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Fantasy पाप या जरूरत (serious story)

Hills

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ये कहानी काल्पनिक है जिसका सत्य से कोई लेना देना नहीं। कृपया करके इसे सत्य ना समझे ।

पहली कहानी :- पाप या फिर जरूरत ?

कहानी के मुख्य किरदार

(१) अब्दुल्लाह :- उमर ७३ साल । लंगड़ा और बहुत ही काला। एक अच्छा लेकिन बहुत ज्यादा दुखी आदमी । London में refugee था और अब नागरिक बन गया। सीरिया से भागकर यहां शांति की तलाश में आया हुआ हैै ।

(२) नजिमा शेख :- उमर ३५ साल । एक bar singer. कई सालो पहले यानी करीब ३० साल पहले जब वह ५ साल की थी तब उसकी अम्मी सऊदी से भागकर आईं थीं शांति के लिए ।


London की सर्द रात थी। ठंडी हद से ज्यादा थी। हड्डी गल जाए वैसी ठंडी। अब्दुल्लाह आज अपने घर से निकाल दिया गया था। कचरे कि नौकरी करने वाला अब्दुल्लाह आज बेरोजगार हो चुका था । घर का किराया ना मिलने पर मकान मालिक ने धक्के मारकर बाहर निकाल दिया था। अब्दुल्लाह ट्रेन पकड़कर एक address को लेकर पहुंचा । वहा एक appartment था जो करीब ४ floor का था । अब्दुल्लाह ने देखा कि वहा पे करीब २० घर था।

हाउस नंबर ४०५ की तरफ देखा तो दरवाजा खटखटाया । दरवाजा खुला तो सामने नज़िमा को पाया । नज़ीमा को बेहद खूबसूरत और बेबाक औरत है ।

नजीमा :- सलाम अलाइकुम आप कौन ?

अब्दुल्लाह :- वालेकुम सलाम । मैं अब्दुल्लाह तुम्हारी अम्मी मुझे जानती है । फिरोजा कहा पे है ?"

"नाजिमा :- उनका पिछले साल इंतकाल हो गया था । आप कौन है ?"

अब्दुल्लाह :- क्या तुम bar dancer हो ? वोह stay alive bar की ?"

नाजिमा धीमी आवाज़ में "आपको पता है कि में ग्राहक को bar में मिलती हूं । यहां लोग रहते है। जो भी काम हो कल मिल लेना । तुम्हे जिस्म का सुख वहा दे दूंगी ।"

"नहीं मैं सबके सामने नहीं करूंगा । मुझे तुमसे कोई जिस्मानी सूख नहीं चाहिए । देखो मुझे तुम्हारी जरूरत है। तुम्हारी अम्मी ने वादा किया था ।"

"मुझे पता है लेकिन please वोह मर चुकी है । मैं आपकी इच्छा पूरी करूंगी लेकिन यह नहीं। कोई देख लेगा ।"

"मुझे घर से निकाला गया है। मैं बेघर हूं कुछ डॉलर है मेरे पास करीब २००० डॉलर यह लेलो लेकिन मुझे अंदर आने दो ।"

अब्दुल्लाह ज़िद करने लगा । नाजिमा कुछ सोचकर "अच्छा अंदर आ जाओ ।"

अब्दुल्लाह अंदर आया। नाजिमा बोली "तुम चाहते क्या हो ?"

"देखो नाजिमा में जानता हूं फिरोजा को। ३५ साल पहले हमारी मुलाक़ात हुई थी । तुम्हारे अब्बा शेख करीम बहुत बड़े अमीर और ज़ालिम आदमी थे । उन्होंने ८ औरतों से निकाह किया और तुम्हारी अम्मी को रोज मरते थे। मै नौकर था उस घर का । तुम्हारी अम्मी शांति की ज़िन्दगी चाहती थी। मैंने उनको और तुम्हे वहा नरक से भगाया था । सऊदी अरब के नरक से । तुम्हारी अम्मी ने वादा किया था कि जब भी मै अकेला हो जाऊं तो वह मुझे सहारा देगी चाहे दिल का या फिर प्यार का। लेकिन वो......"

नाजिमा बीच में बोली "में अम्मी से वादा किया आपको संभालने का और वक़्त आने पर आपको सहारा देने का । क्या चाहिए आपको ?"

"मुझे किसी का ज़िन्दगी में साथ नहीं मिला। प्यार क्या होता है यह नहीं पता मुझे कोई सहारा देनेवाला चाहिए। तुम मुझे सहारा दो । मुझे अपने साथ रखो और वक़्त आने पे मुझे हिम्मत दो। "

नाजिमा "आपको आज पहली बार देखा । अम्मी आपकी काफी बात करती। कहती कि आपने हमें नहीं ज़िन्दगी दी । मारने से पहले मुझे कहा कि अब्दुल्लाह एक दिन जरूर आएगा मदद मांगने उसे खाली हाथ कभी जाने ना देना। आप जब तक चाहे था पे रह सकते है । इस घर में मेरे सिवा कोई नहीं रहता ।"

"शुक्रिया नाजिमा ।"

नाजिमा का घर एक कमरे का है। एक हॉल और एक kitchen । नाजिमा और अब्दुल्लाह का आगे क्या होगा यह तो वक़्त ही बताएग ।
 

Mink

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Congratulations on starting a new story 😊 hope ye kahani aapke pichle kahani ki tarah mast jayegi
 
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Hills

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नाजिमा जो बेहद ख़ूबसूरत और साथ ही साथ एक खुद्दार औरत भी है । नाजिमा के कई सारे ग्राहक उसे पसंद करते है। कई रास्ते गुजरना और कामना । Woh mahine mein sirf 2 grahak ke saath hi raat gujarti baki dance से कमाती । वोह रोज की तरह वैश्य का काम नहीं करती ।

अब्दुल्लाह जानता था कि यह वह बोज बन जाएगा इसीलिए नाजिमा का खर्चा कम हो उसके लिए वह मुफ्त में घर की सफाई और खाना बनाने की इच्छा जताई । नाजिमा को लगा चलो अच्छा है इन दोनों का खर्चा बच गया । वरना आज के जमाने में साफ सफाई और खाना बनाने के लिए लोगो को नखरे भी ज्यादा होते है ।

नाजिमा अपने कमरे में सोती और अब्दुल्लाह हॉल में सोता । अब्दुल्लाह दिन में खाना बनाता घर साफ करता और किताब में कुछ ना कुछ लिखता । नाजिमा शाम को जाती और देर रात घर वापिस लौटती। नाजिमा को चोट कपड़ों में देख अब्दुल्लाह को लगता कि वो विदेश मेे रहकर उनकी तरह हो गई लेकिन इसमें बुराई भी नहीं । वो कहते है ना जैसा देश वैसे वेश।

नाजिमा देर रात 1 बजे घर आईं । अब्दुल्लाह अकेले बैठा था। नाजिमा थोड़ा शराब पीकर आईं थी।


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"अरे नाजिमा तुम शराब पीकर आईं हो ?"

