 'एक पप्पी' तो सिर्फ शुरुवात होती है।
"अंकल, प्लीज बच्चे मुझे खोज रहे होंगे," बड़ी मुश्किल से मेरी आवाज निकली, पर वो मुझे कहाँ छोड़ने वाला था वो मुझे अपने सीने से जकड़े रहा, तो मै काँपते हुए बोल पड़ी, "अच्छा बस एक।"
गार्ड को तो जैसे मन मांगी मुराद मिल गयी और वो मेरे बालो को मजबूती से पकड़ के मेरा सर अपनी तरफ घूमा दिया। उसके गरम गरम होंट मेरे फड़फड़ाते होंटो पर चिपक गए।
मेरी दिल की धड़कने एकदम से तेज हो गयी और पूरे बदन मे जैसे करंट दौड़ने लगा। मै जड़ सी खड़ी रह गयी और वो मेरे होंटो को चूमने और चूसने लगा। ऐसा अजीब तरह का रोमांच हो रहा था जैसा पहले कभी नहीं हुआ था। वो हौले हौले मेरे बालो को सहलाते हुए कभी मेरे निचले होंट को चूसता तो कभी ऊपर वाले को।
हमारी सोसाइटी मे कई गार्ड्स थे और उन्ही गार्ड्स मे से एक गार्ड था मोहन जो की करीब 50-52 साल का होगा और देखने मे वो मजबूत मर्द लगता था। वो मेरे को ताड़ता भी रहता था और उसके ताड़ने से मेरे अंदर सनसनी होने लगती थी। वैसे तो वो मेरे को बेटी बेटी कहता था पर उसकी नजरे मेरे गदराते जिस्म पे थी। एक बार मै ट्रैक पैंट और टीशर्ट पहन के नीचे घूम रही थी तो वो अपनी कुर्सी पर बैठा हुआ मुझे निहार रहा था। मुझे पता था की टाइट ट्रैक पैंट मे मेरे चौड़े हिप्स का उभार साफ दिख रहा है और टीशर्ट मे मेरे तने हुए उरोज उसे लुभा रहे थे। मै जानबूझ के उसके आस पास घूमती रही और झुक झुक के उसे अपने उभारो का दर्शन भी कराती रही। वो वासना भरी दृष्टि से मुझे देखता रहा और फिर मुझे अकेला देख मेरे पास चला आया।
"अरे चिंकी आज तुम अकेली तुम्हारे दोस्त नज़र नहीं आ रहे," वो बोला।
"वो सब तो ग्राउंड के खेल रही है, मै आज साइकिल चलना सीख रही हूँ," मै बोली।
"हे हे, तुम तो अब बड़ी हो गयी हो अभी तक साइकिल चलना नहीं आता, चलो मै पकड़ता हूँ साइकिल।"
मै गद्दी पर बैठ गयी और वो साइकिल पकड़ के मुझ से चलवाने लगा। वो एक हाथ से गद्दी पकड़े हुए था तो बार बार मेरी गांड पर हाथ लगा देता। एक दो बार तो मै उसके हाथ के ऊपर ही बैठ गयी। वो कई बार मेरे गर्दन और पीठ पर हाथ फेर दिया। थोड़ी देर बाद अंधेरा होने लगा तो मै घर वापस आ गयी। उस दिन के बाद से जब भी मिलता तो कुछ न कुछ मेरे से बात करता और कहता रहता की साइकिल चलना नहीं आया हो तो वो सीखा देगा। जब भी अकेले मे होता तो जरूर मेरी पीठ पे हाथ रख के बात करता। मुझे भी उसे साथ इस लुका छिपी मे मज़ा आने लगा।
एक बार सहेलियों के साथ छुपन छुपाई खेल रही थी और गार्ड हमेशा की तरह मुझे निहार रहा था। मै छुपने के लिए बेसमेंट के चली गयी तो गार्ड भी पीछे पीछे आ गया।
"चिंकी यहाँ आ जाओ," वो सीढ़ियो के पीछे इशारा किया तो मै चली गयी।
"कितना अंधेरा है यहाँ तो," मै बोली।
"कोई बात नहीं मै हूँ न," वो मेरे पीठ पे हाथ रखता हुआ बोला, "यहाँ कोई ढूंढ नहीं पाएगा।"
एक तो अंधेरा और उस पे वो बिलकुल मेरे से सट के खड़ा था, मुझे रोमांच हो आया। धीरे धीरे वो मेरी पीठ पे हाथ फिसलता हुआ मेरे को अपनी बाहो मे समेट सा लिया।
