ये कहानी काल्पनिक है जिसका सत्य से कोई लेना देना नहीं। कृपया करके इसे सत्य ना समझे ।
पहली कहानी :- पाप या फिर जरूरत ?
कहानी के मुख्य किरदार
(१) अब्दुल्लाह :- उमर ७३ साल । लंगड़ा और बहुत ही काला। एक अच्छा लेकिन बहुत ज्यादा दुखी आदमी । London में refugee था और अब नागरिक बन गया। सीरिया से भागकर यहां शांति की तलाश में आया हुआ हैै ।
(२) नजिमा शेख :- उमर ३५ साल । एक bar singer. कई सालो पहले यानी करीब ३० साल पहले जब वह ५ साल की थी तब उसकी अम्मी सऊदी से भागकर आईं थीं शांति के लिए ।
London की सर्द रात थी। ठंडी हद से ज्यादा थी। हड्डी गल जाए वैसी ठंडी। अब्दुल्लाह आज अपने घर से निकाल दिया गया था। कचरे कि नौकरी करने वाला अब्दुल्लाह आज बेरोजगार हो चुका था । घर का किराया ना मिलने पर मकान मालिक ने धक्के मारकर बाहर निकाल दिया था। अब्दुल्लाह ट्रेन पकड़कर एक address को लेकर पहुंचा । वहा एक appartment था जो करीब ४ floor का था । अब्दुल्लाह ने देखा कि वहा पे करीब २० घर था।
हाउस नंबर ४०५ की तरफ देखा तो दरवाजा खटखटाया । दरवाजा खुला तो सामने नज़िमा को पाया । नज़ीमा को बेहद खूबसूरत और बेबाक औरत है ।
नजीमा :- सलाम अलाइकुम आप कौन ?
अब्दुल्लाह :- वालेकुम सलाम । मैं अब्दुल्लाह तुम्हारी अम्मी मुझे जानती है । फिरोजा कहा पे है ?"
"नाजिमा :- उनका पिछले साल इंतकाल हो गया था । आप कौन है ?"
अब्दुल्लाह :- क्या तुम bar dancer हो ? वोह stay alive bar की ?"
नाजिमा धीमी आवाज़ में "आपको पता है कि में ग्राहक को bar में मिलती हूं । यहां लोग रहते है। जो भी काम हो कल मिल लेना । तुम्हे जिस्म का सुख वहा दे दूंगी ।"
"नहीं मैं सबके सामने नहीं करूंगा । मुझे तुमसे कोई जिस्मानी सूख नहीं चाहिए । देखो मुझे तुम्हारी जरूरत है। तुम्हारी अम्मी ने वादा किया था ।"
"मुझे पता है लेकिन please वोह मर चुकी है । मैं आपकी इच्छा पूरी करूंगी लेकिन यह नहीं। कोई देख लेगा ।"
"मुझे घर से निकाला गया है। मैं बेघर हूं कुछ डॉलर है मेरे पास करीब २००० डॉलर यह लेलो लेकिन मुझे अंदर आने दो ।"
अब्दुल्लाह ज़िद करने लगा । नाजिमा कुछ सोचकर "अच्छा अंदर आ जाओ ।"
अब्दुल्लाह अंदर आया। नाजिमा बोली "तुम चाहते क्या हो ?"
"देखो नाजिमा में जानता हूं फिरोजा को। ३५ साल पहले हमारी मुलाक़ात हुई थी । तुम्हारे अब्बा शेख करीम बहुत बड़े अमीर और ज़ालिम आदमी थे । उन्होंने ८ औरतों से निकाह किया और तुम्हारी अम्मी को रोज मरते थे। मै नौकर था उस घर का । तुम्हारी अम्मी शांति की ज़िन्दगी चाहती थी। मैंने उनको और तुम्हे वहा नरक से भगाया था । सऊदी अरब के नरक से । तुम्हारी अम्मी ने वादा किया था कि जब भी मै अकेला हो जाऊं तो वह मुझे सहारा देगी चाहे दिल का या फिर प्यार का। लेकिन वो......"
नाजिमा बीच में बोली "में अम्मी से वादा किया आपको संभालने का और वक़्त आने पर आपको सहारा देने का । क्या चाहिए आपको ?"
"मुझे किसी का ज़िन्दगी में साथ नहीं मिला। प्यार क्या होता है यह नहीं पता मुझे कोई सहारा देनेवाला चाहिए। तुम मुझे सहारा दो । मुझे अपने साथ रखो और वक़्त आने पे मुझे हिम्मत दो। "
नाजिमा "आपको आज पहली बार देखा । अम्मी आपकी काफी बात करती। कहती कि आपने हमें नहीं ज़िन्दगी दी । मारने से पहले मुझे कहा कि अब्दुल्लाह एक दिन जरूर आएगा मदद मांगने उसे खाली हाथ कभी जाने ना देना। आप जब तक चाहे था पे रह सकते है । इस घर में मेरे सिवा कोई नहीं रहता ।"
"शुक्रिया नाजिमा ।"
नाजिमा का घर एक कमरे का है। एक हॉल और एक kitchen । नाजिमा और अब्दुल्लाह का आगे क्या होगा यह तो वक़्त ही बताएग ।
पहली कहानी :- पाप या फिर जरूरत ?
