Update 23
कर्नल के दोनों हाथों में एक-एक रिवाल्वर थी और वह दबे कदमों से पायलेट की तरफ बड़ रहा था उसकी पीठ कर्नल की तरफ थी। अचानक उसको कुछ आहट महसूस हुई, वह फुरती से पलटा लेकिन कर्नल फुर्ती से एक वृक्ष की ओट में आ गया, उसने आहट को अपना बहम समझ कर पुनः दूसरी तरफ देखने लगा।
कर्नल उसके सिर पर पहुँच चुका था। उसने एक कैरेट छाप पायलेट की गर्दन पर मारी और हाथ से मुंह दबा दिया। कोई और होता तो निष्चित रूप से बेहोष हो जाता लेकिन वह पंजों के बल उछलकर कर्नल की पकड़ से छूटकर दूर जा खड़ा हुआ, उसके हाथ में रिवाल्वर थी, इसके पहले की वो गोली चलाता, कर्नल की रिवाल्वर ने एक षोला उगला जो सीधे उसके माथे में जा धंसा, वो बिना चीखे ही इस फानी दुनिया से रूखसत् हो गया। कर्नल हेलीकाफ्टर की तरफ भागा। तभी एस.पी.श्रीवास्तव की अपराधी को आत्मसमर्पण करने की चेतावनी स्पीकर पर सुनाई पड़ने लगी। सैनिक तेज गति से हेलीकाफ्टर की तरफ बड़ रहे थे।
घड़-घड़ा हट की आवाज के साथ हेलीकाफ्टर स्टार्ट हो चुका था। एक अमेरिकी व्यक्ती पायलेट की सीट पर बैठाा था। हेलीकाफ्टर जमीन से ऊपर उठने लगा। एस.पी.ने पुनः अपराधियों को चेतावनी दी............अगर आत्मसमर्पण नहीं किया तो विमान भेदी रायफल से हेलीकाफ्टर को उड़ादिया जायेगा। हलीकाफ्टर ऊपर उठ रहा था। फायर एस.पी. स्वर माईक पर गुंजा, कर्नल के सौ गज ऊपर हेलीकाफ्टर में सेंकड़ों गोलियां समा गयी। कर्नल दूर भागा उसने फ्यूल टेंक का निषाना लेकर फायर किया.............................एक भयंकर दिल दहलादेना वाला मंजर आसमाँ में दिखा, हेलीकाफ्टर के भयंकर विस्फोट के साथ परखच्चे उड़ गये। आकाष में षोले भड़के, जलते हुये हेलीकाफ्टर का मलबा हरे-भरे मैदान मेें गिर रहा था मानों षोलों की बारिष हो रही हो। एस.पी. और कर्नल पास-पास खड़े आसमान से बरसते षोंलों को निहार रहे थे।
कर्नल और सार्जेंट दिलीप, प्रेस रिपोर्टरों से घिरे थे। श्रीनगर के मुख्य थाने के प्रेस कक्ष में प्रेस रिपोर्टरों के अतिरिक्त ई.षब्बीर और एस.पी. भी मौजूद थे।
एस.पी. श्रीवास्तव ने प्रेस रिपोर्टरों से मुखातिब होकर कहा। देखिये ये एक लम्बा केस है, इसमें आप ही नहीं मैं भी चाहूँगा कर्नल नागपाल हमें षुरू से आखिर तक की पूरी जानकारी दें।
कर्नल ने अपना सिगार सुलगा लिया, और कहना षुरू किया, साथियों ये केस षुरू होता है ‘‘नेषनल रिसर्च इन्स्टीट्यूट आफ बायोसाइंस’’ से । वहाँ के वैज्ञानिक जिनका नाम आप जानते ही हैं डाॅक्टर सत्यजीत राय विभिन्न्ा प्रकार की सुगन्धों पर रिसर्च कर रहे थे। इसी सिलसिले में उनको 10 करोड़ की आर्थिक सहायता की आवष्यकता पड़ी। जिसकी मदद से वह अपने प्रयोगों को पूरा कर सके। डाॅक्टर सत्यजीत राय की एक सकायिका थी जिसका नाम था जूलिया। कर्नल ने सिगार का एक कस लिया। पत्रकार तेज गति से सार्टहेंड में लिखने में मषगूल थे। कुछ पत्रकार आराम से े सिगरेट के कष लगा रहे थे बजाये लिखने के उनने अपने छोटे-छोटे टेप रिकार्डर सामने किये हुये थे। पर आष्चर्यजनक रूप स्थानीय दूरदर्षन कष्मीर के संवाददाता को छोड़ इलेक्ट्रानिक मीडिया का अन्य कोई संवाददाता वहां नहीं पहुंचा था। हाँ तो मैं कह रहा था कर्नल ने पुनः बोलना षुरू