रीत की बल्कि उसके कम्युनिकेशन नेट वर्क की सेफ्टी का, अगर गलती से भी मेरे मुंह से निकला जाता की मैं रीत की सेफ्टी के लिए कुछ कर रहा हूँ तो हँसते हँसते गुड्डी और रीत की हालत खराब हो जाती, जिसको बनारस में घर की छत पे कपडे उतरवा के नचाया, साडी ब्लाउज पहना के वीडियो बनाया और पीछे उस की बहन की रेट लिस्ट चिपका के पूरे शहर में घुमाया. कल की बातें ---करामात रीत की
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तो पहले सातवे आसमान पे जाके अपने ख़ास बादलो के ( क्लाउड सर्वर ) पर कल जो रीत ने बताया था, उसकी रिपोर्ट थी उसे मैंने समराइज किया
और मान गया रीत को स्साली क्या चीज है, साली तो है ही भले बड़ी हो और गालियां भी सालियों की तरह ही देती है, कैसे साफ़ साफ़ आधी रात में फोन कर के पूछा, सिर्फ एक शब्द में,
" चुदी ? "
और दिमाग क्या पाया है, जब हम सब लोग जूझ रहे थे ये समझने में की चुम्मन के मोबाइल में जो अलग कॉल्स थी उनके टाइम टॉवर से मैच नहीं हो रहे थे, इतनी जल्दी बनारस की भीड़ में शाम को कोई जा नहीं सकता था तो रीत ने ही मामला सुलझाया की सस्पेक्ट नदी से जा रहा होगा, नाव से और उससे पॉसिबिल था।
दूसरी बात मैं और डीबी दोनों सोच नहीं पा रहे थे की बॉम्ब एक्सप्लोड कैसे हुआ और रीत ने ही गैस किया चूहा,
जो एकदम एविडेंस से मैच कर रहा था।
कल रात में भी हम सब सोच रहे थे की जेड की नाव के बारे में रात को क्या पता किया जाए, अगले दिन सुबह देखेंगे लेकिन रात में ही रीत ने जेड की नाव ट्रेस कर ली, उसका रुट पता कर लिया और उस नाव का नाम,... मल्लाह सब जान लिया लेकिन सबसे बड़ी बात उस के सेट फोन के डिटेल पता चल गए, और ये भी की वो घाट पर भी कुछ घात लगा के करना चाहता था,
तो अब दो बातें थीं जेड के बारे में और डिटेल्स और प्लानिंग जेड की
और दूसरी बात थी बॉम्ब के बारे में, जहाँ मैं मैदान में था, फील्ड आपरेशन जो रीत लीड कर रही थी के अलावा कुछ बातें थीं जैसे ऐस होने वाले हमले में एम्युनिशन, खास तौर से बॉम्ब के लिए मैटीरियल कहाँ से आ रहे हैं, बॉम्ब की डिजाइन कैसी है बॉम्ब मेकर कौन हो सकता है, दूसरी बात पैसा कहाँ से आ रहा है, तीसरा कम्युनिकेशन नेटवर्क और चौथा इसमें लगे लोगों के बारे में पता करना
और ये सब काम मैंने अपने सर पे ले लिया था कुछ अपने हैकर मित्रों के सहारे से और कुछ डीबी के ऑफ बुक्स रिसोर्सेस की सहायता से
लेकिन भाले की नोक पे मैं ही था
और इस के अलावा मेरे जिम्मे एक और काम था,
रीत की बल्कि उसके कम्युनिकेशन नेट वर्क की सेफ्टी का, अगर गलती से भी मेरे मुंह से निकला जाता की मैं रीत की सेफ्टी के लिए कुछ कर रहा हूँ तो हँसते हँसते गुड्डी और रीत की हालत खराब हो जाती, जिसको बनारस में घर की छत पे कपडे उतरवा के नचाया, साडी ब्लाउज पहना के वीडियो बनाया और पीछे उस की बहन की रेट लिस्ट चिपका के पूरे शहर में घुमाया
वो और रीत की, सेफ्टी!!!
बात सही भी थी लेकिन जब से वो कत्थई सूट वाला मेरे पीछे ट्रेस करता हुआ गुड्डी के घर तक और फिर मेरे और गुड्डी के साथ आजमग़ढ मेरे घर तक आ गया तो एक कोने में मेरे मन में ख़ुशी भी थी की अब वो लोग रीत पर जरा भी शक नहीं करेंगे और रीत उनकी मार लेगी लेकिन रीत का कम्युनिकेशन नेटवर्क सेफ रखना जरूरी था, हालांकि डीबी ने हम दोनों को बर्नर फोन्स और कुछ दुबई और काठमांडू के िम्स दिए थे और कुछ हम लोगो ने रीत की सहेलियों के सोशल मिडिया नेटवर्क यूज करके एक प्रोटोकॉल तय किया था फिर भी मैंने अपने कुछ ट्राजन रीत के लैपटॉप में छोड़ दिए थे जो सिर्फ हैकिंग की किसी भी कोशिश का पता करते रहते
बॉम्ब के मामले में कल जो मेरे मन में कुछ सवाल उठे थे उनमे से कुछ के जवाब कल मिल गए थे, कुछ के आज मिलने थे मैंने सोचा था इसके लिए शायद बॉम्ब के आर्किटेक्चर से कुछ अंदाज लगे, क्योंकि हर बॉम्ब मेकर अपना फिंगर प्रिंट छोड़ देता है,
दूसरी बात ये है की बॉम्ब की ट्रिगरिंग डिवाइस क्या होगी,
बॉम्ब के साथ सबसे बड़ी परेशानी होती है की विस्फोट के पहले कम लोग ही उसे देखते हैं पर इस मामले में मैंने चू दे गर्ल्स स्कूल के बॉम्ब को बहुत नजदीक से देखा था और उसके साथ ही डीबी ने जो उनके फोरंसिक और एक्सप्लोसिव एक्सपर्ट्स ने बम्ब के टुकड़ो की जांच की थी उसकी भी डिटेल्ड रिपोर्ट दीं थी
बस उसी के बेस पे और कुछ अंदाज से मैंने बॉम्ब का आर्किटेक्चर बनाने की कोशिश की,सूरत में एक बॉम्ब एक्स्प्लोजिव्स का सेंटर था रिसर्च का जिसे एन आई ए ( नेशनल इन्वेस्टिगेटिव एजेंसी ) और डिफेंस के लोग चलाते थे और जिसमे एक डाटा बेस था जहाँ पिछले १९९० के बाद के सारे एक्सप्लोजन और बॉम्ब्स के रिकार्ड, ड्राइंग और सस्पेक्टेड बॉम्ब मेकर्स के बारे में रिकार्ड दर्ज था ,
सूरत से रिपोर्ट आ गयी थी और पहली बात थी बॉम्ब की डिजाइन के बारे में।
ये बॉम्ब सूरत में मिले उन बॉम्ब्स की तरह हैं तो एक्सप्लोड नहीं हुए थे.
सेंटर ने पांच बॉम्ब्स के आर्किटेक्चर दिए थे जिनकी ड्राईंग से मेरी ड्राईंग मिलती जुलती थी, और उसी के साथ उन के पांच बॉम्ब मेकर्स के भी नाम और पिकचर्स भी,
पर मुझे पक्का शक था की ये बॉम्बर का किया धरा है, और ये सोच के मेरी रूह काँप गयी। उसके बारे में मैं काफी कॉन्फिडेंशियल फाइल्स देखी थीं। बहुत ही तेज दिमाग वाला और हर तरह के एक्सप्लोसिव्स का एक्सपर्ट, और उसके लास्ट कारनामे तो बहुत भयानक the
लेकिन सवाल था कर क्या सकते हैं, कैसे इसे रोक सकते हैं
और मेरा ध्यान आर डी एक्स की ओर गया, इस बॉम्ब में पकक्का आर डी एक्स है। और एक बात होती है एक्सप्लोसिव्स में, फ्रैग्मेंट्स और प्रोजेक्टाइल, अक्सर विस्फोटक में लोहे की छीलन, कीले और इस तरह के टुकड़े रहते हैं हैं जो विस्फोट होने के बाद तेजी से लोगों को चुभ कर घायल करते हैं लेकिन प्रोजेक्टाइल या इ ऍफ़ पी ( एक्सप्लोसिव्ली फार्म्ड प्रोजेक्टाइल ) एक विशेष दिशा में जाकर भारी नुक्सान पहुंचाते हैं और आरमर्ड वेहिकल या छोटे मोठे टैंक्स को भी डैमेज कर सकते हैं।
बॉम्बर की सेकंडरी डिवाइसेज में इस तरह के तत्व मिले थे।
अब मैं यह सोचने पर लग गया आर डी एक्स आया कहाँ से ? मुंबई के मामले में आर डी एक्स विदेश से समुद्र के रस्ते से आया था, और इस बार भी कहीं विदेश से आया होगा, पर समुद्र या वायु मार्ग से ले आना अब असम्भव है और बनारस की बात है तो, मैं सोचता था और मेरी चमकी।
नेपाल।
नेपाल और भारत की सीमा सटी है, खेत, घर, गाँव सब जुड़े और नेपाल में सुरक्षा इतनी कड़ी नहीं है तो विदेश से नेपाल और वहां से सीमा पार कर के बनारस,
कस्टम में जो मेरी जान पहचान थी और कुछ गोरखपुर के लोकल मिडिया वाले, सबको मैंने यह सन्देश भेक दिया की पिछले २०-२५ दिन में सीमा पर कुछ ख़ास हलचल हुयी है क्या या नेपाल के अंदर
कुछ जवाब गोरखपुर से मिल गए थे कुछ मेरे हैकर मित्रों ने दे दिए थे लेकिन यह गुत्थी डीबी से बात करके ही सुलझनी थी पर उसके पहले रीत के कारनामे जानने जरूरी थे।
जेड अभी भी टॉप प्रायरिटी था।
Reet ki reet ,reet hi Jane.रीत की रिपोर्ट
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रीत की रिपोर्ट सिर्फ एक लाइन की थी।
गुड्डी के साथ कित्ती बार,…?