"हां थोड़ा पिया है मैंने ।" नाजिमा आराम से बैठ गई।"

"तुम आज जल्दी आईं ।" अब्दुल्लाह ने पानी देते हुए कहा ।

"हां तुमने ही कहा था ना जल्दी आने को लेकिन क्यों ?"

"तुमसे बस बात करनी है ।" अब्दुल्लाह ने कहा।

"हां करो ना। लेकिन इतनी रात को ?"

"मुझे अकेला मेहसूस हो रहा था इसीलिए तुमसे बात करनी है ।"

"बोलिए क्या बात करनी है ?"

"कभी कभी मैं सोचता हूं कि तुम अकेले कैसे रह लेती हो ? ना कोई है तुम्हारा अब यहां ।"

"इसमें अकेलेपन का क्या ? जब मेरी मा सऊदी अरब में थी तब भी अकेली थी । वहा किस तरह से औरतों को रखा जाता है । यह London जैसे जन्नत । आपकी वजह से मै आज खुलकर जी रही हूं। शुक्रिया ।"

"इसमें क्या शुक्रिया । इंसानियत के नाते तुम दोनों को यहां तक पहुंचाया ।"

"अगर आप पकड़े जाते तो ?"

"सऊदी कानून के तहत मौत कि सज़ होती ।"

"आप कैसे यहां आए और कब ?"

"बस पांच साल पहले । सऊदी अरब से सीरिया गया लेकिन कुछ साल पहले अतकवादियो ने सीरिया पे कब्ज़ा किया वहा लोगो को मारा औरतों की इज्जत लूट ली। नरक वहा नरक में भाग आया और यहां बस गया ।"

"मौत से आप बचाकर आए है ।"

"हां । मुझे गुलाम बनाया गया और वहा मैं देखता हूं कि रोज उनके अड्डे में औरतों के चिल्लाने की आवाज़ आती, गोलियां चलती, मर्दों को मारा जाता ।"

"एक बात बताइए यह सब किस लिए कर रहे है ये लोग ?"

"पता नहीं। खुद को ऊपरवाले का आदमी कहते है। कहते है जन्नत जाने का रास्ता है । जन्नत के झूठी आस में दुनिया को जहन्नुम बना दिया । यह खुदा भी बड़ा ज़ालिम है। कब यह सितम रुकेगा । कब खुदा अमन लेकर आएगा ।" अब्दुल्लाह की आंखो में आंसू आ गए ।

नाजिमा आंसू पोचकर पूछी "आखिर क्यों अपने हमारी जान बचाई ? क्या रिश्ता था अपका मेरी अम्मी से ।"

"इंसानियत का । जब मै रोज मालिक के हाथ से मार खाता तब जकम पे मलहम का काम तुम्हारी अम्मी करती। मुझे दिल से वह फरिश्ता लगी। मैंने फैसला कर लिया की अब तुम्हे और उसे यहां से बाहर निकाल कर अपना फ़र्ज़ अदा करूंगा ।"

"क्या अम्मी से फिर मुलाक़ात हुई ?"

"हां पिछले साल जब मैं उसे मिला ।वो मुझे देखकर खुश हुई।"

"क्या अम्मी ने आपको कुछ दिया नहीं ?"

"दिया ना एक वादा। जब वो London आईं तो मुझसे पूछा कि क्या चाहिए तो मैंने कहा कि मै फिर कभी कुछ मांग लूंगा।"

"बोलो ना आप क्या मांगे ?"

"पिछले साल उसे याद दिलाया कि मुझे क्या चाहिए । मैंने कहा कि में सारी ज़िन्दगी अकेला रहा मुझे जीवन साथी चाहिए । और उसने मुझे पूछा कौन है वो ।"

"कौन है वो ?"

"मैंने तुम्हारा नाम लिया ।"

"क्या ?" नाजिमा चौक गई।

"हां नाजिमा मैंने तुम्हारा नाम लिया । तुम्हारी अम्मी से कहा कि तुम्हारे जाने के बाद जब भी मुझे कोई मुसीबत का सामना करना पड़ा तो तुम्हारे घर आऊंगा ।"

"तो मैंने वादा पूरा कर लिया ।" नाजिमा ने कहा।

"लेकिन जब मैं तुम्हे बुलाऊं तो आओगी ना मेरे दर्द को बाटने ?"

"हां बिल्कुल जब आप बुलाओ ।" नाजिमा ने कहा ।

"तो मुझे आज दर्द की दावा दो ।"

"कैसी दवा ?"

"खुद के पास मुझे लाकर ।"

नाजिमा समझ गई कि अब्दुल्लाह को क्या चाहिए।

"मैं तुमसे गले मिलकर कुछ घंटे बिताना चाहता हूं।"

नाजिमा उठ गई और अब्दुल्लाह का हाथ पकड़कर बिस्तर पर ले गई। अब्दुल्लाह बहुत जोर जोर से रोने लगा। नाजिमा अब्दुल्लाह को सीने से लगाया और बिस्तर पे दोनो लेट गए। अब्दुल्लाह नाजिमा के सीने से लिपट और रोने लगा। अपने तकलीफ को मिटाने की कोशिश कर रहा था। नाजिमा और अब्दुल्लाह दोनो लिपट गए। अब्दुल्लाह को नींद आ गई। अब्दुल्लाह सो गया। नाजिमा चादर में खुद को और अब्दुल्लाह को डाल दिया। अब्दुल्लाह सुकून की नींद सो गया। नाजिमा के स्तन पे अब्दुल्लाह का सिर था। और नाजिमा ने अब्दुल्लाह के हाथ को अपने कमर पे रख दिया और वह भी गहरी नींद में सो गई।


