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Romance प्यार की अग्निपरीक्षा

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प्यार सिर्फ दो दिलों का मेल नहीं, बल्कि समाज, परिवार और परिस्थितियों की कसौटी पर कसा जाने वाला एक इम्तिहान भी होता है। "प्यार की अग्निपरीक्षा" एक ऐसी ही प्रेम कहानी है, जहाँ आदित्य और अनुष्का का रिश्ता न सिर्फ भावनाओं, बल्कि सामाजिक बंधनों और पारिवारिक परंपराओं के सामने भी परीक्षा से गुजरता है।

आदित्य, एक महत्वाकांक्षी और सुलझा हुआ युवक, जो अपने सपनों को सच करने के लिए मेहनत कर रहा है। दूसरी तरफ, अनुष्का, एक जिद्दी मगर दिल से बेहद कोमल लड़की, जो अपने परिवार की लाडली है। दोनों के बीच प्यार तो बहुत गहरा है, लेकिन जब परिवार और समाज की दकियानूसी सोच इनके रास्ते में दीवार बनकर खड़ी होती है, तब उनका इम्तिहान शुरू होता है।

क्या ये दोनों अपने परिवार को मना पाएंगे? क्या प्यार वाकई समाज की बेड़ियों से बड़ा होता है? या फिर उन्हें अपनी खुशियों की कीमत पर परिवार की इच्छाओं के आगे झुकना पड़ेगा?

"प्यार की अग्निपरीक्षा" एक रोमांटिक, इमोशनल और पारिवारिक कहानी है, जो प्यार और कर्तव्य के बीच की जंग को खूबसूरती से पेश
करेगी।
 

kamdev99008

FoX - Federation of Xossipians
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प्यार सिर्फ दो दिलों का मेल नहीं, बल्कि समाज, परिवार और परिस्थितियों की कसौटी पर कसा जाने वाला एक इम्तिहान भी होता है। "प्यार की अग्निपरीक्षा" एक ऐसी ही प्रेम कहानी है, जहाँ आदित्य और अनुष्का का रिश्ता न सिर्फ भावनाओं, बल्कि सामाजिक बंधनों और पारिवारिक परंपराओं के सामने भी परीक्षा से गुजरता है।

आदित्य, एक महत्वाकांक्षी और सुलझा हुआ युवक, जो अपने सपनों को सच करने के लिए मेहनत कर रहा है। दूसरी तरफ, अनुष्का, एक जिद्दी मगर दिल से बेहद कोमल लड़की, जो अपने परिवार की लाडली है। दोनों के बीच प्यार तो बहुत गहरा है, लेकिन जब परिवार और समाज की दकियानूसी सोच इनके रास्ते में दीवार बनकर खड़ी होती है, तब उनका इम्तिहान शुरू होता है।

क्या ये दोनों अपने परिवार को मना पाएंगे? क्या प्यार वाकई समाज की बेड़ियों से बड़ा होता है? या फिर उन्हें अपनी खुशियों की कीमत पर परिवार की इच्छाओं के आगे झुकना पड़ेगा?

"प्यार की अग्निपरीक्षा" एक रोमांटिक, इमोशनल और पारिवारिक कहानी है, जो प्यार और कर्तव्य के बीच की जंग को खूबसूरती से पेश
करेगी।
:congrats: देवनागरी लिपि में कहानी लिखने पर आपका आभार
शुरुआत अच्छी है
अपेट का इन्तज़ार रहेगा
 
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अध्याय 1: पहली मुलाकात

शाम का समय था। हल्की-हल्की बारिश हो रही थी, और मुंबई की सड़कों पर एक अजीब-सी हलचल थी। बांद्रा के एक कैफे में, आदित्य अपनी कॉफी का कप हाथ में लिए बाहर बारिश को देख रहा था। 28 साल का यह नौजवान, एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर था, लेकिन उसके अंदर एक लेखक भी छुपा था। उसकी आँखों में सपने थे, लेकिन ज़िंदगी की उलझनों ने उसे थोड़ा ठहरा दिया था।