और वो चैटियाने के मूड में है। जब मैंने चैट रूम खोला तो जैसे गुड के आसपास चींटियां होती हैं ना। बस उसी तरह।
रीत के चारों और चैट करने वाले। लेकिन रीत तो रीत दो मिनट में उसने सबको चलता कर दिया।
और हम एक प्राइवेट चैट रूम में शिफ्ट कर गए,.. और रीत चालू हो गई।
कल रात डी॰बी॰ के साथ टार्गेट प्रैक्टिस के लिए गई थी, दो घंटे। और उन्होंने उसको दो पिस्टल दी एक ग्लोक है छोटी सी
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और एक बड़ी। उन्हीं दोनों से उसने प्रैक्टिस भी की,
आज भी दो घंटे रात में जाना होगा। उसको वो एस॰पी॰ओ॰ वाला कार्ड भी मिल गया है।
लेकिन मैं सुबह वाली बात जानने के लिए बेचैन था। जेड की नाव के बारे में।
वो खीज गई बोली- “अरे यार बताती हूँ। अपने तो रात भर हैट ट्रिक की और…”
“हे तुझे कैसे मालूम हुआ…” मैंने पूछा।
“मेरे आदमी चारों और फैले हैं। मैंने स्पेशल पोलिस आफिसर रीत हूँ…” वो गम्भीर अंदाज में बोली, फिर मुश्कुराते हुए कहा-
“और कौन बताएगा। गुड्डी ने बताया। अच्छा चलो घाट के बारे में बताती हूँ…” फिर वो चालू हो गई।
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कार्लोस के साथ वो सुबह ही घाट पे पहुँच गई थी। कार्लोस ने रास्ते में उसे ट्रांसमीटर (जो कल रात उसने क्रास बो से मार कर नाव में चिपका दिया था और जो वहां से होने वाले ट्रांसमिशन को रिपोर्ट कर रहा था) की रिपोर्टों के बारे में बताया। ये तो पक्का पता चल गया था की यही नाव है और ट्रांसमीटर से लोकेशन भी मालूम हो गई थी की वो चेतसिंह घाट पे ही है। हम लोग जब घाट पे पहुँचे तो उस नाव का मल्लाह वहीं पे था। कार्लोस ने उससे बात की।
ये नाव वाले, घाट वाले सब फिरंगियों को देखकर फिसल जाते हैं और रेट दूना कर देते हैं। कार्लोस के साथ भी यही हुआ।
कार्लोस ने उसे बोला की वो एक हफ्ते के लिए इंडिया आया है उसे शाम या रात को तीन-चार घंटे के लिए नाव चाहिए। एकाध हफ्ते के लिए। उसकी इंडिया में मुझसे दोस्ती हो गई है और होटल में गेस्ट रुकने नहीं देता। इसलिए।
“डोंट वरी साहब आल अरेंजमेंट हियर। अन्दर डबल बेड। बहुत कम्फर्टेबल। वेरी साफ्ट मिस्ट्रेस सर। बहुत इंजाय…” वो जोश में आ गया।
“तुम्हारा मतलब मैट्रेस…” रीत ने हल्के से उसे समझाया।
“अरे उह्हे बात। मैट्रेस। मिस्ट्रेस…” नाव वाला बोला।
कार्लोस ने जब नाव में कोई खास दिलचस्पी नहीं दिखाई और हम लोग चलने लगे तो रोक के खुद नाव वाले ने बोला-
“साहब। मजा पानी के लिए ई बहुत बढ़िया हाउ। एक साहेब तो हफ्ता भरकर लिए बुक करेले हैं। रोज एक ठो के लावत हैं और दो-तीन घंटा नाव में। और फिर उ अपने घरे, और उ अपने घरे…”
मैं समझ गई की ये जेड के बारे में बात कर रहा है। लेकिन कार्लोस ने कोई इंटरेस्ट नहीं दिखाया मैंने जब उसकी ओर देखा तो उसने मुझे आँख से इशारा किया। कूल डाउन।
कार्लोस वापस घाट पे चढ़ने लगा तो नाव वाला पीछे। पीछे। कार्लोस ने बहुत बेतकल्लुफी से हाथ मेरे कंधे पे रखा था और मैंने भी उसका हाथ पकड़ रखा था।
“सर ट्राई प्लीज। वेरी इन्जोय बोट, सरबेस्ट इन बनारस…सर” नाव वाला बोला।
कार्लोस मुड़ लिए। “ओके जस्ट सी…” मुझसे बोले।
आगे नाव वाला पीछे-पीछेरीत और कार्लोस। नाव बड़ी थी वेल मेंटेंड। लेकिन कवर्ड एरया लाक्ड था।
“इसको दिखाओ…” रीत ने नाव वाले से बोला।
वो थोड़ा हिचकिचाया और बोला- “वो असल में वो अभी,... साहब ईट इस गुड। वो वो अभी मैं…”
“ओके चलो वी विल लुक फार सम ओदर…” कार्लोस मुड़ लिए लेकिन मैंने रोका-
“लेट मी टाक विद हिम…” और मैंने उसके कंधे पे हाथ रखकर दूसरे कोने पे ले गई। वो परेशान लग रहा था।
“तुम पैसे को लात मार रहे हो। ये डालर में पे करेगा…” रीत ने धीमे से उसे समझाया।
“डालर में…” उसके आँख में चमक आ गई। लेकिन वो फिर बूझ गई।
वो बोला- “उ जो साहब लिए हैं ना सख्त मना किये हैं,... की केहू और को नाव पे घुसने मत देना और कल तक का पैसा एडवांस दिए हैं। ता इसीलिए…”
“अरे बेवकूफ। वो यहाँ तो हैं नहीं और कौन देख रहे हैं, साफ सफाई के लिए तो तुम अन्दर जाते होगे ना…”
रीत बोली और जोड़ा
“और फिर खाली इ सवाल इनका नहीं है। 10 दिन का इनसे डील है। मैं खाली फिरंगियों के पास जाती हूँ। अगर मुझे पसंद आ गई ना तुम्हारी तो। लेकिन 5% मेरा। महीने में 15 से 20 दिन की बुकिंग पक्की और फिर अभी एक फिल्म की सूटिंग होनी है वो भी इसी में करा दूंगी। बोलो…थोड़ा घपाघप वाली है, फिरंगी सब होंगे, मैं भी रहूंगी दिन भर की बुकिंग, तुम्हारी चांदी हो जायेगी बोलो "
रीत ने और चारा फेंका
नाव वाले की आँख में चमक आ गयी, बोला,
" अरे एकदम. हमें तो नाव चलाने से मतलब, पिछले साल भी जाड़े में हुयी थी, दो तीन फिल्म . एक एक लड़की के साथ दो दो मर्द थे, का कहते हैं, अरे अच्छा तो नाम है, बुल फिल्मं "
मुस्कराते हुए रीत ने भूल सुधार किया और बोली,
" बुल नहीं, ब्ल्यू फिल्म, अरे जितने बड़े बड़े होटल के फिरंगी हैं सब के पास जाती हूँ मैं , ये साहब भी हफ्ते भर के लिए बुक किये हैं, इस लिए इनको किसी बात के लिए मना मत करो, "
उधर से कार्लोस की आवाज आई। डार्लिंग चलो।
रीत बोली- “यार दिखा दो जल्दी इसको पसंद आ गया तो वरना। वैसे उस आदमी ने नाव कब तक बुक किया है…”
“कल शाम तक…” और नाव वाले ने अपना कार्ड रीत को पकड़ा दिया और बोला की आप ले आइयेगा कस्टमर। आपका 5% पक्का।
फिर उसने ताला खोला।
Bohot achhi tarah se varnan ki hai aapne.रीत और नाव वाला
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एक बढ़िया बेड था, चौड़ा। दो साइड में खिडकियां, एक छोटी सी वार्डरोब। एक ड्रेसिंग टेबल और दो स्टूल। दीवाल पे वाल पेपर लगे थे और तीन ताखे थे। बेड पे दो पिलोस थी और कुछ कुशन।
“हे हम थोड़ा ट्राई मांगता जस्ट 5 मिनट्स…” कार्लोस ने नाव वाले से बोला।
नाव वाला थोड़ा हिचकिचाया लेकिनरीत ने कार्लोस को इशारा कर दिया और उन्होंने अपना नोटों से भरा पर्स खोलकर 10 डालर का एक नोट उसे पकड़ा दिया।
नाव वाला बाहर चला गया। डॉलर देख कर उसकी आँख में चमक आ गयी।
कार्लोस ने रीत को बांहों में भरने की कोशिश की लेकिन रीत बोली- “डार्लिंग जस्ट इंतेजार…”