अब्दुल्लाह ज़िन्दगी के दर्द को भूलना चाहता था। अब्दुल्लाह के दिल में कोई खराबी नहीं थी। नाजिमा अब्दुल्लाह की हर ख्वाहिश को पूरा करना चाहती है। अब्दुल्लाह ने उसकी ज़िन्दगी बचाई और अब वक़्त है नाजिमा को उसे दर्द से बाहर निकालने का।


नाजिमा शेख


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अब्दुल्लाह


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Mink

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I will try my best brother.
:hspin
 

Hills

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सुबह हुई। अब्दुल्लाह की गहरी नींद समाप्त हुई। वो अभी भी नाजिमा से लिपटा हुआ था। नाजिमा अभी भी नींद में थी। उसके बदन कि खुशबू अब्दुल्लाह को मोहित किए जा था था। अब्दुल्लाह ने अपना हाथ नाजिमा के कमर पे रखा और दूसरा हाथ कंधे पे । नाजिमा को प्यार से चूमता हुए अब्दुल्लाह दुबारा सो गया । डर सुबह 9 बजे नाजिमा उठी । अब्दुल्लाह के सिर पे हाथ रखा और अपने सीने से अलग किया।

अब्दुल्लाह की नींद उड़ गई। नाजिमा भी उठ गई।

"उठो अब्दुल्लाह। सुबह हो गई।" नाजिमा ने अब्दुल्लाह के माथे को चूमते हुए कहा।

"हम्म नाजिमा मुझे सोना है।' अब्दुल्लाह फिर नाजिमा से लिपट गया।

नाजिमा हस्ते हुए बोली "उठ जाओ। छोड़ो अब्दुल्लाह।"

"नहीं। मुझे अच्छा लग रहा है। तुम मत जाओ ।" अब्दुल्लाह बोल पड़ा।

"अच्छा बाबा ठीक लेकिन देर सुबह हो गई। मेरे प्यारे अब्दुल्लाह।"

अब्दुल्लाह नाजिमा को बोला "कल सच मेे अच्छा लगा नाजिमा शुक्रिया। पहली बार किसी ने दिल से मुझे अच्छा मेहसूस कराया।"

नाजिमा अब्दुल्लाह के गाल को चूमते हुए कहा "तुम जो कहोगे वो करूंगी। तुम जब भी। चाहो इस कमरे में सो सकते हो। इससे तुम्हे नींद भी अच्छी आएगी।"

"नाजिमा तुम बहुत अच्छी हो लेकिन अभी मेरा दिल नहीं मान रहा उठाने को।"

नाजिमा ने अब्दुल्लाह को उठाया और दोनो उठकर तैयार हुए। नाजिमा सफेद ड्रेस में थी। अब्दुल्लाह सोफे पे बैठा था। अब्दुल्लाह नाजिमा को देख रहा था। नाजिमा मुस्कुराते हुए अब्दुल्लाह को देख रही थी।


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अब्दुल्लाह बोला "नाजिमा तुम कहीं जानेवाली हो ?"

"हां अब्दुल्लाह। मेरी एक फ्रेंड आ रही है। उसके साथ जाना है कहीं।" नाजिमा अब्दुल्लाह की गोद में बैठी।

"नाजिमा वैसे घर का सामान लेने जाना है मुझे तुम लिस्ट दे दो "

"लिस्ट मैंने रखा है। तुम ले लो।"

"ठीक है नाजिमा लेकिन दोपहर को कब आओगी ?"

"दोपहर को मेरी फ्रेंड भी होगी। क्या तुम आज खाना बना सकते हो ?"

"हां क्यों नहीं। चलो अब में चलता हूं। दोपहर को मिलूंगा।" अब्दुल्लाह दरवाजे की तरफ गया। नाजिमा सोफे पे थी।

अब्दुल्लाह पीछे मुड़ा और बोला "मुझे गले नहीं लगाओगी ? तुम जा रही हो ना।"

नाजिमा मुस्कुराते हुए पास आईं और अब्दुल्लाह के गले लगी। अब्दुल्लाह को हल्के से गाल पे चूमते हुए कहा "मैं जल्दी आ जाऊंगी।"

अब्दुल्लाह चला गया। अब्दुल्लाह दोपहर का खाना तैयार किया। नाजिमा दोपहर के ३ बजे आईं। अब्दुल्लाह इंतज़ार कर रहा था। नाजिमा ने दरवाजा खोला और अब्दुल्लाह को देखते हुए कहा "sorry आज late हो गई।"

"कोई बात नहीं।"

"अब्दुल्लाह ये मेरी दोस्त जेनिफर विलियम्स है।"

अब्दुल्लाह ने देखा कि एक 28 साल की बेहद खूबसूरत ब्रिटिश महिला आने थी। अब्दुल्लाह ने सिर झुकाते हुए स्वागत किया।

जेनिफर वैसे London की ही है। वहा नाजिमा के साथ bar में काम करती है। दिन में वो और रात में नाजिमा। जेनिफर वैसे स्वभाव की अच्छी है। वैसे कई सारे ग्राहकों के साथ रात बिता चुकी है लेकिन अब उसने ये सब बंद कर दिया। अब वो bar में सिर्फ गाती और ऐश की ज़िन्दगी गुजारती।

सभी lunch करने बैठ गए। जेनिफर और नाजिमा आपस में बात कर रहे थे।

"नाजिमा क्या ये कहना बाहर से आया है ?" जेनिफर ने पूछा।

"नहीं क्यों ऐसा पूछ रही हो ?" नाजिमा ने पूछा।

"It's really delicious. बहुत अच्छा खाना है। London में ऐसा chicken नहीं बनता।"

"ये सीरिया की dish है । इसका मसाला अलग होता है।"

"मतलब तुम सीरिया से आए हो ?" जेनिफर ने पूछा।

"हां।"

"I am sorry. मैंने बहुत बुरा सना है उसके बारे में। तो आप refugee बनकर आए हो ?'

"Refugee था अब नागरिक बन गया।"

"No problem. ये यूरोप है।इधर किसी को जान का खतरा नहीं होता।"

सब हसने लगे। जेनिफर अब्दुल्लाह का परिचय भी अच्छे से हुआ।

"तो अब्दुल्लाह क्या फिर कभी मुझे ये स्वादिश खाना खिलाओगे ?" जेनिफर ने पूछा।

"क्यों नहीं तुम कभी भी आ सकती हो। वैसे भी अब्दुल्लाह अकेले ऊब जाता है।" नाजिमा ने कहा।

"मैं आ जाऊंगी। अब तो हम दोस्त हुए ना अब्दुल्लाह ?"