किया उन्होंने यह सहायता इन्स्टीट्यूट के प्रधान वैज्ञानिक डाॅक्टर षिवाजीकृश्णन से मांगी लेकिन वो इतनी भारी रकम की व्यवस्था नहीं कर सके, उल्टे उन्होनें डाॅक्टर सत्यजीत राय को भगा दिया। पर डाॅक्टर सत्यजीत राय निराष नहीं वो पंजाब बैंक गये, लेकिन वहाँ से भी उन्हें सहायता नहीं मिल सकी। इन घटनाओं ने डाॅक्टर को विचलित कर दिया और वे अर्द्धविक्षप्त से हो गये। जानते हो उन्होनें क्या किया ? उन्होंने प्रयोग षाला में इजाद की माँस की तीक्षण सुगन्ध को मूनलाईट ऐरिये में छोड़ दिया। इस सुगन्ध की विषेशता थी, यह हवा में मिलकर मीलों तक पहुँच जाती है। और कुत्ते मांस की सुगंध पाकर भागे-भागे आते हैं, और मांस को ना पाकर एक-दूसरे से लड़भिड़ जाते हैं।
ओह तभी आप कह रहे थे कुत्ते ही केवल क्यों आये गधे, घोड़े क्यों नहीं आये। इन्स्पेक्टर गिरीष ने बीच में कहा।
मिस्टर गिरीष कर्नल ने गिरीष को संबोधित करते हुए कहा....जब में मोकाएवार्दात से अपनी कोठी पहुँचा तो वहाँ पता चला मेरा षेरा भी जंजीर तोड़कर भाग रहा था। चैकीदार ने बड़ी मुषकिल से काबू में लेकर उसे बेहोष किया था। जानते हो जब उसकी बेहोसी टूटी तब वह भला चंगा था।
ओर फिर कुत्तों की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में उनका मरना गंभीर घाव और अत्यधिक रक्त स्त्राव बताया गया.................................किसी भी प्रकार के जहर के कंण उसके आंतो एवं आमाषय में नहीं पाये गये। डाॅक्टर राय के कुछ मित्र अमेरिका में रहते हैं उन्होनें अपने प्रयोगों का जिक्र उनसे किया और आगे के प्रयोगों पर आने वाले खर्च के विशय में पूँछा। और संयोग से कुख्यात अपराधिनी सोफिया लारेन जो कि अंगेज माँ और सऊदी बाप की मिली जुली संतान थी को इन प्रयोगों की भनक लग गयी। वो स्पेन की डान्सर एरिना जेडसन बनकर भारत आ गयी और उसने सिल्वर नाईट क्लब में डान्स का प्रोग्राम दिया। चूँकी क्लब के मेनेजर की सार्जेंट से दोस्ती थी, अतः वह उस क्लब में सामान्य रूप से आता जाता था।चुनाँचे वह उस कार्यक्रम को देखने भी वहाँ पहुँच गया। मेकप के कारण वह एरिना जेडसन को सोफिया लारेन के रूप में तो नहीं पहचान सका लेकिन उसे उसकी आँखें जानी पहचानी लगी।
हाँलाकी सोफिया बड़े ही सफाई से एिरिना जेडसन बनकर भारत आ गई थी। लेकिन गुप्तचर संस्था ‘‘ रिसर्च एण्ड एनालिषस विंग’’ यानी ‘‘रा’’ के जासूसों का उस पर षुरू से ही संदेह था फलस्वरूप यह केस मुझे सोंप दिया गया। सोफिया के आदमियों ने जूलिया को हन्टरों से मार-मार कर डाॅक्टर राय के श्रीनगर स्थित घर का पता उगलवालिया। जूलिया मेरे को जानती थी सार्जेंट से भी उसकी सिल्वर नाईट क्लब में पहचान हो गई थी, अतः उसने हमारी कोठी पर फोन कर सहायता मांगी। मुझे डाॅ.राय पर कुत्तों वाले केस में षुरू से ही संदेह था। अतः मेरे आदमी उसकी निगरानी कर रहे थे। जब उन्हें जूलिया के फ्लेट पर गड़बड़ी का अहसास हुआ तो उन्होनें मुझे फोन किया लेकिन मैं फोन पर उपलब्ध नहीं था अतः उन्होंने पुलिस थाने के नाम अज्ञात टिप दे दी।