नाव वाला बाहर से देख रहा था।
रीत ने दरवाजा बंद किया, खिडकियां चेक की।अब बाहर से अंदर कुछ भी नहीं दिख सकता था, यहाँ तक की खिड़कियों पर भी मोटा पर्दा था।
तब तक कार्लोस जेब से एक मिनी कैमरा निकालकर अन्दर के कमरे की फोटो ले रहे थे। रीत पलंग पे चेक करने ही वाली थी की की कार्लोस ने रोक दिया।
“वन मिनट। लुक एट पिलो। मार्क इट। आफ्टर सर्च रूम शुड रिमेन सेम…”
और उसके बाद पूरे पलंग को छान मारा लेकिन कुछ नहीं मिला। रूम में कुछ था ही नहीं।
सिर्फ ताखे में एक बोतल रम की रखी थी, आधा खाली।
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कार्लोस ने उसे भी चेक किया।
कुछ नहीं मिला। कार्लोस टायलेट में गए और रीत दरवाजा खोलकर बाहर।
नाव वाला दूसरे कोने में था।
रीत ने उसके सामने उसे दिखाते हुए अपने बाल और मेकप ठीक किया और बोली-
“बहुत अच्छा है, मैं अपने सब कस्टमर यही ले आऊँगी। बस एक सजेशन है। तुम इम्पोर्टेड कंडोम रखो। फ्लेवर्ड वाले। मिनरल वाटर और उसका पैसा अलग से चार्ज करना। वो साहेब जरा टायलेट गए हैं,... अभी आते हैं। “
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नाव वाला मुश्कुराया- “ठीक है…”
रीत ने पूछा- “और वो जो साहेब,... जिन्होंने 10 दिन के लिए बोट बुक कराई है वो तो पैसे वाले होंगे…”
“हाँ सब पैसा एडवांस दिए हैं और वो जो औरतिया आती है ओहू को डेली के डेली के हिसाब से देते हैं, लेकिन आप काहें पूछ रही हैं। आप का तो इ फिरंगियां…” नाव वाला बोला।
“बात तो उ ठीक कह रहे हो। और मैं भी महीने में 6-7 कस्टमर से ज्यादा नहीं और सब बिदेशी लेकिन। अब ये भी तो सीजन का बात है ना। गर्मी में नदी के साथ-साथ इ ससुरे, मादर टूरिस्टों ता झुरा जाते हैं। उ तीन-चार महीने में कभी कभी। अगर मालदार असामी हो तो क्या बुरा है…”
रीत बोली," ता उ आपन नाम फोन ओन तो दियो होंगे ना। सौदा हो गया तो 10% तुम्हारा…”
“नाहीं,... बिचित्र मनई है। अकसर तो उ मोटरसाइकल वाला हैमलेट पहिरे रहता है, रात में आता है और एक बात और ऐसे खड़े होगा की अन्धियारावे में। बाकी…” नाव वाला बोलकर चुप हो गया।
रीत के मन में आशा की किरण जगी। वो बोली- “बाकी का…”
“उ औरत अपना नाम एक दिन बताई थी। बोली थी मैं चम्पा बाईं के यहाँ गाना सीखे हूँ। खाली गाने का धंधा करती हूँ और कुछ नहीं। हाँ अपना नाम बताई थी, सोनल।
भारी बदन की है थोड़ा। बाकि एकाध बार नाव पे भी अन्दर कमरा में गा रही थी लेकिन साहेब हमका बोले हैं की जब तक उ लोग रहे नाव पे, हम दूसरे कोना में रही। हम ता दूरियें रहते हैं। अन्दर उ का करते हैं हमसे का मतलब…”
नाव वाला हँसकर बोला।
रीत भी साथ-साथ मुश्कुरायी लेकिन बोली- “और उ सोनल रहती कहाँ है?”
“का मालूम और देखिये हम तो आपसे भी नहीं पूछे की आप कहाँ रहती हैं। हाँ लेकिन आप तो छोकरी टाइप हैं, स्टुडेंट टाइप। वो तो एकदम्मे दालमंडी छाप थी,… उहीं की होगी…”
नाव वाला बोला।
रीत थोड़ी देर खड़ी रही फिर बोली- “मैं उसको बुलाकर लाती हूँ…” और अन्दर चली गई।
कार्लोस टायलेट से बाहर खड़े थे और बिना रीत के पूछे निराश होकर सिर हिलाया। रीत ने घाट साइड वाली खिड़की खोली तो खांचे में एक कागज सा दिखा। रीत ने अपनी बाल में से चिमटी निकालकर खुरेद के कागज के कुछ टुकड़े निकाले मुड़े तुडे। लग रहा था की किसी ने वो कागज फाड़कर नदी में डालने के लिए फेंका होगा लेकिन वो यहीं गिर गए होंगे।
कार्लोस ने उसे सम्हालकर रख लिए। और रीत और कार्लोस दोनों बाहर निकल आये। चलते हुए कार्लोस ने बोट वाले को 10 डालर और दिए और बोला-
“उन्हें नाव पसंद आई है। होली के दिन रात को आयेंगे और रीत उस नाव वाले के टच में रहेगी…”
रीत की कहानी खतम होने पे मैंने सम अप किया।
“देखो। दो बातें साफ हो गई। जेड ही उस नाव को इश्तेमाल कर रहा है क्मुनिकेट करने के लिए और वो औरत सिर्फ एक कैमोफ्लाज है।
दूसरी भले जेड के बारे में सीधे न पता चल पाया हो लेकिन उस औरत से तो उसने अपना चेहरा नहीं छुपाया। होगा। इसलिए अगर हम उस औरत को ट्रेस कर लेंगे तो उससे उसके बारे में पता चल जायगा और उस कागज के टुकड़ों से भी हो सकता है कार्लोस कुछ काम की बता पता कर ले…”
Kai talo ki ek chabhi,सोनल
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“यही तो उसका नाम सोनल है, किसी चम्पा बाईं की चेली है, थोड़ी भारी बदन की है। बस और अगर वहां जाकर हमने पूछ ताछ की और वो एलर्ट हो गई तो…” रीत ने बोला।
“मैं रास्ता बताता हूँ, तुम हो कहाँ…” मैंने पूछा।
“घर पर क्यों?” रीत बोली।
“अरे दूबे भाभी। उनसे हेल्प लो ना। याद है वो बार-बार मुझे मेरी कजिन का नाम लेकर छेड़ रही थी ना की आने दो उसे दालमंडी में बैठाऊँगी रात भर…”
रीत तुरंत फार्म पर आ गई-
“अरे हाँ गुड्डी बोल रही थी। तुम जाने वाले हो ना उसके यहाँ आज। ले जरूर आना अपने साथ…और दूसरी बात, दूबे भाभी मजाक नहीं करती जो बोलती हैं वो करती हैं। तो अगर दूबे भाभी ने बोल दिया की तेरे उस माल को, अनारकली ऑफ़ आजमगढ़ को दालमंडी में बैठायेंगी तो वो सच में बैठायेंगी और परेशान क्यों हो चवन्नी हिस्सा तेरा भी तो रहेगा, वैसे भी जब अपनी बहन का नाम और रेट लगा के पूरे बनारस में टहले थे तो कुछ नहीं "
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उसकी बात अनसुनी कर मैंने अपनी बात जारी रखी,
“तो मैंने मजाक में दूबे भाभी से पूछा की उन्हें दालमंडी के बारे में कैसे जानकारी है तो वो बोली की- “उन्होंने प्रसिद्ध गायिका राजेश्वरी देवी की लड़की से वहीं ठुमरी और कजरी सीखी थी। फिर उनके मामा की एक दुकान भी थी वहाँ… इसलिए वो आती जाती थी और अब भी उनका वहां कान्टैक्ट है। तो तुम उनसे पूछो। वो किसी जानने वाले का नाम देंगी तो बस…” कार्लोस को ले जाना और हाँ डी॰बी॰ से बात कर लेना वो पोलिस आर्टिस्ट दे देंगे। वो सोनल से बात करके उसका स्केच बना देगा। आजकल पुलिस कंप्यूटर भी इश्तेमाल करती है यहाँ शायद एवो फिट साफ्टवेयर इश्तेमाल करते हैं। वो भी ले आएगा। एक बार आई॰डी॰ फोटो बन गया तो सी॰सी॰टीवी, बैंक, पैन कार्ड। इन्फोर्मेशन मिल जायेगी। तुरंत स्टार्ट करो। और जैसे फोटो बन जाये मुझे बताना मैं घर पर ही रहूँगा…”