"बिल्कुल हम दोस्त हुए। तो जब बुलाऊंगा तो आप आ जाएंगी ?"

"दिन के वक़्त नहीं लेकिन शाम को कभी भी।" जैनिफर ने कहा।

तीनो में बात चीत हुई। अब्दुल्लाह को अच्छा लगा। उस जेनिफर अच्छे आचरण वाली महिला लगी। जेनिफर ने अब्दुल्लाह को अपना नंबर दिया और कहा कि कोई भी चीज की जरूरत हो तो बोल दे। फिर जेनिफर वहा से चली गई और नाजिमा शाम के लिए तैयार होकर चली गई। अब्दुल्लाह घर की सफाई में लग गया।

तो दोस्तो ये कहानी को किसी गलत तरीके ना देखिए। ये कहानी समान्य प्रेम कहानी है। अब्दुल्लाह कोई बेकार दिल का आदमी नहीं। तो ये ना सोचना की वो ठरकी है ।

नाजिमा शेख


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अब्दुल्लाह


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जेनिफर विलियम्स


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Hills

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अब्दुल्लाह रोज काम करता खाता और सो जाता। उस रोज नाजिमा से बात करने में मजा आता है। नाजिमा और अब्दुल्लाह अब एक साथ सोते है। अब्दुल्लाह का जब भी मन करता घूमने चला जाता। एक आज़ाद पंछी की तरह सांसें लेता और उड़ता। ना कोई गोली बारी, बम के धमाके और ना कोई गुलाम की ज़िन्दगी।

London ने जैसे उसे दुबारा जीने का मौका दिया। अब्दुल्लाह कभी कभी नाजिमा के bar में भी जाता और enjoy करता ।

"अब्दुल्लाह कहा गए थे तुम ?" नाजिमा ने पूछा।

"कुछ नहीं नाजिमा बस घूमने गया था। Sorry आज थोड़ी देर हो गई।"

"रात होनेवाली है चलो अब तुम आराम करो ।"

"तुम आज काम पे नहीं जानेवाली ?"

"हां जा थी हूं लेकिन आज जल्दी आ जाऊंगी। Bye."

अब्दुल्लाह खाना खाकर कुछ लिखने लागा। नाजिमा २ घंटे में आ गई।

"अब्दुल्लाह तुम्हे नींद नहीं आ रही क्या ?" नाजिमा ने पूछा।

"हां बस तुम्हारा इंतज़ार कर रहा था।"

"क्यों मेरे बिना नींद नहीं आती क्या ?"

"हां सही कहा। लेकिन आज रेड ड्रेस में अच्छी लग रही हो।"

नाजिमा शरमाते हुए कहा "thank you वैसे चलो अब सो जाओ।"

"नहीं पहले तुम मेरे पास आओ।" अब्दुल्लाह ने कहा।

"अब्दुल्लाह तुम भी..."

"नहीं पहले आओ। वरना नींद नहीं आएगी।"

"क्या करना है तुम्हे अब्दुल्लाह।"

"गले लगाकर सोना है।"

"आ रही हूं लेकिन पहले change कर लूं ?"

"नहीं इसी वक़्त मेरे पास आओ।"

अब्दुल्लाह के ज़िद के सामने नाजिमा हार गई और हस्ते हुए बोली "आ रही हूं। मेरे से लिपटकर सोने की आदत हो गई।"


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नाजिमा बेड पे आ गई। अब्दुल्लाह नाजिमा को बाहों में ले लिया। और गाल पे चूमा दिया।

"अब मुझे नींद आएगी।" अब्दुल्लाह नाजिमा से लिपट गया।"

"एक बार भी मुझे चिपक के सोते नहीं। अब्दुल्लाह आराम से। ठीक से लेट जाओ और मुझे बार बार चूमना बंद करो जैसे में आखिरी बार था रह रही हूं।"

"तुम्हारे बिना नींद नहीं आती और जब तक तुम्हे kiss या फिर गले लगाकर ना लेट जाऊं नींद नहीं आती।"

"मुझे भी तुम्हारे साथ रहना पसंद है लेकिन मेरी आदत ना पास जाए तुम्हे।"

"नाजिमा बस अब मेरे पास हमेशा के लिए ऐसे ही रहो। कहीं छोड़कर मत जाना। नाजिमा मैं अकेले ऊब जाता हूं। मुझे दिन मेे तुम संभालती हो लेकिन रात में कोई तो हो मुझसे बात करे मेरे अकेलेपन को दूर करे और गले से लगाए।"

"अब्दुल्लाह। मैं और तुम अब से कभी अलग नहीं होंगे। हम दोनों एक दूसरे के लिए है। अब्दुल्लाह तुम बस आराम से से जाओ।"

"मैं तुम्हे चाहता हूं नाजिमा। बहुत प्यार करता हूं।"

"मैं भी अब्दुल्लाह।"

अब्दुल्लाह नाजिमा को पकड़कर सो गया। अब्दुल्लाह और नाजिमा का रिश्ता साफ है। कोई खराबी नहीं। प्यार है लेकिन शारीरिक सूख के लिए नहीं अपनी भावनाओ को अच्छा बनाने के लिए ये प्यार का रिश्ता है दोनो मेे।

अगले दिन अब्दुल्लाह उठा और नाजिमा को बगल मेे सोते हुए पाया। नाजिमा की भी नींद उड़ी और वो बजे फैलाकर अब्दुल्लाह को अपने पास बुलाया। अब्दुल्लाह नाजिमा के उपर लेट गया और प्यार से सीने को चूमकर और रख दिया।

"अब्दुल्लाह नींद आईं ?"

"हां नाजिमा मुझे आईं। नाजिमा तुम ऐसे ही sleveless कपड़े के रहा करो। ऐसा लगता है कि london की गोरी के साथ हूं। मुझे London ki गोरियां अच्छी लगती हैं।"

नाजिमा अब्दुल्लाह को हल्के से थप्पड़ मारते हुए हस्ते हुए पूछी "अच्छा ? तुम्हे London की गोरियां पसंद है?"