"क्या, क्या।"
"श श, बोलो मत बच्चे सुन लेगे," वो बोला, तो मै चुप हो गयी, पर मेरी साँसे तेज हो गयी। वो मेरी कमर मे हाथ डाल मे मुझे अपने से कस कर सटा लिया।
बेसमेंट मे सारे बच्चे मुझे ढूंढते हुए जा रहे थे और मै चुपचाप उसकी बाहो मे दबी खड़ी रही। मेरे दिल की धड़कन बढ्ने लगी जब वो मुझे पूरी तरह अपने अंदर ही समेटने लगा। उसकी साँसे मेरी गर्दन पर पड़ रही थी।
"छोड़ो, अब सब चले गए," मै फुसफुसाई।
"अभी रुको बेटी, नहीं तो वापस आ जाएगे," वो फुसफुसाया और एक हाथ से मेरे बालो को सहलाने लगा। मेरा पूरा बदन सन सन करने लगा।
"चिंकी बेटा, तुम्हे पता है न की तुम कितनी प्यारी हो, यहाँ सोसाइटी मे सबसे सुंदर लड़की हो," वो मेरे को फुसलाने लगा।
"अच्छा," मेरे को समझ नहीं आया की क्या बोलू।
"सच्ची, कसम से," वो एसे बोला की मेरी हंसी निकाल गयी। मुझे हँसता देख वो और शेर हो गया।
"अच्छा अंकल अब छोड़ो, अब तो सब बच्चे चले गए।"
"अरे इतनी जल्दी क्या है मै तो कितने दिनो से तुम्हें अपनी बाहों मे लेने के लिए मचल रहा था, अब एक पप्पी तो देनी पड़ेगी।"
"हौ अंकल, क्या कह रह हो," मै एक बार को सकपका गयी।
"एक पप्पी सिर्फ, कभी बोयफ्रेंड को नहीं दी क्या," वो बोला।
"धत अंकल कैसी बाते करते हो, मेरा कोई बॉयफ्रेंड नहीं है," मै शर्मा गयी।
"अरे इतनी सुंदर लड़की का कोई बॉयफ्रेंड नहीं, ऐसा कैसे हो सकता है।"
"मेरा कोई नहीं है, अब छोड़ो।"
पर वो मुझे पकड़े रहा, वहाँ बेसमेंट मे अंधेरे कोने मे कोई देखने वाला नहीं था। मेरा पूरा बदन सनसनाने लगा और वो मुझे जकड़े सिर्फ एक पप्पी, सिर्फ एक पप्पी की जिद लगाए रहा। मै उसकी बाहो मे कसमसाती रही।
वो खेला खाया हारामी आदमी था और समझ रहा था की लड़की ढीली पड रही है। मै कभी सेक्स तो क्या किसी लड़के को किस तक नहीं की थी। पहली बार किसी मर्द की बांहों के आई थी और मेरे पूरे बदन मे सनसनी दौड़ने लगी थी। जब गार्ड मुझे पकड़ के पप्पी की जिद करने लगा तो मुझे पॉर्न फिल्मे याद आने लगी की कैसे उसमे लड़का लड़की किस करते है, कैसे एक दूसरे के होंटो को चूसते है। अंदर से मन कर रहा था की एक बार करके देखना चाहिए। मुझे क्या पता था की 'एक पप्पी' तो सिर्फ शुरुवात होती है।
"अंकल, प्लीज बच्चे मुझे खोज रहे होंगे," बड़ी मुश्किल से मेरी आवाज निकली, पर वो मुझे कहाँ छोड़ने वाला था वो मुझे अपने सीने से जकड़े रहा, तो मै काँपते हुए बोल पड़ी, "अच्छा बस एक।"
गार्ड को तो जैसे मन मांगी मुराद मिल गयी और वो मेरे बालो को मजबूती से पकड़ के मेरा सर अपनी तरफ घूमा दिया। उसके गरम गरम होंट मेरे फड़फड़ाते होंटो पर चिपक गए।
मेरी दिल की धड़कने एकदम से तेज हो गयी और पूरे बदन मे जैसे करंट दौड़ने लगा। मै जड़ सी खड़ी रह गयी और वो मेरे होंटो को चूमने और चूसने लगा। ऐसा अजीब तरह का रोमांच हो रहा था जैसा पहले कभी नहीं हुआ था। वो हौले हौले मेरे बालो को सहलाते हुए कभी मेरे निचले होंट को चूसता तो कभी ऊपर वाले को।