मैं रीत के जाल में फंसना नहीं चाहता था और दूसरे मुझे ये उम्मीद की बड़ी किरण दिख रही थी की कोई तो था जो जेड से मिला था।
सोनल ने जेड को देखा होगा, उसकी आवाज सुनी होगी, उसकी चाल ढाल, बहुत कुछ और ये रीत के ही बस की बात थी की २४ घंटे के अंदर जेड के इतने पास पहुँच गयी थी ।
“ओके…” रीत ने चैट से लाग आफ किया और दूबे भाभी के पास गई।
मैंने अगली रिपोर्ट्स खोली। कार्लोस की। सेटलाईट ट्रेकिंग की रिपोर्ट्स थी।
बहुत टेक्नीकल डिटेल्स थे।
रीत के आइडिया का फायदा हुआ था।
रीत ने सजेस्ट किया था की जेड के साथ जहाँ से सेटेलाइट फोन से बात कर रहा है उसके भी काल ट्रेस किये जायं। जेड के कंट्रोलर ने जेड के अलावा एक साऊथ इन्डियन स्टेट और दो पश्चिमी भारत के राज्यों में बात की थी। डिटेल्ड लोकेशन ट्रेस हो रही थी।
काल का डिटेल मिल गया था लेकिन डीकोड नहीं हो पा रही थी। क्योंकि एक बहुत पुराने सिस्टम का इश्तेमाल किया गया था बुक कोड का। उसमें जासूस और सन्देश पाने वाला दोनों के पास एक ही किताब होती थी जो कोड बुक की तरह इश्तेमाल होती थी।
अब मेसेज भेजने वाले को जिस शब्द का इश्तेमाल करना है, उसको वो उस किताब से चुन लेगा और उसकी लोकेशन का नंबर। पेज नंबर, पाराग्राफ नम्बर, लाइन नम्बर और लाईन में उस शब्द का क्या नम्बर है उसका नंबर लिख देगा। जैसे 1234 का मतलब होगा। पहले पेज के दूसरे पैराग्राफ की तीसरी लाइन का चौथा शब्द। सारे मेसेज को इस तरह नंबर में कन्वर्ट करके भेजा जाता था।
हाँ अगर किताब या जिस के भी बेस से ये मेसेज बनाए गए थे वो मिल जाए तो डी साइफर करना आसन होता। एक बात कन्फर्म हो गई थी की घाटों की फोटोग्राफ और घाट पे गंगा आरती के फोटो भेजे गए थे।
नेक्स्ट रिपोर्ट मार्लो की थी। जो हमरे सिक्योर फोनों की सिक्योरिटी और नान सिक्योर फोन्स के जो मेसेज ट्रेस हो रहे थे उन्हें ट्रेस कर रहा था।
हमारे सिक्योर फोन अभी तक सिक्यूर थे।
नान सिक्योर फोन की जो काल ट्रेस हो रही थी, इन्हें पिगीबैंक करके। वो उस सर्वर तक पहुँच गए थे। लेकिन उसे क्रैक करने में टाइम लग रहा था। एक सर्वर मुंबई के आस पास लोकेटेड था और दूसरा किसी पडोसी देश में। सर्वर क्रैक होने पे बहुत काम की जानकारी मिलती।
लंदन से स्मिथ ने रिपोर्ट दी थी उन दो मोबाइल नंबरों से जो जेड इश्तेमाल करता था। 6-7 दिन पहले गोरखपुर और नेपाल भी बात हुई थी।
डी॰क्यु॰एम॰ (डीप क्वेरी मैनेजर) पे जो लाजिस्टिक्स और ट्रेड की इन्फ़ो मांगी थी। वो सब आ गई थी। बनारसी साड़ी के ट्रेड, मार्केट और ट्रांसपोर्ट के बारे में। टाप 5 कम्पनियां, वो बनारस के बाहर कहां माल भेजती थी, कितना रोड कितना रेल सब कुछ।
Kya hai ye,27,29 ya 31 ka matlab"बूब ऑन फायर "
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तब तक कार्लोस का मेसेज आया, उस कागज को जोड के उन्होंने पढ़ लिया था, "बूब ऑन फायर " , लिट ईरोटिका लग रहा था। उन्होंने चेक कर लिया था। वो एक ईरोटिक स्टोरी करीब 12 दिन पहले लिट इरोटिक स्टोरी के साईट पे पोस्ट हुई थी।
मैं उछल पड़ा।
ये स्टोरी ही कोड बुक हो सकती है। कार्लोस ने बोला कि उसने भी ये गेस करके सेट फोन ट्रेसिन्ग कम्पनी को बता दिया है। लेकिन उस पेपर पे एक नम्बर भी लिखा था 27,29,31 मैंने बोला कि हो सकता है की ये स्टोरी के पेज नम्बर हों।
तब तक कार्लोस ने मेसेज फिर दिया कि रीत ने उसे दालमंडी चौराहे पे पांच मिनट में बुलाया है और वो निकल रहा है। चैट बाक्स में रीत का मेसेज था उसकी तीन फेवरिट स्माइली के साथ। किस्सि, लव, और लोट्पोट।
उसने दूबे भाभी की बात वर्बेटिम कोट की थी। सोनल के बारे में-
“वो बुर चोदी,... कोई गाने वाने वाली नहीं है, बचपन की रन्डी, दो-चार फिल्मी, गजल और कजरी सीख ली। ....वो पान वाला साला उसका भन्डुआ है…”
उन्होंने पान वाले से भी बात कर ली है। मैं निकल रही हूँ। डी॰बी॰ से बात हो गई है वो फेस आर्टिस्ट को भी भेज रहे हैं। उस चन्द्र्मुखी से मिलकर तुम्हें बताऊँगी।
तब तक लिट ईरोटिका में वो स्टोरी खुल चुकी थी। मैंने तुरन्त उसका डिटेल लन्दन में स्मिथ के पास मेल किया कि वो पता करे कि किस आई पी ऐड्रेस से ये स्टोरी पोस्ट की गई थी और उसकी लोकेशन क्या है। लेकिन एक बात मेरी समझ में नहीं आई, स्टोरी सिर्फ 24 पेज की थी, उसमें 27, 29, या 31 पेज होने का सवाल ही नहीं था।
मैंने चैट साइट, मेसेज के फोल्डर सब बन्द किये तब तक मैंने देखा कि गुड्डी मेरे पीछे खड़ी है। उसकी अंगुलियां मेरे कुर्ते के पहले तो बटन खोल रही थी, तब तक मैंने कम्प्यूटर बन्द कर दिया।
Bomb ka to clear ho gayaडीबी , बॉम्ब और आर डी एक्स
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बस गनीमत है की गुड्डी के मेरे निर्वस्त्र करने की कोशिश के पहले गोरखपुर से और डीबी से बात हो गयी थी,
पहला मेसेज डी॰बी॰ का था।
चुम्मन वापस लौट आया था, बनारस की पुलिस के कब्जे में।डी॰बी॰ ने सबसे पहले ये खुश खबरी बताई।
उन्होंने मेरा शुक्रिया अदा किया।
लिखा था की तुम्हारी मैना खूब अच्छा गा रही है। आगे बात साफ हुई।
उनका इशारा शुक्ला की ओर था जिसे सेठजी की दुकान पे मैंने पकड़वाया था। सिद्दीकी के सामने बहुत सी बातें बतायीं। ये तो मालूम था की तिहार जेल में बंद विकास ठाकुर से उसके सम्बन्ध हैं लेकिन वो इतने कारगर साबित होंगे, (विकास ठाकुर, शुकल के बास के साथ काम करता था और वे दोनों एक जमाने में मुम्बई की मशहूर “कंपनी…” के लिए काम करते थे। हास्पिटल शूट आउट में उनका हाथ था) इसका अंदाज नहीं था।
शुक्ला ने विकास ठाकुर को तिहार जेल में कान्टैक्ट किया। ठाकुर उसी जिले का था जहाँ के गृह राज्य मंत्री हैं और एक जमाने में ठाकुर ने उनको बहुत हेल्प की थी। विकास ठाकुर ने सीधे मंत्री जी से कान्टैक्ट किया और ना चाहते हुए भी उन्होंने आखीरकार, एस॰टी॰एफ॰ को मेसेज दिया। उधर डी॰बी॰ ने होम सेक्रेटरी से भी काफी प्रेसर डलवाया था।
स्पेशल प्लेन से रात 3 बजे चुम्मन को वापस बनारस भेज दिया गया। सिद्दीकी ने चुम्मन से पूछताछ की। उससे बहुत काम की बातें पता चली।