"हां।" अब्दुल्लाह शरमाते हुए कहा।

"लगता है जेनिफर से तुम्हारी मुलाक़ात करवानी पड़ेगी।"

"नहीं ऐसी बात नहीं है।" अब्दुल्लाह जेनिफर का नाम सुनकर शरमा गया।

"हां हां। तो कैसी ? वैसे भी जेनिफर बहुत बाते करती है तुम्हारी।"

"सच में ?" अब्दुल्लाह खुश होकर पूछा।

"हां वैसे क्या खयाल है जेनिफर का ? कहीं..."

"नाजिमा तुम भी ना। मुझे तुम पसंद हो ।" अब्दुल्लाह ने नाजिमा के गाल को चूमते हुए फिर होठ को भी चूम लिया।"

"मैं तो ठीक लेकिन जेनिफर...." नाजिमा छेड़ते हुए कही।

"बदमाश औरत। चलो मुझे kiss करो होठ पे।"

"Ummmmm।" नाजिमा ने अब्दुल्लाह के होठ पे kiss किया।

"अब ठीक ?" नाजिमा ने पूछा।

"हां।" अब्दुल्लाह नाजिमा के गले को चूमते हुए कहा।

रात का वक़्त आया। नाजिमा अपने काम पे गई। अब्दुल्लाह भी अब सोने की तैयारी में था। तभी किसी ने bell बजाई। अब्दुल्लाह ने देखा कि जेनिफर आईं हैं।


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"Hi Abdullah."

(वैसे अंग्रेज लोग इंग्लिश मेे ही बात करते है लेकिन ये हिंदी forum है इसीलिए हिंदी मेे ही लिखा जाएगा)

"आप यहां ?" अब्दुल्लाह थोड़ा हड़बड मेे पूछा।

"क्यों नहीं आ सकती ?"

"अरे बिल्कुल आप आइए ना।"

"नाजिमा बता रही थी कि अकेले आप ऊब जाते है।" जेनिफर सोफे पे बैठ गई।

"अरे ऐसा कुछ नहीं है। एक मिनट इसका मतलब आप मेरे लिए आईं है ?"

"बेवकूफ हो अब्दुल्लाह तुम अब पता चला तुम्हे।"

"मेरे लिए क्यों आई तुम ? आखिर तुम्हे घूमना फिरना चाहिए तुम्हारे उमर वालो के साथ में ठहरा बुड्ढा। ऊब जाओगी मेरे साथ।"

"मेरा कोई बुड्ढा दोस्त नहीं। क्या पता तुमसे कुछ अनुभव मिल जाए। अगर तुम्हे नहीं मेरे साथ बात करनी तो मैं चलती हूं।" जेनिफर उठकर जाने लगी की अब्दुल्लाह ने रोकते हुए कहा "नहीं नहीं। बैठो ना। मुझे अच्छा लगेगा कि आप आएंगी।"

"आपको मैं पसंद हूं क्या ?" जेनिफर ने बिंदास होकर पूछा।

वैसे एक बात है जेनिफर बहुत की बिंदास और धासू लड़की है। वो कुछ ज्यादा ही खुले विचारों वाली है। जेनिफर के बेबाक बिंदास सवाल सुनकर अब्दुल्लाह घबरा गया और कुछ नहीं बोला शरम के मारे।

"क्यों अब्दुल्लाह मैं पसंद हूं ना तुमको ?"

"जी वो ..."

"नाजिमा के सामने मेरा नाम सुनकर बड़े खुश होते थे। यहां चुप। देखो अब्दुल्लाह दिल में को हो वो बता देना सही बात है। बोलो पसंद हूं या नहीं।"

अब्दुल्लाह थोड़े हिम्मत दिखाकर बोला "हां पसंद हो। तुम बहुत खूबसूरत हो। मुझे तुमसे बात करने का मन भी था।"

"मतलब dating करनी है मेरे साथ ?"

"नहीं नहीं वो तो..."

"क्या वो तो ?" जेनिफर छेड़ते हुए पूछी।

"अगर जवान होता तो जरूर करता और साथ में अंग्रेज होता तो पक्का।"

"क्यों बुड्ढे लोग नहीं कर सकते ?"

"लेकिन तुम जवान और अंग्रेज़ बुड्ढे के साथ dating नहीं करोगी।"

"बुड्ढे के कभी किया नहीं लेकिन तुम्हारे साथ नया अनुभव मिल जाए।"

"मतलब तुम dating करोगी मेरे साथ ?"

"तुम्हे करनी है ?"

"हां।"

"तो deal हम एक दूसरे को date करेंगे। कुछ महीनों के लिए ।"

"कुछ महीने ??? इतना time दोगी मुझे।"

"बिल्कुल वैसे भी बहुत जवान लोगो से date किया क्या पता तुम्हारे साथ कुछ अलग मेहसूस हो।"

"काफी तेज जा रही हो तुम ।" अब्दुल्ला शरमाते हुए बोला ।

"Mr abdullah आज का जमाना तेज़ है।" जेनिफर ने आंख मरते हुए कहा।

"तो तुम अब से मेरी गर्लफ्रेंड।"

"Yes my Syrian old age boyfriend."

फिर दोनो हस दिए। अब्दुल्लाह बोला "चलो इस खुशी में कुछ खिलता हूं तुमको ?"

"क्या ?"

"Falafel. सीरिया का dish है। तुमको पसंद आएगा।"

अब्दुल्लाह जेनिफर को dining table पे बिठाया और falafel लेकर आया।


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जेनिफर ने चखा और कहा "wow it's delicious."

"गर्लफ्रेंड वैसे तुम अगर साथ रही तो और भी अलग तरह का कहना खिलाऊंगा। तुम ना खुश हो जाओगी।"

"अच्छा लेकिन एक बात बताओ। तुम्हे खाना बनाना सिखाया किसने ?"

"बस सीख लिया। मुझे पसंद है खाना बनाना।"

"Wow. अगली बार जब आऊंगी तो खिलाना।"

"पक्का। वैसे तुम्हे क्या पसंद है ?"

"मुझे dance बहुत पसंद है।"

"वाह क्या बात है।"

दोनों ने खूब बाते की। जेनिफर के साथ अब्दुल्लाह को अच्छा लग रहा था। रात के 11 बज गए थे। अब्दुल्लाह पूछा "वैसे काफी रात हो गई। तुम्हे जाना भी होगा ना ?"