उसी कैफे के एक कोने में अनुष्का बैठी थी। 26 साल की यह खूबसूरत लड़की एक फ्रीलांस फोटोग्राफर थी, जिसे हर तस्वीर में एक कहानी दिखती थी। उसने अपनी कॉफी का पहला घूंट लिया और फिर अपनी नोटबुक निकाली, जिसमें वह अपनी जिंदगी के छोटे-छोटे किस्से लिखती थी।

टकराव और पहली नज़र का प्यार
आदित्य अपनी कॉफी लेकर जैसे ही मुड़ा, अचानक उसका टकराव अनुष्का से हो गया। गरम कॉफी उसके हाथों से छलक गई और सीधा अनुष्का के सफेद कुर्ते पर गिर गई।

"ओह शिट! मैं बहुत सॉरी हूँ!" आदित्य ने तुरंत माफी मांगी।

अनुष्का ने अपनी ड्रेस की तरफ देखा और फिर हल्की-सी मुस्कान के साथ कहा, "कोई बात नहीं, ये तो अच्छा है, कम से कम आज कुछ नया हुआ!"

आदित्य उसकी प्रतिक्रिया से हैरान था। उसने उम्मीद की थी कि लड़की गुस्से में होगी, लेकिन उसकी मुस्कान कुछ और ही कह रही थी।

"क्या मैं आपकी ड्रिंक रिप्लेस कर सकता हूँ?" आदित्य ने झिझकते हुए पूछा।

"अगर तुम मुझे अपना नाम बताओगे, तो सोच सकती हूँ।" अनुष्का ने हल्की शरारती मुस्कान दी।

"आदित्य," उसने हाथ बढ़ाया।

"अनुष्का," उसने हाथ मिलाते हुए जवाब दिया।

बातों का सिलसिला
दोनों ने साथ बैठकर कॉफी पी और बातों में खो गए। आदित्य को पता चला कि अनुष्का को ट्रेवल फोटोग्राफी बहुत पसंद थी, और उसने कई देशों की यात्रा की थी। वहीं, अनुष्का ने जाना कि आदित्य को लिखने का बहुत शौक है, लेकिन वह अपने परिवार की जिम्मेदारियों के कारण अपने सपनों को पीछे छोड़ रहा है।

"तुम्हारी कहानियों में कितना इमोशन होता होगा?" अनुष्का ने दिलचस्पी से पूछा।

"शायद उतना ही जितना तुम्हारी तस्वीरों में," आदित्य ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया।

उस शाम दोनों की बातचीत इतनी गहरी थी कि उन्हें वक्त का पता ही नहीं चला।

कहानी आगे बढ़ेगी…
 
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अध्याय 2: एहसासों की पहली लकीर

कैफे में हुई उस मुलाकात के बाद आदित्य और अनुष्का की बातचीत का सिलसिला बढ़ने लगा। शुरुआत में दोनों सिर्फ व्हाट्सएप पर चैट करते थे, फिर धीरे-धीरे कॉल्स होने लगीं। हर बार जब वे बात करते, ऐसा लगता जैसे वक्त थम जाता था।

एक दिन अनुष्का ने आदित्य को मैसेज किया –

"अगर मैं कहूँ कि इस शनिवार तुम्हें मेरे साथ कहीं चलना है, तो तुम्हारा जवाब क्या होगा?"

आदित्य ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया –

"अगर तुम कहोगी, तो मैं आँख बंद करके भी चलूँगा।"

शनिवार की सुबह, अनुष्का ने आदित्य को एक एड्रेस भेजा। यह मुंबई के पास एक छोटा-सा पहाड़ी इलाका था, जहाँ से पूरा शहर दिखता था।

पहाड़ों पर एक नई शुरुआत

आदित्य जब वहाँ पहुँचा, तो उसने देखा कि अनुष्का कैमरा लिए सूरज की किरणों को कैद कर रही थी। उसके चेहरे पर वही पुरानी चमक थी, जो पहली मुलाकात में आदित्य ने देखी थी।