काशी करवट के पास एक जगह उसे बाम्ब हैंडल करने की ट्रेनिंग दी गई। जिस आदमी ने उसे ये ट्रेनिंग दी उसने नकाब पहन रखी थी। लेकिन जो आवाज और हुलिया चुम्मन ने बताया, उसके हिसाब से ये हुजी का एक एक्सपर्ट आपरेटिव लगता है। जिसके बारे में आई॰बी॰ को ये अंदाजा था की वो बंगला देश में है।
चुम्मन को उसने ये सिखाया था की बाम्ब में डिटोनेटर, टाइमर और शार्पनेल कैसे लगाते हैं।
बाद में बाम्ब से टाइमर, डिटोनेटर और शार्पनेल निकालकर एक बाम्ब उसे दिया गया था की वो गंगा के किनारे कहीं सूनसान जगह पे उसे एक्सप्लोड करके टेस्ट करें। उसी बाम्ब को वो ले आया था।
चुम्मन को लेकर स्निफर डाग्स के साथ वो लोग काशी करवट की उस जगह पे भी गए।
स्निफर डाग्स ने उस जगह आर॰डी॰एक्स॰ को भी स्निफ किया और डिटोनेटर्स को भी।
ये साफ लग रहा था की बाम्ब वहीं असेम्बल हुए हैं और ये हुजी के उस आपरेटिव के अलावा किसी के बस की बात नहीं। डाग्स ने उसको ट्रेस करने की भी कोशिश की। लेकिन सारी सेंट गंगा के पास जाकर खतम हो गई थी। इसका मतलब था की नदी के रास्ते ट्रांसपोर्ट किया गया है। ये भी अंदाज लग रहा है की वो बाम्ब मेकर कम से कम 36 घंटे वहां था।
चुम्मन ने उसके पास एक काठमांडू जाने का एयर टिकट भी देखा था।
आगे की बात मेरी
और वहीँ मैंने डीबी को रोक दिया,
" जहाँ तक डॉग्स ने आर डी एक्स स्निफ किया था, उसके आस पास क्या कोई कचड़े की ट्रक भी मिली थी," ?
मैंने पूछा।
" तुझे कैसे पता चला, " हँसते हुए वो बोले, फिर कबूला,
" हाँ लेकिन हम लोगो ने उसे आर डी एक्स से लिंक नहीं किया, क्योंकि वो वहां सड़क ऊँची है शार्प टर्न है और एक्सीडेंट होते हैं, फिर उसमे कचड़ा भरा भी था, लैंडफिल के पास थी इसलिए, एक डॉग वहां पहुंचा था लेकिन कुछ साफ़ नहीं था, "
और मेरा शक पक्का हो गया और मैंने उन्हें सब बता दिया, उसका बेस बताने की जरूरत नहीं थी कैसे कस्टम्स से मैंने इन्फो निकलवाई, मेरे हैकर दोस्तों ने कुछ टॉल के सीसी टीवी हैक किये और मैं खुद गैरकानूनी ढंग से कितने डाटा बेस में सेंध लगायी लेकिन कुछ बाते मैंने शेयर की।
कई बार स्मगलर्स जानबूझ के कुछ सामान कस्टम्स को पकड़वा देते हैं जिससे कुछ दिन तक हीट कम हो जाय। लेकिन ये हाल बहुत बड़ा नहीं होता।
अभी लेकिन कुछ दिन पहले कस्टम्स को एक बड़े हाल का अंदाज लगा और उन्होंने काफी पुलिस की भी सहायता लेकर सुनौली बार्डर पे हिरोइन की एक रिकार्ड खेप पकड़ी। शुक्ला ने गोरखपुर के एक गैंग, से बात करके पता किया की वो शायद कैमफ्लाज था।
सारी की सारी पुलिस 15-20 किलोमीटर में लग गई थी और वहां से 40 किलोमीटर दूर एक नाले के रास्ते से दो-चार बोरे कोई सामान स्मगल हुआ। जो एक भरी हुई गारबेज ट्रक में रखकर बनारस आया।
गार्बेज ट्रक के दो एडवांटेज थे। एक तो उसे कोई अन्दर तक चेक नहीं करता और दूसरे उसकी बदबू में आर॰डी॰एक्स॰ की महक दब जाती है। वो ट्रक 15 दिन पहले आजमगढ़ म्युनिस्पिलीटी से चोरी हुआ था।
तो आर डी एक्स नेपाल के एक गाँव से खेतों से हो के, धान के बोरो के अंदर आया और फरेंदा के जंगल में उसे कचड़े की चोरी वाली ट्रक से ट्रांसपोर्ट किया गया, और उसे बड़े गार्बेज बैग्स में ही भरा गया, एकदम अंदर की ओर, कहीं किसी नाकाबंदी में कचड़े की गाडी नहीं चेक की जाती, तो बस वो दनदनाते हुए निकल गया, और सब एक जैसी लगती हैं, तो पक्का नेपाल से आर डी एक्स उसी गार्बेज ट्रक से बनारस आ या
फिर मेरे दिमाग में एक सवाल और आया मैंने पूछ लिया
" कुछ अबनार्मल सेल्स, अमोनियम नायट्रेट या नाइट्रिक एसिड की ?"
और अबकी बात काटने का काम डीबी ने किया
" हाँ कुछ पता चला है, मैं शेयर कर देता हूँ , और वो जब दंगे की सुनगुन लगी थी तभी हम लोगो ने रेड की थीं, दो चार गोडाउन में मिला है"
पर मेरे दिमाग में एक बार और चमकी
" कहीं कुछ एटीम के कैसेट्स तो नहीं मिले, " मैंने पूछ लिया
" हाँ, नहीं शायद, होल्ड करना चेक करके बताता हूँ,"
और एक मिनट के बाद उन्होंने बताया की उसी लैंडफिल में जहाँ वो ट्रक गिरी थी उसी के पास
लेकिन अब तक वो लोग अंदाजा नहीं लगा रहे थे, पर अब चेक किया तो वैसा ही लग रहा है।
और मैंने अपनी एक और शंका बताई,
" ये काउंटरफेट करेंसी का भी आपरेशन हो सकता है, आर डी एक्स के साथ एटीम के कैसेट्स में काउंटरफेट करेंसी भी नेपाल से आयी होगी । जाली नोटों में चलाने का सबसे बड़ा संकट है, और वो भी थोक में और फिर अपने आपरेशन में वो जाली नोट नहीं इस्तेमाल करेंगे क्योंकि कहीं कोई जाली नोट में ही पकड़ा जाए तो उस जाली नोट को २० % डिस्काउंट पे चला सकते हैं और अगर एटीम के कैसेट्स में हैं तो जो सिक्योरिटी वाली कम्पनी बैंक से एटीम नोट्स ले जाती हैं वो प्राइवेट सिक्योरटी कम्पनी की होती हैं बस उन्ही सेमिल के कैसेट्स बदल सकते हैं
और अलग अलग बैंको के हर एटीम में दो चार कैसेट्स जाली नोट के होने से पकड़ना भी मुश्किल होगा। कम से पांच दस करोड़ या ज्यादा नोट आये होंगे, क्योंकि इस लेवल के आपरेशन में पैसा भी चाहिए।
डीबी सीरियस हो गए और उन्होंने एक दो लोगो को फोन लगाया और फिर मैंने बात आगे बढ़ाई
लेकिन सारा नोट कोई जरूरी नहीं है बनारस के लिए हो तो बाकी शहरों में भी ये पैसा जाएगा पर ऐसे तो पकड़ा जाएगा,.... इसलिए हवाला के जरिये
" हमने सारे हवाले वालों के नंबर ट्रैक कर रखे हैं, पर वहां से कुछ भी ऐबनार्मल नहीं पता चला " डीबी बोले
" वो रेगुलर हवाला चैनल का इस्तेमाल नहीं कर रहे होंगे, " मैंने कुछ सोचा और फिर अपना शक जाहिर किया
" बनारसी साड़ी, बनारसी साड़ी तो हर जगह जाती है न, तो बस उसका पेमेंट यहाँ कैश में एडवांस और जिसको साड़ी जाती है वो दूकान वाला वहां किसी एजेंट को कैश दे देगा उस साड़ी के बदले, तो इस डबल पेमेंट से कैश ट्रांसफर हो जाता होगा, और बुक्स भी बैलेंस रहेंगी कोई अलग अलग शहरों के खाते मिला के तो देखता नहीं। "
अब डीबी सीरियस हो गए।
डी॰बी॰ ने कहा की आज आज 12 बजे होम सेक्रेटरी और जवाइंट डायरेक्टर आई॰बी॰ आ रहे हैं और साढ़े 12 बजे नदेसर कोठी में मीटिंग है। वो रीत को भी ले जाएंगे ।मैं साढ़े 11 बजे तक जितने फैक्ट मिलें उसे समराइज कर एक रिपोर्ट बनाकर रीत के थ्रू उसको मेल कर दूँ। हाँ ये आर डी एक्स वाली बात और कांउंटरफेट करेंसी वाली बात रिपोर्ट में न डालूं