इधर सार्जेंट जूलिया को मेडीकल सहायता दिलवाकर उसे कोठी ले आया। फिर हम श्रीनगर रवाना हो गये, हमारे पीछे से इंस्पेक्टर गिरीष ने कोठी पर आकर जूलिया से मुलाकात की और पता लेकर उसी फ्लाईट से जिस से हम आये श्रीनगर पहुँच गया। आगे तो आप सब जानते हैं, कैसे सत्यजीत राय का अपहरण किया गया और फिर छुड़ाया गया।
कर्नल डाॅक्टर सत्यजीत राय का अपहरण किस मकसद से किया गया और इसके पीछे वास्तविक रूप से किन षक्तियों का हाथ है ? इन्डियन एक्सप्रेस विष्ेाश संवाददाता ने पूँछा।
देखिये ठीक-ठीक तो अभी कुछ भी कह पाना संभव नहीं है। किन्तु इतना तो फिर भी सच है कि सोफिया लारेन का संबंध अंतराश्ट्रीय अपराधियों से है, ये हर प्रकार की स्मगलिंग, हवाला कारोबार, नकली नोटों के कारोबार, नारकोटिक्स, सभी प्रकार के गैर कानूनी धंधो से जुड़ी हुई है। कर्नल कुछ देर रूका। उसने इन्डियन एक्सप्रेस के संवाददाता से सीधे मुखातिब होते हुए कहा मिस्टर मुखोपाध्याय जी एक वैज्ञानिक का अपहरण कर के ये अंतराश्ट्रीय अपराधि क्या करेंगे ये हमारे लिये भी गंभीर चिंता का प्रष्न बन गया है! हमारी विंग को यह आषंका है कि कहीं डाॅक्टर राय का अपहरण कहीं चैचनिया या अफगानिस्तान के आतंकवादियों ने तो नहीं किया। यदी कहीं ये डाॅक्टर तालिबानियों के चुंगल में पहुँच जाता तो आप अंदाज लगा लीजिये विष्व के बड़े षहरों में कितनी बड़ी-बड़ी घटनायें आसानी से वो कर लेते और किसी को कुछ पता भी नहीं चलता। लेकिन फिलहाल हमारे पास कोई पुख्ता प्रमाण नहीं हैं जिनकी मदद से हम इनका संबंध तालिबानियों से जोड़ सकें, मुझे ऐंसा लगता है कि डाॅक्टर राय के अपहरण के बाद ये अंतराश्ट्रीय तस्कर उसका सौदा मुसलिम चरमपंथियों से करते, क्योंकि अपहरण में जो तरीका अपनाया गया है उसमें हिंसा या बल प्रयोग कम ही किया गया है, यदि चरमपंथी इस अपहरण को करते तब निष्चित रूप से खूब खून-खराबा होता।
कर्नल आपकी नजर में क्या डाॅक्टर सत्यजीत राय को सजा होगी ?
ये में कैसे कह सकता हूँ, मैं कोई जज तो नहीं , वैसे कुत्तों की गेंगवार में 150 कुत्तों मारे गये जिसमें पुलिष विभाग के कीमती अलषासियन और बुल्डाग नष्ल के 70 कुत्ते भी षामिल हैं। इनमें से प्रत्येक के प्रषिक्षण पर हमारे विभाग ने हजारों रूपये खर्च किये हैं। इसके अलावा कुत्तों की चपेट में आकर कई एक्सीडेंट हो गये। साथियों आज की पत्रकार वार्ता को अब हम यहीं खतम् करें तो अच्छा हो क्योंकि मुझे भूक लगी है, दिन भर से कषमीर की इन खूबसूरत वादियों में एक दाना तक नषीब नहीं हुआ।
वेरी गुड फादर आज दिन भर से आपने यह पहला अच्छा काम किया, सार्जेंट ने कहा,पत्रकारों के चेहरे पर भी मुस्कान आ गयी, उन्होंने कर्नल को धन्यवाद दिया इन्डियन एक्सप्रेस के विषेश संवाददाता सत्यवंधु मुखोपाध्याय ने कर्नल से हाथ भी मिलाया लगता था वे पहले भी कई बार मिल चुके थे।
इस घटना को घटे एक माह बीत चुका था, कर्नल नागपाल, सार्जेंट दिलीप, और मोन्टी अपनी कोठी के लान में बैठे सुबह की चाय पी रहे थे। कर्नल के हाथ में डेली न्यूज पेपर था।
- बरखुरदार उसने आत्महत्या कर ली!
- किसने ?
- डाॅक्टर सत्यजीत राय ने।
- क्या कहा फादर जरा स्पश्ट कहना।
- बरखुरदार वैज्ञानिक के बच्चे को आज कोर्ट ले जाना था, आज उसके केस का फैंसला होने वाला था और उसको सजा निष्चित थी।
- आत्म हत्या की कैंसे ?
- बिजली के तारों को पकड़कर झूल गया