"तुम्हें यहाँ बुलाने का एक खास कारण था," अनुष्का ने कैमरा नीचे रखते हुए कहा।

"और वह क्या है?" आदित्य ने पूछा।

"मैं चाहती हूँ कि तुम अपनी अगली कहानी यहीं से शुरू करो," अनुष्का ने मुस्कुराते हुए कहा।

आदित्य को लगा कि अनुष्का को उसकी कहानियों में सच्चाई दिखती थी। उसकी आँखों में एक भरोसा था, जिसे आदित्य अब तक खुद पर नहीं कर पाया था।

"अगर मेरी कहानी की नायिका तुम बनो, तो शायद मैं इसे बेहतर लिख सकूँ," आदित्य ने हल्के से कहा।

अनुष्का उसकी आँखों में झाँकती रही। कुछ पलों की खामोशी के बाद, उसने मुस्कुराकर कहा –

"चलो, फिर कहानी लिखते हैं!"


---

अध्याय 3: रिश्तों की नई परिभाषा

उन दिनों मुंबई में हल्की-हल्की ठंड थी। आदित्य और अनुष्का की दोस्ती गहरी होती जा रही थी। वे अक्सर मिलते, बातें करते और एक-दूसरे की दुनिया को और बेहतर समझने लगे थे।

एक शाम, जब दोनों मरीन ड्राइव पर बैठे थे, तो आदित्य ने पूछा –

"तुम्हारी ज़िंदगी की सबसे बड़ी ख़्वाहिश क्या है?"

अनुष्का ने गहरी सांस ली और कहा –

"किसी के साथ ज़िंदगी को खुलकर जीना, बिना किसी डर के।"

आदित्य को लगा कि अनुष्का के इस जवाब में कोई गहरी बात छुपी थी।

"तुम किस चीज़ से डरती हो?"

अनुष्का ने जवाब देने के बजाय समुद्र की लहरों की तरफ देखा। शायद कुछ जवाब शब्दों में नहीं, बल्कि एहसासों में छुपे होते हैं।

प्यार का पहला एहसास

एक दिन, जब अनुष्का और आदित्य एक आर्ट गैलरी में गए, तो अनुष्का ने अचानक आदित्य का हाथ पकड़ लिया।

"तुम्हें पता है, आदित्य? जब मैं तुम्हारे साथ होती हूँ, तो ऐसा लगता है जैसे हर तस्वीर पूरी हो जाती है।"

आदित्य ने उसकी आँखों में देखा और मुस्कुराया।

"और जब तुम मेरे साथ होती हो, तो ऐसा लगता है जैसे मेरी कहानियाँ खुद लिखी जा रही हैं।"

वह शाम दोनों के लिए खास थी। वे समझ चुके थे कि उनके बीच सिर्फ दोस्ती नहीं थी, बल्कि कुछ और भी था—कुछ ऐसा जो नाम से परे था, लेकिन एहसास में गहरा था।
 
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अध्याय 4: एहसास जो दिल के करीब थे

उस रात जब आदित्य अपने कमरे में बैठा था, तो उसके दिल में एक अजीब-सी हलचल थी। वह समझ नहीं पा रहा था कि अनुष्का के साथ बिताए गए ये लम्हे दोस्ती की हद पार कर चुके थे या नहीं।

उधर, अनुष्का भी अपने कमरे की खिड़की से बाहर आसमान को देख रही थी। उसे समझ आ रहा था कि वह आदित्य के साथ रहकर जिस सुकून को महसूस कर रही थी, वह कोई आम एहसास नहीं था।

पहली बार, जब अनुष्का डर गई

अगले दिन, आदित्य और अनुष्का ने फिर से मिलने का प्लान बनाया। लेकिन जब आदित्य उसे कॉल कर रहा था, तो उसका फोन स्विच ऑफ आ रहा था।

आदित्य बेचैन हो गया।

शाम को अचानक उसे अनुष्का का मैसेज आया –

"आदित्य, मुझे तुमसे मिलना है, अभी के अभी!"