मैंने घड़ी देखी होम सेक्रेटरी और आई॰बी॰ के सामने पूरा थ्रेट असेसमेंट और उसके रैमिफिकेशन बनाकर रखने होंगे।
सब बाते क्लाउड पर थीं ही और बड़े लोग एक पेज से बड़ी रिपोर्ट नहीं पढ़ते तो बस मैं चालू हो गया और जैसे रिपोर्ट मैंने रीत के पास भेजी, गुड्डी आ गयी थी।
तक मैंने देखा कि गुड्डी मेरे पीछे खड़ी है। उसकी अंगुलियां मेरे कुर्ते के पहले तो बटन खोल रही थी, तब तक मैंने कम्प्यूटर बन्द कर दिया।
गुड्डी की उंगलियां मेरे सीने पे पहुँच चुकी थी और मेरे टिट्स को अपने लम्बे नाखूनों से छेड़ रही थी।
“ठरकी नम्बर एक जी कपड़े उतारिये…” वो आँख नचाकर बोल रही थी।
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“क्यों? क्या रात में मन नहीं भरा…” मैं कुर्सी पे बैठे-बैठे बोला।
“ना। थोड़ी सी पेट पूजा कहीं भी कभी भी। अरे लोग तो चलती बस में, खड़ी बस में, ट्रेन में, रेलवे स्टेशन पे कहीं भी मौके का फायदा उठा लेते हैं। कल हो ना हो। तो मैं तो घर में हूँ…”
और उसने दोनों हाथों से खींचकर कुर्ता निकाल दिया।
डीबी , बॉम्ब और आर डी एक्स
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बस गनीमत है की गुड्डी के मेरे निर्वस्त्र करने की कोशिश के पहले गोरखपुर से और डीबी से बात हो गयी थी,
पहला मेसेज डी॰बी॰ का था।
चुम्मन वापस लौट आया था, बनारस की पुलिस के कब्जे में।डी॰बी॰ ने सबसे पहले ये खुश खबरी बताई।
उन्होंने मेरा शुक्रिया अदा किया।
लिखा था की तुम्हारी मैना खूब अच्छा गा रही है। आगे बात साफ हुई।
उनका इशारा शुक्ला की ओर था जिसे सेठजी की दुकान पे मैंने पकड़वाया था। सिद्दीकी के सामने बहुत सी बातें बतायीं। ये तो मालूम था की तिहार जेल में बंद विकास ठाकुर से उसके सम्बन्ध हैं लेकिन वो इतने कारगर साबित होंगे, (विकास ठाकुर, शुकल के बास के साथ काम करता था और वे दोनों एक जमाने में मुम्बई की मशहूर “कंपनी…” के लिए काम करते थे। हास्पिटल शूट आउट में उनका हाथ था) इसका अंदाज नहीं था।
शुक्ला ने विकास ठाकुर को तिहार जेल में कान्टैक्ट किया। ठाकुर उसी जिले का था जहाँ के गृह राज्य मंत्री हैं और एक जमाने में ठाकुर ने उनको बहुत हेल्प की थी। विकास ठाकुर ने सीधे मंत्री जी से कान्टैक्ट किया और ना चाहते हुए भी उन्होंने आखीरकार, एस॰टी॰एफ॰ को मेसेज दिया। उधर डी॰बी॰ ने होम सेक्रेटरी से भी काफी प्रेसर डलवाया था।
स्पेशल प्लेन से रात 3 बजे चुम्मन को वापस बनारस भेज दिया गया। सिद्दीकी ने चुम्मन से पूछताछ की। उससे बहुत काम की बातें पता चली।
काशी करवट के पास एक जगह उसे बाम्ब हैंडल करने की ट्रेनिंग दी गई। जिस आदमी ने उसे ये ट्रेनिंग दी उसने नकाब पहन रखी थी। लेकिन जो आवाज और हुलिया चुम्मन ने बताया, उसके हिसाब से ये हुजी का एक एक्सपर्ट आपरेटिव लगता है। जिसके बारे में आई॰बी॰ को ये अंदाजा था की वो बंगला देश में है।
चुम्मन को उसने ये सिखाया था की बाम्ब में डिटोनेटर, टाइमर और शार्पनेल कैसे लगाते हैं।
बाद में बाम्ब से टाइमर, डिटोनेटर और शार्पनेल निकालकर एक बाम्ब उसे दिया गया था की वो गंगा के किनारे कहीं सूनसान जगह पे उसे एक्सप्लोड करके टेस्ट करें। उसी बाम्ब को वो ले आया था।
चुम्मन को लेकर स्निफर डाग्स के साथ वो लोग काशी करवट की उस जगह पे भी गए।
स्निफर डाग्स ने उस जगह आर॰डी॰एक्स॰ को भी स्निफ किया और डिटोनेटर्स को भी।
ये साफ लग रहा था की बाम्ब वहीं असेम्बल हुए हैं और ये हुजी के उस आपरेटिव के अलावा किसी के बस की बात नहीं। डाग्स ने उसको ट्रेस करने की भी कोशिश की। लेकिन सारी सेंट गंगा के पास जाकर खतम हो गई थी। इसका मतलब था की नदी के रास्ते ट्रांसपोर्ट किया गया है। ये भी अंदाज लग रहा है की वो बाम्ब मेकर कम से कम 36 घंटे वहां था।
चुम्मन ने उसके पास एक काठमांडू जाने का एयर टिकट भी देखा था।
आगे की बात मेरी
और वहीँ मैंने डीबी को रोक दिया,
" जहाँ तक डॉग्स ने आर डी एक्स स्निफ किया था, उसके आस पास क्या कोई कचड़े की ट्रक भी मिली थी," ?
मैंने पूछा।
" तुझे कैसे पता चला, " हँसते हुए वो बोले, फिर कबूला,
" हाँ लेकिन हम लोगो ने उसे आर डी एक्स से लिंक नहीं किया, क्योंकि वो वहां सड़क ऊँची है शार्प टर्न है और एक्सीडेंट होते हैं, फिर उसमे कचड़ा भरा भी था, लैंडफिल के पास थी इसलिए, एक डॉग वहां पहुंचा था लेकिन कुछ साफ़ नहीं था, "
और मेरा शक पक्का हो गया और मैंने उन्हें सब बता दिया, उसका बेस बताने की जरूरत नहीं थी कैसे कस्टम्स से मैंने इन्फो निकलवाई, मेरे हैकर दोस्तों ने कुछ टॉल के सीसी टीवी हैक किये और मैं खुद गैरकानूनी ढंग से कितने डाटा बेस में सेंध लगायी लेकिन कुछ बाते मैंने शेयर की।
कई बार स्मगलर्स जानबूझ के कुछ सामान कस्टम्स को पकड़वा देते हैं जिससे कुछ दिन तक हीट कम हो जाय। लेकिन ये हाल बहुत बड़ा नहीं होता।
अभी लेकिन कुछ दिन पहले कस्टम्स को एक बड़े हाल का अंदाज लगा और उन्होंने काफी पुलिस की भी सहायता लेकर सुनौली बार्डर पे हिरोइन की एक रिकार्ड खेप पकड़ी। शुक्ला ने गोरखपुर के एक गैंग, से बात करके पता किया की वो शायद कैमफ्लाज था।
सारी की सारी पुलिस 15-20 किलोमीटर में लग गई थी और वहां से 40 किलोमीटर दूर एक नाले के रास्ते से दो-चार बोरे कोई सामान स्मगल हुआ। जो एक भरी हुई गारबेज ट्रक में रखकर बनारस आया।
गार्बेज ट्रक के दो एडवांटेज थे। एक तो उसे कोई अन्दर तक चेक नहीं करता और दूसरे उसकी बदबू में आर॰डी॰एक्स॰ की महक दब जाती है। वो ट्रक 15 दिन पहले आजमगढ़ म्युनिस्पिलीटी से चोरी हुआ था।
तो आर डी एक्स नेपाल के एक गाँव से खेतों से हो के, धान के बोरो के अंदर आया और फरेंदा के जंगल में उसे कचड़े की चोरी वाली ट्रक से ट्रांसपोर्ट किया गया, और उसे बड़े गार्बेज बैग्स में ही भरा गया, एकदम अंदर की ओर, कहीं किसी नाकाबंदी में कचड़े की गाडी नहीं चेक की जाती, तो बस वो दनदनाते हुए निकल गया, और सब एक जैसी लगती हैं, तो पक्का नेपाल से आर डी एक्स उसी गार्बेज ट्रक से बनारस आ या
फिर मेरे दिमाग में एक सवाल और आया मैंने पूछ लिया
" कुछ अबनार्मल सेल्स, अमोनियम नायट्रेट या नाइट्रिक एसिड की ?"