"हां वो तो है।"

"मेरी बात मानो आज रह जो। कल सुबह जाना।" अब्दुल्लाह बोला।

"Ohhhhh मतलब मेरे साथ रहने का मौका जाने नहीं दोगे।"

"बिल्कुल।"

"My sweet Abdullah." जेनिफर अब्दुल्लाह को गले लगाया और गाल पे kiss किया और कहा "नहीं जाऊंगी लेकिन करेंगे क्या हम ?"

"बाते करेंगे "

"चलो फिर।"

दोनों रूम मेे बात चीत कर रहे थे। दोनों एक दूसरे को जानने लगे। अब्दुल्लाह को पता चला कि जेनिफर अकेले रहती है और वो काफी घूमती फिरती है। पैसे अच्छे काम लेटिभाई और मोज मस्ती में मजे से खरच करती है। अब्दुल्लाह जेनिफर की खूबसूरती से काफी प्रभावित था। बाते करते करते जेनिफर को नींद आ गई। और वो बेड पे लेट गई।

जेनिफर का आधा बदन दिख रहा था। अब्दुल्लाह उठकर चादर लाया जेनिफर के शरीर को ढकने के लिए। वो बस चादर लेकर आया कि जेनिफर की आंखे खुल गई।


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दोनों की आंखें एक दूसरे से मिली। अब्दुल्लाह जेनिफर को किसी अप्सरा से कम नहीं मान रहा था। उस वो गोरे बदन और सुनहरे बाल और मुलायम बगल armpit ने मोह लिया।

"क्या हुआ अब्दुल्लाह ?"

"वो चादर लेकर आया। तुम्हारा आधा शरीर दिख रहा था इसीलिए।"

ये सुनकर जेनिफर मन में खुद से बोली "कितना अच्छा आदमी है ये। नहीं तो इसी के मुल्क और कौम के लोग हमारे अच्छे होने का फायदा उठाते है। ये सच मेे अच्छा आदमी है।"

अब्दुल्लाह मन में बोला "अब्दुल्लाह जब किसी ने तुझपे भरोसा किया तो उसका भरोसा नहीं तोड़ना। ये लड़की खूबसूरत और अच्छी है हां लेकिन ज्यादा ही खुले विचारों वाली है।"

दोनों का ध्यान टूटा और अब्दुल्लाह ने चादर दे दिया। जेनिफर ने कहा "आओ तुम भी लेट जाओ।"

अब्दुल्लाह ने कहा "नहीं में बाहर हूं।"

जेनिफर ने हाथ खींचकर अब्दुल्लाह को अपने पास लेटाकर कहा "में तुम्हे खा नहीं जाऊंगी। अब चलो सो जाओ।"

जेनिफर ने Ac तेज कर दिया। जिसकी वजह से अब्दुल्लाह को ठंडी लगी।

"तुम्हे ठंडी लग रही है। आओ मेरे कम्बल मेे।" जेनिफर और अब्दुल्लाह एक ही कम्बल मेे आ गए जेनिफर ने लाइट बंद कियाबौर अब्दुल्लाह के गाल पे हल्के के kiss करके goodnight कहा। जेनिफर अब्दुल्लाह से लिपट सो गई और अब्दुल्लाह बस आंखे बंद करके सो गया।
 
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sunoanuj

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Bhaut achee soft si bhavuk khani … 👏🏻👏🏻👏🏻
 

Hills

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जेनिफर और अब्दुल्लाह अपने नींद में मस्त थे। तभी नाजिमा सुबह 5 बजे आईं और देखा कि दोनो रूम में सोए हुए है। नाजिमा मुस्कुराकर बोली "क्या बात है अब्दुल्लाह अब जेनिफर के साथ आराम से रह रहे हो ? मुझे भूल गए क्या ?"

अब्दुल्लाह मुस्कुराते हुए कहा "नहीं। वो जेनिफर अब मेरी गर्लफ्रेंड है इसीलिए दोनो साथ मेे है।"

जेनिफर की नींद उड़ी और वो मुस्कुराते हुए अब्दुल्लाह से लिपटकर बोली "अब्दुल्लाह my Syrian old age boyfriend." कहकर अब्दुल्लाह को kiss किया।

नाजिमा हस्ते हुए बोली "अब्दुल्लाह इस अंग्रेज के चक्कर में मुझे मत भूल जाना।"

जेनिफर छेड़ते हुए बोली "क्यों जलन हो रही है मुझसे ?"

"नहीं नहीं बिल्कुल नहीं मेरी जेनिफर। अब्दुल्लाह और तुम दोनों अच्छे लग रहे हो।" नाजिमा ने कहा।

अब्दुल्लाह उठ गया और नाजिमा से गले लगते हुए कहा "तुमसे तो में प्यार करता हूं और जेनिफर मुझे पसंद है। दोनों मेरे लिए एक है।"

"जेनिफर अगर तुम चाहो तो यहां कुछ दिन रह सकती हो अब्दुल्लाह के साथ।"

"मै रहूंगी अब्दुल्लाह के साथ।" जेनिफर ने मुस्कुराते हुए कहा।

सुबह सुबह गरम coffee लेकर दोनो दोस्त बैठी थी। जेनिफर धीमी आवाज़ में बोली "नाजिमा अब्दुल्लाह बहुत अच्छा आदमी है। उसने कोइबूरा कदम नहीं उठाया।"

"मैं जानती हूं जेनिफर। अब्दुल्लाह ने मुझे नरक से बचाया है। उस सऊदी अरब से मुझे बाहर निकाला है। वो चाहता तो मेरी अम्मी से बहुत कुछ ले सकता था लेकिन उसने कोई फायदा नहीं उठाया। अब मै अब्दुल्लाह को ज़िन्दगी की हर खुशी दूंगी।"

"तुम नहीं हम।"

"क्या तुम अब्दुल्लाह को..."

"हां नाजिमा। अब्दुल्लाह उं सभी मर्दों से अलग है। वो अच्छा इंसान है और अकेला भी। मुझे बुढ़ापे से कोई ऐतराज़ नहीं। वैसे भी मेरे जैसे लड़की ख़ूबसूरत होती है लेकिन मेरे बीते हुए कल को देख कोई मुझे दिल से नहीं जिस्म से चाहेगा। अब्दुल्लाह मुझे दिल से चाहता है। अब्दुल्लाह को मै भी ज़िन्दगी की खुशी दूंगी।"

नाजिमा की आंखे नम हुई और जेनिफर को गले लगाते हुए कहा "जेनिफर। अब्दुल्लाह किस्मतवाला है जिसे तुम जैसी खूबसूरत और प्यारी अंग्रेज़ मिली।"

अब्दुल्लाह वहा आ गया और बोला "क्या बातें हो रही है ?"