आदित्य बिना कुछ सोचे उसी कैफे की तरफ निकल पड़ा, जहाँ वे पहली बार मिले थे।

वहाँ पहुँचने पर उसने देखा कि अनुष्का पहले से वहाँ बैठी थी, लेकिन उसका चेहरा उतरा हुआ था।

"क्या हुआ अनुष्का?"

अनुष्का ने गहरी सांस ली और कहा –

"आदित्य, मेरे परिवार को हमारी दोस्ती पसंद नहीं है।"

आदित्य को जैसे किसी ने झकझोर दिया हो।

"लेकिन क्यों?"

"वे चाहते हैं कि मैं सिर्फ अपने करियर पर ध्यान दूँ। उन्हें लगता है कि दोस्ती और प्यार सब समय की बर्बादी है।"

आदित्य ने उसके हाथ पर अपना हाथ रखा।

"क्या तुम्हें लगता है कि हमारा रिश्ता सिर्फ दोस्ती तक ही सीमित है?"

अनुष्का कुछ पल खामोश रही, फिर उसकी आँखों में आँसू आ गए।

"आदित्य, मैं नहीं जानती... लेकिन जब तुमसे बात करती हूँ, तो लगता है जैसे ज़िंदगी खूबसूरत हो गई है।"

आदित्य ने उसकी आँखों में झाँकते हुए कहा –

"तो क्या तुम इस खूबसूरत ज़िंदगी को जीना चाहती हो?"

अनुष्का ने हल्के से सिर हिलाया।

लेकिन उनकी ज़िंदगी में अब एक नया मोड़ आने वाला था...
 
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अध्याय 5: जब परिवार ने दी चुनौती

अगले दिन, जब अनुष्का अपने घर पहुँची, तो उसके पापा बहुत गुस्से में थे।

"तुम कल देर रात तक कहाँ थी?"

अनुष्का ने झूठ नहीं कहा।

"पापा, मैं आदित्य से मिलने गई थी।"

"फिर से वही लड़का? अनुष्का, हम पहले ही कह चुके हैं कि वह तुम्हारे लिए सही नहीं है!"

"लेकिन क्यों, पापा? वह एक अच्छा इंसान है!"

अनुष्का की माँ ने धीरे से कहा –

"बेटा, यह दुनिया इतनी आसान नहीं है। प्यार और दोस्ती में अक्सर ज़िंदगी के बड़े फैसले गड़बड़ा जाते हैं।"

अनुष्का की आँखों में आँसू आ गए।

"अगर मुझे खुश रहने का हक नहीं है, तो फिर क्या फ़ायदा इस ज़िंदगी का?"

उस रात, अनुष्का ने अपने कमरे में बैठकर एक फैसला किया –

"मुझे अपने प्यार के लिए लड़ना होगा।"


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अब आगे क्या होगा? क्या अनुष्का और आदित्य एक-दूसरे का साथ दे पाएंगे? या फिर परिवार की दी गई चुनौती उनके प्यार को तोड़ देगी?
 
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अध्याय 6: प्यार की राह आसान नहीं

उस रात अनुष्का की आँखों में नींद नहीं थी। उसके दिल और दिमाग में केवल एक ही सवाल था—क्या वह अपने प्यार के लिए परिवार के खिलाफ जा सकती है?

उधर, आदित्य भी बेचैन था। उसे समझ आ रहा था कि यह सिर्फ एक साधारण मोहब्बत नहीं थी, बल्कि इसके लिए उन्हें बहुत कुछ कुर्बान करना पड़ सकता था।

अगले दिन, जब अनुष्का और आदित्य एक पार्क में मिले, तो दोनों के चेहरे पर तनाव साफ झलक रहा था।

"क्या हम सही कर रहे हैं?" अनुष्का ने हल्की आवाज़ में पूछा।

आदित्य ने उसका हाथ थाम लिया।

"अगर यह प्यार सही नहीं है, तो फिर सही क्या है, अनुष्का?"