और अबकी बात काटने का काम डीबी ने किया
" हाँ कुछ पता चला है, मैं शेयर कर देता हूँ , और वो जब दंगे की सुनगुन लगी थी तभी हम लोगो ने रेड की थीं, दो चार गोडाउन में मिला है"
पर मेरे दिमाग में एक बार और चमकी
" कहीं कुछ एटीम के कैसेट्स तो नहीं मिले, " मैंने पूछ लिया
" हाँ, नहीं शायद, होल्ड करना चेक करके बताता हूँ,"
और एक मिनट के बाद उन्होंने बताया की उसी लैंडफिल में जहाँ वो ट्रक गिरी थी उसी के पास
लेकिन अब तक वो लोग अंदाजा नहीं लगा रहे थे, पर अब चेक किया तो वैसा ही लग रहा है।
और मैंने अपनी एक और शंका बताई,
" ये काउंटरफेट करेंसी का भी आपरेशन हो सकता है, आर डी एक्स के साथ एटीम के कैसेट्स में काउंटरफेट करेंसी भी नेपाल से आयी होगी । जाली नोटों में चलाने का सबसे बड़ा संकट है, और वो भी थोक में और फिर अपने आपरेशन में वो जाली नोट नहीं इस्तेमाल करेंगे क्योंकि कहीं कोई जाली नोट में ही पकड़ा जाए तो उस जाली नोट को २० % डिस्काउंट पे चला सकते हैं और अगर एटीम के कैसेट्स में हैं तो जो सिक्योरिटी वाली कम्पनी बैंक से एटीम नोट्स ले जाती हैं वो प्राइवेट सिक्योरटी कम्पनी की होती हैं बस उन्ही सेमिल के कैसेट्स बदल सकते हैं
और अलग अलग बैंको के हर एटीम में दो चार कैसेट्स जाली नोट के होने से पकड़ना भी मुश्किल होगा। कम से पांच दस करोड़ या ज्यादा नोट आये होंगे, क्योंकि इस लेवल के आपरेशन में पैसा भी चाहिए।
डीबी सीरियस हो गए और उन्होंने एक दो लोगो को फोन लगाया और फिर मैंने बात आगे बढ़ाई
लेकिन सारा नोट कोई जरूरी नहीं है बनारस के लिए हो तो बाकी शहरों में भी ये पैसा जाएगा पर ऐसे तो पकड़ा जाएगा,.... इसलिए हवाला के जरिये
" हमने सारे हवाले वालों के नंबर ट्रैक कर रखे हैं, पर वहां से कुछ भी ऐबनार्मल नहीं पता चला " डीबी बोले
" वो रेगुलर हवाला चैनल का इस्तेमाल नहीं कर रहे होंगे, " मैंने कुछ सोचा और फिर अपना शक जाहिर किया
" बनारसी साड़ी, बनारसी साड़ी तो हर जगह जाती है न, तो बस उसका पेमेंट यहाँ कैश में एडवांस और जिसको साड़ी जाती है वो दूकान वाला वहां किसी एजेंट को कैश दे देगा उस साड़ी के बदले, तो इस डबल पेमेंट से कैश ट्रांसफर हो जाता होगा, और बुक्स भी बैलेंस रहेंगी कोई अलग अलग शहरों के खाते मिला के तो देखता नहीं। "
अब डीबी सीरियस हो गए।
डी॰बी॰ ने कहा की आज आज 12 बजे होम सेक्रेटरी और जवाइंट डायरेक्टर आई॰बी॰ आ रहे हैं और साढ़े 12 बजे नदेसर कोठी में मीटिंग है। वो रीत को भी ले जाएंगे ।मैं साढ़े 11 बजे तक जितने फैक्ट मिलें उसे समराइज कर एक रिपोर्ट बनाकर रीत के थ्रू उसको मेल कर दूँ। हाँ ये आर डी एक्स वाली बात और कांउंटरफेट करेंसी वाली बात रिपोर्ट में न डालूं
मैंने घड़ी देखी होम सेक्रेटरी और आई॰बी॰ के सामने पूरा थ्रेट असेसमेंट और उसके रैमिफिकेशन बनाकर रखने होंगे।
सब बाते क्लाउड पर थीं ही और बड़े लोग एक पेज से बड़ी रिपोर्ट नहीं पढ़ते तो बस मैं चालू हो गया और जैसे रिपोर्ट मैंने रीत के पास भेजी, गुड्डी आ गयी थी।
तक मैंने देखा कि गुड्डी मेरे पीछे खड़ी है। उसकी अंगुलियां मेरे कुर्ते के पहले तो बटन खोल रही थी, तब तक मैंने कम्प्यूटर बन्द कर दिया।
गुड्डी की उंगलियां मेरे सीने पे पहुँच चुकी थी और मेरे टिट्स को अपने लम्बे नाखूनों से छेड़ रही थी।
“ठरकी नम्बर एक जी कपड़े उतारिये…” वो आँख नचाकर बोल रही थी।
![]()
“क्यों? क्या रात में मन नहीं भरा…” मैं कुर्सी पे बैठे-बैठे बोला।
“ना। थोड़ी सी पेट पूजा कहीं भी कभी भी। अरे लोग तो चलती बस में, खड़ी बस में, ट्रेन में, रेलवे स्टेशन पे कहीं भी मौके का फायदा उठा लेते हैं। कल हो ना हो। तो मैं तो घर में हूँ…”
और उसने दोनों हाथों से खींचकर कुर्ता निकाल दिया।
वाह कोमल जी...मज़ा आ गया ये अपडेट पढ़ के। आनंद बाबू और गुड्डी के बीच का ये मिलन का दृश्य बहुत ही सुंदर और प्रेम रस से परिपूर्ण था। और एक बात जो मुझे सबसे अच्छी लगी के दो प्रेमियो ने बीच ना नुकर अच्छा बुरा इसके लिए कोई जगह नहीं। प्यार और युद्ध में सब जायज है। मुझे ये अच्छा नहीं लगता या मैं ये नहीं कर सकती...सब का प्रेम मिलन में कोई जगह नहीं है। सेक्स तो संपूर्ण तन और मन का मिलन है। एक दूसरे की इच्छा का सम्मान करने से प्रेम और बढ़ता हैनया दिन
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“उठो ना सब लोग उठ गए हैं…” वो फिर बोली।
“मैंने नहा धो भी लिया…”
“नहाना तक तो ठीक था लेकिन धो भी लिया…” मैंने चिढ़ाया।
सुबह की धुप सी वो खिलखिलाई- “और क्या तुमने इतना, हर जगह…” और साथ में अब गुड्डी की उंगलियां पाजामे के अन्दर। और वो उसकी मुट्ठी में।
“उठो ना मंजन कर लो…” गुड्डी फिर बोली। लट फिर उसके गाल पे आ गई थी।
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“कल की तरह जैसा तुमने कराया था…” हँसकर मैंने याद दिलाया।
“करा दूंगी, डरती हूँ क्या? चलो ना…” वो मुश्कुराकर शोख अदा से बोली। अन्दर ‘उसके’ साथ गुड्डी की उंगलियां खेल तमाशा कर रही थी। गिनती चालू थी 11-12,... 17-18-19,...61-62-63-64,...80-81-82,... आगे-पीछे।
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“हे एक दे दो न। गुड मार्निग कर दो…” मैंने विनती की।
“दिया तो…” मेरे होंठों की ओर इशारा करके वो बोली और फिर पास आकर एक छोटी दी किस्सी ले ली।
मैंने भी उसी तरह जवाब दिया लेकिन अपना इरादा साफ किया- “वहां नीचे…” मैंने चद्दर की ओर इशारा किया जो अब तम्बू की तरह तन गया था।
“धत्त सुबह-सुबह…” वो इतराई।
“प्लीज बस एक बहुत छोटी सी। सुबह-सुबह कोई चीज मिलने से दिन भर मिलती है…” मैंने फिर अर्जी लगाई।
“ऊं उं। तुम ना रात भर मन नहीं भरा…” गुड्डी इठला के बोली और आलमोस्ट मेरी गोद में आ गई।
“मन तो मेरा यार जिंदगी भर नहीं भरेगा…” मैंने उसके दोनों किशोर उभारों को हल्के से सहलाते हुए कहा।
“तो मैं कौन सा तुम्हें। लेकिन अभी सुबह-सुबह। सब लोग जग रहे हैं…” वो दुलराते मेरे गालों को हल्के से सहलाकर बोली।
“अच्छा भाभी कहां हैं…” मैंने साफ-साफ सवाल किया।