"कुछ नहीं अब्दुल्लाह वैसे तुम्हारा सपना पूरा हो गया। जेनिफर जैसी अंग्रेज़ का boyfriend बनकर।" नाजिमा ने कहा।

"Jennifer if you don't mind. क्या कुछ दिन अब्दुल्लाह को अपने घर ले जाऊं। बड़ा मज़ा आएगा।"

"कोई बात नहीं अब्दुल्लाह चलोगे ना घर ?"

"हां क्यों नहीं।"

जेनिफर और अब्दुल्लाह जेनिफर के घर कुछ दिन रहने गए। जेनिफर का घर शहर से थोड़ा दूर एक बहुत ही सुनसान जगह पर है। जेनिफर व्हा कम रहती है क्योंकि आस पास कोई दूसरा घर नहीं। अब्दुल्लाह को जगह पसंद आई । आस पास एकांत और हरियाली।


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"घर तो बहुत सुंदर है जेनिफर।"

"तुम्हे पसंद आया ?"

"हां शोरगुल से दूर बहुत अच्छी जगह है।"

जेनिफर और अब्दुल्लाह घर में आए। जेनिफर ने कहा "अब्दुल्लाह अभी सुबह के सिर्फ 8 बजे है। तुम्हे आराम करना है तो कर लो।"

"इस खूबसूरत जगह को देख मेरी थकान दूर हो गई।"

"वैसे अब्दुल्लाह मेे नहाने जा रही हूं। तुम नहाओगे ?"

"बाद में।"

जेनिफर चली गई। अब्दुल्लाह आस पास की जगह देख रहा था। वो बहुत खुश हुआ ऐसी जगह देखकर।


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अब्दुल्लाह थोड़ा घूम फिरकर घर के peechewali जगह पे आया कहा swimming pool है। व्हा जेनिफर नहाकर निकली थी। जेनिफर उस वक़्त बिकिनी मेे थी। अब्दुल्लाह मुस्कुराते हुए कहा "जगह अच्छी है।"

"और मै ?" जेनिफर ने छेड़ते हुए कहा।

"हां तुम भी।" अब्दुल्लाह शरमा गया।

"तुम ऐसे ही क्यों घबराते हो मुझसे।"

"पता नहीं जेनिफर कभी कभी लगता है कि जवान लड़की के साथ ऐसे रहना कहीं पाप तो नहीं। इस पाप की सजा तो नहीं।"

"तुम बेवकूफ हो। तुम मुझे पसंद करते हो और को तुम पसंद करते हो उसके साथ अच्छे से रही। इसमें कोई पाप नहीं।"

"जेनिफर वैसे जगह बहुत अच्छी है।" अब्दुल्लाह ने कहा।

"चलो मेरे साथ drinks के लिए।" जेनिफर पास ही kitchen मेे गई।

"तुम कपड़े तो पहन लो।"

"Nonsense. मैं ऐसे ही रहती हूं घर में। पागल और शर्मीले हो तुम। ये शरम छोड़ दो और इस गोरी अंग्रेज़ के साथ मजे करो।" जेनिफर ने अब्दुल्लाह को आंख मरते हुए कहा ।

"कभी देखा नहीं इतनी खूबसूरत लड़की को इस तरह।"

"तो अब देख लो my baby."


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अब्दुल्लाह शरमाते हुए बाहर गया। जेनिफर भी कपड़े बदलकर आईं। शाम का वक्त था। अब्दुल्लाह गार्डन में था। उस वक़्त एक गाड़ी आईं । अब्दुल्लाह ने देखा कि नाजिमा रही। अब्दुल्लाह खुश हुआ। नाजिमा को देखकर अब्दुल्लाह दौड़ते हुए आया और नाजिमा के गले लग गया और इस बार lip kiss करते हुए कहा "तुम्हे कितना याद किया। मेरी जानेमन तुम आ गई।"

नाजिमा ने भी kiss करते हुए कहा "I love you too. कैसा लगा मेरा आना ?"

"बहुत अच्छा।"

जेनिफर भी व्हा आईं और नाजिमा के गले लगी और पूछा "कितने दिनों के लिए आईं ?"

"एक हफ्ते के लिए। मुझे भी vacation enjoy करने का मन हो रहा था।"

"नाजिमा बहुत मजा आएगा हम तीनो साथ में।" जेनिफर को बहुत अच्छा लगा।

"चलो नाजिमा हम तीनो साथ मेे वक़्त गुजरते है।" अब्दुल्लाह बड़े खुश होकर बोला।

शाम का वक्त था और हर जगह लाइट्स थी। नाजिमा के कपड़े चेंज करवाने जेनिफर गई थी। अब्दुल्लाह दोनो का इंतजार कर रहा था।

दोनों वापिस आए। दोनों को देखकर अब्दुल्लाह दंग रह गया। आज की खूबसूरत रात में जैसे जन्नत से दो पारिया आईं हो। दोनों ने आज बहुत खुबसूरत ड्रेस पहनकर गार्डन में आईं। नाजिमा और जेनिफर की ख़ूबसूरती अब्दुल्लाह के दिल में बस गई। अब्दुल्लाह को आज पहली बार दिल मेे कुछ होने लगा। जैसे आज सच मेे उसे कुछ प्यार का एहसास होने लगा।

दोनों western dress में थी।


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"मुंह क्यों खुला है अब्दुल्लाह ?" जेनिफर ने हस्ते हुए पूछा।



"खुदा की कसम आज जन्नत की हुर लग रही हो दोनो। मुझे समझ नहीं आ रहा क्या कहूं दोनो के बारे मेे।"



नाजिमा अब्दुल्लाह के पास आकर बोली "मुझे इन कपड़ो में देखना अच्छा लगता है ना तुमको ?"



"हां नाजिमा।" अब्दुल्लाह खुद को रोक ना स्का और नाजिमा को गले लगा लिया। अब्दुल्लाह जोर जोर से रोने लगा।



"क्या हुआ अब्दुल्लाह ? रो क्यों रही हो ?"