अनुष्का उसकी आँखों में देखने लगी।

"लेकिन मेरे पापा कभी नहीं मानेंगे। उनके लिए मैं सिर्फ एक जिम्मेदारी हूँ, जिसे उन्हें अच्छे घर में शादी कराकर निभाना है।"

आदित्य ने गहरी सांस ली।

"अगर हम अपने प्यार को सच्चाई और इज्जत के साथ आगे बढ़ाएँ, तो एक दिन वे भी समझेंगे।"

पर क्या सच में ऐसा होगा?
 
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अध्याय 7: जब हालात ने लिया नया मोड़

एक शाम, जब आदित्य अपने घर पर बैठा था, तभी दरवाज़े पर ज़ोर की दस्तक हुई।

दरवाज़ा खोलते ही उसके सामने अनुष्का के पिता खड़े थे, आँखों में गुस्सा और चेहरे पर सख्ती।

"तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मेरी बेटी से रिश्ता रखने की?"

आदित्य चुप रहा।

"आज के बाद अगर तुमने अनुष्का से मिलने की कोशिश की, तो अंजाम बुरा होगा!"

आदित्य ने शांत स्वर में कहा—

"सर, मैं आपकी बेटी से प्यार करता हूँ और कभी उसका साथ नहीं छोड़ूँगा।"

अनुष्का के पिता गुस्से में उसकी ओर बढ़े, लेकिन तभी अनुष्का वहाँ आ गई।

"पापा, आप मुझे मजबूर नहीं कर सकते। मैं अपनी ज़िंदगी का फैसला खुद लूँगी!"

उसके पिता एक पल को चौंक गए।

"तो तुम हमारे खिलाफ जाओगी?"

आँसू रोकते हुए अनुष्का ने कहा—

"अगर यह प्यार गलत है, तो हाँ, मैं गलत हूँ!"

उसकी माँ ने पहली बार उसका हाथ थामा और धीरे से कहा—

"अगर तुम्हें लगता है कि आदित्य तुम्हारे लिए सही इंसान है, तो उसे खुद को साबित करने का मौका दो।"

सन्नाटा छा गया।

अनुष्का के पिता चुपचाप घर के अंदर चले गए, और आदित्य और अनुष्का ने एक-दूसरे की ओर देखा।

यह प्यार की जंग थी, लेकिन अब इसमें परिवार भी शामिल हो चुका था।


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क्या आदित्य अपने प्यार को साबित कर पाएगा? क्या
अनुष्का के पिता कभी उसे स्वीकार करेंगे?
 
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अध्याय 8: इम्तिहान की घड़ी

अनुष्का के पिता का गुस्सा अभी भी ठंडा नहीं हुआ था। वे चाहते थे कि किसी भी तरह से अनुष्का इस रिश्ते से दूर हो जाए। लेकिन अनुष्का की माँ के मन में धीरे-धीरे आदित्य के लिए सहानुभूति जागने लगी थी।

एक दिन, जब आदित्य अपने कॉलेज की लाइब्रेरी में बैठा था, तभी अनुष्का की माँ वहाँ पहुँची।

"आदित्य, मैं तुमसे कुछ बात करना चाहती हूँ।"

आदित्य ने सम्मान से उनका स्वागत किया।

"मुझे बताओ, तुम मेरी बेटी के लिए क्या कर सकते हो?"

आदित्य की आँखों में आत्मविश्वास था।

"मैं उसे हर खुशी दूँगा। उसे कभी किसी चीज़ की कमी नहीं होने दूँगा, आंटी।"

उन्होंने हल्की मुस्कान दी।

"अगर तुम सच में उसे प्यार करते हो, तो तुम्हें खुद को साबित करना होगा।"

आदित्य समझ चुका था कि अब उसे सिर्फ प्यार ही नहीं, बल्कि अपनी मेहनत से भी अपने रिश्ते को सही साबित करना होगा।

आदित्य ने ठान लिया था कि जब तक वह खुद को साबित नहीं कर देता, तब तक वह अनुष्का से शादी की बात नहीं करेगा। उसने अपने करियर पर ध्यान देना शुरू किया और कुछ ही महीनों में एक नामी कंपनी में जॉब हासिल कर ली।

जब यह खबर अनुष्का के पिता तक पहुँची, तो वे भी थोड़े प्रभावित हुए, लेकिन अभी भी पूरी तरह राज़ी नहीं थे।

एक दिन, वे आदित्य से मिलने गए।

"तुम सच में मेरी बेटी से शादी करना चाहते हो?"