कहानी के मुख्य किरदार
(१) अब्दुल्लाह :- उमर ७३ साल । लंगड़ा और बहुत ही काला। एक अच्छा लेकिन बहुत ज्यादा दुखी आदमी । London में refugee था और अब नागरिक बन गया। सीरिया से भागकर यहां शांति की तलाश में आया हुआ हैै ।
(२) नजिमा शेख :- उमर ३५ साल । एक bar singer. कई सालो पहले यानी करीब ३० साल पहले जब वह ५ साल की थी तब उसकी अम्मी सऊदी से भागकर आईं थीं शांति के लिए ।
London की सर्द रात थी। ठंडी हद से ज्यादा थी। हड्डी गल जाए वैसी ठंडी। अब्दुल्लाह आज अपने घर से निकाल दिया गया था। कचरे कि नौकरी करने वाला अब्दुल्लाह आज बेरोजगार हो चुका था । घर का किराया ना मिलने पर मकान मालिक ने धक्के मारकर बाहर निकाल दिया था। अब्दुल्लाह ट्रेन पकड़कर एक address को लेकर पहुंचा । वहा एक appartment था जो करीब ४ floor का था । अब्दुल्लाह ने देखा कि वहा पे करीब २० घर था।
हाउस नंबर ४०५ की तरफ देखा तो दरवाजा खटखटाया । दरवाजा खुला तो सामने नज़िमा को पाया । नज़ीमा को बेहद खूबसूरत और बेबाक औरत है ।
नजीमा :- सलाम अलाइकुम आप कौन ?
अब्दुल्लाह :- वालेकुम सलाम । मैं अब्दुल्लाह तुम्हारी अम्मी मुझे जानती है । फिरोजा कहा पे है ?"
"नाजिमा :- उनका पिछले साल इंतकाल हो गया था । आप कौन है ?"
अब्दुल्लाह :- क्या तुम bar dancer हो ? वोह stay alive bar की ?"
नाजिमा धीमी आवाज़ में "आपको पता है कि में ग्राहक को bar में मिलती हूं । यहां लोग रहते है। जो भी काम हो कल मिल लेना । तुम्हे जिस्म का सुख वहा दे दूंगी ।"
"नहीं मैं सबके सामने नहीं करूंगा । मुझे तुमसे कोई जिस्मानी सूख नहीं चाहिए । देखो मुझे तुम्हारी जरूरत है। तुम्हारी अम्मी ने वादा किया था ।"
"मुझे पता है लेकिन please वोह मर चुकी है । मैं आपकी इच्छा पूरी करूंगी लेकिन यह नहीं। कोई देख लेगा ।"
"मुझे घर से निकाला गया है। मैं बेघर हूं कुछ डॉलर है मेरे पास करीब २००० डॉलर यह लेलो लेकिन मुझे अंदर आने दो ।"
अब्दुल्लाह ज़िद करने लगा । नाजिमा कुछ सोचकर "अच्छा अंदर आ जाओ ।"
अब्दुल्लाह अंदर आया। नाजिमा बोली "तुम चाहते क्या हो ?"
"देखो नाजिमा में जानता हूं फिरोजा को। ३५ साल पहले हमारी मुलाक़ात हुई थी । तुम्हारे अब्बा शेख करीम बहुत बड़े अमीर और ज़ालिम आदमी थे । उन्होंने ८ औरतों से निकाह किया और तुम्हारी अम्मी को रोज मरते थे। मै नौकर था उस घर का । तुम्हारी अम्मी शांति की ज़िन्दगी चाहती थी। मैंने उनको और तुम्हे वहा नरक से भगाया था । सऊदी अरब के नरक से । तुम्हारी अम्मी ने वादा किया था कि जब भी मै अकेला हो जाऊं तो वह मुझे सहारा देगी चाहे दिल का या फिर प्यार का। लेकिन वो......"
नाजिमा बीच में बोली "में अम्मी से वादा किया आपको संभालने का और वक़्त आने पर आपको सहारा देने का । क्या चाहिए आपको ?"
"मुझे किसी का ज़िन्दगी में साथ नहीं मिला। प्यार क्या होता है यह नहीं पता मुझे कोई सहारा देनेवाला चाहिए। तुम मुझे सहारा दो । मुझे अपने साथ रखो और वक़्त आने पे मुझे हिम्मत दो। "
नाजिमा "आपको आज पहली बार देखा । अम्मी आपकी काफी बात करती। कहती कि आपने हमें नहीं ज़िन्दगी दी । मारने से पहले मुझे कहा कि अब्दुल्लाह एक दिन जरूर आएगा मदद मांगने उसे खाली हाथ कभी जाने ना देना। आप जब तक चाहे था पे रह सकते है । इस घर में मेरे सिवा कोई नहीं रहता ।"
"शुक्रिया नाजिमा ।"
नाजिमा का घर एक कमरे का है। एक हॉल और एक kitchen । नाजिमा और अब्दुल्लाह का आगे क्या होगा यह तो वक़्त ही बताएग ।