“वो ऊपर हैं कमरा ठीक कर रही हैं। शीला भाभी नहाने गई हैं अभी, कह रही थी की सिर धोएंगी। मंजू नाश्ते की तैयारी कर रही है और मैं तुम्हारे पास हूँ…” उसने सब की पोजीशन साफ कर दी।मतलब मैदान साफ़ है , कम से कम दस पंद्रह मिनट तो कोई इस कमरे में नहीं आ सकता
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“दे दो न प्लीज। बहुत मन कर रहा है। एकदम छोटी सी। जस्ट उससे गुड मार्निंग कर दो…”मैं रिरिया रहा था, निहोरा कर रहा था,
“चलो तुम भी क्या याद करोगे…”
गुड्डी मुश्कुरायी और झट से उसका मुँह चद्दर में और पजामा खोलकर पहले तो जीभ की टिप से उसने सुपाड़े के पी-होल पे हल्के से छेड़ा और फिर वहीं पे एक किस्सी ले ली।
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झंडा एकदम फहरा रहा था।
उसने दोनों होंठों के बीच सुपाड़े को गपक लिया और हल्के-हल्के चूसने लगी।
उसने दोनों होंठों के बीच सुपाड़े को गपक लिया और हल्के-हल्के चूसने लगी। साथ में उसकी रसीली जुबान, नीचे से सुपाड़े को चाट रही थी। थोड़ी देर में चूसने का जोर भी बढ़ गया और आधा लण्ड भी उस शोख, कमसिन के मुँह में और जब उसने मुँह हटाया तो उसके पहले तन्नाये हुए लण्ड पे नीचे से ऊपर तक। बीसों छोटी-छोटी किस्सी और छोड़ने के पहले एक बार फिर से कसकर बड़ी सी किस्सी।
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मेरे जोश में पागल सुपाड़े पे। और मुँह निकालकर फिर मेरे होंठों पे एक छोटी सी किस्सी।
“क्यों हो गई ना गुड मार्निंग…”
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वो मुश्कुराकर बोली और मुझे खींचकर पलंग से खड़ा कर दिया।
“एकदम अब आज दिन अच्छा गुजरेगा…” मैंने मुश्कुराते हुए बोला।
हम दोनों साथ-साथ निकल रहे थे। वो रुक के बोली-
“एकदम सही कह रहे हो और आज तो तुम्हें उससे मिलने चलना भी है…” वो थम के मुड़कर मेरी ओर देखकर आँखें नचाते बोली।
“किससे…” मुझे कुछ याद नहीं पड़ रहा था।
“अरे और किससे। भूल गए कल यहाँ शाम फोन पे मेरी क्या बात हुई थी। किसके यहाँ आज चलना है। ये देखो…”
गुड्डी ने अपना मोबाइल का मेसेज बाक्स खोलकर दिखाया। इन बाक्स में आज के दो मेसेज थे, सुबह हुई नहीं। दो मेसेज आ गए। कब आओगी। बहुत जोर से चींटियां काट रही हैं उसे, वही तुम्हारी एलवल वाली जानेजाना…”
मुश्कुराते हुए फोन बंद करके वो किचेन में चली गई और मैं वाशबेसिन पे ब्रश करने। (एलवल। मेरी कजिन के मुहल्ले का नाम था)
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मेरा हाथ जेब में अपने दोनों फोन पे पड़ा। सिक्योर और नान सिक्योर। दोनों मेसेज से भरे थे। रीत, डी॰बी॰, कार्लोस और। मेरे हैकिंग फ्रेंड्स। फ्रेश होकर मैं किचेन में पहुँचा। वहां मेरी भाभी चाय बना रही थी। गुड्डी पास में खड़ी थी। शीला भाभी और मंजू भी किचेन के काम में लगी थी।
“भाभी चाय। लेकिन दूध थोड़ा कम…” मैंने फरमाइश पेश कर दी।
“अरे लाला दूध कम क्यों, दूध नहीं पियोगे तो मलाई गाढ़ी गाढ़ी कैसे निकालोगे…” मंजू मुझे छेड़ते हुए बोली।
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सभी मुश्कुराने लगे शीला भाभी ने हँसते हुए मेरी भाभी से कहा-
“अरी बिन्नो, तुम देवरानी काहे नहीं लाती लल्ला के लिए। वो दूध भी पिला देगी और मलाई भी निकाल देगी। पढ़ाई पूरी हो गई। अच्छी नौकरी भी लग गई, कमाने लग गए अब काहे की कसर…”
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“अरे मैं तो खुदी इससे कह रही हूँ। मार्च चल रहा है मई में अच्छी लगन है बोलो। करूँ बात…” भाभी भी उसी गैंग में जवाइन हो गई।
“धत्त भाभी। आप भी ना। मैं चलता हूँ। आप चाय भिजवा दीजियेगा…” मैं झेंपता हुआ बोला।
“अरे क्या लौंडिया की तरह शर्मा रहे हो लाला हमका मालूम नहीं है का। जिस दिन आएगी ना उसी दिन से दोनों और चक्की चलेगी बिना नागा। झंडा तो इत्ता जबर्दस्त खड़ा किये हो। सबेरे सबेरे केहू का सपना देखो हो का…”
और मंजू ने मेरा कुरता उठा दिया। नीचे पाजामे में जबर्दस्त तम्बू तना था, कर्टसी गुड्डी ने जो अभी वहां गुड मार्निंग किस दी थी।
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मेरी भाभी और शीला भाभी मुश्कुराने लगी-
“और किसका सपना देखे होंगे। उसी का देखे होंगे। जिसका कल चार बार फोन आया था…” भाभी ने चिढ़ाया।
“सुबह से दो बार मेरे पास मेसेज आ गया है। कब आ रही हो, कब आ रही हो…” गुड्डी ने आग में पेट्रोल डाला।
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मैंने उसे घूर कर देखा तो वो खिस्स से हँस दी।
“अरे देवरानी आने में तो,.... पता नहीं कब तक आएगी। तब तक इ ऐस्से रहेगा क्या?” मंजू ने अब तने पाजामे को हल्के से छू दिया और फिर भाभी से बोली,....
“अरे उसको भी आग लगी है। काहे नहीं ओही को टेम्परेरी देवरानी बना लेती। वहां नौकरी का ट्रेनिंग करें और यहाँ ओकरे साथ। घर का माल घर में…”
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चौतरफे हमले से मेरी हालत खाराब हो गई ऊपर से भाभी भी- “मुझे कोई ऐतराज नहीं है। अरे पुराना माल है इनका बचपन का…”
मैंने गुड्डी से कहा की वो चाय मेरे कमरे में ले आये और बाहर निकल आया। सिक्योर फोन बार-बार वाइब्रेट कर रहा था।
भाभी ने गुड्डी से बोला की वो चाय छान ले और वो भी मेरे साथ आ गईं हँसती हुई-
“दुपहर को तुम बाजार जाओगे ना तो मैं लिस्ट दे दूंगी होली के सामान की लेते आना। और ये मजाक का बुरा तो नहीं माना तुमने…” वो बोली।
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“अरे नहीं भाभी। मैं मंजू को जानता नहीं क्या?” मैं हँसने लगा।
लेकिन भाभी मुश्कुराकर बोली-
“और क्या? और वैसे भी मैं मजाक थोड़ी कर रही थी। सही बोल रही थी। सेट कर लो उसको…” और हँसते हए वो ऊपर चली गईं और मैं अपने रूम में।
फोन खोलकर सबके मेसेज मैंने डेस्क टाप के सिक्योर्ड सर्वर पे ट्रांसफर किया, फिर एक फोल्डर में कापी करके देखने लगा।
तब तक गुड्डी एक मग में चाय लेकर आ गई। मैंने उसकी कलाई पकड़ ली तो वो बहुत धीमे से फुसफुसाते हुए बोली-
“अभी नहीं। शीला भाभी बाहर खड़ी हैं…” और हाथ छुड़ा कर चली गई।