"हाँ, अंकल। लेकिन आपकी इजाज़त के बिना नहीं।"

अनुष्का के पिता ने पहली बार उसे ध्यान से देखा।

"अगर तुम अगले एक साल में अपनी ज़िंदगी में स्थिरता ला सकते हो, तो मैं इस रिश्ते के बारे में सोचूँगा।"

आदित्य के लिए यह सबसे बड़ा इम्तिहान था।

आगामी महीनों में, आदित्य ने न सिर्फ करियर में तरक्की की, बल्कि अपने मेहनत और सच्चाई से सबका दिल जीत लिया।

जब एक साल बाद वह फिर से अनुष्का के पिता से मिला, तो उन्होंने उसे गले लगा लिया।

"तुमने खुद को साबित कर दिया, बेटा। अब मैं अपनी बेटी तुम्हें सौंपने के लिए तैयार हूँ।"

अनुष्का की आँखों में खुशी के आँसू थे।

शादी धूमधाम से हुई, और प्यार ने आखिरकार अपनी मंज़िल पा ली।
 
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अध्याय 9: प्यार की पहली सुबह

शादी के बाद की पहली सुबह बेहद खास थी। सूरज की हल्की रोशनी कमरे में फैल रही थी। अनुष्का अभी भी हल्की नींद में थी, जब आदित्य ने धीरे से उसके माथे पर एक प्यार भरा चुम्बन दिया।

"गुड मॉर्निंग, मिसेज़ आदित्य।"

अनुष्का ने आँखें खोलीं और मुस्कुराते हुए बोली, "गुड मॉर्निंग, मिस्टर आदित्य।"

आदित्य ने उसकी कमर पर हाथ रखा और उसे अपने करीब खींच लिया।

"अब तो तुम पूरी तरह मेरी हो, किसी से भी छुपाने की ज़रूरत नहीं।"

अनुष्का शर्मा गई, उसकी साँसें तेज़ हो गईं।

"आदित्य, तुम्हें लगता है शादी के बाद मेरा प्यार कम हो जाएगा?"

"कम? अब तो मैं तुम्हें हर पल, हर सांस में महसूस करूँगा।"

अनुष्का ने उसे प्यार से देखा और धीरे से उसके सीने पर सिर रख दिया।

"मैंने कभी नहीं सोचा था कि हमारा प्यार इस मुकाम तक पहुँचेगा।"

आदित्य ने उसकी ठुड्डी उठाई और उसकी आँखों में देखते हुए बोला,

"हमारा प्यार तो अभी बस शुरू हुआ है, मेरी जान।"

एक दिन, वे अपनी हनीमून ट्रिप पर गए। मौसम बेहद रोमांटिक था, हल्की बारिश हो रही थी।

अनुष्का बालकनी में खड़ी थी, जब आदित्य पीछे से आया और उसे अपनी बाहों में भर लिया।

"आज की रात बहुत हसीन लग रही है, है ना?" आदित्य ने उसके कान में फुसफुसाया।

अनुष्का ने धीरे से सिर हिलाया।

"बारिश बहुत खूबसूरत होती है, लेकिन इससे भी ज्यादा खूबसूरत वो पल होते हैं जब तुम मेरे करीब होते हो।"

आदित्य ने उसकी भीगी लटों को हटाया और उसकी आँखों में डूब गया।

"तुम्हें पता है, अनुष्का, जब पहली बार तुमसे मिला था, तभी से तुम्हें अपना बनाना चाहता था। और आज, तुम मेरी बाहों में हो।"

अनुष्का की धड़कनें तेज़ हो गईं।

आदित्य ने उसे अपनी बाहों में उठाया और धीरे से कमरे में ले गया। हल्की मोमबत्तियों की रोशनी और रोमांटिक संगीत माहौल को और भी जादुई बना रहे थे।

"आज की रात सिर्फ हमारी है..."
 
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