"आज मुझे दो जीवन साथी मिली। ज़िन्दगी वीरान थी मेरी लेकिन आज लगा की कोई मेरा अपना है।"



"अब्दुल्लाह मत रो मेरे लिए प्लीज़।" नाजिमा अब्दुल्लाह को सीने से लगते हुए कहा लेकिन अब्दुल्लाह रोना बन्द नहीं किया।



"प्लीज़ रों मत।"



"मुझे पता है नाजिमा इसे कैसे चुप कराया जाए।"



जेनिफर आगे बढ़ी और अब्दुल्लाह के होठ को चूम लिया। अब्दुल्लाह जैसे रुक आ गया। दोनों एक दूसरे को चूमने लगे। जेनिफर ने अपनी ज़ुबान अब्दुल्लाह की ज़ुबान से मिलाया और अब्दुल्लाह के हाथ को अपने कमर पे रखा। अब्दुल्लाह भी अब जेनिफर को चूमने लगा। अब्दुल्लाह ने दोनो हाथ से जेनिफर को कसके पकड़ लिया और कहा "i love you jennifer and nazima."

"We love you too." दोनों ने कहा।

"जेनिफर आज मेरे पास बैठो कहीं दूर नहीं जाने दूंगा।" अब्दुल्लाह जेनिफर को अपनी गोदी में बिठाया ।

"मै तुम्हारे पास ही हूं।"

तीनो ने खूब बाते की डांस किया पार्टी की और अच्छे वक़्त बिताया। अब्दुल्लाह काफी थक गया। जेनिफर के साथ बहुत डांस किया और नाजिमा भी बहुत डांस की।

"तुम दोनों ने मेरी ज़िन्दगी में रंग भर दिया। नाजिमा तुमसे मैंने एक हमसफ़र का साथ मांगा और तुमने दिया मेरा साथ। जेनिफर तुमने जैसे ये मुझे सिखाया कि ज़िन्दगी बड़ी हो या चोटी बस चोट चोट लाखो समेटकर बड़ा कैसे बनाया जाए ये सिखाया तुमने मुझे।"

जेनिफर की आंखे नम हुई और कहा "thank You."

"बस इतना कहूंगा। कि मुझे तुम दोनों से में बेहद प्यार करता हूं। नाजिमा और जेनिफर रात काफी हो गई अब चलना चाहिए।"

"नाजिमा good night." जेनिफर ने गले लगते हुए कहां

अब्दुल्लाह कुछ देर गार्डन में ही रहा। जेनिफर और नाजिमा दोनो अलग कमरे में गए। अब्दुल्लाह जेनिफर के कमरे में गया। जेनिफर उस वक़्त आराम से लेती हुई थी।

"अब्दुल्लाह my baby. आओ ना । मैं तुम्हारा इंतज़ार कर रही थी।"

अब्दुल्लाह जेनिफर को देखे जा रहा था।

"क्या देख रहे हो अब्दुल्लाह। किसी अप्सरा को बिस्तर के देखकर कुछ होने तो नहीं लगा ?"



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"जेनिफर i love you." अब्दुल्लाह जैनिफर को lip kiss किया और कहा "आज मुझे मत रोकना मुझे आज तुम्हे प्यार करना है।"

"मत रुको अब्दुल्लाह मुझे प्यार करो।"

अब्दुल्लाह ने अपने कपड़े उतार दिए और जेनिफर के कपड़े उतार दिए।

"जेनिफर इस जिस्म को देख रहा हूं। क्या जिस्म है। किस्मत वाला हूं जो आज मेरा आनेवाला है।"

अब्दुल्लाह जेनिफर के navel पे किस किया। जेनिफर के दोनो हाथ ऊपर किया और बगल (armpit) चाटने लगा।

"Ummm abdullah ये क्या के रहे हो ?"

"Syrian love my baby." अब्दुल्लाह स्तन को चूमता हुआ बोला।

"अब्दुल्लाह kiss me." जेनिफर ने ज़ुबान बाहर निकाला। अब्दुल्लाह ज़ुबान को छूते हुए किस किया। अब्दुल्लाह जोश में था। और जेनिफर ने दोनो पैर अब्दुल्लाह के कमर पे रख दिया। अब्दुल्लाह ने अपना लिंग बाहर निकाला और जेनिफर की योनि में घुसा दिया। अब्दुल्लाह kiss करते हुए झटके मारने लगा। जेनिफर के नितम्ब को हाथो से दबाते हुए अब्दुल्लाह का थूक जेनिफर के मुंह में गया। जेनिफर उस थूक को निगलते गई। अब्दुल्लाह कमर ऊपर नीचे किया और बिस्तर हिलने लगा।

"अब्दुल्लाह और तेज़।"

अब्दुल्लाह और तेज़ी से धक्का देने लगा। अब्दुल्लाह आज बहुत खुश था। जेनिफर के लिए ये अलग feeling थी। ३० मिनट तक अब्दुल्लाह धक्का मारता रहा और जेनिफर के ऊपर झड़ गया। जेनिफर को सुकून मिला।

अब्दुल्लाह के लिंग को पकड़कर जेनिफर के मुंह में डाला और अब्दुल्लाह मजे लेने लगा।

"जेनिफर क्या मैं अबतक के तुम्हारे सारे मर्दों से अलग हूं ना।"

जेनिफर ने जवाब नहीं दिया और लगी हुई थी। अब्दुल्लाह वापिस जेनिफर को लिटाया और लिंग योनि में डालकर धक्का मारने लागा। Qareeb २ घंटे तक ये प्यार का खेल चला। आखिर में अब्दुल्लाह झड़ गया और निढाल होकर जेनिफर के बगल लेट गया।

"जेनिफर आज तुमने मुझे ज़िन्दगी की सबसे बड़ी खुशी दी।"

"अब्दुल्लाह तुमने मुझसे पूछा था ना कि क्या में हर मर्द से अलग हूं जिससे मैने अपनी राते गुजार तो जवाब है हां। अब्दुल्लाह तुम सबसे अलग हो। तुम बहुत ही अलग हो।"

अब्दुल्लाह जेनिफर के ऊपर लेट गया और कहा "में काला हूं बुड्ढा हूं क्या फिर भी तुम मुझे प्यार करती हो ?"

"हां।"

"क्या तुम मेरी जो सकती हो ?"

"हां अब्दुल्लाह।"

" जेनिफर तुम मेरी हो सिर्फ मेरी।"

अब्दुल्लाह और जेनिफर एक दूसरे से लिपटकर सो गए।
 
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